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ससुर ने बहू को चोदने से पहले हमदर्दी दिखाई

मेरी उमर अब लगभग 46 वर्ष की हो चुकी है। मैं अपना एक छोटा सा बिजनेस चलाता हूँ। 20 साल की उम्र में शादी के बाद मेरी जिंदगी बहुत खूबसूरत रही थी, ऐसा लगता था कि जैसे यह रोमान्स भरी जिंदगी यूं ही चलती रहेगी। उन दिनों जब देखो तब हम दोनों खूब चुदाई करते थे। मेरी पत्नी गीता बहुत ही सेक्सी युवती थी। फिर समय आया कि मैं एक लड़के का बाप बना।


उसके लगभग एक साल बीत जाने के बाद गीता ने फिर से कॉलेज जॉयन करने की सोच ली। वो ग्रेजुएट होना चाहती थी। नये सेशन में जुलाई से उसने एडमिशन ले लियाफिर चला एक खालीपन का दौरगीता कॉलेज जाती और आकर बस बच्चे में खो जाती। मुझे कभी चोदने की इच्छा होती तो वो बहाना कर के टाल देती थी। एक बार तो मैंने वासना में आकर उसे खींच कर बाहों में भर लियानतीजा गालियाँ और चिड़चिड़ापन।

 

मुझे कुछ भी समझ में नहीं आता था कि हम दोनों में ऐसा क्या हो गया है कि छूना तक उसे बुरा लगने लगा था। इस तरह सालों बीत गये।

 

उसकी इच्छा के बिना मैं गीता को छूता भी नहीं था, उसके गुस्से से मुझे डर लगता था। मेरा लड़का भी 21 वर्ष का हो गया और उसने अपने लिये बहुत ही सुन्दर सी लड़की भी चुन ली। उसका नाम समीरा था। बी कॉम करने के बाद उसने मेरे बिजनेस में हाथ बंटाना चालू कर दिया था। मेरी पत्नी के व्यवहार से दुखी हो कर मेरे लड़के प्रवीण ने अपना अलग घर ले लिया था। घर में अधिक अलगाव

 

होने से अब मैं और मेरी पत्नी अलग अलग कमरे में सोते थे। एकदम अकेलापन

 

गीता एक प्राईवेट स्कूल में नौकरी करने लगी थी। उसकी अपनी सहेलियाँ और दोस्त बन गये थे। तब से उसके एक स्कूल के टीचर के साथ उसकी अफ़वाहें उड़ने लगी थीमैंने भी उन्हें होटल में, सिनेमा में, गार्डन में कितनी ही बार देखा था। पर मजबूर थाकुछ नहीं कह सकता था। मेरे बेटे की पत्नी समीरा दिन को अक्सर मुझसे बात करने मेरे पास आ जाती थी। मेरा मन इन दिनों भटकने लगा था। मैं दिनभर या तो देसी मासला लैव पर सेक्सी कहानियाँ पढ़ता रहता था या फिर पोर्न साईट पर चुदाई के वीडियो देखता रहता था।

 

फिर मुठ मार कर सन्तोष कर लेता था। समीरा ही एक स्त्री के रूप में मेरे सामने थी, वही धीरे धीरे मेरे मन में छाने लगी थी। उसे देख कर मैं अपनी काम भावनायें बुनने लगता था। इस बात से कोसों दूर कि कि वो मेरे घर की बहू है। समीरा को देख कर मुझे लगता था कि काश यह मुझे मिल जाती और मैं उसे खूब चोदता पर फिर मुझे लगता कि यह पाप हैपर क्या करतापुरुष मन थाऔर स्त्री के नाम पर समीरा ही थी जो कि मेरे पास थी।

 

एक दिन समीरा ने मुझे कुछ खास बात बताई। उससे दो चीज़ें खुल कर सामने आ गई। एक तो मेरी पत्नी का राज खुल गया और दूसरे समीरा खुद ही चुदने तैयार हो गई।

 

समीरा के बताये अनुसार मैंने रात को एक बजे गीता को उसके कमरे में खिड़की से झांक कर देखा तोसब कुछ समझ में आ गयावो अपना कमरा क्यों बंद रखती थी, यह राज़ भी खुल गया। एक व्यक्ति उसे घोड़ी बना कर चोद रहा था। गीता वासना में बेसुध थी और अपने चूतड़ हिला हिला कर उसका पूरा लण्ड ले रही थी। उस व्यक्ति को मैं पहचान गया वो उसके कॉलेज टाईम का दोस्त था और उसी के स्कूल में टीचर था।

 

मैंने यह बात समीरा को बताई तो उसने कहा- मैंने कहा था ना, मां जी का राजेश के साथ चक्कर है और रात को वो अक्सर घर पर आता है।

 

हाँ समीराआज रात को तू यहीं रह जा और देखनातेरी सासू मां क्या करती है।

 

जी , मैं प्रवीण को बोल कर रात को आ जाऊंगी…”

 

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मेरी बहू, मेरी हमदर्द

 

शाम को ही समीरा घर आ गई, साथ में अपना नाईट सूट भी ले आईउसका नाईट सूट क्या था कि बसछोटे से टॉप में उसके स्तन उसमे आधे बाहर छलक पड़ रहे थे। उसका पजामा नीचे उसके चूतड़ों की दरार तक के दर्शन करा रहा था। पर वो सब उसके लिये सामान्य था। उसे देख कर तो मेरा लौड़ा कुलांचे भरने लगा था। मैं कब तक अपने लण्ड को छुपाता। समीरा की तेज नजरों से मेरा लण्ड बच ना पाया।

 

वो मुस्करा उठी। समीरा ने मेरी वासना को और बाहर निकाला- पापामम्मी से दूर रहते हुए कितना समय हो गया… ?

 

बेटी, यही करीब 16-17 साल हो चुके हैं !

 

क्या ?? इतना समयसाथ भी नहीं सोये…??”

 

साथ सोये ? हाथ भी नहीं लगाया…!”

 

तभी… !”

 

क्या तभी…?” मैंने आश्चर्य से पूछा।

 

पापाकभी कोई इच्छा नहीं होती है क्या?”

 

होती तो हैपर क्या कर सकता हूँगीता तो छूने पर ही गन्दी गालिया देती है।

 

तू नहीं और सही। पापा प्यार की मारी औरतें तो बहुत हैं…”

 

चल छोड़ !!! अब आराम कर लेअभी तो उसे आने में एक घण्टा हैचल लाईट बंद कर दे !

 

एक बात कहूँ पापा, आपका बेटा तो मुझे घास ही नहीं डालता हैवो भी मेरे साथ ऐसे ही करता है !समीरा ने दुखी मन से कहा।

 

क्या तो तू भीऐसे ही…?”

 

हाँ पापामेरे मन में भी तो इच्छा होती है ना !

 

देखो तुम भी दुखी, मैं भी दुखी…” मैंने उसके मन की बात समझ लीउसे भी चुदाई चाहिये थीपर किससे चुदातीबदनाम हो जातीकहीं ???… कहीं इसे मुझसे चुदना तो नहीं हैनहींनहींमैं तो इसका बाप की तरह हूँछी:पर मन के किसी कोने में एक हूक उठ रही थी कि इसे चुदना ही है।

 

समीरा ने बत्ती बन्द कर दी। मैंने बिस्तर पर लेते लेटे समीरा की तरफ़ देखा।

 

उसकी बड़ी बड़ी प्यासी आँखें मुझे ही घूर रही थी। मैंने भी उसकी आँखों से आँखें मिला दी। समीरा बिना पलक झपकाये मुझे प्यार से देखे जा रही थी। वो मुझे देखती और आह भरतीमेरे मुख से भी आह निकल जाती। आँखों से आँखें चुद रही थी। चक्षु-चोदन काफ़ी देर तक चलता रहापर जरूरत तो लण्ड और चूत की थी।

 

आधे घण्टे बाद ही गीता के कमरे में रोशनी हो उठी। समीरा उठ गई। उसकी वासना भरी निगाहें मैं पहचान गया।

 

पापा वो लाईट देखोआओ देखें…”

 

हम दोनों दबे पांव खिड़की पर आ गये। कल की तरह ही खिड़की का पट थोड़ा सा खुला था। समीरा और मैंने एक साथ अन्दर झांका। राजेश ने अपने कपड़े उतार रखे थे और गीता के कपड़े उतार रहा था। नंगे हो कर अब दोनों एक दूसरे के अंगों को सहला रहे थे। अचानक मुझे लगा कि समीरा ने अपनी गाण्ड हिला कर मेरे से चिपका ली है। अन्दर का दृश्य और समीरा की हरकत ने मेरा लौड़ा खड़ा कर दियामेरा खड़ा लण्ड उसकी चूतड़ों की दरार में रगड़ खाने लगा।

 

उधर गीता ने लण्ड पकड़ कर उसे मसलना चालू कर दिया था और बार-बार उसे अपनी चूत में घुसाने का प्रयत्न कर रही थी। अनायास ही मेरा हाथ समीरा की चूचियों पर गया और मैंने उसकी चूचियाँ दबा दी।

 

उसके मुँह से एक आह निकल गई।

 

मुझे पता था कि समीरा का मन भी बेचैन हो रहा था। मैंने नीचे लण्ड और गड़ा दिया। उसने अपने चूतड़ों को और खोल दिया और लण्ड को दरार में फ़िट कर लिया। समीरा ने मुझे मुड़ कर देखा।

 

फ़ुसफ़ुसाती हुई बोली,”पापाप्लीजअपने कमरे में !

 

मैं धीरे से पीछे हट गया।

 

उसने मेरा हाथ पकड़ाऔर कमरे में ले चली।

 

पापाशर्म छोड़ोऔर अपने मन की प्यास बुझा लोऔर मेरी खुजली भी मिटा दो !उसकी विनती मुझे वासना में बहा ले जा रही थी।

 

पर तुम मेरी बहू होबेटी समान हो…” मेरा धर्म मुझे रोक रहा था पर मेरा लौड़ावो तो सर उठा चुका था, बेकाबू हो रहा था। मन तो कह रहा था प्यारी सी समीरा को चोद डालूँ

 

ना पापाऐसा क्यों सोच रहे हैं आप? नहींअब मैं एक सम्पूर्ण औरत हूँ और आप एक सम्पूर्ण मर्दहम वही कर रहे हैं जो एक मर्द और औरत के बीच में होता है।

 

समीरा ने मेरा लण्ड थाम लिया और मसलने लगी।

 

मेरी आह निकल पड़ी।

 

जवानी लण्ड मांग रही थी।

 

मेरा सारा शरीर जैसे कांप उठा,”देखा कैसा तन्ना रहा हैबहू !

 

बहू घुस गई गाण्ड में पापारसीली चूत का आनन्द लो पापा…!” समीरा पूरी तरह से वासना में डूब चुकी थी। मेरा पजामा उसने नीचे खींच दिया। मेरा लौड़ा फ़ुफ़कार उठा।

 

सच है समीराआजा अब जी भर के चुदाई कर लेजाने ऐसा मौका फिर मिले ना मिले। मैं समीरा को चोदने के लिये बताब हो उठा।

 

मेरा पजामा उतार दो ना और ये टॉपखीच दो ऊपरमुझे नंगी करके चोद दो हाय…”

जवानी लण्ड मांग रही थी। मेरा सारा शरीर जैसे कांप उठा,”देखा कैसा तन्ना रहा हैबहू !

 

बहू घुस गई गाण्ड में पापारसीली चूत का आनन्द लो पापा…!” समीरा पूरी तरह से वासना में डूब चुकी थी। मेरा पजामा उसने नीचे खींच दिया। मेरा लौड़ा फ़ुफ़कार उठा।

 

सच है समीराआजा अब जी भर के चुदाई कर लेजाने ऐसा मौका फिर मिले ना मिले। मैं समीरा को चोदने के लिये बताब हो उठा।

 

मेरा पजामा उतार दो ना और ये टॉपखीच दो ऊपरमुझे नंगी करके चोद दो हाय…”

 

मैंने उसका पजामा जो पहले ही चूतड़ों तक था उसे पूरा उतार दिया और टॉप ऊपर से उतार दिया। उसका सेक्सी शरीर भोगने लिये मेरा लौड़ा तैयार था। मैं बहू बेटी का रिश्ता भूल चुका था। बस लण्ड चूत का रिश्ता समझ में आ रहा था। हम दोनों आपस में लिपट पड़े और बिस्तर पर कूद पड़े। उसने मेरे शरीर को नोचना और दबाना चालू कर दिया और और अपने होंठों को मेरे चेहरे पर बुरी तरह रगड़ने लगी। उसके दांत जैसे मेरे गालों पर गड़ गये। उसकी नई बेताब जवानी, मुझ पर भारी पड़ रही थी। उसके इस कदर नोचने खरोंचने से मेरे मुख एक धीमी सी चीख निकल पड़ी। मेरा लण्ड उफ़ान पर आ गया। वो मेरे ऊपर सवार थी, उसकी चूत मेरे लण्ड पर बार बार पटकनी खा रही थी। मुझसे सहा नहीं जा रहा था।

 

समीराचुदवा ले ना अबदेख मेरी क्या हालत हो गई है।

 

उसने प्यार से मेरे लण्ड को दबा लिया और चूत को ऊपर उठा कर सेट कर लिया और लौड़ा चूत में समा लिया। मुझे लगा जैसे बरसों की इच्छा पूरी हो गई हो। जो चीज़ मुश्किल से मिलती है वो अनमोल होती है। इसलिये मुझे लगा कि समीरा को नाराज नहीं करना चाहिये, वर्ना मेरा लण्ड फिर से लटका ही रह जायेगा।

 

मैं उसकी चूत में लण्ड धीरे-धीरे अन्दर बाहर करने लगा। पर उसकी जवानी तो तेजी मांग रही थी। उसने अपनी चूत कस ली और ऊपर से कस-कस के चोदने लगीऔरमेरी मुश्किल हो गई। सालों बाद चुदाई को लण्ड सह नहीं पाया और वीर्य छूट पड़ा। उसकी ताजा जवानी सच में मुझसे कुछ अधिक ही मांग रही थी।

 

समीराहाय निकल गया मेरा माल तो…”

 

पापानिकाल दो प्लीजपूरा निकाल दोफिर से जमेंगेनिकाल दो…” समीरा ने मुझे प्यार से सहारा दिया। मैं ढीला पड़ गया, लण्ड बाहर निकल आया था। मुझे यह सब बहुत ही सुहाना लग रहा था। समीरा ने वापस धीरे-धीरे मुझे चूमना चाटना शुरू कर दिया। मेरे लण्ड से खेलने लगी। प्यार से अपनी अपनी चूत मेरे मुख पर लगा दी और गीली चूत का रस पिलाने लगी। अपने बोबे पर मेरे हाथ रख कर दबाने लगी। अपनी गाण्ड को मेरे मुख पर रख दियामैंने भी शौक से जवान गाण्ड के छेद में जीभ घुसा कर चाट डाला। इतनी देर में मेरा लण्ड फिर से तन्ना उठा।

 

पापा मुझे घोड़ी बना कर चोदो।

 

हां ऐसे मजा तो आयेगादेखा नहीं गीता कैसे चुदवाती है…”

 

मैं बिस्तर से उतर कर उसके पीछे आ गया। उसने अपने चूतड़ों को पीछे उभार लिया। सामने मुझे उसकी चिकनी गाण्ड और उसका प्यारा सा छेद दिख गया।

 

समीरा गाण्ड से शुरु करें…?”

 

गाण्ड के बहुत शौकीन लगते हैं आप पापा ..?”

 

वो मर्द ही क्या जिसने गाण्ड ही न मारी !

 

हाँ पापाफिर गाण्ड समीरा की हो तो क्या बात है लण्ड गाण्ड मारे बिना छोड़ेगा नहींहै नाहाय पापागया अन्दर …”

 

अब देख दूसरे दौर में मेरे लण्ड का कमालतेरी गाण्ड अब गेटवे ऑफ़ इन्डिया बनने वाली हैऔर चूत भोसड़ा बनने वाली हैमैंने जोश में कहा और समीरा हंस पड़ीऔर सिसकारियाँ भरने लगी।

 

पापा मार दो गाण्ड जरा जोर से मारनामेरी गाण्ड भी बहुत प्यासी हैअह्ह्ह्ह्ह

 

मैंने लण्ड खींच के निकाला और दबा कर अन्दर तक घुसा डालासमीरा ने अपने होंठ भींच लियेउसे दर्द हुआ था

 

हाय राममर गईजरा नरमाई से ना…”

 

ना अब यह जोश में आ गया हैमत रोको इसेमरवा लो ठीक से अब !

 

दूसरा झटका और तेज था। उसने आँखें बंद कर ली और दर्द के मारे अपने होंठ काट लिये। मैंने लण्ड निकाल कर उसकी गाण्ड की छेद पर थूक का लौन्दा लगाया और फिर से लण्ड घुसा डाला। इस बार उसे नहीं लगी और लण्ड ने पूरी गहराई ले ली। उसकी गाण्ड की दीवारें मेरे लण्ड से रगड़ खा रही थी। मुझे मजा आने लगा था। उसकी सीत्कार भरी हाय नहीं रुकी थी। पर शायद दर्द तो था। मुझे गाण्ड

 

मारने का मजा पूरा आ चुका था, मैंने उसे और तकलीफ़ ना देकर चूत चोदना ही बेहतर समझा। जैसे ही लण्ड गाण्ड से बाहर निकाला, समीरा ने जैसे चैन की सांस ली।

 

समीराचल टांगें और खोल देअब चूत का मजा लें…” समीरा ने आंसू भरे चहरे से मुझे देखा और हंस पड़ी।

 

बहुत रुलाया पापाअब मस्ती दे दो ना…” मुझे उसकी हालात नहीं देखी गई।

 

सॉरी समीराआगे से ध्यान रखूंगा !

 

नहीं पापायही तो गाण्ड मराने का मजा हैदर्द और चुदाईन तो फिर क्या गाण्ड मराई…” उसकी हंसी ने महौल फिर से वासनामय बना दिया। मैंने उसकी चूत के पट खोल डाले और अन्दर गुलाबी चूत में लण्ड को घिसाउसका दाना लण्ड के सुपाड़े से रगड़ दिया। वो कुछ ही पलों में किलकारियाँ भरने लगी। चूत की गुदगुदी से खिलखिला कर हंस पड़ी। ये वासना भरी किलकारियाँ और हंसी मुझे और उत्तेजित कर रही थी। उसकी गुलाबी चूत पर लण्ड का घिसना उसे भी सुहा रहा था और मुझे भी सुहा रहा था। बीच-बीच में मैं अपना लण्ड धक्का दे कर जड़ तक चोद देता था। फिर वापस निकाल कर उसकी रस भरी चूत को लण्ड से घिसने लगता था।

 

उसकी चूत से पानी टपकने लगा था। उसने मेरा लौड़ा पकड़ पर अपने दाने पर कई बार रगड़ा मारा और फिर मस्त हो उठती थी। वो मेरे लण्ड के पास मेरे टट्टों को भी सहला देती थी। टट्टों को वो धीरे धीरे सहलाती थी। अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था। मै अब चूत में अपना लण्ड अन्दर दबाने लगा, और पूरा जड़ तक पहुंचा दिया। लगा कि अभी और घुस सकता है। मैंने थोड़ा सा लण्ड बाहर निकाला और जोर से पूरा दम लगा कर लण्ड को घुसेड़ मारा।

 

उसके मुँह से फिर एक चीख निकल पड़ी,” आय हाय पापाफ़ाड़ ही डालोगे क्या?”

 

सॉरीपर लण्ड तो पूरा घुसाये बिना मजा नहीं आता है ना

 

सॉरीचोदो पापाआपका लण्ड तो पुराना पापी लगता है…” और हंस पड़ी।

 

चुदाई जोरों से चालू हो गईसमीरा मस्ती में तड़प उठी। वो घोड़ी की तरह हिनहिनाने लगीसिसकारियाँ भरने लगी। मेरी भी सीत्कारें निकल रही थी।

 

हाय बिटियाचूत है या भोसड़ीसाली है मजे कीक्या मजा आ रहा हैचला गाण्डजोर से…”

 

पापाजोर से चोद डालो नादे लण्डफ़ोड़ दो चूत कोमाईईइ रेआह्ह्ह्ह्ह्ऊईईईइ

 

उसकी कठोर हुई नरम चूचियाँ मसल मसल कर लाल कर दी थी। चुचूक कठोर हो गये थे। दोनों स्तनों को भींच कर चुदाई चल रही थी। चूचियों को मलने से वो अति उत्तेजित हो चुकी थी। दांत भीच कर कस कर कमर हिला कर चुदवा रही थी।

 

पापामैं गईअरे रेचुद गईवोवोनिकलाहाय रेमाऽऽऽऽऽऽऽकहते हुए समीरा ने अपना रस छोड़ दिया। वो झड़ने लगी। मैंने उसके बोबे छोड़ दिये और लण्ड पर ध्यान केन्द्रित किया। लण्ड को जड़ तक घुसा कर दबाव डालाऔर दबाते ही गया। उसे अन्दर लगने लगी।

 

पापाबस नाअब नहीं…”

 

चुप हो जा रेमेरा निकलने वाला है…”

 

पर मेरी तो फ़ट जायेगी ना…”

 

आह आअह्ह्ह रेमैं आयाआह्ह्ह्ह्निकल रहा हैकोमलीईईईइमैंने अपना लण्ड बाहर निकाल लिया।

 

समीरासमीराइधर…” मैंने समीरा के बाल पकड़ कर जल्दी से उसके मुँह को मेरे लण्ड पर रख दिया। समीरा तब तक समझ गई थी। उसने वीर्य छूटते ही मुँह में लौड़ा घुसा लिया। मेरा रस पिचकारी के रूप में निकल पड़ा। समीरा वीर्य को गटागट निगलने लगी। फिर अन्त में गाय का दूध निकालने की तरह से लण्ड दुहने लगी और बचा हुआ माल भी निकाल कर चट कर गई।

 

पापाआपके रस से तो पेट ही भर गया।

 

मैंने उसे नंगी ही लिपटा लिया

 

समीरा बेटीशुक्रियातूने मेरे मन को समझामेरी आग बुझा दी।

 

पापामैं तो बहुत पहले से आपकी इच्छा को जानती थीआपके पी सी में नंगी तस्वीरें और डाऊनलोड की गई देसी मासला लैव की कहानियाँ तक मैंने पढ़ी हैं।

 

सच तो पहले क्यों नहीं बताया…”

 

शरम और धरम के मारेआज तो बस सब कुछ अपने आप ही हो गया और मैं आपसे चुद बैठी।

 

समीरा के और मेरे होंठ आपस में मिल गयेउमर का तकाजा थामुझे थकान चढ़ गई और मैं सो गया।

 

सुबह उठते ही समीरा ने चाय बनाईमैंने उसे समझाया,”समीरा देखो, आपस में चोदा-चादी करने से घर की बात घर में ही रहती हैप्लीज किसी सहेली से भी इस बात का जिक्र नहीं करना। सब कुछ ठीक चलता रहे तो ऐसे गुप्त रिश्ते मस्ती से भरे होते हैं।

 

पापा, मेरी एक आण्टी को चोदोगेबेचारी का मर्द बहुत पहले ही शांत हो गया था।

 

ठीक है तू माल ला और मुझे मस्त कर देबस…” हम दोनों एक दूसरे का राज लिये मुस्कुरा उठे। अब मैं उसे मेरे दोस्तो से चुदवाता हूँ और वो मेरे लिये नई नई आण्टियाँ चोदने के लिये दोस्ती कराती है। हम दोनों अच्छे दोस्त बन चुके थे.


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    नानाजी ने अपनी उंगलिया मेरी जांघों के बीच फसाया

    अगस्त का महीना था। तेलुगु कैलेंडर के मुताबिक श्रावण चल रहा था श्रावण का महीना हमारे यहाँ के औरतों के लिए बहुत ही महत्त्व पूर्ण है। श्रावण के महीने के दुसरे शुक्रवार को महिलाएं अपने पति की आयु, स्वास्थ्य और सम्पदा के वृद्धि लिए 'मंगल गौरी व्रत' मनाते है। हमारे घर में भी यह व्रत माँ मानती है। लेकिन माँ इस व्रत कोअपनी दो और बहनों के साथ मिलकर हमारे बड़ी माँ के यहाँ मानती है। बड़ी माँ विजयवाड़ा में राहटी है।


    इस वर्ष भी मनके लिए हम सब विजय वाडा जाने कि तैयारियां कर रहे थे। हुकमे यहाँ से ४ घंटे का रेल की सफर है। गुरवार के दिन था। दुसरे दिन व्रत है। शाम चार बजे की गाड़ी से हम सब यानि की माँ और हम तीनों बहने जाने कि तैयारी कर रहे थे।

     

    दोपहर बारह, एक बजे के समय में हमारे यहाँ एक नानाजी अये थे। उनका तक़रीबन कोई 53 - 54 साल की उम्र होगी। रेवेन्यू ऑफिस कोई काम था! हमारे यहाँ कोई एक सप्ताह रहने अये है। आते ही उन्होंने हम सब को गले लगाए और हमारे माथे चूमे। मुझे ऐसा लगा की उन्होंने कुछ ज्यादा ही देर मुझे गले लगये थे और और मेरे नितम्बो और चूची को धीरेसे सहलाये।

     

    वह माँ के दूर के रिश्ते से चाचाजी लगते है। माँ उन्हें चाचाजी कहती थी तो हम उन्हें नानाजी कहकर बुलाते थे। पहलीमंज़िल के गेस्ट रूम उन्हें दिया गया। हमेशा की तरह डैडी घर में नहीं थे। डैडी सिविल कांट्रेक्टर है कंस्ट्रक्शन साइट पर थे।

     

    नानाजी के आने से हम सब उदेढ़ बुन में थे की बड़ी माँ की यहाँ कैसे जाए। व्रत का मामला था रुक भी नहीं सकते। हमारे समस्या सुनकर नानाजी ,माँ से बोले कहे "प्रभा आज के लिए मैं किसी होटल में रहजाता हूँ, तुम अपना प्रोग्राम मत बदलो। लेकिनमा की यह पसंद नहीं था, अतिथि घर ए और हम कही और चले उन्हें अच्छा नहीं लगा।

     

    "माँ..." मैं बोली "मैं रुक जाति हुँ, नानाजी को यही रहने के कहिये मैं उन्हें देख लूंगी " कुछ देर की वार्तालाप के बाद यह तय हुआ की मैं रुक जावूं और वह लोग विजयवाडा के लिए चले। मैं रुक गयी और मम्मी और मेरे दोनों बहने प्रेमा, रीमा चले गए।

     

    नानाजी के साथ मैं अकेली थी। माँ और बहने रविवार शाम को आयँगे। उस रात 8.30 बजे हम ने खाना खाया और नानाजी ऊपर अपने कमरेमे चले गए।

     

    मैं अपने कमरे में जाकर कॉलेज के कुछ assignments करने बैठी। रत के 11.30 बजे मैंने अपने assignments खतम किये और हॉल में सोफे पर बैठकर TV ऑन किया और late night अंग्रेजी मूवी देखने लगी। उस समय मैंने खुले गले वाले V शेप की सिल्क की स्लिप पहने थी और अंदर ब्रा नहीं पहनी। वह स्लिप सिर्फ चूचियों को छुपा रही थी। मेरे सफाचट पेट और नाभि खुले थे। ऊपर भुजाये का पास भी स्लिप सिर्फ स्ट्रैप्स ही थे। सिल्क का ही ढीला शॉर्ट्स पहनी थी, जिसकी वजह से मेरे गोरे, मुलायम जाँघे और नीचे पिंडलियाँ नंगे थे। मैंने सिर को हैंड रेस्ट पर रखी और आराम से लेटी थी। मेरा एक पैर नीचे कारपेट पर थी तो दूसरा सोफे दुसरे हैंड रेस्ट पर रख कर मैं मूवी देख रहीथी। चैनल पर adult मूवी आ रही थी और मैं उस नंगे सीन एन्जॉय कर रही थी।

     

    रात के 11.30 बजे थे। पहली मन्ज़िल पर नानाजी गहरे नींद में होंगे। वह नीचे नहि आयंगे I यह सोचकर में आराम से मूवी देख रहीथी। पिक्चर में एक जवान लड़का, एक खूबसूरत जवान लड़की को जो की मेरे उम्र की थी से सेक्स कर रहा है। वह सन देखते ही मेंरी बुर में मदन रास रिसने लगा और जाँघों के अंदर कहीं खुजली शुरू होगई। मेंरा बुर पूरा गीला होगया। मैंने कंधे पर से स्लिप का स्ट्राप निकाली और उसे नीचे खींची। मेरे निपल बहार आगये। मेरे बहिना हाथ से बाहिना निप्पल को मसलते, मैंने मेरे शॉर्ट्स के नडा खींची और दाहिना हाथ अंदर घुसेड़ कर मेरे बुर के साथ खिलवाड करने लगी।

     

    कुछ ही मिनिटो में मेरे उँगलियाँ मेरे प्रि कम से चिके और गीले होगए। मैंने ऊँगली मेरो चूत से निकाली और उन उँगलियों को नाक के पास लेगयी और सूँघि। एक अजीब सी स्मेल आ रही थी। "वाह मेरि चूत की स्मेल भी क्या मस्ती से भरा है" मैं सोची और उन उँगलियों को मुहं में रख कर सरे रस को चाट गयी। मेरे उस नमकीन स्वाद से में बहुत उत्तेजित ही गयी।

     

    खूब चाट ने की वजह से मेरि उँगलियाँ थूक से चिपद गए है, उसे मैंने अपने चूत के होटोंसे खिलवाड़ करते और मेरे लोए बटन से कहते मूवी का स्वाद ले रहीथी। "आअह्ह्ह...उफ्फ्फ...ओहोह...उफ़..ससस..." मेरे मुहं से एक मीठी कराहे निकलने लगी। "आअह्ह्ह... ममम... मैं खलास होने वाली थी की मैंने सीढ़ियों पर पदचाप सूनी। शायद नानाजी नीचे आ रहे थे। "मै गॉड यह बूढ़ा इस समय नीचे क्यों आ रहा है?" मैं सोची।

     

    TV को स्विच ऑफ करने का समय नहीं था। जल्दीसे मैने अपनी उँगलियाँ अपने लव चैनल (चूत) से निकली और मेरे शॉर्ट्स को कमर के ऊपर खींचली। मेरे कोहनिको मैंने अपने आंखोंपर लगाई और TV देखते, देखते सोने का नाटक करने लगी। नियंत्रित रूप से स्वास भी ले रहती ताकि देखने वाले यह सोचे की TV देखते सो गयी है। टीवी में क्या चल रहा है यह भी नहीं पता ऐसे बहना कर रहीथी। नानाजी नीचे TV रूम अये और वह TV देख ने लगे, मुझे मालूम पड़गया। उन्हें मालूम हो गया की मैं क्या देख रहीथी। मेरे दिल ढब ढब धड़कने लगा। नियंत्रित स्वास और दोल की धड़कन से मेरे उन्नत उरोज ऊपर नीचे हो रहे थे। TV स्क्रीन से आने वाली रोशिनी मेरे ऊपर गिर रहीथी। उसके सिवाय हॉल में दूसरा रोशिनी नहीं थी।

     

    कोहिनी के नीचे की छोटीसी झिरी से मैंने देखा की नानाजी का नज़र एक बार TV पर आने वाली सिनेमा पर तो एक बार मेरे पर फिसल रहे थे। तभी मेरे नज़र नानाजी के धोती पर पड़ी। उनके जाँघों के बीचमे उभार आगया है। वह उभार किसका है मुझे मालूम है। धोती के अंदर उनका मर्दानगी खूब अकड़ कर लम्बा होगा और उछल खूद कर रहीहै। नानाजी अपने लंड को उँगलियों से मसल रहे थे। अनजाने में ही मैं उत्तेजित होने लगी और नानाजी के हरकत को मज़े लेते चाव से देख रहीथी।

     

    जैसा की मैने कहा, मैं अपने आँखों पर मेरी कोहनी रख कर सोने का बहाना कर रही थी। नानाजी मेरे बिलकुल पास आगये यह बात मालूम पड गयी। उन्होंने सोफे के पास आए झुककर मेरे नीचे लटकते टांग को थोड़ा और चौड़ा किये और मेरे टांगों के बीच बैठ गए। कुछ देर मुझे देखते रहने का बाद उन्हीने धीरेसे मेरे पैर के नंगे भाग को धीरेसे सहलाने लगे। मेरे सारे शरीर में झुर झुरिसि हुयी। मेरे घुटनों और जाँघों पर नानाजी के हाथ की गर्मी मुझमे मस्ती पैदा कर रहीथी।

     

    मैं खामोशी से सोने का बहाना कर रही थी। कुछ देर ऐसा करनेके बाद अब नानाजी के हाथ मेरे जाँघों के अंदर के तरफ फेर रहे है। मुझे गुद गुदी सी होने लगी, फिर भी मैं हिली ढूली नहीं और न ही मैंने अपने हाथ को मेरे आँखों पर से निकाली। मैं हिली ढुली नहीं तो उन्हें और हिम्मत आगयी और धीरे से अपना हाथ मेरी तिकोन के उभार पर रख धीरेसे दबाये। फिर भी मेरे में कुछ हरकत न पाकर अब अपनी तर्जनी ऊँगली को मेरे चूत की फुली होंठों पर ऊपर से नीचे तक चलाने लगे।

     

    शशांक भैय्या से करवाने के बाद मेरे में सेक्स की चाहत बढ़ गयी। नानाजी अब क्या करेंगे यही सोचते मैं खामोश पड़ी थी। एक बार गुद गुदी की वजह से मैं थोड़ी सी हिली और नानाजी झट अपने हाथ निकले। शायद वह समझ गए की मैं जगी हुई हूँ। मैं फिर से बिना हिले ढूले पड़ी थी और फिर से अपना हरकत शुरू कर दिए। नानाजी मेरे कमर के पास अपने घुटनों पर बैठे और धीरेसे मेरी स्लिप को ऊपर उठाये। उनकी हरतों से मरे में फिर से झुर झूरी सी होने लगी। और मेरे रेंगते खड़े होगाये। वह आगे झुके तो उनका गर्म सांस मेरे नहीं और पथ पर पड़ने लगी।  कराह को मैं बड़ी मुश्किल से रोक पायी। फिर उन्होंने अपना जीभ को मेरे नाभि में घुमाने लगे। " मैं अंदर ही अंदर कराही।

     

    नानाजी धीरे से मेरे सर के पास आये और मी ऊपर झुके। अब का गर्म सांस मेरे बहिना (left) चूची पर फील करने लगी। अपने जीभ से मेरे चूची के घुंडी के इर्द गिर्द फिराने लगे। नेर चूचियों में एक अजीब सी मस्ती भरी थी। फिर उनका नजर मेरे खांक पर गिरी। एक दिन पहले ही मैंने कांक और मेरी बुर पर बाल साफ़ किये थे। इसी वजह से मेरी खाँख बिना बालों के चमक रही थी। 


    मैं अभी भी में राइट हैंड को मेरे आँखों पर रखी थी। और कोहिनी के पास छोटी सी झिरी बनाकर मैं सब देख रहीथी। वाह धीरे से मेरी खांख पर झुके और अबमैं उनका गर्म सांस वहां महसूस करने लगी। एक बार मेरे खाँख को सूंघ कर फिर अपना जीभ निकल कर मेरे पूरी खाँख को नीचे से ऊपर तक चाटने अलगे। इनके इन हरकतों से नीचे मेरी जाँघों के बीच की मेरी मुनिया खूब रिस ने से मेरी शॉर्ट्स जिगट हो गए।

     

    "क्या मेरी नाती सच में ही नींद में है?" कह कर जब मेरी खाँख को चाटी अपने जीभ मेंरे होंठों पर रखकर मेरे मुहं के अंदर दाल ने की कोशिश की। अब मुझे अपने आप को संभल न बहुत मुश्किल होगया है। फिर भी तक संभाली और नींद का बहाना कर रहीथी। अपने जीभ को मेरे होंठों पर फिराने के बाद अब उनकी दृष्टी मेरे बुर पर पडी।

     

    धीरेसे अपना उँगलियाँ मेरी बुर पर लाकर मेरी बुर को शॉर्ट्स के ऊपर से ही हलका सा रगड़ न शुरू करे। मामाजी के उँगलियाँ और मेरी बुर में बेच एक सिल्क की शॉर्ट्स के अलावा लुक नहीं था। एक हाथ की उँगलियाँ मेरी बुर को रगड़ रही है तो दुसरे हाथ के उँगलियाँ मेरे तिकोन के उभर को दबाने लगे। मुझे ऐसा लग रहा था की मेरे खूब पहली चुत में हजारों चींटियां रेंग रहे हो। जैसे नानाजी ने मेरे चूत को होंठों को दबा रहे थे मेरे सारे शरीर में गुद गुदी सी होने लगी। फिर भी मेरे यहाँ से कोई प्रतिक्रिया ना पाकर उन्हने अपना बुर रगड़ने का काम चालू रखे।

     

    फिर मेरे शॉर्ट्स की इलास्टिक खींचकर कमर के यहाँ अपना हाथ अंदर घुसेड़दिए। अब नानजी के उंगलयां मेरे नंगे बुर की होंठों के साथ खेलने लगे। मेरे साए सरेर में झुर झुरिसि होने लगी। फॉर भी अपने आप को सम्भलते सोने बहाना जारी रखी। कुछ देर ऐसे ही खेलने के बाद अपनी उँगलियाँ निकल कर अपने मुहं में रखे और सरे लॉस लेस को चाट गए। एपीआई उँगलियों को अपने थूक से फिर से चिकना बनाकर फिर से हाथ अंदर डालकर छूट ले पुत्तियों को चौड़ा कर अपनी बीचकी ऊँगली को मेरो गीली छूट के अंदर डालने लगे। अनजाने में ही मेरे पुत्तियाँ उनकी ऊँगली को जकड कर अंदर को खींचने लगे।

     

    नानाजी वैसे ही थोड़ी देर तक मेरे छूट के होंठों से खिलवाड़ काने का बाद मेरे शॉर्ट्स को नीचे खींचने लग्गे। शॉर्ट्स धीरे धीरे मेरे बादबान से नीचे सरकने लगी। मरे कमर के नीचे और फिर मेरे जाँघोंसे भी नीचे लेकिन वह मेरो नितम्बो के नीचे फँसी हुई थी, मैंने नींद में कुन मनाने का बहन कर मेरे कमर को थोड़ा ऊपर उठाई।

    मेरे शॉर्ट्स मेरे नितम्बोंके नीचे और नीचे मेरे घटंन तक आगयी। फिर मुझे मेरी उभर दार बुर पर मामाजी के गर्म सांस की आभास हुआ। मेरी अब संभालना कठिन हो रहा था। इतने में उन्होंने मेरे बुर के पत्तों को चौड़ा कर अपना नाक उन पुत्तो के बीच रख कर सूंघे और उससे वहां दबाने लगे। फिर अपने जीभ को उस छीर में घुसेड़ कर घूमाने। मुझे इतना मज़ा आने लगा की मैंने तो नानाजी को वैसे ही अपने जीभसे मेरी बुर को चोदने की तमन्ना करने लगे।

     

    तब तक मेरी बुर पानी रिसने लगी। दही, धीरे मेरी रिसती बुर को नीचे से ऊपर तक चाटये हुए हलके से मेरी घुंडी को दोनों लियों बीच लेकर मसलने लगे। मैंने वैसे ही सोने का बहन कर उनके हरकतें का आनन्द ले राही थी। फिर सेअपनी उँगलियों पर थूक कर उस से अपनी उँगलियों को चिकना कर मरो बुर को रगड़ने लगे। दर से रिसने वाली मदन रास से मेरी बुर पहले से ही चिकनी हो चुकी है।

     

    उन्होंने फिर से मेरी गीली चूत को चाटने लगे और मेरी घुंडी को tease करने लगे। ऐसे कुछ देर खेलने का बाद अब उन्हीने मेरी स्लिप को ऊपर उठाने लगे।

     

    मैंने मेरी नींद को कंटिन्यू करने का बहाना कर मेरी पीठ को ऊपर उठायी। नानाजी ने मेरी स्लिप को पूरा ही उअप्र उठाकर मेरे गले के पास डाल दिए। और अब मेरी उभारदार चूचियां और उनके गुलाबी निप्पल्स उनके आँखों के सामने नंगे थे। अपनी उँगलियों से मेरी होंठों को सितार बजाकर, दुसरे हाथ में मेरी चूचियों को लेकर दबाने लगे। फिर अपने दौड़ने हाथों से दोनों उरोजों को दबाते अपने जीभ को मेरी चूची की घुंडी इर्द गिर्द घुमाने लगे।" कह कर में धीरे से कुन मुनाई।

     

    "क्या मेरी नाती सचमे ही नींद में है....?"

     

    मैंने धीरे से आँखे खोली और नानाजी को देख कर हलकी सी मुस्कान दी और फिर से आँखे बंद कर ली।

     

    नानाजी ने हलके से मेरी जांघों को चौड़ा करने लगे और आराम से नीचे कारपेट पर घुटनों बल बैठ कर मेरी बुर को चाटने, चुभलाने और खाने लगे। उनका ऐसा करना मुझे इतना पसंद आया की मैं मेरी कमर ऊपर उठा उठाकर अपनी चूत को खूब अच्छी तरह चाटने में उनकी मदद करने लगी।

     

    मेरे ऐसा कमर उछलने से उन्हें बहुत ही हिम्मत मिली, और उन्होंने मेरि शॉर्ट्स को पूरा खींच कर मेरे पैरों से निकाल फेंके। फिर उन्होंने अपनी धोती भी खींच फेंकी और अपना तगड़ा, और मोटा लवडे को हाथ में लेकर हिलाने लगे। वह एक दम मक्के की बुट्टे की तरह थी। वह फिर अपनी थूक से अपने लवडे को गीला कर मेरी चूत को होंठों को टच किये।

    Oh God ... उनका सुपडे की गर्माहट मेरी बुर पर इतना अच्छा था की मैं अपने आप मेरे जाँघे और चौड़ा कर मेरे मुलायम नितम्बो को ऊपर उठाई। नानाजी ने धीरे से अपना उस मुश्टन्ड मेरे में घुसेड़े। मुझे ऐसा लगा की गर्म लोहे की सलाख मेरे में घुस रही हो। वैसे मैं पहले से ही शशांक भैय्या से चूदी थी इसी लिए उनका सुपाड़ा पूरा अंदर चला गया। उस सुपाडे का रगड़ मेरे बुर की अंदरी दीवारों पर गुद गुदी पैदा करने लगे।

     

    नानाजी मेरे जांघों को और चौड़ा करने लगे, मैंने अपनी जंघों की मांस पेशियों को ढीला करदी। उन्होंने मेरे टांगों को अपने भुजावों पर रखे। अब पोजीशन ऐसी थी की वह अपनी नाती यानि कि मेरे गीले बूर में अपना मोटा और तगड़ा लुंड पेलने के लिए तैयार थे। अपने लवडे को उन्हों ने मेरी जवान बुर पर रख कर अंदर दबाए और उनका सूपड़ा 'गछ' के साथ अंदर। "आअह्ह्हा।।।ससस..." मैंने अपने होंठों से निकलती कराह को रोकने की कोशिश की। वह अपनी लुंड को अंदर और बहार करते मुझे चोदने लगे। थोड़ा थोड़ा कर नानाजी का लुंड मेरे उसमे पूरा घुस गया। जब पूरा अंदर चला गया थो उन्होंने एक जोर का धक्का दिए। में अब अपने आप को रोक न सकी और  आवाजें मेर मुहं से निकल पड़े। उनके हर शॉट के साथ मैं अपनी गांड उछालते चुदाई की आनंद ले रहीथी।

     

    अब तो उनको मालूम है मैं जगी हूँ। अब उनका चोदना जोर पकड़ने लगा... उनके हर धक्का मेरे तिकोन पर जम कर पड़ रही है। मेरे मस्त छातियों को दोनं हाथोसे पकड़ कर मींजते और मेरे होंठों को चुभलाते हुए "गग्गुओंणरणररर" के आवाजें उनके मुहं से निकल रहे थे। ऐसा पांच छह मिनिट मुझे चोदने के बाद मैंने उनके शरीर में अकड़न महसूस की। "ऊऊउ उउउउम्मम्मम्म" एक बहार फिर जोर से कराहे। बस उनका शरीर और अकड़ा और अपने गर्म वीर्य से मेरी बुर को भर दिए। एक गहरी moan के साथ उनका शरीर झन झना उठी और अपना लव स्टिक (love stick) सोडा सायफन के तरह मेरे बुर को भर ने लगी। नानाजी का गर्म वीर्य मेरे चूत के दीवारों से बहार बहने लगी।

     

    मैं भी खलास होने को थी। मेरे शरीर एक मीठे अनुभव से गद गद हो उठा। मैंने अपने चूत और गांड के मांस पेशियों को टाइट करी। मेरे दोनो हाथ नानाजी के कमर के गिर्द लपेट उन्हें मेरे ऊपर खींची और जोरसे उन्हें अपने से जकड की।  की मीठी कराह मेरी मुहं से निकली और मेरे बुर की पुत्तियों से उनके लुंड को जकड़ कर में भी खलास हो गयी और मेरी बुर अपना मदन रस छोड़ने लगी।

     

    थोड़ी देर बाद नानाजी ने मेरी आँखों में देखे। उनके मुखमे खुशी धमक रहीथी। मैंने भी उनकी आँखों में चाहत से देखी और हलके से मुस्कुरा दिया। उन्होंने भी मुस्करा कर मेरी आँखों को चूमे। हम दोनों में कुछ बातें नही हुयी, बस अब तक हुयी चुदाई का आनंद उठा रहे थे। वह कोई 54 - 55 साल के है और मई 19 की। मैंने अपने दोनों हाथों से नानाजी के सर को पकड़ कर मेरी ओर खींची और उनके होंठों को मेरे में लेकर किस किया।

     

    उनका लंड अभी भी मेरे चूत में है। मुझे एक बार कस कर चूमे और फिर जवान चूचियों को पीने लगे। जब उनका बहार निकला तो वह बिलकुल नरम पड गयी है, और मेरे बुर में से हम दोनों का रस बाहर को बह कर मेरे नितम्बी को और मेरी गांड में भी घुसने लगे। सारा जगह चिप चिपाहट होगया। नानाजी ने अपने मुहं वहाँ रखे और सारा रस अपने जीभ से चाट कर साफ़ कर दिए। जैसे ही नानाजी मेरे बुर को चाट ने लगे उसमे फिर से खुजली होने लगी।

     

    नानाजी ने मुझे अपने गोद में बिठाये और मेरे अंगों के साथ खेलने लगे। मेरी निप्पल्स को सूचक कर रहे थे और मेरी पूरी चूचिको नीचे से लेकर ऊपर तक चाट रहे थे। मेरे चूतड़ों के बीच उनके मर्दानगी तन कर फिर से फुफकारने लगी।

     

    मैं नानाजी सोफे पर बैठे थे। मैंने उनके गोद से उतरी और नीचे कारपेट पर पालथी मारकर बैठी, नानाजी के टाँगे नीचे लटक रहे है और उनके टांगों के बीचमे उनका मुरझा सुस्त पड़ा है। में नीचे उनके टैंगो बीच बैठी और उनके लंड को मुट्टीमे पकड़ी, से ऊपर नीचे करने लगी। इसे मसाज करने लगी "हेमा। ..हहहह ममहहाआ...." नानाजी खुशी से गुर्राए।

     

    वह अब पूरी तरह खड़ा होगया और मैं उसे मुट्टीमे लेकर नापी। पूरा एक बालिश्त से ऊपर है उनका। ननजी का खड़ा लंड देख कर मेरे मुहं में फिर से पानी आगया मैं उसे मेरे मुहंमे लेकर चूसने करने लगी। कभी कभी मेरे जीभ को उनके सुपडे के ऊपर फिरा रही थी। उनका बहुत लम्बा है, मैं उसे पूरा का पूरा मेरे मुहं में लेने की कोशश किया केकिन ना कामयाब रही। एक चौथाई के बराबर बहार ही रह गया। अब नीचे मेरे जांघों के के बीच फिर से मदन रस रिसकर चूत होंठों तक बाह रही है।

     

    "आअह्ह। ... हेमा... मेरी प्यारी... बहुत अच्छी चूस रही हो.. आएं...वाइस ही चूसो.. शाबाश... जिस मस्ती से तुमने मेरा सब्बाक लो अपने में लिया है... ला जवाब है.. वंडर फूल.. आख़िरी में तुम्हारी बुर का मेरे उसके गिर्द जकड़ना तो बोलो मत... बिलकुल प्रभा की तरह है तेरी बुर भी... वही जोश वही मस्ती" वह बढ़ बडाने लगे।

     

    उनके बातें सुनकार में चौंक गयी और चकित होकर उन्हें देखने लगी। क्या नानाजी ने माँ को....

     

    "क्यों चकित हो गयी क्या? अरी.. प्रभा.. तेरी माँ... वह भी तेरे जैसे ही जोश से चुदवाती थी। मैंने तुम्हारे माँ को ही नहीं, शुभा,तुम्हारी बड़ी माँ को और विभा छोटी माँ को भी चोदा है। तुम्हारी माँ और छोटी माँ दोनों मेरे लंड को पहले लेने के लिए लड़ते झगड़ते थे।" ननजी कह रहे थे।

     

    मम्मी बहुत ही गर्म औरत है और खूब मज़े से चुद्वाती है, यह बात मुहे मालूम है, जिस दिन मैं शशांक भैया से करवाई थी उसी रात मैं और मेरी छोटी बहन रीमा ने माँ को भैया से चुदवाते देखे है। (पढ़िए मेरे लिखा जुआ 'मेरे शशांक भैय्या) .

     

    नानाजी का मर्दानगी फिर से टाइट होगई जैसे इस्पात का रॉड हो। मैं उसे अपनी मुट्टी में जकड़ी थी। उन्होंने मुझे हाथ पकड़ कर खींचे खुद सोफे से उठकर एक गुड़िया की तरह मुझे उठाकर अपने कंधे पर डा ले। उनका एक हाथ मेरे नितम्बो के नीचे संभाली है तो दूसरा हाथ से मेरे स्पंजी नितम्बों को दबाते हुए ऊपर अपने कमरे में लगाए और, मुझे बेड पर लिटा दिए, अपनी कमीज उतार फेंके। अब वह पूरा नगनवस्ता में एक बर्थडे बॉय लग रहे है। उनका लंबा, मोटा लावड़ा उनके जहंघो के बीच लटक रही है। में भी कमऱ के नीचे नंगी हूँ। ऊपर सिर्फ स्लिप थी जिसे मैंने उतर नीचे डाल दी। अब मैं भी नानाजी के तरह पूरी नंगी हूँ।

     

    नानाजी ने मुझे औंधा किये और मेरी नितम्बों को ऊपर उठाये। मैं उनका मंतव्य समझ गयी और बेड पर चौपाया छुपाया बनकर मेरी गांड कॉपर उठई एक कुतिया की तरह। दोनों घुटनों को पैलाकार मेरे टांगों को चौड़ा किया। दोनों हाथों को कोहिनी के पास मोड़कर बेड पर रखी और मेरे सिर को हाथों पर रखी, फिर मेरे गांड को ऊपर उठई।

     

    अब मैं नानाजी मुझे पीछे से लेने के लिए तैयार हूँ। नानाजी मेरे पीछे आए अपने घुटनों पर बैठकर पीछे से मेरी बुर को खाने लगे। में इतना गरमा गयी हूँ की मेरे बुर में से गर्म हवाएं निकलने लगे और वह फूल के पाव रोटी की तरह थी।

     

    नानाजी अंदर.. यह और अंदर...पूरा जानेदो तुम्हारे जीभ को अपने नाती की चूत में ... कितन अच्छा है. आअह ह.. मेरी बुर की लालसा ....बढ़ रही है.आमम्मा.... नानाजी कैसी मेरी। .. तुम्हे अच्छा चा लगा रहा है ना... बोलो नानाजी कैसी है मेरी चूत t.. क्या एह मेरी माँ जैसी है या मेरी छोटी माँ जैसी... उम्म्म और खाजाओ आहहहआ..." नानाजी के मुहं पर चूत को दबाते मई बड़ बड़ा रहीथी।

     

    "आह्ह...हेमा तेरी तो मस्त है.... तेरी माँ से भी अच्छा.. और तेरी छोटी माँ से भी अच्छा... साली तु भी क्या यद् करेगी.. ले अपनी नाना के जीभ को अपने बुर में... क्या नमकीन माल है.. हाँ...हाँ.. बस..वैसे ही रगड़ अपनी बुर को नानाके मुहं पर. शभाष..आह..हां...".नानाजी मेर गीली, मस्ती से भरा चूत को चूसते ते कहने लगे।

     

    में अपनी बुर को उमके मुहं पर रगड़ ते " नानाजी...न..ना.जी... और चोदो मेरी चूत को... फाड़ दो इस रंडी को.. ममम..." मैं कही।

     

    मेरी पोजीशन को समझ कर नानाजी ने उठे और मेरे पीछे आकर मेरी कमर को दोनं हाथों से पकडे और अपना सूपड़ा मेरी बुर की सुराख पर रख कर रगड़ने लगे।एक मीठी कराह मेरी मुहं से निकली। फिर उन्होंने सुपडे को सुराख के बीच रख कर एक जोर का शॉट दिए। आह..ह.." अब मैं दर्द से कराही। उनका गोल मोटा सुपाड़ा मेरी बुर को चीरती अंदर घुस गयी। मेरे स्पंजी नितम्बों को दबाते। . कभी कभी.. एक चपत लगते अपने चमड़े की चढ़ को अंदर बाहर पंप कर ने लगे। मेरी मदन रस से अच्छी तरह ऑइलिंग हुयी मेरी चूत में उनका लंड पिस्टन रोड की तरह आगे पीछे हो रहीथी।

     

    मैं अपनी गांड को उनके लंड पर रगड़ते गांड को ऐ पीछे क्र रहीथी। उन्होंने मेर लटक थी चूही को पकडे और उसे दबाते मुझे हमच , हमच कर चोदने लगे।

     

    "अम्माम्माम्मा... नाना..नानाजी.. मैं खलास हो रही हूँ...ऊम्मम... मारो। .और जोर से मारो अपने तोप को मेरे अंदर... आअह " कह कर मैं झाड़ गयी।

     

    "प्यारी.. आह.. कितनी टाइट है तेरी... आह.. यह. अब तेरी बुर मेरी rod को जकड़ रहि है.. ऐसे ही जकड... तेरी माँ जैसी ही तू भी बहुत गर्म लड़की है... आह.. मैं भी खलास ही रहा हूँ.. ले नानके गर्म लावा अपने में।" कह!

     

    उनका शरीर जहां झनाहट मुहे मालूम हो रहा थे। Iउनके मुहं के ये गुर्राह मैंने सूनी। मेरे नितम्बों को मसलते एक बड़ा शॉट उन्होंने मेरी अंदर दिए और फिर पाना गर्म लावा से मेरी बुर को भरने लगे। मैंने उनका गर्म लस लस का अनुभव किया और मेरे चूतड़ों को पीछे दखेलते मीठे से करहा " नानाजी.. नानाजी.. मेरे अच्छे नानाजी.. आअह कितना प्यारा है तुम्हार आयेह डंडा... मेरी चूत आप के लंड के हमेशा तैयार रहेगी... मैं तुमसे हमेशा चुदावउँगी। नानाजी तुमजब भी यहाँ ए तो मुझे चोदे बिना नहीं जाना। अगर मेरि शादी होने पर भी मई आपसे चुदावउँगी " कहति माई अपना गांड पीछे धकेली और झाड़ गयी। पाठकों यह मेरे एक अच्छा चुदाई है.. ऐसे एक बड़े उम्र वाले से।

     

    खलास होने के बाद मैं अउर नानजी उसी हालत में लुक देर रहे, फिर उन्होंने मेरे बुर से अपना लंड निकली। हम दोड़नों का मदन रस जो हम में से छूटा है मेरे अंदर से बहकर मेरे जांघों को तर करते नीच बहने लगी। नानाजी ने झुके और सारी रस चाट चाट कर साफ़ किये। जब तक चार्ट रे हे की मेरे छूट की घुंडी में फिर से खड़ापन आ गया,, और बुर में फिर से खुजली होने लगी। मई भी नानाजी प्यारे सिपाही को ममेरे हाथों स स साफ़ की उसे दुलारने लगी।


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      भैया और उसके दोस्तों ने मेरे साथ ग्रुप सेक्स किया

      हेल्लो दोस्तों  मेरा नाम प्याली है मैं अठारह साल की हु. मैं बी. कॉम. फर्स्ट इयर में हु. वहां मैं पहले हॉस्टल में रहती थी, फिर मैंने अपनी एक फ्रेंड के साथ एक कमरा किराये पर ले लिया. मेरा रंग गोरा है. मेरी एस और थिंग की फिटिंग बहुत सेक्सी लगती है जीन्स में. मुझे शौपिंग करने का बहुत शौक है. सो दिल्ली में एक्स्ट्रा पेसो के लिए बाहर चुदवा लेती थी. मेरी फ्रेंड रंडी थी और वो रोज़ किसी ना किसी से चुदती थी. और जब मुझे पैसे चाहिए होते थे, तो वो मेरे लिए भी कस्टमर करवा देती थी.


      मैं पूरी रात के लिए चुदवाने जाती थी. मंथ में ५-६ बार चुद्वाती थी. ग्वलियर में मेरी मम्मी ४५ और बड़ा भाई पवन २४ रहते थे. पापा दुबई में जॉब करते थे. तो बहुत ही कम आते थे. २न्द सेमेस्टर के एग्जाम के बाद, १५ दिन के लिए घर गयी थी. मम्मी को मौसी के पास जाना पड़ा, नानी की तबियत काफी ख़राब हो गयी थी. सो मैं और भाई ही घर पर बचे थे. भाई अपने दोस्तों को घर बुलाकर ड्रिंक करता था और मैं सबके लिए खाना बना देती थी. वो सब भी मुझ से छोटी बहन की तरह ही बातें करते थे.

      मम्मी के जाने के २ दिन बाद, भाई के ३ फ्रेंड घर आये. रवि, सोनू और रजत. रवि और अभि तो आते रहते थे और मैं भी उन्हें जानती थी. मैं रजत को देखकर चौक गयी. रजत मेरी फ्रेंड को २ -३ बार चोद चूका था और उसने मुझे भी मेरी फ्रेंड के साथ उसी होटल में जाते हुए देखा था. मुझे देखकर उसे मेरी शकल याद आ गयी, बट उसने कुछ कहा नहीं. मैं भी समझ गयी, कि ये मेरे राज खोल सकता है. मैं डर गयी थी.

      उस दिन भाई और तीनो ने सुबह से काफी ड्रिंक कर ली थी दोपहर २:३० बजे तक. वो पानी के बहाने किचन में आया और मुझे पीछे से पकड़ लिया. उसके हाथ मेरे बूब्स को पकडे हुए थे और मेरी गांड पर वो अपने लंड रगड़ने लगा. मैंने उसे अलग करने की कोशिश की, लेकिन उसने कहा नाटक करेगी, तो सबको बता दूंगा. कि तू एक रंडी है. मैं डर गयी और चुपचाप खड़ी रही. वो मेरे बूब्स दबाये जा रहा था. फिर मुझे घुमाकर किस करने लगा. उसके हाथ मेरी जीन्स के ऊपर से ही मेरी चूत और गांड पर जोर जोर से चलने लगे. इसने फटाफट मेरी जीन्स का बटन खोला और हाथ अन्दर डाल दिया और ऊँगली मेरी चूत में घुसाने लगा.

      जीन्स खोली नहीं थी. इसलिए हाथ बिलकुल टाइट था. २- ४ बार ऊँगली अन्दर बाहर करने के बाद उसने ऊँगली निकाली और अपने मुह में डाल कर चाटी. फिर वो बोला, तू चिंता मत कर किसी को कुछ नहीं बोलूँगा. पर तुझे अभी रंडी कुतिया की तरह चुदना होगा. ये कहकर वो बाहर चला गया. फिर थोड़ी देर में जब व्हिस्की की बोटेल ख़तम हो गयी. तो रजत ने कहा मैं और लेकर आता हु. रात और रवि बाहर चले गये बोटेल लेने. रजत ने बाहर रवि को मेरे बारे में सब बता दिया और कहा अगर तू मेरा साथ दे. तो इसको अभी चोद लेंगे. ये बहुत बड़ी रंडी है.

      उन्होंने सोनू को भी फ़ोन करके बाहर बुला लिया और उसे भी अपने प्लान में शामिल कर लिया. जब वो लोग और बोतल लेकर वापस आये, तो उन्होंने प्लान बनाया कि पवन को खूब बोटेल पिलाकर बेहोश कर देते है और फिर सब मिलकर मुझे चोदेंगे. उन तीनो की शकले देखकर ही समझ गयी थी, कि आज मेरी चूत का बुरा हाल होने वाला है. सबे फिर से ड्रिंक करनी शुरू कर दी. सब पवन को ज्यादा पिला रहे थे और और खुद बहुत थोड़ी सी पी रहे थे.

      इतने में रजत के दिमाग में ख्याल आया, कि क्यों ना पवन को भी उसकी बहन की चुदाई के लिए उकसाया जाए. उसने अपनी जेब से ४ वियग्रा की गोली निकाली और सबके ग्लास में डाल दी. पवन को वैसे ही बहुत चढ़ गयी थी और ऊपर से गोली का असर. उसका लंड खड़ा होने लगा. बाकि तीनो के लंड भी खड़े हो चुके थे, पर वो तीनो होश में थे. रजत पवन के साथ सेक्स की बात करने लगा और कहा मैं अपनी गर्लफ्रेंड को ऐसे चोदता हु और ये सब सुनकर पवन के लंड का और भी बुरा हाल होने लगा.

      पवन बोला यार, आज मेरा किसी को छोड़ने का बड़ा मन कर रहा है. रवि बोला तो चोदले ना. तुझे कहीं दूर भी जाने की जरूरत भी नहीं है. इतना गजब का माल है. मैं ये सब किचन से सुन रही थी. फिर पवन बोला नहीं यार, बहन है वो मेरी. तो बाकि सब कहने लगे; तो क्या हुआ? तेरे पास लंड है और तेरी बहन के पास चूत. दोनों को एक दुसरे की जरुरत है. क्या वो कभी किसी से नहीं चुदेगी…? तो तू भी चोद ले. ये सब सुनकर पवन का दिमाग ख़राब होने लगा.

      एक तो व्हिस्की का नशा और उसपर गोली. तो पवन का लंड बेकाबू होने लगा. पवन ने मुझे आवाज़ दी, प्याली बाहर आयो. मैं अपनी घर की टाइट टीशर्ट और टाइट जीन्स में थी. पवन का लंड अब पेंट से बाहर आ रहा था. मुझे देखकर वो पागल होने लगा. उसने एकदम से खड़े होकर अपनी बाहों में जकड लिया और बूब्स और गांड दबाने लगा. वो मुझे पागलो की तरह किस कर रहा था. मैं हिल भी नहीं पा रही थी. मैंने भागने की बहुत कोशिश की, पर उसने मुझे ऐसे जकड रखा था, की मैं हिल भी नहीं पा रही थी. मैंने बोलने की कोशिश की, भैया मैं आपकी छोटी बहन हु.

      मेरे साथ ऐसा मत करो. पर मैं कुछ भी नहीं बोल पा रही थी. रात, सोनू और रवि मेरे साथ ये सब होते हुए देखकर बड़े खुश हो रहे थे और बोल रहे थे चोद दे पवन. आज इसे चोद दे. साली बड़ी मटक मटक कर गांड हिलाकर चलती है. डाल दे अपना लंड इस साली रंडी की चूत में. ये सब सुनकर मैं भी एक्साइट होने लगी. पवन तो पागल हो ही गया था. वो जल्दी जल्दी मेरे कपडे उतारने लगा. मेरी टीशर्ट निकाली और फिर मेरी ब्रा को भी जोर से खीचकर निकाल दिया. मेरे बूब्स देखकर सबके मुह में पानी आ गया.

      सबने अपने अपने कपडे उतार दिए. मेरी जीन्स रवि ने खोली और साथ ही पेंटी भी खीच कर निकाल दी. मैं ४ मर्दों के सामने नंगी खड़ी थी और मेरी चूत से पानी निकल रहा था. पवन मुझे किस कर रहा था और रवि मेरी गांड में मुह डाल कर पीछे से चूत चाट रहा था. पवन आगे आया और मेरे बूब्स को पकड़ कर मसलने लगा और चूसने लगा. पवन ने भी अपने सारे कपड़े उतार दिए और हम सब पुरे नंगे हो चुके थे. जब तक पवन कपड़े उतारने के लिए हटा. तब तक रजत ने मुझे गोद में उठा लिया और मेरी दोनों टाँगे उसने अपने से लिपटा ली.

      वो मुझे किस कर रहा था और उसका लंड मेरी चूत पर था. उसने अपना लंड मेरी चूत पर टिका दिया और धक्का मारा. मैं चुदी तो हुई थी पहले भी, तो लंड को अन्दर जाने में ज्यादा दिक्कत नहीं हुई. २ -३ झटको में पूरा लंड अन्दर चले गया और वो मुझे ऐसे ही हवा में चोदने लगा. मैं रजत की गोद में हि थी और वो मुझे धक्के मार रहा था. रवि पीछे से आया और मेरी गांड में ऊँगली डालने लगा. चुदाई की वजह से मैं उछल रही थी और रवि की ऊँगली भी मेरी गांड में अन्दर बाहर हो रही थी.

      फिर रजत ने मुझे नीचे उतारा और सबके लंड को चूसने के लिए कहा. मैं घुटनों पर बैठ गयी और एक एक करके सबके लंड चूसने लगी. सभी मुझे घेर कर खड़े हो गये. मैं २ मं पवन का लंड चुस्ती, फिर सोनू का, फिर रजत का और फिर रवि का. ऐसे गोल गोल घूम कर मैंने २० मिनट तक सबके लंड चुसे. फिर सब ने मेरे मुह में ही अपना अपना पानी छोड़ दिया. सब लोगो ने १ १ पेग बनाया और मुझे सीधा लेटा दिया बीच में. रात मेरी चूत पर व्हिस्की डाल रहा था और सोनू और रवि मेरी चूत चाट रहे थे और व्हिस्की पीने लगे.

      पवन भैया मेरे बूब्स दबा रहे थे. फिर रजत ने कहा, कि पवन ये तेरी रंडी बहन है. तू इसे चोद पहले. ये सुनकर पवन भैया को जोश आ गया और उन्होंने मेरी टाँगे चौड़ी की और अपना लंड मेरी चूत के मुह पर रखा. फिर उन्होंने एक जोरदार झटका मारा और पूरा लंड अन्दर डाल दिया. मुझे बहुत ज्यादा दर्द हुआ. मेरी चीख निकली और आंसू भी निकल आये. पर भैया नहीं रुके और मुझे ऐसे ही चोदते रहे. बाकि ३नो व्हिस्की पीते रहे और हस्ते रहे. वो मेरे बूब्स दबाते, निप्पल चूसते और खीचते. वो मुझे थप्पड़ भी मार रहे थे.

      १० मिनट चोदने के बाद, भैया ने अपना लंड बाहर निकाला और हट गये. फिर रवि आया और मेरी चूत मारना शुरू किया. उसके बाद सोनू का पानी भी मेरी चूत में गिर गया. उसने अपना लंड निकाला और मेरे मुह में डाल दिया और बोला चल साली छिनाल, इसे चाट कर साफ़ कर. मैं उसके लंड का पानी और अपनी चूत का पानी टेस्ट कर रही थी. मैंने उसे चूस चूस कर साफ़ कर दिया. मैं बुरी तरह थक चुकी थी और मेरा पानी भी २ बार छुट चूका था.

      बट ये लोग नहीं माने. रजत ने मुझे घोड़ी बनाया और मुझे टेबल पर टिका कर खड़ा कर दिया. फिर उसने मेरी टांगो को मौड़ कर मेरी गांड को उठा दिया और उस पर थप्पड़ मारे. मुझे बड़ा दर्द हुआ. मेरा रंग गोरा है, तो उसके थप्पड़ो के निशान मेरी गांड पर बन गये थे. वेसे ही मेरे निप्पल और बूब्स पर काट काट कर उन लोगो ने निशान बना दिए थे. अब पवन भैया मेरे सामने आ गये थे और रजत मेरे पीछे खड़ा था.

      रात ने अपना लंड मेरे पीछे से मेरी चूत में डाला और आगे से पवन भैया ने अपना लंड मेरे मुह में. रजत बड़ी जोर से मेरी चूत चोदे जा रहा था. और पवन मेरा सिर और बाल पकड़ कर जोर जोर से अपने लंड से मेरे मुह को चोद रहा था. मेरी दोनों तरफ से चुदाई हो रही थी. लंड मुह में होने की वजह से मैं ठीक से सांस भी नहीं ले पा रही थी. मेरे मुह से कोन्तिन्यूस थूक बाहर गिर रहा था. मैंने पवन भैया का लंड पकड़ा और अपने मुह से खीचकर बाहर निकाला और सांस ली. मैं हांफ रही थी. रजत पीछे से बड़ी जोर जोर से झटके मार रहा था.

      रवि भी मेरे मुह के पास आ गया और मैंने उसका भी लंड पकड़ा और मैं पवन और रवि के लंड को बारी बारी से चूस रही थी और चुदाई की वजह से अहहहः अहहहहः चिल्ला रही थी. रजत का भी पानी मेरी चूत में ही गिर गया. पवन ने लंड मेरे मुह से निकाल कर मेरे पीछे गया और मेरी चूत में डाल दिया और मुझे चोदने लगा, मैंने रवि कर लंड जोर से चूसने लगी. मैं बुरी तरह से थक चुकी थी और समझ गयी थी, कि अगर नहीं छुटी, तो चुदाई बंद नहीं होगी.

      मैंने लंड और तेजी से चुसना शुरू किया और अपनी चूत भी टाइट कर दी. जिससे भैया का लंड भी जल्दी ही पानी छोड़ने वाला था. वैसे ही हुआ,झटको में पवन का पानी निकल गया. रवि भी छुटने वाला था. मैंने उसके लंड को अपने मुह के अन्दर बहार कर के उसपर जीभ ऐसे घुमाना चालू किया, कि वो रुक नहीं पाया और मेरे मुह की गर्मी से उसके लंड का मेरे मुह में फाल हो गया. मेरी चूत और मेरा मुह दोनों ही वीर्य से भरे पड़े थे. सारे लड़के थक चुके थे और नशा भी कम हो गया था. शाम के ७ बज चुके थे.

       मैं खड़ी हुई और बाथरूम जाने लगी. पर मुझे इतना दर्द हो रहा था, कि मैं ठीक से चल भी नहीं पा रही थी. मैंने बाथरूम में जाकर शावर ओन किया और वहीँ बैठ गयी. २० मिनट तक मैं ऐसे ही बैठी रही और फिर कहीं जाकर मेरी उठने की हिम्मत हुई. मैं अपने रूम में जा रही थी, तो हॉल में देखा, की किसी ने भी कपड़े नहीं पहने है. पवन भैया और रवि वैसे ही सो गये है और सोनू भी लेटा हुआ था और रजत भी सोफे पर नंगा ही पड़ा हुआ था. उसने मुझे देखा और फिर ऐसे स्माइल की, कि उसने दुनिया जीत ली हो.

      मैंने ध्यान से देखा, उन सबके ही लंड बिलकुल लाल पड़े थे बिलकुल मेरी चूत की तरह. मैं भी नंगी और बिलकुल गीली थी. मैं अपने रूम में आ गयी और सोचने लगी, कि आज ये सब क्या हुआ? इतनी ज्यादा थकी हुई थी, कि बेड पर गिरते ही सो गयी. नंगी ही. मेरी नीद आधी रात को ३ बजे खुली. मेरी चूत सूजी हुई थी. पूरा बदन दुःख रहा था. मैंने कुछ खाया भी नहीं था, तो पेट भी बहुत दुःख रहा था. मैं बुरी हालत में चलते हुए बाहर गयी.

      चूत सूजी होने के कारण, मैंने ठीक से चल भी नहीं पा रही थी. हॉल में देखा, तो सब वैसे ही नंगी हालत में बेहोश पड़े थे. मैंने थोड़े बिस्कुट खाए और पानी पीकर सोने चली गयी. सुबह नीद खुली, तो १०:३० बज चुके थे. दर्द काफी हो रहा था. घर पर कोई भी नहीं था. सब चले गये थे. उसदिन, भैया ने मुझसे आँखे नहीं मिलायी और ना ही वो मुझसे बात कर पा रहे थे. वो मुझे बस अब चोदते थे. हम बात नहीं करते थे. वो बस रात को और दिन में मुझे चोदते थे. कभी रवि और सोनू आ जाते थे, तो वो मुझे चोदते थे. जब ८ दिन बाद, मम्मी वापस आ गयी, तो मैं दिल्ली चली गयी.

      तब से मैं भी अपनी दोस्त की तरह पेसो के लिए रोज़ चुदवाने लगी और पूरी रंडी बन गयी. रजत दिल्ली आता, तो वो मुझे चोदता था. भैया भी आते थे, तो वो मुझे चोदते थे. कैसी लगी आपको मेरी ये कहानी. बताना जरुर.

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