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भाभी की चिकनी चुत को सात बार चोदा

हमारे घर में मेरा बड़ा भाई अनुज, भाभी नेहा, मम्मी, पापा और मैं रहते हैं। भाई की शादी दो साल पहले हुई थी। भाभी मेरी ही उम्र की हैं। भाभी का गोरा रंग, बदन 36-28-38, वो बहुत ही खूबसूरत और सेक्सी हैं। भाई ट्रैवल कंपनी में टूर प्रबन्धन करते थे, कभी कभी वो एक महीने के लिए टूर पर जाते थे क्योंकि उन्हें लोगों के खाने पीने का इंतज़ाम करना पड़ता था।

 

एक बार की बात है भाई टूर के साथ नेपाल गए थे, 25 दिनों का टूर था, घर में सिर्फ मैं, भाभी, मम्मी, पापा ही थे। मैं एक प्राइवेट कंपनी में जॉब करता हूँ। उस दिन जब मैं जॉब से घर आया तो पता चला कि मम्मी पापा मामा के घर गए हुए थे और वो अगले दिन आने वाले थे।

 

मैं जब घर पहुँचा तो नेहा भाभी सो रही थी। मैं ड्राईंगरूम में बैठा था, थोड़ी देर बाद मैंने देखा कि वो नहा कर बाहर निकली। वो सिर्फ तौलिये में थी, उनकी घुटनों के ऊपर गोरी गोरी चिकनी जांघें साफ़ नज़र आ रही थी। वो तोवेल उनकी छाती से थोड़ा ही ऊपर था। यह देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया, मैंने सोचा कि आज इनको चोदने का मौका मिल जाए तो क्या ही बात हो !

 

मैं उनके पीछे पीछे उनके बेडरूम में चला गया, मैंने देखा, वो अपना बदन पौंछ रही थी और साथ साथ अपने उरोजों को सहला रही थी और उनकी चूचियाँ एकदम लाल हो रही थी।

 

मैं भी अपना लण्ड हाथ में लेकर सहलाने लगा।

 

फिर वो अलमारी की तरफ बढ़ी, तब मैंने उनके चूतड़ देखे ! उफ्फ ! क्या गांड थी ! सोचा अभी जाकर बिना तेल लगाये पूरा लंड अंदर घुसा दूँ !

 

फिर वो अलमारी से ब्रा निकाल कर पहनने लगी और उसकी मैचिंग पैन्टी भी पहन ली। काली जालीदार ब्रा और पैन्टी देखने के बाद तो मेरा दिमाग ही ख़राब हो गया। फिर वो साड़ी पहन कर अपने कमरे से बाहर आ गई। उनके बाल अभी भी गीले थे।

 

उसने कहा- मोनू क्या देख रहे हो?

 

मैंने कहा- भाभी, आज आप कमाल की लग रही हो !

 

वो हँसी और बोली- तुम्हारे कहने का क्या मतलब?

 

यह सुन कर मैं हड़बड़ा गया, मैंने हिम्मत से कहा- आप समझ तो रही हैं, जो मैं कहना चाहता हूँ।

 

मैंने नोट किया कि वो मुझे कुछ अजीब नजरों से देख रही थी, वो बोली- आज कुछ ज्यादा नटखट दिख रहे हो?

 

और वो मेरे पास आकर बैठ गई, बोली- मेरी कमर में कुछ दर्द है, थोड़ी मालिश कर दोगे?

 

मैंने कहा- क्यों नहीं ! पर मुझे भूख लगी है, पहले खाना खा लें, फिर कर दूंगा !

 

भाभी ने खाना लगा दिया, हमने खाना खाया और कमरे में आ गए। उन्होंने टी.वी. चालू कर दिया और मुझे मालिश करने को कहा।

 

स्टार गोल्ड पर 'तुम' फिल्म चल रही थी, मैं धीरे धीरे मालिश कर रहा था। उस वक़्त टीवी पर होटल वाला सीन आया जिसमें हीरो हेरोइन के साथ सेक्स करता है।

 

यह देख कर मेरा लण्ड खड़ा हो गया।

 

नेहा बोली- मेरे पैरों पे आ जाओ और दोनों हाथ से मालिश करो !

 

अचानक वो पलट गई और मैं उनके ऊपर गिर पड़ा। मैंने उनकी आँखों में देखा तो उनमें मुझे न्यौता नज़र आया।

 

मैं उनके होंठ और गालों को चूमते चूमते उनके गले तक चला गया और वहाँ से उनके वक्ष पर !

 

मैंने कपड़े के ऊपर से उनकी चूचियों को चूमा तो उनके मुँह से सिसकारी निकल गई। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।

 

फिर मैंने उनकी साड़ी ऊपर सरका दी और बोला- भाभी, आज तो तुम अप्सरा लग रही हो !

 

वो बोली- मेरे बदन से खेलते हो और भाभी कहते हो? मुझे सिर्फ नेहा कहो !

 

मैं बोला- ठीक है !

 

मैंने उनका ब्लाऊज खोल दिया और ब्रा के ऊपर से उनकी चूचियाँ दबाने लगा। वो आह आह करने लगी। अब उन्हें मज़ा आने लगा था मेरा एक हाथ उनकी छाती दबा रहा था तो दूसरा पैंटी के अन्दर था फिर मैंने उनके सारे कपड़े उतार दिए। अब वो बिल्कुल नंगी थी।

 

मैंने उनकी चूत पर जोरदार चुम्बन किया वो तड़प उठी।

 

मेरे भी लण्ड का बुरा हाल था। अब हम लोग 69 की मुद्रा में आ गए। वो मेरा लौड़ा लोलीपोप की तरह चूस रही थी, मैं अपनी जुबान से उनकी चूत चोदने लगा। वो आह आह करने लगी, मेरे दोनों हाथ उनके चूतड़ों पर चल रहे थे।

 

वो बोली- लगता है तुम्हें शादीशुदा औरतों को चोदने का काफी अनुभव है?

 

मैंने कहा- नहीं ! यह मेरा पहला अनुभव है।

 

उन्होंने कहा- असली मज़ा तो हम में ही है ! कुँवारी लड़कियाँ कहाँ चुदवा पाती हैं ! और तेरा तो लण्ड भी काफी बड़ा है !

 

फिर हम अलग हुए, मैं उनकी चूत में उंगली डालने लगा, वो बोली- अब बर्दाश्त नहीं हो रहा ! चोद डाल मुझे ! फाड़ दे मेरी चूत को !

 

मैंने उनकी दोनों टांगों को अपने कंधे पर रखा और चूत के मुंह पर लण्ड रख कर रगड़ने लगा। फिर मैंने अचानक एक जोरदार झटका दिया और मेरा लिंग तीन इन्च तक उनकी चूत में घुस गया।

 

वो जोर से चिल्लाई लेकिन मैंने उसके होंठों को चूस लिया। वो दर्द से तड़पने लगी। फिर मैंने एक और धक्का लगाया और पूरा लौड़ा उनकी चूत में चला गया।

 

फिर मैं धीरे धीरे लण्ड अन्दर-बाहर करने लगा। करीब 15 मिनट तक ऐसे ही चोदता रहा, फिर उनको घोड़ी बनाया और उनकी कमर को पकड़ कर जोर जोर से पेलने लगा।

 

उनके मुँह से आह आह ऊई ऊई ! फ़ाड़ दे ! और जोर जोर से पेल मादरचोद ! आह ! निकल रहा था।

 

मैं 7-8 मिनट तक ऐसे ही चोदता रहा, फिर मैं झड़ने वाला था तो उन्होंने कहा- अन्दर ही डाल दे अपना रस ! मैं उसकी चूत में झड़ गया। उस दिन-रात में मैंने भाभी को सात बार चोदा। 

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ससुर जबरदस्ती चोदता था बहु को रात में

मुकेश ने लव मैरिज कर ली थी और अपनी नई नवेली दुल्हन को घर ले आता है। मुकेश की बीवी का नाम भावना है जो कि बहुत ही ज्यादा सुंदर और अति सेक्सी और हॉट है। भावना का सेक्सी शरीर और बल खाता हुआ फिगर बहुत ही मनमोहक है।

 

मुकेश अपने पिताजी के साथ लखनऊ में रहता था उसकी मां नहीं थी उनका  कुछ वर्षों पहले देहांत हो गया था और शादी करने के बाद मुकेश और उसकी बीवी भावना दोनों अपने घर जाकर रहने का फैसला करते हैं। वे दोनों अपने घर पहुंच जाते हैं और पिताजी उनका स्वागत करते हैं परंतु जब भावना मुकेश के पिताजी को देखती है बहुत ही चौक जाती।

 

उसका पूरा चेहरा हक्का-बक्का रह जाता है और वह हैरानी से मुकेश के पिताजी को देखने लग जाती। मुकेश के पिताजी भी भावना को देखकर बहुत ही हैरान रह जाते हैं और उसको देखने के बाद एक हरामि वाली हंसी हंसते हैं।

 

क्योंकि भावना वही लड़की थी जिसको मुकेश के पिताजी ने 2 वर्षों पहले चोदा था। जब मुकेश की माता का देहांत हो गया था तब गम में डूबे मुकेश के पिताजी रंडी खाना में जाकर रंडियां चोदा करते थे।

 

उन्हीं में से एक रंडी थी भावना, जो कि वहां की सबसे प्रसिद्ध रांड थी। और मुकेश के पिताजी ने कई राते रंगीन की थी, भावना की जबरदस्त चुदाई करके।

 

इस पल के बाद अब तो बहू निकली ससुर की रांड और भोले भाले मुकेश को यह बात भी पता थी कि उसकी बीवी एक रांड थी जिसे उसके पिताजी चोद चुके हैं।

 

बहरहाल, मुकेश के पिताजी दोनों का खुशी-खुशी स्वागत करते हैं।

 

जब रात को मुकेश और भावना के बीच में रोमांस चल रहा था तो ससुर जी सब कुछ दरवाजे के पीछे से झांक रहे थे और अपने लंड को मसल रहे थे। उनके अंदर की सोई हुई अंतर्वासना एक बार फिर से जाग गई थी, भावना को देखने के बाद और वह उसकी जुदाई करना चाहते थे।

 

भावना और मुकेश रोमांस करने के बाद, मुकेश सो जाता है परंतु भावना को नींद नहीं। और उसका बीता हुआ कल एक बार फिर से उसके सामने आ जाता है जिसे वह पीछे छोड़ना चाहती थी।

 

तभी अचानक से मुकेश के पापा उनके कमरे में आ जाते हैं चुपके से। भावना उनको देखकर बहुत ही डर जाती है और दबी हुई आवाज में कहती है तुम यहां क्या कर रहे हो?!!

 

मुकेश का बाप अपने ग्राहक से ऐसे बात नहीं करते हैं, भावना।

 

भावना तुम कितने बड़े नीच आदमी हो, अब मैं तुम्हारी बहू हूं! और परिवार में चुदाई गलत है।

 

ससुर जी रिश्ते से अब तुम मेरी बहू हो लेकिन उससे पहले तुम मेरी रांड थी।

 

भावना चुप हो जाओ ऐसी बातें मत करो, चलो बाहर चल कर बात करते हैं वरना मुकेश जग जाएगा!

 

परंतु ससुर जी उसकी कोई बात नहीं सुनता है और वह बिस्तर पर ही भावना को चूमने लग जाता है।

 

मुकेश बगल में ही सोया हुआ है गहरी नींद में और उसके पिताजी उसकी बीवी की चुम्मा चाटी कर रहे हैं।

 

भावना उसे धक्का देने की कोशिश करती है उसे हटाने की कोशिश करती है परंतु मुकेश का बाप एक हट्टा कट्टा मर्द था और वह भावना की लेना ही चाहता था।

 

ससुर अगर तुम चाहती हो कि मुकेश ना जगाऊ और उसे यह बात भी ना पता चले कि तुम एक रंडी थी तो, मैं जैसा कहता हूं वैसा करती जाओ।

 

वरना मैं यह शादी तुरवा दूंगा और मैं मुकेश को सब कुछ सच-सच बता दूंगा कि तुम एक कितनी बड़ी प्रसिद्ध रंडी थी।

 

भावना के पास कोई चारा नहीं बचता है और वह ससुर जी की बात मान लेती है और अपना मुंह दाब के चुप हो जाती है।

 

मुकेश का हरामी बाप भावना को चूमने लग जाता है और उस को नंगा करके उसके बड़े-बड़े सेक्सी स्तनों को चूसने लगता है। वह पूरी तरह से वासना से भरा हुआ था और फिर वह भावना की योनि चाटने लग जाता है जिससे कुछ ही देर पहले मुकेश ने चोदा था।

 

भावना ऐसा मत करो!!

 

ससुर अब ज्यादा आवाज मत निकालो वरना मुकेश जग जाएगा और जो मैं कर रहा हूं मुझे करने दो।

 

और वो भावना की प्यारी सी चूत को चाटने लग जाता है और फिर उसके बाद अपना मोटा सा लंड निकाल कर उसकी चूत में घुसा देता है।

 

भावना एकदम से चिल्लाने ही वाली होती है कि ससुर जी उसका मुंह दाव कर चुप कर देते हैं।

 

और भावना की यानी कि अपनी बहू की चूत की चुदाई करना चालू कर देते हैं। वह अपने बड़े से मोटे से लंड से अपनी बहू की जबरदस्त चुदाई करने लग जाते हैं।

 

भावना को एक अलग ही स्तर का वासना आनंद मिल रहा था और उसके अंदर की पिछली रंडी वासना दुबारा से जाग रही थी।

 

उसे अच्छा महसूस होने लग जाता है क्योंकि मुकेश के पिताजी का लंड मुकेश से बड़ा और मोटा था। वह इस पल का पूरा आनंद लेने लग जाती है और कामवासना के प्रेम में डूब जाती।

 

उस को शांत और आनंद में देखकर मुकेश के पिताजी समझ जाते हैं कि उसे भी मजा आ रहा है। तो मैं उसे अपनी गोदी में उठाता है और कमरे से बाहर निकल जाता है।

 

लंड अभी भी भावना की चूत में घुसा हुआ है और वह उसे ले जाकर सोफे पर लिटा कर घचाघच चुदाई करना चालू कर देता।

 

भावना क्या कर रहे हो, तुम मुझे कमरे से बाहर क्यों ले आए?!!

 

ससुर जी कमरे में मेरा बेटा लेटा हुआ है मैं तुम्हारी वहां जबरदस्त चुदाई नहीं कर सकता था तभी मैं तुम्हें बाहर ले आया

 

और वह घचाघच दबा दबा कर भावना की चुदाई करने लग जाता है और कहने लगता है आज भी वैसा ही मजा आ रहा है जैसा दो सालों पहले आता था।

 

तुम्हारी चूत बिल्कुल नहीं बदली आज भी उतनी आनंद में है और मजा दे रही है जितना पहले देखी थी।

 

भावना तुम भी तो एक नंबर के माधर्चोद हो अभी भी तुम्हे संतुष्टि नहीं मिली इतने बुड्ढे होने के बाद भी।

 

मुकेश का बाप बूढ़ा कौन है?! आज भी मैं अपने बेटे से ज्यादा दमदार हूं।!!

 

और वह भावना की और जबरदस्त चुदाई करने लग जाता है किसी Hindi Sex Stories की रंडियो की तरह, वह भावना की चूत की प्रचंड चुदाई करना चालू कर देता है।

 

फिर मैं भावना को घोड़ी बनाकर चोदने लगता है और उसकी गांड पर थप्पड़ भी मार रहा होता है। भावना को बहुत ही ज्यादा अति आनंद मिल रहा था जिससे उसका बार-बार चरम सुख हो रहा था।

 

मुकेश का बाप भावना को चोदते चोदते बोलता है अब बता रंडीमजा आ रहा है नाऐसे ही चुदाई तुझे पसंद है।

 

भावना हां!! ससुर जीमुझे ऐसी ही चुदाई पसंद हैचोदोअपनी बहू को रंडी बनाकर चोदो!!! अपनी बहू को!!!

 

ससुर जी तूआज भी रंडी हैबस अब तू मेरे बेटे की बीवी और मेरी बहू बन गई है।

 

लेकिन एक बात हमेशा याद रख, रंडी की अंतर्वासना उसका पीछा नहीं छोड़ती।

 

भावना ससुर जीबिल्कुल सही कर रहे हो!! अब बकचोदी बंद करो और मेरी चुदाई और जबरदस्त करो…!!!!

 

मैं भावना को पलट के लिटा देता है उसकी टांगों को पूरा उसके सिर पर खींच कर उसकी चूत को घचाघच चोदना चालू कर देता है।

 

वो भावना की चूत को थप्पड़-थप्पड़, घचाघच क्यों चोदे जा रहा था जिससे बहुत ही आवाज निकल रही थी। और पिता जी चोदते चोदते भावना की चूत में उंगली ही घुसा देते है। एक तो ससुर जी का मोटा लंड उसके ऊपर से उनकी उंगलियां एक ही चूत के गड्ढे में इससे भावना को अति चरम सुख की प्राप्ति हो रही थी और वह बौखला सी रही थी।

 

फिर दोनों का चरम सुख होने वाला था और मुकेश के बाप में अपना सारा माल अपनी बहू भावना की चूत में झाड़ दिया!!!!

 

मुकेश का बाप आ आ आ अहहकम से कम 2 सालों बाद आज मैंने किसी औरत की चूत में झाड़ा है!!!

 

उसमें अपना सारा मोटा गाढ़ा माल भावना की चूत में डाल कर उसकी चूत को पूरा भर दिया।

 

भावना चुटिया बुड्ढेक्या किया तूने यह…!!!

 

ससुर मैंने क्या किया मैं तो बस तुम्हारी चूत में अपना माल झाड़ दिया!!!

 

और भोले भाले मुकेश को अपने ससुर बहू की चुदाई के बारे में कुछ भी पता नहीं होता है और वह शांति से सो रहा होता है बिलकुल बेखबर। 

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भाई और चुदक्कड़ बहन

मेरी सहेली अलका ने मुझे चुदक्कड़ बना दिया था. अब हम दोनों सहेलियां मिलकर रोज नए नए लड़कों से चुदाती थीं. मुझे भी बड़े बड़े लंड लेने की आदत सी हो गई थी. सच में बहुत मजा आता था.. जब मोटा लंड जब मेरी चूत में जाता.

मैं स्कूल भी जाती और अलका जब फोन करती, तब वहाँ भी जाती थी. अलका जहाँ आने को कहती मैं वहाँ बेहिचक चली जाती.

पर एक दिन किस्मत ने साथ छोड़ दिया. पापा के फोन पर अलका का फोन आया पापा ने मुझे दिया और कहा- तेरी सहेली अलका का फोन है.

मैंने फोन लिया, अलका बोली- माया कल एक नया लड़का है दिनेश बुलाकर लाएगा, मजा आएगा. कहाँ पर मिलेंगे?

मैं बोली- तेरे घर पर.

वो बोली- नहीं, घर पर सब होंगे.

मैं बोली- कहीं भी फिक्स करो, मुझे कई दिनों से लंड की तलब लगी है.

वो बोली- हमारी खंडहर स्कूल है ना वहां पर बुला लेती हूँ.. कल दोपहर को 1 बजे फिक्स कर रही हूँ.. तू आ जाना.

 

उसने फोन रख दिया.

दूसरे दिन मैं चुत में लंड लेने के लिए तैयार होकर जाने लगी और माँ से बोली- माँ मैं सहेली के साथ बाहर घूमने जा रही हूँ.. शाम को देर से आऊँगी.

माँ बोलीं- अच्छा जाओ, जल्दी आना.

 

घर वाले मुझ पर बहुत भरोसा करते थे. मैं उस खंडहर स्कूल में गई, वहाँ पर अलका उसका बॉयफ्रेंड पहले से थे.

मैं बोली- और कोई नहीं लाए साथ में?

दिनेश बोला- मेरा दोस्त जो आने वाला था, वो अचानक बाहर चला गया.

मैं बोली- तो मेरा क्या होगा?

वो बोला- आज मैं अकेले ही दोनों को स्वर्ग दिखाऊंगा.. पहले दोनों पूरी नंगी हो जाओ.. मुझे तुम्हारी चूत चाटनी है.

 

मैं और अलका जल्दी से अपने कपड़े उतार कर कुतिया की तरह घुटनों पर बैठ गईं. वो बारी बारी से दोनों की चूत में जीभ डालता. मुझे बहुत मजा आ रहा था.

तभी मेरे पापा आ गए और दिनेश को पकड़ लिया. उन्होंने दिनेश को खूब गालियां दीं और उसे मारने लगे. दिनेश किसी तरह उनसे खुद को छुड़ाकर भाग गया. हमने अपने जैसे तैसे कपड़े पहने.

पापा बोले- छिनाल कहीं की तूने मेरा नाम मिट्टी में मिला दिया, कितना भरोसा था तुझ पर.. और तू कुतिया बन कर चुदा रही है.. और अलका तू तो मेरी नजरों दूर हो जा साली.. घिन आती है तुझे देखकर. मेरी छोटी बच्ची को कैसा बना दिया साली तूने.. ये तेरी संगति का असर है. ये मेरी गलती थी कि तुझसे दोस्ती करने दी. जिसकी माँ रंडी हो, उसकी बेटी कैसे सावित्री हो सकती है. तुझमें थोड़ी भी इंसानियत बाक़ी हो तो मेरी बेटी से कभी मत मिलना. चल भाग इधर से. वो तो मैंने अपने फोन में रेकॉर्डिंग सॉफ्टवेयर इंस्टॉल किया है. एक घण्टा पहले ही तुम्हारी बातें सुनी, तो सारा माजरा समझ गया और भागता हुआ यहाँ आया.

फिर क्या घर पर पापा ने मुझे खूब मारा. मम्मी ने मुझे छुड़ाया.

पापा बोले- साली रोज दोपहर को मुंह काला करवाने जाती है.

माँ बोली- जवान लड़की को नहीं मारते.. मैं समझा दूंगी..

 

अब पापा ने बाहर पढ़ाई भी बंद करवा दी. ऐलान कर दिया कि घर पर पढ़ाई करो, पेपर स्कूल में देने, मैं साथ चलूंगा.

इससे बाहर घूमना फिरना सब बंद हो गया. फिर दिन बीतते गए और मेरी चुदास इतनी बढ़ गई कि कोई भी मर्द देखूँ तो सीधी उसके लंड पर नजर जाती. चूत में तेज सी खुजली होती, पर क्या करती.. उंगली तो गहराई तक नहीं जाती. मैं तड़पती रह जाती.. मुझे लंड के लाले पड़ गए थे.

फिर एक दिन मेरी किस्मत खुल गई. मेरा भाई जिगर जो उम्र मुझसे 7 साल बड़ा है, जो थोड़ा सा मंदबुद्धि है, नार्मल नहीं है. मैंने कभी भाई को उस नजर से नहीं देखा था.

फिर एक दिन आँगन में जिगर भैया ने फावड़े पर पैर रख दिया.. फावड़ा सीधा दोनों जांघों के बीच में जोर से लगा. भैया जोर से चिल्लाने लगे.

 

मम्मी वर्षा और मैं घर से आँगन में आई तो देखा भाई बेहोश पड़ा है.

मम्मी जल्दी रिक्शा बुला कर दवाखाने ले गईं. दो घण्टे बाद वापस आईं. हमने मिलकर रिक्शा से भैया को उतारा. भाई चल नहीं सकता था. रात को खाना खाकर सब टीवी देखने लगे. पापा जल्दी सो जाते हैं.

रात के 11 बजे मम्मी बोलीं- माया, भाई की दवाई ला दो, हॉल में अलमारी में रखी है.

 

मैंने वो थैली लाकर मम्मी को दी. मम्मी बोलीं- माया भाई को उसके गुप्तांग में चोट लगी है.. मालिश करनी पड़ेगी.

मैं बोली- माँ मुझे शर्म आती है, तुम कर दो.

माँ बोली- हे भगवान, किस जन्म के कर्मो का बदला ले रहा है तू.. इस निखालस को तो बक्स दे.. इसने तेरा क्या बिगाड़ा है.

और माँ रोते हुए बोलीं- बच्चे, पागल और पशु से नहीं शर्माना चाहिए बेटी माया.. चल मेरी मदद तो करेगी.

 

हम भैया के रूम में गए, भैया सोये हुए थे. मम्मी बोलीं- इसकी पेन्ट उतारो.

मैंने भाई की पेन्ट उतारी, अन्दर कुछ भी पहना नहीं था. भाई का लंड 5 इंच का सोया हुआ था, ऊपर बाल बहुत थे. नीचे आंड सूज गए थे.

मम्मी बोलीं- हे भगवान, इस निष्पापी जान पर क्यों सितम कर रहा है.

 

माँ तेल हाथों में रगड़ कर लंड पर मालिश करने लगीं. माँ ने आंड को छुआ तो भैया जाग गए, बोले- मम्मी मम्मी क्या कर रही हो.. दर्द होता है.

मम्मी बोलीं- बेटे तुझे धरासना तेल की मालिश कर रही हूं ताकि तेरा दर्द दूर हो जाये. तू सो जा बेटे.

वो सो गए.

 

अचानक भाई का लंड खड़ा होने लगा. एकदम लोहे के रॉड जैसा 8 इंच से भी थोड़ा बड़ा हो गया. मम्मी भैया के लंड की मालिश कर रही थीं. मैं आँखे फाड़ कर लंड देख रही थी.. और सोच रही थी कि भैया का लंड इतना बड़ा है. मुझे तो ऐसा लगा जैसे रेगिस्तान में प्यास से मरने वाले को झरना दिखा हो.

मैंने कभी भी भैया को इस नजर से नहीं देखा था.

 

मम्मी ने आधा घण्टा मालिश की, फिर हम सब सो गए.

सुबह 6 बजे पापा को फोन आया, हमारे गांव में मेरी छोटी चाची का देहांत हो गया है. फिर 6:30 बजे मम्मी पापा ने गाँव के लिए निकल गए. मम्मी जाते वक्त मुझसे बोलीं- माया बेटी, सबका ख्याल रखना.. हम दो दिन बाद आएंगे.

मेरी तो भगवान ने सुन ली. रात को मैंने खाना बनाया. हम सबने खाया और टीवी देखने लगे. रात 11 बजे छोटी बहन वर्षा सो गयी थी. मैंने टीवी बंद की और भैया के रूम में गई दवा लेकर गयी.

भैया जाग रहे थे. मैं बोली- मेरे प्यारे भैया आप अभी जाग रहे हैं. मैं आपको दवा लगा देती हूं. आप पेन्ट उतार दीजिए.

दीदी मुझे शर्म आती है. तुम मुझे दवा लगाओगी?”

हाँ..

नहीं मैं माँ से ही लगवाऊँगा, मुझे शर्म आती है दीदी.

मैं बोली- भैया माँ मुझे बोल कर गई हैं. मैं ही लगाऊंगी, तुम आँखें बंद कर लो. मैं लगा दूंगी, ठीक है.. जब तक मैं ना कहूँ, तब तक खोलना नहीं.

 

भैया राजी हो गए और मैंने उनकी पेन्ट उतारी, लंड पे तेल लगा कर मालिश करने लगी.

लंड खड़ा हो गया, मुझे भी चुदास चढ़ने लगी. मैंने देखा भैया की आँखें बंद हैं. मैंने अपने ऊपर का टॉप उतार दिया और एक हाथ से अपने चूचे मसलने लगी. लंड देख कर मुझे ठरक चढ़ने लगी और मेरी चूत में जलन होने लगी. मैं अपनी पेन्ट के ऊपर से अपना हाथ डाल कर अपनी चूत में उंगली करने लगी. एक हाथ से लंड की मालिश करने लगी. फिर हाथ से भैया के आंड को छुए, भैया को दर्द हुआ तो भैया ने अचानक आँखें खोल दीं और मुझे देखा तो मेरे हाथ मेरी पेन्ट में थे. मैंने जल्दी जल्दी हाथ निकाला और लंड की मालिश करने लगी.

भैया बोले- दीदी तुमने ऊपर का कपड़ा क्यों उतार दिया?

मैं बोली- भैया मुझे गर्मी लग रही है, इसलिए उतार दिया.

उसने कहा- दीदी तुम अपनी पेन्ट में हाथ डालकर हिला क्यों रही थीं?

मैं बोली- अभी आई भैया.

 

मैं बाथरूम से मेरी पीरियड वाली पेन्टी ले आई और भैया को हाथ में दी. वो बोले- क्या है ये? खून इतना खून कहाँ से आया?

मैं बोली- मुझे भी पैरों के बीच गहरी चोट लगी है, इसलिए मैं भी मेरी पेन्ट में हाथ डालकर दवा लगा रही थी.

वो बोला- तुम्हें ये चोट कैसे लगी दीदी?

मैंने कहा- बाथरूम में साबुन पे फिसल गई और नल के पे जा गिरी, नलका मेरी टांगों के बीच में चिर कर अन्दर तक जा लगा. नलका तो निकल गया, पर जखम नहीं भरा. तुम्हें देखना है?

 

मैंने झट से अपनी पेन्ट उतारी दी और मेरी पेन्टी भी. मैं बोली- भैया बहुत दर्द होता है. भाई मेरी चूत देखने लगा.

मैंने कहा- भैया मुझे भी आप दवा लगा देंगे?

भैया बोले- हाँ दो, लगा दूँ.

 

मैं चूत फाड़ कर भैया के सामने बैठ गई. भैया ने मेरी चूत पर तेल रगड़ा और उंगली से अन्दर बाहर करने लगा. मुझे तो अच्छा लगा.

मैं बोली- और अन्दर तक तेज से करो.. मजा आ रहा है भाई..

अब मेरे सामने थे- मेरी चूत की भूख और भाई का लंड

मुझे भाई का लंड लेना था. मैंने सोचा क्या करूँ. मैं बोली- भाई दर्द बहुत अन्दर हो रहा है. आप और उंगली घुसाओ.

भैया बोले- पूरी उंगली डाल दी दीदी.

मैं बोली- भैया अन्दर कुछ और डालो, जो उंगली से बड़ा हो.. तभी अन्दर तक दवा लगेगी.. ये मुकाम तक पहुँची ही नहीं है.

 

भैया सोच में पड़ गए कि क्या डालूँ.

मैं बोली- भाई आपक़े सूसू के ऊपर में दवा लगा दूँ, फिर मुझे आप लगा देंगे ना.

भैया का लंड ढीला पड़ गया था. मैं बोली भैया पहले मैं आपकी सूसू बड़ा कर दूँ.. फिर अन्दर तक पहुँच जाएगा.

 

मैंने भैया का लंड पकड़ा और मुंह में भर लिया और लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी. लंड खड़ा हो गया मैं और चूसने लगी.

भइया बोले- मुझे सूसू में गुदगुदी हो रही है.

मैं बोली- भैया थोड़ी देर और..

मैंने पूरा लंड निगल लिया और भैया ने कहा- आह.. मुझे पेशाब लगी है.

मैं बोली- भैया तुम मुँह में कर दो.

भैया ने पेशाब कर दी, मेरे मुँह में पूरा भैया का लंड था. मैंने निकाला नहीं. मेरे नाक से पेशाब निकलने लगी. मैंने थोड़ी सी पेशाब पी, मुझे अच्छी लगी भैया के मूत का अच्छा स्वाद था नमकीन..

फिर लंड पर तेल लगाकर बोली- भईया अब सूसू को मेरी सूसू में डालिये.

 

मेरे भोले भैया ने अपनी बहन की चूत पर लंड रखा और एक ही धक्का मारा आधा लंड अन्दर चला गया. मेरी जोर से चीख निकल गई, आंसू भी निकल आए. कितने महीनों से किसी का लंड अन्दर जो नहीं गया था. मेरी प्यारी सी चूत टाईट हो गई थी.

भैया डर गए और लंड निकाल दिया. मैंने कहा- भैया निकालो नहीं.. वो तो मुझे पलंग में कोना लगा था, इसलिए मेरी चीख निकल गई.

भैया मेरी तरफ देखने लगे.

मैंने कहा- भैया आराम से अन्दर डालिये.

 

तभी मुझे दरवाजे पर कोई है ऐसा लगा. मैंने कहा- जरा रुकिए भैया, मैं बाहर सूसू करके आती हूं.

मैंने हॉल में जाके देखा कोई नहीं था. फिर मेरी छोटी बहन वर्षा के रूम में जाकर देखा, वो भी सो रही थी. रात के 1 बजे थे.

मैं वापस अन्दर आई और अपनी टांगें उठा के भैया से कहा- भैया अब डालो.

 

मेरे भोले भैया ने फिर से लंड डाला. एक बार में आधा घुस गया. मैंने कहा- और अन्दर डालो.

भैया ने फिर धक्का दिया, पूरा लंड मेरी चूत में समां गया. मुझे थोड़ा दर्द हुआ पर मैं सह गई. लेकिन भैया भोले थे, लंड डालकर पड़े थे. मैं बोली- भैया अन्दर बाहर करो.. तभी तो अन्दर मालिश होगी ना.. तब ही दवा अन्दर लगेगी.

तो उसने पूरा लंड बाहर निकाल दिया फिर डाला स्लोमोशन में.. मुझे मजा नहीं आ रहा था.

 

मैं बोली- आप नीचे हो जाओ, मैं आपके ऊपर बैठ जाती हूं.

शायद उसे भी अच्छा लग रहा था. वो नीचे हो गए, मैं भैया के ऊपर चढ़ गई. मैंने अपनी चूत पर थूक लगाया और लंड पर बैठ गई. फिर मैं अपने चूतड़ हिलाने लगी, भैया का पूरा लंड लेने लगी. मुझे चुत में जन्नत का मजा सा अनुभव हुआ.

फिर भैया बोले- मुझे सूसू पर गुदगुदी हो रही है.

तभी उनकी वीर्य की गरम गरम जोर से पिचकारी छूटी जो मेरी चूत की दीवारों से टकराई.

 

वो थक से गए और बोले- मुझे अब सोना है दीदी.. अब मुझे दर्द हो रहा है.

मैं बोली- होने दो.

मैं और जोर से गांड हिलाने लगी. अब मेरे मुँह से खुद ब खुद कामुक आवाज निकलने लगीं- मह्ह्ह् मह्ह्ह्ह् अह्ह्ह अह्ह्ह..

थोड़ी देर उम्म्हअहहहययाह…” हुई और मेरा भी काम हो गया.

 

मैंने सोचा लड़कियां गांड में कैसे लेती हैं, ये भी ट्राय करके देख लूँ आज मौका है. मैंने अपनी गांड पर थूक लगाया और धीरे धीरे लंड पर बैठने की कोशिश की. पर लंड गया ही नहीं, शायद कभी गांड मरवाई ही नहीं इसलिए छेद बहुत छोटा था.

अब 2 बज गए थे. मैंने कहा- भैया आपको मजा आया?

भैया बोले- दीदी तुम्हें दवा अन्दर तक लग गई?

मैं बोली- हाँ एकदम अन्दर तक..

वो बोले- अब साबुन का ख्याल रखना. बाथरूम में अंधी होके फिर से नलके के ऊपर मत गिरना.

मैंने कहा- नहीं गिरूँगी, अब ख़्याल रखूंगी.

मैंने कहा- भैया ये किसी से कहना नहीं. भैया बोले- क्या..?

वो आपने जो दवा लगाई उसके बारे में..

भैया बोले- मैं क्या पागल हूं कि सबसे कहता फिरूंगा कि मेरी बहन की सूसू में मैंने दवा लगाई.

मैंने कहा- मेरे प्यारे भैया सो जाओ.

 

मैंने बाथरूम में जाके चूत धोई अच्छी तरह से झुक कर नलके से चुत लगाई और नलका चालू किया. प्रेशर से पानी चूत में भर गया और उंगली से साफ की, फिर नलका पर लगी सब मलाई बाहर निकाल दी. प्रेगनेंसी का खतरा में नहीं लेना चाहती, फिर जाके वर्षा के पास सो गई.

सुबह मैं उठी तो वर्षा स्कूल जा चुकी थी. मैं अपने काम में लग गई, फिर खाना बनाया. दोपहर को वर्षा वापस आई और खाना खाकर बोली- मुझे सर में दर्द है मुझे नींद आ रही है.

बेडरुम में जाकर वो सो गई. उसने यूनिफार्म भी नहीं बदला. मैंने खाना खाया और सोचा थोड़ा आराम कर लूँ. मैं बेडरूम में गई तो वर्षा सोई हुई थी.

 

उसकी यूनिफार्म का स्कर्ट ऊपर था जिससे पेन्टी साफ दिख रही थी. वो भी जवानी की दहलीज़ पर थी. मैंने सोचा देखूँ तो सही कि छोटी बहन कितनी जवान हुई है.

मैं उसके पास सो गई और उसकी ड्रेस को थोड़ा ऊपर किया और बहन के स्तन पर हाथ फेरा. संतरा के आकार से थोड़े छोटे थे, नींबू से बड़े.. चीकू समझ लीजिएगा. फिर मैंने थोड़ा निप्पल को धीरे से दबाया, कुछ हरकत नहीं हुई, वो गहरी नींद में थी. फिर मैंने उसके दोनों स्तनों को दबाया, अब भी कुछ हरकत नहीं हुई. वो बहुत गहरी नींद में थी.

फिर मैंने उसके होंठों को किस किया, कुछ भी रिस्पॉन्स नहीं था. मैंने उसकी पेन्टी निकाली और उसकी चूत पर हाथ फेरा. चुत पर अभी छोटे छोटे बाल आये ही थे. मैं उसकी नन्ही सी अनचुदी चूत को मसलने लगी तो उसकी सांसें तेज हो गईं. फिर गांड पर हाथ फेर कर देखा, बिल्कुल छोटी सी थी. मैंने एक अपनी उंगली उसके मुँह में डाली और गांड के छेद में रगड़ने लगी. धीमे धीमे अन्दर डालने लगी. उंगली आधी डाल दी तो वो हिलने लगी.. मैंने झट से निकाल ली. सोचा जग जाएगी.

फिर मैंने उसकी चूत में उंगली डाली तो चूत में पहले से पानी था.. मैं समझ गई कि मेरी बहन जाग रही थी और मजे ले रही थी. साली सोने का नाटक कर रही थी. मैंने जोर से गांड में उंगली घुसेड़ दी. वो चीख पड़ी और उठ कर बोली- दीदी तुम भी ना मुझे सोने क्यों नहीं दे रही. रात को भी भैया से साथ और दिन को मुझे..

मैं तो एकदम से चौंक पड़ी. मैं बोली- रात को? क्या रात को..??

वो बोली- दीदी मुझे सब पता है. रात को 11 बजे से 2 बजे तक मैंने सब सुना भी और सब देखा भी.. भैया को आपने दवा लगाई और भैया ने आपको.. वो भी लंड से..कमाल है.. मैं तो वर्षा को देखती रह गई. 

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स्कूल में कुंवारी चूत चोदी - Kuwari Choot

बात स्कूल के दिनों की है जब मैं बारहवीं कक्षा में पढ़ता था, तब हमारी क्लास में एक बहुत ही खूबसूरत लड़की पढ़ती थी, जिस पर हर कोई लाइन मारता था लेकिन वो मुझ पर मरती थी और मेरा भी दिल उसे चोदने को बहुत करता था। लड़की इतनी खूबसूरत थी कि हर एक का लन उसे देख कर खड़ा हो जाता था।

 

एक दिन मैंने उस लड़की से अपने प्यार का इजहार कर ही दिया और वो भी झट से मान गई जैसे वो पहले ही तैयार बैठी थी। उस दिन हम दोनों इकट्ठे पैदल स्कूल से आये तो रास्ते में प्यार भरी बातें ही की। धीरे धीरे हमारा प्यार आगे बढ़ा तो मैंने उसे हाथ भी लगाना शुरू किया। आखिर वो घड़ी आ गई जिसका मुझे बेसब्री से इंतजार था, मैं उसके नाम की कई बार मुठ भी मार चुका था।

 

एक दिन जब हम घर को वापिस आ रहे थे, रास्ते में मैंने उसको पकड़ कर किस की। पहले तो उसने ना की लेकिन जब मैंने उसके होंटों को अच्छे से चूमा तो वो भी मेरा साथ देने लगी। उसने स्कर्ट और कमीज पहनी हुई थी, मेरा हाथ धीरे धीरे उसके मम्मों पर गया और मैंने उन्हें मसलना शुरू कर दिया।

 

वो भी गर्म हो गई, मैंने उसकी कमीज के ऊपर वाले दो बटन खोल कर अन्दर हाथ डाल दिया और उसके मम्मों को जोर से मसलने लगा। पहले तो उसने मुझसे छुटने की कोशिश की लेकिन मैंने सोचा कि अगर मैं अब कुछ न कर पाया तो कभी भी कुछ नहीं कर पाऊँगा।

 

फिर मैंने होंसला सा करके उसकी स्कर्ट के अन्दर भी हाथ डाल दिया। वो और गर्म हो गई। फिर मैंने अपना लन अपनी पैंट में से बाहर निकाल दिया। तब तक उसे भी मजा आने लग गया था। जब मैंने अपना लन उसे पकड़ा दिया तो वि शरमा गईई और मेरी ओर देखने लगी। मैंने उसकी शर्म दूर करने के लिए उसका हाथ पकड़ कर आगे पीछे करना शुरू कर दिया और उसकी स्कर्ट को ऊपर उठा दिया और उसकी फुद्दी के साथ अपना लन रगड़ दिया। वो भी अब पूरी तैयार हो गई थी। मैंने उसकी गीली हुई फुद्दी में अपना लन घुसाने की कोशिश की लेकिन उसकी फुद्दी बड़ी कसी थी क्योंकि अभी तक उसका मुहूर्त नहीं हुआ था, फिर मैंने जोर लगा कर अपना सुपारा उसके अन्दर थोड़ा घुसो दिया तो वो दर्द से बिलबिला उठी। मैंने उसे दर्द से निजात दिलाने के लिए उसकी चूची अपने मुँह में ले ली और उसे मजा आने लगा।

 

फिर मैंने अहिस्ता अहिस्ता अपना लन उसकी फुद्दी में घुसेड़ना शुरू किया और वो भी मेरा साथ देने लगी। अभी मैंने अपना आधा लन ही उसके अन्दर डाला था, वो मजा लेने लगी, फिर मैंने आहिस्ता से अपना पूरा लन उसकी फुद्दी में डाल दिया और अन्दर-बाहर करने लगा।

 

इस चुदाई का मजा मैंने उसे घोड़ी बना कर लिया तो वो थोड़े ही समय के बाद झड़ गई और उसे बहुत मजा आया लेकिन झड़ने के बाद जैसे ही वो मेरा लन बाहर निकलने लगी तो मैंने उसे पीछे से पकड़ लिया।

 

उसने मुझे छोड़ने को कहा तो मैंने कहा- रानी, अभी तो तेरा काम हुआ है, मेरा अभी बाकी है।

 

उसने कहा- तेरा काम कैसे होगा?

 

तो मैंने उसे कहा- जब तू मेरा लन अपने मुँह में डाले तब !

 

उसने कहा- फिर क्या होगा?

 

मैंने कहा- जैसे तेरे को मजा आया है, वैसे जब मेरे को मजा आएगा, तब मेरा काम होगा।

 

फिर उसने मेरे गीले लन को, जिस पर थोड़ा सा खून भी लगा हुआ था, को अच्छी तरह साफ़ किया और कहा- यह खून कहाँ से लगा? तो मैंने कहा- तेरी फुद्दी फटी है, उसमें से खून निकला है।

 

और जब उसने अपनी फुद्दी को हाथ लगाया तो उसमें से थोड़ा खून निकला, जिसे देख कर वो रोने लगी।

 

मैंने सोचा कि यह तो पंगा खड़ा कर लिया है, इसे बताने की जरूरत ही नहीं थी।

 

उसने कहा- अब यह खून निकलता रहेगा और मेरे घर वालों को पता चल जायेगा।

 

मैंने उसे समझाया- ऐसा सब लड़कियों के साथ होता है लेकिन किसी को कोई पता नहीं चलता।

 

फिर वो थोड़ा सा चुप हो गई और सिसकारियाँ लेती हुई मेरे लन को अपने मुँह में डालने लगी।

 

फिर क्या था, वो बड़ी मस्ती से अपने मुँह में लोलीपोप की तरह मजा लेने लगी और करीब पाँच मिनट के बाद मेरा भी काम जब होने लगा तो मैंने जोर जोर से उसके मुँह में धक्के मारने शुरू किये।

 

और जैसे ही मेरा काम हुआ तो मैंने अपना सारा माल उसके मुँह में ही उड़ेल दिया, जिसके बाद उसने भी उसे बड़े मजे से पी लिया और कहने लगी- बड़ा मजा आया ! हम रोज ऐसा करेंगे !

 

उसके बाद हम लोग अपने अपने घर को चले गए।

 

हमारा चोदा-चोदाई का सिलसला इस तरह ही स्कूल से आते-जाते हुए चलता रहा और अब वो भी पूरी तरह तजुर्बेकार हो चुकी थी।

 

यह कहानी मैं आप सब के साथ इस लिए बाँट रहा हूँ कि कभी भी खुले में सेक्स नहीं करना चाहिए नहीं तो कभी न कभी आप फंस सकते हैं। ऐसा ही कुछ हमारे साथ भी हुआ।

 

उस दिन हम दोनों रोज की तरह घर वापिस आ रहे थे, हमारे दोनों की कहानी अब तक स्कूल में सभी को पता चल गई थी और हम जब घर वापिस आ रहे थे तभी हमारा मूड बन गया और हम दोनों अपनी उसी जगह पर चले गए जहाँ पर हम चोदा-चोदाई करते थे। फिर हम बिना दर के वहाँ पर एक दूसरे के साथ लिपट कर वही सब कुछ करने लगे जो एक लड़का लड़की करते हैं लेकिन हमें नहीं पता था कि हमें कोई देख भी रहा है।

 

अभी हमें लगे हुए करीब दस मिनट ही हुए थे कि हमारी क्लास के दो और लड़के जो कई दिनों से हम पर नजर रखे हुए थे, आ गए और उन्होंने हमें सेक्स करते हुए ऊपर से ही पकड़ लिया जिन्हें देख कर हम पहले थोड़ा से डर गए लेकिन मैंने उन्हें समझाया कि यार किसी से मत कहना क्योंकि वो रोने लग पड़ी थी।

 

उन लड़कों ने कहा- हम किसी से कुछ नहीं कहेंगे अगर यह हमें भी फुद्दी दे !

 

पहले तो वो नहीं मानी लेकिन मैंने उसे मना ही लिया।

 

फिर क्या था, उसके हाँ करते ही उन दोनों ने अपनी पैंट में से फटाफट अपने लन निकाले जो पहले से ही फर्राटे मार रहे थे।

 

इतना देख कर वो बोली- मैं दोनों के साथ कैसे कर सकती हूँ एक साथ?

 

तभी उन में से एक बोला- अब दो नहीं, हम तीनों मिल कर तुम्हें चोदेंगे रानी !

 

फिर क्या था, मैं तो पहले से ही लगा हुआ था, मैंने अपना लन उसके मुँह में डाल दिया, एक ने उसके हाथ में पकड़ा दिया और एक ने उसकी फुद्दी में घुसा दिया जिसे देख कर अब तो वो बिल्कुल रंडी ही बन गई थी।

 

अब हम तीनों मिल कर उसे चोद रहे थे और वो भी पूरा साथ दे रही थी। तभी हम बारी बारी झड़ गए और जाने लगे। तभी मेरे दोनों सहपाठियों ने उससे कहा- रानी, अब हम तीनों ही तुझे चोदा करेंगे !

 

तब उसने भी हाँ में सर हिला दिया, फिर उसके बाद हम जब तीनों इकट्ठे होते तो उसे चोदते थे और वो भी बड़े मजे से फुद्दी देती थी।

 

यह सिलसला काफी लम्बे समय तक चलता रहा। आखिर जब हमारी बारहवीं की क्लास खत्म हो गई तब वो गर्ल्स कॉलेज में पढ़ने के लिए चली गई तो हम बॉयस कोलेज में !

 

उसके बाद करीब एक महीने के बाद उसकी शादी हो गई और आजकल वो दिल्ली में है लेकिन हम अभी तक कुंवारे ही हैं। उसकी पढ़ाई भी बीच में ही रह गई। यह थी मेरी सच्ची कहानी जो मेरे साथ बीत चुकी है। मुझे कमेंट करके जरूर, बताएँ कि कहानी कैसी है। 

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सगी माँ की चूत चुदाई की - sagi maa ki chudai hindi sex kahani

मेरे पापा एक शराबी थे। उन्होंने अपनी सारी दौलत महंगी महँगी शराब पीने में लुटा दी और जवानी में ही मर गयी। इस समय मेरी माँ की उम्र ३५ साल की थी और मैं १६ साल का जवान लड़का हो चुका था। मेरी माँ मुझको बहुत चाहती थी और प्यार करती थी। माँ अभी जवान थी और चुदने लायक माल थी। एक दिन जब सुबह वो बाथरूम में नहा रही थी तो मैं अंदर चला गया। वो नहा रही थी और पूरी तरह से नंगी थी। मैंने माँ को नंगी देखा तो मेरा लंड बिलकुल खड़ा हो गया। दोस्तों, दिल में यही आ रहा था की अभी माँ को पकड़ लूँ और कसकर चोद लूँ। मैं बाथरूम की खिड़की के पास छुप गया और अपनी माँ की नहाते हुए देखते लगा। मेरा बाप मर कर स्वर्ग सिधार गया और मेरी माँ को ढंग से चोद भी ना पाया। बाथरूम की खिड़की के पीछे मैं छिपा हुआ था और माँ को नहाते हुए देख रहा था।

 

उसका जिस्म आज भी भरा हुआ और सुडौल था। मम्मे ३४के थे और काफी कसे और गोल गोल मस्त थे। कहीं से भी मेरी माँ के बदन पर चर्बी नही थी और बड़ा सुडौल बदन था उसका। वो लक्स साबुन को अपने मम्मो पर जल्दी जल्दी मल रही थी, फिर हाथ पैर और चेहरे पर साबुन लगाने लगी, फिर अंत में टांगो पर साबुन मलने लगी। फिर जांघ पर साबुन लगाते हुए माँ अपनी चूत पर पहुच गयी और साबुन चूत पर मलने लगी। इसी बीच मेरी माँ का चुदने का दिल करने लगा और वो अपनी चूत में ऊँगली करने लगी आआआआअह्हह्हह….ईईईईईईईओह्ह्ह्हह्हअई..अई..अई….अई….” करके मेरी चुदासी माँ आवाज निकाल रही थी। काश…..कोई मुझे चोद डाले…..कसके मुझे चोद दे…. सी सी सी सी.. हा हा हा …..ऊऊऊ ….” मेरी माँ बार बार चिल्ला रही थी।

आज मैं जान गया की मेरी माँ मुझसे कोई बात कहती नही है, पर आज भी उनका चुदवाने का और मोटा लौड़ा चूत में खाने का बड़ा दिल करता है। माँ बड़ी देर तक नहाते नहाते अपनी रसीली चूत में ऊँगली करती रही। चूत पर साबुन मलती रही। फिर उन्होंने बाल्टी भर भर कर जी भरकर नहाया और अपने जिस्म को साफ़ कर लिया। अपनी चूत में माँ से कई बार पानी जग से भरकर डाला। फिर तौलिया लेकर मेरी माँ ने अपने सारे बदन को पोछा, अपने सुडौल मम्मे और चूचियों को भी माँ ने अच्छे से पोछा और फिर अंत में अपनी चूत को तौलिया से अच्छे से पोछा। अब उनकी चूत बड़ी सुंदर, साफ़ और गुलाबी लग रही थी।

जब माँ बाथरूम के बाहर आने लगी तो मैं वहां से हट गया। अपनी नंगी जवान माँ को मैं देख ही चूका था और उनकी बुर चोदने का बड़ा मन था मेरा। मैंने कई बार माँ के रूप रंग को देख देखकर मुठ मारी। एक रात मुझे नींद नही आ रही थी। माँ को चोदने का बड़ा दिल था मेरा। मैं उनके कमरे में चला गया। माँ सो रही थी। रात के ११ बजे हुए थे। मैं माँ के बगल लेट गया और उनके गाल पर किस करने लगा। वो नही जान पायी। माँ ने साड़ी ब्लाउस पहन रखा था, उसके ब्लाउस से उनके सुडौल और बहुत ही आकर्षक दूध मुझे दिख रहे थे। मैं खुद को रोक ना सका और मैंने अपनी माँ के दूध पर हाथ रख दिया और कस कसकर दबाने लगा। कुछ ही देर में माँ की आँखे खुल गयी। मेरे हाथ उसके दूध पर थे।

 

मिट्ठू…..ये क्या कर रहा है??? तू सोया नही?….और तू मेरे कमरे में क्या कर रहा है??” माँ हडबडा कर उठ गयी और बैठ गयी और मुझसे पूछने लगी

 

माँ……मैं आपको चोदना चाहता हूँ!!मैं बोला

 

क्या …????? तेरा दिमाग तो ख़राब नही हो गया है???” माँ ने विस्मित होकर कहा। वो चौंक गयी थी मेरी बात सुनकर

 

हाँ माँ…..मैं आपको कसकर चोदना चाहता हूँ…..आपकी रसीली बुर में अपना मोटा लंड डालना चाहता हूँ!!मैंने बोला

 

तुरंत मेरे गाल पर १ कसकर तमाचा पड़ा। मेरा दिमाग झनझना गया।

 

बेशर्म……बेहयानालायक……यही संस्कार दिए है मैंने तुझे…..यही सिखाया है मैंने तुझे???यही सब स्कूल में पढ़ने जाता है????” माँ बोली और उलटा सीधा बकने लगी। काफी देर तक वो बडबडाती रही। करीब २० मिनट बाद वो शांत हुई। मैं उनके पास ही बैठा रहा।

 

तुझे ये चुदाई वाली बात कैसे पता चल गयी?? मिट्ठू क्या तू किसी लड़की को चोद चुका है?? क्या तेरी कोई गर्लफ्रेंड है???” माँ अब शांत होकर बोली

 

मैंने पूरी बात बताई की किस तरह मैंने कुछ दिन पहले उनको बाथरूम में चूत में ऊँगली करते देख लिया था। माँ बार बार कह रही थी की काश कोई उनको कसकर चोद डाले। मैंने पूरी बात बताई तो वो शांत हो गयी। मैंने जल्दी से अपनी पेंट खोल दी और नीचे सरका दी। मैं नही चाहता था की माँ मुझसे शर्म करे या अपना विचार बदले। मैं तो बस यही चाहता था की माँ बस आज रात मुझे अपनी बुर चोदने खाने के लिए दे दे। अपनी पेंट नीचे सरकाने के बाद मैंने जल्दी से अपना अंडरविअर भी नीचे सरका दिया और मेरा ८”” का मोटा लंड साफ साफ माँ को दिखने लगा। उनका ध्यान अब बट गया और पूरी तरह से अब वो सिर्फ और सिर्फ चुदाई के बारे में सोचने लगी। ये कहना गलत नही होगा की बार बार माँ किसी न किसी बहाने ने मेरे लंड को देख लेती थी।

नही बेटा मिट्ठू….ये सब गलत होगा…..मैं तुम्हारी माँ हूँ….तुम कैसे मुझको चोद सकते हो??” माँ परेशान होकर बोलीमाँ…..तुम जवान हो और माँ जवान हूँ। बाकी चीजो से क्या फर्क पड़ता है। वैसे ही हम अपने घर में चुदाई करेंगेकौन किसी को पता लगने वाला है!!मैं बोला और माँ के बगल ही उसके बिस्तर पर मैं बैठ गया। वो नही बेटा….नही बेटा…” करती रही और मैंने उनका हाथ लेकर चूम लिया। माँ अभी भी चुदने को राजी नही हो रही थी, पर मैं भी इमरान हाशमी थी। औरतों को किस तरह से पटाया जाता है, मैंने ये बात उनकी ही फिल्मे देखकर सीखी थी। धीरे धीरे मैंने माँ को बाहों में पकड़ लिया और गाल पर किस करने लगा, धीरे धीरे सब कुछ ठीक हो गया। हम दोनों बिस्तर पर बैठे थे और एक दूसरे को बाहों में ले चुके थे। मैं माँ के होठ पीने लगा। ओह्ह्ह्ह….आज भी उनके होठ काफी अच्छे और रसीले थे।

 

मैंने माँ को बिस्तर पर लिटा दिया और उनके उपर लेट गया। उसके बाद तो हम दोनों लिपलॉक होकर किस करने लगे। हम दोनों सारी माँ और बेटे वाली शर्म हया भूल गए और धीरे धीरे हम दोनों गर्म होने लगे। मेरा एक हाथ उनके सीधे दूध पर चला गया और मैं जोर जोर से अपनी सगी माँ के मम्मे दबाने लगा। हम अभी भी बहुत जोश में थे और एक दूसरे के होठ पी रहे थे। माँ की जीभ मेरे मुंह में, तो मेरी जीभ उनके मुंह में घुस गयी थी।

गर्मागर्म चुम्बन के बाद मेरी माँ चुदवाने को तैयार हो गयी थी। मैं तेज तेज उनकी बड़ी बड़ी गेंद दबाने लगा। वो सी सी.. हा हा हा …..ऊऊऊ ….ऊँ..ऊँऊँ..करने लगी। मेरी माँ के के चुचे इतने बड़े थे की मुस्किल से मेरे हाथों में आ पा रहे थे। उफ्फ्फ्फ़क्या बताऊं दोस्तों की कितना मजा आ रहा था। लग रहा था की जैसे किसी स्पंज के गोले है। फिर मैं दूसरा चुच्चा कसकर दबाने लगा और मजा लेने लगा। १५ मिनट बाद हम दोनों पूरी तरह से नंगे हो गये थे। मेरी सगी माँ अपनी चूत को दोनों हाथों से छिपाए हुई थी। कितनी अजीब बात थी की वो मुझसे चुदवाना भी चाहती थी और चूत को छिपाए हुए भी थी। मैं तुरंत माँ के नग्न दूध को मुंह में भर लिया और पीने लगा। उफ्फ्फ्फ़. कितना मजा मिला मुझे।

मैं पूरी तरह से अपनी माँ पर आसक्त हो गया था और उनको कसकर चोदना चाहता था। उ उ उ उ ऊऊऊ ….ऊँ..ऊँऊँ अहह्ह्ह्हह सी सी सी सी.. हा हा हा.. ओ हो हो….” माँ तेज तेज गर्म गर्म आवाजे मुंह से निकाल रही थी।ये चुदाई कहानी आप हॉट सेक्स कहानी डॉट कॉम पर पड़ रहे है। मैं साफ़ साफ़ देख सकता था की उनको बहुत मजा, सुख और आनंद की प्राप्ति हो गयी थी। मेरे बाप को मजे १० साल से जादा हो चुके थे। १० सालों से मेरी जवान महकते बदन वाली माँ नही चूदी थी, पर आज वो १० साल का सूखा खत्म होने वाला था। मेरी माँ का बेटा अब जवान हो चुका था और आज उनको कसकर चोदना चाहता था। मैं अपनी नंगी माँ को पूरी तरह से अपनी बाहों में लिए हुए था और उनके दूध मुंह में भरकर पी रहा था। उफ्फ्फ्फ़कितनी नशीली और खूबसूरत थी मेरी माँ की छातियाँ। कितनी गोल, कितनी रसीली, जूसी और बड़ी बड़ी कमनीय किसी गेंद की तरह। मैंने आधे घंटे तक अपनी सगी माँ की दोनों चुचियों को मुंह में लेकर खूब जी भर के चूसा और दिल लगाकर पिया। उनके मखमली और गोरे पेट को चूमते हुए मैं मैं उसकी नाभि पर आ गया और उसमे जीभ डालने लगा। माँ तडप गयी।

 

“..उंह उंह उंह हूँ.. हूँहूँ. हमममम अहह्ह्ह्हह.. अईअई….अई……बेटा….!!” माँ सिसक रही थी और अपनी कमर उठा रही थी। कुछ देर बाद मैंने उनकी दोनों जांघे खोल दी, और मुझे उनका चूत प्रदेश साफ़ साफ़ दिख रहा था। मैं ललचा गया। आज भी मेरी माँ की चूत कसी, तनी और जवान थी। कहीं से भी चूत ढीली नही थी। मेरा बाप मेरी माँ को जादा चोद नही पाया था और गांडू मर गया था। माँ ने अपनी झांटे तो उसी दिन बना ली थी, इसलिए उसकी चूत चिकनी और साफ़ दी। कुछ देर तक माँ के भोसड़े का मैं दीदार करता रहा, फिर मुंह लगाकर मैं अपनी सगी माँ की चूत पीने लगा। ““..उंह उंह उंह हूँ.. हूँहूँ….बेटा मिट्ठू अच्छे से चूत पी मेरी!!माँ ने हुक्म दिया। मैं किसी कुत्ते की तरह आवाज कर करके अपनी माँ की चूत पीने लगा। बहुत मजा आ रहा था दोस्तों।बड़ी देर तक बुर पीने के बाद मैं माँ की चूत में ऊँगली करने लगा और जल्दी जल्दी अंदर बाहर करने लगा। माँ अपने चुतड़ उठाने लगी।  “….अईअई….अई……अई,…..इसस्स्स्स्स्स्स्स्…..उहह्ह्ह्ह…..ओह्ह्ह्हह्ह…..चोदोदोदो…..मुझे और कसकर चोदोदो दो दो दो बेटा मिट्ठू!!माँ बोली तो मुझे बहुत अच्छा लगा।

मैं तेज तेज अपनी माँ को अपनी ऊँगली से चोदने लगा। फिर कुछ देर में मैंने अपना ८मोटा लंड माँ के भोसड़े में डाल दिया और उनको चोदने लगा। नर्म मोटे गद्देदार आरामदायक बिस्तर में अपनी को चोद रहा था। इतना मजा मिल रहा था की मैं आपको क्या बताऊँ दोस्तों। माँ बहुत जादा गर्म हो चुकी थी और  उ उ उ उ उ……अअअअअ आआआआसी सी सी सी…. ऊँ..ऊँऊँकरके वो चीख रही थी और मजे से चुदवा रही थी। ये एक बहुत मस्त और कमाल का अनुभव था। मैं अपने मोटे लौड़े से माँ की चूत को चोद चोदकर उसका भरता बना रहा था।ये चुदाई कहानी आप हॉट सेक्स कहानी डॉट कॉम पर पड़ रहे है। मेरे हाथ अब भी उनके नंगे दूध पर थे और तेज तेज उसकी रसीली चूत में लंड की सपलाई कर रहा था। वो बार बार उ उआ आ की आवाज निकाल रही थी।

 

माँ को चोदते चोदते मेरा मोटा लंड और भी फूल गया और और भी जादा मोटा हो गया।अहहह्ह्ह्हह स्सीईईईइ….अअअअअ….आहा ….हा हा हातुम मस्त चुदाई कर रहे हो बेटा….करते रहोरुकना मत…. अहहह्ह्ह्हह..माँ बोली। ये जानकर बड़ी खुसी हुई की माँ मेरी ठुकाई से पूरी तरह से संतुस्ट थी और मजे से मेरा मोटा ८लम्बा लौड़ा खा रही थी। माँ के काले घने बाल खुले हुए थे और वो इतनी मस्त माल लग रही थी की मैं आपको क्या बताऊँ। उनके काले बाल उनके सफ़ेद, चिकने और गोरे कंधे पर बिखरे हुए थे और जैसे पानी में आग लगा रहे थे। अगर इस समय कोई चुदासा आदमी मेरी माँ को देख लेता तो पक्का उनको चोदकर मानता। जाने नही देता। इसी बीच माँ की चूत में चुदते चुदते खलबली होने लगी और वो अपना पेट हवा में उपर उठाने लगी। वो बड़ी बेचैन दिख रही थी, क्यूंकि मेरा मोटा लंड उनको एक पल का आराम नही करने दे रहा था।

 

मैं विराट कोहली की तरह अपनी सगी  माँ की चूत रूपी पिच पर अपने लंड रूपी बैट से शानदार चौके छक्के लगा रहा था। माँ तो बिलकुल पगलाई जा रही थी।“….आआआआअह्हह्हहअईअई…….ईईईईईईई मर गयी….मर गयी…. मर गयी……मैं तो आजजजजज!!..तेरा लौड़ा बहुत मोटा और लम्बा है बेटा.. उ उ उ उ उ……अअअअअ आआआआ…” माँ बार बार चिल्लाने लगी और हाफ्ने लगी। अपनी तारीफ़ सुनकर मैं बहुत खुश हुआ और तेज तेज फिर से माँ की चूत पर चौके छक्के मारने लगा। माँ के जिस्म में बुरी तरह से आग लग चुकी थी। पर मैं अभी रुकने वालो में से नही था और गच गच अपनी सगी माँ को चोद रहा था। उनकी कराहने और चीखने की आवाजे मुझे पागल कर रही थी। उफ़…..अपनी माँ को चोदना कितना सुखद और मजेदार होता है। आधे घंटे तक माँ को नॉन स्टॉप ठोकने के बाद मैं अपना माल उसकी चूत में ही छोड़ दिया।ये चुदाई कहानी आप हॉट सेक्स कहानी डॉट कॉम पर पड़ रहे है। फिर हम दोनों एक दूसरे के बगल लेट गये। माँ की मैंने बड़ी मस्त ठुकाई की थी।

वो अभी भी आआआआअह्हह्हह….ईईईईईईईओह्ह्ह्हह्हअई..अई..अई….अई..मम्मी…..” करके हांफ रही थी। उन्होंने मुझे अपनी बाहों में भर लिया और मैं फिर से उनका दूध पीने लगा। मेरी माँ बार बार मेरे मत्थे पर चूम रही थी। बेटाआज तूने मुझे चोदकर बड़ा मजा दिया….” माँ बोली और मेरा अहसान जताने लगी। लेटे लेटे हम दोनों सो गये।सुबह ४ बजे मेरी आँख खुली। मेरी माँ नंगी थी और ऑंखें बंद करके सो रही थी। मुझे एक बार फिर से उसकी चूत मारने की तलब लग चुकी थी। मैंने माँ के उपर से चादर खीच दी। उनके पैर खोल दिए और चूत पर मुंह लगाकर मैं उनकी बुर पीने लगा। कुछ देर में माँ की आँख खुल गयी।

 

मिट्ठू बेटे जग गया तू!!माँ बोली

 

माँ …..तुम और बार और चोदने का बड़ा दिल है!!मैंने कहा

 

चोद ले….चोद ले…..सुबह तो सेक्स करने में मजा मिलता ही है!!माँ बोली

 

उसके बाद वो जग गयी और मैं १५ मिनट तक उनकी बुर किसी कुत्ते की तरह चाटता रहा। उसके बाद मैंने माँ से अपना लंड बड़ी देर तक चुस्वाया। रसीला मोटा लौड़ा वो मजे से चूसती रही। फिर मैंने माँ को कुतिया बनाकर पीछे से उनकी चूत मारी।कैसी लगी हम डॉनो माँ बेटे की सेक्स कहानियाँ, अच्छा लगी तो शेयर करना. 

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