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बेटी ने देखी मम्मी पापा की चुदाई

मेरा नाम सीमा है, इस वक़्त मेरी उम्र 24 साल की है। मेरा फिगर साईज 36-27-34 है और मेरे बूब्स का शेप गोल-गोल है, लेकिन थोड़े से बड़े होने की वजह से थोड़े नीचे की तरफ झुके हुए है, में 34D साईज की ब्रा पहनती हूँ, जिससे मेरे बूब्स ब्रा के अंदर टाईट हो जाते है और ज़्यादा नहीं हिलते है, लेकिन मेरी खुले गले वाली शर्ट से मेरे बूब्स की घाटी देखकर सबका दिल हरा-हरा (गार्डन-गार्डन) हो जाता है। दोस्तों मैंने अपनी मम्मी को पापा से सेक्स करते देखा। पापा उस समय मम्मी की चूत चाट रहे थे। फिर पापा ने मम्मी की चूत के होंठो को चूसना बंद कर दिया और मम्मी ने भी उनके लंड को चूसना बंद कर दिया था। तब मम्मी ने कहा कि जल्दी करो।

 

तब पापा ने अलमारी से तेल की शीशी उठाकर उसका ढक्कन खोला और उसको अपने लंड की तरफ झुका दिया। अब तेल की शीशी से तेल निकलकर पापा के मोटे, लम्बे, काले लंड पर गिरने लगा था और अब मम्मी अपना हाथ आगे करके उनके लंड पर तेल मालिश करने लगी थी। अब पापा का लंड पत्थर की तरह सख़्त हो चुका था और बहुत ही टाईट हो चुका था। फिर पापा ने तेल की शीशी को मम्मी की चूत के ऊपर की तरफ कर दिया, तो शीशी से तेल की धार निकलकर मम्मी की चूत में जाने लगी थी। अब मम्मी ने अपनी उंगली से तेल को अपनी चूत में करना चालू कर दिया था।

 

फिर पापा ने मम्मी की दोनों टांगे फैलाई और उनकी दोनों टांगो के बीच में जाकर बैठ गये और अपना लंड सेट करके मम्मी की चूत के मुँह पर रख दिया। तब मम्मी के मुँह से आअहह, ऑश की मीठी आवाज निकल गयी। फिर पापा ने धीरे से अपने लंड से एक झटका मारा तो उनका लगभग आधा लंड मम्मी की चूत में अंदर तक धँस गया था। तब मम्मी के मुँह से आआहह की आवाज आई, लेकिन साफ-साफ़ पता लग रहा था कि यह दर्द की आवाज नहीं है, यह तो मजे लेने की आवाज थी। तब पापा ने मम्मी से पूछा कि क्यों मेरी रानी मज़ा आया? तो तब मम्मी बोली कि हाँ मेरे राज़ा, मेरे चोदू राजा पूरा अंदर डालो ना, मज़ा तो पूरा तभी आएगा जब तुम्हारा गधे जैसा मूसल लंड मेरी चूत में अंदर बच्चेदानी तक ठोकर मारेगा, मेरी चूत की प्यास तो तभी बुझती है।

बेटी ने देखी मम्मी पापा की चुदाई

तब पापा ने कहा कि लो मेरी रानी, अभी लो में तुम्हारी प्यासी चूत की प्यास बुझाता हूँ, लो मेरा पूरा लंड लो और यह कहकर मेरे पापा ने मेरी मम्मी की चूत में एक जोरदार धक्का मारा। अब इस बार मेरे पापा का मूसल लंड जड़ तक मम्मी की चूत में घुस गया था। फिर पापा ने मम्मी के दोनों बूब्स को अपने दोनों हाथों में लेकर ज़ोर से दबाया। फिर जैसे मम्मी के बूब्स में से संतरों जैसे रस निकालना चाहते हो तो तब मम्मी के मुँह में से आवाज़ें निकली आआअहह मेरे राजा, यह हुई ना मर्दों वाली बात, आआआ, अब रूको मत, ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारो पूरी स्पीड से जैसे एक कुत्ता अपनी कुत्ती को चोदता है, वैसे ही चोदो, मेरे दिल के राज़ा, फाड़ दो मेरी इस प्यारी चूत को, अयाया, वूऊव, हाए, आह, ऐसे ही, ऐसे ही, मारो मेरी चूत, मारो मेरे राज़ा। फिर पापा ने ज़ोर-ज़ोर से मम्मी की चुदाई करनी आरंभ कर दी। अब मेरी चूत में भी बुरी तरह से खुजली हो रही थी। अब में चाह रही थी कि कोई पापा की तरह मेरे भी बूब्स दबाए और मेरी चूत में अपना लूंबा मूसल लंड डालकर मजे दे अआह्ह्ह अब मेरी उंगलियाँ मेरी चूत की तरफ चली गयी थी।

 

अब मेरा एक हाथ मेरे दोनों बूब्स को बारी-बारी से दबाने लगा था। अब मेरी साँसें और तेज-तेज चलने लगी थी। अब मेरे मुँह से सिसकियाँ निकलने लगी थी अयाया, आअहह। अब में ऐसा महसूस कर रही थी जैसे मेरी चूत में मेरे पापा का मोटा लंड अंदर जा रहा हो। अब मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया था। अब मेरी उंगलियाँ तेज़ी से मेरी चूत में अंदर बाहर फिसलने लगी थी। अब मुझे ऐसा करने में बहुत मज़ा आ रहा था, में महसूस कर सकती थी कि किसी लड़की को पहली बार अपनी चूत में उंगली करते हुए जब झड़ती है तो किस तरह का मज़ा आता है? आअहह, में बयान नहीं कर सकती कि किस तरह का मजा आता है, शायद कोई लड़का या आदमी यह महसूस नहीं कर सकता सिर्फ़ एक लड़की ही इस मजे को महसूस कर सकती है।

 

अब उधर पापा ने मम्मी की चूत में धक्के मार-मारकर मम्मी की टागों को थका दिया था। तब मम्मी बोली कि बस करो, अब तुम्हारा है की झड़ने का नाम नहीं ले रहा है और मेरी टांगे थककर चूर हो गयी है, प्लीज और पोज़िशन में चुदाई कर लो, में बहुत थक गयी हूँ। तब पापा ने काहा कि जो हुकम मेरी रानी, लेकिम पहले एक बार तुम मेरे मजेदार लॉलीपोप को चूस तो लो और यह कहकर पापा ने मेरी मम्मी की चूत में से अपना लंड बाहर निकाला तो में देखकर दंग रह गयी आआहह, उनका लंड जब अंदर गया था तो इतना मोटा और लंबा नहीं था और जब बाहर आया तो और भी मोटा, लम्बा और काला लग रहा था। अब पापा अपने घुटनों के बल बैठ गये थे और फिर मम्मी ने उनके लंड को अपने दोनों हाथों में पकड़ लिया और गप-गप की आवाज से अपने मुँह में डाल लिया था और बहुत ही प्यार से चूसने लगी थी। दोस्तों ये कहानी आप कामुकता डॉट कॉम पर पड़ रहे है।

 

पापा का लंड उनके दोनों हाथों से लगभग 6 इंच बाहर होगा, यानी उनका लंड लगभग 10 इंच का होगा और मोटाई का तो कहना ही क्या? अब उनके लंड पर मम्मी की चूत का पानी चमक रहा था। फिर थोड़ी देर तक लंड चुसवाने के बाद पापा ने अपने लंड को मम्मी के मुँह में से बाहर निकाल लिया और मम्मी से कहा कि अब तुम कुत्तिया की तरह बन जाओ, में तुम्हें कुत्ते की तरह चोदूंगा, इस तरह से तुम्हारी चूत में मेरा पूरा का पूरा लंड तुम्हारी बच्चेदानी में चला जाएगा और तुमको मजा भी बहुत आएगा। तब मम्मी बोली कि लो मेरे राजा, जो तुम्हारा हुकम, में तो तुम्हारी गुलाम हूँ और यह कहकर मम्मी किसी कुत्तिया की तरह अपने दोनों घुटनों और दोनों हाथों पर हो गयी। फिर पापा ने मम्मी के पीछे से जाकर अपने लंड को अपने हाथ में पकड़कर उनकी चूत के मुँह पर रखा और एक ही धक्के में अपना पूरा का पूरा लंड अंदर तक पेल दिया। तब मम्मी के मुँह से आआहह की आवाज निकली, लेकिन वो मजे लेने वाली आवाज थी दर्द वाली नहीं थी। फिर पापा नहीं रुके और धक्के-पे-धक्के मारते चले गये।

 

अब मम्मी पापा के मुँह से हर धक्के के बाद सिसकियाँ निकल रही थी। फिर अचानक से पापा को पता नहीं क्या सूझा कि पापा ने अपना पूरा लंड मम्मी की चूत से बाहर निकाल लिया और अपने मुँह से बहुत सारा थूक निकालकर मम्मी की गांड पर डाल दिया। अब यह सोचकर मेरा दिल धड़क उठा था कि अब पापा मम्मी की गांड मारेंगे। मैंने अपनी सहेलियों से सुन रखा था कि कई औरतें और लड़कियाँ गांड भी मरवाती है और गांड मरवाने में बहुत दर्द होता है। फिर पापा ने अपने दोनों हाथों से मम्मी की गांड का मुँह खोल दिया, लगभग 2 इंच का छेद खुल गया होगा। फिर पापा ने अपना लंड मम्मी की गांड के ऊपर सेट किया और अपने लंड का सुपाड़ा थोड़ा सा अंदर फिक्स कर दिया और फिर मम्मी की कमर के नीचे से अपने हाथ डालकर अपने हाथों में जकड़ लिया और फिर एक ही धक्के में अपना लगभग आधा लंड मम्मी की गांड में डाल दिया था।

 

फिर तब मम्मी के मुँह से एक जोरदार आवाज निकली अया मर गयी, यह क्या कर दिया जी? यह चूत मारते-मारते अचानक गांड मारने की क्या सूझी? अया मार डाला, पहले बता दिया तो होता, थोड़ा तेल ही लगा लिया होता तो इतना दर्द तो नहीं होता। तब पापा बोले कि अरे मेरी रानी जो सख़्त-सख़्त लंड डालने में जो मजा है, वो मज़ा फिसलता हुआ लंड डालने में नहीं आता, देखो अब कितना टाईट लंड तुम्हारी गांड में जा रहा था। अभी देखना तुम्हें भी कितना मज़ा आएगा? लो अब में पूरा का पूरा लंड तुम्हारी प्यारी मजेदार गांड में डालने वाला हूँ, अभी तक चूत मरवा रही थी, अब गांड भी मरवाओ। अब पापा का लम्बा, मोटा लंड आराम से मम्मी की गांड में अंदर तक जा रहा था। अब पापा अपने लंड को सुपाड़े तक निकालकर पूरा का पूरा ही अंदर तक डालकर मम्मी को मज़ा दे रहे थे।

 

अब मम्मी के मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगी थी अया मेरे राजा, तुम्हारा जवाब नहीं, क्या चोदते हो? मेरा तो दिल करता है कि तुमसे सारा दिन ही चुदवाती रहूँ, तुम गांड और चूत दोनों ही बुरी तरह से चोदते हो, लेकिन मजबूरी है, लड़की जवान हो रही है, पता नहीं वो कब देख ले? तो गजब हो जाएगा। लेकिन उनको पता नहीं था कि यह गजब तो हो चुका है, मेरी चूत अब पापा जैसा ही लंड मांगने लगी थी। अब पापा ने अपनी चोदने की स्पीड तेज कर दी थी और फिर वो बोले कि ले मेरी रानी, अब मेरा लंड झड़ने वाला है, बोलो में अपना पानी कहाँ निकालूँ? तो तब मम्मी बोली कि मेरे राज़ा जैसे रोज निकालते हो, आह लाओ मेरे मुँह में डालो। तब पापा ने मम्मी की गांड में से अपना लंड बाहर निकाल लिया। फिर मम्मी पापा के लंड को अपने एक हाथ में लेकर स्पीड से आगे पीछे करने लगी और गप से अपने मुँह में ले लिया। फिर कुछ देर के बाद ही पापा के लंड ने पिचकारी छोड़ना शुरू कर दिया।

 

अब मम्मी ने अपना मुँह पूरा खोल दिया था और अब पापा के लंड का वीर्य मम्मी के मुँह में पूरा का पूरा भर गया था, शायद उनके वीर्य का रस 100 ग्राम के करीब तो होगा ही। फिर मम्मी ने अपना मुँह बंद कर लिया और जब खोला तो में हैरान रह गयी थी, उनका मुँह खाली था। अब वो पूरा का पूरा वीर्य-रस अपने अंदर गटक गयी थी, लेकिन फिर भी वो पापा के लंड को चाटने लगी और जितना बचा था, वो भी चाट-चाटकर साफ कर दिया था। 


अब पापा का लंड कुछ-कुछ ढीला होने लगा था। फिर मम्मी ने अपनी चूत और पापा के लंड को साफ कपड़े से साफ कर दिया और कहा कि अब जल्दी से उठ जाओ, मुझे काम पर भी जाना है, नहीं तो गुज़ारा कैसे होगा? अब में समझ गयी कि मम्मी अब बाहर आने वाली है, तब में जल्दी से अपने कपड़े सही करके बिस्तर पर चादर डालकर अपनी आँखें बंद करके लेट गयी। फिर मम्मी बाहर आई और मुझे लेटा हुआ देखकर मुस्कुराती हुई काम करने चली गयी थी ।।

 

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चोदने से पहले मामी की झांट साफ़ की

हेल्लो दोस्तों, कैसे हैं आप लोग ? आशा करता हूँ की आप लोग मस्त होंगे और चुदाई का मजा ले रहे होंगे | दोस्तों मेरा नाम मनीष है और मैं लखनऊ का रहने वाला हूँ | आप लोगों की तरह मैं भी Free Hindi Sex Stories का पुराना पाठक हूँ और आज पहली बार अपनी सच्ची घटना सुनाने जा रहा हूँ | आशा है की आप लोगों को ये कहानी पसंद आएगी | चलिए अब ज्यादा टाइम न खराब करते हुए सीधा कहानी पर आता हूँ |

 

ये घटना पिछले साल की है जब मैं अपने चचेरे मामा यानि की मेरी चाची के भाई के घर उन्नाव के पास एक गाँव गया हुआ था | मेरे चचेरे मामा की बीवी यानि की मेरी मामी का नाम निशा है और उनकी उम्र लगभग 30 साल है | दिखने में वो मस्त लगती हैं क्यूंकि गाँव में रहने के बावजूद उन्होंने खुद को फिट रखा हुआ है | उनका फिगर भी मस्त है और बूब्स मध्यम साइज़ के और गांड थोड़ी उठी हुई है | दोस्तों जब मैंने उन्हें पहली बार देखा था तभी से मेरा मन उनको चोदने को करने लगा था लेकिन कभी सोच भी नही सकता था की ये बात एक दिन सच हो जाएगी |

चोदने से पहले मामी की झांट साफ़ की

खैर, एक दिन की बात है जब मैं थोड़ी देर से उठा | मामी अकली दिखी तो मैंने उनसे पूछा की मामा कहाँ हैं ? उन्होंने बताया की वो खेती के काम से बाहर गये हैं और शाम तक ही लौटेंगे | मैंने बोला मामी, फिर तो मैं आज ढंग का बोर होऊंगा | वो बोलीं की टीवी तक लो | मुझे टीवी देखने का शौक नही है लेकिन मज़बूरी जो न कराए | मैंने टीवी देखने लग गया |

 

थोड़ी देर बाद मामी ने बोला की मैं नहाने जा रही हूँ इसीलिए आँगन में मत आना | दोस्तों वहां ढंग का बाथरूम नही था और आँगन में ही एक नल था | तो मामी ने मेन दरवाजा अन्दर से बंद किया और जिस कमरे में मैं था उसका दरवाजा बस उढ़का दिया लेकिन कुण्डी नही लगाई | मैंने बोला ठीक है मामी और मैं टीवी देखने लगा | मैं टीवी देख ही रहा था की अचानक से मामी की आवाज़ आई मनीष, मेरी आँख में साबुन चला गया और मुझे बहुत दर्द हो रहा है, जल्दी से इधर आओ | मैंने मन ही मन सोचा की पता नही मामी किन कपड़ों में हों |

 

मैंने बोला मामी नल चला लो | वो बोलीं मुझे नल भी दिखाई नही दे रहा तभी तो बोल रही हूँ | मैंने बोला ठीक है, मैं आ रहा हूँ | मैं आँगन में आया तो देखा मामी नल के पास पेटीकोट को अबे बूब्स तब बांधे हुए बैठी हैं और उनकी आँखों में साबुन गया हुआ है और चेहरे पर भी साबुन लगा हुआ है | मैंने नल चलाया और उनकी आँखों से साबुन साफ़ किया | उनकी आँखों में अभी भी दर्द हो रहा था | मैंने और पानी डाला और बोला की मामी, अभी आप थोडा आराम कर लो | वो बोलीं एक काम कर, जल्दी से मेरे शरीर पर पानी डाल दे ताकि साबुन निकल जाये | मैंने बोला ठीक है | फिर मैंने बाल्टी भरी और उनके शरीर पर डालने लगा | वो अभी भी आँखें मल रही थीं इसीलिए साबुन जहाँ सिर्फ पानी से नही छुट रहा था वहां मुझे हाथ भी लगाना पड़ रहा था |

 

साबुन छुड़ाने के लिए ऐसे ही एक बार मैंने उनकी गर्दन के थोडा नीच हाथ लगाया की उनके पेटीकोट की डोरी खुल गयी और उनका पेटीकोट खुल गया और पूरा निचे सरक गया | मामी ने पैंटी भी नही पहन रखी थी इसीलिए मुझे उनका पूरा बदन नंगा दिख गया | मामी के बूब्स बड़े थे और निप्पल भूरे रंग के थे | मामी की चूत बहुत ढीली नही थी और झांटों भरी थी | मामी शरमा गयीं | अब उन्होंने एक हाथ से पेटीकोट संभाला और एक हाथ से अपनी आँखें साफ़ करने लगीं | मैंने मन ही मन बोला की मामी आपकी झांटे काफी बड़ी हैं लेकिन मुझे खुद पता नही चला की कब मेरे मुंह से सच में आवाज़ निकल गयी और मामी ने सुन भी लिया |

 

मामी बोलीं मेरे पास ट्रिमर थोड़ी है तेरी तरह की हमेशा साफ़ रखूं | मैंने बोला की आप मेरा ट्रिमर यूज़ कर लो | वो बोलीं तू खुद ही कर दे | मैं मान गया | मैं कमरे में गया और अपना ट्रिमर लेकर आया | मैंने मामी ने बोला की आप अपने पैर फैलाओ | उन्होंने एक टांग दीवार के सहारे रखकर पैर फैला दिए | अब मैंने उनकी झांटे साफ़ करनी शुर कर दी | दोस्तों जब उनकी झांटे साफ़ हो गयी तो उनकी चूत से एक बहुत अच्छी सी खुशबू सी आने लगी और उनकी चूत बहुत ही प्यारी लगने लगी | चूत के दोनों साइड तितली के पंखों की तरह वो आकृतियाँ मुझे आज भी याद हैं |

 

ये सब देखकर मेरा लंड खड़ा होना सीधी सी बात है | मैं कुछ बोलता इससे पहले मामी खुद ही बोल पड़ीं की तू भी तो दिखा दे अपना बिना झांटों वाला लंड | मैंने बिना शर्माए अपनी पैंट निकाल दी और अपना लौड़ा उनको दिखाने लगा | वो मेरे गोरे और बड़े लंड को देखकर खुश हो गयीं | उनसे रहा नही गया और उन्होंने उसे हाथ में ले लिया | मैंने बोला मामी, अब कमरे में चलें या सारा काम यहीं करना है ? वो शरमा गयीं और हंस दी | फिर हम दोनों कमरे में आ गये | कमरे में पहुँचते ही मैंने उनको बेड पर धकेला और उनके ऊपर आ गया | मैंने अपनी टीशर्ट उतार दी और पैंट और अंडरवियर भी उतार दी | मामी के कपडे पहले ही उतर चुके थे | मैंने सीधा किस करना शुरू कर दिया | वो भी मेरा साथ देने लगीं |

 

मैं उनके होठों को अपने होठों से चूम रहा था और अपना हाथ उनके शरीर पर इधर से उधर घुमा रहा था | मामी पुरे जोश में मेरा साथ देती हुई अपने हाथों से मेरे बालों को सहला रही थीं | अब मैंने उनकी गर्दन पर किस करना शुरू कर दिया | वो मस्ती में आह्ह्ह हह ह हह हह हहू ऊऊ ऊ ऊऊ ऊऊ ऊऊ ऊऊ ऊ की सिसकियाँ लेने लगीं | मैंने अब एक हाथ से उनले बूब्स दबाने शुरू कर दिए | मामी मस्ती में आह्ह्ह ह ह हह ह्ह्ह्ह ह ह ह्ह्ह ह ह ह करने लगीं | मैंने ज्यादा टाइम न लगाते हुए उनके हॉट बूब्स को चुसना सही समझा और थोडा निचे आ गया |

 

मैं मामी के बूब्स को चूसने लगा | क्या मस्त थे उनके बूब्स | मुझे बहुत मजा आ रहा था | दोस्तों, उनके निप्पलों में जो स्वाद था वो सच में लाजवाब था | मैं लगातार चुसे ही जा रहा था की अचानक गलती से मैंने उनके एक निप्पल को काट लिया | मामी चीख पड़ी औंर जोर से ऊउईइ ईई ईईइ इ ई ईई ई ई ईई ईई ईई इ ईई ईईइ ईई ई ईई इ इ ई इ इ इ इ ईई ई ई ईई इ ईई इ ई इ ईई इ ई इ इ इ इ ईई इ इ ई इ इ ई इ इ ई इ इ इ ई ईई इ इ ईई ईई ई ईई इ इ ईई इ करने लगीं | मैंने सॉरी बोला तो वो बोलीं कोई बात नही लेकिन आराम से चुसो | मैंने बोला ओके और मैंने फिर चुसना शुरू कर दिया |

 

अब मैंने उनकी चूत में अपनी एक ऊँगली डाल दी और अन्दर बाहर करने लगा | वो मस्ती में आआअह्ह हह हह ह ह हह ह्ह्ह ह हह ह ह्ह्ह ह्ह्ह ह्ह्ह्ह ह ह उम् मम म्मम्म मम म्मम्म मम मम्म मम्म मम्म म्मम्म म मम्म मम म मम्म म मुम्म उम्म्ह्ह ह ह हह ह हह ह हह ह हह हह ह ह हह ह ह हह ह उ उ ऊ इ ईई ई ई ईई इ इ ईई ई ईई ई ईई ईईइ ईईइ ईईइ इ ईई करने लगीं | मेरा लंड अब पूरा खड़ा था | मुझसे रहा नही जा रहा था और शायद मामी से भी | मैंने अब सीधा मामी की टांगें फैलाई और एक ही झटके में पूरा लंड घुसेड दिया | मामी की हालत खराब ही गयी | वो रो पड़ीं | मैं थोड़ी देर रुका और फिर मैंने चोदना शुरू कर दिया | थोड़ी देर बाद वो भी मजे लेने लगी और मस्ती से आःह्ह हह ह ह ह्ह्ह हह ह ह्ह्ह्ह हू ऊ ऊ उ ऊऊ उ ऊऊ ऊ ऊऊ ई ई ई इ ई इ इ ई इ इ ई ईई इ इ ई इ इ ई करने लगीं |

 

लगभग आधे घंटे की जोरदार चुदाई के बाद मैं झडने वाला हुआ तो मैं लंड निकाल कर उनके पेट पर सारा माल निकाल दिया | दोस्तों, ये थी मेरी कहानी | 

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दीदी ने नौकर से चुदवाई अपनी चूत

मेरा नाम अशोक है, मुंबई में रहता हूँ, उम्र 21 साल है। मेरे घर में कुल चार लोग हैं- मैं, मेरे माता पिता और मेरी बड़ी बहन। माता-पिता दोनों ही एक बहुराष्ट्रीय कम्पनी में अच्छे पद पर हैं। मेरे घर में पैसे की कोई कमी नहीं है। नौकर-चाकर, गाड़ी और शानो-शौकत की हर चीज़ हमारे घर में है।

 

मेरे माता पिता हम दोनों भाई-बहन को समय नहीं दे पाते थे। इसलिए मुझे बचपन में ही बोर्डिंग में पढ़ने भेज दिया गया था। जबकि मेरी बड़ी बहन रश्मि मुंबई में रह कर ही पढ़ी है। दीदी की उम्र 25 साल है। वो हमेशा से ही अन्तर्मुखी रहने वाली और बहुत ही फेशनेबल है। उसके कोई खास सहेली या दोस्त नहीं थे और यह बात मुझे उसमें अजीब लगती थी।

  

मगर मुझे इसकी वजह तब समझ आ गई, जब मुझे यह पता लगा कि दीदी के हमारे घर के सभी नौकरों के साथ शारीरिक-सम्बन्ध हैं। बात कई साल पहले की है, जब दीदी 18-19 के करीब होंगी। दीदी उस समय किसी पूर्णतया जवान कन्या जैसे शरीर की मालकिन थी। उनका कद 5'5″ और फिगर एकदम बढ़िया थी। मैं गर्मी की छुट्टियों में मुंबई आया था। दिन भर मुंबई की सैर की, फिर रात को दीदी के साथ खाना खाकर अपने कमरे में सोने चला गया।

 

व्यायाम करने के लिए एक आदमी हमेशा तुम्हारा होगा! देखो!

व्यायाम करने के लिए एक आदमी हमेशा तुम्हारा होगा! देखो!

 

दस मिनट गुजरे होंगे, मुझे दीदी के कमरे से किसी आदमी की आवाज़ आई। दीदी का कमरा और मेरा कमरा सटा हुआ ही था। मुझे बड़ा अजीब लगा, क्योकि पापा तो थे नहीं, फिर दीदी इतनी रात को किस से बात कर रही है? मैंने सोचा कि शायद टीवी चल रहा है, मगर मुझे दीदी की दबी हुई चीख और कुछ हंसने खिलखिलाने की आवाज़ आई, तो मेरे अन्दर कीड़ा काटने लगा, आखिर दीदी किस से बात कर रही है? मेरे और दीदी के कमरे के बीच में एक खिड़की थी। मैंने एक स्टूल दीवार के पास लगा लिया और स्टूल पर चढ़ गया। अन्दर का दृश्य देख कर मेरे होश फाख्ता हो गए।

 

मैंने देखा कि हमारे घर का एक नौकर जावेद दीदी के बिस्तर पर अधनंगी अवस्था में लेटा है और दीदी उसकी कमर के ऊपर दोनों ओर पैर करके सवार है और बेतहाशा जावेद के शरीर को चूमे जा रही है। मैं इतना नादान नहीं था कि यह क्या चल रहा है, समझ न पाता।

 

जावेद के हाथ दीदी की टी-शर्ट के अन्दर थे और उनकी छातियों से खेल रहे थे। मुझे गुस्सा आया मगर मैं कुछ बोल न पाया क्योंकि मैं यह समझता था कि यह दीदी की रजामंदी से हो रहा है और न ही वो नादान है। शायद दीदी ने अपने अकेलेपन को इन्हीं नौकरों के साथ गुजारा था, इसलिए वो इन सब चक्करों मे पड़ गई होगी।

 

मैं चुपचाप उनके खेल को देखने लगा। दीदी ने जावेद के सर को पकड़ रखा था और अपने होठों को जावेद के होठों से चिपका कर चूमे जा रही थी। जावेद भी उतनी ही जोर से उन्हें अपने बदन से चिपटाए हुए था। दीदी उसके होठों, माथे, गर्दन को चूमते हुए छाती की ओर आ गई। जावेद की छाती के घने बालों को सहलाते हुए चूमते चूमते वो पेट की तरफ पहुँच गई।

 

फिर दीदी जावेद के ऊपर से उठ गई और उसने जावेद की तरफ देख कर हल्की रहस्यमयी मुस्कान दी। जावेद ने भी मुस्कुराते हुए दीदी की तरफ देखा। दीदी ने अपने हाथों से जावेद का अंडरवियर उतार कर उसे नंगा कर दिया, फिर उसके लिंग को पकड़ लिया।

 

जावेद के लिंग को देखकर मैं आश्चर्यचकित रह गया। जावेद का लिंग करीब 9 इंच लम्बा और 2 इंच मोटे व्यास का था। दीदी ने उसके लिंग और अंडकोष को प्यार से सहलाया। दीदी के हाथ के स्पर्श से ही उसके शिथिल लिंग में कसाव बढ़ गया। दीदी ने मुस्कुराते हुए लिंगमुंड को चूमा। फिर दीदी ने तुरंत उसका लिंग-मुंड अपने मुँह में ले लिया और उसे चूसने लगी।

 

मैं विश्वास नहीं कर पा रहा था, मैंने अपने दोस्तों से सुना था कि लड़कियाँ इस तरह से मुखमैथुन करती हैं, वो कहते थे कि लड़कियों को ऐसा करना अच्छा लगता है, मगर मैं उनकी बातों को मजाक समझता था। मगर दीदी को इस तरह से करते हुए देख मुझे यकीन हो गया कि सच में उसे मजा आ रहा है।

 

दीदी उसके लिंग को मुँह के अन्दर लेते हुए ऊपर नीचे सर को चलाने लगी। जावेद का लिंग उनकी लार से सन गया था और चमकने लगा था। उसके लिंग की नसें तन गई थी। दीदी उसके आधे लिंग को मुँह में अन्दर लेकर चूसती थी फिर लिंग मुंड को चूसती थी। उसका लिंग मुंड लाल रसभरी की तरह फूल गया था।

 

जावेद ने दीदी के सर पर हाथ रख कर सर को लिंग की तरफ दबाया ताकि दीदी और ज्यादा लिंग को मुँह के अन्दर ले ले। मगर दीदी को खांसी आ गई। दीदी ने लिंग को मुँह से बाहर निकाल कर 'नहीं' की मुद्रा में सर हिलाया तो जावेद ने अपनी जिद छोड़ दी।

 

दीदी ने उसके बाकी लिंग को बाहर से चाट चाट कर चूसा। करीब 5 मिनट चूसने के बाद जावेद का लिंग दीदी ने छोड़ दिया। फिर उसकी कमर के दोनों तरफ पैर करके लिंग के ऊपर बैठकर अपनी कमर चलाने लगी।

 

जावेद उठकर बैठ गया और दीदी को उसने ठीक से अपनी गोद में बैठा लिया। दीदी ने उसकी गर्दन के चारो ओर अपने हाथों को लपेट लिया और जावेद के सर को अपने स्तनों के बीच दबा लिया। दीदी अपनी कमर को वैसे ही जावेद के लिंग के ऊपर चला रही थी। दीदी के चेहरे पर मस्ती की सुर्खी साफ़ नज़र आ रही थी क्योंकि उनकी योनि पर जावेद के लिंग की रगड़ उन्हें आनंदित कर रही थी।

 

जावेद ने दीदी की स्कर्ट को जाँघों तक ऊपर उठा दिया। दीदी की दूधिया गोरी गोरी जांघें और पिंडलियों को जावेद सहलाने लगा। जावेद के हाथ सरकते हुए दीदी के चूतड़ों तक पहुँच गए। दीदी के चूतड़ों को उसने पकड़ कर उसने उनकी कमर को अपनी कमर से चिपटा लिया।

 

दो मिनट तक दोनों अपनी कमर को चलाते हुए अपने जननांगों को ऐसे ही रगड़ते रहे। दोनों ही मस्ती में सराबोर हो गए थे। जावेद ने दीदी की टी-शर्ट को ऊपर की ओर उठा दिया। दीदी के कोमल गौर धड़ की एक झलक देखने को मिली। दीदी ने अपने हाथ ऊपर को किये और जावेद ने उनकी टी-शर्ट को उतार कर फेंक दिया। अन्दर दीदी ने काले रंग की ब्रा पहन रखी थी।

 

मैंने जिंदगी में पहली बार किसी लड़की को इस रूप में देखा था, तो मैं भी उत्तेजना से कांप गया। दीदी का पूरा शरीर जैसे किसी सांचे में ढाल के बनाया गया था। काली ब्रा में उनके शरीर की कांति और भी बढ़ गई थी। ब्रा के अन्दर दीदी के बड़े बड़े स्तन कैद थे, जो बाहर आने को बेकरार लग रहे थे।

 

जावेद के हाथों ने तुरंत उन्हें अपने कब्जे में ले लिया और बड़ी बुरी तरह उन्हें मसला। दीदी की ब्रा पारभासी थी, जिसकी वजह से में उनके गहरे रंग के चुचूक देख पा रहा था। मैंने कभी किसी के स्तनों को छूकर नहीं देखा था, मगर मैं जावेद को हो रहे उस गुदाज़ स्पर्श का आनंद महसूस कर सकता था। दीदी के स्तन बहुत ही गुदाज़ थे, इसका अंदाजा इससे ही लग रहा था, जब जब जावेद उन्हें अपने कब्जे में ले लेता था, दीदी की ब्रा के कप्स के साइड से स्तन का जो हिस्सा बाहर दिख रहा था, वो फूल जाता था।

 

जावेद ने दीदी के स्तनों अग्र भाग को अपनी उँगलियों से चुटकियों से पकड़ कर गोल गोल घुमाया, तो दीदी सिसिया उठी क्योंकि उसने दीदी के चुचूक पकड़ लिए थे। उसने चुचूकों को जोर से मींसा तो दीदी फिर से सिसिया उठी, मगर दर्द से। दीदी ने अपने चुचूकों को जावेद के हाथों से छुड़ा लिया। दीदी के चुचूक तन गए थे, जो की ब्रा में उभर आये थे। जावेद ने उन पर अपनी उँगलियों के पोर को गोल गोल नचाते हुए छेड़ा, तो दीदी गुदगुदी के मारे फिर से सिसिया उठी।

 

जब गुदगुदी दीदी से बर्दाश्त नहीं हुई तो वो जावेद के छाती से अपने स्तनों को चिपका कर लिपट गई। जावेद ने दीदी की स्कर्ट के हुक खोले और फिर साइड चेन खोल कर स्कर्ट को उनके शरीर से अलग कर दिया। दीदी ने अन्दर सफ़ेद रंग की पैंटी पहनी थी। जावेद ने उनकी जांघो के ठीक बीच में अपना हाथ फिराया और हल्के हल्के दीदी के योनि प्रदेश को सहलाने लगा।

 

दीदी भी सिसियाते हुए उत्तेजित हो रही थी। जावेद ने उनकी ब्रा से स्तनों को बाहर निकाल लिया। दीदी के स्तनों को नग्न देख कर मेरी हालत खराब हो गई। उनके स्तनों में कसाव था, तनिक भी लचक नहीं थी, गोरे गोरे स्तनों पर गहरे भूरे रंग के चुचूक बहुत ही प्यारे लग रहे थे।

 

जावेद ने दीदी के एक स्तन को अपनी मुठ्ठी में कैद कर लिया और जोर जोर से दबाने लगा और दूसरे स्तन के चुचूक को अपने होठों में दबा कर चूसने लगा। दीदी बहुत ही उत्तेजित हो गई थी, उनकी आँखें बोझिल और लाल हो गई थी। जावेद के सर को अपने हाथों से पकड़ कर उसका मुँह उन्होंने दूसरे चुचूक से सटा दिया, जावेद उनकी मन:स्थिति समझ गया और उसने दूसरे चुचूक को मुँह में लेकर चूसकर इन्साफ किया।

 

जावेद ने दीदी के स्तनों को हल्के हल्के दांत से काटा, दीदी थोड़ी थोड़ी देर में उसका सर पकड़ कर दूसरे तरफ के चुचूक की ओर ले जाती, जाहिर था दीदी को मजा आ रहा था। और जब कभी जावेद जोर से स्तनों को काटता था, तो अपने स्तनों को उसके मुँह से छुड़ाकर बनावटी गुस्सा दिखाती थी, और फिर अगले ही पल अपना चुचूक जावेद के मुँह को समर्पित कर देती थी। जावेद ने काफी देर तक दीदी का दूध पिया। दीदी के स्तनों पर उसकी उँगलियों और दांतों के लाल निशान पड़ गए थे।

 

दोनों ही अब काफी उत्तेजित हो गए थे। जावेद ने दीदी को बिस्तर पर बैठाया और खुद खड़ा हो गया। दीदी के मुँह में उसने फिर से अपना लिंग डाला। दीदी ने तुरंत लिंग को जोर जोर से चुसना शुरू कर दिया। दो मिनट चुसवाने के बाद जावेद ने लिंग को दीदी के मुँह से खींच लिया।

 

दीदी ने दुबारा चूसने के लिए मुँह खोला, उससे पहले ही जावेद ने उनके कंधों को पीछे को धकेल कर उन्हें बिस्तर पर चित्त लिटा दिया। जावेद ने दीदी की पैंटी की लास्टिक में उँगलियाँ फंसा कर पैंटी को उतार लिया, ब्रा के स्ट्रेप को कंधे से नीचे उतार कर स्तनों को ब्रा की कैद से पूरी तरह विमुक्त कर दिया और फिर दीदी की टांगों को फैला कर खुद बीच में लेट गया।

 

मैं शुरू में बस यह सोच रहा था कि दीदी केवल हल्की-फुल्की मस्ती कर रही है, दीदी शायद बस मुखमैथुन ही किया करती होगी मगर अब तो मुझे लग गया कि दीदी जावेद के साथ सेक्स करने के लिए तैयार है।

 

मुझे दीदी की चिंता होने लगी कि कैसे वो इतना मोटा लिंग झेल पाएगी क्योंकि मेरे दोस्तों ने बताया था कि मोटा लिंग लड़की को शुरू में बेहिसाब दर्द देता है। जावेद ने दीदी की योनि को सहलाया, फिर उस पर पास में पड़ी तेल की बोतल से तेल निकाल कर तेल लगाया। दीदी की योनि एक छोटी सी दरार जैसी दिख रही थी। जावेद अपनी ऊँगली को योनि के अन्दर डालकर चलाता तो दीदी मस्ती से सिसियाने लगती थी।

 

दीदी की योनि को अच्छी तरह से तेल से मालिश कराने के बाद जावेद फिर से दीदी की टांगों के बीच बैठ गया। जावेद ने दीदी की योनि के मुँह पर अपना लिंग-मुंड टिकाया तो दीदी की योनि के भगहोष्ट ऐसे खुल गए जैसे लिंग अन्दर लेने को तैयार बैठे हो। जावेद ने दीदी की कमर को अपने मजबूत हाथों से पकड़ लिया। दीदी ने भी उसकी कमर के चारों ओर अपनी टाँगें लपेट के घेरा बना कर जकड़ लिया। जावेद ने अपनी कमर को दीदी की तरफ ठेल दिया।

 

जावेद का लिंगमुंड दीदी की योनि के होठों को फैलाता हुआ अन्दर चला गया। मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ कि कैसे इतना मोटा लिंग-मुंड दीदी की संकरी सी योनि में अपनी जगह बना लिया। जावेद ने दुबारा कोशिश करके थोड़ा सा लिंग और अन्दर प्रवेश करा दिया। दीदी हल्के हल्के सिसकारियाँ ले रही थी। फिर जावेद ने एक जोरदार झटका मारकर लिंग को काफी अन्दर तक योनि की गहराई तक अन्दर पंहुचा दिया कि दीदी की चीख निकल आई।

 

मैंने दीदी के चेहरे को देखा तो मैं समझ गया कि दीदी को दर्द हो रहा है। जावेद ने दुबारा वैसा ही झटका मारा, तो दीदी इस बार दर्द से दोहरी हो गई। दीदी ने जावेद की गर्दन में अपने हाथ लपेट कर उसके मुँह को अपने सीने से चिपका लिया।

 

जावेद ने दीदी के चुचूक को मुँह में ले लिया और जोर-जोर से चूसने लगा और एक हाथ से उनके एक स्तन को जोर-जोर से भींचने लगा।

 

दीदी एक मिनट में ही सामान्य नज़र आने लगी क्योंकि उनके मुँह से हल्की हल्की उत्तेजक सिसकारियाँ निकल रही थी और जावेद पर उन्होंने अपनी पकड़ ढीली कर दी थी। जावेद ने फिर से एक जबरदस्त शोट मारा दीदी इस बार दहाड़ मार के चीख पड़ी।

 

दीदी बोल पड़ी- दो मिनट रुक नहीं सकते ! मेरी जान निकली जा रही है दर्द के मारे ..स्स्स्स ..स्सस्सस्सस .

 

मैंने देखा कि इस बार दीदी की आँखों में आँसू तक आ गए थे। मुझे ऐसा लगा कि जावेद उनका बलात्कार कर रहा है। जावेद ने एक बार "सॉरी" बोलकर दीदी के होठों को अपने होठों से चिपका लिया और जोर-जोर से उन्हें चूमने लगा और साथ ही दीदी के स्तनों को दबाने लगा। दीदी भी उतनी तेजी से उसे चूम रही थी। जावेद हल्के हल्के अपनी कमर चला रहा था। अब दीदी धीरे धीरे सामान्य होती लग रही थी। मुझे इतना समझ आया कि जब दीदी को दर्द होता था, जावेद उन्हें उत्तेजित करके दर्द को ख़त्म कर देता था।

 

दीदी ने अपने टांगो को जकड़ को जावेद की कमर के चारों ओर कस लिया।

 

जावेद ने दीदी के होठों को छोड़ दिया और पूछा- अब डालूँ क्या? दर्द तो नहीं है ना?

 

दीदी बोली- आराम आराम से डालो लेकिन ! जल्दी क्या है? मैं कोई भागे थोड़ी न जा रही हूँ?

 

जावेद बोला- मैं तो समझता हूँ, लेकिन यह नहीं समझता, यह पूरा अन्दर जाना चाहता है.. (उसका इशारा अपने लिंग की ओर था..)

 

दीदी बोली- इसको बोलो, अपनी रानी को दर्द न दे, प्यार से धीरे धीरे करे न, तो रानी भी पूरा आराम से करने देगी।

 

अभी भी मुझे यकीन ही नहीं हो रहा था कि क्या दीदी अपनी योनि में जावेद का नौ इंची लिंग पूरा ले पाएगी? मुझे लगा शायद उत्तेजना की वजह से वो जावेद से ऐसी सेक्सी बातें कर रही होगी .. खैर..

 

जावेद ने अपनी पोजीशन ली। अपनी ऊँगली को दीदी की योनि की तरफ ले गया और हल्के हल्के हाथ चलाते हुए कुछ सहलाने लगा। मैं ठीक से देख तो नहीं पा रहा था कि वो क्या सहला रहा है, मगर इतना देखा कि उसकी हरकत से दीदी पागल हुए जा रही थी। दीदी जोर-जोर से सिसिया रही थी और कह रही थी- जावेद रुक जाओ ! जावेद रुक जाओ ! प्रिंस (लिंग) को अन्दर डालो !

 

मैंने देखा कि जावेद का आधा लिंग तो अभी भी दीदी की योनि के बाहर था। दीदी ने जावेद के हाथ को पकड़ कर उसकी हरकत को रोकना चाहा मगर जावेद ने अपनी हरकत को बंद नहीं किया बल्कि उसने एक जोरदार झटका मारकर अपना लिंग दीदी की योनि में काफी अन्दर तक ठूंस दिया। इस बार दीदी के मुँह से उफ़ भी नहीं निकली बल्कि वो आह.. सी.. स्स्स्स.सस. की आवाज़ें निकाल रही थी।

 

जावेद ने एक और झटका मारा तो दीदी बोली- पूरा अन्दर गया न ! अगर बचा है तो वो भी डाल दो ! मुझे बहुत अच्छा लग रहा है !

 

जावेद ने हरी झंडी देखकर तीन चार जोरदार शॉट मारे और अपना लिंग जड़ तक दीदी की योनि में घुसा दिया और अपने होठों को दीदी के होठों से चिपका कर उनके ऊपर चित्त लेटा रहा। दीदी की आँखों में इस बार फिर से आंसू आ गए थे। मैं समझ गया अगर जावेद दीदी के होठों को अपने होठों से सील नहीं करता तो दीदी फिर से दहाड़ मार के चीखती।

 

दो मिनट तक वो वैसे ही उनको चूमते हुए उनके ऊपर लेटा रहा। फिर उसने अपनी कमर को धीरे धीरे गति दी। वो धीरे से कुछ इंच लिंग दीदी की योनि से निकालता और फिर से उसे अन्दर प्रवेश करा देता। जब दीदी के शरीर कुछ ढीला हुआ तो जावेद समझ गया कि अब उन्हें दर्द नहीं है। उसने दीदी के होठों को आजाद कर दिया और उनकी आँखों में झांकते हुए पूछा- अब ठीक है?

 

दीदी ने बस इतना कहा- जालिम, जान ले लो मेरी।

 

और दीदी ने फिर से जाबेद के होठों को अपने होठों से चिपका लिया। जावेद ने अब झटकों की गति और गहराई दोनों ही बढ़ा दी। दीदी ने अपनी टाँगें ढीली कर ली। अब मैं वो नज़ारा साफ़ देख पा रहा था कि कैसे जावेद का नौ इंची पिस्टन दीदी की योनि रूपी इंजिन में आराम से अन्दर बाहर आ जा रहा था।

 

दीदी की योनि का छल्ला उसके लिंग पर एकदम कसा हुआ था। दीदी के चूतड़ के नीचे मैंने चादर को देखा तो वो भीगी हुई थी। दर असल दीदी की योनि से कुछ द्रव रिस रहा था जो उनके चूतड़ों के बीच की घाटी से होते हुए नीचे चादर को भिगो रहा था। इस द्रव में भीग कर जावेद का लिंग भी चमक रहा था।

 

दीदी ने जावेद के होठों को छोड़ दिया और जोरजोर से सिसिकारियाँ लेने लगी। दीदी कमर को उठा-उठा कर जावेद के लिंग को पूरा पूरा अपनी योनि के अन्दर ले रही थी। जावेद भी अपने लिंग को लगभग पूरा बाहर निकाल कर वापस दीदी की योनि में जड़ तक ठूंस देता था।

 

मुझे अपने दोस्तों द्वारा बताई गई दो बातों पर अब यकीन हो गया कि मोटा लिंग लड़की को घुसाते समय तकलीफ देता है मगर घुसाने के बाद उतना ही ज्यादा मजा भी देता है। मुझे यह बात समझ आ गई कि अगर संयम, उत्तेजना और समय तीनो चीजों का सही प्रयोग किया जाए तो कितना भी मोटा लिंग हो, वो लड़की की कसी से कसी योनि में प्रवेश कराया जा सकता है।

 

अचानक दीदी में मैंने अजीब सा बदलाव देखा। दीदी बहुत जोरजोर से सांस लेने लगी थी, उनके स्तन और चुचूक अकड़ गए थे। दीदी के भगहोष्ट जावेद के लिंग के ऊपर फड़फड़ाते हुए खुल-बंद हो रहे थे।

 

दीदी ने जावेद को अपने हाथो और टांगों की जकड़ में कैद कर लिया ताकि वो और झटके न मार पाए। दीदी की योनि से एक तरल द्रव की धार निकल आई और नीचे बेडशीट को भिगोने लगी। मैंने पहली बार किसी लड़की का स्खलन देखा था। दीदी स्खलित हो गई थी।

 

जावेद ने झटके और तेज मारने शुरू किये। दो मिनट में ही उसके शरीर में कम्पन शुरू हो गए और एक जोरदार शॉट के बाद वो दीदी की टांगों के बीच धंस गया और वैसे ही दीदी के ऊपर लेट गया। उसकी कमर में हल्के हल्के कम्पन दिख रहे थे। कुछ ही देर में उसका शरीर ढीला हो गया। काफी देर वो दीदी के ऊपर लेटा रहा।

 

दीदी उसकी गर्दन, कान और होठों को बार बार चूम रही थी और आत्मसंतुष्टि के भाव के साथ मुस्कुरा रही थी।

 

पाँच मिनट बाद दीदी ने जावेद को अपने ऊपर से उठने को कहा। जावेद दीदी के ऊपर से उठा उसने लिंग को दीदी की योनि से बाहर निकाला। उसके लिंग से चिपचिपा सा द्रव टपक रहा था। लिंग के निकलते ही दीदी की योनि से भी वो चिपचिपा द्रव यानि जावेद का वीर्य ढलक कर निकला और दीदी के चूतड़ों की घाटी से होते हुए चादर पर गिर गया।

 

जावेद बगल में ही दीदी के बिस्तर पर सुस्ताने लगा। दीदी ने उसके लिंग को मुँह में ले लिया और चूस कर उस पर लगे वीर्य को साफ़ किया फिर चूस कर लिंग से वीर्य की आखरी बूँद तक निचोड़ ली। फिर दीदी भी जावेद के बगल में लेट गई। दोनों एक दूसरे की तरफ मुँह करके करवट पर लेते हुए हल्के हल्के बतिया रहे थे।

 

मैं सोच रहा था कि अब दीदी की आज रात की कामक्रीड़ा पर विराम लगेगा। मगर ऐसा नहीं था, उनकी बातें सुनकर मेरा भ्रम दूर हो गया।

 

दीदी जावेद के लिंग को हाथ में लेकर खेल रही थी, जो अब शिथिल होकर मात्र 6-7 इंच का रह गया था। जावेद उनके स्तनों और चुचूकों से खेल रहा था। वो हँसते मुस्कुराते हुए बातें कर रहे थे।

जावेद ने दीदी से कहा- मजा आ गया आज रात ! और तुम्हें?

 

दीदी- मुझे भी आया !

 

जावेद- दुबारा करोगी ?

 

दीदी- बिल्कुल !

 

जावेद- तो पहले इसे तो खड़ा करो! (जावेद का इशारा अपने लिंग की तरफ था)

 

दीदी- हो जाएगा, एक बार टायलेट हो आओ, मैं भी हो आती हूँ, दोनों तैयार हो जायेंगे।

 

जावेद- ठीक है !

 

इतना कह कर दोनों एक दूसरे से चिपट गए जैसे एक दूसरे को लील जायेंगे। दीदी ने उस रात जावेद के साथ तीन बार कामक्रीड़ा की। जावेद सुबह नौ बजे तक उनके साथ ही सोया रहा। जावेद दीदी का सबसे प्रिय नौकर था, जिसकी वजह में जानता था। मैं एक महीना मुंबई रुका था, मैंने हर रात दीदी की हर नौकर के साथ कामक्रीड़ा का नज़ारा देखा। अब मुझे यह देखने में गुस्सा नहीं आता था, क्योंकि इसमें दोष उसका नहीं था।

 

दीदी एक तो 18 साल की थी जिस उम्र में सेक्स की इच्छा बलवती होती है। दूसरे वो उस घर में अकेलापन महसूस करती थी, जिसको दूर करने के लिए कोई विकल्प न मिलने पर दीदी ने अपने नौकरों का सहारा लिया और धीरे धीरे वो उन नौकरों के करीब होती गई और एक दिन इतना ज्यादा करीब हो गई कि दीदी ने खुश रहने का सबक सीख लिया।

 

एक दिन जावेद ने दीदी के साथ पहली बार गुदामैथुन भी किया जो कि मेरे लिए एकदम नया अनुभव था। आपको उसकी कहानी भी किसी दिन भेजूंगा..

  

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अंधेरे में बीवी को चोदने की जगह दीदी को चोद डाला - biwi ko chodne ki jagah didi ko chod dala

अंधेरे बीवी को चोदने की जगह दीदी को चोद डाला - biwi ko chodne ki jagah didi ko chod dala

मेरी उम्र 21 वर्ष हो रही है। मेरे परिवार में मात्र तीन लोग रहते हैं, मैं, मेरी माँ और मेरी पत्नी ! और हाँ एक और सदस्य आज ही आया जो हमारे ही बीच का है पर आज से ठीक दो साल पहले ही उसकी शादी हो चुकी है, जो अपने ससुराल में रहती है, वह है मेरी दीदी ! जिसके पति तीन दिन पहले अरब देश जा चुके हैं, जिसके चलते वह हमारे यहाँ रहने आ गई है।

पर आते ही मेरे कमरे और मेरी बीवी पर पहला अधिकार जमा लिया। सबकी दुलारी होने से कोई कुछ नहीं मना करता और किसी काम को करने से नहीं रोकता है। माँ की दुलारी तथा मेरी भी बड़ी दीदी होकर भी साथ साथ पले बढ़े हैं क्योंकि मुझसे मात्र दो साल ही बड़ी है।

हम लोग उनकी सेवा में लगे हुए थे और देखते देखते शाम, फिर रात भी हो गई, परन्तु दीदी मेरे कमरे में जमी रही। अंत में मुझे दूसरे कमरे में यह सोच कर सोना पड़ा कि शायद आज ही आई है तो सो गई, कल से दूसरे कमरे में सोयेंगी। दूसरे कमरे में आकर मैंने सोने की कोशिश की मगर नींद नहीं आई तो टी.वी. चला लिया। शनिवार होने से चैनल बदलते हुए मेरा हाथ रैन टी.वी. पर रुक गया जहाँ गर्म फिल्म आ रही थी।

अब तो मेरी नींद भी जाती रही, एक तो बीवी से डेढ़ साल में पहली बार रात में अलग सोना, उस पर से रैन टी.वी. का कहर ! मुठ मारते पूरी रात काटनी पड़ी पर मन टी.वी. बिना देखे मान ही नहीं रहा था। किसी तरह मुठ मारते रात काट ली और सुबह काफी देर तक सोता रहा। जब उठा तब मेरी बीवी नाश्ता बना रही थी।

मुझे देख कर मुस्कुराते हुए बोली- लगता है कि काफी निश्चिंत होकर रात में सोये हैं जनाब ! मेरा नाराजगी भरा चेहरा देख कर और कुछ न बोल कर चाय का प्याला मेरी तरफ बढ़ा दिया। मैं भी कुछ कहे बिना चुपचाप से चाय पीने लगा। दिन भर सभी अपने अपने काम में लग गए, मैं भी अपने ब्रोकिंग एजेंसी को देखने चला।

दिन भर तो काम में लगा रहा, शाम को घर आने पर चाय और नाश्ता देकर बीवी फिर दीदी के पास जाकर बैठ गई जो मेरे ही सामने के कुर्सी पर बैठी नाश्ता ले रही थी। अब मैंने थोड़ा ध्यान दीदी की तरफ दिया, सोचने लगा- क्या दीदी आज भी मेरे ही कमरे में सोयेंगी? और बातों बातों में पता लगा कि वे आज भी नहीं जान छोड़ने वाली !

फिर वही कहानी पिछली रात वाली ! मुझे आज फिर अकेले दूसरे कमरे में सोना था ! पर आज मुझे दीदी पर बहुत गुस्सा आ रहा था और बकबकाते हुएमैं बाहर आ गया। पिछली पूरी रात खराब कर के रख दी थी ! रात होते ही मेरा मुठ मारना शुरु हो गया और आज न जाने कैसे रात कट गई, पता नहीं कब नींद लग गई ! सुबह जगा तो पूरे सात बज रहे थे।

मैंने सोच रखा था चाहे कुछ भी हो आज रात आरती को (मेरी बीवी) नहीं छोड़ना है, या तो मेरे कमरे में या रसोई में, कहीं भी चुदाई होगी तो होगी ! जैसे ही दीदी ने नहाने के लिए स्नान घर में प्रवेश किया, मैं मौका देख कर रसोई में घुस गया और पीछे से आरती को पकड़ उसके बोबे मसलते हुए चूतड़ों की फांकों में अपने फनफनाये लंड का दबाब डालते हुए गालों को जोर से चूमलिया तो आरती बोली- कोई देख लेगा ! क्या करते हो?

दो रातों में ही अकडू महराज पायजा मे से बाहर हो रहे हैं, अगर दो रातें और बिता ली तो पायजा मे से निकल किसी बिल में ही घुस जायेंगे तो ढूंढना मुश्किल हो जायेगा ! मैंने कहा- देखो आरती, अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा ! आज रात कुछ करो यार ! यह दीदी अपने तो अकेली रहने की सजा कट रही हैं, साथ में हमें भी मार रही हैं ! या तो तुम मेरे कमरे में आ जाना या रात को यहीं रसोई में ही चुदाई करेंगे !

आरती भी थोड़ी उत्तेजित हो चुकी थी, वह बोली- नहीं, रसोई में ठीक नहीं होगा ! मैं तुम्हारे कमरे में भी नहीं आ सकती क्योंकि दीदी सोचेगी कि दो रात में जवानी काबू में ना रही जो मराने चली गई। मैं बोला- तो मैं मुठ मार कर सोता रहूँ? “नहीं जी !

मैंने ऐसा कब कहा? अगर यह समस्या सदा के लिए टालनी है तो हम अपने कमरे में ही करेंगे। अगर दीदी जाग गई तो शरमा कर कल से नहीं सोयेंगी और ना जगी तो रोज ऐसे ही चलेगा !आरती का जबाब सुन कर मैंने कहा- पर इसमें तो दीदी के जागने का ज्यादा चांस है, जागने पर क्या सोचेंगी? आरती ने कहा- मैं तो चाहती हूँ कि रात को दीदी जग जाये जिससे कल से यह समस्या ख़त्म हो जाये ! समझे बुद्धू ?

मैं समझने की कोशिश करता हुआ काम बनता देख ज्यादा ना पूछा पर जानना चाहा- पर रात में मैं तुझे पहचानूँगा कैसे? वह बोली- मैं बेड के इसी किनारे सोऊंगी और दरवाजा खुला रखूंगी ! तुम धीरे से आ जाना बस ! मैं कुछ और पूछता, इससे पहले दीदी नहाकर निकलने जा रही थी।

तो मैं धीरे से निकल चला और रात के इंतजार में जल्दी से तैयार हो कर अपने काम पर चल दिया। और आज तो तिसरी रात होने के कारण उसमें और खूबसूरती आ गई है। अब मुझे केवल रात का इन्तजार था। आखिर शाम हुई, फिर रात हुई और सबने खाना खाकर अपने अपने बिछावन को पकड़ लिया पर दीदी मेरे ही कमरे में डेरा जमाये हुए थी।

इन्तजार करते करते लगभग रात के ग्यारह बज चुके थे। सम्पूर्ण अंधेरा था क्योंकि बिजली भी नहीं थी, मकान में एकदम सन्नाटा छाया था, माँ के कमरे से खर्राटों की आवाज आ रही थी। सुनने में ऐसा लगा कि वह गहरी नींद में होगी। मैंने निश्चिन्त होने के लिये पांच मिनट का इन्तजार किया।

अब लगभग अपने कमरे के पास पहुँच मैंने अपना दायां हाथ इस प्रकार से दरवाजे के तरफ़ बढ़ाया कि कोई हलचल न होने पाये। और कमरे के अन्दर अपने बेड केपास आकर देखने की कोशिश करने लगा पर कुछ साफ न दिखने से अन्दाजा लगाया कि आरती ने कहा था कि वह बेड के इसी तरफ़ सोयेगी।

आज पहली बार मुझे अपने ही घर में अपने कमरे में चोरों की तरह घुसना पड़ रहा था। धड़कते दिल से मैं बिछावन के पास पहुँचा और मध्यम रौशनी के सहारे इस तरफ़ की आकृति को छुआ। मेरा हाथ उसके चूतड़ पर लगा। फिर कुछ देर रुक कर मैंने अपना हाथ आगे पेट की ओर बढ़ाते हुए आहिस्ता से उसके उन्नत-शिखरों की ओर खिसका दिया। मेरे हाथ का पंजा उसके स्तनों के पास पहुँच कर पूरे पंजे से उसके बोबे दबाने लगा।

अब मैंने उसके खुले गले के ब्लाऊज़ के गले के अंदर हाथ डाला तो मेरा पहला स्पर्श उसकी सिल्की ब्रा का हुआ, पर इससे तो मुझे सन्तुष्टि नहीं हुई। फिर मैंने आहिस्ता से अपना हाथ उसके स्तनों के बीच की घाटी में प्रविष्ट करा दिया और आहिस्ता आहिस्ता उसके दोनों स्तनों पर अपने हाथ घुमाने लगा। मैं उसकी दूध की दोनों डोडियों से खेलने लगा।

अब मेरे दिमाग ने काम करना बिल्कुल बंद कर दिया। मैं बिल्कुल कामातुर हो चुका था, मैं यह भूल चुका था कियदि दीदी ने जागकर देख लिया तो पता नहीं क्या सोचने लगेगी ! अब मैं आरती के स्तनों के साथ उसकी चूत को भी मसलना चाहता था।

मैंने आहिस्ता से उसका साया खोल कर उसकी मखमली पैंटी पर हाथ रख दिया और कोई प्रतिक्रिया न देखकर फिर अंदर चूत को सहलाने के लिये हाथ बढ़ाया तो मेरा हाथ उसके दाने से टकराया। बिल्कुल छोटी मखमली झांटों को सहलाने का लुत्फ उठाने लगा। अब लगा मेरे दोनों हाथों में जन्नत है, मेरा बायां हाथ तो उसके वक्षों से खेल रहा था और दायां हाथ उसके वस्ति-क्षेत्र का भ्रमण कर रहा था।

अब मुझे यह तो सुनिश्चित हो चुका था कि वह नींद में नहीं है तो मैं हौले से उसके भग्नासा के दाने को सहालाकर उत्तेजित करने की कोशिश करने लगा। पर वह भी आँखें मींचकर पड़ी हुई थी। मैंने सोचा कि अब यह गर्म है तो समय भी तो तेजी खिसका जा रहा है, इसके लिये दूसरा उपाय करना होगा। इधर उसके सिर के तरफ़ मैंने लण्ड का रुख करके उसके मुँह के ऊपर रखा था तो मेरा लण्ड मुँह खोलकर चूसने लगी।

अब मैंने अपनी लुन्गी खोलकर कमर से हटाते हुए उसके मुँह से पूरा सटा दिया, उसमें से चिपचिपाहट भी निकल रही थी जो उसके होंठों को गीलाकर रही थी। अब दोबारा मैंने अपने दोनों हाथों को व्यस्त रखते हुए उसकी चूत में अपनी उंगली प्रविष्ट कराई तो देखा वहाँ गीला-गीला सा था, मतलब वह गर्म हो चुकी थी।

स्तन मर्दन के साथ जैसे ही मैंने उंगली चूत में अंदर-बाहर करनी शुरु की तो आरती छटपटाने लगी और उसने अपनी नींद का नाटक छोड़ा और मेरी तरफ करवट बदलकर मेरे चूतड़ों पर हाथ फिराने के बाद उसे लण्ड अपने मुँह में तेजी से चूसना शुरु कर लिया। मैं तो अपने होशोहवास खो चुका था, वह भी पागलों की तरह लण्ड मुँह में अंदर-बाहर कर रही थी। उधर मैं भी उसे अपने दोनों हाथों से बराबर उसे उत्तेजित कर रहा था।

मैंने कमरे में अपने बगल की तरफ देखा, दीदी आराम से सोई हुई थी और सम्पूर्ण अंधेरा था, तो कोई डर नहीं थाकि देख लेंगी। हम दोनों किसी भी किस्म की आवाज नहीं निकाल रहे थे क्योंकि दीदी जाग सकती थी। अब आरती की लगातार मेहनत के कारण दस मिनट में ही मेरा लण्ड स्खलित होने की कगार पर पहुँच गया, तो मैंने उसे हाथ के इशारे से समझाने की कोशिश की पर उसने इस पर ध्यान नहीं दिया।

तो मैं भी क्या करता, मैंने भी वीर्य का फव्वारा उसके मुँह में छोड़ दिया। उसने भी हिम्मत दिखाते हुए पूरा का पूरा गटक लिया। अब मैं तो खाली हो गया किन्तु उसकी उत्तेजना शांत नहीं हुई थी, वह मेरे निर्जीव पड़े लण्ड को खड़ा करने की कोशिश करने लगी। मात्र पाँच मिनट में ही हम दोनों सफल हो गये।

मेरा लण्ड फिर कड़क होकर फुंफकारने लगा। फिर एक दूसरे के शरीर को चूमने-सहलाने लगे। अब हम दोनों पागलॉ की तरह लिपट गये और एक दूसरे के शरीर को टटोल कर आनंद लेने लग गये। अब मैंने उसकी चोली खोल दी और पैंटी भी उतार दी, उसके तन व मेरे बीच में कोई नहीं था। मैं अब बेड पर बैठ गया, वह मेरी गोद में दोनों टांगों को बीच में लेकर अपने टाँगों को मोड़ कर इस प्रकार बैठी कि उसकी चूत मेरे लण्ड को स्पर्श करने लगी।

वह मेरे सीने को हाथ से सहला रही थी, नीचे चुदाई चालू थी, वह भी हिलकर अपने शरीर को ऊपर नीचे होकर पूर्ण सहयोग कर रही थी। फिर मैं बारी बारी से उसके दोनों स्तनों पर अपनी जीभ फिराने लगा। उसके बाद मैंने उसकी गर्दन की दोनों तरफ कामुकता बढ़ाने वाली नस के साथ उसके कान की लोम व आँखों की भोहों पर भी अपनी जीभ फिराई। वह मदमस्त होकर पागल हो उठी।

दोनों की सांसें एक दूसरे में विलीन हो रही थी। यदि हम किसी एकान्त कमरे में होते तो पागलपन में न जाने कितनी आवाजें निकालते। पर जगह और समय का ध्यान रखते हुए बिल्कुल खामोश रहने की कोशिश करते रहे। अब इस मदहोश करने वाली अनवरत चुदाई को लगभग आधा घण्टा हो चुका था।

अब एक ही आसन में चोदते हुए थकान होने लगी थी। तभी आरती ने मुझसे गति बढ़ाने का इशारा दिया और कुछ ही क्षण में हांफते हुए वह चरमसीमा पर पहुँच गई। फिर वह पस्त होकर ढीली पड़ कर लेट गई। मैं तो अभी तक भरा बैठा था, मैंने कुछ समय रुककर इशारा किया कि अब मैं भी पिचकारी छोड़ना चाहता हूँ तोउसने इशारे से कहा- रुको ! वह खड़ी हुई और बेड पर हाथ रख और सिर झुकाकर खड़ी हो गई।

मैंने भी पीछे से उसकी चूत में लण्ड पेल दिया और अपने दोनों हाथों से उसके उन्नत स्तनों को मसलते हुए उसे चोदने लगा। फिर जन्नत की यात्रा शुरु हुई। फिर मदमस्त होकर वह भी आगे पीछे होकर मुझे सहयोग देने लगी। हम दोनों ने अपनी गति और बढ़ा दी और लगभग दस मिनट बाद मेरी पिचकारी छुट गई, हम दोनों पस्त हो गये।

वह कुछ समय रुक कर सफाई करने बाथरुम मे जाकर वापिस अपनी बिछावन पर आ गई। भगवान कालाख-लाख शुक्र था कि दीदी अब तक सोई हुई थी और उनको इस चुदाई के बारे में शक भी नहीं हुआ।

अब मैं अपने कमरे मे आकर आराम से सो गया आज सुबह मेरा मन काफ़ी खुश था मैंने रसोई में बीवी को जब अकेले देखा तब उसके पास जाकर पीछे से बाहों मे भर चूमना शुरु कर दिया। आरती मुझे मनाने के लिये मेरे बालों मे उंगली फिराते बोली- सॉरी जी ! मैं रात में सो गई पर आप भी नहीं आए?

मेरे कान में इतना पड़ना था कि मेरे दिमाग ने काम करना बन्द कर दिया। तो क्या मेरे साथ रात में दीदी थी, अब मैं समझ गया ! यह घटना मेरे मन-मस्तिष्क पर एक चलचित्र की तरह स्पष्ट चल रही थी। हालांकि मैं भ्रम में रह गया लेकिन जब जान ही गया तो दोनों की तुलना करने लगा तो पाया कि वाकई में आरती से ज्यादा मजा तो दीदी को चोदने में आया !

अब वह अलग कमरे में भी सो कर मुझसे हर दो दिन बाद चुदती है, नैहर (मेरे घर) अब अकसर आती है मेरे साथ चुदाई के लिये और फिर उसके पास मैं भी अक्सर जाने लगा हूँ। वह आज भी मेरी बहुत अच्छी दोस्त है। आरती आज तक न जान पाई और ना मैंने उसे बताया। वह भी एक अद्वितीय अनुभव था। 

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