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मामी की चुदाई - चोद चोद कर मामी को प्रेग्नेंट किया - Mami ko pregnant kiya

मामी की चुदाई - चोद चोद कर मामी को प्रेग्नेंट किया - Mami ko pregnant kiya

ये एक सच्ची सेक्स कहानी है, पर डर है, क्यों की मामी दो महीने की पेट से है वो भी मेरी वजह से, मैं मामी को चोद चोद कर गर्भवती कर दिया जो मां ६ साल में नहीं कर पाए, आज मैं आपको अपनी ये पूरी कहानी बता रहा हु, ये सब कैसे हुआ, मैं अपने मामी को खूब चोदा, और अभी तक चोद रहा हु.मेरा नाम आकाश है, मैं बचपन से ही नानी घर में रहता हु

अभी तो मैं १८ साल का हु, मेरे मामा तीस साल के है वो मेरे से १२ साल बड़े है, जब मामा की शादी हुई थी तब मैं १२ साल था, उस समय मुझे सेक्स के बारे में ज्यादा तो नहीं पर थोड़ा थोड़ा पता था, मैं कई बार मां को चोदते देखा था, पर उस समय मेरे लण्ड में सिर्फ सिहरन होता था मैं काफी मूठ मारता था पर कुछ भी नहीं निकलता था, पर एहसास गजब का लगता था, मैं बाथरूम में मामी को नंगे नहाते देखा, की हॉल से, गजब की थी वो मजा आ जाता था देख कर,

जिस दिन मैं अपने मामी को नहाते देख लेता था क्या बताऊँ दोस्तों दिन रात मेरे मन में गलत गलत ख्याल आते रहता था, उसके बाद दिन निकलता गया, मैं जवानी की दहलीज पे पंहुचा अब तो मूठ मारने के बाद तो मेरा वीर्य पिचकारी के तरह निकलने लगा, मामी के बारे में सोच सोच कर मैं रोज मूठ मारता,मां जी के शादी के कई साल बीत गए तब भी उनको कोई संतान नहीं हुआ

मामी वैसे कुंवारी लड़की की तरह ही दिखती थी, मेरा तो रोम रोम और लण्ड खड़ा हो जाता था उनको देख कर, मामी से मैं काफी नजदीकियां बननी शुरू कर दिया, वो भी मेरे से काफी बात शेयर करने लगी, आप ये कहानी आप निऊ हिंदी सेक्स स्टोरिज़ डॉट कॉम पर पड़ रहे है। मैं उनके अपने गर्ल फ्रेंड के बारे में भी बात करने लगा, वो भी काफी इंटरेस्ट से सुनती मेरी झूठी कहानी

क्यों की मेरी कोई भी गर्ल फ्रेंड नहीं है,मामा जी गुडगाँव के एक कंपनी में काम करते है, और उनके ऑफिस के तरफ से चार महीने के लिए अमेरिका जाना पड़ा, करीब १० दिन तक ममी काफी उदास रहने लगी, क्यों की वो दोनों एक दूसरे को बहुत प्यार करते है, मामी आज तक कभी भी मामा जी से अलग नहीं रही, मैंने उनको एक दिन कहा मामी जी चलिए मैं आपको आज माल घुमा के लाता हु, तो नानी भी बोलने लगी जा बहू जा घूम आ, थोड़ा मन बहल जायेगा, पर वो मना करने लगी, कहने लगी नहीं मम्मी जी मन नहीं कर रहा है

तभी नानी ने मामा को फ़ोन की की देखो बहू उदास रहती है, आकाश बोल रहा है की चलो माल घुमा के ले आता हु तो वो मना कर रही है कह रही है मुझे अभी जाने का मन नहीं कर रहा है, तभी मामा जी बोले जरा फ़ोन देना स्वाति को, स्वाति मेरी मामी का नाम है, मामी फ़ोन ली, और फिर बात करने लगी, पता नहीं क्या क्या बात हुई, पर जब वो फ़ोन रखी तो बोली सिर्फ माल ही नहीं घुमुंगी,

मूवी भी देखूंगी, मैं तो दंग रह गया, मुझे काफी ख़ुशी हुई क्यों की पहली बार मैं किसी लड़की के साथ मूवी देखने का मौका मिलने बाला था भले वो मेरे से बड़ी और मेरी मामी ही क्यों ना हो, वो कपडे चेंज करने चली गई, मैं भी उनका इंतज़ार करने लगा, जब वो आई मैं हैरान था, ब्लैक कलर का टी शर्ट और टाइट जीन्स गजब का लग रहा था उनकी कसी और तनी हुई चूचियाँ, जीन्स पीछे से तो मत पूछो दोस्तों, गांड की उभर गजब का था

मेरे मुंह से तो लार टपकने लगा.मामी बोली चलो मैं तैयार हु, मैंने अपना बाइक निकाला, और वो पीछे बैठ गई, वो मेरे कमर के चारो और हाथ लपेट के बैठ गई, आप ये कहानी आप निऊ हिंदी सेक्स स्टोरिज़ डॉट कॉम पर पड़ रहे है। पर उनकी चूचियाँ अभी भी मेरे पीठ को नहीं छु रहा था, पर मैंने जब जब ब्रेक लगाता उनकी दोनों बड़ी बड़ी चूचियाँ मेरे पीठ से चिापक जाती और मेरे लण्ड आगे खड़ा हो जता, वो मदहोश कर देने बाली डीओ लगा रखी थी, करीब आधे घंटे बाद ही हम दोनों मूवी हॉल पहुंच गए, मूवी देखि फिर हम दोनों पिज़्ज़ा हट में पिज़्ज़ा खाये, खूब मजे किये, और

फिर रात के करीब ९ बजे के करीब घर पहुंच गए, जब घर गए तो पड़ोस की एक औरत बोली तुम्हारी नानी अपने मायके गई है कोई डेथ हो गया था इस वजह से वो बोल कर गई थी की कल आउंगी, तुम दोनों का फ़ोन नहीं लग रहा था इस वजह से वो चाभी मुझे देख कर गई और बोली की आते ही फ़ोन करने के लिए, मैंने तुरंत फ़ोन लगाया तो नानी कहने लगी, अरे तुम दोनों का फ़ोन नहीं लग रहा था, तो मैंने बता दिया की मेरा तो फ़ोन बंद था और मामी का फ़ोन का नेटवर्क नहीं आ रहा था सिनेमा हॉल में. तो बोली देख मैं कल आउंगी. तुम और बहू कहना खा लेना और मेरी चिंता नहीं करना,

 

क्या बताऊँ दोस्तों मुझे आखिर क्या चिंता होगी, मामी बाथरूम गई और उधर से नहा कर आई, मैं उनको देखते ही रह गया, वो बिना ब्रा के थी, नाइटी में उनकी चूचियाँ और निप्पल साफ़ साफ़ दिख रहा था, बड़ी बड़ी टाइट चुकी हिल रही थी, गजब की माल लग रही थी, मैं उनके चेहरे से नजर नहीं हटा पा रहा था तभी वो बोली ए हेलो कौन सी दुनिया में हो, मैं हड़बड़ा गया, और मेरे मुंह से निकल गया क्या लग रही हो मामी, वो बोली क्याआ?? मैंने कहा नहीं नहीं कुछ भी नहीं,आप ये कहानी आप निऊ हिंदी सेक्स स्टोरिज़ डॉट कॉम पर पड़ रहे है।  वो बोली चलो बोलो क्या बोल मैं बुरा नहीं मानूंगी, तो मैंने कहा नहीं नहीं आपको बुरा लग जायेगा

वो बोली अब नहीं बोलोगे तो बुरा लगेगा, फिर मैंने कहा दिया आप का बूब्स बहौत हॉट लग रहा था मेरी नजर वही थी, तो मामी बोली बस इतनी सी बात, तो मैंने कहा आपके लिए इतनी सी बात है पर मेरे लिए तो ये बहौत बड़ी बात है, तो वो बोली क्यों गर्ल फ्रेंड का नहीं दबाते हो क्या, मैं अवाक् रह गया, मैंने कहा नहीं मामी आज तक मेरी कोई भी गर्ल फ्रेंड नहीं है मैं सिर्फ झूठ बोलता था, मामी बोली इतना दिन से तुम मुझे वेवकूफ बना रहे थे, मैंने कहा नहीं मैं वेवकूफ नहीं बल्कि मैं अपने आप को छुपा रहा था, मामी बोली चलो मैं बताउगी कैसे लड़की पटाते है

फिर क्या था वो एक्टिंग करने लगी, लड़की का और मैं उसको पटाने का, फिर क्या था पहली बार खेल खेल में ही मैंने खूब मेरी जान, आई लव यू, क्या हॉट हो, मैं तुमसे शादी करूँगा, यही सब खूब बोल, फिर क्या था, रात को करीब १२ बज गए थे, एक टाइम ऐसा आया की मैंने मामी को चूम लिया, तो मामी बोली ये गलत है, मैं तो तुम्हारी गर्ल फ्रेंड होने का नाटक कर रही थी, पर तुमने तो मुझे किश कर लिया, तो मैंने कहा मामी आज रात के लिए सिर्फ मेरी फ्रेंड बन जाओ, कल से मेरी मामी ही रहना,

 

मैंने ये सब बोल कर मामी को तैयार कर लिया, मामी बोली अगर ये बात आपके मामा को पता चलेगा तो क्या होगा पता है तुम्हे मैंने कहा उनको पता ही नहीं चलेगा. और फिर मामी मुझे हग कर ली.मैंने उनको चूमने लगा, आप ये कहानी आप निऊ हिंदी सेक्स स्टोरिज़ डॉट कॉम पर पड़ रहे है। फिर धीरे धीरे चुकी दबाने लगा, वो भी कामुक हो गई, और मुझे कस के गले लगा लिया, फिर क्या था

दोस्तों, मैंने उनके एक एक कपडे उतार दिए और बूब्स को मुंह में ले के चूसने लगा, वो मेरे बाल को सहलाने लगी, धीरे धीरे मैंने मामी की पेंटी भी उतार दी, और मामी को लिटा के जीभ से मामी की चूत को चाटने लगा, वो आह आह आह आह उफ़ उफ़ उफ़ उफ़ औच करने लगी, मैंने अपने मामी को काफी गरम कर दिया, वो फिर मुझे कहने लगी अब बर्दास्त नहीं हो रहा है, मुझे चोद दो फिर क्या था दोस्तों मैंने अपना वर्जिन लण्ड निकाला और चूत के ऊपर लण्ड को रख कर अंदर धकेलने लगा. पर अनाड़ी था, सही तरह से जा नहीं रहा था

मामी ने मेरे लण्ड खुद ही अपने चूत के छेद पे लगेगी और धक्का लगने को बोली, क्या बताऊँ दोस्तों, मस्त तरीके से मेरा लण्ड मामी के चूत में दाखिल हुआ, मजा गया, मेरे तो रोम रोम सिहर रहे थे, अंदर बाहर करने लगा, फिर पांच से दस मिनट में ही मामी बहुत ही कामुक हो गई , और मुझे गाली देने लगी, कह रही थी, चोद साले, चोद मुहे फाड़ दे मेरे चूत को, आज मैं तुम्हारी बीवी हु, जैसे मर्जी चोदो, चाहे तो तुम मेरे गांड भी मार सकते हो, ओह्ह्ह इतना सुनकर तो मैं और भी ज्यादा जोश में आ गया और चोदने लगा, जब मैं धक्के लगाता, फच फच की आवाज आ रही थी, कमरे में और हाय हाय की आवाज. एक बार दोनों झड़ गए और फिर से दोनों तैयार भी हो गए.

 

उसके बाद हम दोनों फिर से चोदने लगे. दुबारा आठ दस धक्को के बाद मेरा लंड उनकी चूत के अंदर चला गया। फिर मैंने उनको करीब एक घंटे तक लगातार चोदा वो भी खूब गांड उठा उठा के छुड़वाई और वो इस चुदाई के दौरान करीब चार पांच बार झड़ चुकी थी, उसके बाद फिर से मैंने उनको गांड मारने सुरु किया, वो कह रही थी गांड में दर्द होता है, पर मैं कहा मानने बाला, मैंने गांड भी मारी और अपने वीर्य को उनके चूतड़ पे ही फिर से डाल दिया, ही सो गया

फिर में दूसरी सुबह करीब दस बजे उठा और मामी को मैंने पत्नी जी कहकर उठाया और हम दोनों एक साथ नहाए उसके बाद मैंने कहा गर्ल फ्रेंड से अब शादी करने का टाइम आ गया और मैंने मामी की माँग भरी मंगलसूत्र पहनाया और फिर में बाहर से खाना ले आया तभी नानी का फ़ोन आ गया और बोली की मुझे दो दिन और लगेगा, हम दोनों को ख़ुशी का ठिकाना ना रहा , मैंने मामी को फिर से दिन में चोदने लगा, आप ये कहानी आप निऊ हिंदी सेक्स स्टोरिज़ डॉट कॉम पर पड़ रहे है।

 

और दो दिन तक तो हम दोनों एक दूसरे को खुश करते रहे.अब तो नानी वापस आ गई थी, तब भी चुदाई का सिलसिला जारी रहा, जब भी नानी नहाने जाती, एक बार चोद लेता, जब कभी नानी पार्क में घूमने जाती, तब भी मैं मामी को चोद लेता, इस तरह से दिन में कम से कम दो बार तो चोद ही लेता, अब क्या बताऊँ दोस्तों, मेरी मामी अब मेरे बच्चे का माँ बनने बाली है, मामा को अभी आने में, एक महीने और है, और मामी प्रेग्नेंट है, मुझे और मामी को समझ नहीं आ रहा है क्या किया जाये. 

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16 साल स्टूडेंट को कुतिया बनाकर चोदा - Sex With Student in doggy style

16 साल स्टूडेंट को कुतिया बनाकर चोदा - Sex With Student in doggy style

यह कहानी तब की है जब में 19 साल का था. में गणित विषय में बहुत अच्छा था और हमेशा फर्स्ट आता था. वैसे तो में गर्ल्स में ज़्यादा पॉपुलर नहीं था, लेकिन एक लड़की थी जो मुझ पर बिल्कुल फिदा थी, उसका नाम सपना था और वो मेरी ही क्लास में थी और उसका घर भी मेरी ही कॉलोनी में था. एक दिन वो अपनी माँ के साथ मेरे घर आई थी और जाकर मेरी माँ से कुछ बातें करने लगी. उनके जाने के बाद माँ ने मुझे बताया कि सपना कल से तुझसे गणित पढ़ने आने वाली है तो मैंने कहा कि माँ मुझसे तो पूछ लेते, फिर माँ ने कहा कि अब तो में प्रॉमिस कर चुकी हूँ तो तू पढ़ा देना, में मान गया.

 

अभी तक मुझे पता नहीं था कि वो मुझ पर मरती है, मुझे लगा कि वो तो बस पढ़ना चाहती है. आज वो आने वाली थी और में ये सोचकर पागल हो रहा था कि में उसे कैसे टच करूँगा? ओह सॉरी में आपको सपना के बारे में तो बताना ही भूल गया, उसके पहले में खुद के बारे में बता देता हूँ. में हाईट में नॉर्मल से थोड़ा ज़्यादा हूँ, बाकी बिल्कुल फिट और अच्छी बॉडी बनाई है. अब में आपको सपना के बारे में बताता हूँ. वो बिल्कुल परी के जैसे दिखती है और उसकी हाईट करीब 5 फुट 5 इंच और बिल्कुल गोरी, ब्राउन लम्बे बाल और सुंदर काली आखें, उसका फिगर 35-23-33 है और ये भी बता दूँ कि वो हमारी स्कूल की सबसे सुंदर और हॉट गर्ल्स में से एक है.

 

अब वो घर आई और उसने लॉक किया, तो माँ उसे अंदर लाई और मुझसे कहा कि बेटा जाओं पढाई वाले रूम में जाकर पढ़ लो, में कुछ नाश्ता लाती हूँ. अब मेरे मन में तो लड्डू फुट रहे थे कि वाह माँ ने तो हमें हॉल में पढ़ने की बजाए रूम में भेज दिया. फिर हमने पढ़ाई चालू की और में बिल्कुल मौका गंवाना नहीं चाहता और मैंने बीच-बीच में उसकी तारीफ करना चालू कर दी. मुझे थोड़ा डर लग रहा था कि कहीं अगर इसे बुरा लगा तो मेरी शामत भी आ सकती है, लेकिन अंजाम की किसको फ़िक्र थी. जब एक जवान लड़के के सामने एक जवान लड़की हो और जिसके पीछे उसकी आधी क्लास बैठी हो और वो भी ऐसे टॉप में जिससे उसके बूब्स साफ़ दिखे तो आगे की कौन सोचता है?

 

अब ऐसा कुछ दिन तक चला और फिर मैंने भी नोटीस करना चालू किया कि सपना मुझसे काफ़ी फ्रेंक हो रही है और वो रोजाना पहने जाने वालों कपड़ो में से काफ़ी ज़्यादा सेक्सी और शॉर्ट ड्रेस पहनकर आती थी और उसके गणित में पूछे जाने वाले सवाल भी बहुत सरल होते थे और वो भी ज़्यादा समय इधर उधर की बातों में लगा देती थी, जिसमें अक्सर या तो वो मेरे बारे पूछती थी या क्लास की हॉट गर्ल की बातें करती थी.

 

फिर आया वो मेरी लाईफ का सुनहरा दिन. मेरे मम्मी पापा दो दिन के लिए बाहर गये थे. और वो जब उस दिन आई तो बिल्कुल कातिलाना लग रही थी, मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे कि वो अभी ब्यूटी पार्लर से आई है, उसके खुले-खुले बाल, होंठो पर लाल लिपस्टिक, लाईट ग्रीन कलर का टॉप जो मुझे उसे चोदने के ग्रीन सिग्नल के जैसा लग रहा था और उसकी टाईट जीन्स.

 

फिर जब वो आई तो में तो बिल्कुल पागल होकर उसे देखता ही रहा और फिर में होश में आया और इस बार में उसे अपने बेडरूम में लेकर गया और वो बिना सवाल किए मेरे पीछे चल दी. फिर वहाँ पर हम मेरे बेड पर बैठ गये और में उसके सवाल हल करने लगा, उसका वो पर्फ्यूम मुझे बिल्कुल दीवाना कर रहा था. फिर बीच में अपनी नाक को उसकी गर्दन के बिल्कुल करीब लेकर गया और उसका पर्फ्यूम धीरे-धीरे स्मेल किया और उसे इंप्रेस करने के लिए कहा इज इट यार्डली? तो उसने हाँ कहा. अब में बिल्कुल बेकाबू हो रहा था तो मैंने उससे कहा कि सपना आज पढ़ने का मूड नहीं हो रहा है चलो और कोई बातें करते है तो उसने ओके कहा और फिर हमने बातें शुरू की.

 

फिर मौका देखकर मैंने उससे पूछा कि क्या तुम सचमुच यहाँ सिर्फ़ गणित के लिए आती हो? तो वो थोड़ा हिचकिचाते हुए हाँ बोली. फिर मैंने बोला कि मुझे तो नहीं लगता और उसका हाथ अपने हाथ में ले लिया. फिर में उसके पास जाते हुए उससे बोला कि लेकिन में तो सिर्फ़ तुम्हें पढ़ाने के लिय अपना टाईम नहीं निकालता तो उसने कहा तो क्यों निकालते हो? (अब हम दोनों की सांसे तेज हो गयी थी और अब में उसकी सांसे भी महसूस कर सकता था) फिर मैंने उसका जवाब दिया कि जल्दी ही पता चल जायेगा, क्योंकि आज में वो सब करने वाला हूँ. फिर में अपने लिप बिल्कुल उसके लिप के पास ले आया और इतना पास कि उसकी सांसे मुझे और मेरी उसे महसूस हो जाए. फिर उसने झट से अपनी आखें बंद की और मैंने उसे एक शॉर्ट लिप किस किया, फिर हमने 2 सेकेंड तक एक दूसरे की आँखों में देखा और फिर बिल्कुल पागलों की तरह किस करने लगे.

 

फिर मैंने पहले उसकी गोरी-गोरी गर्दन को किस किया और फिर उसके पूरे चेहरे पर छोटी-छोटी किस ली और फिर उसकी स्ट्रॉबेरी लिपस्टिक को चूसने लगा. अब वो पूरे समय मेरा नाम लेकर आई लव यू बोलती रही और आआआ ऊऊऊ भी करती रही. फिर जब हमने किस करना चालू किया तो में उसके बूब्स भी दबाने लगा.

 

फिर मैंने अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी तो उसने भी मुझे रिप्लाई दिया ओह क्या होंठ थे और क्या बूब्स थे उसके? अब में अपने दोनों हाथों से उसके बूब्स ज़ोर-ज़ोर से दबाने लगा. अब वो आवाज़े निकालकर मेरा जोश बढ़ा रही थी और उसने भी अपना हाथ मेरे अंडरवियर में डाला हुआ था और वो मेरे लंड को ज़ोर-ज़ोर से हिलाने लगी और अब वो मेरे लंड की चमड़ी भी ऊपर नीचे करने लगी थी.

 

फिर मैंने अपनी पेंट और अंडरवियर उतार दी और अब मेरा लंड उसके सामने बिल्कुल खुले सांड की तरह तन के खड़ा था. फिर उसने उसे फिर से बड़े प्यार से छुआ और दो चार बार उसकी चमड़ी ऊपर नीचे करके उसे अपने मुँह में ले लिया और उसे जोर-जोर से चूसने लगी. फिर थोड़ी ही देर बाद मैंने उसका टॉप उतार दिया, उसने अंदर ब्रा नहीं पहनी थी और अब उसके दोनों गोल-गोल पहाड़ से स्तन मेरे सामने थे. फिर मैंने उन पर हमला बोल दिया और तेज़ी से उन्हें दबाने लगा, अब वो भी मेरे लंड के साथ मज़े से खेल रही थी और फिर मैंने उसकी पूरी बॉडी को चाटना शुरू किया, ओह माई गॉड, उसकी पीठ इतनी सुंदर लग रही थी कि मानों रात भर इसे ही चाटता रहूँ और उसकी कमर का तो जवाब ही नहीं और उसके शेव किए हुए पैर भी बहुत मस्त लग रहे थे.

 

फिर उसने कहा कि डार्लिंग मेरी चूत तुम्हारे लंड का इंतज़ार कर रही है और उसकी भी प्यास बुझा दो. फिर मैंने बिना देर किए उसकी जीन्स और पेंटी उतार दी और अब उसकी पेंटी पूरी गीली हो चुकी थी. मैंने उसे अपनी नाक से लगाकर ज़ोर से सूँघा तो सपना बोली कि क्या यार शराब सामने है? और तुम सोडा पी रहे हो, फक मी आकाश, फक मी. फिर मैंने उसकी चूत देखी तो वो बिल्कुल क्लीन शेव की हुई थी और बहुत ही प्यारी लग रही थी.

 

फिर मैंने पूछा कि क्या तुम रोज शेव करती हो? तो उसने कहा कि नहीं आज की है, मुझे पता था कि तुम्हारे मम्मी पापा बाहर गये है, गणित पढ़ने तो में कहीं भी जा सकती थी, लेकिन मुझे तुमसे कुछ और ही चाहिए था और फिर वो शर्मा गयी. फिर मैंने उसकी चूत को चाटना चालू किया. अब मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था आख़िर मेरा फर्स्ट टाईम था और उसका भी फर्स्ट टाईम था और वो भी इतनी हॉट गर्ल के साथ जो बिल्कुल सब मेरे हवाले कर चुकी थी.

 

फिर मैंने उसकी चूत में फिंगरिंग की क्योंकि उसकी चूत बहुत ही टाईट थी और मेरा लंड उसके मुक़ाबले मोटा था. फिर मैंने अपना लंड उसकी चूत के दरवाजे पर रखा और पहले थोड़ा आराम से उसकी चूत के चारों तरफ घुमाने लगा और फिर एक झटके में मैंने अपना आधा लंड उसकी चूत में डाल दिया. वो इतनी ज़ोर से चिल्लाई कि में तो डर गया और फिर वो बोली कि अरे मारोगे क्या? थोड़ा आराम से करो. फिर में थोड़ा झुका और उसको एक प्यारा सा किस किया और उसके होंठो को अपने होंठो से दबा दिया.

 

फिर जोर के झटको में पूरा लंड उसकी चूत में अंदर डाल दिया. इस बार तो वो चिल्ला भी नहीं पाई और अब मुझे बड़ी खुशी थी कि मैंने सपना की सील तोड़ी थी. फिर मैंने उसके होंठो को आज़ाद किया और अब तक तो उसकी आँखों से आंसू निकल गये थे. फिर में अपने लंड को अंदर बाहर करने लगा. मैंने कई ब्लू फिल्म देखी और सेक्स कहानियाँ पढ़ी थी इसलिए मुझे पता था कि लड़कियां कैसे खुश होती है? फिर जब मैंने लंड अंदर बाहर किया तो वो फिर से आआआअ ऊऊऊउ ओओओ की आवाज़े निकालने लगी, इससे मुझे और मज़ा आने लगा और मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी.

 

फिर थोड़ी देर में उसकी आवाज़े और और तेज़ जैसे में बदल गयी और फिर मैंने उसे इस तरह आधे घंटे तक चोदा और फिर में झड़ गया. फिर मैंने अपना लंड बाहर निकाला और उसने उसे चाट कर साफ कर दिया. फिर थोड़ी देर के बाद हमने अपनी पोजिशन बदल कर सेक्स किया और फिर मैंने उसकी गांड भी मारी. उसने बहुत मना किया, लेकिन वो मुझे रोकने की हालत में भी नहीं थी. फिर हम सो गये और जब उठे तो वो घर जाने लगी, लेकिन उसकी हालत चलने की भी नहीं थी. फिर मैंने उसे घर में मूवी देखने का बहाना बनाने को कहा और वो रुक गयी. फिर हम उस दिन नंगे ही रहे और अपनी सभी ख्वाहिश पूरी की. 

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अंकल ने चोदा मुझे अपने गधे जैसा लंड से

दोस्तों मेरे नाम सीमा है एक दिन घंटी बजते ही मैंने दरवाजा खोला तो सामने शर्मा अंकल खड़े थे. उनके साथ एक मस्त खूबसूरत जवान लड़की भी थी. मैं मुस्कराई और बोली आईये न प्लीज अंदर आईये? वे दोनों अंदर आकर बैठ गये. मैं उनके सामने बैठ गयी. इधर उधर की बातें होने लगी.

अंकल ने चोदा मुझे अपने गधे जैसा लंड से

अचानक मेरे मुंह से निकला :- क्या बात है अंकल आजकल तेरा लौड़ा कुछ ज्यादा ही उछाल मार रहा है क्या जो हर दिन कोई न कोई जवान लड़की लिये घूमा करते हो?

 

वह बोला :- अरे सीमा, कहाँ? अब मेरे नसीब में लड़की कहाँ है? जबसे मेरे बाल सफ़ेद हो गये है तब से बहन चोद कोई लड़की लिफ्ट ही नहीं मारती मुझे? लड़की क्या, कोई औऱत भी हरामजादी मेरी तरफ नहीं देखती?

 

मैंने कहा :- जवानी में तो तुमने खूब गुलछर्रे उड़ाये होंगे. सबकी गांड में दम किया होगा तुमने? कोई लड़की नहीं छोड़ी होगी तूने भोषड़ी के तभी तो आजकल कोई लड़की तुम्हे भाव नहीं दे रही है.

 

हमारे दोनों के मुंह से निकली गालियां सुन कर उसकी आँखे खुली की खुली रह गयी. वह सोंच नहीं पा रही थी कि यह अब क्या हो रहा है? कहाँ मैं और कहाँ अंकल? दोनों की उम्र में कितना फर्क और ये गालियां?

 

इतने में अंकल बोला :- यार सीमा ये जुली है मेरे घर में पी जी (पेइंग गेस्ट ) बन कर रह रही है. यहाँ एक डिग्री कॉलेज में पढ़ती है. बड़ी अच्छी और मस्त लड़की है. अच्छे स्वाभाव की है. 21 साल की है कितनी सेक्सी है?

 

मैं इसे बहुत चाहता हूँ.

 

मैं बोली : देखो जुली, शर्मा अंकल और मैं दोनों एक दूसरे को गालियां दे कर ही बातें करते है. न मैं इनकी गालियों का बुरा मानती हूँ और न ये मेरी गालियों का? बल्कि हम दोनों एक दूसरे की गालियाँ एन्जॉय करते है. अंकल भी पहले उसी कॉलेज में पढ़ाते थे जिसमे मैं पढ़ाती हूँ. मैं इनसे सीखा है की कैसे पढ़ाया जाता है? इसीलिए मैं इनके काफी नज़दीक आ गयी और खुल कर बातें करने लगी. एक दिन मेरे मुंह से अनायास गाली निकल पड़ी तब अंकल ने मेरी बड़ी तारीफ की. मुझे इसी तरह बिंदास रहने की सलाह दी. बस उसी दिन से हम दोनों गालियों से ही बात करने लगे. अंकल ने अब कॉलेज छोड़ दिया है. अकेले रहते है. पैसा बहुत है इसलिए आजकल कुछ नहीं करते? बस मस्त घूमा फिरा करते है.

 

अंकल बोला :- अरे सीमा जुली भी मुझसे वैसे ही बात करती है जैसे तुम मुझसे करती हो. ये भी मुझे गालियां सुनाती है और मैं भी इसे गालियां सुनाता हूँ. कभी कभी तो मुझे बड़ा मज़ा आता है इसके साथ सीमा?

 

मैं बोली :- जुली, क्या तुम गालियां दे लती हो? मुझे तो ऐसा नहीं लगता? अगर है तो मुझे भी सुनाओ गालियां? मैं भी सुनूँ की कैसे गालियां देती हो और कौन कौन सी गालियां देती हो?

 

वह बोली :- मादर चोद , बहन चोद, तेरी माँ का भोसड़ा , तेरी बहन की चूत साले गांडू कहीं का हरामी बेटी चोद? झांटू साले, तेरा लण्ड उखाड़ के तेरी गांड में घुसा दूँगी, माँ चोद दूँगी तेरी?

 

बाप रे बाप इतनी गालियां एक ही सांस में? मैं वाकई उसके मुंह से गालियां सुनकर हैरान हो गयी. मैंने कहा :- अंकल अब मैं एक बहुत प्राइवेट सवाल पूंछ रही हूँ तुमसे? तुमने जुली को कभी चोदा? अंकल बोला :- यही तो खास बात है सीमा? मैंने न इसे कभी चोदा और न कभी इसने मुझसे चुदवाने की इच्छा ज़ाहिर की. और न मैंने कभी इससे जबरदस्ती की? मैंने कभी इसके बदन को नहीं छुआ और इसने भी मेरे बदन को कभी नहीं छुआ. मैंने अभी तक उसी लड़की को चोदा है जिसने मुझसे चुदवाने की इच्छा जताई और चुदाने की पहल की? मैं कभी किसी के साथ कोई जबरदस्ती करता ही नहीं. यह बात तुम जानती हो सीमा . मैंने आज तक तुम्हे भी नहीं छुआ कभी? जबकि मैं तुमसे खुल कर बात करता हूँ. गाली गलौज़ का रिस्ता है हमारा तुम्हारा? फिर भी न तुमने मुझे कभी छुआ और न ही मुझे कभी नंगा देखा और न मैंने तुम्हे?

 

मैंने कहा :- हां अंकल यह बात तो है तुम बिलकुल सही कह रहे हो? और सुनो जुली मैं तुम्हे एक बात बताती हूँ. मेरे मन में कई बार आया की मैं एक दिन शर्मा अंकल के सारे कपडे उतार दूं. नंगा कर दूं इन्हे और पकड़ लूं इसका लण्ड? चुदवा लूं इनसे अपनी चूत लेकिन जाने क्यों आज तक कुछ न कर सकी? मेरे दिल की बात दिल में ही रह गयी. इसलिए नहीं की अंकल बूढ़े हो गए है बल्कि इसलिए की अंकल की तरफ कभी कोई पहल नहीं हुई जिसका मुझे आजतक इंतज़ार है. यह सुन कर अंकल की आँखों में आंशू आ गये. वह उठे और मुझे अपनी ओर खींच कर अपनी बाहों में समेट लिया. थोड़ी देर बाद हम दोनों नार्मल हुए? एक दूसरे को माँ बहन की गालियां दी? एक दूसरे की माँ बहन चोदी? और भोसड़ी वाला और भोसड़ी वाली कहा.

 

अंकल बोला :- सीमा अब मैं तुम्हे बताता हूँ की मैं तुम्हारे पास क्यों आया हूँ? वास्तव में जुली तुम्हारे कॉलेज के लड़कों से चुदवाना चाहती है. यार कुछ करो न? कुछ लड़कों से जुली को चुदवा दो प्लीज?

 

मैंने कहा :- आप क्यों नहीं चोद लेते जुली को? ये तो सबसे बढ़िया रहेगा? अंकल बोला :- वह मुझसे नहीं चुदवाना चाहती? वह कहती है की तेरी उम्र 55 साल की गयी है मैं किसी बुढ्ढे से नहीं चुदवाऊँगी? मुझे तो जवान मोटा और कड़क लौड़ा चाहिए? मेरी चूत में जबरदस्त आग है.

 

मैंने कहा :- अच्छा ठीक है. मैं अभी एक लड़के को बुलाती हूँ और जुली की बुर चुदवा देती हूँ, अंकल? मैं चाहती हूँ की तुम भी देखो उसकी चुदाई. मैं तुम्हारे सामने ही इसकी बुर चुदवाऊँगी?

 

अंकल बोला :- यार पहले इस बात के लिए जुली से पूंछ लो. क्या वह मेरा रहना पसंद करेगी?

 

जुली अपने आप बोली :- क्यों नहीं रहोगे भोसड़ी के? मैं तुम्हारे कान पकड़ कर यहीं बैठाऊँगी?

 

यह सुनकर हम सब हंसने लगे. आधे घंटे में एकलड़का आ गया.

 

मैं बोली :- देखो जुली यही है वह लकड़ा जिसकी तुम्हे तलास थी. इसका नाम है विकास लेकिन लोग इसे विकी के नाम से जानते है. जुली ने उसे देखा. विकी एक हट्टा कट्टा नौजवान है. कद 5 11 गोरा चिट्टा चौड़ी छाती और कसरती भुजायें? जुली तो ललचा गयी वह बोली हां मैं तैयार हूँ.

 

मैंने कहा :- ऐसा लौड़ा मिलना ज़रा मुश्किल होता है. मैं इतना बता देती हूँ की मुझे जितने चोदने वाले है उनमे से सबसे बढ़िया लण्ड है इसका? 10 लण्ड पकड़ती हूँ मैं तब कहीं जाकर एक ऐसा लौड़ा मिलता है जैसा विकी का लौड़ा है. मैं तो इसके लण्ड से बेहद मोहब्बत करती हूँ. कहो तो मैं इसके लण्ड का साईज़ बता दूं तुम्हे, जुली?

 

वह बोली :- नहीं दीदी मुझे न बताओ लण्ड का साईज़, नहीं तो मज़ा किरकिरा हो जायेगा. मैं खुद लौड़े की नाप ले लूंगी. मैं इसके लण्ड का साईज़ खुद एन्जॉय करना चाहती हूँ.

 

तब तक मैंने व्हिस्की का इंतज़ाम कर लिया था. हम सब ड्रिंक्स में बिजी हो गये. शराब पीते पीते हम लोग लण्ड बुर चूत गांड चूंची आदि की ही बातें करते रहे. माहौल बिलकुल सेक्सी हो गया. मेरी चूत गरम होने लगी. जुली की बुर में तो आग पहले से ही लगी हुई थी. विकी का लण्ड अंदर ही अंदर टन टना रहा है यह मैं जानती हूँ. शर्मा अंकल के लण्ड का क्या हाल यह मैं नहीं कह सकती?

 

इतने में दो दो पैग शराब सबने पी ली. नशा खूब चढ़ने लगा. जुली तो विकी के पास आकर बैठ गयी और उसके गले में अपनी बाहें डाल दी. उसकी चुम्मी लेने लगी. विकी भी उसे खूब चूमने लगा. इसके बाद विकी ने एक एक करके जुली के कपडे उतारने लगा. उसकी जब चूंचियां खुली तो विकी का लौड़ा पागल हो उठा. क्या मस्त और सख्त चूंचियां है तेरी जुली. यह बात विकी के मुंह से निकली तो जुली बोली अरे माँ के लौड़े देखते जाओ मेरी चूत भी बड़ी सख्त है? तेरे लण्ड की गांड फट जायेगी, उसकी माँ चुद जायेगी मुझे चोदने में? उधर जुली भी विकी के कपडे उतारने में जुटी थी. तब तक इधर विकी ने जुली की चूत खोल कर सबको दिखा दी. अंकल भी पहली बार जुली को बिलकुल निः वस्त्र देख रहा था.

 

वह बोला :- हाय सीमा जुली तो वाकई बड़ी खूबसूरत है. इसकी चूंची और चूत दोनों ही बड़ी सेक्सी है.

 

मैं बोली :- क्या तेरी भी लार टपक रही है मादर चोद अंकल? क्या तेरे लण्ड में भी हरकत होने लगी है.

 

अचानक जुली ने विकी को पूरा नंगा कर दिया और उसका लौड़ा हाथ में थाम लिया. उसने सबसे पहले लण्ड को कई बार चूमा. उसका सुपाड़ा अपनी जबान से चाटा और पेल्हड़ सहलाये. बिना झांट का चिकना लौड़ा और बड़ा लग रहा था.

 

थोड़ी देर बाद जुली बोली :- सीमा दीदी लण्ड तो 9 का है. मोटा भी मादर चोद 4 से ज्यादा ही होगा? मेरी चूत फाड़ डालने की ताकत है इसमें? फिर जुली लण्ड अंकल को दिखाती हुई बोली ले देख भोसड़ी के अंकल लौड़ा इसे कहते है? मैं इसीलिए कहती थी की मुझे बुड्ढे लण्ड बिलकुल नहीं पसंद है. मुझे जवान लण्ड चाहिए जैसा विकी का लण्ड है. जुली ऐसा कह कर लण्ड पीने लगी.

 

उधर विकी भी घूम कर उसकी चूत चाटने लगा. मैं यह सब देख कर और गरम हो गयी. मेरी चूत उबलने लगी. मेरी चूंचियां फड़कने लगी. मेरी गांड फुदकने लगी. मेरे मन में आया अब इस समय मेरे पास केवल अंकल का ही लौड़ा है. क्यों न आज इसे खोल कर देख ही लिया जाये? बस मैं आगे बढ़ी और अंकल के गले में अपनी बाहें डाल दी.

 

अंकल भी आगे बढ़ा और उसने मेरे गाल चूमे. होंठ चूमे, मेरा माथा चूमा और मुझे कस कर अपनी ओर खींच लिया. वह मेरे स्तन मेरे ब्लाउज़ के ऊपर से मसलने लगा. मेरे चूतड़ों पर हाथ फेरने लगा. मैं भी उसकी पीठ सहला रही थी. इतने में उसने मेरे ब्लाउज़ की चिटकिनी खोल दी. ब्लाउज़ के गिरते ही मेरी छोटी सी ब्रा से बड़े बड़े स्तन झांकने लगे. अंकल ने बड़े प्यार से दोनों चूंचियों को चूमा. मेरी मस्ती बढ़ने लगी. फिर धीरे से उसने ब्रा भी पीछे से खोल दी. ब्रा खुलते ही मेरी दोनों चूंचियां नंगी हो गयी. अंकल की आंखों की चमक बढ़ गयी.

 

वह बोला :- वाओ, कितनी प्यारी और बड़ी बड़ी मस्त चूंचियां है तेरी सीमा? आज मैं बड़ा लकी हूँ. बर्षों से मैं इन चूंचियों को छूने के लिए तरसता रहा? आज मन की मुराद पूरी हो रही है. तुम बहुत सुन्दर हो सीमा?

 

मैं सोंचने लगी की मुझे अब तक चोदने वाले बहुत मिले है लेकिन आज कोई मुझे दिल से चाहने वाला मिल गया है. मैं और उसकी तरफ सिमटती चली गयी. अंकल ने फिर धीरे से मेरे पेटीकोट का नाडा भी खींच लिया. पेटीकोट गिर गया नीचे और मैं नंगी नंगी ही खड़ी रही अंकल के आगे. अंकल ने मेरी चूत पर हाथ रखा उसे सहलाया. मेरे नंगे चूतड़ों को फिर सहलाया और मेरी गांड का ज़ायज़ा लिया.

 

अंकल बोला :- वाओ, सीमा तुम अंदर से भी बहुत खूबसूरत हो. कितना प्यारा जिस्म है तेरा? वो लोग वाकई बड़े लकी रहें है जिन्होंने तेरे जिस्म का मज़ा लूटा? आज मैं अपने आप को लकी समझ रहा हूँ.

 

रव्ची अंकल मेरी चूंची के बीच मुंह डाल कर मुझे चूमने लगी. मैंने फिर उसकी कमीज उतारी. बनियाइन खोल डाली. उसकी चौड़ी छाती देखी, बलिष्ठ भुजायें देखी. उसके छाती के बाल तो मेरी जान लेने लगे. इतने सेक्सी छाती के बाल बहुत कम मर्दों के होते है. मैं बालों पर ऊँगलियाँ फिराने लगी. मैं वाकई मस्त हो रही थी. मेरी आग भोसड़ी की बढती जा रही थी. फिर मैंने उसकी पैंट उतार दी. उसकी चड्ढी के ऊपर से लण्ड का उभार देख कर तो मेरी गांड फटने लगी. मैंने उस उभार पर अपना हाथ रखा तो वह और सख्त हो गया. मेरी उत्सुकता बढ़ने लगी. अंकल खड़े थे और मैं घुटनो के बल नीचे बैठी थी.मैंने दोनों हाथ से चड्ढी नीचे घसीट दी. मेरे घसीटते ही लण्ड टन्न से मेरे गाल में लगा.मुझे लगा जैसे किसी ने एक थप्पड़ जड़ दिया मेरे गाल पर? मेरी जब निगाह लण्ड पर पड़ी तो मेरी वाकई गांड फट गयी.

 

मेरे मुंह से निकला :- बाप रे बाप? इतना बड़ा लण्ड? इतना मोटा लण्ड की मेरी एक मुठ्ठी में नहीं आ पा रहा है. इतना गज़ब का सुपाड़ा? इतना चिकना और गुब्बाड़ा जैसे सुपाड़ा? और इतना सख्त जैसे लोहे का कोई रॉड हो? मैं तो एकदम हैरान हो गयी. मैंने उसे दोनों हाथों से ४/५ बार ऊपर नीचे किया और और टन्ना उठा लण्ड? तब तक मेरी नज़र सामने पड़े एक इंची टेप पर पड़ी. मैंने उसे उठाकर लण्ड नापना शुरू किया. मैं चिला पड़ी अरे अंकल का लौड़ा ९" का है और मोटा बहन चोद ६"? मेरी बात सुन कर जुली विकी का लण्ड छोड़ कर मेरे पास आ गयी. उसने भी अंकल का लण्ड दोनों हाथों से पकड़ा और चारों तरफ से बड़े गौर से देखा.

 

वह बोली :- हाय अंकल तेरा लौड़ा तो बहुत बड़ा है , घोड़े का लंड है की गधे का लंड है? मैं तो कभी सोच भी नहीं सकती थी?

 

मैं बोली :- अंकल तुमने मुझे कभी बताया नहीं की तेरा लौड़ा इतना बड़ा है?

 

अंकल बोला :- मैं भला अपनी चीज की तारीफ खुद कैसे करता?

 

जुली बोली :- अरे तो भोसड़ी के कभी चुपके से दिखा होता मुझे अपना लण्ड? दीदी मैं सच बताऊँ मुझे क्या मालूम था की -- "लौड़ा इतना बड़ा होता है"

 

मैं बोली :- अरी मेरी बुर चोदी जुली मुझे भी नहीं मालूम था की अंकल का लौड़ा इतना बड़ा होगा?

 

मैंने कहा :- अंकल मुझे माफ़ कर दो प्लीज़. मैंने आपके लण्ड की कभी कोई अहमियत नहीं समझी? मैंने बहुत बड़ी भूल की?

 

मैं अभी तक बिना मतलब ही छोटे मोटे लण्ड से चुदवाती रही? असली लण्ड का मज़ा तो मैंने कभी लिया ही नहीं? जुली बोली :- हां अंकल मुझे भी माफ़ कर दो प्लीज. मैं हमेशा तेरे लण्ड की मजाक उड़ाती रही. बड़ी बेज्जती की है मैंने तेरे लण्ड की अंकल? ऐसा लण्ड न मैंने कभी देखा है और न आगे देखूँगी?.

 

हम लोग ये बातें कर ही रही थी की अचानक डोर बेज बज उठी. मैंने एक चादर ओढ़ी और दरवाजा खोला. सामने ममता आंटी खड़ी थी. मैंने उसे अंदर किया और दरवाजा बंद करके अपनी चादर वहीँ गिरा दी. मैं एकदम नंगी नंगी उसके सामने खड़ी हो गई. वह बोली हाय दईया -- तुम क्या किसी से चुदवा रही हो?

 

मैंने बोली :- हां आंटी आओ न अंदर आओ तुमसे क्या छुपाना? तुम तो मेरे बारे में सब कुछ जानती हो.

 

मैं उसे अंदर लेकर आ गयी. आंटी ने शर्मा अंकल को देखा तो वह बोली :- हाय राम ये यहाँ तुझे चोद रहा है? इसके लण्ड से बच कर रहना? बहुत भारी है इसका भोसड़ी का लण्ड? शर्मा का लण्ड बहुत बड़ा है.

 

मैंने कहा :- तो आंटी क्या तुम इससे चुदवा चुकी हो?

 

वह बोली :- चुदवा चुकी नही हूँ. मैं अभी भी चुदवाती हूँ. इसके लण्ड का पूरा मज़ा लेती हूँ. इसके लण्ड के अलावा मुझे औऱ कोई लण्ड पसंद आता ही नहीं? मेरा भोसड़ा ऐसे ही लण्ड पसंद करता है.

 

जुली बोली :- आंटी क्या इस उम्र में भी इतना बड़ा मोटा और कड़क लौड़ा होता है?

 

आंटी बोली :- अरी मेरी भोसड़ी की जुली, लौड़ा कभी बुड्ढा नहीं होता? देखो मैं आज भी 70 साल के आदमी से चुद्वाती हूँ. और उसका लौड़ा तुम्हारे विकी के लौड़े से बड़ा भी है मोटा भी और कड़क भी है. बड़ा मस्त चोदता है. किसी दिन तुम चुदवा के देखना , तुम्हारी चूत का भोसड़ा ना बना दे तो कहना?

 

जुली बोली :- अरे आंटी , उससे चुदवाने में तो मेरी चूत ही फट जायेगी.

 

आंटी बोली :- तू बहन बहन चोद फिर गलती कर रही है. देख मेरी रानी जुली चूत कभी फटती नहीं हां फ़ैल जरुर जाती है. ऐसा भोसड़ी का कोई लौड़ा नहीं तो तेरी चूत में घुस न सके. तेरी चूत बड़ी गहरी और ताकतवर है. उसके बाद आंटी ने कहा सीमा अब तुम मेरे सामने शर्मा अंकल से चुदाओ. मैं तेरी चुदाई देखूँगी. वास्तव में मैं तेरी चुदाई देखने ही आयी हूँ. यहाँ आकर जुली की भी चुदाई देखने को मिलेगी मुझे. 

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छोटे भाई के मोटे लंड का स्वाद चखा और अपनी प्यासी चूत की प्यास शांत की

छोटे भाई के मोटे लंड का स्वाद चखा और अपनी प्यासी चूत की प्यास शांत की

मेरा छोटा भाई अजय दसवी मैं पढ़ता है वह गोरा चिट्टा और करीब मेरे ही बराबर लम्बा भी है । मैं इस समय १९ की हूँ और वह १५ का । मुझे भैय्या के गुलाबी होंठ बहूत प्यारे लगते हैं । दिल करता है कि बस चबा लूं । पापा गल्फ़ में है और माँ गवर्नमेंट जोब में । माँ जब जोब की वजह से कहीं बाहर जाती तो घर मैं बस हम दो भाई बहन ही रह जाते थे । मेरे भाई का नाम अजय है और वह मुझे दीदी कहता है ।

 

एक बार मान कुछ दिनों के लिये बाहर गयी थी । उनकी इलेक्शन ड्यूटी लग गयी थी । माँ को एक हफ़्ते बाद आना था । रात मैं डिनर के बाद कुछ देर टी वी देखा फ़िर अपने-अपने कमरे मैं सोने के लिये चले गये।करीब एक आध घण्टे बाद प्यास लगने की वजह से मेरी नींद खुल गयी । अपनी सीधे टेबल पर बोटल देखा तो वह खाली थी । मैं उठ कर किचन मैं पानी पीने गयी तो लौटते समय देखा कि अजय के कमरे की लाइट ओन थी और दरवाज़ा भी थोड़ा सा खुला था । मुझे लगा कि शायद वह लाइट ओफ़ करना भूल गया है मैं ही बन्द कर देती हूँ ।

 

मैं चुपके से उसके कमरे में गयी लेकिन अन्दर का नजारा देखकर मैं हैरान हो गयी ।अजय एक हाथ मैं कोई किताब पकड़ कर उसे पढ़ रहा था और दूसरा हाथ से अपने तने हुए लण्ड को पकड़ कर मुठ मार रहा था । मैं कभी सोच भी नहीं सकती थी कि इतना मासूम लगने वाला दसवी का यह छोकरा ऐसा भी कर सकता है । मैं दम साधे चुपचाप खड़ी उसकी हरकत देखती रही, लेकिन शायद उसे मेरी उपस्थिति का आभास हो गया । उसने मेरी तरफ़ मुँह फेरा और दरवाजे पर मुझे खड़ा देखकर चौंक गया। वह बस मुझे देखता रहा और कुछ भी ना बोल पाया ।

 

फिर उसने मुँह फ़ेर कर किताब तकिये के नीचे छुपा दी । मुझे भी समझ ना आया कि क्या करूं । मेरे दिल मैं यह ख्याल आया कि कल से यह लड़का मुझसे शर्मायेगा और बात करने से भी कतरायेगा । घर मैं इसके अलावा और कोई है भी नहीं जिससे मेरा मन बहलता । मुझे अपने दिन याद आये। मैं और मेरा एक कज़िन इसी उमर के थे जब से हमने मज़ा लेना शुरू किया था तो इसमें कौन सी बड़ी बात थी अगर यह मुठ मार रहा था ।मैं धीरे-धीरे उसके पास गयी और उसके कंधे पर हाथ रखकर उसके पास ही बैठ गयी। वह चुपचाप लेटा रहा ।

 

मैंने उसके कंधो को दबाते हुई कहा, "अरे अजय, अगर यही करना था तो कम से कम दरवाज़ा तो बन्द कर लिया होता" । वह कुछ नहीं बोला, बस मुँह दूसरी तरफ़ किये लेटा रहा । मैंने अपने हाथों से उसका मुँह अपनी तरफ़ किया और बोली "अभी से ये मज़ा लेना शुरू कर दिया। कोई बात नहीं मैं जाती हूँ तो अपना मज़ा पूरा कर ले। लेकिन जरा यह किताब तो दिखा। मैंने तकिये के नीचे से किताब निकाल ली। यह हिन्दी मैं लिखे मस्तराम की किताब थी। मेरा कज़िन भी बहूत सी मस्तराम की किताबें लाता था और हम दोनों ही मजे लेने के लिये साथ-साथ पढ़ते थे।

 

चुदाई के समय किताब के डायलोग बोल कर एक दूसरे का जोश बढ़ाते थे।जब मैं किताब उसे देकर बाहर जाने के लिये उठी तो वह पहली बार बोला, "दीदी सारा मज़ा तो आपने खराब कर दिया, अब क्या मज़ा करुंगा।"अरे! अगर तुमने दरवाज़ा बन्द किया होता तो मैं आती ही नहीं।"और अगर आपने देख लिया था तो चुपचाप चली जाती। अगर मैं बहस मैं जीतना चाहती तो आसानी से जीत जाती लेकिन मेरा वह कज़िन करीब ६ मंथ्स से नहीं आया था इसलिये मैं भी किसी से मज़ा लेना चाहती ही थी।

 

अजय मेरा छोटा भाई था और बहूत ही सेक्सी लगता था इसलिये मैंने सोचा कि अगर घर में ही मज़ा मिल जाये तो बाहर जाने की क्या जरूरत? फिर अजय का लौड़ा अभी कुंवारा था। मैं कुँवारे लण्ड का मज़ा पहली बार लेती, इसलिये मैंने कहा, "चल अगर मैंने तेरा मज़ा खराब किया है तो मैं ही तेरा मज़ा वापस कर देती हूँ। फिर मैं पलंग पर बैठ गयी और उसे चित लिटाया और उसके मुर्झाये लण्ड को अपनी मुट्ठी में लिया। उसने बचने की कोशिश की पर मैंने लण्ड को पकड़ लिया था।

 

अब मेरे भाई को यकीन हो चुका था कि मैं उसका राज नहीं खोलूंगी, इसलिये उसने अपनी टांगे खोल दी ताकि मैं उसका लण्ड ठीक से पकड़ सकूँ। मैंने उसके लण्ड को बहूत हिलाया-डूलाया लेकिन वह खड़ा ही नहीं हुआ। वह बड़ी मायूसी के साथ बोला "देखा दीदी अब खड़ा ही नहीं हो रहा है।"अरे! क्या बात करते हो? अभी तुमने अपनी बहन का कमाल कहाँ देखा है। मैं अभी अपने प्यारे भाई का लण्ड खड़ा कर दूंगी। ऐसा कह मैं भी उसके बगल में ही लेट गयी।

 

मैं उसका लण्ड सहलाने लगी और उससे किताब पढ़ने को कहा। "दीदी मुझे शर्म आती है। "साले अपना लण्ड बहन के हाथ में देते शर्म नहीं आयी। मैंने ताना मारते हुए कहा "ला मैं पढ़ती हूँ। और मैंने उसके हाथ से किताब ले ली । मैंने एक स्टोरी निकाली जिसमे भाई बहन के डायलोग थे। और उससे कहा, "मैं लड़की वाला बोलूँगी और तुम लड़के वाला। मैंने पहले पढ़ा, "अरे राजा मेरी चूचियों का रस तो बहूत पी लिया अब अपना बनाना शेक भी तो टेस्ट कराओ" ।"अभी लो रानी पर मैं डरता हूँ इसलियेकि मेरा लण्ड बहूत बड़ा है, तुम्हारी नाजुक कसी चूत में कैसे जायेगा?और इतना पढ़कर हम दोनों ही मुस्करा दिये क्योंकि यह हालत बिलकुल उलटे थे। मैं उसकी बड़ी बहन थी और मेरी चूत बड़ी थी और उसका लण्ड छोटा था। वह शर्मा गया लेकिन थोड़ी सी पढ़ायी के बाद ही उसके लण्ड मैं जान भर गयी और वह तन कर करीब ६ इँच का लम्बा और १५ । इँच का मोटा हो गया।

 

मैंने उसके हाथ से किताब लेकर कहा, "अब इस किताब की कोई जरूरत नहीं । देख अब तेरा खड़ा हो गया है । तो बस दिल मैं सोच ले कि तू किसी की चोद रहा है और मैं तेरी मु्ठ मार देती हूँ" ।मैं अब उसके लण्ड की मु्ठ मार रही थी और वह मज़ा ले रहा था । बीच बीच मैं सिस्कारियां भी भरता था । एकाएक उसने चूतड़ उठा कर लण्ड ऊपर की ओर ठेला और बोला, "बस दीदी" और उसके लण्ड ने गाढ़ा पानी फेंक दिया जो मेरी हथेली पर गिरा । मैं उसके लण्ड के रस को उसके लण्ड पर लगाती उसी तरह सहलाती रही और कहा, "क्यों भय्या मज़ा आया""सच दीदी बहूत मज़ा आया" । "अच्छा यह बता कि ख़्यालों मैं किसकी ले रहे थे?" "दीदी शर्म आती है । बाद मैं बताऊँगा" ।

 

इतना कह उसने तकिये मैं मुँह छुपा लिया ।"अच्छा चल अब सो जा नींद अच्छी आयेगी । और आगे से जब ये करना हो तो दरवाज़ा बन्द कर लिया करना" । "अब क्या करना दरवाज़ा बन्द करके दीदी तुमने तो सब देख ही लिया है" ।"चल शैतान कहीं के" । मैंने उसके गाल पर हलकी सी चपत मारी और उसके होंठों को चूमा । मैं और किस करना चाहती थी पर आगे के लिये छोड़ कर वापस अपने कमरे में आ गयी । अपनी सलवार कमीज उतार कर नाइटी पहनने लगी तो देखा कि मेरी पैंटी बुरी तरह भीगी हुयी है ।

 

अजय के लण्ड का पानी निकालते-निकालते मेरी चूत ने भी पानी छोड़ दिया था । अपना हाथ पैंटी मैं डालकर अपनी चूत सहलाने लगी ऊंगलियों का स्पर्श पाकर मेरी चूत फ़िर से सिसकने लगी और मेरा पूरा हाथ गीला हो गया । चूत की आग बुझाने का कोई रास्ता नहीं था सिवा अपनी उँगली के । मैं बेड पर लेट गयी । अजय के लण्ड के साथ खेलने से मैं बहूत एक्साइटिड थी और अपनी प्यास बुझाने के लिये अपनी बीच वाली उँगली जड़ तक चूत मैं डाल दी ।

 

तकिये को सीने से कसकर भींचा और जान्घों के बीच दूसरा तकीया दबा आंखे बन्द की और अजय के लण्ड को याद करके उँगली अन्दर बाहर करने लगी । इतनी मस्ती चढ़ी थी कि क्या बताये, मन कर रहा था कि अभी जाकर अजय का लण्ड अपनी चूत मैं डलवा ले । उँगली से चूत की प्यास और बढ़ गयी इसलिये उँगली निकाल तकिये को चूत के ऊपर दबा औन्धे मुँह लेट कर धक्के लगाने लगी । बहुत देर बाद चूत ने पानी छोड़ा और मैं वैसे ही सो गयी ।सुबह उठी तो पूरा बदन अनबुझी प्यास की वजह से सुलग रहा था । लाख रगड़ लो तकिये पर लेकिन चूत मैं लण्ड घुसकर जो मज़ा देता है उसका कहना ही क्या । बेड पर लेटे हुए मैं सोचती रही कि अजय के कुँवारे लण्ड को कैसे अपनी चूत का रास्ता दिखाया जाये । फिर उठ कर तैयार हुयी । अजय भी स्कूल जाने को तैयार था ।

 

नाश्ते की टेबल हम दोनों आमने-सामने थे । नजरें मिलते ही रात की याद ताजा हो गयी और हम दोनों मुस्करा दिये । अजय मुझसे कुछ शर्मा रहा था कि कहीं मैं उसे छेड़ ना दूँ । मुझे लगा कि अगर अभी कुछ बोलूँगी तो वह बिदक जायेगा इसलिये चाहते हुई भी ना बोली । चलते समय मैंने कहा, "चलो आज तुम्हे अपने स्कूटर पर स्कूल छोड़ दूँ" । वह फ़ौरन तैयार हो गया और मेरे पीछे बैठ गया । वह थोड़ा सकुचाता हुआ मुझसे अलग बैठा था । वह पीछे की स्टेपनी पकड़े था ।

 

मैंने स्पीड से स्कूटर चलाया तो उसका बैलेंस बिगड़ गया और सम्भालने के लिये उसने मेरी कमर पकड़ ली । मैं बोली, "कसकर पकड़ लो शर्मा क्यों रहे हो?""अच्छा दीदी" और उसने मुझे कसकर कमर से पकड़ लिया और मुझसे चिपक सा गया । उसका लण्ड खड़ा हो गया था और वह अपनी जान्घों के बीच मेरे चूतड़ को जकड़े था ।"क्या रात वाली बात याद आ रही है अजय ""दीदी रात की तो बात ही मत करो । कहीं ऐसा ना हो कि मैं स्कूल मैं भी शुरू हो जाऊँ" । "अच्छा तो बहूत मज़ा आया रात में""हाँ दीदी इतना मज़ा जिन्दगी मैं कभी नहीं आया । काश कल की रात कभी खत्म ना होती । आपके जाने के/की बाद मेरा फ़िर खड़ा हो गया था पर आपके हाथ मैं जो बात थी वो कहाँ । ऐसे ही सो गया" ।"तो मुझे बुला लिया होता । अब तो हम तुम दोस्त हैं । एक दूसरा के काम आ सकते हैं" ।"

 

तो फ़िर दीदी आज राख का प्रोग्राम पक्का" ।"चल हट केवल अपने बारे मैं ही सोचता है । ये नहीं पूछता कि मेरी हालत कैसी है? मुझे तो किसी चीज़ की जरूरत नहीं है? चल मैं आज नहीं आती तेरे पास।"अरे आप तो नाराज हो गयी दीदी । आप जैसा कहेंगी वैसा ही करुंगा । मुझे तो कुछ भी पता नहीं अब आप ही को मुझे सब सिखाना होगा" ।तब तक उसका स्कूल आ गया था । मैंने स्कूटर रोका और वह उतरने के बाद मुझे देखने लगा लेकिन मैं उस पर नज़र डाले बगैर आगे चल दी ।

 

स्कूटर के शीशे मैं देखा कि वह मायूस सा स्कूल में जा रहा है । मैं मन ही मन बहूत खुश हुयी कि चलो अपने दिल की बात का इशारा तो उसे दे ही दिया ।शाम को मैं अपने कालेज से जल्दी ही वापस आ गयी थी । अजय २ बजे वापस आया तो मुझे घर पर देखकर हैरान रह गया । मुझे लेटा देखकर बोला, "दीदी आपकी तबीयत तो ठीक है?" "ठीक ही समझो, तुम बताओ कुछ होमवर्क मिला है क्या" "दीदी कल सण्डे है ही । वैसे कल रात का काफी होमवर्क बचा हुआ है" ।

 

मैंने हंसी दबाते हुए कहा, "क्यों पूरा तो करवा दिया था । वैसे भी तुमको यह सब नहीं करना चाहिये । सेहत पर असर पढ़ता है । कोई लड़की पटा लो, आजकल की लड़कियाँ भी इस काम मैं काफी इंटेरेस्टेड रहती हैं" । "दीदी आप तो ऐसे कह रही हैं जैसे लड़कियाँ मेरे लिये सलवार नीचे और कमीज ऊपर किये तैयार है कि आओ पैंट खोलकर मेरी ले लो" । "नहीं ऐसी बात नहीं है । लड़की पटानी आनी चाहिये" ।फिर मैं उठ कर नाश्ता बनाने लगी । मन मैं सोच रही थी कि कैसे इस कुँवारे लण्ड को लड़की पटा कर चोदना सिखाऊँ? लंच टेबल पर उससे पूछा, "अच्छा यह बता तेरी किसी लड़की से दोस्ती है?""हाँ दीदी सुधा से" ।"कहाँ तक""बस बातें करते हैं और स्कूल मैं साथ ही बैठते हैं" ।

 

मैंने सीधी बात करने के लिये कहा, "कभी उसकी लेने का मन करता है?""दीदी आप कैसी बात करती हैं" । वह शर्मा गया तो मैं बोली, "इसमे शर्माने की क्या बात है । मुट्ठी तो तो रोज मारता है । ख़्यालों मैं कभी सुधा की ली है या नहीं सच बता" । "लेकिन दीदी ख़्यालों मैं लेने से क्या होता है" । "तो इसका मतलब है कि तो उसकी असल में लेना चाहता है" । मैंने कहा ।"उससे ज्यादा तो और एक है जिसकी मैं लेना चाहता हूँ, जो मुझे बहूत ही अच्छी लगती है" । "जिसकी कल रात ख़्यालों मैं ली थी" उसने सर हिलाकर हाँ कर दिया पर मेरे बार-बार पूछने पर भी उसने नाम नहीं बताया । इतना जरूर कहा कि उसकी चूदाई कर लेने के बाद ही उसका नाम सबसे पहले मुझे बतायेगा ।

 

मैंने ज्यादा नहीं पूछा क्योंकि मेरी चूत फ़िर से गीली होने लगी थी । मैं चाहती थी कि इससे पहले कि मेरी चूत लण्ड के लिये बेचैन हो वह खुद मेरी चूत मैं अपना लण्ड डालने के लिये गिड़गिड़ाये। मैं चाहती थी कि वह लण्ड हाथ में लेकर मेरी मिन्नत करे कि दीदी बस एक बार चोदने दो । मेरा दिमाग ठीक से काम नहीं कर रहा था इसलिये बोली, "अच्छा चल कपड़े बदल कर आ मैं भी बदलती हूँ" ।वह अपनी यूनीफोर्म चेंज करने गया और मैंने भी प्लान के मुताबिक अपनी सलवार कमीज उतार दी । फिर ब्रा और पैंटी भी उतार दी क्योंकि पटाने के मदमस्त मौके पर ये दिक्कत करते ।

 

अपना देसी पेटीकोट और ढीला ब्लाउज़ ही ऐसे मौके पर सही रहते हैं । जब बिस्तर पर लेटो तो पेटीकोट अपने/अपनी आप आसानी से घुटने तक आ जाता है और थोड़ी कोशिश से ही और ऊपर आ जाता है । जहाँ तक ढीलें ब्लाउज़ का सवाल है तो थोड़ा सा झुको तो सारा माल छलक कर बाहर आ जाता है । बस यही सोच कर मैंने पेटीकोट और ब्लाउज़ पहना था ।वह सिर्फ़ पायजामा और बनियान पहनकर आ गया । उसका गोरा चित्त चिकना बदन मदमस्त करने वाला लग रहा था । एकाएक मुझे एक आइडिया आया । मैं बोली, "मेरी कमर मैं थोड़ा दर्द हो रहा है जरा बाम लगा दे" ।

 

यह बेड पर लेटने का पर्फेक्ट बहाना था और मैं बिस्तर पर पेट के बल लेट गयी । मैंने पेटीकोट थोड़ा ढीला बांधा था इस लिये लेटते ही वह नीचे खिसक गया और मेरी बीच की दरार दिखाये देने लगी । लेटते ही मैंने हाथ भी ऊपर कर लिये जिससे ब्लाउज़ भी ऊपर हो गया और उसे मालिश करने के लिये ज्यादा जगह मिल गयी । वह मेरे पास बैठ कर मेरी कमर पर (आयोडेक्स पैन बाम) लगाकर धीरे धीरे मालिश करने लगा । उसका स्पर्श (तच) बड़ा ही सेक्सी था और मेरे पूरे बदन में सिहरन सी दौड़ गयी । थोड़ी देर बाद मैंने करवट लेकर अजय की और मुँह कर लिया और उसकी जान्घ पर हाथ रखकर ठीक से बैठने को कहा । करवट लेने से मेरी चूचियों ब्लाउज़ के ऊपर से आधी से ज्यादा बाहर निकाल आयी थी । उसकी जान्घ पर हाथ रखे रखे ही मैंने पहले की बात आगे बढ़ाई, "तुझे पता है कि लड़की कैसे पटाया जाता है?""अरे दीदी अभी तो मैं बच्चा हूँ । यह सब आप बतायेंगी तब मालूम होगा मुझे" ।

 

आयोडेक्स लगने के दौरान मेरा ब्लाउज़ ऊपर खींच गया था जिसकी वजह से मेरी गोलाइयाँ नीचे से भी झांक रही थी । मैंने देखा कि वह एकटक मेरी चूचियों को घूर रहा है । उसके कहने के अन्दाज से भी मालूम हो गया कि वह इस सिलसिले मैं ज्यादा बात करना चाह रहा है।"अरे यार लड़की पटाने के लिये पहले ऊपर ऊपर से हाथ फेरना पड़ता है, ये मालूम करने के लिये कि वह बूरा तो नहीं मानेगी" । "पर कैसे दीदी" । उसने पूछा और अपने पैर ऊपर किये ।

 

मैंने थोड़ा खिसक कर उसके लिये जगह बनायी और कहा, "देख जब लड़की से हाथ मिलाओ तो उसको ज्यादा देर तक पकड़ कर रखो, देखो कब तक नहीं छुटाती है । और जब पीछे से उसकी आँख बन्द कर के पूछों कि मैं कौन हूँ तो अपना केला धीरे से उसके पीछे लगा दो । जब कान मैं कुछ बोलो तो अपना गाल उसके गाल पर रगड़ दो । वो अगर इन सब बातों का बूरा नहीं मानती तो आगे की सोचों" ।अजय बड़े ध्यान से सुन रहा था । वह बोला, "दीदी सुधा तो इन सब का कोई बूरा नहीं मानती जबकि मैंने कभी ये सोच कर नहीं किया था । कभी कभी तो उसकी कमर मैं हाथ डाल देता हूँ पर वह कुछ नहीं कहती" । "तब तो यार छोकरी तैयार है और अब तो उसके साथ दूसरा खेल शुरू कर" ।

 

"कौन सा दीदी" "बातों वाला । यानी कभी उसके सन्तरो की तारीफ करके देख क्या कहती है । अगर मुस्करा कर बूरा मानती है तो समझ ले कि पटाने मैं ज्यादा देर नहीं लगेगी" ।"पर दीदी उसके तो बहुत छोटे-छोटे सन्तरे हैं । तारीफ के काबिल तो आपके है" । वह बोला और शर्मा कर मुँह छुपा लिया । मुझे तो इसी घड़ी का इंतजार था । मैंने उसका चेहरा पकड़ कर अपनी और घूमते हुए कहा, "मैं तुझे लड़की पटाना सीखा रही हूँ और तो मुझी पर नजरें जमाये है" ।"नहीं दीदी सच मैं आपकी चूचियों बहूत प्यारी है । बहुत दिल करता है" । और उसने मेरी कमर मैं एक हाथ डाल दिया ।

 

"अरे क्या करने को दिल करता है ये तो बता" । मैंने इठला कर पूछा ।"इनको सहलाने का और इनका रस पीने का" । अब उसके हौसले बुलन्द हो चुके थे और उसे यकीन था कि अब मैं उसकी बात का बूरा नहीं मानूँगी । "तो कल रात बोलता । तेरी मुठ मारते हुए इनको तेरे मुँह मैं लगा देती । मेरा कुछ घिस तो नहीं जाता । चल आज जब तेरी मुठ मारूंगी तो उस वक्त अपनी मुराद पूरी कर लेना" । इतना कह उसके पायजामा मैं हाथ डालकर उसका लण्ड पकड़ लिया जो पूरी तरह से तन गया था । "अरे ये तो अभी से तैयार है" ।तभी वह आगे को झुका और अपना चेहरा मेरे सीने मैं छुपा लिया ।

 

मैंने उसको बांहों मैं भरकर अपने करीब लिटा लिया और कस के दबा लिया । ऐसा करने से मेरी चूत उसके लण्ड पर दबने लगी । उसने भी मेरी गर्दन मैं हाथ डाल मुझे दबा लिया । तभी मुझे लगा कि वो ब्लाउज़ के ऊपर से ही मेरी लेफ़्ट चूचींयाँ को चूस रहा है । मैंने उससे कहा "अरे ये क्या कर रहा है? मेरा ब्लाउज़ खराब हो जायेगा" ।उसने झट से मेरा ब्लाउज़ ऊपर किया और निप्पल मुँह मैं लेकर चूसना शुरू कर दिया। मैं उसकी हिम्मत की दाद दिये बगैर नहीं रह सकी ।

 

वह मेरे साथ पूरी तरह से आजाद हो गया था । अब यह मेरे ऊपर था कि मैं उसको कितनी आजादी देती हूँ । अगर मैं उसे आगे कुछ करने देती तो इसका मतलब था कि मैं ज्यादा बेकरार हूँ चुदवाने के लिये और अगर उसे मना करती तो उसका मूड़ खराब हो जाता और शायद फ़िर वह मुझसे बात भी ना करे । इस लिये मैंने बीच का रास्ता लिया और बनावटी गुस्से से बोली, "अरे ये क्या तो तो जबरदस्ती करने लगा । तुझे शर्म नहीं आती" ।"ओह्ह दीदी आपने तो कहा था कि मेरा ब्लाउज़ मत खराब कर । रस पीने को तो मना नहीं किया था इसलिये मैंने ब्लाउज़ को ऊपर उठा दिया" । उसकी नज़र मेरी लेफ़्ट चूचींयाँ पर ही थी जो कि ब्लाउज़ से बाहर थी । वह अपने को और नहीं रोक सका और फ़िर से मेरी चूचींयाँ को मुँह मैं ले ली और चूसने लगा ।

 

मुझे भी मज़ा आ रहा था और मेरी प्यास बढ़ रही थी । कुछ देर बाद मैंने जबरदस्ती उसका मुँह लेफ़्ट चूचींयाँ से हटाया और राइट चूचींयाँ की तरफ़ लेते हुए बोली, "अरे साले ये दो होती हैं और दोनों मैं बराबर का मज़ा होता है" ।उसने राइट मम्मे को भी ब्लाउज़ से बाहर किया और उसका निप्पल मुँह मैं लेकर चुभलाने लगा और साथ ही एक हाथ से वह मेरी लेफ़्ट चूचींयाँ को सहलाने लगा । कुछ देर बाद मेरा मन उसके गुलाबी होंठों को चूमने को करने लगा तो मैंने उससे कहा, "कभी किसी को किस किया है?" "नहीं दीदी पर सुना है कि इसमें बहूत मज़ा आता है" । "बिल्कुल ठीक सुना है पर किस ठीक से करना आना चाहिये" ।कैसे"उसने पूछा और मेरी चूचींयाँ से मुँह हटा लिया ।

 

अब मेरी दोनों चूचियों ब्लाउज़ से आजाद खुली हवा मैं तनी थी लेकिन मैंने उन्हे छिपाया नहीं बल्कि अपना मुँह उसकेउसकी मुँह के पास लेजा कर अपने होंठ उसके होंठ पर रख दिये फ़िर धीरे से अपने होंठ से उसके होंठ खोलकर उन्हे प्यार से चूसने लगी । करीब दो मिनट तक उसके होंठ चूसती रही फ़िर बोली ।"ऐसे" ।वह बहूत एक्साइटिड हो गया था । इससे पहले कि मैं उसे बोलूँ कि वह भी एक बार किस करने की प्रक्टीस कर ले, वह खुद ही बोला, "दीदी मैं भी करूं आपको एक बार" "कर ले" । मैंने मुस्कराते हुए कहा ।अजय ने मेरी ही स्टाइल मैं मुझे किस किया ।

 

मेरे होंठों को चूसते समय उसका सीना मेरे सीने पर आकर दबाव डाल रहा था जिससे मेरी मस्ती दो गुणी हो गयी थी । उसका किस खत्म करने के बाद मैंने उसे अपने ऊपर से हटाया और बांहों मैं लेकर फ़िर से उसके होंठ चूसने लगी । इस बार मैं थोड़ा ज्यादा जोश से उसे चूस रही थी । उसने मेरी एक चूचींयाँ पकड़ ली थी और उसे कस कसकर दबा रहा था ।

 

मैंने अपनी कमर आगे करके चूत उसके लण्ड पर दबायी । लण्ड तो एकदम तन कर आयरन रोड हो गया था । चुदवाने का एकदम सही मौका था पर मैं चाहती थी कि वह मुझसे चोदने के लिये भीख माँगें और मैं उस पर एहसान करके उसे चोदने की इजाजत दूँ ।मैं बोली, "चल अब बहूत हो गया, ला अब तेरी मुठ मार दूँ" । "दीदी एक रिक्वेस्ट करूँ" "क्या" मैंने पूछा । "लेकिन रिक्वेस्ट ऐसी होनी चाहिये कि मुझे बुरा ना लगे" ।

 

ऐसा लग रहा था कि वह मेरी बात ही नहीं सुन रहा है बस अपनी कहे जा रहा है । वह बोला, "दीदी मैंने सुना है कि अन्दर डालने मैं बहूत मज़ा आता है । डालने वाले को भी और डलवाने वाले को भी । मैं भी एक बार अन्दर डालना चाहता हूँ" ।"नहीं अजय तुम मेरे छोटे भाई हो और मैं तुम्हारी बड़ी बहन" । "दीदी मैं आपकी लूँगा नहीं बस अन्दर डालने दीजिये" । "अरे यार तो फ़िर लेने मैं क्या बचा" । "दीदी बस अन्दर डालकर देखूँगा कि कैसा लगता है, चोदूंगा नहीं प्लीज़ दीदी" ।मैंने उस पर एहसान करते हुए कहा, "तुम मेरे भाई हो इसलिये मैं तुम्हारी बात को मना नहीं कर सकती पर मेरी एक सर्त है ।

 

तुमको बताना होगा कि अकसर ख़्यालों मैं किसकी चोदते हो?" और मैं बेड पर पैर फैला कर चित लेट गयी और उसे घुटने के बल अपने ऊपर बैठने को कहा । वह बैठा तो उसके पायजामा के ज़र्बन्द को खोलकर पायजामा नीचे कर दिया । उसका लण्ड तन कर खड़ा था । मैंने उसकी बांह पकड़ कर उसे अपने ऊपर कोहनी के बल लिटा लिया जिससे उसका पूरा वज़न उसके घुटने और कोहनी पर आ गया । वह अब और नहीं रूक सकता था । उसने मेरी एक चूचींयाँ को मुँह मैं भर लिया जो की ब्लाउज़ से बाहर थी । मैं उसे अभी और छेड़ना चाहती थी । सुन अजय ब्लाउज़ ऊपर होने से चुभ रहा है ।

 

ऐसा कर इसको नीचे करके मेरे सन्तरे धाप दे" । "नहीं दीदी मैं इसे खोल देता हूँ" । और उसने ब्लाउज़ के बटन खोल दिये। अब मेरी दोनों चुचियां पूरी नंगी थी । उसने लपक कर दोनों को कब्जे मैं कर लिया । अब एक चूचींयाँ उसके मुँह मैं थी और दूसरी को वह मसल रहा था । वह मेरी चूचियों का मज़ा लेने लगा और मैंने अपना पेटीकोट ऊपर करके उसके लण्ड को हाथ से पकड़ कर अपनी गीली चूत पर रगड़ना शुरू कर दिया । कुछ देर बाद लण्ड को चूत के मुँह पर रखकर बोली, "ले अब तेरे चाकू को अपने ख़रबूज़े पर रख दिया है पर अन्दर आने से पहले उसका नाम बता जिसकी तो बहूत दिन से चोदना चाहता है और जिसे याद करके मुठ मारता है" । वह मेरी चूचियों को पकड़ कर मेरे ऊपर झुक गया और अपने होंठ मेरे होंठ पर रख दिये । मैं भी अपना मुँह खोलकर उसके होंठ चूसने लगी । कुछ देर बाद मैंने कहा, "हाँ तो मेरे प्यारे भाई अब बता तेरे सपनों की रानी कौन है" ।

 

"दीदी आप बुरा मत मानियेगा पर मैंने आज तक जितनी भी मुठ मारी है सिर्फ़ आपको ख़्यालों मैं रखकर" ।"हाय भय्या तो कितना बेशर्म है । अपनी बड़ी बहन के बारे मैं ऐसा सोचता था" । "ओह्ह दीदी मैं क्या करूं आप बहूत खूबसूरत और सेक्सी है । मैं तो कब से आपकी चूचियों का रस पीना चाहता था और आपकी चूत मैं लण्ड डालना चाहता था । आज दिल की आरजू पूरी हुयी" । और फ़िर उसने शर्मा कर आंखे बन्द करके धीरे से अपना लण्ड मेरी चूत मैं डाला और वादे के मुताबिक चुपचाप लेट गया ।"अरे तो मुझे इतना चाहता है । मैंने तो कभी सोचा भी नहीं था कि घर मैं ही एक लण्ड मेरे लिये तड़प रहा है । पहले बोला होता तो पहले ही तुझे मौका दे देती" ।

 

और मैंने धीरे-धीरे उसकी पीठ सहलानी शुरू कर दी । बीच-बीच मैं उसकी गाँड भी दबा देती ।"दीदी मेरी किस्मत देखिये कितनी झान्टू है । जिस चूत के लिये तड़प रहा था उसी चूत में लण्ड पड़ा है पर चोद नहीं सकता । पर फ़िर भी लग रहा है की स्वर्ग मैं हूँ" । वह खुल कर लण्ड चूत बोल रहा था पर मैंने बूरा नहीं माना । "अच्छा दीदी अब वादे के मुताबिक बाहर निकालता हूँ" । और वह लण्ड बाहर निकालने को तैयार हुआ ।

 

मैं तो सोच रही थी कि वह अब चूत मैं लण्ड का धक्का लगाना शुरू करेगा लेकिन यह तो ठीक उलटा कर रहा था । मुझे उस पर बड़ी दया आयी । साथ ही अच्छा भी लगा कि वादे का पक्का है । अब मेरा फ़र्ज़ बनता था कि मैं उसकी वफादारी का इनाम अपनी चूत चुदवाकर दूँ । इस लिये उससे बोली, "अरे यार तूने मेरी चूत की अपने ख़्यालों में इतनी पूजा की है । और तुमने अपना वादा भी निभाया इसलिये मैं अपने प्यारे भाई का दिल नहीं तोड़ूँगी ।

 

चल अगर तो अपनी बहन को चोद्कर बहनचोद बनना ही चाहता है तो चोद ले अपनी जवान बड़ी बहन की चूत" । मैंने जान कर इतने गन्दे वर्ड्स उसे कहे थे पर वह बूरा ना मान कर खुश होता हुआ बोला, "सच दीदी" । और फ़ौरन मेरी चूत मैं अपना लण्ड धका धक पेलने लगा कि कहीं मैं अपना इरादा ना बदल दूँ ।"तू बहुत किस्मत वाला है अजय " ।

 

मैं उसके कुँवारे लण्ड की चूदाई का मज़ा लेते हुए बोली । क्यों दीदी" "अरे यार तू अपनी जिन्दगी की पहली चूदाई अपनी ही बहन की कर रहा है । और उसी बहन की जिसकी तू जाने कबसे चोदना चाहता था" ।"हाँ दीदी मुझे तो अब भी यकीन नहीं आ रहा है, लगता है सपने में चोद रहा हूँ जैसे रोज आपको चोदता था" । 

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