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मकान मालिक की कमसिन लड़की को जबरन चोदा

नमस्कार दोस्तों मैं मध्यप्रदेश का रहने वाला हूँ मेरी उम्र 24 साल है मैं आप लोगो को बता दूं की मैंने बहुत सी लड़कियों की चुदाई की है क्यूंकि मैं देखने मे हैण्डसम लगता हूँ इसी के कारण मुझसे लड़कियां बहुत जल्दी इम्प्रेस हो जाती है आज जो कानी मैं आप लोगो के लिए लाया हूँ वो बिलकुल सच्ची है ये उन दिनों की बात है जब मैं उत्तराखंड में जॉब के लिए गया हुआ था मुझे जॉब मिल गयी तो मैंने रूम ढूंढना सुरु किया मुझे एक जगह एक रूम मिला जो की दूसरी मंजिल पर था

 

पहली मंजिल पर मेरे मकान मालिक की फैमिली रहती थी उनके घर में वो उनकी पत्नी और उनकी 21 साल की लड़की पूनम रहती थी जो की बहुत ही खूबसूरत और हॉट थी उसका फिगर 30-28-34 था अब आप लोग जान ही गए होंगे की वो कितनी मस्त दिखती थी उसकी उठी हुई गांड मुझे बहुत ही मस्त लगती थी मैं हमेशा उसपर लाइन मरता था वो भी अन्दर ही अन्दर मुझे पसंद करती थी और मुझसे प्यार करती थी क्यूंकि मैं जब भी उसे देखता था तो वो मुझे देखकर हमेशा एक प्यारी सी स्माइल देती थी धीरे-धीरे हम दोनों आँखों ही आँखों में बातें करने लगे अब मैं रोज शाम को बालकनी में खड़ा होता तो वो भी अपने घर से बाहर आके खड़ी हो जाती थी

 

एक दिन मैं उसके घर में गया किराया देने के लिए तो मैंने देखा की उसके घर में कोई नहीं था मैंने कई बार आवाज भी दी लेकिन कोई नहीं बोला मैं अन्दर घुस गया उसके मुझे लगा की बाथरूम में कोई नाहा रहा था मैं चुपके से बाथरूम के पास गया मैंने दरवाजे के होल से अन्दर झाँका तो देखा की पूनम नहा रही थी वो एक दम नंगी थी उसने कुछ नहीं पहन रखा था क्या मस्त गोरा बदन था उसका एक दम दूध जैसा मैं तो उसको देखता ही रह गया उसके मम्मे बहुत ही मस्त थे एकदम गोल कसे हुए उसकी गुलाबी चूत पर एक भी बाल नहीं था मेरा मन कर रहा था की बस घुस कर चोद दूं मैंने अपने आप को बड़ी मुस्किल से सम्हाला और मैंवहां से चला आया उस दिन से मुझे उसके दिन रात सपने आने लगे मैं जब भी उसके बारे में सोचता था तो मेरा लंड खड़ा हो जाता मुझे उसके नाम की मुठ मारनी पड़ती नहीं तो मेरा लंड बैठने का नाम ही नहीं लेता

 

मैंने सोच लिया की मुझे उसकी चूत मारनी है पर मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी की मैं उसको जाकर कहूँ एक दिन उसके पापा मेरे घर आये उन्होंने मुझसे कहा की प्रदीप मैं और पूनम की मम्मी एक शादी में जा रहा हूँ पूनम घर पर अकेली है तो आप आज रात मेरे घर पर ही सो जाना मैंने कहा ठीक है अंकल जैसा आप कहे उन्होंने मुझसे कहा की आप रात का खाना मेरे घर ही खा लेना मैं स्नेह से कह दूंगा वो तुम्हारे लिए खाना बना लेगी मैं मन ही मन में बहुत खुश हो रहा था मैंने कहा ठीक है आप बेफिक्र होगर जाइये फिर वो दोनों चले गए मैं भी शाम का इन्तजार करने लगा मैंने सोच लिया था की आज तो मैं पूनम को बोल ही दूंगा मैं शाम को घर लौटा तो मैं पहले अपने रूम पर गया और कपडे चेंज करने लगा

 

पूनम मेरे रूम में आई उसने मुझसे कहा की खाना तैयार है चलिए चलकर खा लीजिये मैंने कहा की ठेक है तुम चलो मैं अभी आया मैं कपडे चेंज करके उसके यहाँ पहुंचा मैंने बेल बजाई तो स्नेह ने दरवाज खोला क्या मस्त लग रही थी वो उसने भी चेंज कर लिया था उसने ब्लैक कलर की नाइटी पहन राखी थी क्या मस्त लग रही थी मैं अन्दर पहुंचा उसने हम दोनों के लिए खाना लगाया हम दोनों साथ में बैठकर खाना खाने लगे मैं पूनम को देखे जा रहा था और वो भी मुझे देखे जा रही थी हम दोनों एक दुसरे को वासना की नजरो से देख रहे थे फिर मैंने उससे कहा की पूनम एक बात पुछु तुम बुरा तो नहीं मानोगी उसने कहा पूछो क्या बात है मैंने कहा की तुम्हारा कोई बॉयफ्रेंड है उसने कहा नहीं मुझे आज तक कोई ऐसा मिला ही नहीं फिर उसने मुझसे कहा की अच्छा तुम बताओ तुम्हारी तो कोई गर्लफ्रेंड जरूर होगी मैंने कहा नहीं मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है फिर हम दोनों बहुत देर इधर उधर की बातें करते रहे

 

हम दोनों खाना खा चुके थे उसके बाद उसने मेरा बिस्तर पड़ोस के कमरे में लगा दिया मैं जाकर लेट गया और वो भी मुझसे गुड नाईट बोलकर अपने कमरे में सोने चली गयी थोड़ी देर बाद मैं उठा तो मैंने देख की उसके कमरे की लाइट जल रही थी मेरे मन में ख़याल आया की चलो देखते है की वो क्या कर रही है मैंने उसके दरवाजे के पास जाकर देखा तो दरवाजा थोडा खुला हुआ था वो एक दम नंगी होकर लेटी थी और अपनी चूत को सहला रही थी उसको इस हालत में देखकर मेरा लंड खड़ा हो गया मुझसे अब रहा नहीं गया और मैंने झट से दरवाजा खोल दिया

 

मुझे देखकर वो चौंक गयी और अपने शरीर को चादर से ढक लिया उसने मुझसे कहा अरे आप सोये नहीं क्या बात है मैंने कहा मुझे पानी चाहिए था इसी लिए मैं उठा था फिर मैं उसके पास जाकर बैठ गया मैंने उसका हाँथ अपने हाँथ में लिया और उससे कहने लगा की पूनम मैं तुमको बहुत पसंद करता हूँ तो मेरी तरफ देखने लगी और उसने शर्माते हुए कहा की पसंद तो मैं भी तुमको करती हूँ पर आज तक कहने की हिम्मत नहीं हुई

 

फिर क्या था अब तो मेरी लाइन एकदम साफ़ थी मैंने उसको अपनी बाँहों में भर लिया और उसको किस करने लगा अब उसकी भी शरम जा चुकी थी उसने चादर हटा दी और उसके मम्मे मेरी छाती में लड़ने लगे मैं उसको किस करते-करते उसके मम्मो को दबाने लगा फिर मैंने उसकी चूचियों को अपने मुहँ में ले लिया और चूसने लगा मैंने अपना एक हाँथ उसकी चूत पे रखा और सहलाने लगा उसकी चूत बहुत ही गरम थी मैंने उसकी चूत को सहलाते हुए उसमे अपनी ऊँगली डाल दी वो उचल पड़ी क्यूंकि उसकी चूत बहुत टाइट थी मैंने अपना मुहँ उसकी चूत पर रखा और चाटने लगा

 

मैं उसकी चूत के दानो को सहला रहा था वो बहुत ही गरम होने लगी थी उसने मेरे सिर को पकड़ लिया और अपनी चूत पर दबाने लगी मैंने उसकी चूत में अपनी जीभ डाल दी वो मजे से अपनी चूत चत्वा रही थी फिर उसने मेरी पांत खोलकर मेरा लंड बाहर निकाला और मेरे लंड को देखकर वो डर गयी उसने मुझसे कहा की तुम्हारा लंड तो बहुत बड़ा है उसने कहा की तुम इसको मेरी चूत में डालोगे तो बहुत दर्द होगा मुझे मैंने आज तक किसी से चूत नहीं मरवाई है मैंने कहा की तुम चिंता मत करो मैं बहुत आराम से डालूँगा तुमको बिलकुल दर नहीं होगा

 

फिर मैंने उससे लंड चूसने को कहा वो मन करने लगी मैंने उसको समझाया की अगर तुम लंड चुसोगी तो तुमको बहुत मज़ा आएगा मेरे बहुत कहने पर वो मान गयी हम दोनों 69 की पोजीसन में आ गए और उसकी चूत चाटने लगे फिर अब वो मुझसे लंड डालने को कहने लगी मैंने उसकी चूत पर अपना लंड रखा और रगड़ने लगा वो अब मदहोश होने लगी थी उसने मुझसे कहा की अब डाल भी दो मुझे मत तडपाओ मैंने एक झटका लगाया और मेरा आधा लंड उसकी चूत में समां गया वो चिल्ला उठी उसे बहुत दर्द हो रहा था उसने मुझसे कहा की प्लीज इसे निकाल लो मैं मर जाउंगी मैं उसकी होंठों को चूमने लगा और उसके बूब्स को सहलाने लगा उसकी चूत से खून निकल रहा था मैं समझ गया की उसकी सील टूट गयी थी

 

कुछ देर बाद वो शांत हो गयी मैं उसको किस करता रहा और धीरे- धीरे धक्के लगाने लगा अब वो भी मेरा साथ देने लगी थी उसको भी मज़ा आ रहा था फिर मैंने उसकी जमकर चुदाई की थोड़ी देर बाद हम दोनों झड गए फिर हम दोनों ऐसे ही लेटे रहे और थोड़ी देर बाद मेरा लंड फिर खड़ा हो गया और मैंने उसकी फिर से चुदाई की हम दोनों ने उस रात चार बार सेक्स किया सुबह उठकर हम दोनों ने अपने-अपने कपडे पहने उसने मुझे किस किया फिर मैंने उस दिन के बाद कई बार उसकी चूत मारी हमें आशा है की आपको ये कहानी पसंद आई होगी Copyright 2021 : Xxvasna.com - अन्तर्वासना हिंदी सेक्स कहानी, Indian Hot Desi Sexy XXX Adult Sex Story in Hindi 

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लंड की प्यासी कमसिन मामी की चुदाई

मैं अपने मामा के घर रह रहा था. एक रात अन्तर्वासना सेक्स स्टोरी पढ़क्र मैं मुठ मार रहा था. मामा के रूम से कुछ कहासुनी की आवाज आई. अगले दिन मामी से मिला तो मेरे प्रिय दोस्तो, मेरा नाम विजय है और मैं देहरादून का रहने वाला हूँ. मेरी उम्र 24 साल है और मैं दिखने में हैंडसम हूं. मेरी लंबाई 6 फीट है. मेरे लण्ड का साइज़ सामान्य है और मोटाई भी सामान्य है जिससे मैं किसी भी लड़की, भाभी और आंटी को खुश कर सकता हूँ। आप लोगों का ज्यादा समय न लेते हुए मैं सीधा कहानी पर आता हूँ।

 

ये बात तब की है जब मैं अपनी बी.एस.सी. की पढ़ाई पूरी करके जॉब की तलाश कर रहा था. मुझे जॉब दिल्ली में मिली और मुझे दिल्ली आना पड़ा.

दिल्ली में ही मेरा एक मामा भी रहता है. मामा ने बोला कि तू यहीं मेरे पास रह लेना।

 

मामा की सलाह पर मेरे घर वाले भी यही बोलने लगे। मैं अगले दिन ही दिल्ली आ गया। मामा के घर पहुँचा तो मामी ने गेट खोला. वो मुझे देख कर बहुत खुश हुई और मुझे अंदर रूम में बैठा कर चाय वगैरह लेकर आई. तभी मामा भी आ गए. वो मुझसे बातें करने लगे.

 

दोस्तो, मेरे मामा का एक बेटा भी है जो तीसरी कक्षा में पढ़ता है. थोड़ी देर बातें करने के बाद मैं आराम करने के लिए बेड पर लेट गया और मुझे नींद आ गयी। जब सो कर उठा तो मामा का बेटा भी स्कूल से आ गया था तो मैं उसके साथ खेलने लगा.

 

मामा के बेटे के साथ खेलते खेलते रात हो गयी और हमारा खाना लग गया. हम सब खाना खाने लगे। मैंने देखा कि मामा खाने पर नहीं थे तो मैंने मामी से पूछा कि मामा किधर हैं?

तो मामी ने बताया कि वो लेट ही आते हैं 10-11 बजे तक।

 

दोस्तो, मेरे मामा की खुद की कम्पनी है तो वो ज्यादा वहीं पर कंपनी के काम में ही बिजी रहते हैं।

मैं और मामी इधर उधर की बातें करते रहे.

 

मामी ने पूछा कि तेरी जोइनिंग कब है?

मैं- मामी सोमवार से है।

मामी- अच्छा तो अभी तो 3 दिन बाद है।

मैं- हाँ जी.

मामी- और बता घर में सब कैसे हैं?

मैं- वहाँ तो सब अच्छे हैं।

 

फिर ऐसे ही दो चार बातें करके हम अपने अपने रूम में सोने के लिए चले गए। मेरा रूम मामी के रूम की बराबर में ही था।

मुझे नींद नहीं आ रही थी क्योंकि मैं दिन में सो गया था. बोर होने के कारण मैं रोज की तरह अन्तर्वासना पर कहानियां पढ़ने लगा. अन्तर्वासना पर सेक्सी और गर्म हिन्दी कहानियां पढ़कर मेरा अच्छा टाइम पास हो जाया करता था.

 

सेक्स कहानी पढ़ते हुए मैं अपने लंड को हाथ में लेकर हिला रहा था. मुझे मजा आ रहा था कहानी पढ़ते हुए मुठ मारने में और लंड को रगड़ते हुए हिलाने में, रूम में पूरा अंधेरा था.

 

11 बजे फिर मामा भी आ गए. वो खाना खा कर अपने रूम में सोने की तैयारी कर रहे थे कि तभी उनके रूम में से कुछ आवाजें आने लगीं जैसे वो किसी को धमका रहे हों। मैंने उन पर ध्यान नहीं दिया और मुठ मार कर सो गया।

 

मैं रोज की तरह सुबह 5 बजे उठा और सोचा कि ऊपर छत पर घूम लेता हूँ. तो मैं ऊपर चला गया। ऊपर जाकर मैंने देखा कि मामी अपनी लाल रंग की हल्की सी नाईटी में घूम रही हैं।

 

माफ करें दोस्तो, मैं आपको अपनी मामी के बारे में बताना तो भूल ही गया. मेरी मामी की उम्र 28 साल है और वो देखने में बहुत ही ज्यादा आकर्षक लगती है। मुझे साइज़ की तो ज्यादा जानकारी नहीं है पर उनके चूचे बहुत मोटे हैं और गांड भी बहुत पीछे निकली हुई है. कोई भी उन्हें एक बार देख ले तो जरूर मुठ मारने पर मजबूर हो जाये.

 

इस तरह नाइटी में उन्हें देख कर मैं पागल सा हो गया। उनकी नाइटी घुटनों तक ही थी और ऊपर से बरसात का मौसम हो रहा था।

मैंने जैसे-तैसे खुद को संभाला और उनके पास गया।

मैं- गुड मॉर्निंग मामी!

मामी (गुस्से में)- गुड मॉर्निंग!

 

मैं- क्या हुआ मामी, आप गुस्से में हो?

बहुत ही प्यार से मैंने पूछा.

मामी चुप रही, उन्होंने कुछ नहीं बोला।

 

मैं- यार मामी बताओ ना, क्यूं लड़कियों की तरह नखरे दिखा रही हो?

मामी मुस्कराई और बोली- क्यूं, मैं लड़की नहीं हूं क्या?

 

मुस्कराते हुए मैंने कहा- हां, हो तो लेकिन अब शादी हो चुकी है आपकी।

मामी ने मुझे बीच में ही रोकते हुए कहा- हां, यही तो, सबको लगता है कि मेरी शादी हो गयी है लेकिन मुझे अब ये बिल्कुल भी अहसास नहीं होता है कि मेरी शादी हो गयी है।

 

उनके कंधे पर हाथ रखते हुए मैंने कहा- क्या हुआ यार, आप इतने परेशान क्यूं हो? आप मुझे अपना दोस्त समझ कर ही बता दो. आप मुझ पर भरोसा कर सकते हो.

 

वो बोली- विजय, तुझे तो पता ही होगा कि एक औरत को क्या चाहिए होता है अपने पति से.

मैंने कहा- मैं कुछ समझा नहीं आपकी बात का मतलब, क्या चाहिए होता है?

 

मामी- तो फिर तू क्या घंटा समझेगा मेरी प्रॉब्लम!

मैं- अरे आप बताओगी तभी तो समझूँगा ना?

मामी- जब तुझे पता ही कुछ नहीं है तो क्या समझाऊं तुझे मैं? चल अच्छा बता सेक्स क्या होता है जानता है? तू जानता है चुदाई किसे कहते हैं?

मैं- हाँ जानता हूँ।

 

डांटते हुए मामी बोली- तो भोसड़ीचंद, तुझे ये कैसे नहीं पता कि एक औरत को अपने पति से क्या चाहिए होता है?

मैं- क्यूंकि मैं आपके मुँह से सुनना चाहता था।

 

मामी- तो सुन, पिछले एक साल में तेरे मामा ने मुझे तीन चार बार ही चोदा होगा। यार मुझे भी चाहिए होता है लण्ड, मैं भी तो औरत हूं. मेरी भी जरूरतें हैं. वो मेरे से उम्र में 10 साल बड़े हैं. उनका अब कुछ करने का ज्यादा मन ही नहीं करता है. अब तू ही बता कि मैं कहां जाऊं, मैं क्या करूं और किसके साथ करूं?

 

मैं- हम्म, प्रॉब्लम तो है मामी.

मैंने उनके सिर को अपने कंधे पर रख कर सहलाया.

मामी- यार विजय, मुझे एक बॉयफ्रंड चाहिए जो मुझे।

मैं- जो आपको?

 

मामी (शरमाते हुए)- जो मुझे संतुष्ट कर सके। तुम्हारे जैसा कोई या तुम ही बन जाओ, घर की बात घर में रहेगी और किसी को पता भी नहीं चलेगा और मुझे कहीं बाहर भी नहीं जाना पड़ेगा.

 

मैं भी काफी हैरान था कि मामी मुझसे चुदने के लिए मुझे खुला आमंत्रण दे रही है. मगर कहीं न कहीं मैं भी मामी की चुदाई करना चाह रहा था. इसलिए हालात तो मेरे ही पक्ष में थे. जब सामने से मामी जैसी सेक्सी औरत जो लंड की प्यासी हो, उसको भला कौन मना कर सकता है!

 

न्यौता देने पर मैंने आव देखा न ताव और वहीं पर मामी के होंठों को चूसना शुरू कर दिया. मैं उनको जोश जोश में चूमने लगा. पहला सेक्स था इसलिए उत्तेजना एकदम से चढ़ गयी थी.

 

मगर मामी ने मुझे रोक दिया और बोली- नीचे चल हरामी, यहीं पर ही शुरू हो गया. चल नीचे, तेरे रूम में चलते हैं. यहां तो कोई भी देख लेगा.

हम दोनों उठ कर नीचे चले आये.

 

मैंने दरवाजा बंद किया और मामी के ऊपर टूट पड़ा. मामी भी बहुत दिनों से प्यासी लग रही थी और वो उछल कर मेरी गोदी में ही चढ़ गयी जैसे कोई बच्चा अपनी मां की गोद में चढ़ जाता है. उन्होंने अपनी दोनों टांगें मेरी कमर से लपेट लीं और बुरी तरह से मेरे होंठों को चूसने और काटने लगीं.

 

मामी की प्यास बहुत ज्यादा थी और मैं एक जवान लड़का था. इसलिए मामी कोई कसर नहीं छोड़ना चाह रही थी अपनी प्यास को शांत करने में. मैं भी उनका पूरा साथ दे रहा था. उनके मुंह के अंदर तक अपनी जीभ डाल कर चूस रहा था.

 

फिर मैंने मामी को बेड पर गिरा लिया और जल्दी जल्दी से अपने कपड़े उतार दिये. मेरे बदन पर केवल मेरा अंडरवियर रह गया था. मेरे अंडरवियर में मेरा लौड़ा पूरा टाइट होकर रॉड के जैसा तना हुआ दिख रहा था जिसमें झटके लग रहे थे.

 

मामी एकटक मेरे लंड पर ही नजर गड़ाये हुए थी. वो लंड की काफी प्यासी लग रही थी. तभी वो एकदम से उठी और उसने मेरे अंडरवियर पर हाथ रख दिया और मेरे लंड को सहलाने लगी. वो उसकी गोलाई पर हाथ फिरा रही थी. उसकी लम्बाई को नापने की सी कोशिश कर रही थी.

 

फिर उसने झटके से मेरे अंडरवियर को नीचे कर दिया और मेरा मोटा लम्बा लंड बाहर आकर फड़फड़ाने लगा. मामी ने मेरे लंड को हाथ में भर कर उसके टोपे को चूम लिया और फिर अगले ही पल उसको मुंह में भर लिया. मेरी तो आह्ह निकल गयी. मामी के मुंह में लंड जाते ही ऐसा लगा जैसे जन्नत है ये.

 

मामी जोर जोर से मेरे लंड को चूसने लगी. मैं भी आह आह आह करने लगा और साथ ही साथ मामी की चूचियों को दबाने लगा. मामी बहुत बुरी तरीके से मेरे लंड को चूसे जा रही थी. ऐसा लग रहा था कि जैसे उन्होंने जिन्दगी में कभी लंड देखा ही न हो, लेने की तो बात ही दूर हो जैसे.

 

मुझे बहुत ज्यादा उत्तेजना हो रही थी और जिस स्पीड से मामी मेरे लंड पर चोपें मार रही थी उससे लग रहा था कि मैं पांच मिनट से ज्यादा नहीं टिक पाऊंगा. इसलिए मैंने मामी को रोक दिया और उनकी नाइटी उतारने लगा.

 

नीचे से मामी ने कुछ भी नहीं पहना हुआ था. मैं तो उन्हें देख कर पागल सा हो गया और उनके चूचों को चूसने लगा और एक हाथ से दबाने लगा। मैं उन्हें बुरी तरह चूस रहा था.

 

तभी उन्होंने मुझे रोका- पहली बार चूत चुदाई कर रहा है क्या?

मैं- हाँ.

मामी- तो फिर मेरी जान . आराम से कर ना! न तो मैं कहीं भागी जा रही हूँ और न तेरी ही ट्रेन छूट रही है।

 

मैंने उनके चूचों को आराम से पीना शुरू कर दिया और मामी भी आहें भरने लगी- आहह . ह्म्म्म . ऐसे ही चूस्स . और चूस्स . हाँ ऐसे ही म्ममा . आ.आ आहाह अहह आ

ऐसे करते हुए मामी मस्त हो गयी.

 

अब मैं उनके पेट को चूमता हुआ नाभि से होता हुआ उनकी चूत पर आ गया. उनकी चूत बिल्कुल क्लीन शेव थी. उन्होंने जैसे रात में ही अपनी झांटें साफ की हों। मैंने उनकी चूत के होंठों को अलग किया और अपने होंठों से ऐसे चूसने लगा जैसे किसी के होंठों को चूसते हैं.

 

ऐसा करने से मामी का हाल और भी ज्यादा बुरा होने लगा. वो अपनी सिसकारियों पर अब काबू रख ही नहीं पा रही थी और सिसकारते हुए मुझे गालियां तक देने लगी- आहह . अअअअ . सस्स . आहह . चूस . भोसड़ी के . आह्ह खाजा मेरी चूत को . ओह्ह . आई मा. प्यास बुझा दे इसकी कमीने. ये कई सालों से प्यासी है.

 

मामी की चूत इतनी गर्म हो गयी थी कि उनकी चूत से उत्तेजना में पानी ही पानी निकल रहा था. ऐसा लग रहा था कि मामी की चूत जैसे लीक हो गयी हो.

 

तभी मामी ने अचानक मेरा सिर पकड़ कर मुझे अपने ऊपर खींच लिया और मेरे होंठों को चूसने लगी. मामी मेरे होंठों को अब कुछ ज्यादा ही जोश में काट रही थी. ऐसा लग रहा था कि दांत से काट कर खा ही जायेगी मेरे होंठों को वह.

 

मैंने बड़ी मुश्किल से मामी की उत्तेजना के वेग से खुद को छुड़ाया और उठ कर बुरी तरह से हांफने लगा.

मामी ने फिर से मुझे पकड़ कर खींच लिया और मेरी गर्दन और छाती को चूमने और चूसने लगी.

 

वो बोली- अब चोद भी दे मेरी जान . और कितना इंतजार करवायेगा मेरी प्यासी चूत को लंड का सुख देने के लिए?

मैंने वैसा ही किया. मैं उठा और मेरे लौड़े को उनकी चूत पर फिराने लगा वो और तड़प गयी।

 

मामी- मादरचोद और मत तड़पा. मुझसे नहीं बर्दाश्त नहीं हो रहा है. चोद दे मुझे. देख नहीं रहा है कि मेरी चूत कैसे जल रही है! इसकी हालत पर तरस नहीं आ रहा क्या तुझे रंडी की औलाद? चोद दे इसको, चोद चोद कर फाड़ दे. जल्दी अंदर डाल कुत्ते!

 

मैंने अपने लंड को उनकी चूत के छेद पर रखा और जोर लगाया. मेरे लंड का टोपा अंदर चला गया. मामी इतने में ही बेचैन हो गयी और मुझसे बोली- जान . थोड़ा आराम से डाल, काफी टाइम से मेरी चूत ने लंड का स्वाद नहीं चखा है. इसकी चुदाई नहीं हुई है इसलिए ज्यादा ताकत नहीं झेल पायेगी.

 

मामी के कहने पर मैंने धीरे धीरे जोर लगाया और आहिस्ता आहिस्ता अपना पूरा लंड उनकी चूत में उतार दिया. उनको दर्द तो हुआ लेकिन उतना नहीं जितना कि एक ही झटके में डालने से हो जाता. मैंने बड़े ही आराम से लंड को अंदर डाला था.

 

लंड को अंदर डाल कर मैं मामी के ऊपर ही लेट गया और उनकी चूचियों में मुंह दे दिया. मैं इस पल का आनंद लेना चाहता था. पहली बार मेरा लंड किसी चूत में अंदर जाकर इस तरह से आराम कर रहा था. मामी भी मेरे बालों को सहला सहला कर मुझे प्यार कर रही थी और मुझे चूम रही थी.

लेटे लेटे मामी की चूत ने मेरे लंड को अपने अंदर बड़ी ही सुगमता से एडजस्ट कर लिया. ऐसा लगा कि जैसे मामी की चूत मेरे ही लंड के लिये बनी हुई हो.

 

उसके बाद मामी नीचे से गांड को उठाने लगी. यह उनका इशारा था कि अब शुरू हो जाओ. मैंने मामी की चूत की चुदाई शुरू कर दी. मैं पहले धीरे धीरे धक्के लगाने लगा.

 

मामी को मजा आने लगा. वो मादक सिसकारियां ले रही थी और मजे से बोले जा रही थी- अह्ह आह्ह आह्ह जोर से . मेरी जान. . थोड़ा तेज चोद. आह्ह . फंसा दे ना लंड को मेरे प्यारे.. मेरी चूत की चुदास निकाल दे. मेरी जान.. आह्ह चोदता रह।

 

उनकी ऐसी कामुक बातें सुन कर मेरी स्पीड अपने आप ही बढ़ने लगी थी. मैं तेजी से चोदने लगा.

अब मामी के सीत्कार भी तेज हो गये- आह्ह चोद भोसड़ी के. चोद दे बुरी तरह मुझे, आह्ह फाड़ मेरी चूत को, आह्ह ऐसे ही फाड़. चोद. और तेजी से चोद।

 

मैं पूरी स्पीड में चोदने लगा और कुछ ही पल के बाद मामी मुझसे लिपटने लगी. उसकी चूत ने मेरे लंड को जैसे अंदर खींच लिया और कस लिया. मामी की चूत से गर्म गर्म पानी निकल कर मेरे लंड को भिगोने लगा. मामी मुझे कस कर पकड़े रही और फिर ढीली हो गयी.

 

मैंने फिर से उसकी चूत में धक्के लगाने शुरू किये. अब चूत से पच-पच की आवाज आने लगी. पूरा रूम पच-पच की ध्वनि से गूंजने लगा. मैं पूरी स्पीड में मामी की चूत को रौंदने लगा. दस मिनट के बाद मामी एक बार फिर से झड़ गयी.

 

हमारी चुदाई को चलते हुए 20 मिनट के लगभग हो गये थे. इस बीच मामी अब तीसरी बार झड़ने वाली थी. अब मैं भी किसी भी पल खाली होने वाला था. मैंने तेजी से तीन चार धक्के लगाये और मामी के ऊपर लेट कर उनके होंठों को पीते हुए बुरी तरह से चूसने काटने लगा.

 

मैं बोला- मैं आने वाला हूं मामी, कहां निकालना है?

वो बोली- तू कहां निकालना चाहता है?

मैंने कहा- आपको पिलाना चाहता हूं.

मामी- तो उठ फिर.

 

उठते हुए मेरा लंड मामी की चूत से बाहर आ गया. जैसे ही मैं उठा मामी ने मुंह खोल दिया और मैंने लंड को मामी के मुंह में दे दिया. मामी चूसने लगी और जोर जोर से टोपे को चूसते हुए पूरे लंड को गले तक उतारने लगी.

 

फिर दो चार धक्कों के बाद ही मेरा लावा मामी के मुंह में गिरने लगा. मामी मेरे माल को अंदर अंदर ही पी गयी. जब तक मेरे लंड से एक एक बूंद निचोड़ न ली, तब तक मामी ने लंड को चूसना बंद नहीं किया.

 

पूरा निचोड़ने के बाद मेरे लंड को मुंह से निकाला और चाट चाट कर उसको पूरा साफ कर दिया. वो अपनी जीभ निकाल निकाल कर उस पर लगा हुआ मेरा माल मुझे दिखा रही थी.

उसके बाद मैं उनके ऊपर ही लेट कर सो गया. वो मुझे सहलाती रही.

 

जब मेरी आंख खुली तो मामी वहां पर नहीं थी. इस तरह से मामी के साथ चुदाई की पहली शुरूआत हुई.

 

अब तो लगने लगा था कि जैसे मामी के पति मामा नहीं बल्कि मैं ही हूं. उनका बेटा भी मुझे अपना ही लगने लगा था.

 

दोस्तो, ये थी मेरी पहली सेक्स स्टोरी, जो मेरी मामी की चूत चुदाई की एक सच्ची घटना पर आधारित थी. आपको मेरी स्टोरी कैसी लगी? मुझे अपने कमेंट्स में जरूर बतायें.

 

यदि कहानी के बारे में कुछ और कहना चाहते हैं तो नीचे दिये गये मेरे मेल पर मुझे मैसेज भी कर सकते हैं. मुझे आप लोगों के रेस्पोन्स का इंतजार रहेगा. अपना समय देने के लिए, थैंक्स दोस्तो।

 

अगली कहानी मैं आप लोगों के रेस्पोन्स के आधार पर ही लिखूंगा. तब तक अन्तर्वासना की सेक्स स्टोरीज का मजा लेते रहें. 

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बहू का नंगा जिस्म ससुर के लिए बना कयामत - ससुर ने बहु को चोदा (Bahu ka nanga badan dekha)

दोस्तों, तो कैसे है आप सब मै आपका दोस्त संजय आप सब का में फिर से स्वागत करता हूँ आज में आपके सामने फिर से एक नई कहानी लेकर आया हु आज की कहानी एक ऐसी बहु के बारे में है जिसने अपने ससुर के लंड पर कूद कूदकर अपनी खूब चुदाई करवाई और ससुर के घोड़े जैसे लंड से गांड फड़वाई। यह कहानी हमें सविता ने भेजी है. जो हरयाणा में रहती है। सविता एक तीस वर्ष की शादीशुदा औरत है। जिसके तीन बच्चे भी है। सविता एक घरेलु औरत है जो की देखने में बहुत सुन्दर है। साथ ही उनका बदन का आकर भी बहुत आकर्षक है।

 

सविता के घर के आस पास के सारे आदमी सविता पर गन्दी नज़र रखते है। और उसकी चुत के दर्शन करना चाहते है। सविता की शादी की आठ वर्ष हो गए है और वो अपने पति से प्यार भी बहुत करती है। लेकिन उनका पति अब उन्हें पहले जैसा प्यार नहीं करते क्युकी उनका चाकर अपनी ऑफिस की किसी लड़की के साथ चल रहा है। इस बात से सविता बहुत की निराश है आगे सविता जी बताती है के अब उनके पति काम से अक्सर देरी से घर आते है और कभी कभी तो दो तीन दिन के बाद आते है।

 

बहू का नंगा जिस्म ससुर के लिए बना कयामत - ससुर ने बहु को चोदा (Bahu ka nanga badan dekha)

अपने पति के ये हरकत सविता को बिलकुल पसंद नहीं है साथ ही सविता जी बताती है के उन्हें सेक्स करने का बहुत शोक है और वह Sex Story in Hindi  भी बहुत पढ़ती है लेकिन उनका पति अब सविता की सम्भोग की इच्छा को भी पूरा नहीं करते। सविता को चुदने का बहुत शोक है। लेकिन अपने पति द्वारा लंड न मिलने पर साविता को अपनी चुत में उंगली डालकर की चुदाई की प्यास बुझान पड़ती है। सविता अपने पति से बदले के भावना रखती है। साथ ही सविता चाहती है के अगर उसका पति घर के बहार किसी की चुत मार रहा है तो वो भी किसी और का लंड अपनी चुत में ले और चुत को अच्छे से फड़वाये और अपनी चुदाई की प्यास बुझाये।

 

सविता जी बताती है के इस बात को लगभग दो साल हो गए है जब उनके ससुर गांव से पहेली बार उनके घर रहने आये थे। सविता के ससुर रमेश अभी ज्यादा बुज़ुर्ग नहीं हुए थे उनकी उम्र लगभग पचास साल की थी लेकिन वो देखने में अभी भी एक जवान आदमी की तरह थे। छै फ़ीट का कद लम्बा चौड़ा शरीर। रमेश अपनी जवानी में पहलवानी किया करते थे इस्सलिये उन्होंने अपने शरीर का बहुत अच्छे से धयान रखा हुआ है। रामेश की पतिनी का देहांत बहुत समय पहले ही हो चूका है इसलिए उन्होंने काफी समय से सेक्स नहीं किया है। रमेश नए विचार के आदमी है इसलिए वह सविता से कोई घूँघट नहीं कराते है।

 

कुछ दिनों में ही सविता भी उनसे काफी घुल मिल चुकी है। बच्चो के स्कूल जाने के बाद सविता अपना ज्यादातर वक़्त अपने ससुर रमेश से बात करके ही बिताती है। धीरे धीरे रमेश और सविता एक दूसरे से सेक्स के बारे में भी बात करना शुरू कर देते है सविता उन्हें बताती है के वो अक्सर Chudai ki kahani पढ़ती है। रमेश सविता से उसके संबंध के बारे में पूछता है जिसे सुनकर सविता उदास सी हो जाती है। रमेश के आग्रह करने पर वो अपने पति के चक्कर के बारे में बताती है। और यह भी बताती है के अब उनका पति उन्हें पहले की तरह समय नहीं देते ना ही प्यार करते कुछ देर चुप होने के बाद रमेश सविता को अपने और अपनी पत्नी के संबंध के बारे में बताता है। साथ ही यह भी बताता है के उसकी पत्नी उस से बहुत खुश थी क्युकी रमेश अपनी पत्नी को पूरी तरह से संतुष्ट करते थे।

 

अब सविता और रमेश बात करते करते एक एक दूसरे के बहुत करीब आने लगते है। सविता अपने ससुर रमेश का हाथ पकड़ कर उसे अपने कमरे में ले जाती है। और फिर दोनों एक दूसरे को जोर जोर से किस करना शुरू कर देते है सविता एक एक करके अपने सारे कपडे उतरने लगती है और रमेश उसका ख़ूबसूरत बदन देखकर हैरान रहे जाते है।

 

अब रमेश सविता को बिस्तर पर लेता देते है और अपने दोनों हाथो से उसके चुच्चो को दबाने लगते है कभी वो सविता के चुचो को दबाते तो कभी उन्हें मुँह में लेकर चूसने लगते फिर रमेश सविता की चुत को सहलाने लगते है और फिर उसे चाटने लगते है। सविता की चुत गोरी और एक दम चिकनी है और इसे चाटने में रमेश को बहुत मज़ा आ रहा है सविता भी अपने ससुर से अपनी चुत चटवाकर बहुत खुश है इतना मज़ा आज तक सविता के पति ने भी उसे नहीं दिया जितना उसके ससुर दे रहे है फिर सविता रमेश के कपडे भी उतर देती है और उनका सात इंच का लंड देखकर दंग रह जाती रमेश का लंड उसके पति से भी ज्यादा लम्बा है जो आज उसकी चुत को अच्छे से फाड़ने वाला है

 

फिर सविता जल्दी से रमेश का लंड पकड़ती है और उससे चूसने लगती है कुछ देर अपना लंड सविता को चुसवाने के बाद रमेश उसे बिस्तर पर लेटा देते है और अपना लंड उसकी चुत पर रखकर उसे जोर जोर से चोदने लगते है सविता भी अपने ससुर का इतना मोटा और लंबा लंड अपनी चुत में लेकर जोर जोर से चीखने लगती है। दोनों बहुत देर तक ऐसे ही चुदाई करते रहते है बाद में रमेश सविता की गांड भी मारता है और सविता को घोड़ी बनाकर उसकी गांड को पूरी तरह फाड़ देता है। रमेश और कुछ दिन अपने बेटे और बहु के घर रहता है और जब जब उसे मौका मिलता है वो अपनी बहु सविता को चोदता है।

 

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बहन के साथ सुहाग रात का मजा (Behan Ke Sath Suhagrat ka maja)

अन्तर्वासना के पाठकों को मेरा नमस्कार! मेरा नाम रुचित है और मैं दिल्ली का रहने वाला हूँ. मेरी उम्र 26 साल है और मैं एक सरकारी कर्मचारी हूँ. मैं पिछले 3 साल से भोपाल में कार्यरत हूँ. आपको अपने बारे में इससे ज्यादा खुलकर नहीं बता सकता. मेरे परिवार में माता-पिता के अलावा मेरी दो बहनें और एक बड़ा भाई है, मेरी दोनों बहनें मुझसे छोटी हैं. एक की उम्र 23 साल है और दूसरी की 20 साल है.

 

ये बात करीब डेढ़ साल साल पहले की है, मेरी छोटी बहन, जिसका नाम मालिनी है, उसने अपनी बारहवीं पास की, उस वक्त उसकी उम्र 18 साल से ऊपर थी. उसका रिजल्ट बहुत अच्छा नहीं आया था, तो उसे किसी अच्छे कॉलेज में दाखिला नहीं मिला. इस बात को लेकर मालिनी ने मुझे फ़ोन किया और मुझसे सुझाव लेने लगी कि उसे क्या करना चाहिए.

 

मैंने उससे कहा- तुम जे बी टी कर सकती हो, मैं आसानी से भोपाल में तुम्हारा दाखिला करवा दूंगा.

मेरी बात सुनकर मालिनी बहुत खुश हुई और भोपाल आने की तैयारी करने लगी. मैंने भी पिछले 2 साल से अपनी बहन को सिर्फ तस्वीरों में देखा था. मैंने अपने माता-पिता को समझा दिया और उन्हें मना लिया.

 

दाखिले एक महीने बाद से शुरू होने थे लेकिन मालिनी ने तुरंत आने की जिद की, जिसे मैंने मान लिया. अगले शनिवार को मालिनी को आना था. मैंने अपने मकान मालिक को मालिनी के बारे में कुछ नहीं बताया, मैंने सोचा जब मालिनी आ जाएगी तब बता दूंगा, वर्ना वो मकान किराए को लेकर ड्रामा करेंगे. तय वक्त के मुताबिक़ मालिनी शनिवार की सुबह आने के लिए ट्रेन में शुक्रवार बैठ गयी.

 

शनिवार की सुबह मैं भी नहाकर स्टेशन पर पहुंच गया और मालिनी का इन्तजार करने लगा. आठ बजे ट्रेन पहुंच गयी, चूँकि मैंने पिछले 2 सालों से मालिनी को सिर्फ तस्वीरों में देखा था, इसलिए मैं भी काफी उत्साहित था. जैसे ही मालिनी ट्रेन से उतरी, मैं उसे देखता ही रह गया. करीब 5 फुट 5 इंच की लम्बाई और 34सी के चूचों के साथ मालिनी 23-24 साल की लड़की लग रही थी. मालिनी ने उस वक्त टी-शर्ट और लोअर डाला हुआ था. उसको देखते ही मेरा लौड़ा खड़ा हो गया और मेरे दिमाग में शैतानी आने लगी.

 

मैंने मालिनी को अपनी कार में बैठाया और अपने घर की तरफ चलने लगा. मैंने मालिनी से कहा कि मेरा मकान मालिक बहुत सख्त है और वो किसी और को मेरे घर में रहने की परमिशन नहीं देगा. इससे बचने के लिए मैंने उसे बोल दिया कि मेरी पत्नी आ रही है.

इस पर मालिनी हैरान हो गयी और बोली- मैं आपकी बहन हूँ.

मैंने मजबूरी का हवाला दिया और कहा कि जल्दी ही मैं नया कमरा देख लूँगा.

 

तब जाकर मालिनी खामोश हुई, लेकिन पूरे रास्ते वो मन ही मन हंस रही थी. मैंने भी सोचा चलो पहली परेशानी तो दूर हुई. रास्ते में मैंने कार एक पेट्रोल पंप पर रोकी और अपने मकान मालिक की बीवी, राखी आंटी को फ़ोन करके कहा कि मेरी पत्नी आ रही है.

 

आंटी ने हैरानी जताई और बोलीं- तुमने कभी बताया नहीं कि तुम्हारी शादी हो चुकी है.

मैंने बस हंस कर कह दिया- आपने कभी पूछा ही नहीं.

वो बोलीं- चलो अच्छा है कि अब वो तुम्हारा घर संभाल लेगी.

 

कुछ ही देर में हम घर पहुंच गए, जैसे ही हम घर में घुसने लगे, पीछे से आवाज आई तो देखा कि मकान मालकिन हाथ में चावल से भरा लोटा लेकर खड़ी थीं. ये सब देखकर मालिनी हंसने लगी.

 

मैंने मालिनी से कहा- किसी की भावनाओं का मजाक नहीं उड़ाते.

मालिनी ने अपने सीधे पांव से लोटे को गिराया और अन्दर घुसी.

 

राखी आंटी ने कहा- बेटी, अब तुम्हारी शादी हो चुकी और तुम्हें अपने पति से आशीर्वाद लेना चाहिए.

 

मालिनी के पास कोई आप्शन नहीं था, वो मेरे पास आई और एक पत्नी की तरह मेरे पांव छुए.

 

आंटी ने कहा- बेटी अब तुम आ गयी हो, तो ये रुचित भी संभल जाएगा और सिगरेट और शराब की आदत छोड़ देगा.

यह कहने के बाद आंटी चली गईं.

 

इतने ड्रामे से मालिनी परेशान नहीं हुई बल्कि हंसने लगी. मैंने भी सोचा चलो दूसरा काम भी हो गया और सब कुछ प्लान के मुताबिक़ चल रहा है और अच्छा ही हुआ कि आंटी ने मेरे सिगरेट और शराब की बात बोल दी.

मैंने गेट बंद किया और अपनी जेब से एक सिगरेट निकाली और कश लेने लगा. मालिनी मेरी तरफ अजीब से भाव से देख रही थी जैसे कह रही हो कि वो भी सिगरेट के कश लेना चाहती है, मगर शायद उसकी हिम्मत नहीं हुई.

 

दोपहर को आंटी खाना लेकर आ गईं, उस वक्त हम दोनों सो रहे थे. मालिनी ने उठ कर दरवाजा खोला, उस वक्त उसके बाल फैले हुए थे. मालिनी को ऐसे देखकर आंटी हंसने लगीं.

मैंने आंटी से पूछा- क्या हुआ?

तो आंटी जी बोलीं- लगता है आते ही पहला राउंड ले लिया तुमने मालिनी के साथ, कम से कम आज तो आराम करने देते.

 

ये सुनकर मालिनी शरमा गयी और खाना लेकर रसोई में चली गयी. आंटी वहीं खड़ी रहीं और बोलीं- कल एक व्रत है, जिसे सुहागन औरतें अपने पति के लिए रखती हैं और अब चूँकि मालिनी भी यहीं है, तो उसे भी रखना है.

मैं वहीं से मालिनी को देख रहा था, उसे व्रत के नाम से चिढ़ है.

 

मैंने आंटी जी को बोल दिया कि मालिनी जरूर रखेगी. आंटी जी के हाथ में एक पोलीथिन थी, उसमें से उन्होंने एक साड़ी निकाली और बोलीं कि ये मालिनी के लिए है. ब्लाउज आदि वो अपने हिसाब से काट-छांट कर लेगी और पहन लेगी.

 

आंटी के जाने के बाद मालिनी गुस्से में मेरे पास आई और बोली कि ये बहुत दखल दे रही है, ऐसे तो मुझे सच में तुम्हारी पत्नी बनकर रहना होगा.

मैंने उससे कहा कि कुछ दिन संभाल लो, मैं दूसरा कमरा देख लूँगा.

 

इस पर मालिनी मान गयी क्योंकि वो वापिस दिल्ली नहीं जा सकती थी. वहां उसे इतनी आजादी भी नहीं थी.

 

अगले दिन आंटी जी सुबह ही आ गईं, उन्होंने दरवाजा बजाया, जिससे मेरी आंख खुल गयी. मैंने देखा कि मालिनी अपने कमरे में नहीं थी, मैंने दरवाजा खोला. इतने में मालिनी रसोई में से निकलकर आई. उसने आंटी की दी हुई साड़ी पहन रखी थी और उसमें वो क़यामत लग रही थी.

 

मालिनी मेरे पास आकर खड़ी हो गयी, मालिनी को देखकर आंटी बोलीं- लगता है पूरी रात बहुत मजा दिया है, बहू को अपने वश में कर लिया है.

मैंने भी सोचा मौका है, मैंने मालिनी को बांहों में लिया और कहा- मालिनी तो मेरी जान है.

आंटी ने मेरे गालों पर एक हल्का थप्पड़ मारा और मुझे अलग किया.

आंटी बोलीं- तुम दोनों बहुत शैतान हो.

 

इसके 2 घंटे बाद मालिनी पूजा करके आ गयी और आते ही एक अच्छी पत्नी की तरह उसने मेरे पैर छुए.

मैंने कहा- तुम बहुत सुन्दर लग रही हो, काश सच में तुम मेरी पत्नी होती, तो मैं तुम्हें रानी बना कर रखता.

मालिनी खुल कर बोली- भोपाल में तो मैं तुम्हारी पत्नी ही हूँ, अब जब तक हम भोपाल में हैं. पति-पत्नी की तरह रहेंगे और मैं भी तुम्हें पसंद करती हूँ.

मैंने हैरानी से कहा- क्या तुम्हें कोई ऐतराज नहीं है?

मालिनी बोली- ऐतराज होता तो मैं पहले ही नहीं आती क्योंकि मैंने तुम्हारी और आंटी की बातें सुन ली थी. जब तुम आंटी से फ़ोन पर बातें कर रहे थे.

 

मैंने मालिनी को बांहों में भरा और उसके होंठों पर एक जोरदार चुम्बन दिया. मैंने मालिनी को गोद में उठाया और अपने बिस्तर पर कर दिया.

 

क्योंकि उसने लाल साड़ी पहन रखी थी तो मैंने कहा- आज हमारी सुहागरात है और आज से मेरी हर चीज पर तुम्हारा हक है.

मैंने हल्के से उसकी साड़ी उतारी. अब मालिनी खुद को मेरी पत्नी मान चुकी थी, तो वो मेरा पूरा साथ दे रही थी. मैंने भी अपनी टी-शर्ट और पजामा उतारा और फिर अपना अंडरवियर उतार कर अपना लौड़ा मालिनी के सामने कर दिया.

 

मेरा 7 इन्च लम्बा और 3.5 इंच लौड़ा देखकर मालिनी सहम गयी. फिर हंसते हुए बोली- अब से इस फौलादी लौड़े पर मेरा हक है.

मैंने कहा- हां जानेमन, अब से ये लौड़ा तुम्हारी चूत की गुलामी के लिए हमेशा तैयार रहेगा.

 

फिर मैंने मालिनी का ब्लाउज उसके बदन से अलग किया और उसने लाल ही कलर की ब्रा पहन रखी थी, मैं समझ गया कि मालिनी ने पहले से ही सब प्लान कर रखा है. मैं ब्रा के ऊपर से ही उसके दूध पीने लगा, मालिनी मेरे लौड़े से खेलने लगी. मेरे लौड़े को ऊपर नीचे घुमाने लगी. मैंने इतने में उसका पेटीकोट भी अलग कर दिया और उसको ब्रा-पेंटी में कर दिया. मैंने उसको पकड़ा और उसकी पेंटी भी उतार दी और उसकी चूत को चाटने लगा.

 

चूत पर मेरी जीभ पाते ही मालिनी सिहर गयी. शायद थोड़ी देर पहले ही उसने मूता था, उसकी पेशाब की गंध अभी तक थी, लेकिन मैंने चाटकर उसकी चूत को गीला किया.

 

मेरी बहन अब पूरी तरह गर्म हो चुकी थी, उसने लपक कर मेरा लौड़ा पकड़ लिया और उसे चाटने लगी. वो एक अनुभवी औरत की तरह सब कर रही थी. मैं भी अपनी छोटी बहन की चूत चाट रहा था. हम दोनों 6-9 की पोजीशन बनाये हुए थे और एक दूसरे को चाट रहे थे.

 

करीब 10 मिनट एक-दूसरे को चाटने के बाद मेरी बहन मेरा लौड़ा चूत में लेने को तैयार थी, मैंने मालिनी को लिटाया और उसकी गांड के नीचे एक तकिया रख दिया. फिर उसकी चूत के दरवाजे पर अपना लौड़ा सैट किया और एक हल्का झटका दिया.

 

मालिनी के मुँह से एक हल्की सी आवाज निकली, तब मुझे लगा कि मालिनी लौड़ा सहन कर लेगी, इसलिए मैंने एक तेज झटका मारा और अपना आधे से ज्यादा लौड़ा उसकी चूत में पेल दिया.

 

मालिनी के मुँह से एक तेज चीख निकल गयी, वो चिल्लाने लगी और साथ में गालियां बकने लगी- बहनचोद, अपनी बहन पर रहम कर, उम्म्हअहहहययाहइतना मोटा लौड़ा मेरी चूत में पेल दिया. पहले दिन तो रहम करता, अब तो अगले 2 साल तक मैं तेरी रंडी हूँ, जब मन करे तब चोद दियो, आज तो छोड़ दे. इतना दर्द तो तब भी नहीं हुआ था, जब बड़े भैया ने मुझे चोदा था.

 

यह सुनकर मैं समझ गया कि मेरे बड़े भैया मोहित पहले ही मालिनी को चोद चुके हैं. मालिनी शायद दर्द के मारे बोल गयी. इसके बाद मेरे मन में बची-खुची शर्म भी चली गयी. मैंने सोचा जब पहले ही मोहित भैया चोद चुके हैं, तो मैं क्यों पीछे रहूँ.

 

मैंने अपने झटके चालू रखे और करीब बीस मिनट की चुदाई के बाद हम दोनों अलग हुए.

 

इस तरह हम भाई बहन ने सुहागरात मनायी. इस चुदाई के बाद मालिनी और मैं अब पूरी तरह खुल चुके थे.

 

आपको भाई बहन की सुहागरात की कहानी कैसी लगी, उसके लिए कमेंट्स कीजिये. 

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