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मम्मी चुद गई पापा के कर्जे की वजह से

पापा के सर के ऊपर उतना कर्ज हो गया था की एक एक बाल हजार रूपये में बेचते फिर भी वो कर्जदार ही रहते. उनका अपना मेडिकल स्टोर था लेकिन उनको शेर ट्रेडिंग की उतनी बुरी लत लग गई की उन्होंने सब गवां दिया. फिर डूबे हुए पैसे निकालने के लिए और ट्रेडिंग! और फिर कर्ज ले के भी डूबे हुए पैसे निकालने की जहमत. लेकिन जुए का एक असूल हे की जो जीतता हे उसे कोई हरा नहीं सकता. और जो डूबता हे उसे कोई बचा नहीं सकता. पापा संभले तब तक हमारा घर गिरवी था और अपने घर में रहने का हम किराया दे रहे थे.

 

मेडिकल स्टोर की जगह पर भी कपडे का शो रूम खुल गया. पापा को कुछ और काम तो आता नहीं था. वो शराब के आदि हो गए और कर्जदारों से बचने के लिए कभी गोरखपुर मामा के वहां तो कभी लखनऊ बुआ के वहां भाग जाते थे. लेकिन मम्मी कहा जाती. मम्मी को तो मुझे और मेरी छोटी बहन शालिनी को पालना था. घर को चलाने के लिए वो लोगों के कपडे सिलाई कर देती थी. और कर्जदार मम्मी को ऐसी ऐसी गन्दी गालियाँ देते थे जैसे की कान में एसिड डाला हो.

 

पापा घर पर ना हो तो कभी कभी वो लोग पापा के इंतज़ार में घंटो घर में बैठे रहते थे. मम्मी को कुछ दो तिन बन्दे तो रंडी छिनाल कह के बुलाते थे. मन तो करता था की केंची को गले में डाल के उसे खोल दूँ. पर मैं छोटा था और मम्मी ने वैसे भी हमें कसम दी थी की पापा के कर्जदारों के सामने कभी हम लोग बात ही ना करें!

 

एक दिन की बात हे रशीद खान अपने दो आदमियों के साथ शाम को घर पर आया. पापा घर पर नहीं थे. रशीद का सूद पर पैसे देने का काम हे और हमारा घर उसके पास ही गिरवी हे. रशीद ने आके मम्मी को कहा,

 

रशीद: और निम्मी कैसी हो, कहा गया वो भडवा विनीत?

 

मम्मी: जी वो घर पर नहीं हे?

 

मम्मी ये कहते हुए एकदम घबराई हुई थी. रशीद ने अपने आदमियों से कहा, जाओ बे यहाँ क्या खड़े हो सालो. देखो कही इधर उधर दब के तो बैठा नहीं हे हरामी, साला डेढ़ महीने से दूकान पर आया ही नहीं.

 

मम्मी: रशीद भाई वो नहीं हे घर पर, दो दिन हुए आये ही नहीं!

 

रशीद: वो तो मेरे आदमी देख लेंगे, आप कैसी हो ये बताओ?

 

और ये कह के वो मेरी मम्मी को ऊपर से निचे तक देखने लगा. फिर बोला: हरामी विनीत ने आप को दुखी कर दिया? हमारा भी पैसा लगा हे उसके ऊपर इसलिए आना पड़ता हे. अब दो महीने होने को हे मकान का किराया भी नहीं दिया उसने. लास्ट टाइम आप का मंगलसूत्र दे के गया हे और अब पता नहीं क्या देगा. पैसे दे के हमें जैसे भिखारी बना दिया हे उसने, कुछ भी हमारी झोली में डाल देता हे.

 

मम्मी की आँखे नम हो गई और वो बोली: वो ऐसे नहीं हे रशीद भाई, पता नहीं इस शेर ट्रेडिंग को किस अभागे ने उन्हें सिखा दिया. मेरे बच्चो की हाय लगेगी!

 

रशीद: हाय तो हमें ही लग रही हे, पैसे दे के सूद लेने के लिए भी आना पड़ता हे. वो तो उसका दोस्त इमरान साथ में आया था इसलिए मैंने पैसे दे दिए. वरना मैं देता ही नहीं.

 

रशीद के आदमी बहार आये सब जगह देख के.

 

एक आदमी: रशीद भाई कही भी नहीं हे?

 

रशीद: बाथरूम संडास देखा?

 

दूसरा: हां वो साला यहाँ हे ही नहीं.

 

मम्मी: रशीद भाई वो आयेंगे तब मैं आप के पास भेज दूंगी.

 

रशीद ने अपने आदमियों से कहा: तुम लोग दिलावर खान के पास जाओ वो पैसे दे देगा मेरी फ़ोन पर बात हुई हे.

 

उन्के जाते ही वो बोला: निम्मी भाभी आप एक काम करो ये मकान खाली कर दो इस हफ्ते में. मेरे बहुत पैसे लगे हे और मैं आप को यहाँ नहीं रहने दे सकता!

 

मम्मी के पैरों के निचे से जमीन ही खिसक गई! उसकी आँखों नम थी और उसने अपने दोनों हाथो को रशीद के सामने जोड़ा.

 

मम्मी: रशीद भाई रहम कीजिये, उन्के पापो की सजा मेरे बच्चो को ना दे. वो कहा भटकेन्गे हमारे साथ. मेरे पापा मम्मी भी गुजर गए हे इसलिए मइके भी नहीं ले के जा सकती हूँ! मैं अपनी सिलाई की कमाई से पैसे चुकाउंगी आप के.

 

रशीद: निम्मी, उसका कर्जा तुम्हारे सिलाई के काम से चुकाने के लिए मुझे और तुम को एक एक हजार साल जीना होगा!

 

मम्मी के आंसू अब बहार आ गए थे. वो अपनी ओढनी से आंसू पोंछने लगी और दुपट्टा उसकी छाती से हटा तो रशीद की नजरें वहां पड़ी. कुत्ते के जैसे उसके मुहं में पानी आ गया. उसने मम्मी को कहा: वैसे एक काम कर के आप अपना घर बचा सकती हो?

 

मम्मी: हां हां बोलिए क्या?

 

रशीद: बुरा मत मानना लेकिन आप की खूबसूरती का मैं पहले से ही कायल हूँ और मुझे आप पहले दिन से ही बहुत पसंद हे. इमरान तो ठीक मैंने कर्जा आप के लिए ही दिया था आप के पति को, लेकिन वो एक नम्बर का भडवा निकला. साला अपनी इतनी सुंदर बीवी और खुबसुरत बच्चो की भी फ़िक्र नहीं हे.

 

फिर वो मम्मी के पास आया और उसके हाथ को देख के बोला, पूरा दिन कपडे सी सी के तुम्हारे हाथ भी अकड गए हे निम्मी!

 

मम्मी थोडा पीछे हटी लेकिन रशीद उसके और पास आ गया. मम्मी का हाथ उसने नहीं छोड़ा.

 

मम्मी: क्या कर रहे हो आप?

 

रशीद: कुछ नहीं तुम्हारी सुन्दरता के बारे में बता रहा था.

 

मम्मी: रशीद भाई ये गलत हे!

 

रशीद: तो फिर घर खाली कर दो. और खाली नहीं करना हे तो मैं हफ्ते में एकाद बार आऊं तो मेरी हो जाओ. मैं सूद मुद्दल कुछ नहीं मागुंगा, जब पैसे आये तब किराया देना. मैं जोर नहीं करूँगा और मेरा कोई आदमी भी लेनदारी के लिए यहाँ नहीं आएगा!

 

मम्मी ने इधर उधर देखा. मैं खिड़की के बहार था वहां उसकी नजर नहीं आई.

 

मम्मी: रशीद भाई मैं बदनाम हो जाउंगी!

 

रशीद: कुछ पता नहीं चलेगा किसी को निम्मी, मुझे मेरे बच्चो की कसम. तुम मेरी रखेल बन के मेरे इस घर में रहो. ऊपर से पैसे की जरूरत हुई तो मैं पैसे दे के जाऊँगा. तुम्हारे हाथ सच में एकदम हार्ड हो गए हे. तुम्हारे जैसी पढ़ी लिखी औरत संघर्ष करे वो मैं नहीं देख सकता.

 

मम्मी एक पल के लिए कुछ नहीं बोल पाई. उसके गले में शायद आवाज घूंट गई थी. फिर वो बोली: मैं अपने पति को धोखा कैसे दूँ?

 

रशीद: जब उसने सब कुछ लुटाने के वक्त कुछ नहीं सोचा फिर तुम इतना इमोशनल क्यूँ होती हो. उसने रईस बनने के लिए तुम्हे इस दलदल में फेंक दिया. और आज भी वो तुम लोगो की हिफाजत करने के बदले कही भाग गया. क्या एक पति की जिमेदारी नहीं हे की अपने परिवार की देखभाल करे? शराब पी के किसी कौने में उसे तो नींद आती हे लेकिन तुम्हारा क्या मेरी जान? तुम्हे सब सहना पड़ता हे.

 

मम्मी कुछ नहीं बोली. रशीद ने दरवाजे के पास जा के स्कक्ल लगा दी. वो वापस मम्मी के पास आया तो मम्मी बदल गई थी. अब वो अपनी इज्जत रशीद को देने के लिए रेडी थी. रशीद ने मम्मी को बाहों में ले लिया और वो उसके बूब्स दबाने लगा. फिर उसने मम्मी की साडी को जल्दी से उतार दिया. मम्मी का पेटीकोट और ब्लाउज उसके सामने था. मम्मी को बहुत शर्म आ रही थी और वो अपना मुहं घुमा के रशीद की आँखों से बाख रही थी. रशीद ने मम्मी के होंठो के ऊपर अपने पानवाले लाल होंठो को लगा दिया. मम्मी उस से लिपट गई. रशीद ने माँ को किस करते हुए उसका नाडा खोल दिया. माँ का पेटीकोट जमीन पर गिरा और रशीद ने अपने दोनों हाथ को मम्मी की बड़ी गांड के ऊपर रख दिया.

 

मम्मी ने रशीद की कमर के दोनों तरफ अपने हाथ को रखा. रशीद ने मम्मी के ब्लाउज के बटन खोले. कुछ पलों में वो भी जमीन पर था. अंदर कोई ब्रा पेंटी नहीं थी. एक मिनिट के भीतर ही मम्मी को पूरी नंगी कर दिया था इस खान ने.

 

मम्मी की चूत को देख के रशीद की आँखों में अलग ही चमक आ गई. वो बोला, वाह निम्मी क्या मस्त बुर हे तेरा तो! कसम से मैं सब कर्ज माफ़ कर दूंगा अगर ये मुझे मिलता रहेगा.

 

मम्मी ने उसे पकड़ के अपनी तरफ खिंच लिया. अब मम्मी के अन्दर की अन्तर्वासना भी जाग गई थी शायद. बहुत टाइम से पापा के साथ सोयी नहीं थी वो.

 

रशीद ने अपने लहंगे के नाड़े को खोला और उसे निकाला. फिर उसकी चड्डी को माँ ने ही निचे की. रशीद का कटा हुआ लंड बाहर आ गया. वो पूरा 8 इंच का लोडा था जिसके अन्दर एक चमक सी थी. माँ ने उसे हाथ में ले के हिलाया. रशीद ने मम्मी के सामने अपने कुर्ता भी उतार दिया और बनियान निकाली. मम्मी के सामने वो पूरा नंगा हुआ और उसका लंड एकदम कडक खड़ा हुआ था. मम्मी कुछ कहती उसके पहले तो उसने उसे कंधे से पकड़ के निचे बिठा दिया और अपने लंड को उसके मुहं में दे दिया.

 

मम्मी को लंड चुसना नहीं आता था. उसने आधे से ज्यादा लंड को हाथ में लिया था और सिर्फ सुपाडे को किस कर रही थी.

 

रशीद ने कहा, निम्मी अन्दर लो ना इसे मुहं के.

 

मम्मी को फिर भी चुसना नहीं आया तो रशीद ने अपने हाथ से लंड को पकड़ के माँ के मुहं में डाला. लंड घुसते ही माँ की हालत खराब हो गई. उसने लंड को मुहं से निकाला और उसका जी मचलने लगा था. वो वोमिट कर गई.

 

रशीद: पहले चूसा नहीं हे किसी का?

 

मम्मी: नहीं.

 

रशीद मन ही मन खुश हुआ की माल फ्रेश हे!

 

उसने मम्मी को कहा, कोई बता नहीं सिख जाओगी मेरे साथ रह रह के. फिर तो किसी ने बुर भी नहीं चाटा होगा तुम्हारा?

 

मम्मी ने ना में अपना मुंडा हिलाया. रशीद ने माँ की दोनों टांगो को पूरा खोला, ऐसे की माँ की चूत का छेद उसे दिखे. और फिर उसने सेंटर के ऊपर ही अपनी जबान को लगा दी. मम्मी के बदन में जैसे की करंट लगा. वो ह्ह्ह्हह्ह अह्ह्ह कर के उठने को हुई. रशीद ने माँ की दोनों जांघो के ऊपर हाथ रखा और वो चूत को चाटने लगा. मम्मी को अलग ही फिलिंग हो रही थी. कुछ देर पहले अबला नारी थी और अभी वो सेक्स की देवी के जैसे, अह्ह्ह्ह रशीद अह्ह्ह्हह जोर से अह्ह्ह्ह मजा आ गया करने लगी थी!

 

रशीद ने भी अपनी पूरी जबान को माँ के छेद में फिट कर दिया था और वो और भी जोर जोर से चूसने लगा. माँ के अन्दर अलग ही आग आ गई थी. उसने रशीद के माथे को अपनी चूत के ऊपर दबा के खूब चटवाया! रशीद के पास वो आर्ट थी जिस से एक औरत के अन्दर की अन्तर्वासना को पूरा भड़काया जा सके!

 

फिर रशीद ने अपने लंड के ऊपर थूंक लगाया और मम्मी की चूत के ऊपर रख दिया. माँ ने अपनी मुठ्ठी में लंड को पकड़ के थूंक को पूरा घिस दिया डंडे के ऊपर. फिर माँ ने अपने दोनो लेग्स को हवा में किया और लंड को चूत में डलवा लिया. रशीद का पूरा 8 इंच का लंड मम्मी की चूत में आराम से घुस गया. शायद चूत चाटने की वजह से वो एकदम गीली हो गई थी. और लंड बिना किसी परेशानी के चूत के अन्दर घुस गया था. मम्मी को लिपट के रशीद अब झटके देने लगा था. मम्मी भी जोर जोर से उछल रही थी अपनी मरवाने के लिए.

 

रशीद ने अब मम्मी के बूब्स को अपने मुहं में भर लिए. वो निपल्स को चूस चूस के मम्मी की चूत को चोद रहा था. मम्मी को 10 मिनट चोद के फिर रशीद ने अपना सब माल उसकी चूत में निकाला.

 

वो खड़े हो के कपडे पहन रहा था. मम्मी ने भी अपना पेटीकोट लेटे हुए ही पहन लिया. रशीद ने अपने कुरते की जेब से 2000 का नोट निकाला और मम्मी को दिया और बोला, अगले मंगल को आऊंगा, अपनी चूत के ऊपर के बाल निकाल के रखना बहुत चाटूंगा. आज दिलावर के वहां जाना हे वरना जाता नहीं ऐसे छोड़ के!

  

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बेटी ने देखी मम्मी पापा की चुदाई

मेरा नाम सीमा है, इस वक़्त मेरी उम्र 24 साल की है। मेरा फिगर साईज 36-27-34 है और मेरे बूब्स का शेप गोल-गोल है, लेकिन थोड़े से बड़े होने की वजह से थोड़े नीचे की तरफ झुके हुए है, में 34D साईज की ब्रा पहनती हूँ, जिससे मेरे बूब्स ब्रा के अंदर टाईट हो जाते है और ज़्यादा नहीं हिलते है, लेकिन मेरी खुले गले वाली शर्ट से मेरे बूब्स की घाटी देखकर सबका दिल हरा-हरा (गार्डन-गार्डन) हो जाता है। दोस्तों मैंने अपनी मम्मी को पापा से सेक्स करते देखा।

 

पापा उस समय मम्मी की चूत चाट रहे थे। फिर पापा ने मम्मी की चूत के होंठो को चूसना बंद कर दिया और मम्मी ने भी उनके लंड को चूसना बंद कर दिया था। तब मम्मी ने कहा कि जल्दी करो। तब पापा ने अलमारी से तेल की शीशी उठाकर उसका ढक्कन खोला और उसको अपने लंड की तरफ झुका दिया। अब तेल की शीशी से तेल निकलकर पापा के मोटे, लम्बे, काले लंड पर गिरने लगा था और अब मम्मी अपना हाथ आगे करके उनके लंड पर तेल मालिश करने लगी थी। अब पापा का लंड पत्थर की तरह सख़्त हो चुका था और बहुत ही टाईट हो चुका था।

 

फिर पापा ने तेल की शीशी को मम्मी की चूत के ऊपर की तरफ कर दिया, तो शीशी से तेल की धार निकलकर मम्मी की चूत में जाने लगी थी। अब मम्मी ने अपनी उंगली से तेल को अपनी चूत में करना चालू कर दिया था।

 

फिर पापा ने मम्मी की दोनों टांगे फैलाई और उनकी दोनों टांगो के बीच में जाकर बैठ गये और अपना लंड सेट करके मम्मी की चूत के मुँह पर रख दिया। तब मम्मी के मुँह से आअहह, ऑश की मीठी आवाज निकल गयी। फिर पापा ने धीरे से अपने लंड से एक झटका मारा तो उनका लगभग आधा लंड मम्मी की चूत में अंदर तक धँस गया था। तब मम्मी के मुँह से आआहह की आवाज आई, लेकिन साफ-साफ़ पता लग रहा था कि यह दर्द की आवाज नहीं है, यह तो मजे लेने की आवाज थी। तब पापा ने मम्मी से पूछा कि क्यों मेरी रानी मज़ा आया? तो तब मम्मी बोली कि हाँ मेरे राज़ा, मेरे चोदू राजा पूरा अंदर डालो ना, मज़ा तो पूरा तभी आएगा जब तुम्हारा गधे जैसा मूसल लंड मेरी चूत में अंदर बच्चेदानी तक ठोकर मारेगा, मेरी चूत की प्यास तो तभी बुझती है।

 

तब पापा ने कहा कि लो मेरी रानी, अभी लो में तुम्हारी प्यासी चूत की प्यास बुझाता हूँ, लो मेरा पूरा लंड लो और यह कहकर मेरे पापा ने मेरी मम्मी की चूत में एक जोरदार धक्का मारा। अब इस बार मेरे पापा का मूसल लंड जड़ तक मम्मी की चूत में घुस गया था। फिर पापा ने मम्मी के दोनों बूब्स को अपने दोनों हाथों में लेकर ज़ोर से दबाया।

 

फिर जैसे मम्मी के बूब्स में से संतरों जैसे रस निकालना चाहते हो तो तब मम्मी के मुँह में से आवाज़ें निकली आआअहह मेरे राजा, यह हुई ना मर्दों वाली बात, आआआ, अब रूको मत, ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारो पूरी स्पीड से जैसे एक कुत्ता अपनी कुत्ती को चोदता है, वैसे ही चोदो, मेरे दिल के राज़ा, फाड़ दो मेरी इस प्यारी चूत को, अयाया, वूऊव, हाए, आह, ऐसे ही, ऐसे ही, मारो मेरी चूत, मारो मेरे राज़ा। फिर पापा ने ज़ोर-ज़ोर से मम्मी की चुदाई करनी आरंभ कर दी। अब मेरी चूत में भी बुरी तरह से खुजली हो रही थी। अब में चाह रही थी कि कोई पापा की तरह मेरे भी बूब्स दबाए और मेरी चूत में अपना लूंबा मूसल लंड डालकर मजे दे अआह्ह्ह अब मेरी उंगलियाँ मेरी चूत की तरफ चली गयी थी।

 

अब मेरा एक हाथ मेरे दोनों बूब्स को बारी-बारी से दबाने लगा था। अब मेरी साँसें और तेज-तेज चलने लगी थी। अब मेरे मुँह से सिसकियाँ निकलने लगी थी अयाया, आअहह। अब में ऐसा महसूस कर रही थी जैसे मेरी चूत में मेरे पापा का मोटा लंड अंदर जा रहा हो। अब मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया था। अब मेरी उंगलियाँ तेज़ी से मेरी चूत में अंदर बाहर फिसलने लगी थी। अब मुझे ऐसा करने में बहुत मज़ा आ रहा था, में महसूस कर सकती थी कि किसी लड़की को पहली बार अपनी चूत में उंगली करते हुए जब झड़ती है तो किस तरह का मज़ा आता है? आअहह, में बयान नहीं कर सकती कि किस तरह का मजा आता है, शायद कोई लड़का या आदमी यह महसूस नहीं कर सकता सिर्फ़ एक लड़की ही इस मजे को महसूस कर सकती है।

 

अब उधर पापा ने मम्मी की चूत में धक्के मार-मारकर मम्मी की टागों को थका दिया था। तब मम्मी बोली कि बस करो, अब तुम्हारा है की झड़ने का नाम नहीं ले रहा है और मेरी टांगे थककर चूर हो गयी है, प्लीज और पोज़िशन में चुदाई कर लो, में बहुत थक गयी हूँ। तब पापा ने काहा कि जो हुकम मेरी रानी, लेकिम पहले एक बार तुम मेरे मजेदार लॉलीपोप को चूस तो लो और यह कहकर पापा ने मेरी मम्मी की चूत में से अपना लंड बाहर निकाला तो में देखकर दंग रह गयी आआहह, उनका लंड जब अंदर गया था तो इतना मोटा और लंबा नहीं था और जब बाहर आया तो और भी मोटा, लम्बा और काला लग रहा था। अब पापा अपने घुटनों के बल बैठ गये थे और फिर मम्मी ने उनके लंड को अपने दोनों हाथों में पकड़ लिया और गप-गप की आवाज से अपने मुँह में डाल लिया था और बहुत ही प्यार से चूसने लगी थी। दोस्तों ये कहानी आप कामुकता डॉट कॉम पर पड़ रहे है।

 

पापा का लंड उनके दोनों हाथों से लगभग 6 इंच बाहर होगा, यानी उनका लंड लगभग 10 इंच का होगा और मोटाई का तो कहना ही क्या? अब उनके लंड पर मम्मी की चूत का पानी चमक रहा था। फिर थोड़ी देर तक लंड चुसवाने के बाद पापा ने अपने लंड को मम्मी के मुँह में से बाहर निकाल लिया और मम्मी से कहा कि अब तुम कुत्तिया की तरह बन जाओ, में तुम्हें कुत्ते की तरह चोदूंगा, इस तरह से तुम्हारी चूत में मेरा पूरा का पूरा लंड तुम्हारी बच्चेदानी में चला जाएगा और तुमको मजा भी बहुत आएगा।

 

तब मम्मी बोली कि लो मेरे राजा, जो तुम्हारा हुकम, में तो तुम्हारी गुलाम हूँ और यह कहकर मम्मी किसी कुत्तिया की तरह अपने दोनों घुटनों और दोनों हाथों पर हो गयी। फिर पापा ने मम्मी के पीछे से जाकर अपने लंड को अपने हाथ में पकड़कर उनकी चूत के मुँह पर रखा और एक ही धक्के में अपना पूरा का पूरा लंड अंदर तक पेल दिया। तब मम्मी के मुँह से आआहह की आवाज निकली, लेकिन वो मजे लेने वाली आवाज थी दर्द वाली नहीं थी। फिर पापा नहीं रुके और धक्के-पे-धक्के मारते चले गये।

 

अब मम्मी पापा के मुँह से हर धक्के के बाद सिसकियाँ निकल रही थी। फिर अचानक से पापा को पता नहीं क्या सूझा कि पापा ने अपना पूरा लंड मम्मी की चूत से बाहर निकाल लिया और अपने मुँह से बहुत सारा थूक निकालकर मम्मी की गांड पर डाल दिया। अब यह सोचकर मेरा दिल धड़क उठा था कि अब पापा मम्मी की गांड मारेंगे। मैंने अपनी सहेलियों से सुन रखा था कि कई औरतें और लड़कियाँ गांड भी मरवाती है और गांड मरवाने में बहुत दर्द होता है। फिर पापा ने अपने दोनों हाथों से मम्मी की गांड का मुँह खोल दिया, लगभग 2 इंच का छेद खुल गया होगा। फिर पापा ने अपना लंड मम्मी की गांड के ऊपर सेट किया और अपने लंड का सुपाड़ा थोड़ा सा अंदर फिक्स कर दिया और फिर मम्मी की कमर के नीचे से अपने हाथ डालकर अपने हाथों में जकड़ लिया और फिर एक ही धक्के में अपना लगभग आधा लंड मम्मी की गांड में डाल दिया था।

 

फिर तब मम्मी के मुँह से एक जोरदार आवाज निकली अया मर गयी, यह क्या कर दिया जी? यह चूत मारते-मारते अचानक गांड मारने की क्या सूझी? अया मार डाला, पहले बता दिया तो होता, थोड़ा तेल ही लगा लिया होता तो इतना दर्द तो नहीं होता। तब पापा बोले कि अरे मेरी रानी जो सख़्त-सख़्त लंड डालने में जो मजा है, वो मज़ा फिसलता हुआ लंड डालने में नहीं आता, देखो अब कितना टाईट लंड तुम्हारी गांड में जा रहा था। अभी देखना तुम्हें भी कितना मज़ा आएगा? लो अब में पूरा का पूरा लंड तुम्हारी प्यारी मजेदार गांड में डालने वाला हूँ, अभी तक चूत मरवा रही थी, अब गांड भी मरवाओ। अब पापा का लम्बा, मोटा लंड आराम से मम्मी की गांड में अंदर तक जा रहा था। अब पापा अपने लंड को सुपाड़े तक निकालकर पूरा का पूरा ही अंदर तक डालकर मम्मी को मज़ा दे रहे थे।

 

अब मम्मी के मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगी थी अया मेरे राजा, तुम्हारा जवाब नहीं, क्या चोदते हो? मेरा तो दिल करता है कि तुमसे सारा दिन ही चुदवाती रहूँ, तुम गांड और चूत दोनों ही बुरी तरह से चोदते हो, लेकिन मजबूरी है, लड़की जवान हो रही है, पता नहीं वो कब देख ले? तो गजब हो जाएगा। लेकिन उनको पता नहीं था कि यह गजब तो हो चुका है, मेरी चूत अब पापा जैसा ही लंड मांगने लगी थी।

 

अब पापा ने अपनी चोदने की स्पीड तेज कर दी थी और फिर वो बोले कि ले मेरी रानी, अब मेरा लंड झड़ने वाला है, बोलो में अपना पानी कहाँ निकालूँ? तो तब मम्मी बोली कि मेरे राज़ा जैसे रोज निकालते हो, आह लाओ मेरे मुँह में डालो। तब पापा ने मम्मी की गांड में से अपना लंड बाहर निकाल लिया। फिर मम्मी पापा के लंड को अपने एक हाथ में लेकर स्पीड से आगे पीछे करने लगी और गप से अपने मुँह में ले लिया। फिर कुछ देर के बाद ही पापा के लंड ने पिचकारी छोड़ना शुरू कर दिया।

 

अब मम्मी ने अपना मुँह पूरा खोल दिया था और अब पापा के लंड का वीर्य मम्मी के मुँह में पूरा का पूरा भर गया था, शायद उनके वीर्य का रस 100 ग्राम के करीब तो होगा ही। फिर मम्मी ने अपना मुँह बंद कर लिया और जब खोला तो में हैरान रह गयी थी, उनका मुँह खाली था। अब वो पूरा का पूरा वीर्य-रस अपने अंदर गटक गयी थी, लेकिन फिर भी वो पापा के लंड को चाटने लगी और जितना बचा था, वो भी चाट-चाटकर साफ कर दिया था।

 

अब पापा का लंड कुछ-कुछ ढीला होने लगा था। फिर मम्मी ने अपनी चूत और पापा के लंड को साफ कपड़े से साफ कर दिया और कहा कि अब जल्दी से उठ जाओ, मुझे काम पर भी जाना है, नहीं तो गुज़ारा कैसे होगा? अब में समझ गयी कि मम्मी अब बाहर आने वाली है, तब में जल्दी से अपने कपड़े सही करके बिस्तर पर चादर डालकर अपनी आँखें बंद करके लेट गयी। फिर मम्मी बाहर आई और मुझे लेटा हुआ देखकर मुस्कुराती हुई काम करने चली गयी थी ।।

  

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ट्यूशन फीस नहीं देने पर चूत चुदाई करने का अवसर मिला

8वीं क्लास में जाने के बाद मेरी ज़िन्दगी बदल सी गई क्योंकि के इस कहानी में मुझे दिव्या नाम की कुँवारी लड़की की सील तोड़ चुदाई करने का अवसर मिला दोस्तो, बहुत बहुत शुक्रिया! आपके प्यार ने मुझे एक और कहानी लिखने के लिए मजबूर कर दिया। अब तो ऐसा लगता है जैसे मैं मेरी सेक्स स्टोरी का लेखक बन गया हूँ।

 

मैं तहे दिल से मेरी सेक्स स्टोरी और पाठकों को शुक्रिया करना चाहता हूँ! तो आज मैं जो कहानी आके लिए लेकर आया हूँ, वो उस समय की है जब मैंने 12वीं पास की थी।

 

मैं स्कूल में पढ़ाने के लिए जाता था। मेरी योग्यता के हिसाब से मुझे केवल 5वीं क्लास तक ही, पढ़ाने के लिए दिया गया था।

 

किंतु! धीरे-धीरे मेरी लगन देखकर! मुझे मिडिल क्लास तक बढ़ा दिया गया, और मैं 8वीं क्लास में भी पढ़ाने लगा था।

 

दिव्या को देख कई बार मूठ मारा

8वीं क्लास में एक लड़की थी! जिसका नाम दिव्या शर्मा था। अगर! उसकी तारीफ़ करूँ तो उसकी तारीफ़ में शब्द कम पड़ जाएँगे!

 

जैसा उसका नाम था! वैसी ही उसकी सूरत थी! एकदम दिव्य! दूध की तरह सफेद! अगर क्लास रूम में चॉक की धूरी भी उड़े, तो उसके चेहरे पर साफ दिखाई देती थी।

 

अगर सच कहूँ! तो जब वो 20+ होगी तो कटरीना भी फैल हो जाएगी।

 

उसकी भूरी भूरी बिल्लोरी आँखें, मस्त चूचियाँ, पिछवाड़ा तो जैसे खरबूजे की तरह! और होंठ गुलाब की फूल की पंखुड़ियों की तरह बस! जो एक बार देख ले वो देख कर ही पानी छोड़ दे!

 

मैंने भी कई बार! उसकी सूरत को याद करके बाथरूम में मूठ मारी थी! लेकिन! मूठ मारने में और चुदाई दोनो में ज़मीन आसमान का अंतर होता है।

 

दिव्या ने मुझे ट्यूशन के लिए बोला

किस्मत से! एक दिन दिव्या ने मुझसे कहा- सर मुझे गणित में कुछ अध्याय में दिक्कत आ रही है! अगर आपको कोई दिक्कत ना हो,तो मुझे ट्यूशन पड़ा दीजिए!

 

मेरे लिए तो माना करने का सवाल ही नही उठता था! लेकिन मैं दिखावा कर कहा- कि मैं ट्यूशन तो नही पढाता हूँ! लेकिन जब भी तुम्हें दिक्कत आए, तो तुम मेरे घर पढ़ने के लिए आ जाया करो!

 

उसने खुश होकर मुझे शुक्रिया बोला! और फिर मैं पढ़ाने में लग गया, और फिर छुट्टी हो गई। मैं अपने रूम पर आ गया।

 

शाम को करीब 7 बजे! मेरे दरवाजे पर दश्तक हुई, तो मैंने दरवाजा खोल दिया! तो आँखों पर यकीन नही आया!

 

दिव्या का कातिलाना हुस्न

सामने दिव्या खड़ी थी! सफ़ेद टी-शर्ट और जीन्स पैंट में तो, वो कयामत लग रही थी!

 

उसने कहा- सर, क्या? मैं अंदर आ सकती हूँ!

 

मैंने कहा- हाँ! आ जाओ!

 

वो अन्दर आ गई! मैंने कुर्सी पर उसे बैठने के लिए कहा, तो वो बैठ गई!

 

मैंने उससे पूछा- अब बताओ क्या बात है? क्या दिक्कत है तुम्हारी?

 

उसने बहुत सारे सवाल मुझसे पूछे और मैंने उनको हल करके दिखाया! मैं तो बस! चोर नज़रो से उसे घूर रहा था, क्योंकि स्कूल में उसे मन भर कर नही देख पता था।

 

उसकी जवानी की मादक खुशबू

जब! मैं उसके सवाल का हल करने के लिए झुकता था, तो उसकी मादक खुशबू से मैं पागल सा हो जाता था! और धीरे से उसकी चूचियों को जानबूझकर कोहनी से छू कर देता था।

 

उसको थोड़ी सी झिझक तो हो रही थी, लेकिन कुछ कह नही पा रही थी। फिर उस दिन वो चली गई!

 

दूसरे दिन वो स्कूल नहीं आई! मेरा मन बड़ा उदास सा हो गया, कि पता नही क्या हुआ? दिव्या क्यों नही आई? और फिर पता चला कि उसकी तबीयत खराब है!

 

मैं भगवान से उसके ठीक होने की कामना करने लगा! 5-6 दिन बाद! वो स्कूल आई तो मेरे खुशी की कोई ठिकाना नही था!

 

<दिव्या के स्कूल आने की खुशी

 

मैंने बड़े ही खुशी मन से! उस दिन क्लास में पढ़ाया। जब 8वीं क्लास में पढ़ाने के लिए गया, तो सबसे पहले दिव्या से उसकी तबीयत के बारे में पूछा!

 

उसने कहा- अब ठीक हूँ!

 

मैंने कहा- तुम्हे पता है! 5 दिन में तुम्हारे दो भाग पूरे हो चुके हैं! और इसके लिए तुम्हें अलग से क्लास लेने होंगे! तब तुम इनको पूरी कर पाओगी!

 

वो सर झुकाकर सुनती रही! और थोड़ी ही देर में! उसके आँसू निकल गए। मैंने प्यार से उसके सर पर हाथ फेरा और कहा- कोई बात नहीं! तुम चिंता मत करो मैं पूरी करा दूँगा!

 

दिव्या का मेरे घर पर आना

उसी शाम को! वो फिर घर पर आई, लेकिन आज कुछ लेट आई थी। कुछ 7:30 बजे करीब!

 

मैंने पूछा- इतना लेट क्यों आई?

 

वो बोली- घर पर कोई नहीं था! इसलिए लेट हो गई!

 

मैंने कहा- कोई बात नहीं! तुम बैठो! मैं अभी आता हूँ! और उसको अध्याय का पहला सवाल समझा कर, मेडिकल की ओर चला गया। और जब लौटकर आया! तो वो धीरे धीरे रो रही थी।

 

मैंने उसके गालों को पकड़ कर कहा- क्या हुआ दिव्या?

 

वो बोली- सर, मेरी वजह से! आपको बहुत परेशानी हो रही है।

 

नरम नरम चूचियों को छूने का मजा

मैंने कहा- इसमें! परेशानी की कोई बात नही है! तुम चिंता मत करो! मैं सारा अध्याय पूरा करा दूँगा! तो वो फिर से काम करने लगी।

 

मैंने धीरे से उसकी ओर देखा! मैंने धीरे से उसके पीछे जाकर उसके चूचियों को दबा दिया! उसको तो जैसे करंट लग गया हो!

 

वो एकदम से मुड़ी और बोली- क्या करते हो सर? मैं आपकी छात्रा हूँ!

 

मैंने धीरे से उसके कान में कहा- पहले तो तुम! एक लड़की हो। उस पर इतनी खूबसूरत! कि मैं क्या भगवान भी डोल जाए! फिर मैं तो एक इंसान हूँ! अब मैं क्या करूँ? और मेरी ट्यूशन फीस में कुछ नही चाहिए!

 

चूचियों के छुवन से दिव्या हुई बेकाबू

वो बोली- ठीक है! लेकिन अभी नही! अभी मेरी तबीयत ठीक नही है!

 

मैंने झट से कहा- उसका भी इलाज़ है मेरे पास! तुम चिंता मत करो! और मैं धीरे धीरे उसकी चूचियों को दबाना शुरू कर दिया! उसपर तो जैसे जादू सा छाने लगा था!

 

उसके मुँह से अजीब सी आवाज़े निकलने लगी थी! वो एकदम से मुड़ी और मेरे होंठों को अपने होंठों से दबा लिया!

 

दिव्या चूत चुदाई के लिए बेताब

मैं तो इसके लिए तैयार ही नही था! तो मेरे होंठ पर उसके दाँत लग गए और मेरे होंठ से खून की बूँदें निकलने लगी!

 

यह देखकर वो तो घबरा गई! और उसने मेरे निकले हुए खून को, अपनी जीभ से साफ कर दिया। इसमें भी मुझे बहूत मज़ा आया, और मैं भी उसको चूमने लगा!

 

अब तो जैसे उस पर चुदाई का भूत सवार हो गया! उसने कई जगह मुझे चूमा और मैं भी पागलों की तरह उसे चूमने लगा!

 

गीली चूत में उंगली से चुदाई

मैंने धीरे से! उसके पैंट की बटन को खोलकर! उसकी ज़िप खोल दी, और उसकी पैन्टी में अपनी उंगली को डाल दिया।

 

यह देखकर चौंक गया! कि उसकी चूत तो बिल्कुल पनिया गई थी! उसने भी धीरे से मेरे पैंट को खोल दिया।

 

मैंने उससे कहा- रूम को बंद कर लेने दो, तो वो मना करने लगी!

 

मैंने कहा- ठीक है! और उसको गोद में उठाकर दरवाजे की ओर गया और धीरे से दरवाजे को बंद कर दिया!

 

मैंने उसके पूरे कपड़ों को खोल दिया! शाम को लाइट में भी, वो एकदम दूध की तरह दिखा रही थी! मुझे अब रहा नही जा रहा था!

 

मैंने उसको तुरन्त बिस्तर पर लिटाया, और उसके ऊपर चढ़ गया! अपने लण्ड को उसकी चूत पर रगड़ने लगा!

 

उसे भी मज़ा आने लगा! और फिर अचानक! मैंने एक तेज़ धक्का दिया और मेरा 8 लण्ड का केवल सुपाड़ा ही उसकी चूत में गया!

 

मुझे पता था! कि वो ज़रूर चिल्लाएगी! इसलिए जैसे ही मैंने धक्का दिया था, तेज़ी से उसका मुँह बंद कर दिया था!

 

उसके केवल आँसू ही निकल पाए! लेकिन अब मैं उसे छोड़ भी नही सकता था। वरना सारा मज़ा खराब हो जाता!

 

तो दोस्तो, यहाँ तक की कहानी कैसी लगी? बाकी अगले अंक में! मुझे मेल ज़रूर करे उम्मीद है यह कहानी भी आपको पसंद आएगी!

 

दिव्या से मैंने कहा पढ़ाने के बदले मुझे ट्यूशन फीस नहीं! उसकी चुदाई करनी है और मैंने उसकी चूचियों को पकड़ लिया! वो छात्रा और शिक्षक की दुहाई देने लगी, तब मैं उसके बदन को छूते हुए उसके हुस्न की तारीफ़ करते हुए उसे मदहोश कर दिया अब वो मुझे चूमने लगी तब शुरू हुई Indian Sex Stories की असली कहानी.. जानने हेतू पढ़े अगली कड़ी!

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पडोसी की बेटी को चोदा अकेला पाकर

दोस्तो, मुझे नहीं मालूम था कि मुझे इतनी जल्दी चुदाई का मौका मिल जाएगा!! हमारे घर के सामने एक मकान था, जिसमे वर्मा साहब की फैमली रहती थी। उनके घर में वर्मा जी और उनकी दो बेटियाँ मिनाक्षी व पूजा और उनकी मां सपना रहती थी।

 

उनकी मां 55 की होने के बाद भी 45 की लगती थी!! कसा हुआ बदनमोटे-मोटे चुचे और भारी-भारी गाण्डलम्बे बालजब वो रोड पर चलती थी तो जवानों के हाथ तो अपने लण्ड पर होते ही थे, बुढों की भी जीभ लपलपा जाती थी!!!

 

जाहिर है, ऐसे में उनकी बेटियाँ भी कयामत थीं। उनकी एक झलक पाते ही लडके मुठ मारे बगैर नहीं सो सकते होगें और सोएँ भी कैसे, यह हाल मेरा भी तो था

 

मिनाक्षी की उम्र मुझसे दो साल कम, 19 की थी और पूजा उससे एक साल छोटी थी।

 

मुझे जन्नत का मजा मिनाक्षी ने दिलवाया!!!

 

तो अब मैं असल कहानी पर आता हूँ

 

वर्मा परिवार का हमारे साथ लगाव था, मेरे घर हम दो भाई और मम्मी-पापा हैं।

 

मेरा भाई विदेशी टूर कम्पनी में काम करता है और मुंबई ओफिस का हैड है। वो वहीं रहता है। पापा मेरे प्राईवेट कम्पनी में काम करते हैं तथा मम्मी भीदोनों सुबह ओफिस जाते हैं और देर शाम को आते हैं।

 

मेरा कमरा बाहर गेट के पास है तथा मम्मी-पापा का घर के अंदर। उस दिन मैं घर पर अकेला था और टी वी देख रहा था। तभी मुवी में एक सैक्सी सीन आया और मैं अपना 10 इंची लण्ड निकाल कर सहलाने लगा!!!

 

मेरे घर का मुख्य गेट खुला हुआ था, इसका मुझे अहसास ही नहीं था कि कब उसमें से मिनाक्षी अंदर आई और मुझे लण्ड से खेलते हुए देखने लगी!!!

 

अचानक उसके पैरों से कुछ टकराया और आवाज़ सुनकर मेरी मस्ती टूटी। मैंने पीछे देखा तो मिनाक्षी खडी मेरे लण्ड को घूर रही है!!

 

मैंने फट से अपना लण्ड अंदर किया और पूछा कैसे आना हुआ, मिनाक्षी? तो वह बोली मैं तो न्यूज पेपर लेने आई थी।

 

मैं उसे न्यूज पेपर देने लगा, तो उसने मेरा हाथ पकड लिया।

 

मैं एक बार घबराया तभी उसने मुझे खींच लिया, मैं सीधा उसके सीने से टकरा गया। उसने मेरे लण्ड पर हाथ रख कर कहा हथियार, तो तगड़ा है!!! कभी इस्तेमाल भी किया है, या बस वैसे ही हाथ से काम चला रहे हो

 

मैं सकपकाया पर होश में आते ही समझ गया की आम पक कर खुद झोली में आ गिरा है, तो चख क्यों नहीं लेता!! !!!

 

मैंने उसका सिर पकड कर उसके होंठों पर किस करते हुए कहा तेरे जैसा कोई माल नहीं मिला, जानइस्तेमाल कैसे करता…!!

 

मैंने सोचा कि जब उसे खुद ही कोई प्रॉब्लम नहीं है तो मैं क्यों पीछे हटूँ और उसे चूमने लगा।

 

मैं भी खुश हो गया और धीरे धीरे उसके कपड़े उतारने लगा और साथ ही उसके होंठों पर चूमने लगा क्योंकि यह मेरा पहला सेक्स अनुभव था तभी मिनाक्षी ने मुझे धक्का दिया और कहा जानवर है, क्या…?? आराम से कर!! आज तो मैं तेरी हूँ।

 

मैंने कहा- सॉरी… !! और इतने में मिनाक्षी ने अपना सूट उतार दिया। मैंने कहा मिनाक्षी, इतने बड़े बड़े स्तन हैं, आपके… !!

 

मैं उनको हाथ में लेकर चूसने लगा और दबाने लगा। मिनाक्षी भी जोश में आ चुकी थी और मुझसे चिपक गई थी।

 

मेरा तो सपना साकार हो गया था!!!

 

मैंने मिनाक्षी को धीरे धीरे पूर्ण नग्न कर दिया और खुद भी नंगा हो गयाफिर क्या था, मैंने जैसा ही अपना लण्ड निकाला मिनाक्षी बोली- हे राम… !! इतना मोटा? साले, तूने आज तक कितनी लड़कियों को चोदा है?

 

मैंने कहा किसी को नहीं!! वो बोली चल आज, चोद… !! खुद भी मजा ले और मुझे भी मजा दे!!! !!

 

मैंने कहा तो देर किस बात की। मैं उसे चूमने लगा और उसने मेरा लण्ड हाथ में ले लिया और आगे पीछे करने लगी।

 

मुझे काफी मजा आ रहा था। मैं उनके बोबे दबा रहा था और होंठ चूस रहा था

 

फिर वो बोली- साले, केवल चूसेगा ही या खायेगा भी… ?? मैं बोला साली, बड़ी जल्दी है तुझेचल घोड़ी बन जा, साली रांड… !! जल्दी करमुझे तो तुझसे ज्यादा जल्दी है, रंडी

 

वो बोली अच्छा, ऐसी बात है तो लोऔर वो घोड़ी बन गई, मैं उसे पेलने लगा।

 

वो बोली थोड़ा तेज नहीं चोद सकता… ?? और मैंने झटके तेज कर दिए और उसे चोदने लगा!!

 

थोड़ा धीरे !! उई माँमर गई साले! थोड़ा धीरे!!

 

मैंने कहा- अब पता चला साली रंडी, तेरी गाण्ड का तो आज मैं बुरा हाल बना कर छोड़ूंगा!!

 

वो भी कहने लगी हाँ कुत्ते… !! और मेरा साथ देने लगीमैं उसकी चूत जोर जोर से चोदने लगा। अब वो मजे से चुदने लगी!!! !!

 

बीस मिनट तक मैं उसे चोदता रहामैंने उसे अलग अलग ढंग से चोदा!! 20-25 मिनट बाद जब मेरी छूट होने को आई तो मैंने लण्ड बाहर कर उसके मुँह पर पिचकारी मारी और उसने मेरा लण्ड अपने मुँह में ले लिया और सारा वीर्य चाट गई… !!

 

फिर मैं उससे चिपक गया।

 

हम दोनों एक दूसरे के साथ देर तक चिपके रहे। इतने में मेरा लण्ड फिर से खड़ा हो गया और मैंने कहा मिनाक्षी, एक बार और हो जाये… ??

 

वो बोली हाँ हाँ!! क्यों नहीं? नेकी और पूछ पूछ !! आजा मेरे राजा, फाड़ दे अपनी मिनाक्षी की चूत!!

 

उस दिन मैंने मिनाक्षी को पाँच बार चोदानए नए स्टाइल में!!! और उसके बाद हमारे बीच सिलसिला चल पडा।

 

उसे जब भी मौका मिलता, वो मेरे घर आ जाती या फिर मुझे मौका मिलता तो मैं उसके घर

 

हम जमकर चुदाई करते, फिर एक दिन पूजा ने हमे रगें हाथों पकड लिया और फिर क्या हुआ यह अगली कहानी में

  

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दीदी की चुदाई की ब्लू फिल्म की तैयारी

मेरी बहन का फिगर 34-24-33 है और उसका नाम निकिता है। वो दिखने में बहुत ही खूबसूरत है और सेक्सी भी.. उसके फिगर से ही आपको अंदाज़ा लग गया होगा कि वो सेक्स की एक मूर्ति। वैसे में मुठ मारने का आदी हूँ और लगभग हर दिन में एक बार मुठ मार ही लेता हूँ.. बाथरूम तो कभी रात में अपने बिस्तर पर ही। मेरे घर में तीन बेडरूम है एक डाइनिंग और एक ड्रॉयिंग रूम है.. दो अटेच टॉयलेट हैं और एक किचन है। एक बेडरूम में मम्मी और पापा सोते हैं तो दूसरे बेडरूम में में सोता हूँ और तीसरे बेडरूम में मेरी बहन सोती है।

 

दोस्तों एक दिन की बात है और वो गर्मियों का दिन था और हम लोगों को एक शादी में कुछ दिनों के लिए जाना था। मम्मी, पापा शादी में जाने की तैयारी कर रहे थे.. तभी अचानक जाने से दो दिन पहले मेरी बहन ने कहा कि वो शादी में नहीं जाएगी क्योंकि उसको कुछ अपने पढ़ाई से सम्बन्धित प्रॉजेक्ट्स पर काम करना था। तो फिर मम्मी, पापा ने मुझसे कहा कि में भी अपनी दीदी के साथ ही रहूं और फिर में भी मान गया।

 

फिर दो दिनों के बाद पापा, मम्मी सुबह सुबह 5 बजे ही घर से निकल गये और मुझे और मेरी दीदी को समझाकर गये कि ठीक से रहना, अपना ख्याल रखना और अजनबियों से बातें ना करना। तो में दरवाजा बंद करके अपने कमरे में आ गया और दीदी से बोला कि में सोने जा रहा हूँ.. तभी वो भी मुझसे बोली कि वो भी अपने रूम में सोने जा रही है। उसके बाद में अपने कमरे में आ गया और सो गया। में 9.30 बजे सुबह उठा और अपने कमरे से बाहर निकला और मैंने देखा कि हमारे घर की नौकरानी काम कर रही थी और मेरी बहन किसी से फोन पर बातें कर रही थी।

 

फिर अचानक मेरी बहन ने मुझे देखकर फोन बंद कर दिया और बाथरूम में फ्रेश होने चली गयी और फिर थोड़ी देर के बाद में भी फ्रेश हो गया था और हमारी नौकरानी भी अपना सभी काम करके चली गयी थी। तो मैंने दीदी से कुछ नाश्ते के लिए खाने को माँगा.. तो दीदी ने दो प्लेट नाश्ता लगाया.. एक खुद के लिए और एक मेरे लिए और फिर हम टेबल पर खाने के लिए एक साथ बैठ गये। उस दिन दीदी ने एक छोटी टी-शर्ट और हाफ पेंट पहनी थी और उसमे वो एकदम मस्त माल लग रही थी। तभी अचानक दीदी ने मुझसे कहा कि राज आज एक लड़की घर पर आएगी.. तो मैंने पूछा कौन? तो दीदी ने कहा कि वो उसकी एक बहुत अच्छी दोस्त है और उसका नाम प्रिया है और वो यहाँ पर कुछ काम से आ रही है और कुछ दिन तक हमारे घर में हमारे साथ ही रहेगी। तो मैंने कहा कि ठीक है उसके यहाँ पर रुकने से मुझे कोई आपत्ति नहीं है। फिर करीब दो घंटे के बाद दरवाजे की घंटी बजी और में गेट खोलने गया और जैसे ही मैंने गेट खोला तो देखा कि बाहर गेट पर एक बहुत हॉट लड़की थी तो मुझे लगा कि वो ही प्रिया है.. दीदी की दोस्त।

 

फिर मैंने उससे उसका नाम पूछा.. तो उसने अपना नाम प्रिया बताया। फिर मैंने उनको अंदर आने का इशारा किया। तभी इतनी देर में दीदी भी आ गयी और अपने दोस्त के गले लग गयी। फिर उनकी दोस्त दीदी के कमरे में आ गयी और अपना समान रखा और फिर हम तीनो ने एक साथ बैठकर दोपहर में खाना खाया और फिर में अपने कमरे में चला गया।

 

तो दीदी और उसकी दोस्त प्रिया अपने कमरे में.. दोस्तों प्रिया दिखने में बहुत ज्यादा खूबसूरत तो नहीं.. लेकिन सेक्सी और बिल्कुल बोल्ड थी। तभी कुछ देर के बाद मेरे कमरे में दीदी और उसकी दोस्त आई और मेरे सामने आकर बैठ गई। तभी दीदी ने मुझसे कहा कि राज.. प्रिया को थोड़ी बहुत शॉपिंग करनी है और में उसके साथ मार्केट जा रही हूँ और में कुछ देर के बाद लौटूँगी और फिर उसके कुछ देर के बाद वो कपड़े बदल कर बाहर चले गये और में घर पर अकेला था। तभी मैंने सोचा कि क्यों ना एक बार एक शानदार मुठ मार ली जाए प्रिया के नाम.. जो कि दीदी की दोस्त थी।

 

फिर मैंने सोचा कि प्रिया के नाम की मुठ मारने के लिए क्यों ना में कुछ प्रिया की पेंटी और ब्रा का इस्तेमाल करूँ? तो में दीदी के कमरे में गया और मैंने प्रिया का बेग खोला और उसका बेग खोलने के बाद उसके अंदर रखे सामानों को देखकर में तो दंग ही रह गया। उसके बेग में कुछ ब्लू फिल्म की डीवीडी थी और कुछ सेक्सी किताबें थी और 8-10 पेकेट कंडोम थे। तो में सोचने लगा कि यह सब माजरा क्या है?

 

तभी मैंने एक डीवीडी पर प्रिया की नंगी फोटो देखी और तब मुझे पता चला कि प्रिया एक रंडी है और अब मुझे अपनी दीदी पर बहुत आशचर्य हुआ कि प्रिया एक रांड है और यह दीदी की दोस्त कैसे बन गयी। तो में 5-6 बार मुठ मारकर अपने कमरे में आकर लेट गया और करीब रात को 8 बजे दीदी और प्रिया घर पर आई तो मुझे वो दोनों बहुत ही ज़्यादा खुश लग रही थी। फिर रात को हमने खाना बाहर से ऑर्डर किया और फिर हमने एक साथ खाना खाया में बार बार प्रिया की तरफ ही देख रहा था और अपनी दीदी की तरफ भी और खाना खाने के बाद दीदी मेरे रूम में आईं और बोली कि राज आज रात को तीन लोग हमारे घर पर आएँगे और कुछ दिनों तक घर पर ही हमारे साथ ही रहेंगे। तो मैंने पूछा कि वो लोग कौन है? तो दीदी ने जवाब दिया कि वो में तुम्हे कल ही बता दूंगी.. लेकिन प्लीज तुम यह बात मम्मी और पापा को मत बताना।

 

तो मैंने पूछा कि लेकिन वो लोग हैं कौन? तो दीदी ने मुस्कुराकर कहा कि वक्त आने पर तुम्हे सब पता चल जाएगा मेरे भाई। तो में कुछ नहीं बोला और दीदी वहां से अपने कमरे में चली गई तो कुछ ही देर के बाद घंटी बजी और दीदी ने दरवाजा खोला तभी मैंने देखा कि करीब 5 लोग हमारे घर पर आए और दीदी ने उन लोगों को बाहर के कमरे में बैठाया और वो खुद किचन में आकर चाय बनाने लगी। तो दीदी से मैंने पूछा कि यह लोग कौन है? तो दीदी ने सिर्फ़ मुझे एक स्माईल दी..

 

लेकिन मुझे उनके बारे में कुछ भी नहीं बताया और अब में उन लोगों के चेहरे ही देख रहा था.. उनमे से एक आदमी की उम्र करीब 25 साल होगी और दूसरे की 34 साल, तीसरे की 40 साल, चौथे की 41 साल और पाँचवें की 45 साल के आसपास और उनके पास बहुत ही बड़ा एक बेग था और बहुत सारा समान था। फिर दीदी ने मुझे बुलाया और अकेले में कहा कि राज आज की रात बहुत ही हसीन होगी और आज तेरी बहन एक रंडी बनने जा रही है। तो मैंने बहुत घबरा कर पूछा कि दीदी तुम ऐसा क्यों कर रही हो? तो उसने मुझे एक किस करते हुआ कहा कि भाई हवस के बिना ज़िंदगी का मज़ा नहीं है।

 

तो मैंने कहा कि में मम्मी, पापा को यह सब बता दूँगा। तो दीदी ने हंसते हुए कहा कि तुम मम्मी पापा को कुछ नहीं बताओगे और अगर तुमने उन्हें कुछ बताया तो में खुद ही मम्मी पापा को फोन करूँगी और रो रोकर कहूँगी कि तुम मुझसे यह सब करवा रहे हो। तो में एकदम चुप हो गया और सोचने लगा कि अब में क्या करूं.. लेकिन बहुत सोचने के बाद निर्णेय लिया कि कुछ नहीं कहूँगा और मजबूरी में वो जैसा कहेगी कर लूँगा। फिर दीदी ने मुझसे कहा कि वैसे ज्यादा मत सोचो और अगर तुम चाहो तो आज इस हवस में हमारे साथ शामिल हो सकते हो।

 

फिर दीदी, प्रिया और बाकी के 5 लोग दीदी के कमरे में चले गये और कमरे में सभी लोग बहुत आवाज़े कर रहे थे और हंस भी रहे थे। तो में दरवाजे के पास गया तो मैंने देखा कि उनकी तैयारी एक ब्लू फिल्म बनाने की है। में अपने कमरे में चला आया और पूरी तरह नंगा होकर बिस्तर पर लेट गया और रात बहुत हो चुकी थी और करीब 12 बज रहे होंगे। तभी अचानक से दीदी की बहुत ज़ोर से चीखने की आवाज़ आई। तो मैंने देखा कि दीदी अपने कमरे में से बाहर दौड़कर आ रही है और उस समय वो पूरी नंगी थी और उसके शरीर से बहुत बदबू आ रही थी।

 

फिर वो चीखते हुए बाथरूम में जा रही थी और वो चिल्ला रही थी कि यह तुमने क्या कर दिया.. आज में गयी उह्ह बाबा उह्ह आह। फिर दीदी कुछ 15 मिनट के बाद बाथरूम से बाहर आई और अपने कमरे में चली गयी और रात भर उनकी चुदाई और ब्लूफिल्म की शूटिंग चलती रही और में सुबह उठा करीब 8 बजे तो मैंने देखा कि प्रिया और दो लोग नंगे लेटे हुए थे.. लेकिन मुझे दीदी और बाकी के तीन लोग नज़र ही नहीं आ रहे थे। तो मैंने प्रिया को नंगे ही जगाया और पूछा कि दीदी कहाँ है? तो प्रिया ने मेरे लंड पर जबरदस्त अपने हाथ से मारा और मुझसे गाली देते हुए बोला कि साले तेरी दीदी अब रखैल और रंडी हो गयी है

 

तू उसे कोठे पर जाकर देख। मैंने फिर से प्रिया से पूछा कि प्लीज बताए कि दीदी कहाँ है? तो प्रिया ने हंसते हुए कहा कि अच्छा साले अभी बताती हूँ.. लेकिन तुझे मेरी बात माननी पड़ेगी। तो मैंने कहा कि ठीक है में आपकी हर मानूंगा। तो उसने कहा कि तू मेरे साथ टॉयलेट में चल.. तो में उसके साथ टॉयलेट में गया। तो वो टॉयलेट के सीट पर बैठ गयी और फिर उसने कहा कि तू अब मेरी गांड को चाट.. तो मैंने वैसा ही किया और फिर उसने मुझे बताया कि दीदी एक ब्लू फिल्म शूटिंग हॉल में रात में 3 बजे से गयी है वो अपनी चुदाई की फिल्म बनवा रही है।

 

तो में जल्दी से उस शूटिंग हॉल में गया तो मैंने देखा कि मेरी दीदी एक कमरे में 10 लोगों के साथ नंगी लेटी हुई है और दीदी ने बहुत शराब भी पी रखी थी और मैंने वहाँ पर देखा कि दीदी और बाकी सभी लोग बेसुध होकर फर्श पर सोए हुए हैं वहां पर किसी को कुछ होश नहीं था और सभी सो रहे थे। तो में वहाँ से तुरंत अपने घर पर आ गया और मैंने दरवाजे पर बेल बजाई तो मैंने देखा कि प्रिया ने अपने बदन को बेडशीट से पूरा ढककर दरवाजा खोला। फिर में अंदर आ गया और अपने कमरे में चला गया और फिर में तुरंत अपने बाथरूम में फ्रेश होने गया तो देखा कि बाथरूम पूरा का पूरा गंदी गंदी चीज़ों से भरा हुआ था और मैंने किसी तरह सोचा कि पेशाब कर लूँ..

 

लेकिन मेरी हिम्मत नहीं हुई। तो अचानक प्रिया ने मुझसे कहा कि अगर में चाहू तो उसके कमरे में चलकर पेशाब कर सकता हूँ और अब मेरे पास दूसरा कोई रास्ता भी नहीं था.. इसलिए में नंगा होकर प्रिया के कमरे में जाकर पेशाब करने लगा। तो प्रिया वहीं पर मेरे पास नंगी खड़ी मुझे घूर घूर कर देख रही थी। तभी वो मेरे पीछे आई और मेरे लंड को अपने एक हाथ से पकड़ कर आगे पीछे हिलाने लगी और फिर थोड़ी देर के बाद मेरे आगे आकर पेशाब को चाटने लगी। फिर मैंने अपना लंड उसके मुहं में दे दिया तो वो उसे बड़े मजे से चूसने लगी। तो में भी उसके बूब्स को दबाने, मसलने लगा।

 

तभी थोड़ी देर के बाद मैंने उसको नीचे लेटाया और लंड को चूत पर टिकाकर और एक ज़ोर का धक्का दिया और पूरा का पूरा लंड चूत में डालकर उसको बड़े हरामी की तरह चोदने लगा.. में उसकी चूत पर ताबड़तोड़ धक्के दिए जा रहा था और वो सिसकियाँ ले रही थी और कह रही थी चोद और चोद मुझे और ज़ोर से चोद मुझे हाँ लगा और लगा अपने लंड का पूरा दम.. फाड़ दे मेरी चूत को.. दे और दे और ज़ोर से धक्के दे। तो में भी जोश में आकर ज़ोर ज़ोर से धक्के दिए जा रहा था..

 

लेकिन इस चुदाई की वजह से मैंने उस समय अपने लंड कंडोम नहीं पहना था और फिर उसने मुझसे इस बारे में यह कहा कि जब में झड़ने लगूं तो अपना लंड को उसकी चूत से निकाल लूँ तो मैंने कहा कि ठीक है.. लेकिन जब में उसको चोदने लगा तो मुझे पता ही नहीं चला कि कब मेरा सारा वीर्य उसकी चूत के अंदर चला गया.. लेकिन उस समय चुदाई में व्यस्त होने की वजह से हमे बिल्कुल ही ख्याल नहीं रहा और हम जमकर एक दूसरे के साथ मज़े ले रहे थे।

 

फिर एक घंटे लगातर उसे चोदने के बाद हम दोनों बहुत थक गए थे और फिर हम दोनों फ्रेश हुये और प्रिया नहाकर कपड़े बदलकर मेरे पास आई और मुझसे कहा कि उसे बहुत भूख लगी है.. क्योंकि निकिता (मेरी दीदी) का तो कोई पता नहीं था कि वो कब तक आएगी। तो मैंने उससे कहा कि अगर उसे खाना बनाना आता है तो किचन में जाकर बना ले.. तो प्रिया ने कहा कि चलो हम बाहर किसी होटल में जाकर खा लेते हैं। तो मैंने भी हाँ कर दिया और फिर हम दोनों होटल में खाना खाने चले गये और खाने के बाद हमने सोचा कि निकिता के पास चलें।

 

तो हम उस शूटिंग हॉल में चले गये जहाँ पर मैंने दीदी को देखा था और जब हम वहाँ पर पहुंचे तो देखा कि वहाँ कोई भी नहीं था और दीदी भी नहीं बस वहाँ पर दीदी के फटे हुए कपड़े थे। तभी निकिता ने एक फोन लगाया और पता चला कि निकिता (मेरी दीदी) रेलवे स्टेशन के पास एक प्राईवेट रूम में कुछ लोगों के साथ चुद रही थी।

 

तो प्रिया ने फोन रखने के बाद मुझे बताया कि मेरी दीदी आज कुल मिलाकर 18 लोगों से चुदी है और बात सुनकर में तो बहुत ही दंग रह गया। फिर में और प्रिया एक रेस्टोरेंट में गये और मैंने वहाँ पर प्रिया से उसके बारे में पूछा.. तो प्रिया ने मुझे बताया कि वो एक रांड है और उसकी मुलाकात मेरी दीदी से तीन महीने पहले हुई थी और उसने बताया कि मेरी दीदी हमेशा से एक रंडी बनाना चाहती थी और इसी दौरान वो मेरी दोस्त बन गयी।

 

प्रिया ने अपनी कहानी बहुत विस्तार में बताई और फिर प्रिया ने कहा कि क्यों ना हम एक नया प्लान बनाए और मैंने कहा कि क्या? तो प्रिया ने कहा कि चलो आज हम एक पब्लिक टॉयलेट में चुदाई करते हैं। तो में भी मान गया और फिर हम एक छोटे से पब्लिक टॉयलेट में गये.. लेकिन वो टॉयलेट बहुत ही छोटा सा था और उस टॉयलेट का गेट टूटा हुआ और वो लकड़ी का था और उस टॉयलेट में सिर्फ़ एक आदमी ही बैठ सकता था और जैसे ही हमने टॉयलेट का गेट खोला तो देखा की टॉयलेट की सीट पर गंदगी फैली हुई है..

 

लेकिन प्रिया ने कहा कि कोई बात नहीं हम कर लेंगे। फिर में टॉयलेट की सीट पर बैठ गया और प्रिया मेरे ऊपर अपनी चूत में मेरा लंड डालकर बैठ गई और हमने अपने कपड़े उतार दिए थे। तो में उसे नीचे से धक्के देकर चोदने लगा और वो भी थोड़ा बहुत ऊपर नीचे होकर मेरे लंड से अपनी चूत को ठंडा करने में लगी रही और फिर करीब बीस मिनट की चुदाई के बाद मैंने उसकी चूत में अपना सारा का सारा वीर्य डाल दिया। फिर हम कपड़े पहनकर वापस घर पर आ गए। दोस्तों उसके बाद मेरा मुठ मारने का काम बिल्कुल बंद हो गया.. में जब जी चाहे उसको चोदने लगा। मैंने अब उसके घर पर जाकर भी उसको चोदना शुरू कर दिया है । 

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