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जीजा ने खेल खेल में मेरी सील तोड़ी

जीजू दीदी चुदाई स्टोरी में पढ़ें कि मैं दीदी के घर गई तो रात में मैं उनके कमरे में ही उनके बिस्तर पर सोयी. मैंने उन दोनों को चुदाई करते देखा. तो मैंने क्या किया?

मैं जीजू दीदी चुदाई स्टोरी बताना चाहती हूँ। हम दो बहनें हैं। मेरा एक भाई भी है. मेरी बड़ी बहन है याशिका. दीदी की उम्र 24 साल है। हम दोनों बहनें तब से काफी अच्छी सहेलियाँ हैं जब से मैंने अपनी बहन को 2 नौकरों से छत वाले रूम में चुदते देखा था।

 

उस दिन मैं स्कूल से जल्दी आ गयी थी. घर पर दीदी के अलावा कोई नहीं था इसलिए वो ऊपर वाले रूम में नौकरों से चुदवा रही थी। दीदी मुझे देख कर डर गयी और फिर मुझे चुप रखने के लिए बाद में शॉपिंग कराने लेकर गयी.

 

इस बारे में उसने किसी को न बताने के लिए कहा. मैंने किसी को नहीं बताया और तब से दीदी मुझसे ओपन हो गयी. वो मेरे घर पर होने पर भी नौकरों से चुदवा लेती थी। दीदी ने अपने कॉलेज के लड़कों के साथ भी सेक्स किया था।

 

अब जो मैं कहानी बताने जा रही हूं वो घटना मेरे साथ हुई थी.

 

यह बात 1 साल पहले की है जब दीदी की नयी शादी हुई थी।

 

दीदी मुझसे उम्र में 5 साल बड़ी है. दीदी की उम्र 24 साल है और जीजू की 27 साल।

 

मैं पिछली होली पर दीदी के ससुराल गयी थी। दीदी और जीजू एक रूम में सोते थे. मैं दूसरे रूम में सोती थी। मुझे अकेले सोने में डर लगता था।

 

मुझे एक रात बहुत डर लग रहा था.

काफी कोशिश करने के बाद भी नींद नहीं आई तो मैं उठ कर दीदी के रूम की तरफ जाने लगी.

 

दीदी के रूम से अजीब सी आवाजें आ रही थीं तो मैं बाहर रुक गई और खिड़की से देखने लगी।

मैंने देखा कि दीदी और जीजू बिल्कुल नंगे थे। जीजू दीदी के ऊपर पड़े थे और दीदी की चुदाई कर रहे थे.

 

मैं ये सब देखकर अंदर नहीं गयी और अपने रूम में जाकर सो गई।

 

अगली रात को मैं उनके सोने से पहले ही उनके रूम में चली गयी.

मैंने कहा- मुझे डर लग रहा है.

तो वो बोले- कोई बात नहीं, यहीं हमारे साथ सो जाना!

 

उसके बाद जीजू तो पहले सो गये मगर हम दोनों बहनें कुछ देर तक बातें करती रहीं. फिर दीदी को नींद आने लगी.

 

मैं जीजू के बगल में लेट गयी और मेरे बगल में दीदी सो गयी.

 

रात करीब 12 बजे मेरी नींद खुली.

मैंने पाया कि जीजू का पैर मेरे पैरों पर था और उनका हाथ मेरे बूब्स के पास था।

 

जीजू नींद में थे इसलिए उन्होंने मेरे बूब्स दबा दिए थे. उनको लगा मैं दीदी हूं।

 

उनका पैर हाटने के मकसद से मैं थोड़ी हिली तो उन्होंने नींद में ही मेरा मुंह दीदी की ओर करवा दिया और मेरी छाती पर हाथ लाकर मेरे बूब्स को पकड़ कर सोने लगे.

फिर उनके हाथों ने मेरे बूब्स को हल्के हल्के दबाना शुरू कर दिया.

 

शायद उनकी नींद टूट चुकी थी और वो मुझे दीदी समझ रहे थे.

 

कमरे में अंधेरा था इसलिए कुछ दिखाई भी नहीं दे रहा था.

 

मैं भी सोने का नाटक करती रही.

 

मगर जीजू के द्वारा मेरे बूब्स दबाये जाने से मुझे बहुत मजा आ रहा था.

 

जीजू का लंड खड़ा होकर मेरी गांड पर चुभने लगा था.

 

फिर पता नहीं अचानक क्या हुआ, वो उठ बैठे और शायद उनको पता लग गया कि मैं उनकी साली हूं.

उन्होंने अपना हाथ हटाया और उठकर दीदी की बगल में जा लेटे.

 

उन दोनों में कुछ खुसर फुसर हुई. फिर जीजू दीदी के बूब्स दबाने लगे.

 

मैं हल्की सी आंखें खोलकर सब देख रही थी. उनको लग रहा था कि मैं सो रही हूं. जीजू मस्त तरीके से दीदी की मैक्सी के ऊपर से उनके बूब्स को भींच रहे थे.

 

दीदी कसमसा रही थी.

 

फिर उन्होंने दीदी की मैक्सी को उठा दिया और उनकी पैंटी पर चूत को चूमने लगे.

दीदी जीजू के मुंह को अपनी चूत में दबाने लगी. जीजू जोर जोर से उसकी चूत को जैसे खा रहे थे.

 

उसके बाद वो फिर से दीदी के होंठों को चूसने लगे.

 

फिर मैंने आंखें बंद कर लीं और उनकी चूमा चाटी की पुच पुच की आवाजें सुनती रही.

मुझे भी मेरी चूत में पानी सा रिसता हुआ महसूस होने लगा.

 

मैंने दोबारा आंखें खोलीं तो जीजू दीदी की नाइटी को उतार रहे थे. अब दीदी ब्रा और पैंटी में थी. जीजू ने दीदी की ब्रा के ऊपर से उनकी चूचियों को जोर से दबाना शुरू कर दिया और उनके ऊपर लेटकर उनके होंठों को पीने लगे.

 

जीजू और दीदी एक दूसरे के होंठों को चूस रहे थे। जीजू साथ में दीदी के बूब्स भी दबा रहे थे।

 

फिर दीदी को पलट कर उन्होंने उनकी ब्रा खोल दी और उनके मोटे मोटे बूब्स आजाद हो गये.

वो उनके नंगे बूब्स को जोर जोर से भींचने लगे.

 

अब तक दीदी पूरी चुदासी हो गयी थी. उसने जीजू के लंड को पजामे के ऊपर से टटोलते हुए पकड़ लिया और उसको सहलाने लगी.

 

दीदी की चुदास देखकर जीजू ने अपने पजामे को खोल दिया.

नीचे अंडरवियर में उनका लौड़ा तंबू बना रहा था. दीदी उस तंबू को पकड़ कर दबाने लगी.

 

अब तक जीजू ने दीदी की चूचियों को पीना शुरू कर दिया था. दीदी सिसकारना चाहती थी लेकिन ज्यादा आवाज नहीं कर रही थी.

 

वैसे दीदी मेरे सामने घर के नौकरों से भी चुदवा लेती थी इसलिए उनको मेरे सामने जीजू से चुदने में कोई शर्म नहीं थी.

मगर वो जीजू को इस बात का अहसास नहीं करवाना चाह रही थी कि हम दोनों बहनें चुदाई की राज़दार भी हैं.

 

फिर उन्होंने दीदी को बिस्तर पर लिटा दिया और दीदी की पैंटी उतार दी।

 

जीजू ने उनकी टांगों को फैलाया और उनकी जांघों के बीच में मुंह देकर दीदी की चूत को चूसने लगे.

 

ये देखकर मैं तो एकदम से चुदासी हो गयी. जीजू जैसा चोदू पति तो बहुत किस्मत वाली औरत को मिलता है.

मैं तो जीजू की फैन हो गयी थी ये देखकर.

 

वो जोर जोर से दीदी की चूत को चूस रहे थे और दीदी अपने हाथों से उनके सिर को अपनी जांघों के बीच में अपनी चूत पर दबा रही थीं.

दीदी अब अपने सिर को दायें बायें पटकने लगी थी. चुदास उसकी बर्दाश्त के बाहर हो गयी थी.

 

कुछ देर तक चूत चूसने के बाद जीजू खड़े हुए और अपना अंडरवियर उतार दिया. पहली बार मैंने जीजू का 6.5 इंची लंड अपनी आंखों से देखा. मैं तो देखकर पागल हो गयी.

 

जीजू का लंड देखकर मेरा भी मन करने लगा कि अभी जीजू के सामने नंगी होकर चूत खोल लूं और वो मेरी चूत में अपने लंड से जोर जोर से चोद दें.

 

मेरी चूत में बहुत तेज चुदास उठ रही थी.

 

लंड आंखों के सामने आते ही दीदी उस पर ऐसे टूट पड़ी जैसे वो जिन्दगी में पहली बार लंड देख रही हों. जबकि वो न जाने इससे पहले कितने लौड़े अपने मुंह और अपनी चूत में ले चुकी थी.

 

वो जोर जोर से जीजू के लंड को चूसने लगी.

जीजू ने भी दीदी के सिर को पकड़ लिया और उसके मुंह को जोर जोर से चोदने लगे.

 

अब मैं सोच रही थी कि काश जीजू का लंड मुझे भी मिल जाये.

काश मैं भी अपनी चूत की प्यास इनके लंड से बुझवा लूं.

 

किसी औरत के जिस्म को इस तरह से प्यार करने वाला आदमी ही मेरी चूत को पूरी तरह से खुश कर सकता था.

 

काफी देर तक दीदी उनके लंड को चूसती रही. जीजू उनकी चूचियों से खेलते रहे. जब उनसे रहा न गया तो उन्होंने दीदी को नीचे लिटाया और उनकी चूत पर लंड टिका दिया.

 

फिर उनकी चूत पर लंड रखकर वो रगड़ने लगे. दीदी अपनी चूचियों को मसलने लगी. वो अपनी चूत को उचका उचका कर जीजू के लंड को अपनी चूत पर रगड़वा रही थी.

 

जब दीदी से रुका न गया तो वो उनके लंड को हाथ में पकड़ कर खुद ही चूत में लेने की कोशिश करने लगी. मगर लंड तो जीजू का था. उनके चाहे बिना चूत में नहीं जा सकता था.

 

उन्होंने अपने लंड को चूत के छेद पर सेट किया और एक ही बार में अपना लंड दीदी की गर्म चुदासी चूत में उतार दिया.

जैसे ही लंड दीदी की चूत में अंदर घुसा तो दीदी और जीजू के मुंह से एक साथ एक मदहोशी भरी आह्ह निकल गयी.

 

फिर अगले ही पल उनका लंड पूरा दीदी की चूत में था.

दीदी चुदाई शुरू हो गयी.

 

जीजू ने लंड को पूरा घुसाकर अपनी स्पीड पकड़ ली. मिशनरी पोजीशन में वो दीदी की चूत मारने लगे.

 

दीदी उनके होंठों को जैसे खाने में लगी हुई थी.

 

पांच मिनट तक दीदी को इस पोज में चोदने के बाद उन्होंने उनको घोड़ी बना लिया. फिर अपने घुटनों पर होकर उनकी चूत को पीछे से चोदने लगे.

 

दीदी की चूचियां मुझे आगे पीछे हिलती हुईं नजर आ रही थीं. जब जीजा का लंड दीदी की चूत में जाकर उनकी गांड से टकराता था तो पट पट की आवाज हो रही थी.

 

चुदाई की ये कामुक आवाजें सुनकर मेरी चूत जैसे आग उगलने लगी थी.

मेरी चूत ने पानी छोड़ छोड़कर मेरी पैंटी को भिगो दिया था.

 

10 मिनट तक चोदने के बाद जीजू ने दीदी की चूत से लंड को निकाल लिया और उनकी गांड पर रगड़ने लगे.

 

दीदी ने उनको पीछे हटा दिया.

वो बोले- क्या हुआ जान?

दीदी- नहीं, अभी नहीं. अंजलि उठ जायेगी.

जीजू- अब तक नहीं उठी तो अब क्या उठेगी?

 

याशिका दीदी ने कहा- नहीं, गांड में लेने में आवाजें ज्यादा होंगी. दर्द बहुत होता है.

जीजू- गांड और लंड को पूरा चिकना करके डालूंगा जान.

 

इतना कहकर वो उठे और अपने फोन की टॉर्च से देखते हुए तेल की शीशी उठा लाये. फिर अपने हाथ में तेल लेकर वो दीदी की गांड में उंगली से तेल अंदर करने लगे.

 

गांड को पूरी चिकनी करने के बाद उन्होंने लंड पर भी तेल लगाया और फिर दीदी की गांड को थाम कर अपना लौडा़ उनकी गांड में अंदर धकेलना शुरू कर दिया.

 

दीदी आह्ह ओह्ह करते हुए लंड को बर्दाश्त करने लगी.

मगर जीजू ने बिना रुके लंड को धीरे धीरे पूरा अंदर कर दिया.

 

मैं पहली बार दीदी को गांड में लंड लेते हुए देख रही थी.

 

पूरा लंड अंदर डालने के बाद वो दीदी पर झुक गये और कुत्ते की तरह मेरी बहन की गांड चुदाई करने लगे.

 

10 मिनट तक दीदी चुदाई के बाद अब जीजू ने झड़ने के करीब पहुंच गये थे.

 

फिर अचानक से उन्होंने दीदी को नीचे लिटा दिया.

दीदी का सिर मेरी ओर था और जीजू का मुंह भी मेरी ओर था. दीदी का मुंह जीजू की ओर था.

 

वो दीदी के मुंह पर लंड को जोर जोर से पटकने लगे. कभी बीच बीच में लंड को मुंह में भी घुसा देते थे.

 

इस तरह से दीदी के चेहरे पर लंड को पटक पटककर खेलते हुए एकदम से उनके लंड से पिचकारी निकली जो सीधी मेरे मुंह पर आकर गिरी. पिचकारी दीदी के सिर के ऊपर से होकर मेरे मुंह पर आ गिरी.

मैंने बड़ी मुश्किल से उस पल को संभाला.

जीजू की क्रीम मेरे मुंह पर बह चली.

 

उन दोनों की कुछ खुसर फुसर हुई और फिर दीदी ने उठकर मेरे मुंह पर से वो क्रीम साफ कर दी.

 

मैं सोने का दिखावा करती रही.

जीजू को शायद शक हो गया था.

 

एक तो वो पहले ही मेरे बूब्स दबा चुके थे, तब भी मैं नहीं जागी थी. अब जब उनके लंड की पिचकारी मेरे मुंह पर लगी तो मैं तब भी नहीं जागी.

 

फिर उस रात को वो दोनों चुदाई करके सो गये थे.

 

मेरी चूत गीली थी और मैं भी अपनी गीली चूत की तड़प के साथ सो गयी.

 

अगला दिन फिर ऐसे ही निकल गया.

 

उसके अगले दिन यानि कि तीसरे दिन फिर होली थी.

अगले दिन मैं जीजू के साथ होली खेलने के लिए जल्दी जाग गयी।

 

मैं दीदी और जीजू मौहल्ले में लगभग सुबह 10 बजे तक होली खेले। उसके बाद जीजू भांग ले आये।

दीदी ने मुझे मना किया पीने के लिये मगर खुद वो तीन गिलास पी गयीं.

 

थोड़ी देर में ही दीदी को नशा होने लगा. वो अपनी ही मस्ती में झूमने लगीं.

 

फिर जीजू मेरे पास आये और उन्होंने मुझे भी भांग पीने के लिए दी. मैं एक गिलास भांग का पी लिया.

 

पहला गिलास खत्म करते ही जीजू ने दूसरा गिलास मेरे आगे कर दिया.

 

मैं मना करने लगी लेकिन जीजू ने मुझे पकड़ लिया और अपने हाथों से पिलाने लगे. दूसरा गिलास उन्होंने खुद पिलाया. फिर तीसरा गिलास भी मैं जीजू के हाथों से ही पी गयी.

 

नशे के कारण अब दीदी से संभला नहीं जा रहा था. जीजू फिर उनको उनके रूम में ले गये. दीदी को रूम में सुलाकर वो वापस आ गये. मैं बाहर डांस करने में मग्न थी.

 

पांच मिनट के बाद जीजू भी आ गये और हम दोनों साथ में डांस करने लगे. फिर मुझे भी नशा और ज्यादा चढ़ने लगा. मैं अपने आप को संभाल नहीं पा रही थी और जीजू की बांहों में जाकर जैसे बेसुध सी हो गयी.

 

मुझे दिख तो रहा था लेकिन सब कुछ जैसे घूम रहा था. जीजू ने मेरी हालत देखी और मुझे उठाकर रूम में ले आये. जीजू ने मुझे बेड पर लिटा दिया और खुद भी मेरे पास आकर लेट गये.

 

वो बोले- क्या हुआ अंजलि?

मैंने कहा- कुछ नहीं जीजू, सिर घूम रहा है बहुत तेज!

जीजू- कोई बात नहीं, भांग का असर दिमाग में चढ़ गया है, थोड़ी देर में सब ठीक हो जायेगा.

 

मेरी आँखें बंद होने लगीं और मैंने जीजू की गोद में सिर रख लिया और सोने लगी. मुझे अच्छा लगने लगा. जीजू की गोद में सिर रखने से मजा आ रहा था. फिर मैं जीजू से बातें करने लगी.

 

मुझे नशा हो गया था और मैं बड़बड़ाने लगी.

मैं बोली- जीजू, मैं आपसे बहुत नाराज हूं.

जीजू- क्यों, मैंने क्या कर दिया ऐसा?

मैं बोली- कल रात को मैं अकेली सोती रही और आप दीदी के साथ सोते रहे.

 

वो बोले- तो मैं तुम्हारी दीदी के साथ नहीं सोऊंगा तो फिर और किसके साथ सोऊंगा? मेरी बीवी है वो!

मैं बोली- तो क्या आपके साथ सोने के लिए आपकी बीवी बनना जरूरी है?

 

इस बात पर जीजू हंस दिये और बोले- हां, पति के साथ सोने का अधिकार पत्नी को ही होता है.

मैं बोली- और जो आप दीदी के साथ कर रहे थे वो भी क्या सिर्फ पति ही करता है?

 

वो बोले- तुमने देख लिया क्या?

मैंने कहा- हां, मैं देख रही थी.

वो बोले- वो एक गेम है, तुम उसके लिए अभी छोटी हो.

मैं बोली- नहीं, मुझे भी वो गेम खेलना है आपके साथ.

 

जीजू बोले- ठीक है, जब तुम्हारी शादी हो जायेगी तो तुम्हारा पति वो गेम तुम्हारे साथ खेलेगा.

अब मैंने देखा कि जीजू का लंड खड़ा होने लगा था. मगर वो मेरी चुदाई की बात नहीं कर रहे थे.

 

उसके बाद वो उठे और अपने रूम में चले गये.

 

मेरी चूत में जीजू के लंड से चुदने की आग लगी थी. इससे मेरा नशा भी ढीला पड़ गया था. इसलिए मैं भी पीछे पीछे चली गयी. उनके रूम का दरवाजा अंदर से बंद था.

 

मैंने खिड़की से देखा तो दीदी बेड पर नंगी पड़ी हुई थी. वो नशे में कुछ बड़बड़ा रही थी और जीजू मेरी नंगी दीदी के ऊपर चढ़ हुए थे. उनकी चूत में गचागच लंड को धकेलते हुए चोद रहे थे.

 

फिर मैं अपने रूम में वापस आ गयी. मैंने चूत को सहलाया और फिर मुझे उंगली करते करते नींद आ गयी.

 

दोपहर बाद करीब 3 बजे मेरी आंख खुली.

फिर हमने खाना खाया.

 

उसके बाद दीदी और मैं दोनों शॉपिंग करने गये. उसके बाद दीदी किसी लड़के से मिलने चली गयी और एक घंटे में लौटीं.

मुझे पता था कि वो चुदकर आई हैं. उसके बाद फिर हम घर आ गये.

 

हमने रात का खाना खाया और फिर सोने लगे.

 

मैं अपने रूम में थी. रात के करीब 12 बजे एकदम से किसी आहट से मेरी नींद खुल गयी.

 

मैंने देखा तो जीजू मेरे पास लेटे हुए मुझे देख रहे थे.

 

इससे पहले मैं कुछ बोलती वो बोले- देखो मैं तुम्हारे लिये गिफ्ट लाया हूं.

मैंने देखा तो उनके हाथ में चॉकलेट का डिब्बा था.

मैं चॉकलेट उठाने लगी तो वो बोले- ऐसे नहीं मिलेगी. तुम्हें एक गेम खेलना होगा.

 

मैं बोली- कैसा गेम? वही जो आपने दीदी के साथ खेला था?

वो बोले- नहीं, ये उससे थोड़ा अलग है. मैं तुम्हें नियम बता देता हूं.

 

नियम-1:- गेम के बारे में अपने दोनों के अलावा किसी को नहीं पता चलना चाहिए।

नियम-2:- ये पूरा चॉकलेट का डिब्बा खत्म करना है।

नियम-3:- एक चॉकलेट तुम खाओगी फिर एक मैं। चॉकलेट कैसे भी खा सकते हैं। कोई विरोध नहीं होगा।

नियम-4:- गेम बीच में नहीं रुकेगा।

नियम-5:- जो अंतिम चॉकलेट खायेगा वो विजेता रहेगा।

 

मैं मान गयी। फिर गेम शुरू करने के लिए जीजू ने मुझे पहली चॉकलेट खिलायी। फिर जीजू का नंबर आया तो जीजू ने अपनी चॉकलेट भी मुझे खिलायी जो मैं खा गयी।

 

फिर जीजू ने मेरे होंठों को अपने होंठों के पास लिया और मेरे होंठों को चूसने लगे। 5 मिनट तक वो मेरे होंठों को चूसते रहे।

 

मैंने जीजू से कहा- आपने मेरे होंठों को क्यों चूसा?

जीजू- मैंने अपने नंबर की चॉकलेट खायी है जो तुम्हारे होंठों पर लगी थी।

 

मुझे लिप किस में बहुत मजा आया क्योंकि मैंने पहली बार किया था तो मैंने अपनी चॉकलेट जीजू को खिलायी और उनके होंठों को चूसने लगी। हम दोनों एक दूसरे के होंठों को चूसते रहे।

 

हम दोनों गर्म हो गये थे. गेम का तो एक बहाना था. हम दोनों ही चुदाई करना चाह रहे थे.

 

फिर जीजू ने अपनी जीन्स और टीशर्ट उतार दी। मुझे भी जीन्स और टॉप उतारने के लिए बोला।

मैंने जीजू के कहने पर जीन्स और टॉप उतार दी।

 

अब हम दोनों अंडर गारमेंट्स में थे। जीजू ने 2 चॉकलेट मेरे हाथों पर और 2 चॉकलेट मेरी जांघों पर लगायी और मुझे बेड पर लिटा दिया।

 

जीजू ने मेरे हाथों और जांघों को चूसना शुरू कर दिया।

 

धीरे धीरे जीजू का लंड भी उफान मारने लगा था। जीजू ने मेरे हाथों से चॉकलेट चाटते हुए मेरी ब्रा उतार दी। फिर वो मेरी जांघों से चॉकलेट चूसने लगे।

 

वो खुद पर नियंत्रण नहीं कर पा रहे थे और जोश में मेरी पैंटी फाड़ दी।

मैं बिल्कुल नंगी हो गयी थी। मेरी चूत पर बाल नहीं थे इसलिए मेरी चूत बिल्कुल साफ थी।

 

जीजू मेरी चूत पर चॉकलेट लगाने वाले थे लेकिन मैंने उनको अपना नम्बर बताकर रोक दिया।

 

जीजू का अंडरवियर मैंने उतरवा दिया. उनका लंड पूरा तना हुआ था.

मैंने पूछा- जीजू ये क्या है?

जीजू- ये आइसक्रीम है।

 

तो मैंने अपने हिस्से की 4 चॉकलेट जीजू के लंड पर लगा दीं और जीजू के लंड को चूसने लगी।

मैंने लगभग 10 मिनट तक जीजू का लंड चूसा।

 

जीजू का लंड एकदम से फटने को हो गया था. वो पूरा मेरी लार में गीला था.

 

उसके बाद जीजू ने 4 चॉकलेट उठा ली और मेरे बूब्स पर रगड़ने लगे. फिर 4 चॉकलेट उठा कर मेरी चूत पर रगड़ने लगे. 1 चॉकलेट जीजू ने मेरी चूत में अंदर डाल दी।

 

फिर जीजू ने मुझे बैड पर लिटा दिया और मेरे ऊपर आ गए। उन्होंने मेरे होंठों को बहुत देर तक चूसा.

मैं भी जीजू के प्यार में खो गयी.

 

फिर वो मेरे बूब्स को मुंह में भर कर चूसने लगे।

मेरे मुंह से सिसकारियां निकलने लगीं. ओह्ह जीजू आह्ह उम्म ओह्ह …’ करते हुए मैं जीजू के सिर को अपने बूब्स में दबाने लगी.

 

जीजू भी जोर से सिसकारते हुए कामुक बातें कर रहे थे- ओह्ह मेरी अंजू क्या मम्मे हैं तेरे ऐसा लगता है कि ऐसे ही इनको हाथों से या होंठों से मसलता रहूं।

 

मुझे बहुत मजा आ रहा था।

 

जीजू ने बारी बारी मेरे बूब्स चूसे। मैं मदहोश होकर बेड पर पड़ी थी।

 

जीजू मेरे पेट को साफ करते करते मेरी चूत तक आ पहुँचे।

वो मेरी चूत को चूसने लगे. जो चॉकलेट मेरी चूत में थी जीजू उसको खाने लगे.

 

मैं तो पागल हो गयी. फिर वो बेड से उठे और मेरी टांगों को पकड़ कर अपनी तरफ खींचा।

 

फिर वो अपना लंड मेरी चूत के होंठों के बीच रगड़ने लगे।

 

मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था.

मैंने कहा- आह्ह जीजू बस अब डाल दो अपना लंड मेरी चूत में मेरी चूत को चोद दो जीजू मैं याशिका दीदी की तरह आपसे चुदना चाहती हूं.

 

जीजू ने हल्का सा धक्का मारा।

मेरे मुंह से हल्की सी चीख निकल पड़ी। मैं उम्म्ह अहह हय याह करके चिल्लाई।

 

लेकिन जीजू का लंड मेरी टाइट चूत पर से फिसल गया।

फिर जीजू ने मेरी चूत और अपने लंड पर नारियल का तेल लगाया और फिर से हल्का सा धक्का मारा।

 

जीजू का थोड़ा सा लंड मेरी कुँवारी चूत में समा गया।

मेरे मुंह से जोर की चीख निकली- आह्ह जीजू धीरेएए सेएए आह्ह मर गयी मम्मी आह्ह मेरी चूत फट गयी धीरे जीजू प्लीज।

 

जीजू ने थोड़ा रुक कर एक और झटका मारा और उनका आधा लंड मेरी चूत में समा गया।

मेरी चूत से खून की धारा बहने लगी।

 

मैंने जीजू को लंड बाहर निकालने को बोला. जीजू ने ये कह कर निकालने से मना कर दिया कि गेम को बीच मे नहीं रोक सकते.

 

ऐसा कहते कहते जीजू ने जोर का एक और झटका मारा। उनका पूरा लंड मेरी चूत में समा गया।

मैं दर्द के मारे पैरों को पटक रही थी। मगर जीजू मेरे ऊपर पड़े पड़े मेरे बूब्स दबा रहे थे और होंठों को चूस रहे थे।

 

5-7 मिनट बाद मेरा दर्द कम हुआ तो जीजू ने लंड थोड़ा बाहर निकाल कर अंदर डाला।

मुझे थोड़ा दर्द हुआ लेकिन मेरे मुँह से उम्म्ह अहह हय याह जैसे सीत्कार भी निकल गये.

मैंने अपने पैरों से उनकी कमर को जकड़ लिया।

 

जीजू भी सिसकारे- आहह्ह ओह्ह …. कितनी टाइट है तेरी चूत अंजलि देख मेरा लंड कैसे मचल रहा है तेरी चूत में ओहह तेरी चूत में लंड देकर मजा आ गया मेरी जान तेरी दीदी से भी मस्त चुदाई करूंगा तेरी आज आह्ह मेरी रानी!

 

फिर जीजू मेरी चूत को चोदने लगे और स्पीड बढ़ा दी.

दो मिनट के अंदर ही मैं झड़ गयी और बेसुध सी हो गयी.

 

वो मेरी गीली चूत को और तेजी से चोदने लगे. अब मेरी चूत से फच फच की आवाज हो रही थी.

 

पांच मिनट के बाद जीजू ने मेरी कमर को कस कर पकड़ लिया और पूरी ताकत से धक्के लगाने लगे.

शायद वो झड़ने वाले थे अब!

 

उसके कुछ ही पल बाद उन्होंने जोर का धक्का मारा और पूरा लंड अंदर ठूंस दिया.

 

उनका लंड उसी वक्त मेरी चूत में अपना रस उगलने लगा.

एक बार और मेरी चूत से झरना बह निकला और दोनों के वीर्य की बारिश होने लगी.

मजा आ गया.

 

फिर उसके दो पल बाद जीजू ने अपना पूरा लंड बाहर निकालकर फिर से एक जोर का धक्का दे दिया।

मैं इसके लिए बिल्कुल तैयार नहीं थी, उनके धक्के से मैं दर्द से चिल्लाई।

 

उस धक्के से उनके लंड के अंदर बचा सारा पानी मेरी चूत में निकल आया.

 

थोड़ी देर बाद उन्होंने अपना लंड बाहर निकाला और मेरी चूत में जमा हुआ हम दोनों का पानी मेरी जाँघों से बहते हुए जमीन पर गिरने लगा।

फिर हम दोनों बाथरूम गए और एक दूसरे को साफ़ किया. फिर बेडरूम में जाकर एक दूसरे की बांहों में लेट गये और कब सो गए हमें पता भी नहीं चला।

 

सुबह मैं अचानक जागी तो मैंने देखा जीजू फिर से मेरी चूत को चूस रहे थे।

मैं सोने का नाटक करती रही।

 

थोड़ी देर चूसने के बाद जीजू ने अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया और मेरी चूत के साथ खेलने लगे।

 

मैं उनके धक्कों को सहन नहीं कर पायी क्योंकि इस खेल में नई खिलाड़ी थी इसलिए मैं जाग गयी। फिर मैंने जीजा साली सेक्स में जीजू का साथ देना शुरू कर दिया। मैंने अपने दोनों पैरों को जीजू पर लपेट लिया। जीजू मुझे पेले जा रहे थे।

 

लगभग 10 मिनट बाद जीजू झड़ने के करीब आ गए।

जीजू मुझसे पूछने लगे- क्रीम को कहां लोगी?

जवाब में मैंने मुँह खोल दिया।

 

जीजू ने अपना लंड मेरी चूत से निकाल कर मुँह में डाल दिया और मेरे मुँह को अपने लंड से चोदने लगे।

 

जब वो अंदर डालते तो उनका लंड मेरे गले तक चला जाता।

लगभग 5 मिनट तक मुँह को चोदने के बाद मुझे कुछ नमकीन सा स्वाद आया।

जीजू का माल मेरे मुंह में जा रहा था.

 

मैं जीजू का सारा रस पी गयी।

मजा आ गया उनका रस पीकर.

 

मैंने जीजू को बोला- आखिरी चॉकलेट मैंने खायी है इसलिए मैं इस खेल की विजेता हूं।

जीजू ने कहा- तो बताओ क्या चाहिये?

 

चूचे मसलते हुए मैंने मुस्करा कर कहा- स्कूटी।

जीजू भी हँस कर बोल पड़े- ठीक है। अगली बार मैं तुम्हारी ही स्कूटी से तुम्हें होटल में ले जाकर चोदने जाऊंगा.

 

फिर जीजू और मैं बाथरूम में फ्रेश होने चले गए।

 

जीजू ने कपड़े पहने और दीदी के जागने के पहले अपने रूम में चले गए।

 

कुछ ही दिनों बाद जीजू ने मुझे वादे के मुताबिक एक नयी स्कूटी लाकर दी.

 

मैं बहुत खुश हो गयी. मेरी चूत को एक दमदार लंड भी मिल गया था और साथ में एक नयी स्कूटी भी.

 

उसके बाद जीजू ने कई बार मेरी चूत मारी है.

 

मेरी दीदी को हम जीजा साली सेक्स के बारे में नहीं पता है.

दीदी भी अपनी चूत को अलग अलग लौड़ों से चुदवाती है इसलिए मैंने भी दीदी को नहीं बताया कि मैं भी जीजू का लंड ले चुकी हूं.

 

इस तरह मैंने अपनी कुंवारी चूत को जीजू के हवाले कर दिया था.

 

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चाची को अपना लंड दिखा कर चोदा

यह चुदाई की कहानी मेरी और मेरी चाची के बारे में है. मेरी चाची की उम्र 31 साल है. सच बताऊं, तो अब भी सोच सोच कर मेरा लंड फटने को हो जाता है कि मैंने इतने हसीन और भरे हुए जिस्म की मालकिन की चुत मारी है.

 

दोस्तो, मुझे शुरू से ही लड़कियों से ज्यादा औरतों में ही रूचि रही है. ऐसा नहीं है कि मुझे लड़कियां बिल्कुल भी पसंद नहीं हैं, पर औरतें ज्यादा पसंद हैं. उनके बाहर निकलती हुए मोटी मोटी गांड, मोटे मोटे चुचे मुझे पागल कर देते हैं. मुझे ख़ासकर भाभी या शादीशुदा औरतें ज्यादा पसंद थीं जो मुझसे चार-पांच साल बड़ी होतीं या जिनका शरीर मेरी पसन्द का होता था. उनके मोटे-मोटे होंठ, रंग सांवला हो या गोरा, मगर मम्मों का साइज़ कम से कम 34 इंच का हो. ऐसी औरतों में मेरी ज्यादा रूचि होती थी.

 

मेरी प्रेमिकाएं भी कई सारी रही हैं और कई औरतों से बात भी होती थी, मगर सेक्स करने का मन उन्हीं के साथ करता था, जिनका जिस्म मेरी पसंद का होता था.

 

ये बात आज से 4 साल पहले की है उस समय मैं 12वीं में था और ताजा ताजा जवान हो रहा था. मेरे पड़ोस में एक चाची रहती थीं, उनका नाम कविता (बदलता हुआ नाम) है, वो शुरू से ही बहुत ही समझदार और शरीफ किस्म की महिला रही हैं. उनसे मेरा एक अलग सा लगाव रहा है.

 

हमारे परिवार का शुरू से ही उनके घर आना जाना रहा है. वो मेरी मम्मी की एक बहुत अच्छी सहली भी हैं. जब से मैंने होश संभाला है मतलब कि जब से लंड ठीक से खड़ा होना शुरू हुआ है, मैं उनको ही देखते आया हूं. मैं शुरू में चाची को सिर्फ प्यार भरी नजरों से देखता था. उस टाइम तक मेरे दिल में उनके लिए कोई गलत विचार नहीं था, बस वो मुझे अच्छी लगती थीं. वो मुझे जो भी काम कहती थीं, मैं उसको तुरंत पूरा करता था, चाहे वो कैसा भी काम हो और किसी भी समय हो.

 

मुझे पता नहीं क्यों एक जुनून सा सवार रहता था कि मैं सारा दिन सिर्फ चाची के पास ही रहूँ. मैं भी चाची को अच्छा लगता था और काफी बार वो मुझे बोलती भी थीं कि तू मेरा सबसे प्यारा बेटा है. कभी कभी वो मुझे गले भी लगा लेती थीं, पर उस टाइम तो मुझको इन बातों की समझ ही नहीं थी.

 

फिर धीरे धीरे टाइम बदलता गया और मैंने 12वीं अच्छे नंबरों से पास कऱके कॉलेज में दाखिला ले लिया. मैं कॉलेज जाने लगा, वहां मेरी दोस्ती अजय नाम के लड़के से हुई और ये दोस्ती मेरे लिए सेक्स के मामले में वरदान साबित हुई.

 

अजय एक बहुत ही बिगड़ा हुआ लड़का था, पर मुझे वो उस टाइम नहीं लगा. हम दोनों हर रोज सेक्स की किताबें पढ़ते थे. उस टाइम ना तो मेरे पास फ़ोन होता था और सेक्स फिल्म देखना तो बहुत दूर की बात थी. मेरा दोस्त हर रोज एक सेक्स की किताब लाता था, क्योंकि उस टाइम सेक्स की किताबें ही ज्यादा आती थीं. अगर किसी ने पढ़ी होंगी, तो वो मेरी बात अच्छे से समझ सकता है.

 

इस तरह मुझे मेरे दोस्त के द्वारा ही धीरे धीरे सेक्स का पता लगने लगा. उसने ही पहली बार मुझे मुट्ठी मारना सिखाया और जब मेरा पानी निकला, मैं आप लोगों को पता नहीं सकता दोस्तो कि कितना मजा आया. मेरे तो हाथ पैर ही फूल गए थे और मैं पूरा खड़ा हो गया था. वो पहला अनुभव मुझे आज भी याद है और वो मेरी पहली मुट्ठी मेरे दोस्त ने ही मारी थी.

 

आप लोगों को तो पता होगा ही, अगर एक बार मुट्ठी मारी, फिर अपने आपको मुट्ठी मारने से रोक पाना बहुत मुश्किल हो जाता है. वो भी किसी दूसरे हाथ से मारी गई हो, तो बात ही क्या है.

 

उस दिन से मुझे मुट्ठी मारने का ऐसा चस्का लगा कि मैं हर रोज मुट्ठी मारने लगा. मुझे मेरे दोस्त की बदौलत सेक्स का भी अच्छा ज्ञान हो गया था और धीरे धीरे हम दोनों की दोस्ती और भी गहरी होती गई. अब तो वो हर रोज मुझे एक नई सेक्स किताब ला कर देता और मैं उसके घर से भी किताब लाकर पढ़ने लगा.

 

अब आते हैं चाची जी के मुद्दे पर

 

जब धीरे धीरे मेरा चाची को भी देखने का नजरिया बदलने लगा था, तो मुझे बस ये हो गया था कि किसी भी तरह चुत और गांड मारनी है. मैं आप लोगों को एक बात बताना चाहूँगा कि मुझे चुत से ज्यादा गांड मारना ज्यादा अच्छी लगती थी. मैं जब भी किसी महिला को देखता, तो एक बार पीछे मुड़ कर उसकी मटकती हुई गांड को जरूर देखता था.

 

अब जब भी मैं चाची के पास जाता तो था पर मेरे देखने का नजरिया बदल गया था. वो जब भी झाड़ू लगातीं या पौंछा लगातीं, तो मेरी नजर या तो उनके चुचों पर होती या फिर गांड पर टिकी रहती.

 

आप लोगों को पता होगा कि महिलाएं आम तौर पर जब पौंछा लगाती हैं, तो अपना पीछे के हिस्से का सूट उठा लेती हैं. उस समय उनकी गांड की शेप लाजवाब दिखता है. आप कल्पना करो कि मेरी 6 फिट की चाची और वो भी इतनी मस्त गांड और चूचों वाली चाची उस समय कैसी लगती होगी. मुझे पूरा यकीन है आप लोगों का हाथ अपने आप अपने लंड पर चला गया होगा.

 

मेरी चाची का यौवन इतना लाजवाब था कि बूढ़े का भी लंड खड़ा हो जाए, फिर मैं तो अभी अभी जवान हुआ था. सोचो कि मेरा क्या हाल हुआ होगा.

 

मैं हर रोज कम से कम दिन में 4-5 बार उनके घर जाने लगा था, अब तो मुझे बस उनके घर जाने की ही लगी रहती थी.

 

दोस्तो, आप सबको एक बात और बता दूँ कि जब से मैं अपने दोस्त के सम्पर्क में आया था, तब से इसका असर मेरी पढ़ाई पर भी पड़ा क्योंकि अब मैं कॉलेज की पढ़ाई की तरफ कम ध्यान था और सेक्स की किताबों की तरफ ज्यादा हो गया था. घर वालों को इस बात की चिंता होने लगी और उन्होंने मेरी टयूशन लगवाने की सोची.

 

जब बात टयूशन की चली, तो मेरी मम्मी ने कहा कि तेरी चाची ने हिस्ट्री से एम.ए किया हुआ था और तेरे कॉलेज में भी तेरा विषय हिस्ट्री ही है, तो मैं उनसे बात कर लूँ?

चाची का नाम सुनते ही मेरी बांछें खिल गईं.

 

फिर मेरी मम्मी ने मेरी चाची से इस विषय में बात की और मेरी चाची तुरंत मान गईं. क्योंकि मैं उनके काम आता रहता था और उनको भी दुःख हुआ कि मैं पढ़ाई में पीछे होता जा रहा हूं.

इस तरह मेरा उनके घर टयूशन शुरू हो गया और मैं चाची के पास पढ़ने जाने लगा.

 

पहले ही दिन चाची ने जाते ही पूछा- क्या बात है दीपू (घर पर मुझे सब प्यार से दीपू ही कहते हैं), आजकल तुम्हारा ध्यान कहां रहता है? कहीं तुम्हें कॉलेज की हवा तो नहीं लग गई?

मैंने कहा- नहीं चाची जी ऐसे तो कोई बात नहीं है.

फिर उन्होंने कहा- देख तू मुझे अपनी चाची नहीं सिर्फ अपनी दोस्त के जैसी ही समझ.

 

उनके मुँह से ये सुनते ही मेरे कान खड़े हो गए और मैं उनके मुँह की तरफ देखने लगा.

 

फिर उन्होंने कहा- ऐसे क्या देख रहा है, कॉलेज में कोई लड़की नहीं देखी क्या, जो इतने गौर से देख रहा है?

मैंने भी बात में बात मिलाते हुए कह दिया- चाची लड़कियां तो बहुत सारी देखी हैं, पर आप जैसे हसीन नहीं देखी.

 

ये सुनते ही मेरी चाची कातिलाना नजरों से मेरी तरफ देखने लगीं और बोलीं- बेटा, चाची के साथ फ़्लर्ट कर रहा है.

 

इस समय चाची का ऐसे मेरी तरफ देखना मुझे ऐसा लग रहा था, जैसे मेरे बदन में चीटियां रेंग रही हों. मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था.

 

फिर चाची रसोई में चली गईं और मुझे पढ़ने का बोल गईं, पर मेरा ध्यान तो पढ़ाई में कम और चाची की मटकती हुई गांड में ज्यादा था. मैं जहां बैठा था, वहा से रसोई बिल्कुल साफ़ साफ़ दिख रही थी. जब चाची नीचे झुक कर कुछ उठातीं, तो मुझे उनकी फूली हुई गांड मस्त लग रही थी. मेरा दिल कर रहा था कि अभी जाकर चाची को पीछे से पकड़ लूं और अपना लंड निकाल कर वहीं चाची की गांड में एक झटके में ही पूरा बैठा दूं. फिर उनकी गांड को पकड़ पकड़ कर जोर से जोर से झटके मारने में लग जाऊं. ये सोचते हुए मैं अपना लंड दबा कर रह जाता था.

 

इसके बाद चाची जहां कहीं भी जातीं, मेरी नजर सिर्फ उस तरफ ही घूम रही थीं. शायद चाची ने भी मेरी नजर को एक दो बार नोटिस कर लिया था, पर वो बोली कुछ नहीं.

 

दोस्तो, ऐसे ही दिन निकलते गए और साथ बैठ टाइम निकलते गए, पर अब मुझसे रुका नहीं जा रहा था. मैं कैसे भी करके चाची को पाना चाहता था.

 

एक दिन की बात है मेरे घर पर कोई नहीं था, किसी की शादी में गए हुए थे और मेरे परीक्षा का समय था तो मुझे नहीं ले गए. जाते जाते मम्मी ने चाची को बोल दिया था कि दीपू घर पर ही है, जब तुम फ्री हो जाओ, तब उसके लिए खाना बना आना और देख लेना कि वो ठीक से पढ़ रहा है या नहीं. ये कह कर मम्मी और पापा चले गए.

 

मुझे इस बात का पता नहीं था कि मम्मी ने चाची को बोला हुआ है कि वो मुझे आज घर पर आ कर पढ़ाने वाली हैं. मैं तो बस घर पर अकेला होने का फायदा उठा कर सिर्फ अंडरवियर और बनियान में ही घूम रहा था. मैं अपने बेडरूम में जाकर सेक्स की किताबें पढ़ने लगा और लंड को हिलाने लगा. साथ ही साथ तेज आवाज में गाने चल रहे थे.

 

मुझे ऐसा करते हुए 20 मिनट ही हुई थे कि घर का दरवाजा बजा, पर मुझे सुनाई नहीं दिया. मैं गेट लॉक करना भूल ही गया था. मैं तो सिर्फ अपने लंड को बाहर निकाल कर अपने काम में लगा हुआ था.

 

दोस्तो, आप विश्वास नहीं करोगे, उस दिन मैं कहानी भी चाची और बेटा के सेक्स की ही पढ़ रहा था. उस स्टोरी में मैं अपनी चाची को ही महसूस कर रहा था और लंड हिला रहा था, पर पता नहीं चाची किस टाइम मेरे बेडरूम के गेट के सामने आ कर खड़ी हो गईं और मुझे मुट्ठी मारते हुए देखने लगीं.

 

जब मेरी नजर चाची पर गई, तो मैंने देखा कि वो एकटक मेरे खड़े लंड को देखे जा रही थीं. उस समय मैं चाची की आंखों में आज एक अलग ही वासना देख रहा था. जब हमारी नजर एक दूसरे से मिली, तब चाची गुस्से में लाल हो कर वहां से चली गईं.

 

मुझे समझ नहीं आया कि अभी तो वो मेरे लंड को खाने की नजरों से देख रही थीं और अचानक हमारी नजरें मिलते ही उनको इतना गुस्सा भी आ गया. मुझे बहुत ज्यादा डर लग रहा था कि पता नहीं अब क्या होगा. मैंने तुरंत अंडरवियर ठीक किया और बरमूडा डाला और बाहर आया.

 

मैंने देखा चाची जी रसोई में खाना की तैयारी कर रही थीं. मैं तो उनसे नजरें ही नहीं मिला पा रहा था.

 

जब वो मेरे लिए खाना लगा कर लाईं, तब भी मैं नीची नजरें करके बैठा हुआ था. वो मेरे पास आईं और थाली को जोर से रख कर चली गईं.

मैंने सोचा कि बेटा आज गया तू काम से. मैंने जोर नजरों से उनको देखा, तो वो गुस्से में मेरी तरफ ही देखी जा रही थीं.

 

फिर मैंने सोचा देखा जाएगा, जो होगा सो होगा. अभी बात करनी पड़गी नहीं तो चाची ने ये बात मेरे घर वालों को बता दी, तो तू तो गया काम से.

जब चाची जी मुझे दुबारा रोटी देने के लिए आईं तो मैंने कहा- सॉरी चाची जी.

उन्होंने कुछ नहीं कहा और मेरी तरफ गुस्से से देख कर चली गईं.

 

मैंने खाना वहीं छोड़ दिया और अन्दर रसोई में ही चला गया. मैं उनके पीछे खड़ा हो गया और फिर से सॉरी बोला.

 

इस बार चाची बोलीं- मैंने तुझे ऐसा नहीं समझा था कि तू भी ये काम करेगा, तभी तो तुम्हारे नंबर इतने काम आते हैं, यही सब करने तू कॉलेज जाता है क्या?

मैंने कहा- चाची जी प्लीज मुझे माफ़ कर दो आज के बाद ऐसा कभी नहीं करूंगा.

उन्होंने कहा- नहीं नहीं कर लेना मैंने कब मना किया है तुम्हारी जिंदगी है, जो चाहे करो. वैसे तू कब से कर रहा है ये काम?

 

मैं कुछ न बोला, उन्होंने फिर जोर से बोला- मैं कुछ पूछ रही हूं तुमसे?

मैंने कहा- जब से कॉलेज शुरू हुआ है.

फिर उन्होंने कहा- ये किताबें लाता कहां से है तू?

मैंने कहा- मेरे एक दोस्त से.

 

फिर उन्होंने खाना बनाना बंद कर दिया और मेरी तरफ मुँह कर लिया. चाची ने अपने हाथों से मेरा मुँह पकड़ लिया और बोलीं- बेटा अभी जिंदगी बहुत पड़ी है ये सब करने की, अभी तुम्हारी उम्र सिर्फ पढ़ाई की है. अगर अभी से अपना पानी खत्म कर दोगे, तो अपनी पत्नी को क्या दोगे?

 

चाची के मुँह से ये बात सुनते ही मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया, जिसे चाची ने देख लिया था. क्योंकि मेरा लंड बरमूडा में से साफ साफ दिख रहा था.

 

उन्होंने ये देख कर फिर से मुँह फेर लिया.

 

मैंने कहा- चाची मैं क्या करूं, अब मुझसे बर्दाश्त नहीं होता.

उन्होंने कहा- कोशिश कर और अपना ध्यान पढ़ाई पर लगा.

मैंने कहा- मैं बहुत कोशिश करता हूं.

 

फिर वो कुछ नहीं बोलीं और खाना बना कर चली गईं. जाते वक्त चाची बोल कर गईं- खाना खा कर पढ़ लेना, सिर्फ कॉलेज की किताबें

यह कह कर वो मुस्करा कर चली गईं और ये बोल कर गईं- मैं 2 घंटे में आती हूं.

 

चाची के जाने के बाद मैं एक पल तो उनकी मटकती गांड को याद करता रहा. फिर मुझसे रुका ही नहीं जा रहा था. मैंने खाना खत्म किया और यही सोचने लगा कि अगर चाची ने मुझे मुट्ठी मारते हुए देख लिया था, तो उस समय क्यों नहीं बोलीं.

 

जब हमारी नजरें मिलीं, उसके बाद ही उनको गुस्सा क्यों आया, कहीं ये तो नहीं था कि उनको भी मेरा लंड पसंद आ गया हो. मैंने उनकी तरफ देख कर गलती कर दी हो?

 

बस यही सोचते सोचते मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया और मैंने सोच लिया था कि जो होगा देखा जाएगा. अब की बार चाची को फिर से लंड दिखाना ही है.

 

अब तक चाची के आने का समय हो गया था. मैंने एक प्लान बनाया, मुझे पता था कि चाची जरूर वापस आएंगी. मैंने बाहर का मैंने गेट खुला छोड़ दिया और बाथरूम में जाकर नहाने लगा और पूरा नंगा होकर लंड को हिलाने लगा. थोड़ी ही देर में मेरा लंड चाची को याद कर करके खड़ा हो गया और मैं चाची के आने का इंतजार करने लगा.

 

जैसे ही बाहर के गेट के खुलने की आवाज आई, तो मैं जोर जोर से गाना गाने लगा ताकि उनको पता लगे कि बाथरूम में हूं. मैंने बाथरूम का भी आधे से ज्यादा गेट खोल दिया ताकि मैं चाची को लंड हिलाते हुई दिख जाऊं.

 

जब चाची अन्दर आईं, तो मैंने अपना लंड बाहर की तरफ कर दिया और मेरे बाथरूम के शीशे से उनको खड़ा लंड दिखने लगा. वो इधर उधर का काम करके बाथरूम की तरफ आ गईं. जब मैंने शीशे से उनको देखा, तो वो लगातार मेरे खड़े लंड को देखे जा रही थीं. मैं उनको ऐसे देखते हुए देख कर उसी समय उनका नाम ले कर जोर जोर से मुट्ठी मारने लगा.

 

आह कविता चाची आपकी क्या मस्त चूचियां हैं आह तेरी चूत की बड़ी याद आती है एक बार दे दो चाची.

 

जब मैं चाची का नाम ले कर मुट्ठी मार रहा था, तो मैं शीशे से चाची का हाल भी देख रहा था. चाची भी थोड़ी सी साइड में होकर अपने चूचों को जोर जोर से रगड़ने लगी थीं.

 

तब मुझे लगा अब मंजिल पास है. दोस्तो आप विश्वास नहीं करोगे मुझे इतना मजा आ रहा था कि चाची जी मुझे मुट्ठी मारते हुए देख रही थीं और साथ के साथ अपने चूचों को भी रगड़ रही थीं. मेरा पानी निकलने का नाम ही नहीं ले रहा था.

 

वैसे भी मेरा वीर्य बहुत देर से निकलता है. आज तक मैंने जितनी भी महिलाओं को चोदा है, उन सबका दो बार हो जाता था और मेरा मुश्किल से एक बार हो पाता था.

 

मैं चाची को अपना मोटा और तगड़ा लंड दिखाए जा रहा था और वो भी लगातार अपने चूचों को रगड़े जा रही थीं.

 

मुझे मुट्ठी मारते हुए कम से कम 15 से 20 मिनट लग गए थे और तब तक चाची वहीं खड़ी, कभी अपने चुचों को रगड़ रही थीं, तो कभी अपनी सलवार के ऊपर से ही अपनी चुत रगड़ रही थीं. मैं लगातार उनको देख देख कर मुट्ठी मारने में लगा हुआ था. जब मेरा पानी निकला, तो सामने दीवार पर लंड का माल जोर से जा कर चिपक गया. आज मेरा पानी और दिनों से बहुत ज्यादा और बहुत देर तक निकला था.

 

जब मैं फ्री हो गया, तो मैंने शीशे से देखा कि चाची वहां नहीं थीं. जब मैं नहा कर बाहर आया, तब मैंने देखा चाची मेरी किताबों के पन्ने पलट रही थीं.

 

मैंने बाहर आते ही पूछा- चाची जी आप कब आईं?

उन्होंने कहा- जब तू बाथरूम में व्यस्त था

 

ये कह कर चाची ने एक कातिलाना स्माइल पास कर दी. मैंने उनकी तरफ देखा और कपड़े पहनने अन्दर चला गया था. मैं बाहर आया तब उनके पास ही जांघों से जांघें मिला कर बैठ गया.

 

चाची ने भी मुझे दूर बैठने के लिए नहीं बोला. मुझे पता चल गया था कि चाची को मेरा लंड पसंद आ गया है. वो अब गर्म हो चुकी हैं. मेरी नज़रें अभी भी मेरी प्यारी चाची के कसे हुए चूचों पर थीं. इस नजर को चाची भी समझ गई थीं पर वो कुछ बोली नहीं. शायद उन्हें भी मज़ा आ रहा था.

 

तभी अचानक से चाची बोलीं- तू बहुत हरामी हो गया है.

मैं बोला- क्यों?

वो बोलीं- फिर से बाथरूम में वही कर आया, मैंने मना किया था ना और वो भी मेरा नाम लेकर तुझे शर्म नहीं आती, मैं तुम्हारी चाची हूं बेटा और तू मेरा ही नाम ले कर ये कर रहा था.

 

मैंने आंख मार कर कहा- अगर आपने देख लिया था, तो अन्दर आ जाते न, आपको और अच्छे से दिखा देता, चाची प्लीज बुरा मत मानना, आप मुझे बहुत ज्यादा अच्छी लगती हो और मैं आपसे बहुत ज्यादा प्यार करता हूं.

चाची ने कहा- ये सब गलत है, मैं तुम्हारी चाची लगती हूं और मैंने तुम्हें कभी भी ऐसी नजरों से नहीं देखा.

मैंने कहा- तो फिर आप बाथरूम में चुपके चुपके क्या देख रही थीं?

 

चाची जी ने कुछ नहीं बोला और नीची गर्दन कर ली. वो उठ कर घर चली गईं. मुझे मालूम था कि चाची जी शाम को फिर से खाना बनाने के लिए आने वाली थीं.

 

मैंने सोचा आधा काम तो हो गया है, शायद पूरा काम हो जाए और मुझे चाची चोदने को मिल जाएं.

 

मैंने एक और प्लान बनाया, जब चाची आने वाली थीं, तो मैंने एक सेक्स किताब टेबल पर रख दी. वो भी चाची और बेटा की सेक्स स्टोरी निकाल कर और मेरे रूम में चला गया.

 

जब चाची आईं और उन्होंने मुझे आवाज लगाई.

मैंने कहा- अभी आता हूं चाची आप बैठो.

 

चाची सोफे पर बैठ गईं और सामने पड़ी किताब को उठा कर पढ़ने लगीं. मैं ऊपर शीशे से सब देख रहा था, थोड़ी ही देर में चाची का मुँह लाल हो गया और वो इधर उधर देख कर अपने चूचों को दबाने लगीं और साथ ही साथ अपनी सलवार में हाथ डाल कर अपनी चुत रगड़ने लगीं.

 

मुझे लगा अब चाची गर्म हो गई हैं. मैं तुरंत नीचे आया और चाची को देखने लगा. चाची आंखें बंद करके बिल्कुल मगन हो रही थीं.

मैं उनके पास आकर बैठ गया और उनकी जांघ पर हाथ रखते हुए कहा- चाची जी, ये क्या कर रही हो आप?

 

चाची जी एकदम से डर कर उठीं और हाथ बाहर निकाल कर भागने लगीं.

 

मैंने तुरंत भाग कर चाची को पीछे से पकड़ लिया. सच में यार चाची तो बहुत ज्यादा गर्म हो गई थीं. वो मुझसे छुड़वाने की कोशिश करने लगी थीं. पर मैंने उनको बड़ी जोर से पकड़ा हुआ था

 

चाची फिर से बोलीं- बेटा, मैं तेरी चाची हूं, ये सब गलत है.

मैंने कहा- चाची प्लीज अब ये रट छोड़ दो और मुझे भी पता है कि आपकी चुत भी मेरा लंड मांग रही है.

चाची बोलीं- दीपू ये कैसी बात कर रहा है तू? तुम्हें शर्म नहीं आती मैं तुम्हारी चाची हूं.

मैंने कहा- चाची प्लीज अब ये शर्म को छोड़ कर मजा करो, क्यों अपने आप पर और मुझे पर इतना जुल्म कर रही हो.

चाची ने कहा- दीपू ऐसा नहीं है, मैं सिर्फ तुम्हारे चाचा से ही प्यार करती हूं और उनके अलावा मैंने किसी की तरफ नहीं देखा.

 

मैं चाची की बात को अनसुना करते हुए पीछे से उनकी गर्दन को चूमने लगा और अपने दोनों हाथ आगे ले जाकर उनके चूचों को जोर से पकड़ कर सूट के ऊपर से ही उनके चूचों के निप्पल को अपने अंगूठे और एक उंगली से धीरे धीरे रगड़ने लगा. इससे उनके मुँह से अजीब अजीब आवाजें निकलने लगीं.

 

सी ईईई आहहह आह..ई आह ईश्श्श नहीं दीपू प्लीज, ऐसा मत कर मैं मर जाऊंगी आह हाय दीपूउउउउ हाय नहीं दीपू ई. बस कर बस कर प्लीज मान जा..

 

मैं लगातार उनकी गर्दन के पास, उनके कानों की लौ को चाटे जा रहा था और हाथ से उनके चूचों को, कभी निप्पल को रगड़े जा रहा था.

 

अब चाची से बर्दाश्त नहीं हो रहा था, वो बिल्कुल ढीली पड़ चुकी थीं. मैं चाची के चूचों को छोड़ कर धीरे धीरे उनके सूट को ऊपर करने लगा और उनके नंगे पेट पर हाथ फेरने लगा. धीरे धीरे ऐसा करते हुए मैंने उनका पूरा सूट उनके जिस्म से अलग कर दिया और उनको पता भी नहीं चला कि वो ऊपर से नंगी हो चुकी हैं.

 

उन्होंने लाल ब्रा डाली हुई थी. वो लाल ब्रा में और भी ज्यादा सेक्सी लग रही थीं.

 

दोस्तो, उनका दूध से भी ज्यादा गोरा रंग और उसके ऊपर लाल रंग की ब्रा आह मेरा तो लंड फटने को हो गया था. फिर मैंने चाची को अपनी तरफ घुमाया और उनकी तरफ देखा. उन्होंने अपनी आंखें बंद की हुई थीं. मैं अपने होंठ उनके होंठों के पास लाया, तो उन्हें मेरी गर्म सांसों से अहसास हो गया था कि मैं उनको किस करने करने वाला हूँ.

 

फिर उन्होंने अपनी आंखें खोलीं और मेरी तरफ देखा. सच यार उनकी आंखें इतनी लाल हो रखी थीं और एक अलग सी वासना दिख रही थी उनकी आंखों में.

मैंने देर न करते हुए अपने होंठ उनके लाल लाल होंठों से मिला दिया.

 

दोस्तो, ये मेरी जिंदगी का पहला किस था. आप लोगों के सामने बयान नहीं कर सकता, उस समय मुझे इतना अच्छा लग रहा था और मैं लगातार उनके होंठों को चूसे जा रहा था.

 

अब उन्होंने भी मेरा धीरे धीरे साथ देना शुरू कर दिया था, मैंने अपनी पूरी जीभ चाची के मुँह में दे दी और उनके मुँह में फिराने लगा. चाची भी अपनी जीभ मेरे मुँह में देकर फिराने लगीं. हमारा किस इतना लम्बा चला कि हम दोनों के मुँह से लार तक टपकने लगी थी और मैं चाची की सारी लार चाट गया.

 

धीरे-धीरे मैंने चाची के पेट को चाटते हुए उनके पूरे पेट को गीला कर डाला. मैंने चाची की ब्रा को उतार कर उनके एक चूचे को तो मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया. मैंने उनके निप्पल को अपने होंठों से पकड़ कर रब करने लगा और साथ की साथ जीभ से भी उनके निप्पल को रगड़ने लगा.

 

चाची के मुँह से बुरी तरह से कामुक सिसकारियां निकलने लगी थीं- ईश्श्श्श् आहहह दीपउउउ आंह उंह हाय राम क्या मस्त चुचे चूसता है यार तू. आह मजा आ गया रे खा जा आज इनको आंह पूरा का पूरा मुँह में ले दीपू प्लीज.

 

पूरा कमरा उनकी सिसकारियों से गूंजने लगा था. उनके चुचे इतने मस्त और सेक्सी थे कि उनकी मस्ती को शब्दों में बयान नहीं कर सकता. मैंने एक निप्पल को चूसने के साथ ही दूसरे चूचे को दबाना शुरू कर दिया.

 

मैं उनके दोनों निप्पलों को बारी बारी मुँह में ले कर अपने होंठों से रब करने लगा, जिससे चाची और भी तिलमिला उठीं.

 

मैंने उनके चूचों को चूस चूस कर लाल कर दिए, उनके चूचों पर पूरे लाल लाल निशान हो गए थे. फिर मैं नीचे की तरफ बढ़ने लगा. मैंने चाची सलवार का नाड़ा खोल दिया.

 

तभी अचानक चाची ने मेरे हाथ पकड़ लिए और बोलीं- नहीं दीपू प्लीज इससे आगे नहीं, प्लीज मुझे माफ़ कर दे पर इससे आगे नहीं.

पता नहीं अचानक उनको कहां से होश आ गया या पता नहीं क्या हुआ था, वो मुझे और आगे करने से मना करने लगीं.

 

मुझे लगा कि बेटा अगर अब पीछे हट गया, तो फिर जिंदगी भर इनकी चुत नहीं मिलने वाली. मैं ऊपर उठ गया और दुबारा से उनके होंठों पर किस करने लगा और उनके चुचे दबाने लगा. इसी बीच में मैंने एक हाथ नीचे ले जा कर उनकी सलवार के ऊपर से ही उनकी चुत को रगड़ना चालू कर दिया और उनको फिर से तैयार करने लगा.

 

वो लगातार मुझे मना किए जा रही थीं और मैं उनके होंठों पर, उनके गर्दन पर और कान के पास लगातार किस किए जा रहा था.

 

मेरी इस हरकत पर चाची की और भी गर्म सिसकारी निकलना शुरू हो गईं. चाची ने मेरे बालों को पकड़ कर मेरे होंठों को काटना शुरू कर दिया. चाची पागल हो चुकी थीं. उनकी चूत लगातार पानी छोड़ने लगी थी.

 

जब चाची से और ज्यादा बर्दाश्त नहीं हुआ, तो मैंने चाची को अपनी गोद में ले लिया और लगातार चूमने लगा. फिर ले जाकर उनके बेड पर पटक दिया.

 

मैंने चाची के पैरों से फिर शुरूआत कर डाली. मैंने चाची के एक पैर को अपनी छाती पर रख दिया. मैं उसके पैरों के नीचे बैठा हुआ था और उनके पैरों की उंगलियों को मुँह में लेकर चूस रहा था. चाची अपनी आंखें बंद लीं. मैं उनके पैर के अंगूठे को मुँह ले कर चूसने लगा, जिससे चाची तिलमिला उठीं.

 

उनके मुँह से निकल रहा था- दीपू, चोद दे अपनी चाची को प्लीज तेरे चाचा से तो ठीक से चोदा नहीं जाता है.

 

आखिरकार चाची का सच सामने आ ही गया था और उन पर सेक्स हावी हो ही गया था. मुझे मेरे कानों पर विश्वास नहीं हो रहा था कि ये वही चाची हैं क्या?

 

इतना सुनते ही मेरी उत्तेजना और ज्यादा बढ़ गई और मैं चाची की सलवार को खोलने लगा और जब मैंने सलवार नीचे की और चुत की तरफ देखा, तो मैं देखता ही रह गया.

 

चाची ने काले रंग की पैंटी पहनी हुई थी, काली पेंटी में चाची और भी लाजबाब लग रही थीं. मैं चाची की चुत को पैन्टी के ऊपर से ही चाटने लगा, तो वो जोर जोर से तिलमिला उठीं. अब उनसे सहन नहीं हो रहा था, वो मेरे मुँह को पकड़ कर अपनी चुत पर रगड़ रही थीं.

 

मैंने देर ना करते हुए उनकी पैंटी को निकाल दिया और अब मेरे सामने वो चीज थी, जिसका मुझे कबसे इंतजार था. आखिरकार वो समय आ ही गया था. चाची की बिल्कुल नंगी और लाल लाल चुत, जिस पर एक भी झांट का बाल नहीं था मेरे सामने चुदने को खुली पड़ी थी. इतनी चिकनी चूत देख कर मुझे लगा, जैसे चाची अपनी झांटों को आज ही साफ़ करके आई हों.

 

मैं धीरे धीरे उनकी चुत पर हाथ फेरने लगा और वो बिन पानी के मछली की तरफ तड़फने लगी और जोर जोर से सिसकारियां लेने लगीं उम्म्हअहहहययाहह्म्म्म अमन्न आह अआआह आह.

मैं भी चूत के दाने से छेड़खानी करे जा रहा था.

 

चाची ने कहा- हरामखोर मेरे सारे कपड़े निकाल दिए और खुद ने कुछ ना निकाला.

मैंने कहा- मैंने आपके निकाले है तो आप मेरे निकाल दो.

 

चाची एकदम से भूखी शेरनी की तरह उठ कर मेरे कपड़े निकालने लगीं. दो मिनट में ही उन्होंने मेरे सारे कपड़े निकाल दिए. जब चाची ने मेरा अंडरवियर निकाला और मेरा लंड इतने पास से देखा, तो उनकी आंखों में एक अलग ही चमक आ गई थी.

 

चाची मेरे लंड को जोर जोर से रगड़ने लगीं और बोलीं- मैं तो कल ही मोहित हो गई थी तेरे इतने मोटे लंड पर, मैंने आज तक इतना मोटा लंड कभी नहीं देखा अब तक कहां छिपा रखा था इस खजाने को.

मैंने कहा- अब ये आपका ही है चाची जी.

उन्होंने लंड सहलाते हुए कहा- हां ये तो है अब मैं इसे कहीं नहीं जाने दूंगी, अब तो जब भी टाइम लगेगा, मैं हर रोज चुदूँगी इससे.

वे मेरे लंड को जोर जोर से रगड़ने लगीं.

 

उसी समय मैंने एक उंगली चूत में घुसा दी और अन्दर बाहर करने लगा.

चाची- ओहह्ह ओह्ह्ह्ह अह्ह ह्हह अई अई

 

मैं जल्दी जल्दी चूत में उंगली करने लगा. उंगली खूब अन्दर बाहर करके मजा लेने लगा. चाची की कामुकता भरी चीखें निकालने लगीं. धीरे धीरे उनकी चूत का रस बाहर निकलने लगा. मैं जल्दी जल्दी चाटने लगा.

 

अब मैंने चाची को अपना लंड हाथ में पकड़ा दिया और लंड चूसने को कहा.

 

चाची तो जैसे तैयार ही बैठी थीं. हम दोनों 69 की पोजीशन में आ गए. चाची मेरे ऊपर थीं और मैं चाची के नीचे था. जब पहली बार चाची ने मेरे लंड की टोपी अपने मुँह में ली, उस टाइम तो मैं समझो स्वर्ग में पहुंच गया था. मैं जोर जोर से चाची की चुत चाटने लगा. मैंने अपनी पूरी जीभ चाची की चुत के अन्दर दे दी.

 

उसी समय चाची के मुँह से बहुत जोर से सिसकारी निकली- हाय माँआआआ मर गई आह आह ओह मेरी जान श्श्श्श्श्श यस उन्ह आंह

 

चाची भी लगातार मेरे लंड को पूरा मुँह में ले कर चूसने लगीं. वो बार बार मेरा मुँह अपनी चुत पर रगड़े जा रही थीं.

 

अब चाची लगातार कहने लगी थीं- प्लीज दीपू यार अब सहा नहीं जाता डाल दो अपना मैं तुम्हारे मोटे और लम्बे लंड से चुद कर आनन्द लेना चाहती हूँ.

 

फिर मैं भी समय की नजाकत को समझते हुए उनके दोनों पैरों के बीच में आ गया. अपने लंड को चूत पर रगड़ने लगा, पर चुत के अन्दर नहीं डाल रहा था. मैं चाची को ओर तरसाना चाहता था. मैं उनकी चुत के दाने को अपने लंड से रगड़ देता, तो कभी उनकी चुत के पास सहलाने लगता.

 

अब चाची से बर्दाश्त नहीं हुआ तो वो गाली बकने लगीं- दीपू साले हरामी जल्दी से डाल भी दे, मादरचोद मुझसे अब बर्दाश्त नहीं हो रहा.

 

फिर मैंने अपने लंड की टोपी उनकी चुत के मुँह पर रख कर एक करारा धक्का लगा दिया. मेरे लंड की टोपी अन्दर चली गई और उसके साथ ही दूसरा करारा झटका लगा दिया, तो मेरा आधा लंड अन्दर चला गया.

उनको इतना दर्द हुआ कि उनकी आंखों से आंसू आ गए थे क्योंकि उनके पति का लंड कुछ इंच लम्बा ही था. जिस वजह से चाची की चुत का छेद भी ज्यादा बड़ा नहीं हो सका था.

 

उन्होंने कहा- उई मर गई साले दीपू अब ये तेरी ही चुत है प्लीज धीरे धीरे चोद ना यार.

 

अब मैंने चाची को सॉरी बोला और कहा- अब आराम से डालूंगा.

 

फिर मैं वहीं रुक गया और उनके चूचों को चूसने लगा, उनके निप्पल को काटने लगा और उनके होंठों को चूसने लगा. जब तक उनको भी कुछ आराम मिल गया था.

 

फिर मैंने धीरे धीरे करके पूरा लंड उनकी चुत में घुसा दिया, क्योंकि दोस्तों मेरा मानना है कि अगर महिला को दर्द हो रहा है, तो रुक जाओ, मेरा मकसद मजा देना है न कि दर्द.

 

जैसे ही उनका दर्द कम हुआ, तो मैंने उनसे पूछा कि आगे की कार्रवाही शुरू की जाए.

चाची ने आंख मार कर कहा- जरूर मेरी जान.

 

बस फिर धीरे धीरे मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और फिर जोर जोर से झटके मारने लगा. फिर तो चाची भी अपनी गांड को ऊपर उछाल उछाल कर मेरा साथ देने लगीं.

 

कुछ ही देर में चाची में पूरा जोश आ गया था, वो ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगी थीं- उईई ईईई हाय आअहाआआ बाबू आहा मेरी जान ओह्ह्ह श्शह, हाय माँ मर गई आआअह्ह ह्हह ईईईई दीपू प्लीज, तुम्हारा लंड बहुत बड़ा और मोटा है तुम्हारे चाचा का तो इसके सामने झांत बराबर है आह तेरे इस लंड ने तो पूरा मजा दे दिया इतना मजा मुझे आज तक नहीं आया.

 

मैंने अपनी स्पीड और तेज कर दी.

 

चाची मस्ती में बोले जा रही थीं- आआहह उह्ह्ह ह्ह हां और ज़ोर से चोदो और ज़ोर से आईईई दीपू प्लीज आह मैं बस तुम्हारी हूं हां और उह्ह्ह्ह ह्ह ज़ोर से चोद मुझे उह्ह्ह्ह ह्ह्ह्ह. प्लीज दीपू मुझे अपनी रंडी बना ले यार आज से तू जो कहेगा, मैं वो करूंगी.

 

करीब आधे घंटे की लगातार चुदाई में वो तीन बार झड़ गई थीं. मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा था कि मैं इतने समय तक रुक पाऊंगा क्योंकि ये मेरा पहली बार था.

 

इस दौरान मैंने उनको कम से कम 5-6 आसनों में चोदा और जब मेरा होने को हुआ तो मैंने कहा- चाची मेरा होने वाला है, कहां करूं?

उन्होंने कहा- यार दीपू, प्लीज मेरी चुत में ही डाल दे, बहुत दिन से गर्म गर्म रस नहीं गया है मेरी चुत में.

 

मैं भी उनकी चूत के अन्दर ही झड़ गया. मैं हांफता हुआ उनके ऊपर ही पड़ गया और कुछ समय तक ऐसे ही रहा.

 

कुछ देर बाद मैं उठा और उसके बाद मैंने चाची जी की पूरी बॉडी पर किस किया. उसके बाद अब मैं उनका हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रखने लगा.

तो चाची बोलीं- क्या बात है लाड़ले अभी भी दिल नहीं भरा क्या? इतनी जबरदस्त चुदाई करने के बाद भी तू जोर लगा रहा है मेरा तो एक एक अंग डोल गया है.

चाची ये कह कर हंसने लगीं.

 

मैंने कहा- आप हो ही इतने लाजवाब और सेक्सी कि पूरी रात और दिन आपकी चुदाई करता रहूँ, तो भी दिल ना भरे.

चाची हंसने लगीं और कहने लगीं- दीपू तुमने आज जो सेक्स का असली मजा दिया है न वो मजा आज तक मेरे पति ने कभी नहीं दिया. उनका तो लंड भी 3.5 इंच से ज्यादा नहीं है और वो अन्दर डालते ही 8-10 झटकों में ही निकल जाते हैं. पर तुम्हारा तो आज पहली बार था और तुमने इतने देर तक चोदा, आज तुमने मेरी सारी तमन्ना पूरी कर दी. मेरे पति तो चुत को चाटना तो दूर की बात है, उन्होंने तो आज तक मेरी चुत को ढंग से छुआ भी नहीं है. थैंक्यू मेरी जान.

 

ये कहते हुए उन्होंने मेरे होंठों को काट खाया.

 

ये बात सच है दोस्तो आज भी मेरा लंड बहुत देर तक नहीं झड़ता. इस तरह मैंने अपनी शरीफ दिखने वाली चाची को अपना लंड दिखा कर और चोद कर अपना बना लिया.

 

चाची के साथ मैंने आगे क्या क्या मजे लिए और कैसे मैंने उनकी गांड मारी, वो सब अगली सेक्स कहानी में लिखूंगा. अगर मुझे कोई गलती हो गई हो, तो अपना समझ कर माफ़ कर देना और आप लोगों को मेरी पहली सेक्स स्टोरी कैसी लगी ये बताना जरूर दोस्तों मुझे आपके कमेंट का इंतजार रहेगा.

 

 

 

 

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