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छोटी साली को चोदा सोफे पर - Sali ki chudai

Sali ki chudai: दोस्तो, मैंने आपको बताया था कि मेरी शादी के बाद अपनी पत्नी के अलावा मेरा सबसे पहला सैक्स अनुभव मेरी साली रजनी बेबोके साथ हुआ, जिसके बारे में मैं अपनी पिछली कहानी

साली की सील तोड़ चुदाई

में बता ही चुका हूँ। आपने मेरी कहानी पढ़ी और उसे पसंद किया उसके लिए मैं आप सभी का धन्यवाद करता हूँ।

 

खैर अब आगे

 

उस सैक्स अनुभव के बाद मैं और बेबो बहुत खुल गये थे। अब दिन में या रात को जब मेरी पत्नी छोटे बच्चे को दूध पिलाते-पिलाते सो जाती तो मैं कमरे का दरवाजा सावधानी से बंद कर देता ताकि मेरी पत्नी और बच्चे को नींद में बाधा ना हो। ऐसा मैं अकसर ही करता था क्योंकि दिन में जब मेरी पत्नी छोटे बच्चे को दूध पिलाते-पिलाते सो जाती तो मैं और बेबो लूडो या कैरम खेलते और रात को फिर जब मेरी पत्नी छोटे बच्चे को दूध पिलाते-पिलाते सो जाती तो मैं और बेबो देर रात तक बाते करते।

 

यह बात मेरी पत्नी जानती थी। चूंकि वो ये बात जानती और समझती थी इसलिये हम पर बिल्कुल शक नहीं करती थी और वो आराम से सोती थी। लेकिन उस सैक्स अनुभव के बाद लूडो या कैरम खेलना छोड़ कर हम दूसरा खेल खेलने लगे थे।

 

हम कमरे का दरवाजा सावधानी से बंद करके दोनो एक दूसरे से लिपट जाते और लिपट-चिपट कर किस करते। फिर एक दूसरे को बाँहों में भर कर किस करने से बात आगे बढ़ कर एक दूसरे के अंगों को छूना शुरु हो जाता। बेबो ज़्यादातर सलवार सूट पहनती थी। इसलिये मैं बेबो के कुरते के ऊपर से उसके स्तन दबाने और फिर उसकी सलवार के ऊपर से उसकी चूत को दबाने और फिर सलवार के अन्दर हाथ डाल कर उसकी पैंटी के ऊपर से उसकी चूत पर हाथ फिराने तक पहुँच जाता।

 

मैं ज़्यादातर टी-शर्ट और लोअर पहनता था। मैं अपने लोअर की जिप खोलकर उसे जरा सा नीचे सरका कर अपना लण्ड निकाल कर बेबो के हाथ में थमा देता। बेबो भी मेरे लण्ड को बिना झिझक के अपने हाथ में थाम लेती और हल्के-हल्के दबाती या मुठ्ठी में भर कर आगे-पीछे करती और जोर-जोर से हिलाती।

 

एक-दो दिन बाद तो वो खुद ही मेरे लोअर की ज़िप खोल कर मेरा लण्ड निकालने और दबाने तक पहुँच गई। यह सारा कार्यक्रम लगभग 10 से 15 मिनट तक चलता। हम दोनों बेहद गर्म हो जाते और मेरे लण्ड से और बेबो की चूत से कुछ चिकना सा द्रव्य निकलने लगता।

 

उसके बाद हमारा चुदाई कार्यक्रम शुरु हो जाता। मैं और बेबो सोफे पर बैठ जाते। फिर मैं बेबो की सलवार और उसकी पैंटी को उतार कर नीचे उसके पैरों में गिरा देता, मगर पैरों से अलग नहीं करता। फिर कुछ देर मैं उसकी चूत के घने बालों पर हाथ फिराता। फिर बेबो की टांगें खोल कर उसकी टांगों के बीच में बैठ जाता और बेबो की चूत के बाल अपने मुँह में भर लेता। फिर अपनी जीभ से बेबो की चूत के जी-पॉइंट को रगड़ने और ऊपर-नीचे फिराने लगता।

 

बेबो गर्म होकर पागल हो जाती और मेरे बाल पकड़ लेती। हाँ, कहीं उसकी दीदी को ना सुन जाये इसलिये वो कोई आवाज़ तो नहीं करती, मगर फिर भी उसके मुँह से बहुत हल्की सी सिसकियाँ जरूर निकलने लगती। फिर वो मेरा सर पकड़ कर मेरा मुँह अपनी चूत में घुसाने की नाकाम कोशिश करने लगती। मैं अपनी जीभ तेज-तेज उसकी चूत के जी-पॉइंट पर फिराने लगाता। जब उसकी चूत से कुछ चिकना-चिकना सा नमकीन पानी निकलने लगता तो मैं थोड़ा सा उसे टेस्ट करके बेबो से अलग हो जाता।

 

फिर मैं बेबो के सामने खड़ा होकर अपना लोअर और जॉकी को उतार कर नीचे अपने पैरों में गिरा देता, मगर पैरों से अलग नहीं करता। बेबो सोफे पर ही बैठी होती। फिर मैं खड़े-खड़े अपना लण्ड बेबो के मुँह की तरफ करता। बेबो समझ जाती और मेरा लण्ड पकड़ कर अपने मुँह में भर लेती।

 

Sali ki chudai

 

फिर मेरा लण्ड मुँह में लेकर चूसने लगती। बेबो के ऐसा करने से ना चाहते हुऐ भी मेरे मुँह से हल्की-हल्की सिसकारियाँ निकलने लगती। मेरी सिसकियाँ सुनकर बेबो जोर-जोर से और तेज-तेज मेरे लण्ड को चूसने लगती। बेबो लगभग 5 मिनट तक मेरे लण्ड को अपने मुँह में लेकर लॉलीपोप की तरह चूसती रहती।

 

मेरे मुंह धीमे-धीमे से ओह बेबो! आह्ओह! अह! सीईईईईइ, सीस्सईईइ!की आवाजें निकलने लगती। थोड़ी देर बाद जब मुझे ऐसा लगता कि अगर बेबो इसी तरह से मेरे लण्ड को चूसती रही तो मैं इसके मुँह में ही डिस्चार्ज हो जाऊँगा, तब मैं अपना लण्ड बेबो के मुँह से बाहर खींच लेता। फिर मैं लोअर और जौकी को ऊपर उठा कर, हाथ से पकड़ कर, धीरे-धीरे अपनी पत्नी के कमरे के दरवाजे के पास जाता और दरवाज़े पे कान लगा कर अपनी पत्नी के हल्के खर्राटों को सुनने की कोशिश करता और जब ये इतमिनान हो जाता कि वो सो रही है, तब मैं वापस बेबो के पास आ जाता।

 

बेबो धीरे से पूछती दीदी सो रही है क्या?”

मैं हाँ में सर हिला देता।

 

फिर मैं बेबो के पैर ऊपर करके उसे सोफा पर लिटा देता। मैं अपनी टी-शर्ट और बेबो अपना कुर्ता कभी नहीं उतारते थे। सेंटर टेबल पर लूडो बिछा होता था। फिर मैं उसकी सलवार और उसकी पैंटी को उसके एक पैर मे से उतार कर उसके दूसरे पैर में कर देता, मगर दूसरे पैर से अलग नहीं करता।

 

फिर मैं भी अपना लोअर और जौकी अपने एक पैर से निकाल कर दूसरे पैर में फंसा देता, मगर दूसरे पैर से अलग नहीं करता, ताकि अगर मेरी पत्नी अचानक उठ भी जाये और दरवाजा खोलने के लिये कहे तो मैं और बेबो जल्दी से अलग होकर अपने-अपने लोअर और अन्डरवियर पहन सके और सेंटर टेबल पर लूडो बिछा देखकर उसे कोई शक ना हो।

 

फिर मैं बेबो की बगल में लेट कर उसे अपने साथ सटा कर लिटा लेता। हम दोनो सोफ़े पर चिपक कर लेट जाते। फिर कुछ देर तक मैं उसकी चूत के घने बालों पर हाथ फिराता।

 

Sali ki chudai

 

फिर मैं उसके नर्म-नर्म स्तनों को कुरते के ऊपर से दबाने लगता। फिर कुछ देर बाद मैं उसके कुरते के गले में हाथ डाल कर उसके सख़्त हो चुके दोनों बूब्स को एक-एक करके दबाने लगता। मेरा लण्ड तन कर बेबो की चिकनी टांगों से टकरा रहा होता था।

 

फिर मैं बेबो की चिकनी टांगों पर हाथ फिराने लगता। फिर उसकी पाव रोटी की तरह उभरी हुई उसकी चूत पर हाथ फेरने लगता। फिर मैं मौके की नज़ाकत को समझते हुए अपनी उँगलियॉ बेबो की चूत के अन्दर डाल देता। फिर अपनी उंगलियों से बेबो की चूत के फाँको को खोलने और बन्द करने लगता। फिर मैं बेबो की चूत के दाने को रगड़ने लगता।

 

बेबो के मुँह से सिसकियाँ निकलने लगती; बेबो मस्त हो जाती। वो बहुत गरम हो जाती और जोर-जोर से, आवाज़ रोक कर सिसकारियाँ लेने लगती और अपने होंठ चूसने लगती। फिर वो मेरे बालों पर हाथ फेरने लगती। यह सिगनल होता कि वो चुदवाने के लिये तैयार है। फिर मैं उसे धीरे से सौफे पर सीधा लिटा देता और मैं बेबो के ऊपर आकर लेट जाता।

 

बेबो का जिस्म मेरे जिस्म के नीचे दब जाता। मेरा लण्ड बेबो की जांघों के बीच में रगड़ खा रहा होता। बेबो बिना झिझके मेरा लण्ड अपने हाथ में थाम लेती। फिर वो मेरे लण्ड को अपने हाथ में दबाने लगती। मेरा लण्ड तन कर और भी सख्त हो जाता।

 

बेबो मेरे लण्ड को मुट्ठी में भर कर आगे-पीछे करने लगती। फिर वो मेरा तन कर लम्बे हो चुके लण्ड को पकड़ कर जोर-जोर से हिलाने लगती। तब तक मैं बेबो की चूत मारने को बेताब हो चुका होता। फिर मैं साली बेबो की टांगें खोल कर उसकी टांगों के बीच में अधलेटा होकर मैं अपने लण्ड को मुठ्ठी में भर कर बेबो की चूत के दाने के उपर-नीचे करके रगड़ने लगता। बेबो के मुँह से सिसकियाँ निकलने लगती। कुछ देर बाद बेबो की चूत से फिर से कुछ चिकना-चिकना सा निकलने लगता था।

 

Sali ki chudai

 

अब वो मदहोश होने लगती और उसकी आंखें बंद होने लगती। फिर साली मेरे कान के पास फुसफसा कर बोलती ओह जीजू, प्लीज डालो ना। मेरे तो तन-बदन में आग सी लग रही हैं।

 

यह सुन कर मैं अपने लण्ड का सुपाड़ा उसके चूत के गुलाबी छेद पर टिका कर एक जोरदार धक्का मारता जिससे मेरा पूरा का पूरा लण्ड एक ही झटके में बेबो की कुंवारी और चिकनी चूत में पूरा अन्दर चला जाता। मेरे लण्ड के अन्दर जाते ही बेबो के मुँह से हल्की सी सिसकी निकलती और वो मुझे अपनी बाँहों में कस लेती।

 

मैं भी उसे कस कर पकड़ लेता और हम एक दूसरे में पूरे तरीके से समा जाते। फिर मैं अपने लण्ड को बेबो की चिकनी चूत के अन्दर पूरा डाले हुऐ रुक जाता और बेबो के होंठों को अपने होंठों में भर कर चूसने लगता।

 

कुछ देर तक हम दोनो ऐसे ही एक-दूसरे से चिपके रहते और एक-दूसरे के होंठों को चूसते रहते। मेरा पूरा लण्ड बेबो की चूत के अन्दर तक समाया होता। फिर कुछ देर बाद उसके होंठों को चूसते हुए मैं उसे चोदना शुरु कर देता। पहले मैं अपने लण्ड को उसकी चूत में धीरे-धीरे अन्दर बाहर करने लगता।

कुछ देर बाद बेबो भी जोश में आ जाती और अपनी कमर को धीरे-धीरे हिलाने लगती।

 

मैं बेबो को अपनी बाँहों में भर लेता। बेबो भी मुझे अपनी बाँहों मे पूरी ताकत से कस लेती। शुरु-शुरु में कुछ देर तक मैं अपने लण्ड को धीरे-धीरे से ही बेबो की चूत के अन्दर-बाहर करता रहता।

 

 

फिर कुछ देर बाद जब बेबो अपनी टांगें ऊपर की तरफ मोड़ कर मेरी कमर के दोनों तरफ लपेट लेती तो मेरी रफ़्तार बढ़ने लगती। फिर मैं अपने लण्ड को तेज-तेज बेबो की चूत के अन्दर-बाहर करता।

 

धीरे-धीरे मेरी रफ़्तार और भी बढ़ने लगती। अब मेरा लण्ड बेबो की चूत में तेजी से अन्दर-बाहर होने लगता और मैं बेबो की चूत में अपने लण्ड के तेज-तेज धक्के मारने लगता। जब मैं फुल स्पीड में बेबो को चोदता तो सोफे की वजह से चुदाई का मजा दुगना हो जाता। सोफे की फोम और फोम के नीचे स्प्रिन्गों की वजह से जब मैं बेबो की चूत में अपने लण्ड का धक्का लगाता तो सोफे के फोम और स्प्रिन्ग दब जाते और जैसे ही मैं अपना लण्ड बेबो की चूत से बाहर खींचता तो सोफे के फोम और स्प्रिन्ग बेबो के हिप्स को ऊपर धकेल देते। सच इस वजह से सोफे पर तो बेबो को चोदने में दुगना मजा आता।

 

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थोड़ी देर बाद बेबो भी नीचे से अपनी कमर को उचका कर मेरे धक्कों का ज़वाब देने लगती और मज़े में धीरे-धीरे बोलने लगती सीसीऔर जोर.. से जीजूजुजु… …येसस्स्स्स अरररऽऽ बहुत मज़ा आ रहा है और अन्दर डालो और जीजू और अन्दर येस्स्स्स जोर से करो। प्लीज जीजू तेज-तेज करो ना। बहुत अच्छा लग रहा है। बडा मज़ा आ रहा है।

 

बेबो को सचमुच में मजा आने लगता था और वो अपने हाथ सोफे पर टिका कर जोर जोर से अपने हिप्स को ऊपर-नीचे करने लगती थी और मैं तेज़-तेज़ धक्के मारने लगता था। वो मेरे हर धक्के का स्वागत अपने हिप्स को ऊपर-नीचे करके करती। फिर वो मेरे हिप्स को अपने हाथों में थाम लेती। अब वो भी नीचे से मेरे धक्कों के साथ-साथ अपने हिप्स को तेज-तेज ऊपर-नीचे कर रही होती थी।

 

जब मैं लण्ड उसकी चूत के अन्दर घुसाता तो वो अपने हिप्स को पीछे खींच लेती। जब मैं लण्ड उसकी चूत में से बाहर खींचता तो वो अपने हिप्स ऊपर उठा देती। इससे मैं तेज-तेज धक्के मार कर बेबो को चोदने लगता। फिर मैं सोफे पर हाथ रख कर बेबो के ऊपर झुक कर तेजी से उसकी चूत मारने लगता। Sali ki chudai

 

अब मेरा लण्ड बेबो की चिकनी चूत में आसानी और तेजी से आ-जा रहा होता था। बेबो भी अब चुदाई का भरपूर मजा ले रही होती थी। वो मदहोश हो रही होती थी। मैं रुक कर धीरे से बेबो के कान में कहता- बेबो अच्छा लग रहा है क्या?

 

बेबो धीरे से बोलती- हाँ जीजू, बहुत अच्छा लग रहा है। प्लीज जीजू रुकें मत। तेज-तेज करते रहो। ओह आहाप्लीज तेज-तेज करो। मैं डिस्चार्ज होने वाली हूँ। अब रुको मत। प्लीज तेज-तेज करते रहो।

 

बेबो के मुँह से ये सुन कर मैं फिर से बेबो को चोदना शुरु कर देता और अपनी रफ्तार को और भी बढ़ा देता। फिर मैं बेबो के पैर अपने कंधे पर रख कर उसके बडे-बडे हिप्स को अपने हाथों से जकड़ लेता और छोटे-छोटे मगर तेज-तेज शॉट मार कर बेबो को चोदने लगता। बेबो के मुँह से मस्ती में बहुत धीरे से ओह्ह्ह होहहोह सिस्स्स स्सहह्ह हाहा ह्ह्हआ आआआ हा-हा करो-करो ऽअआह हाहअआ प्लीज जीजू तेज-तेज करो। ओह जीजू!निकलने लगता।

 

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मैं बेबो के होंठों को अपने होंठों से चूसते हुऐ उसे तेजी से चोदने लगता। मेरा लण्ड सटासट बेबो की चूत में तेजी से अन्दर-बाहर होने लगता था। मैं बेबो की चूत में अपने लण्ड के तेज-तेज धक्के मारता। करीब 15 मिनट की चुदाई के बाद जब हम दोनों झड़ने वाले होते तो हम दोनों एक साथ अकड़ से जाते और एक साथ जोर-जोर से धक्के मारने लगते।

 

फिर अचानक बेबो ने मुझे कस कर अपनी बाँहो में भर लेती और बोलती,”जीजू, मेरा तो काम होने वाला है। प्लीज जीजू! अब खूब जोर-जोर से करो। येस-येस अररर् और जोर से ययस यसससऔह जीजू मैं तो हो गईईईईई! इसके साथ ही बेबो की चूत अपना पानी छोड़ देती। फिर वो एक धीमी सी आह भरती और फिर वो ढीली पड़ जाती। Sali ki chudai

 

मैं समझ जाता कि बेबो डिस्चार्ज हो गई है। मैं भी डिस्चार्ज होने वाला होता था, इसलिये मैं तेज-तेज धक्के मारने लगता और जोर-जोर से अपने लण्ड को बेबो की चूत में पेलने लगता। बेबो मुझे जल्दी से होने को और मेरे लण्ड को अपनी चूत में से बाहर निकालने के लिए बोलने लगती।

 

लेकिन मैं उसकी बातों को अनसुना कर तेज-तेज धक्के लगाना जारी रखता। करीब 2-3 मिनट तक बेबो को तेज-तेज चोदने के बाद जब मैं डिस्चार्ज होने लगता तो मैंने अपना लण्ड साली की चूत से बाहर खींच लेता और अपने लण्ड के सुपाड़े को अपनी मुठ्ठी में भर लेता और अपनी मुठ्ठी में ही डिस्चार्ज हो जाता।

 

फिर मैं तुरन्त उठ कर, अपना लोअर और जौकी एक पैर में फँसाए हुए धीरे-धीरे चलता हुआ वाश-बेसिन के पास जा कर अपना लण्ड और हाथ धोता। फिर अपना लोअर पहन कर सोफे के पास आता और बेबो के ऊपर गिर जाता। बेबो अपनी सलवार पहन चुकी होती थी। फिर मैं कुछ देर उसके ऊपर लेट कर अपनी तेज-तेज चलती हुई सांसों को नार्मल होने का इन्तज़ार करता।

 

फिर मैं बेबो की बगल में लेट जाता। बेबो भी मेरे साथ लेटी हुई अपनी सांसों को काबू में आने का इंतजार करती थी। कुछ देर तक ऐसे ही पड़े रहने के बाद हम दोनों उठकर अपने कपड़े ठीक करते और फिर सोफे पर बैठकर आराम से नार्मल बातें करनी शुरु कर देते जैसे कुछ हुआ ही ना हो।

 

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मैं धीरे से बेबो से पूछता कि कैसा लगा तो वो बोलती- जीजू! बहुत अच्छा लगा। बहुत मजा आया। सचमुच मैं तो आपकी दीवानी बन गई हूँ।

मैं उससे कहता कि चलो कल फिर करेंगे।

तो बेबो बोलती-अब आप जब चाहें ये सब कर सकते हैं। मुझे कोई एतराज नहीं होगा।

 

यह सुन कर मैं खींच कर उसे अपनी गोद में लिटा लेता। मैं सोफे के एक कोने पर बैठा होता और बेबो मेरी गोद में लेटी होती। फिर मैं अपने जलते हुऐ होंठ बेबो के होंठों पर रख देता। फिर मैं उसके नरम-नरम होंठों को अपने होंठों मे भर कर चूसने लगता। बेबो भी मुझ से लिपट सी जाती।

 

फिर मैं बेबो को किस करते-करते उसके बालों में हाथ फिराने लगता। फिर मैं उसके गालों पर हाथ फिराने लगता। फिर मैं अपने हाथ को नीचे ले जाकर उसके कुरते के ऊपर से उसके स्तनों को दबाने लगता। फिर मैं मजाक में उसके कान में कहता कि बेबो चलो एक बार फिर करते हैं। Sali ki chudai

 

यह सुनते ही वो एकदम छटक कर अलग हो जाती और बोलती- क्या जीजू! बड़े गन्दे हो आप। इतना सब कुछ हो गया। फिर भी चैन नहीं पड़ा है। अब सब्र रखो। दीदी उठने वाली होंगी। मैं चाय बना के लाती हूँ। फिर चलो लूडो खेलेंगे।

 

ये कह कर वो शरारत से अपना हाथ हिला कर बाय किया करती और फिर वो तेजी से किचन की ओर बढ़ जाती।

 

मैं सोफे पर बैठा-बैठा उसे जाते हुए देखता रहता। फिर मैं अपनी आँखें बंद करके मन ही मन यह सोच कर बहुत खुश होता था कि कैसे मैंने बेबो को अभी-अभी सोफे पर जम कर चोदा है। कुछ देर बाद बेबो चाय लाकर मेरे सामने वाले सोफे पर बैठ जाती और हम चाय की चुस्की लेते-लेते बातें करना और लूडो खेलना शुरु कर देते।

 

इस तरह मैंने अलग-अलग दिन कुल 5 बार मैंने बेबो के साथ सोफे पर सैक्सपिरियंस किया। इसके बाद मौका मिलने पर लगभग दो साल में मैंने कुल 9 बार अपने घर में, 3 बार बेबो के घर में और एक ही रात में 3 बार होटल के कमरे में बेबो के साथ खुलकर सैक्स किया।

 

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दो साल बाद बेबो की शादी हो गई और आज वो दो बच्चों की माँ हैं। बेबो और उसके परिवार से हर साल दो या तीन बार मुलाकात जरुर होती है। फोन पर तो अकसर बात होती रहती है। लेकिन हम भूल कर भी अपने पुराने सैक्स के बारे में बात नहीं करते है। बेबो की शादी के बाद हमने मौका मिलने पर भी कभी सैक्स नहीं किया और शायद यही वजह है कि हमारे दिल में एक दूसरे के लिये प्यार आज भी है। सच्चा प्यार मरता नहीं है! तो दोस्तो, कैसी लगी मेरी साली की चूत चुदाई कहानी! मुझे मेल करना मत भूलना! 

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भाभी की चुदाई कंडोम लगा कर

यह कहानी मेरे पड़ोसी युवक हिमांशु और मेरी देवरानी रोशनी की है। एक बार जब मैंने उन दोनों को आपत्तिजनक स्थिति में पकड़ लिया था तो हिमांशु ने ही मुझे यह घटना सुनाई, अब उसी के शब्दों में- मेरा नमस्कार ! मेरा नाम हिमांशु है, मैं जयपुर में रहता हूँ। मैं आपको अपने सेक्स की पहली कहानी बताने जा रहा हूँ। यह बात आज से दो साल पहले की है, तब मेरी उमर 20 वर्ष थी। मुझे रोज जिम जाने की आदत थी। मैं रोज 6 बजे उठकर जिम जाता था जिसके कारण मेरा शरीर काफ़ी गठीला हो गया था। मेरे पास वाले घर में दो भाभियाँ रहती थी, बड़ी वाली भाभी की शादी दो साल पहले और छोटी वाली भाभी रोशनी की छः महीने पहले हुई थी। बड़ी वाली भाभी धमाल थी तो छोटी वाली डबल धमाल थी, काफ़ी खूबसूरती के साथ साथ क्या तो फ़िगर था उनका

 

मैं तो उनको देख कर पागल सा हो गया था। बड़े बड़े चूचे, भारी चूतड़, गोरा रंग और तो और शरीर में कहीं भी फ़ालतू चर्बी नहीं थी। उनको देखते ही उनकी चुदाई को मन करता, दिल चाहता कि उनको पकड़ कर रगड़ दूँ अपने लन्ड से !

 

मेरी यह इच्छा एक दिन पूरी होने को आई। एक मैं रात को अपने घर की छत पर घूम रहा था, मेरे हाथ में मेरा मोबाईल था, उसमें नंगी फ़िल्में थी चुदाई की जो मैं देख रहा था घर वालों से छिप कर। मैं दीवार के सहारे खड़ा हो गया जो भाभी के घर से जुड़ी हुई थी। अचानक किसी के आने की आहट हुई, जिसके डर से मेरा मोबाईल भाभी के घर में गिर गया। मैं देखने लगा कि कौन है, पर वो मेरा सिर्फ़ वहम था वहाँ कोई नहीं था। मैं मोबाईल को लेने के लिये भाभी के घर की छत पर कूदा। उनका घर दो मंजिला था और मेरी छत तीसरी मंजिल की थी। मैं उनकी सीढ़ियों की छोटी छत से धीरे से कूद कर उनकी छत पर गया।

 

वहाँ मैंने देखा की गद्दे बिछे पड़े हैं और मेरा मोबाइल गद्दे पर पडा है, पास ही भाभी लेटी हुई है एक ढीले से गाउन में वो गद्दे पर लेटी हुई थी।

 

मैंने मोबाईल उठाया यह सोचकर कि भाभी सो रही है। भाभी के शरीर को देखकर मेरा मन उन्हें पकड़ कर चोद देने का था पर मैं भाभी की एक फोटो चुपचाप खींचकर चला आया। रात को मैंने छत पर ही सोने का मन बनाया और सोने लगा।

 

देर रात मुझे कुछ आवाजें सुनाई दी भाभी के घर से ! मैंने देखा कि भईया भाभी को चोद रहे थे। मैं चुपके से उनकी चुदाई देख रहा था, थोड़ी देर बाद भईया झड़ गये और घड़ी में टाइम देखकर बोले- मुझे जाना है, आधे घण्टे बाद की गाड़ी है दिल्ली की ! मुझे निकलना होगा अभी इसी वक्त !

 

और जाने लगे। भाभी अभी तक शान्त नहीं हुई थी पर वो भईया को नहीं रोक सकी, भईया चले गये।

 

भईया के जाने के बाद भाभी सोने लगी, मैं उन्हें देख रहा था तभी मेरे मोबाइल की लो बैट्री की टोन बजी तो भाभी उठ गई। उनकी नजर मेरे मोबाइल पर पड़ी, मैं झट से पीछे हट गया। थोड़ी देर बाद मैं वापिस देखने लगा तब भाभी ने मुझे पकड़ लिया और मुझे अपने पास बुलाया, मैं बहाने बनाने लगा पर उन्होंने मेरी फ़ोटो खेचने वाली हरकत पापा को बताने की धमकी दी और मुझे उनके पास जान पड़ा।

वो मुझे डाँटने लगी कि किसी को इस तरह नहीं देखना चाहिये। मैंने उनसे माफ़ी मांगी पर वो मुझे माफ़ नहीं कर रही थी। उन्होंने मुझे माफ़ करने की शर्त रखी कि जो काम भइया अधूरा छोड़कर, उसे पूरा करो !

 

मैं समझ नहीं पाया कि वो क्या कहना चाहती थी।

 

मैंने उन्हें कहा- मुझे समझ नहीं आ रहा है कि आप क्या कहना चाहती हो?

 

तब उन्होंने मुझे चांटा मारा और कहा- जो काम मोबाइल में देखते हो, उसे मेरे साथ करो।

 

मैंने झट से उन्हें धक्का दिया और नीचे गिरा दिया।

 

उन्होंने मुझे कहा- यह क्या कर रहे हो?

 

मैंने कहा- मैं मोबाइल में रेप देख रहा था, आपके साथ भी वो ही करूँ?

 

वो बोली- जो करना है करो, पर प्यार से करो ! नीचे आवाज ना पहुँचे !

मैं उनके ऊपर चढ़ गया और उन्हें चूमने लगा। तभी भाभी मेरे होंटों को चूस चूस कर चुम्बन करने लगी, वो चूमाचाटी का पूरा मजा ले और दे रही थी।

 

उन्होंने मेरे लण्ड को मसलना शुरु कर दिया।

 

मैंने अब अपनी पैन्ट उतार दी, मेरा कच्छा तम्बू की तरह खड़ा था। मैंने उसे भी उतार दिया, मेरा 7 इन्च का काला कोबरा बाहर था। भाभी ने मोबाइल की लाइट में उसे देखा तो वो खुशी के मारे उसे जोर जोर से रगड़ने लगी।

 

मैंने भाभी का गाउन उतार दिया, वो पूरी तरह नंगी हो गई। मैंने मोबाइल की टॉर्च चालू की तो देखा भाभी का नंगा शरीर !

 

मेरा लन्ड हिचकोले खाने लगा, बड़े बड़े बोबे और उनकी गोरी चूत मेरे शरीर में बिजली पैदा कर रही थी, बस यह बिजली उनको देने के लिये प्लग जोड़ना बाकी था, मैंने भाभी की जाँघों को पकड़ा, उनकी टांगों के बीच में आ गया और उनके बोबे दबा दबा कर चूसने लगा। हम दोनों की सांसें तेज हो गई। अब भाभी ने मेरे लन्ड को पकड़ लिया, मुँह में ले लिया और उसे आइसक्रीम की तरह चूसने लगी।

 

तब ऐसा लग रहा था जैसे कि मैं जन्नत में हूँ। मैं भी उन्हें और ज्यादा गर्म करने के लिये चूत चाटने लगा। वो मचलने लगी, मैं उनकी चूत चाट रहा था, वो मेरा लण्ड ! हम दोनों गर्म हो चुके थे, दोनों आहें भर रहे थे- आ आआ आ आह ओह ओह येह !

 

तब मैंने उनके चूतड़ों के नीचे तकिया लगाया और अपना लन्ड उनकी चूत के दरवाजे पर टिका दिया। उनकी चूत भैया से चुदने के बाद भी ज्यादा ढीली नहीं पड़ी थी पर गीली जरुर थी। मैंने एक झटका मारा, वो चिल्ला पड़ी। मेरा लन्ड 2 इन्च तक अन्दर चला गया, मैंने अपने हाथ से उनका मुंह बन्द कर दिया। मैंने अगले तीन झटकों में पूरा लौड़ा उनकी चूत में पेल दिया और धीरे धीरे झटके देने लगा। अब मैंने अपना हाथ उनके मुँह से हटा दिया तो वो आहे भरने लगी- आआ अह आह ओह येएह ओ येह आअह !

 

वो इस तरह की आवाजें निकाल रही थी, मेरा लण्ड धीरे धीरे गियर बदलने लगा, उनकी आहें बढ़ने लगी और उन्होंने मुझे जकड़ लिया अपनी बाहो में और वो अकड़ने लगी।

 

मैं समझ गया कि वो झड़ने वाली है और थोड़ी देर बाद वो झड़ गई। मैंने चुदाई जारी रखी, मेरे लौड़े की नसें मुझे पूरा मजा दे रही थी। दस मिनट बाद मैं भी झड़ गया, मैंने अपना सारा लन्ड-रस उनकी चूत में ही छोड़ दिया और मैं उन्हीं के ऊपर लेट गया और थोड़ी देर बाद उनके बगल में लेट गया।

 

मैंने अपनी टांगें उनकी जांघों के बीच फ़ंसा दी और अपने हाथों से उनके चूतड़ों को पकड़ कर सो गया।

 

सुबह मोबाईल के अलार्म से नीन्द खुली तो देखा कि भाभी मुझसे चिपकी हुई है, मेरा मुँह उनके बोबो में और हाथ जांघों में था। तभी छत के दरवाजे को किसी ने खटखटाया, मैंने भाभी को उठाया, मैं घबरा कर उनके बाथरूम में अपने कपड़े लेकर भाग गया और भाभी ने गाउन पहन कर दरवाजा खोला तो वहाँ पर बड़ी भाभी दरवाजे पर खड़ी थी, वो बोली- इतनी देर क्यों लगा दी दरवाजा खोलने में?

 

भाभी बोली- गहरी नीन्द में थी मैं, इसलिये देर हो गई दरवाजा खोलने में !

 

कह कर दोनों नीचे चली गई। उसके बाद मैं भी चुपचाप अपने घर चला आया छत के रास्ते !

 

उसके कुछ दिन बाद भाभी ने मुझे बताया कि उनको मासिक नहीं हुआ, लगता है कि वो मां बनने वाली है जिसका बाप मैं हूँ।

 

मैंने उनसे पूछा- आपको यकीन है कि यह मेरा ही बच्चा है?

 

उन्होंने कहा- तुम्हारे भईया अभी बच्चा नहीं चाहते तो वो हमेशा बाहर पानी गिराते हैं, उस दिन भी उन्होंने बाहर निकाल लिया था पर तूने चोद कर पानी अन्दर ही छोड़ दिया था जिससे मुझे गर्भ ठहर गया। अब उन्हें समझाना पड़ेगा कि पानी अन्दर गिर गया होगा।

 

आज उन्हें एक लड़का है जिसका बाप मैं हूँ और आज भी जब कभी भी मुझे मौका मिलता है मैं भाभी की चुदाई करता हूँ पर अब कोन्डोम लगा कर। 

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मकान मालिक की विधवा बहु की चुदाई

मकान मालिक की विधवा बहु की चुदाई

हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम पीयूष है और मेरी उम्र 25 साल और में गुडगाँव अपने पूरे परिवार के साथ रहता हूँ। वैसे में एक छोटे से सामान्य परिवार का लड़का हूँ। दोस्तों जो बात में आज आप सभी को बताने वाला हूँ वो मेरे साथ दो साल पहले घटित हुई एक सच्ची घटना है, जिसमें मैंने अपने मकान मालिक की विधवा बहु की मजबूरी को समझकर उसकी चुदाई करके उसके साथ साथ अपनी भी सेक्स की भूख को शांत किया और अपने उस काम को पूरा किया जिसको करने के विचार में पिछले कुछ दिनों से बना रहा था, क्योंकि वो अपने गोरे चेहरे, कामुक भरे हुए बदन से इतनी उम्र की नहीं लगती थी जितनी वो है और वैसे भी बहुत सालों पहले उसके पति की म्रत्यु हो जाने के बाद वो अपनी बिना चुदी चूत को अपने साथ लेकर घूम रही थी और मैंने उसको चोदकर उसकी उस इच्छा को पूरा किया।

 

दोस्तों करीब दो साल पहले हम सभी घर वाले एक किराए के मकान में रहा करते थे। उस मकान की पहली मंजिल पर हम लोग और नीचे के हिस्से में हमारी मकान मालकिन अपनी विधवा बहू के साथ रहती थी और उनकी बहू का नाम निशा था। उसकी उम्र 32 साल थी और हम लोग उसको हमेशा निशा भाभी कहते थे। दोस्तों निशा भाभी व्यहवार की एक बहुत अच्छी औरत थी और वो चुप चुप रहने वाली औरत थी। उनका एक 8 साल का लड़का था जो उस समय किसी हॉस्टल में रहता था और वहीं अपनी पढ़ाई किया करता था और वो खुद एक छोटे से स्कूल में टीचर थी और घर में अकेले बैठकर उनका मन नहीं लगता था। इसलिए वो पिछले कुछ सालों से पास ही के एक प्राइवेट स्कूल में जाकर बच्चों को पढ़ाने का काम करने लगी थी और मुझे वो बहुत अच्छी लगती थी और उनका बात करने का तरीका और उनका व्यहवार हंसमुख स्वभाव का था, इसलिए में उनकी तरह शुरू से बहुत आकर्षित था और जब भी वो घर के पीछे बने बाथरूम में कपड़े धोती तो में उन्हे ऊपर से खिड़की के पीछे छुपकर घूरकर देखता रहता वो नीचे बैठकर मेरी तरफ अपनी गोरी छाती को करके कपड़े धोने में लगी रहती और में उनके झूलते लटकते हुए बाहर निकलते हुए बूब्स को देखकर मन ही मन खुश होता रहता और फिर कुछ देर के बाद में वो मस्त नजारा देखकर जोश में आकर खिड़की पर लगे उस पर्दे के पीछे छुपकर उनको देखते हुए उनके नाम की मुठ भी मारता था।

 

अब में चाहता था कि वो मेरी इस सेक्स की भूख को हमेशा के लिए शांत करे और अब मेरा अपनी हॉट सेक्सी भाभी को देखकर इतना बुरा हाल हो गया था कि मेरा वीर्य अब रात को भी निकलने लगा था और में नींद में भी उनकी ही चुदाई के सपने देखने लगा था। फिर एक दिन दोस्तों ऊपर के बाथरूम में किसी वजह से पानी ना होने की वजह से में नीचे घर के पीछे बने उस बाथरूम में नहाने चला गया और जब मैंने बाथरूम का दरवाजा बंद किया तो वो बंद नहीं हुआ तो मैंने बहुत बार उसको लगाने की कोशिश की, लेकिन वो फिर भी ना लगा, क्योंकि वो दरवाजा पानी लगने की वजह से फूल गया था और इसलिए उसको लगाना बड़ा मुश्किल था। फिर मैंने मन ही मन में सोचा कि कौन आएगा? क्योंकि वैसे भी निशा तो इस समय स्कूल गई होगी और उसकी सास जो है वो अब भी सो रही होगी। फिर दोस्तों मैंने यह बात सोचकर दरवाजे को बस थोड़ा सा बंद करके नहाने लगा और एकदम मेरा ध्यान उस दरवाजे के पीछे लटकी पेंटी और ब्रा पर चला गया।

 

दोस्तों हो सकता है कि सुबह जल्दी स्कूल जाने की वजह से निशा अपने कपड़े स्कूल से आने के बाद हमेशा धोया करती थी, इसलिए वो उस समय दरवाजे पर लटकी हुई थी और मैंने तुरंत उस पेंटी को नीचे उतारी और में उसको सूंघने लगा। तब मैंने सूंघकर महसूस किया कि उस पेंटी से बहुत तेज मदहोश कर देने वाली खुशबू आ रही थी और पेंटी का अगला हिस्सा जो कि हमेशा चूत के सामने चिपका रहता है वो उस जगह से बहुत टाईट था और जैसे उस पेंटी में नशा भरा था जिसको में सूंघने गया और उस ब्रा में से पाउडर की भीनी भीनी खुशबू आ रही थी। फिर मैंने वहीं से निशा का तेल उठाया और अपने एक हाथ में लेकर लंड पर लगा लिया और लंड की मालिश करने लगा, जिसकी वजह से लंड एकदम चिकना होकर चमक उठा।

 

अब में जोश में आकर बिल्कुल पागलों की तरह सब कुछ सूंघ रहा था और मुझे हर जगह से निशा के जिस्म की वो मदहोश कर देने वाली खुशबू आ रही थी और में उसको सूंघते हुए अपने लंड को ज़ोर ज़ोर से हिला रहा था। फिर में बाथरूम की दीवार पर पानी डालकर अपने लंड को में पागलों की तरह दीवार पर मसल रहा था। जैसे वो दीवार ना होकर निशा की गांड हो और फिर अचानक से में झड़ गया और उस दिन मेरे लंड ने बहुत सारा गाढ़ा सफेद पानी छोड़ दिया। दोस्तों सच कहूँ तो उस दिन मुझे बहुत अच्छा लगा और अब में हर दिन ही नीचे वाले बाथरूम में नहाने जाने लगा और में हर दिन वैसे ही ब्रा, पेंटी को सूंघकर अपने लंड को हिलाकर अपना वीर्य पेंटी में निकाल देता, लेकिन एक दिन मुझे वहां पर निशा के कपड़े नहीं मिले और तब मुझे शक हुआ कि उसको मेरे लंड की खुशबू आ गई है या उसने मेरे वीर्य को अपनी ब्रा पेंटी पर लगा हुआ देखा लिया है, इसलिए वो आज अपने कपड़े उठाकर बाथरूम से ले गई। फिर अगले दिन दोपहर को करीब दो बजे जब में नहाने के लिए उसी बाथरूम में गया तो मैंने देखा कि वहां पर एक बहुत सुंदर पेंटी और ब्रा लटकी हुई थी।

 

में उसको देखकर बड़ा खुश हो गया और में उन्हे सूंघने और चाटने लगा। दोस्तों में सेक्स के लिए इतना पागल हो जाता हूँ कि में किसी की चूत क्या उसकी गांड का छेद भी में चाट लूँ। अब उस समय तो में भाभी के बारे में सोचकर पागलों की तरह अपना तोता पकड़कर हिला रहा था और उसकी पेंटी को सूंघ भी रहा था। मेरा लंड अब जो पूरी तरह से तनकर खड़ा था वो भी अब उस मुलायम पेंटी का मज़ा ले रहा था। तभी अचानक से किसी ने आकर दरवाजा खोल दिया, लेकिन में तो मज़े से अपनी दोनों आंखे बंद करके मुठ मार रहा था तो मेरा लंड एकदम खड़ा और लाल था। तभी अचानक मैंने अपनी आँख खोली और देखा तो मेरे सामने अब निशा खड़ी हुई थी। में बिल्कुल भूल गया था कि आज शनिवार का दिन है और निशा उस दिन स्कूल से जल्दी आ जाएगी, लेकिन आज मेरे साथ ऐसा हो चुका था। वो अपने स्कूल से जल्दी आ चुकी और उसको अपने सामने देखकर मेरी गांड फट गई। उसने मुझे उस हालत में देखकर मुझे बहुत गुस्से से देखा और फिर उसने अपनी पेंटी को तुरंत एक झटका देकर मेरे हाथ से छीन लिया और वो मुझे उसी तरह गुस्से से देखती हुई चली गई।

 

अब उसका वो गुस्सा देखकर मेरा सारा बदन सूख गया और में बहुत ज्यादा डर गया था। में उसी समय जल्दी से बाथरूम के बाहर आ गया और तुरंत ऊपर चला गया। फिर मैंने मन ही मन में सोचा कि वो कहीं सीधी मेरी माँ के पास ना चली गई हो और जाकर मेरी माँ से उस हरकत के बारे में उनको भी बता दिया हो, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया और फिर भी में पूरा दिन डरा डरा घर की छत पर इधर उधर ही घूमता रहा और में सोचने लगा कि अगर वो आई तो में उससे सही मौका देखकर अपने उस गलत काम के लिए माफी माँग लूँगा और शाम को 5:30 बजे मुझे नीचे से एक बच्चा बुलाने आया। वो निशा से ट्यूशन पढ़ता था। वो मुझसे बोला कि मेडम आप को बुला रही है। फिर नीचे आया और सोच रहा था कि निशा के पैर पड़कड़ कर माफी माँग लूँगा। फिर कुछ देर बाद मैंने नीचे जाकर देखा तो नीचे उस समय कोई भी नहीं था, क्योंकि निशा की सास सत्संग सुनने घर से कहीं बाहर गई थी और अपने पास ट्यूशन आने वाले बच्चों की उसने तब तक छुट्टी कर दी थी और जब में हिम्मत करके निशा के कमरे में गया तो मैंने देखा कि उसने उस समय एक हल्के गुलाबी रंग का नाइट गाउन पहना हुआ था, जिसको देखकर लगता था कि वो उसकी शादी के समय का था। फिर वो एक टेबल पर बैठकर कुछ लिख रही थी और में उस समय उसके पीछे खड़ा हुआ था और अब उसने मुझे बिना देखे मुझसे कहा कि इधर मेरे पास आओ। अब में बहुत चकित होकर चुपचाप उसके पास चला गया। फिर वो मुझसे बोली कि तुम अब यहाँ पर बैठ जाओ और में उसके कहने पर चुपचाप उसके पास में बैठ गया और मैंने देखा कि वो अब भी कुछ लिख रही थी और फिर उसने मुझे बिना देखे कहा।

 

निशा : तुम इतने दिनों से लगातार मेरे कपड़ो के साथ वो सब क्या कर रहे थे?

 

में : निशा जी प्लीज आप मुझे माफ़ कर दो और वो सब मुझसे ग़लती से हो गया था। ऐसा दोबारा कभी भी नहीं होगा और मेरी तरफ से आपको शिकायत का कोई भी मौका नहीं मिलेगा, प्लीज आप मुझे बस एक बार माफ़ जरुर कर दो।

 

निशा : में तुमसे यह सब नहीं पूछ रही हूँ। तुम सबसे पहले मुझे यह बताओ कि तुम मेरी पेंटी के साथ क्या कर रहे थे?

 

दोस्तों उनके मुहं से पेंटी जैसा शब्द सुनकर मुझे बहुत अजीब सा लगा और में इसलिए थोड़ा सा फ्री भी हो गया। में अपने मन में उसकी चुदाई के सपने को सच होता हुआ देखकर मन ही मन बहुत खुश था, जिसकी वजह से मुझे अब आगे बढ़ने की हिम्मत मिलती जा रही थी।

 

निशा : क्या में तुम्हारी मम्मी को यह सब बता दूँ कि तुम आज कल कैसे कैसे काम करने लगे हो?

 

में : प्लीज़ आप मेरे घरवालों को कुछ भी मत बताना, प्लीज़ आप अपना मुहं बंद रखना, वर्ना मेरे साथ बहुत बुरा हो सकता है।

 

अब निशा मेरी उस बात को सुनकर हल्का सा मुस्कुराई और वो मुझसे कहने लगी।

 

निशा : तुम अगर मेरा मुहं बंद करना चाहते हो तो करो ना तुम्हे किसने रोका है। फिर उसमे मेरे साथ साथ तुम्हारा भी फायदा है?

 

में : जी में आपकी इस बात का कुछ भी मतलब नहीं समझा और आप यह क्या कह रही है?

 

निशा : हाँ तुम मेरा मुहं बंद करना चाहते हो तो करो ना, कर दो मेरा मुहं बंद हाँ में भी तैयार हूँ।

 

में : हाँ ठीक है आप कहती है तो में कर दूंगा, लेकिन वो काम में कैसे करूं?

 

निशा : पागल तेरा 6 इंच का लंड है एक लड़की का मुहं कैसे बंद करते है यह बात भी क्या में तुझे बताऊँ? चल अब अपने होंठो को मेरे होंठो पर रखकर मेरा मुहं तू आज हमेशा के लिए बंद दे।

 

दोस्तों अब में निशा की वो बातें सुनकर बिल्कुल पागल हो गया और फिर में थोड़ा सा डर डरकर उसकी तरफ जाने लगा, लेकिन वो एकदम से उछलकर मुझसे चिपक गई और उसका पूरा बदन उस समय मुझसे सांप की तरह लिपटा हुआ था और वो मेरे होंठो को चूसने लगी। फिर करीब दस मिनट तक उसने मेरे दोनों होंठ चूसे और फिर वो एक एक करके उनको चूसने भी लगी थी। वो कभी ऊपर वाला होंठ तो कभी नीचे वाला और उसके बाद वो मेरे गले लग गई। अब वो मुझसे कहने लगी कि पीयूष में बहुत सालों से बिल्कुल अकेली हूँ और मैंने पिछले सात साल से सेक्स नहीं किया है और मैंने इन दिनों में आज तक कोई भी लंड नहीं देखा और आज में तेरे जैसा दमदार लंड को देखकर एकदम पागल हो गई हूँ।

 

आज तू मेरी इस बरसों की प्यास को बुझा दे और में सारी जिंदगी बस तेरी बनकर ही रहूंगी और तू मेरी इस प्यासी जिंदगी में अपने लंड को चूसने का वो मौका मज़ा दे जिसके लिए में कब से सोच रही हूँ और इतना कहकर वो अब मेरी पेंट के ऊपर से मेरे लंड को ज़ोर ज़ोर से मसलने लगी। फिर मैंने उससे कहा कि निशा में तुमसे बहुत प्यार करता हूँ आज में तेरी सेक्सी चूत का मज़ा लूटना चाहता हूँ। में कब से तेरी चुदाई करने के सपने देख रहा हूँ।

 

निशा : हाँ आजा मेरी जान, लूट ले आज तू मेरी चुदाई के मज़े और मुझे भी वो सुख देकर पूरा कर दे।

 

फिर मैंने उससे कहा कि इस तरह से नहीं क्योंकि जितनी आग तेरे बदन में लगी है वो इतनी जल्दी नहीं बुझेगी में आज रात को आ जाऊंगा। तुम पिछले दरवाजे को खोल देना और अपनी चूत के बाल भी जरुर साफ कर लेना, साली तूने बहुत दिनों से उसको चटवाई नहीं है और इसकी सफाई भी बहुत जरूरी है। यह बात कहकर मैंने उसकी चूत पर अपना एक हाथ रख दिया और तब मैंने छूकर महसूस किया कि उसके सारे कपड़े गीले थे और उसकी चूत ने अपना रस छोड़ना शुरू कर दिया, क्योंकि वो बहुत दिनों से प्यासी थी। दोस्तों उसके बाद मैंने उसे खूब चोदा और उसने भी बड़े मजे से चुदवाकर मजा लिया। 

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बीबी और बहु को चोदा रात के बारह बजे - bahu aur bibi ko choda

रात के बारह बज़ चुके थे। छोटे से गाँव राजापुर में बहुत ही सन्नाटा छ गया था। राजापुर गरीब की बस्ती है। इसी बस्ती के एक कोने में हरिया का घर है। हरिया की उमर 45 साल की है। और उसकी बीबी की उमर 40 साल की है। हरिया एक गरीब किसान है।

हरिया अपने घर के एक अँधेरी कोठरी में रोज़ की तरह अपनी बीवी की चुदाई में मशगूल था। हरिया अपनी बीबी की चूत में लंड डाल कर काफ़ी देर तक उसकी चुदाई कर रहा था। उसकी बीबी मुन्नी बिना किसी उत्तेजना के अपने दोनों पैर फैला कर यूँ ही पड़ी थी जैसे कि उसे हरिया के बड़े लंड की कोई परवाह ही न हो या फिर कोई तकलीफ़ ही न हो रही है। केवल हर धक्के पर आह आह की आवाज निकल रही थी। मुन्नी की बुर कब का पानी छोड़ चुकी थी। थोड़ी ही देर में हरिया के लंड से माल निकलने लगा तो उसने भी आह आह कर के मुन्नी की चूची पर अपना मुँह रख दिया। मुन्नी की बेजान चूची को वो मुँह में ले कर चूसने लगा। उसने अपना लंड मुन्नी के बुर से निकाला और मुन्नी के बगल में लेट गया।

उसने अपनी बीडी जलाई और पीने लगा। मुन्नी ने उसके लटक रहे लंड को अपने हाथों में ले लिया और उसको खींच-तान करने लगी। लेकिन अब हरिया के लंड में कोई उत्साह नही था। वो एक बेजान लता की तरह मुन्नी के हाथों का खिलौना बना हुआ था।

मुन्नी ने कहा- जानते हो जी ! आज क्या हुआ? हरिया ने कहा- क्या? मुन्नी ने कहा- रोज़ की तरह आज मैं और मालती ( मुन्नी की बहू) सुबह शौच करने खेत गए । वहाँ हम दोनों एक दूसरे के सामने बैठ कर पाखाना कर थे....

तभी मैंने देखा कि मालती अपनी बुर में ऊँगली घुसा कर मुठ मारने लगी।

मैंने पूछा- यह क्या कर रही है तू?

तो उसने मेरी पीछे की तरफ़ इशारा किया और कहा- जरा उधर तो देखो अम्मा।

मैंने पीछे देखा तो एक कुत्ता एक कुतिया पर चढ़ा हुआ है।

मैंने कहा- अच्छा, तो यह बात है।

मालती ने कहा- देख कर बर्दाश्त नहीं हुआ इसलिए मुठ मार रही हूँ।

मैंने कहा- जल्दी कर, घर भी चलना है।

मालती ने कहा- हाँ अम्मा, बस अब निकलने ही वाला है।

और एक मिनट हुआ भी ना होगा कि उसकी बुर से इतना माल निकलने लगा कि एक मिनट तक निकलता ही रहा। मैंने पूछा- क्यों री, कितने दिन का माल जमा कर रखा था?

उसने कहा- कल दोपहर को ही तो निकाला था।

मैंने भी सोचा- कितना जल्दी इतना माल जमा हो जाता है। हरिया ने कहा- वो अभी जवान है ना। और फिर उसकी गर्मी शांत करने के लिए अपना बेटा भी तो यहाँ नहीं है ना। कमाने के लिए परदेस चला गया। अरे मैं तो मना कर रहा था। तीन महीने भी नहीं हुए उसकी शादी को और अपनी जवान पत्नी को छोड़ कमाने बम्बई चला गया। बोला, अच्छी नौकरी है। अभी बताओ चार महीने से आने का नाम ही नहीं है। बस फोन कर के हालचाल ले लेता है। अरे फोन से बीबी की गर्मी थोड़े ही शांत होने वाली है? अब उसे कौन कहे ये सब बातें खुल के? थोड़ी देर शांत रहने के बाद मुन्नी फिर से हरिया के लंड को हाथ में ले कर खेलने लगी। हरिया ने मुन्नी से पूछा- क्या तुम रोज़ ही उसके सामने बैठ के पाखाना करती हो? मुन्नी ने कहा- हाँ। हरिया- तब तो तुम दोनों एक दूसरे की बुर रोज़ देखती होगी। मुन्नी- हाँ, बुर क्या पूरा गांड भी देखी है हम दोनों ने एक दूसरे की। बिल्कुल ही पास बैठ कर पाखाना करते हैं। हरिया- अच्छा, एक बात तो बता। उसकी बुर तेरी तरह काली है या गोरी?

मुन्नी- पूरी गोरी तो नहीं है लेकिन मेरे से साफ़ है। मुझे उसकी बुर पर के बाल बड़े ही प्यारे लगते हैं। बड़े बड़े और लहरदार रोएँ की तरह बाल। एक बार तो मैंने उसके बाल भी छुए हैं।

हरिया- बुर कैसी है उसकी? मुन्नी- बुर क्या है लगता है मानो कटे हुए टमाटर हैं। एक दम फुले फुले लाल लाल। अचानक मुन्नी ने महसूस किया कि हरिया का लंड खड़ा हो रहा है। वो समझ गई कि हरिया को मज़ा आ रहा है। वो बोली- अच्छा, एक बात तो बताओ। हरिया बोला- क्या?

मुन्नी- क्या तुम उसे चोदोगे?

हरिया- यह कैसे हो सकता है?

मुन्नी- क्यों नहीं हो सकता है? वो जवान है । अगर गर्मी के मारे किसी और के साथ भाग गई तो क्या मुँह दिखायेंगे हम लोग गाँव वालों को? अगर तुम उसकी गर्मी घर में ही शांत कर दो तो वो भला किसी दूसरे का मुँह क्यों देखेगी। जब वो किसी कुत्ते-कुतिया को देख कर मुठ मार सकती है तो वो किसी के साथ भी भाग सकती है। कितना नजर रख सकते हैं हम लोग? थोड़े दिन की तो बात है । फिर हमारा बेटा मोहन उसे अपने साथ बम्बई ले जाएगा तब तो हमें कोई चिंता करने की जरूरत तो नहीं है।

हरिया- क्या मालती मान जायेगी? मुन्नी ने कहा- कल रात को मैं उसे तुम्हारे पास भेजूंगी। उसी समय अपना काम कर लेना। हरिया का लंड पूरा जोश में आ गया। उसने मुन्नी की बुर में अपना लंड डालते हुए कहा- तूने तो मुझे गरम कर दिया रे। मुन्नी ने मुस्कुरा कर अपनी दोनों टांगें फैला दी और आह आह की आवाज़ निकालने लगी। इस बार वो जोर जोर से आवाज निकाल रही थी। हालंकि उसे कोई ख़ास दर्द नहीं हो रहा था लेकिन वो जोर जोर से बोलने लगी- आह आह, धीरे धीरे करो ना। दर्द हो रहा है। यह आवाज़ बगल के कमरे में सो रही उसकी बहू मालती को जगाने के लिए काफ़ी थी। चुदाई की मीठी दर्द भरी आवाज़ सुन कर मालती की बुर चिपचिपी हो गई। उसने अपने पिया मोहन के लंड को याद करके अपनी बुर में ऊँगली डाली और दस मिनट तक ऊँगली से ही बुर की गत बना डाली। सुबह हुई । दोनों सास-बहू खेत गई। दोनों एक दूसरे के सामने बठी कर पाखाना कर रही थी।

मालती अपनी सास मुन्नी की बुर देख कर बोली- अम्मा, तुम्हारा बुर कुछ सूजी हुई लग रही है। मुन्नी ने हंसते हुए कहा- यह जो तेरे ससुर जी हैं न, बुढापे में भी नहीं मानते। देख न कल रात को इतना चोदा कि अभी तक दुःख रहा है। मालती ने कहा- एक बात पूछूं अम्मा? मुन्नी- हाँ, पूछ न। मालती- बाबूजी का लंड खड़ा होता है अभी भी? मुन्नी- हाँ री। खड़ा क्या? लगता है बांस है। जब वो मुझे चोदते हैं तो लगता है कि अब मेरी बुर तो फट ही जायेगी। एक हाथ बराबर हो जाता है उनका लंड खड़ा हो के। मुन्नी ने देखा कि मालती ने अपनी ऊँगली अपने बुर में घुसा दी है। मुन्नी ने पूछा- क्या हुआ तुझे? क्या फिर कोई कुत्ता है यहाँ ? मालती बोली- नहीं अम्मा, मुझे तुम्हारी बातें सुन के गर्मी चढ़ गई है। इसे निकालना जरूरी है। मुन्नी बोली- सुन, तू एक काम क्यों नहीं करती? आज रात तू अपने ससुर के साथ अपनी गर्मी क्यों नहीं निकाल देती? मालती चौंक कर बोली- यह कैसे हो सकता है? वो मेरे ससुर हैं। मुन्नी बोली- अरे तेरी जरूरत को समझते हुए मैंने ऐसा कहा। तुझे इस समय किसी मर्द की जरूरत है। अब जब घर में ही मर्द मौजूद हो तो क्यों नहीं उसका लाभ उठाया जाए। मालती का मन अब डोल चुका था, वो बोली- कहीं बाबूजी नाराज हों गए तो? मुन्नी बोली- अरे तू रात को उनके पास चले जाना।

मैं बहाना बना के भेज दूँगी। धीरे धीरे रात के अंधेरे में जब तू उनको छुएगी ना तो तू भूल जायेगी कि तू उनकी बहू है और वो भूल जायेंगे कि वो तुम्हारे ससुर हैं। यह सुन कर मालती की बुर में मानो तूफ़ान आ गया। उसकी बुर से इतना पानी निकलने लगा कि मुन्नी को लगा कि यह पेशाब कर रही है। अब मुन्नी खुश थी। दोनों तरफ़ मामला सेट था। रात हुई, खाना-वाना ख़त्म कर मुन्नी हरिया के कमरे में गई और बता दिया कि मैं मालती को भेज रही हूँ। उसको भी समझा दिया है। तुम सिर्फ़ थोड़ी पहल करना। वो तो कुत्ते से भी चुदवाने के लिए तैयार बैठी है। तुम तो इंसान ही हों। कह कर वो बाहर चली आई और जोर से बोली- बहू, ओ बहू, सुन आज मेरी तबीयत कुछ ठीक नहीं है। तू जरा अपने ससुर जी को तेल तो लगा दे। फिर दरवाजे के बाहर से हरिया को बोली- सुनते हो जी, मैं जरा छत पर सोने जा रही हूँ। मालती बहू से तेल लगवा लेना। मालती जैसे ही दरवाजे के पास आई, मुन्नी ने उससे धीरे से कहा- देख मैं बहाना बना कर तुम्हें उनके पास भेज रही हूँ। मालिश करते करते उनके लंड तक अपना हाथ ले जाना। शरमाना नहीं। अगर उनको बुरा लगे तो कह देना कि अंधेरे में दिखा नहीं। अगर कुछ नहीं बोले तो फिर हाथ लगाना। जब देखो कि कुछ नहीं बोल रहे हैं तो समझना कि उन्हें भी अच्छा लग रहा है। ठीक है ना? अब मैं चलती हूँ। कह कर मुन्नी छत पर चली गई। इधर मालती हाथ में तेल की शीशी लिए हरिया के कमरे में आई। हरिया ने कहा- आजा, वैसे तो तेल मालिश की जरूरत नहीं थी, लेकिन आज मेरा पैर थोड़ा सा दर्द कर रहा है इसलिए मालिश जरूरी है।

मालती हरिया के बिस्तर पर बैठ गई। कमरे में एक छोटी सी डिबिया जल रही थी। जो की पर्याप्त रोशनी के लिए अनुकूल नहीं थी। मालती ने कहा- कोई बात नहीं, मैं आपकी अच्छे से मालिश कर देती हूँ। आप ये लूंगी उतार ले। हरिया ने कहा- बहू, जरा ये डिबिया बुझा दे क्योंकि मैंने लूंगी के अन्दर छोटी सी लंगोट ही पहन रखी है। मालती ने डिबिया बुझा दी। अब वहां घुप अँधेरा छा गया। सिर्फ़ बाहर की चांदनी रात की हल्की रोशनी ही अन्दर आ रही थी। हरिया ने लूंगी उतार दी। मालती की सांसें तेज़ हों गई। वो तेल को हरिया के पैरों में लगाने लगी। धीरे धीरे वो हरिया की जांघों में तेल लगाने लगी। धीरे से वो जानबूझ कर हरिया के लंड तक अपना हाथ ले गई। हरिया ने कुछ नहीं कहा। मालती ने दुबारा हरिया के लंड पर हाथ लगाया। हरिया ने कहा- बहू, तुम्हें गर्मी लग रही होगी। तुम अपनी साड़ी खोल दो ना। वैसे भी तेल लगने से साड़ी ख़राब हों सकती है। मालती ने कहा- बाबूजी, साड़ी के नीचे मैंने पेटीकोट नही पहना है। सिर्फ़ पैंटी पहन रखा है। इसलिए मैं साड़ी नहीं खोल सकती। हरिया ने कहा- तो क्या हुआ? वैसे भी अंधेरे में मैं तुम्हें देख थोड़े ही पा रहा हूँ जो तुम यूँ शरमा रही हों? मालती तो यही चाहती थी, उसने अपनी साड़ी खोल कर एक किनारे रख दी और तेल को वो जांघों और लंड के बीच लगाने लगी। जिससे वो बार बार हरिया के अंडकोष पर हाथ लगा सकती थी। हरिया ने जब देखा कि बात लगभग बन चुकी है, उसने अपनी लंगोट की डोरी को कब खोल दिया, मालती को पता भी ना चला।

धीरे धीरे जब वो हरिया के अंडकोष पर हाथ फेर रही थी तो उसी के हाथ से उसकी लंगोट हट गई। लंगोट हटने पर मालती पूरी गरम हो गई। अब वो हरिया के लंड को छूने की कोशिश कर रही थी। धीरे धीरे उसने लंड पर हाथ लगाया और हटा लिया। हरिया का लंड सोया हुआ था। लेकिन ज्यों ही मालती ने हरिया का लंड छुआ, मालती के जिस्म में एक सिरहन सी दौड़ गई। अब वो दुबारा अपना हाथ हरिया के दूसरे जांघ पर इस तरह ले गई जिससे उसकी कलाई हरिया के लण्ड को छूती रहे। हरिया भी पका हुआ खिलाड़ी था। उसका लंड जल्दी खड़ा होने वाला नहीं था, वो बोला- बहू, तू थक गई होगी। आ जरा लेट जा। उसने लगभग जबरदस्ती बहू को पकड़ कर अपने बगल में लिटा दिया और उसके चूची पर हाथ रख के बोला- इसे खोल दे ! बहुत गर्मी है। मालती ने अपने ब्लाउज का हुक खोल दिया। हरिया ने ब्लाउज को मालती के चूची पर से अलग कर दिया और चूची को छूने लगा, बोला- अरे तुमने अन्दर ब्रा नही पहन रखा है? खैर कोई बात नहीं, अब गर्मी तो नहीं लग रही है न? वो मालती के चूची को मसलने लगा, बोला- तेरी चूची तो एक दम सख्त है।

मैं तेरी चूची छू रहा हूँ, तुझे बुरा तो नहीं लग रहा है न? मालती बोली- नहीं, आप मेरे साथ कुछ भी करेंगे तो मैं बुरा नहीं मानूंगी। हरिया ने कहा- शाबाश बहू, यही अच्छी बहू की निशानी है। बोल तुझे क्या चाहिए? मालती- बाबूजी, मुझे कुछ नही चाहिए, सिर्फ़ आपका लंड छूना चाहती हूँ। हरिया- एक शर्त पर। तू भी मुझे अपनी बुर छूने देगी। मालती ने आव देखा ना ताव, एक झटके में अपना पैन्टी उतार फेंकी। हरिया ने नीचे जा कर मालती की बुर को पहले तो छुआ फिर मुँह में लेकर चूसने लगा। मालती बोली- ऐसे मत चूसिये, मैं मर जाऊंगी।

हरिया उठ खड़ा हुआ और मालती के हाथ में अपना लंड थमा दिया। मालती के हाथ मानो कोई खजाना लग गया हो। वो हरिया के लंड को कभी चूमती कभी खेलती। काफी देर यह करने के बाद बोली- बाबूजी, इसको मेरी बुर में एक बार डाल दीजिये न। हरिया ने अपने लटके हुए लंड को हाथ से पकड़ कर मालती के बुर में घुसा दिया। मालती की बुर में हरिया का लंड जाते ही फुफकार मारने लगा और मालती की बुर में ही वो खड़ा होने लगा। मालती- बाबूजी ये क्या हो रहा है? जल्दी से निकाल दीजिये। हरिया- कुछ नहीं होगा बहू। अब हरिया का लंड पूरी तरह से टाइट हो गया। मालती दर्द से छटपटाने लगी। उसे यह अंदाजा ही नहीं था कि जिसे वो कमजोर और बूढ़ा लंड समझ रही थी, वो बुर में जाने के बाद इतना विशालकाय हो जाएगा।

हरिया ने मालती को चोदना चालू किया। पहले दस मिनट तक तो मालती बाबूजी बाबूजी छोड़ दीजिये कहती रही। लेकिन हरिया ने नहीं सुना, वो धीरे धीरे उसे चोदता रहा। दस मिनट के बाद मालती की बुर थोड़ी ढीली हुई। अब उसे भी अच्छा लग रहा था। दस मिनट और हरिया ने मालती की जम के चुदाई की। तब जाकर हरिया के अन्दर का पानी बाहर आने को हुआ तो उसने अपना लंड मालती की बुर से निकाल के मालती के मुँह में लगा दिया, बोला - पी जा।

मालती ने हरिया के लंड को मुंह में ले कर ज्योंही दो-तीन बार चूसा कि हरिया के लंड से तेज़ धार निकली जिससे मालती का पूरा मुँह भर गया। मालती ने सारा का सारा माल गटक लिया।

आज जाकर मालती की गर्मी शांत हुई। उसके बाद वो रोज़ ही अपने ससुर के साथ ही सोने लगी। हाँ दो-तीन दिन में उसकी सास मुन्नी भी साथ सोने लगी। अब हरिया एक तरफ करवट ले कर बीबी को चोदता तो दूसरी तरफ़ करवट ले कर अपनी बहू मालती को। 

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