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अंधेरे में बीवी को चोदने की जगह दीदी को चोद डाला - biwi ko chodne ki jagah didi ko chod dala

अंधेरे बीवी को चोदने की जगह दीदी को चोद डाला - biwi ko chodne ki jagah didi ko chod dala

मेरी उम्र 21 वर्ष हो रही है। मेरे परिवार में मात्र तीन लोग रहते हैं, मैं, मेरी माँ और मेरी पत्नी ! और हाँ एक और सदस्य आज ही आया जो हमारे ही बीच का है पर आज से ठीक दो साल पहले ही उसकी शादी हो चुकी है, जो अपने ससुराल में रहती है, वह है मेरी दीदी ! जिसके पति तीन दिन पहले अरब देश जा चुके हैं, जिसके चलते वह हमारे यहाँ रहने आ गई है।

पर आते ही मेरे कमरे और मेरी बीवी पर पहला अधिकार जमा लिया। सबकी दुलारी होने से कोई कुछ नहीं मना करता और किसी काम को करने से नहीं रोकता है। माँ की दुलारी तथा मेरी भी बड़ी दीदी होकर भी साथ साथ पले बढ़े हैं क्योंकि मुझसे मात्र दो साल ही बड़ी है।

हम लोग उनकी सेवा में लगे हुए थे और देखते देखते शाम, फिर रात भी हो गई, परन्तु दीदी मेरे कमरे में जमी रही। अंत में मुझे दूसरे कमरे में यह सोच कर सोना पड़ा कि शायद आज ही आई है तो सो गई, कल से दूसरे कमरे में सोयेंगी। दूसरे कमरे में आकर मैंने सोने की कोशिश की मगर नींद नहीं आई तो टी.वी. चला लिया। शनिवार होने से चैनल बदलते हुए मेरा हाथ रैन टी.वी. पर रुक गया जहाँ गर्म फिल्म आ रही थी।

अब तो मेरी नींद भी जाती रही, एक तो बीवी से डेढ़ साल में पहली बार रात में अलग सोना, उस पर से रैन टी.वी. का कहर ! मुठ मारते पूरी रात काटनी पड़ी पर मन टी.वी. बिना देखे मान ही नहीं रहा था। किसी तरह मुठ मारते रात काट ली और सुबह काफी देर तक सोता रहा। जब उठा तब मेरी बीवी नाश्ता बना रही थी।

मुझे देख कर मुस्कुराते हुए बोली- लगता है कि काफी निश्चिंत होकर रात में सोये हैं जनाब ! मेरा नाराजगी भरा चेहरा देख कर और कुछ न बोल कर चाय का प्याला मेरी तरफ बढ़ा दिया। मैं भी कुछ कहे बिना चुपचाप से चाय पीने लगा। दिन भर सभी अपने अपने काम में लग गए, मैं भी अपने ब्रोकिंग एजेंसी को देखने चला।

दिन भर तो काम में लगा रहा, शाम को घर आने पर चाय और नाश्ता देकर बीवी फिर दीदी के पास जाकर बैठ गई जो मेरे ही सामने के कुर्सी पर बैठी नाश्ता ले रही थी। अब मैंने थोड़ा ध्यान दीदी की तरफ दिया, सोचने लगा- क्या दीदी आज भी मेरे ही कमरे में सोयेंगी? और बातों बातों में पता लगा कि वे आज भी नहीं जान छोड़ने वाली !

फिर वही कहानी पिछली रात वाली ! मुझे आज फिर अकेले दूसरे कमरे में सोना था ! पर आज मुझे दीदी पर बहुत गुस्सा आ रहा था और बकबकाते हुएमैं बाहर आ गया। पिछली पूरी रात खराब कर के रख दी थी ! रात होते ही मेरा मुठ मारना शुरु हो गया और आज न जाने कैसे रात कट गई, पता नहीं कब नींद लग गई ! सुबह जगा तो पूरे सात बज रहे थे।

मैंने सोच रखा था चाहे कुछ भी हो आज रात आरती को (मेरी बीवी) नहीं छोड़ना है, या तो मेरे कमरे में या रसोई में, कहीं भी चुदाई होगी तो होगी ! जैसे ही दीदी ने नहाने के लिए स्नान घर में प्रवेश किया, मैं मौका देख कर रसोई में घुस गया और पीछे से आरती को पकड़ उसके बोबे मसलते हुए चूतड़ों की फांकों में अपने फनफनाये लंड का दबाब डालते हुए गालों को जोर से चूमलिया तो आरती बोली- कोई देख लेगा ! क्या करते हो?

दो रातों में ही अकडू महराज पायजा मे से बाहर हो रहे हैं, अगर दो रातें और बिता ली तो पायजा मे से निकल किसी बिल में ही घुस जायेंगे तो ढूंढना मुश्किल हो जायेगा ! मैंने कहा- देखो आरती, अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा ! आज रात कुछ करो यार ! यह दीदी अपने तो अकेली रहने की सजा कट रही हैं, साथ में हमें भी मार रही हैं ! या तो तुम मेरे कमरे में आ जाना या रात को यहीं रसोई में ही चुदाई करेंगे !

आरती भी थोड़ी उत्तेजित हो चुकी थी, वह बोली- नहीं, रसोई में ठीक नहीं होगा ! मैं तुम्हारे कमरे में भी नहीं आ सकती क्योंकि दीदी सोचेगी कि दो रात में जवानी काबू में ना रही जो मराने चली गई। मैं बोला- तो मैं मुठ मार कर सोता रहूँ? “नहीं जी !

मैंने ऐसा कब कहा? अगर यह समस्या सदा के लिए टालनी है तो हम अपने कमरे में ही करेंगे। अगर दीदी जाग गई तो शरमा कर कल से नहीं सोयेंगी और ना जगी तो रोज ऐसे ही चलेगा !आरती का जबाब सुन कर मैंने कहा- पर इसमें तो दीदी के जागने का ज्यादा चांस है, जागने पर क्या सोचेंगी? आरती ने कहा- मैं तो चाहती हूँ कि रात को दीदी जग जाये जिससे कल से यह समस्या ख़त्म हो जाये ! समझे बुद्धू ?

मैं समझने की कोशिश करता हुआ काम बनता देख ज्यादा ना पूछा पर जानना चाहा- पर रात में मैं तुझे पहचानूँगा कैसे? वह बोली- मैं बेड के इसी किनारे सोऊंगी और दरवाजा खुला रखूंगी ! तुम धीरे से आ जाना बस ! मैं कुछ और पूछता, इससे पहले दीदी नहाकर निकलने जा रही थी।

तो मैं धीरे से निकल चला और रात के इंतजार में जल्दी से तैयार हो कर अपने काम पर चल दिया। और आज तो तिसरी रात होने के कारण उसमें और खूबसूरती आ गई है। अब मुझे केवल रात का इन्तजार था। आखिर शाम हुई, फिर रात हुई और सबने खाना खाकर अपने अपने बिछावन को पकड़ लिया पर दीदी मेरे ही कमरे में डेरा जमाये हुए थी।

इन्तजार करते करते लगभग रात के ग्यारह बज चुके थे। सम्पूर्ण अंधेरा था क्योंकि बिजली भी नहीं थी, मकान में एकदम सन्नाटा छाया था, माँ के कमरे से खर्राटों की आवाज आ रही थी। सुनने में ऐसा लगा कि वह गहरी नींद में होगी। मैंने निश्चिन्त होने के लिये पांच मिनट का इन्तजार किया।

अब लगभग अपने कमरे के पास पहुँच मैंने अपना दायां हाथ इस प्रकार से दरवाजे के तरफ़ बढ़ाया कि कोई हलचल न होने पाये। और कमरे के अन्दर अपने बेड केपास आकर देखने की कोशिश करने लगा पर कुछ साफ न दिखने से अन्दाजा लगाया कि आरती ने कहा था कि वह बेड के इसी तरफ़ सोयेगी।

आज पहली बार मुझे अपने ही घर में अपने कमरे में चोरों की तरह घुसना पड़ रहा था। धड़कते दिल से मैं बिछावन के पास पहुँचा और मध्यम रौशनी के सहारे इस तरफ़ की आकृति को छुआ। मेरा हाथ उसके चूतड़ पर लगा। फिर कुछ देर रुक कर मैंने अपना हाथ आगे पेट की ओर बढ़ाते हुए आहिस्ता से उसके उन्नत-शिखरों की ओर खिसका दिया। मेरे हाथ का पंजा उसके स्तनों के पास पहुँच कर पूरे पंजे से उसके बोबे दबाने लगा।

अब मैंने उसके खुले गले के ब्लाऊज़ के गले के अंदर हाथ डाला तो मेरा पहला स्पर्श उसकी सिल्की ब्रा का हुआ, पर इससे तो मुझे सन्तुष्टि नहीं हुई। फिर मैंने आहिस्ता से अपना हाथ उसके स्तनों के बीच की घाटी में प्रविष्ट करा दिया और आहिस्ता आहिस्ता उसके दोनों स्तनों पर अपने हाथ घुमाने लगा। मैं उसकी दूध की दोनों डोडियों से खेलने लगा।

अब मेरे दिमाग ने काम करना बिल्कुल बंद कर दिया। मैं बिल्कुल कामातुर हो चुका था, मैं यह भूल चुका था कियदि दीदी ने जागकर देख लिया तो पता नहीं क्या सोचने लगेगी ! अब मैं आरती के स्तनों के साथ उसकी चूत को भी मसलना चाहता था।

मैंने आहिस्ता से उसका साया खोल कर उसकी मखमली पैंटी पर हाथ रख दिया और कोई प्रतिक्रिया न देखकर फिर अंदर चूत को सहलाने के लिये हाथ बढ़ाया तो मेरा हाथ उसके दाने से टकराया। बिल्कुल छोटी मखमली झांटों को सहलाने का लुत्फ उठाने लगा। अब लगा मेरे दोनों हाथों में जन्नत है, मेरा बायां हाथ तो उसके वक्षों से खेल रहा था और दायां हाथ उसके वस्ति-क्षेत्र का भ्रमण कर रहा था।

अब मुझे यह तो सुनिश्चित हो चुका था कि वह नींद में नहीं है तो मैं हौले से उसके भग्नासा के दाने को सहालाकर उत्तेजित करने की कोशिश करने लगा। पर वह भी आँखें मींचकर पड़ी हुई थी। मैंने सोचा कि अब यह गर्म है तो समय भी तो तेजी खिसका जा रहा है, इसके लिये दूसरा उपाय करना होगा। इधर उसके सिर के तरफ़ मैंने लण्ड का रुख करके उसके मुँह के ऊपर रखा था तो मेरा लण्ड मुँह खोलकर चूसने लगी।

अब मैंने अपनी लुन्गी खोलकर कमर से हटाते हुए उसके मुँह से पूरा सटा दिया, उसमें से चिपचिपाहट भी निकल रही थी जो उसके होंठों को गीलाकर रही थी। अब दोबारा मैंने अपने दोनों हाथों को व्यस्त रखते हुए उसकी चूत में अपनी उंगली प्रविष्ट कराई तो देखा वहाँ गीला-गीला सा था, मतलब वह गर्म हो चुकी थी।

स्तन मर्दन के साथ जैसे ही मैंने उंगली चूत में अंदर-बाहर करनी शुरु की तो आरती छटपटाने लगी और उसने अपनी नींद का नाटक छोड़ा और मेरी तरफ करवट बदलकर मेरे चूतड़ों पर हाथ फिराने के बाद उसे लण्ड अपने मुँह में तेजी से चूसना शुरु कर लिया। मैं तो अपने होशोहवास खो चुका था, वह भी पागलों की तरह लण्ड मुँह में अंदर-बाहर कर रही थी। उधर मैं भी उसे अपने दोनों हाथों से बराबर उसे उत्तेजित कर रहा था।

मैंने कमरे में अपने बगल की तरफ देखा, दीदी आराम से सोई हुई थी और सम्पूर्ण अंधेरा था, तो कोई डर नहीं थाकि देख लेंगी। हम दोनों किसी भी किस्म की आवाज नहीं निकाल रहे थे क्योंकि दीदी जाग सकती थी। अब आरती की लगातार मेहनत के कारण दस मिनट में ही मेरा लण्ड स्खलित होने की कगार पर पहुँच गया, तो मैंने उसे हाथ के इशारे से समझाने की कोशिश की पर उसने इस पर ध्यान नहीं दिया।

तो मैं भी क्या करता, मैंने भी वीर्य का फव्वारा उसके मुँह में छोड़ दिया। उसने भी हिम्मत दिखाते हुए पूरा का पूरा गटक लिया। अब मैं तो खाली हो गया किन्तु उसकी उत्तेजना शांत नहीं हुई थी, वह मेरे निर्जीव पड़े लण्ड को खड़ा करने की कोशिश करने लगी। मात्र पाँच मिनट में ही हम दोनों सफल हो गये।

मेरा लण्ड फिर कड़क होकर फुंफकारने लगा। फिर एक दूसरे के शरीर को चूमने-सहलाने लगे। अब हम दोनों पागलॉ की तरह लिपट गये और एक दूसरे के शरीर को टटोल कर आनंद लेने लग गये। अब मैंने उसकी चोली खोल दी और पैंटी भी उतार दी, उसके तन व मेरे बीच में कोई नहीं था। मैं अब बेड पर बैठ गया, वह मेरी गोद में दोनों टांगों को बीच में लेकर अपने टाँगों को मोड़ कर इस प्रकार बैठी कि उसकी चूत मेरे लण्ड को स्पर्श करने लगी।

वह मेरे सीने को हाथ से सहला रही थी, नीचे चुदाई चालू थी, वह भी हिलकर अपने शरीर को ऊपर नीचे होकर पूर्ण सहयोग कर रही थी। फिर मैं बारी बारी से उसके दोनों स्तनों पर अपनी जीभ फिराने लगा। उसके बाद मैंने उसकी गर्दन की दोनों तरफ कामुकता बढ़ाने वाली नस के साथ उसके कान की लोम व आँखों की भोहों पर भी अपनी जीभ फिराई। वह मदमस्त होकर पागल हो उठी।

दोनों की सांसें एक दूसरे में विलीन हो रही थी। यदि हम किसी एकान्त कमरे में होते तो पागलपन में न जाने कितनी आवाजें निकालते। पर जगह और समय का ध्यान रखते हुए बिल्कुल खामोश रहने की कोशिश करते रहे। अब इस मदहोश करने वाली अनवरत चुदाई को लगभग आधा घण्टा हो चुका था।

अब एक ही आसन में चोदते हुए थकान होने लगी थी। तभी आरती ने मुझसे गति बढ़ाने का इशारा दिया और कुछ ही क्षण में हांफते हुए वह चरमसीमा पर पहुँच गई। फिर वह पस्त होकर ढीली पड़ कर लेट गई। मैं तो अभी तक भरा बैठा था, मैंने कुछ समय रुककर इशारा किया कि अब मैं भी पिचकारी छोड़ना चाहता हूँ तोउसने इशारे से कहा- रुको ! वह खड़ी हुई और बेड पर हाथ रख और सिर झुकाकर खड़ी हो गई।

मैंने भी पीछे से उसकी चूत में लण्ड पेल दिया और अपने दोनों हाथों से उसके उन्नत स्तनों को मसलते हुए उसे चोदने लगा। फिर जन्नत की यात्रा शुरु हुई। फिर मदमस्त होकर वह भी आगे पीछे होकर मुझे सहयोग देने लगी। हम दोनों ने अपनी गति और बढ़ा दी और लगभग दस मिनट बाद मेरी पिचकारी छुट गई, हम दोनों पस्त हो गये।

वह कुछ समय रुक कर सफाई करने बाथरुम मे जाकर वापिस अपनी बिछावन पर आ गई। भगवान कालाख-लाख शुक्र था कि दीदी अब तक सोई हुई थी और उनको इस चुदाई के बारे में शक भी नहीं हुआ।

अब मैं अपने कमरे मे आकर आराम से सो गया आज सुबह मेरा मन काफ़ी खुश था मैंने रसोई में बीवी को जब अकेले देखा तब उसके पास जाकर पीछे से बाहों मे भर चूमना शुरु कर दिया। आरती मुझे मनाने के लिये मेरे बालों मे उंगली फिराते बोली- सॉरी जी ! मैं रात में सो गई पर आप भी नहीं आए?

मेरे कान में इतना पड़ना था कि मेरे दिमाग ने काम करना बन्द कर दिया। तो क्या मेरे साथ रात में दीदी थी, अब मैं समझ गया ! यह घटना मेरे मन-मस्तिष्क पर एक चलचित्र की तरह स्पष्ट चल रही थी। हालांकि मैं भ्रम में रह गया लेकिन जब जान ही गया तो दोनों की तुलना करने लगा तो पाया कि वाकई में आरती से ज्यादा मजा तो दीदी को चोदने में आया !

अब वह अलग कमरे में भी सो कर मुझसे हर दो दिन बाद चुदती है, नैहर (मेरे घर) अब अकसर आती है मेरे साथ चुदाई के लिये और फिर उसके पास मैं भी अक्सर जाने लगा हूँ। वह आज भी मेरी बहुत अच्छी दोस्त है। आरती आज तक न जान पाई और ना मैंने उसे बताया। वह भी एक अद्वितीय अनुभव था। 

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सगी मौसी ने दिया चुदाई का ज्ञान

सगी मौसी ने दिया चुदाई का ज्ञान

मैं बलिया में रहता हूँ। मेरी उम्र 19 साल है। मैं देखने में बहुत ही खूब सूरत और स्मार्ट लगता हूँ। मेरा लंड 7 इंच का है। मेरा कद 5 फ़ीट 7 इंच क़्क़ है। मेरा लंड भी काफी गोरा है। मेरे लंड का सुपारा गुलाबी है। मुझे अपना लंड चुसवाने में बहुत ही मजा आता है। मैंने अब तक कई लड़कियों को चोद कर छोड़ चुका हूँ। मुझे लड़कियों के उछलते बूब्स बेहद पसंद हैं। लडकियां भी मेरे गोरे लंड के साथ खूब खेलती हैं।

लड़कियों के उछलते बूब्स को देख कर मेरा लंड खड़ा हो जाता है। लड़कियों के मटकते गांड को देख कर मेरे लंड में आग सी लग जाती है। मुझे कुवांरी लड़कियों की चूत फाड़ने में बहुत मजा आता है। लड़कियों की टाइट चिकनी चूत को चोदने की बात ही कुछ और होती है। लड़कियों की गांड चोदने में मै काफी माहिर हूँ। मेरा लंड गांड और चूत दोनों फाड़ने में माहिर है। मैं लड़कियों को चोदकर उन्हें चुडाई का आनंद दिया है। दोस्तों मै अब अपनी कहानी पर आता हूँ। दोस्तों मै एक मीडियम फैमिली में रहता हूँ। मेरे पापा एक किसान है। मैं अपने घर में सबसे छोटा हूँ।

मेरे बड़े भैया बनारस में जॉब करते हैं। मेरी एक बहन है। जिसकी शादी हो चुकी है। वो अपने ससुराल में ही रहती है। कभी कभी घर पर आती है। ये बात अगले साल 2016 की है। मैं B. Sc कर रहा था। मैं पढ़ने में कुछ खाश ठीक नही था। मेरे पापा ने एक दिन मौसा के साथ बिज़नस करने को कहने लगे। मैंने कहा मुझे अभी पढ़ना है। लेकिन मेरी पढाई का रुतबा देख कर पापा ने मुझे मेरी मौसी के यहाँ भेज दिया।

 

मौसी का घर दिल्ली में था। मौसा वही अपना बिज़नस कर रहे थे। मै मौसा के यहां पहली बार आया था। दिल्ली में लड़कियों को देख देख कर मेरे लंड की हालत खराब हो गई। एक से एक खूबसूरत लडकियां। देखते ही बूढों का भी लंड खड़ा हो जाये। छोटे छोटे कपड़ो को पहन कर मौसा के घर के सामने से गुजरती थीं। मै आगे खड़ा होकर सारे नज़ारे का संपूर्ण ज्ञान प्राप्त करता था।

 

कुछ दिन पहले की बात है। मैंने दिल्ली में एक लड़की पटाई लेकिन उसे चोदने की जगह ही नहीं मिल रही थीं। मैंने मैसा की अनुपस्थिति में खूब चोदा उसे। मेरा कमरा घर में बाहर ही था। बस किसी तरह एक बार लड़की अंदर आ जाये उसके बाद मेरे कमरे में कोई नहीं आता था। मैसी भी मेरी बहुत हॉट लगती थी। आखिर कर दिल्ली में आकर दिल्ली की लकड़कियों जैसी हो ही गई। मौसा का केवल एक लड़का था। वो भी बनारस में जॉब करता था। मै यहां आकर बहुत अकेला फील करता था। बाहर जाना मेरे लिए शख्त मना था। मैं घर में बैठ कर बस मैसी को ही ताड़ता था। मौसी भी कुछ कम नहीं थी। हमेशा फुल मेक अप किये। मॉडल बनी रहती थी। मुझे अब मौसी बहुत ही अच्छी लगती थी। मैं घर में बैठकर पूरा दिन ब्लू फिल्म देख कर मुठ मारता रहता था। मौसी की डिज़ाइनर ब्रा के साथ मैं अक्सर खेल लेता था।

 

मौसी की ब्रा से मैं मुठ मार कर अपना माल पोंछ देता था। कभी कभी मै मैसी को देख कर भी मुठ मारता था। मैसी बाहर काम करती थी। मैं अपनी खिड़की को खोलकर मौसी को देखकर मुठ मारता था। कभी कभी जब मौसी सो रही होती थी। मैं उनके गांड पर मुठ मार कर झाड़ आता था। एक दिन मैं बैठा ब्लू फिल्मदेख कर मुठ मार रहा था।

मौसी खिड़की से देख रही थी। लेकिन मुझे नहीं पता था। मैंने दरवाजा तो बंद किया लेकिन खिड़की बन्द करना भूल गया। मौसी मेरी सारी करतूत देख रही थी। मैं मुठ मार कर रूम से निकला ही था। की सामने मौसी बैठी थी। मुठ मारने की बात मौसी को पता थी। लेकिन मुझे नहीं पता था। कि मौसी को ये बात पता होगी। मौसी ने मुझे अपने पास बुलाया।

मौसी-"मुझे पता है तू पढ़ने में क्यूँ कमजोर है"। मैंने नॉर्मली मौसी से कहा-"क्यूँ???"

मौसी-"तू अपनी करतूतों की वजह से हमेशा पढ़ाई में पीछे रहता है"।

मैंने कहा-"मौसी मैंने क्या किया है??"

मौसी-"कमरे में क्या कर रहे थे"। मैं-"बैठा था और क्या कर रहा था"।

मौसी-" अच्छा बेटा तू मुझे उल्लू समझ रहा है" चल ज्यादा होशियार न बन।

मै समझ गया मौसी ने मुझे मुठ मारते ही देखा होगा।

मौसी-" बेटा ये सब करने से इसका सीधा असर दिमाग पर पड़ता है"।

मै-" मौसी मै वो कभी कभी कर लेता हूँ"। फिर मौसी ने मुझसे जो कहा मैं दंग हो गया।

मौसी-"और जब मै सो रही होती हूँ। तो ढेर सारा माल मेरी गांड पर तेरे मौसा गिरा कर जाते हैं"। मै-"मौसी,.वो..वो..कहकर चुप हो गया"। मेरी मुँह से कुछ आवाज जी नहीं निकल रही थी। मैं मौसा के साथ काम पर बहुत कम ही जाता था।

 

मौसी-" देखो शशांक बेटा, अभी तुम ये सब ना करो तो ही बेहतर होगा। अभी तुम अपने कैरियर पर ध्यान दो"।

 

मै-"मौसी मै कभी कभी ही कर लेता हूँ"।

 

मौसी-"तुमने अभी तक सेक्स नहीं की है क्या???"

मै-" नहीं'। मौसी-"तुमने अगर सेक्स किया होता तो तुम्हे ये सब करने की जरूरत ही नहीं पड़ती"।

मौसी को क्या पता था कि मैं चुदाई में कितना माहिर हूँ"।

मौसी ने कहा-"आज मैं तुम्हे चुदाई के बारे में सिखाती हूँ"।

मैंने कहा-"मौसी चुदाई में तो दो लोग होते हैं। एक लड़का एक लड़की होना जरूरी है"। मौसी-"मै हूँ ना"। अभी तुम्हे सिखाती हूँ। मैं अभी फ्रेश होकर आती हूँ।

मौसी ने अपने रूम की तरफ गांद घुमाई। अपने कपडे उठाये और बॉथरूम में चली गई। मौसी ने कहा-"आओ मै तुम्हे अपने सामान को दिखाती हूँ"। मौसा को कभी चोदने की फुरसत ही नहीं मिलती थी। मौसा सुबह सुबह घर से निकल जाते थे। शाम को थके हारे घर आते थे। रात में मौसी को चोद भी पाते थे या नहीं। ये तो मौसी को ही पता होगा। मौसी अपने रूम में जाकर क्रीम लिपस्टिक और काजल लगा कर सज धज कर बाहर आई। लग रहा था कोई मॉडल लग रही थी।

 

मौसी की गाल लाल लाल लग रही थी। मौसी की होंठ पर गुलाबी रंग की लिपस्टिक बहुत ही जबरदस्त लग रही थी। मेरा मन मौसी की होंठो को चूंसने को मचलने लगा। मौसी ने मुझे अपने रूम में बुलाया। मौसी ने अपनी काले रंग की नेट वाली सलवार शूट पहन रखी थी। मैसी भी 25 साल की लग रही थी। मैं मौसी कीतरफ देख रहा था। मौसी ने अपना हाथ मेरे कंधे पर रख दिया। मौसी ने अपने आधे हाथ में मेंहदी लगा रखी थी। मैंने मौसी की नाखूनों पर नेलपॉलिश लगाई थी। मौसी अपनों लंबी लंबी अंगुलियों को मेरे ऊपर चला रही थी।

 

मेरा लंड बेकाबू होता जा रहा था। मौसी ने अपनी अंगुलियों को मेरे होंठो पर कर। मेरे होंठो के करीब अपने होंठ ले आयी। मैंने मौसी की आँखों में चुदाई की प्यास देखा। मौसी की चुदाई की तड़प को मै आज अपने लंड से बुझाना चाहता था। मौसी की एक एक अदा मुझे जोश में ला रही थी। मेरा मन मौसी की चूत में अपना जल्दी से लंड घुसाने को करने लगा। मौसी ने अपना होंठ मेरे होंठ पर रखकर किस करने लगी। मैं कुछ देर चुप रहा।

मौसी-शशांक"मै जैसा करती हूँ। वैसे ही तुम भी करो"। मौसी ने इतना कहकर मेरे होंठो को चूसने लगी।

 

मै भी मौसी की होंठ को वैसे ही चूसने लगा। जैसे मौसी मेरे होंठ को चूस रही थी। मैंने मौसी की होंठो को चूस रहा था। मौसी की होंठ का रस बहुत मीठा लग रहा था। मैंने मौसी की होंठ की सारी लिपस्टिक चूस चूस कर खत्म कर दी। मौसी के होंठ अब और भी लाजबाब लगने लगा। मौसी भी अपनी होंठो से मेरे होंठ को चूस चूस कर लाल कर दिया। मौसी ने मेरा हाथ उठा कर अपने चुच्चो पर रख लिया।

 

मौसी की चुच्चे बहुत ही सॉफ्ट थे। मैनें मौसी की चुच्चो को पहले भी कई बार अपनी उंगलियों से छुआ था। मौसी ने मेरा हाथ पकड़ कर अपने चुच्चो को दबवाने लगी। मै मौसी की चुच्चो को अच्छे से दबा रहा था। मौसी भी चुच्चे दबाने से गरम हो रही थी। मौसी के चुच्चो का निप्पल बहुत ही उभरा हुआ लग रहा था।

मैंने मौसी की चुच्चो को जैसे ही दबाया। मौसी ने आंख बंद करके "आ आ आ आ..अह्हह्हह.. ..अई..अई..ईईईईईईई.इस्स्स.इस्स" की कवाज निकालने लगी। मैं भी मौसी की चूंचियों का और जोर से दबाने लगा।

मैंने मौसी की समीज को निकाल दिया। मौसी की समीज को निकालते ही। मौसी की ब्रा में चुच्चो को देखकर बहुत अच्छा लग रहा था। मैंने मौसी के ब्रा को भी निकाल कर। मौसी के चुच्चो को निकाल लिया। मौसी की चूंचियो का निप्पल काला था। मौसी के निप्पल को देखते ही। मैंने मौसी के निप्पल को अपने मुँह में भर लिया। मौसी के दूध को पीने लगा। मौसी की चूंचियो को मसल मसल कर पीने से मौसी भी काफी गरम हो चुकी थीं।

 

मौसी ने कुछ मुझे पकड़ कर मेरा सर अपने चुच्चो में दबा रही थी। मैंने मौसी की चूंचियो को पीकर मौसी की सलवार का नाड़ा खोल दिया। मौसी की सलवार का नाड़ा खुलते ही सलवार नीचे खुल कर गिर गई। मौसी ने अपने टांगो को सलवार को निकाल दिया। मौसी पैंटी में बहुत ही जबरदस्त माल लग रही थी। मौसी को मैंने बिस्तर पर लिटा दिया। मौसी की टांगों को फैलाकर मौसी की पैंटी को एक किनारे करके। मौसी की चूत के दर्शन किया।

 

मौसी-"लगता तो नहीं है कि तू पहली बार चुदाई करने जा रहा है"।

मै-"मौसी मैंने ये सब ब्लू फिल्मो में देखा है"।

मौसी-"ठीक है तो जैसा ब्लू फिल्मो में होता है करो"।

 

मैंने कहा ठीक है। उसके बाद मौसी की टांगो को सिकोड़कर मैंने मौसी की पैंटी को निकाल दिया। मौसी की चिकनी चूत को देखकर मैंने उस पर अपने मुँह को लगा दिया। मौसी की चूत की दोनों पंखुड़ियां गुलाबी लग रही थी। मेरे भी लंड का सुपारा गुलाबी था। मैंने सोचा आज की मैचिंग बहुत अच्छी रहेगी। मैंने मौसी की चूत की दोनों कोमल पंखुड़ियों को अपने मुँह में रख लिया। मौसी की चूत बहुत ही गद्देदार लग रही थी। मैंने मौसी की चूत को पीना शुरू किया। चूत पीते ही मौसी की मुँह से "आई..आई.आई.. अहह्ह्ह्हह.सी सी सी सी.हा हा हा." की सिसकारियां निकल रही थी। मौसी मेरा सर इतने जोर से दबा रही थी। जैसे वो पूरा सर अंदर अपने चूत में ही डाल लेंगी।

 

मैं भी मौसी की चूत की अच्छे ढंग से चुसाई कर रहा था। मौसी भी अपनी अंगुलियों से चूत को मसल रही थी। मौसी की चूत और ज्यादा गुलाबी होती जा रही थी। मौसी की चूत के दाने को अपने दांतो से काट रहा था। मौसी की चूत का दाना काटते ही मौसी सिकुड़ जाती। मेरा सर जोर से अपनी चूत में दबा लेती। मैंने मौसी की चूत को चाटना बंद कर दिया। मैंने अपना पैंट निकाल कर कच्छा निकाल दिया। मैंने अपना लौड़ा मौसी के सामने कर दिया। मौसी मेरे बड़े लौड़े को देखकर बहुत खुश हुई। मौसी ने मेरे लंड को चूसते हुए।

 

मौसी ने कहा-"अब जल्दी से मेरी चुदाई कर"। मेरी चूत में अपना लौड़ा जल्दी घुसा दे।

 

मैंने एक पल भी देर ना करते हुए। अपना लौड़ा मौसी की चूत पर रख दिया। मौसी मेरा लौड़ा अंदर लेने को बेकरार थी। मै मौसी की चूत पर अपना लौड़ा रगड़ने लगा। मौसी की चूत पर लौड़ा रगड़ने से मौसी और ज्यादा गरम हो गई। मैने मौसी की चूत में अपने लौड़े को धक्का मारा। मौसी की चूत में मेरा आधा लौड़ा घुस गया।

 

मौसी ने जोर से चिल्लाया "आ आ आ अह्हह्हह. ..ईईईईईईई.ओह्ह्ह्हह्ह. .अई.अई..अई.अई.सी..सी ..उफ्फ्फ.." । मैंने मौसी की चूत में दोबारा धक्का मारा। इस बार मेरा पूरा लौड़ा मौसी की चूत में जड़ तक घुस गया। मौसी ने अपनी चूत को तेजी से मसलना शुरू किया। मौसी की चूत टाइट लग रही थी। मौसा ने कई दिनों तक चुदाई नहीं की होगी। इसीलिए मौसी आज मुझे ज्ञान दे रही थी। मैंने मौसी की चूत में अपना लौड़ा डाल डाल कर निकाल रहा था।

 

मौसी को भी बहुत मजा आ रहा था। मौसी भी अपनी कमर उठा उठा कर चुदवा रही थी। मौसी की चूत को मैं जोर जोर से चोदने लगा। मौसी भी तेज आवांजो के साथ "ओह्ह माँ..ओह्ह माँ.आह आह उ उ उ उ उ.अ अ अ अ अ..आआआआ--" चुदवा रही थी। मौसी को मैंने बिस्तर पर ही कुतिया बनाया। मौसी कुतिया बन कर चुदवा रही थी। मैं भी मौसी की कमर को पकड़ कर मौसी की चूत में अपना लौड़ा घुसा घुसा कर निकाल रहा था।

 

मौसी की चूत का कचरा हो गया। मौसी ने अपनी चूत में से पानी निकालना शुरू किया। मैँने मौसी की चूत के पानी से अपनी प्यास बुझाई। मैंने मौसी की चूत से अपना लौड़ा निकाल कर मौसी की गांड में डालने लगा।

 

मौसी ने कहा-"आराम से डालना बेटा। बहुत दर्द होता है"।

मै-"ओके मौसी बहुत धीऱे ही डालूंगा"। इतना कहकर अपना लौड़ा मौसी की गांड के छेद पर लगा दिया। मौसी की गांड बहुत ही टाइट थी। इसीलिए मौसी वार्निंग दे रही थी। मौसी की गांड में मैंने बार धक्का मारा। मेरे लौड़े का सुपारा ही अंदर घुसा था। कि मौसी की मुँह से दर्द भरी आवाज " हूँउउउ हूँउउउ हूँउउउ.ऊँ.ऊँ.ऊँ सी सी सी सी. हा हा हा. ओ हो हो." निकल पड़ी। मैंने मौसी की गांड को चोदना तेज किया।

 

मौसी की गांड को मैंने फाड़ डाला। मैं बिस्तर पर लेट गया। मै अपने लंड को हाथ से पकड़ कर मुठिया रहा था। मौसी भी अपनी गांड को मेरे लंड पर रखने के लिए मेरे ऊपर चढ़ गई। मौसी ने अपनी दोनों टांगो को फैलाया। मेरा लंड खंभे की तरह खड़ा था। मौसी ने अपनी गांड के छेद को मेरे लंड से सटाकर उस पर धीऱे धीरे बैठ गई। मेरा पूरा लंड अपनी गांड में घुसा लिया। मेरे लंड पर मौसी उछल उछल कर गांड चुदवाने लगी। मौसी के तेज तेज से लंड पर उछलने से मेरे लंड का प्रेसर बन गया। मेरा लंड अब पानी छोड़ने वाला हो गया।

 

मै-"मौसी मैं अब झड़ने वाला हूँ"। इतना कहा ही था।

मौसी-"मेरी मुँह में गिरा दे अपना माल"। इतना कहकर मौसी मेरे लंड से उतर कर मेरा लंड चूसने लगी। मैंने मौसी की मुँह में सारा माल गिरा दिया। मौसी ने मेरा सारा माल पी लिया। मौसी की गांड की चुदाई कर मुझे बहुत मजा आया। मौसी भी गांड चुदवाकर बहुत खुश थी। मै बिस्तर पर ही मौसी के ऊपर नंगे ही कुछ देर लेटा रहा। मौसी भी मुझे चिपक कर लेटी थी। मैं मौसा के जाने के बाद रोज मौसी की चुदाई करता हूँ। कहानी आपको कैसे लगी, अपनी कमेंट्स नॉनवेज स्टोरी डॉट कॉम पर जरुर दे। 

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मामी ने समर्पित किया अपनी चूत का बगीचा

मामी ने समर्पित किया अपनी चूत का बगीचा

मेरा नाम अखिलेश है। मैं आगरा का निवासी हूँ और आप लोगो को बता दूँ की मैं अभी अभी जवान हुआ हूँ। मेरी उम्र 24 साल की है। अब सिविल की तैयारी कर रहा हूँ और आगे चलकर मैं किसी जिले के DM बनना चाहता हूँ और समाज में बहुत नाम और शोहरत पाना चाहता हूँ। इसके अलावा मुझे हर जवान लड़के की तरह सुंदर युवतियां और उनकी चूत चोदने का बड़ा शौक है। मैं अभी तक 3 जवान और सेक्सी लडकियों से चुदाई के मजे लूट चूका हूँ और जैसे ही मैं किसी सेक्सी माल को देखता हूँ मेरा लंड खड़ा होने लग जाता है।

दोस्तों मैंने अपनी जवान मामी की भरी हुई चूत का शिकार कैसे किया, आपको सब बता रहा हूँ। मैं अपने मामा के घर गया हुआ था। मेरे मामा जी बहुत अच्छे आदमी है और मुझे बहुत प्यार दुलार करते है। असल में वो काफी गरीब है और एक कार डीलर के यहाँ सेल्स मैन की नौकरी करते है। 2 साल पहले ही मामा की शादी मामी से हुई है।

मेरी मामी क्या मस्त आइटम है दोस्तों। अगर आप लोग देख लेते तो आपका भी लंड खड़ा हो जाता। कविता मामी का बदन उपर से नीचे तक भरा हुआ है और बड़ी बड़ी आँखे है। रंग खूब गोरा है, वो अच्छे घर से है और क्या मस्त मस्त आम है उनके। मामी का फिगर 34 28 32 का है। किसी पोर्न स्टार की तरह जिस्म है उनका। मैंने तो जब मामी को पहली बार देखा तो देखता ही रह गया।

कुछ समय बाद मेरे मामा के पास पैसे नही थे इसलिए उन्होंने आगरे के एक लो क्लास बस्ती में एक मकान बना बनाया सिर्फ 3 लाख में खरीद लिया। दोस्तों वो जगह अच्छी नही थी पर मामा जी के पास जादा पैसे नही थे जिससे वो किसी अच्छी कालोनी में घर बना पाते। मेरे मामा और मामी ने उस बस्ती में रहना शुरू कर दिया। पर बाद में पता चला की उस बस्ती में जादातर निम्न वर्ग के लोग जैसे रेड़ीवाले, मजदूर, और अन्य लोग रहते है। धीरे धीरे उस इलाके की सच्चाई पता चली। अक्सर ही वहां पर बहु बेटियों के साथ छेड़कानी और बलात्कार हो जाता था।

 

जादातर गुंडे, मवाली और नशा पत्ती करने वाले आपराधिक प्रवित्ति के लोग उस बस्ती में रहते थे। पर अब मजबूरी थी। मामा को तो मामी के साथ रहना ही था। इसलिए वो रहने लगे। कुछ दिनों बाद वही हुआ जिसका डर था। कुछ लड़को ने मामी के साथ छेड़खानी कर दी और जब वो बाहर सरकारी नल पर पानी भरने गयी तो उनके दूध दबा दिए। मामी ने लोग लाज की वजह से ये बात किसी को नही बोली। अब उन मनचलों का हौसला बढ़ गया और आये दिन किसी न किसी बहाने से मेरी मामी के दूध दबा लेते और मजा ले लेते। दोस्तों मुझे इन सबके बारे में तब पता चला जब मैं मामी के घर गया था।

 

दोपहर के वक्त एक मनचला जबरन घर में घुस आया और मेरी सुंदर, सेक्सी और जवान मामी से जबरदस्ती करने लगा। मैं देख लिया और उसे पकड़ लिया। मैंने उसकी जमकर धुनाई कर दी और वो किसी तरह जान बचाकर भागा। उसके बाद उन लडकों ने मेरी मामी को कभी नही छेड़ा। अपनी मामी की इज्जत मैंने बचाई थी इसलिए अब वो मुझे विशेष तौर पर प्यार करने लगी थी। एक दिन मैं उनके कमरे में किसी काम से गया था। मामा तो अपनी जॉब पर गये हुए थे और मामी ब्लाउस पहन रही थी और मैं इधर पहुच गया। मैंने आज कविता मम्मी के मस्त मस्त आम 34" के देख लिए। मैं तो शोक्ड हो गया। क्या मस्त मस्त सनी लिओन जैसी बड़ी बड़ी चूचियां थी। दोस्तों 34" की चूचियां किसी भी मर्द के लिए पर्याप्त होती है। हर मर्द कम से कम 34" के दूध वाली स्त्री को चोदने के सपने देखता है। मैं भी इसी तरह का मर्द था।

 

मैं: ओह्ह.. सॉरी मामी

 

मामी: अरे रुक तो सही। कहाँ भाग रहा है???

 

मैं: आप ब्लाउस तो पहन लो

 

मामी: क्यों अगर बिना ब्लाउस के हुंगी तो क्या मुझसे तू बात नही करेगा??

 

मैं: वो बात नही है मामी। पर आप पहले ब्लाउस की बटन लगा लो। फिर आपके कमरे में आऊंगा

 

इतना मैंने बोला था की कविता मामी ने मुझे पकड़ लिया और अपने सीने से लगा लिया। "ये आप क्या कर रही हो??" मैंने घबराकर बोला।

 

"मुझे प्यार आ रहा है तुझ पर" इतना मामी ने बोला और मुझे खुद से चिपका लिया। मैं भी 24 साल का जवान मर्द था। कहाँ तक खुद को रोक पाता। मैंने भी मामी को पकड़ लिया और गालो पर किस करने लगा। फिर हम दोनों होठो पर किस करने लगे।

 

"भांजे!! तूने आज मेरी इज्जत बचाई है। तेरा मुझ पर अहसान है। आज तुमको मजा दे दूँ" ये बोलकर मामी ने अपना ब्लाउस उतार दिया और अपनी मस्त मस्त दूध पर मेरा हाथ पकड़कर रख दिया। वो ब्रा पहने थी।

 

ये सब ऑफर जब मुझे मिला तो मैं भी रिश्तो की मर्यादा सब भूल गया। मैंने भी अपनी कविता मामी को पकड़ लिया और कसके दोनों हाथो से बदोच लिया। उसके बाद हम दोनों मोहब्बत की रसभरी दुनिया में खो गये। आज मेरा सपना पुरे होने जा रहा था। जिस मामी को देख देखकर अनगिनत बार मैंने मुठ मार दी थी बाथरूम में जाकर आज उस सेक्सी मस्त औरत को चोदने का सौभाग्य मिल रहा था। मैंने खड़े खड़े ही उनकी ब्रा पर हाथ रखकर दबाना शुरू कर दिया तो कविता मामी "..अहहह्ह्ह्हह स्सीईईईइ..अअअअअ..आहा .हा हा हा" करने लगी। मुझे पूरा सपोर्ट करने लगी। फिर 10 मिनट तक मैं उनकी सुगन्धित सांसे पीता रहा और उसके लबो को अच्छे से चूस डाला।

 

"ओह्ह भांजे!! तू तो बड़ा सेक्सी मर्द है रे। तुझे चुदाई में कौन कौन से करतब आते है रे??" मामी पूछने लगी

 

"मामी!! आज मैं आपको अपना चोदन शास्त्र सिखा दूंगा। चल नंगी हो जा" मैंने बोला

 

अब कविता मामी अपनी साड़ी को अपनी कमर से खोलने लगी। फिर साड़ी उतार दी और अब मेरे सामने सफ़ेद ब्रा और सफ़ेद पेंटी में आ गयी। मैंने अपना शर्ट पेंट उतार दिया और नंगा हो गया। मेरा लंड मेरे अंडरवियर में खड़ा हो गया। मामी मेरे लंड की तरफ गौर से देखने लगी। फिर पास आ गयी और मेरे लंड को अंडरवियर के उपर से पकड़कर रगड़ने लगी। दोस्तों मैं आनन्द में डूब गया और .अई.अई..अई..अई..करने लगा।

 

"अपने पप्पू को दिखाओ तो भांजे!!" मामी बोली और फिर मेरे कंधे को पकड़कर अंडरवियर के उपर से लंड को रगड़ने लगी। मुझे अजीब सी सिहरन होनी लगी। दोस्तों अगर कोई कामिनी और खूबसूरत चंचल औरत आपका लंड रगड़े तो आपको कैसा लगेगा। मैं भी पागल होने लगा। कुछ देर तक मुझे सताती रही और फिर ब्रा और पेंटी में नीचे बैठ गयी। मेरे लाल अंडरवियर को जैसे ही उतारा मेरा 10" का लम्बा लंड अचानक से टनटना कर खड़ा हो गया। "भांजे!!

तेरा तो बहुत लम्बा है रे" कविता मामी बोली और फिर मचलकर मेरे लंड को पकड़ लिया और फेटने लगी। मुझे दोगुनी ख़ुशी मिल रही थी। आज सुंदर चिकनी मामी को चोदने का सौभाग्य मिल रहा था। फिर कविता मामी जुट गयी और जल्दी जल्दी लंड फेटने लगी।

 

फिर आगे बढ़ गयी और मुंह में लेकर चूसने लगी। मैं "..अई.अई..अई..अई..इसस्स्स्स्स्स्स्स्...उहह्ह्ह्ह...ओह्ह्ह्हह्ह.." करने लगा। दोस्तों मुझे ऐसा लग रहा था की मामी को लंड चूसने का काफी अनुभव था। तभी तो इतनी मस्त तरीके से चूस रही थी। मैं तो सुध बुध खो बैठा। मैंने अपनी कमर पर दोनों हाथ रख दिए और मस्ती से चुसाने लगा। मेरा लंड गर्व से तन गया और एक एक नल में खून दौड़ने लगा।

मेरी वासना आज जाग गयी। मन ही मन कविता मामी को थैंक्स कह रहा था। मैंने नीचे देखा मामी किसी रंडी की तरह लंड चूस रही थी। खूब जल्दी जल्दी मुंह में गले तक लौड़ा ले लेती थी जैसे जन्मो की प्यासी हो। उसके हाथ रुकते ही न थे। मेरे लंड पर मुठ दे देकर मुझे जन्नत दिखा रही थी।

 

"ओह्ह मामी!! यू आर फकिंग हॉट!!" मैं बोला

 

मेरा लंड का सुपारा बिलकुल गुलाबी होकर चमकने लगा। सुपारा बेहद बड़ा और आकर्षक दिख रहा था। कविता मामी ने आधे घंटे तक लंड चुसव्व्ल किया। अब मेरी गोलियों को हाथ से दबाने लगी। मैं "...ही ही ही..अ अ अ अ .अहह्ह्ह्हह उहह्ह्ह्हह... उ उ उ." करने लगा। मामी जी और नीचे झुक गयी और मेरी दोनों गोलियों को अचार की तरह चूसने लगी। मुझे नये प्रकार का यौन सुख प्राप्त हुआ।

 

"प्लीस मामी !! मेरी गोलियों और चूस दो" मैंने कहा

 

तो वो मुस्कुरा दी और फिर से दोनों गोलियों को चूसने लगी। मेरे अंग अंग में सेक्स की भूख जाग गयी। बड़ा आनन्द लिया। मैंने खड़े खड़े ही उनकी ब्रा और पेंटी उतरवा दी और अपनी कविता मामी को पूर्ण रूप से नंगा कर दिया। उनकी चूत का बगीचा मुझे दिख गया। हल्की हल्की काली घुघराली झाटे मुझे दिख गयी थी। मैंने खड़े खड़े ही मामी को पकड़ लिया और दोनों दूध को हाथ से लेकर उपर नीचे हिलाने लगा। फिर आपा खोकर दबाने लगा। अब मामी"अई...अई..अई. अहह्ह्ह्हह...सी सी सी सी..हा हा हा." करने लगी। मैं मस्त मस्त अनारो को हाथ से दबाने लगा और दबाता ही चला गया। फिर खड़े खड़े अपनी मामी की मुसम्मी मुंह में लेकर चूसने लगा।

 

"भांजे..ओह्ह्ह. सी सी सी..धीरे धीरे चूसो.. वो कहने लगी

 

पर फिर भी मैं अपनी स्पीड में उनकी मुसम्मी मुंह में लेकर चूसने लगा। दोस्तों बड़े शानदार दूध थे। 34" के बड़े बड़े और रसीले। मैं एक एक आम को मुंह में लेकर चूस रहा था। दूध के टिप पर भूरे भूरे बड़े बड़े गोले तो कितने सेक्सी दिख रहे थे। दबा दबाकर समझ लीजिये आमो का रस निकाल निकाल कर चूस रहा था। "भांजे!! "आऊ...आऊ..हमममम अहह्ह्ह्हह.सी सी सी सी..हा हा हा.." कविता मामी बोलने लगी। फिर मैं नीचे बैठ गया और उनके चूत के बगीचे को ध्यान से देखने लगा। मैंने अपनी नाक मामी की चूत में लगा दी और एक लम्बी साँस सू.करके चूत की मस्त मस्त खुसबू लेने लगा। क्या मस्त मस्त खुसबू आ रही थी भीनी भीनी।

 

मैंने झाटो को ऊँगली से हटाया और उनकी चुद्दी का दीदार किया। लाल लाल चूत की फांके का दर्शन किया तो लंड मेरा बहने लगा और रस के रेशे छोड़ने लगा। मैंने उसी वक्त चूत में मुंह लगा दिया और चाटने लगा। उसके बाद तो सब कुछ हो गया। मैंने खड़े खड़े ही मामी की चूत का पानी निकलवा दिया। उनको अपनी टाँगे खोलनी पड़ी। इससे मुझे अच्छे से चूत चाटने को मिल गयी। अब चूत में ऊँगली कर करके चाट रहा था। कविता मामी "..उंह उंह उंह हूँ..हूँ. हूँ..हमममम भांजे!! तू बड़ा जालिम है रे अहह्ह्ह्हह..अई.अई.अई..." करने लगी। मैंने 15 मिनट बैठे बैठे मामी की चूत चाट चाटकर उनका बगीचा गीला कर दिया।

 

"चोद बेटा!! अब कितना सतायेगा मुझे!!" वो बोली

 

मैंने उनको एक मेज पर झुका दिया और उसकी बायीं टांग उठाने को कहा। ठीक पीछे मैं पहले से खड़ा था। पीछे से उनकी चूत में अपना 10" लंड घुसा दिया और चोदने लगा। मैं अब मामी के साथ सम्भोग करने लगा। धीरे धीरे लंड उनकी चूत के छेद में अच्छे से फिट हो गया और अच्छे से चोदने लगा। मामी मेज पर झुकी और बायीं टांग को उठाये हुई थी। इसी बीच बड़ा आनन्द लिया और कसके चोद लिया मामी को। वो आराम से चुदवाती रही और बीच बिच में ओह्ह भांजे!! ओह भांजे बोल रही थी। कुछ देर तक पेलने के बाद मैंने चूत से लंड निकाला तो चूत का बड़ा छेद मुझे दिख गया।

 

इकदम गुलाबी गुलाबी चूत का छेद दिखा। मैं ठरकी हो गया और नीचे बैठकर चूत चाटने लगा। नमकीन चूत को रबड़ी की तरह चाट गया। कविता मामी "उ उ उ उ उ..अअअअअ आआआआ. सी सी सी सी... ऊँ-ऊँ.ऊँ.." करती रही पूरे वक्त। चूत की एक एक कली को अच्छे से पिया और दांत में लेकर काट भी लेता था। इस तरह से अपनी सगी मामी को तड़पा तड़पा कर चोद रहा था। खड़े होकर काफी चुदाई हो गयी। अब बिस्तर पर लेकर आ गया और मामी को लिटा दिया। उनकी गांड के नीचे मैंने मोटा तकिया लगा दिया और फिर लेटकर चूत में अपना सुपारा घिसने लगा।

ऐसा करने से उनको बड़ा सेक्स का नशा मिला और कांपने लगी। "भांजे!! तू तो बड़ा चोदू लड़का है रे" कविता मामी। मैंने उनके गाल पर 2 चांटे मार दिए। दोनों गालो पर चट चट। फिर से लंड का मोटा सुपारा उनकी चूत के बड़े बड़े सेक्सी होंठो पर घिसने लगा और 5 मिनट तक घिसता ही रहा। तभी देखा की मारे चरमसुख और काम उत्तेजना के मामी झड़ गयी। मैं इस कीमती रस को बेकार नही करना चाहता था। जल्दी से लेट गया और चूत को मुंह में लेकर चाटने लगा।

 

खूब चाटा और खूब चूसा। फिर से अपना 10" लंड चूत में घुसा दिया और पेलने लगा। मामी फिर से चुदने लगी और उनके दोनों सन्तरो को मैंने हाथो से पकड़ लिया और दबा दबाकर चोद रहा था। इसी बीच ऐसा मौसम बन गया की आपको बता बताऊं। जल्दी जल्दी चुदाई शुरू हो गयी और जैसे लोग मोटर साईकिल चलाते है उसी तरह से मैं उनकी चूत को चट चट आघात पहुचा कर वहसी तरह से चोदने लगा। कविता मामी भी "..मम्मी.मम्मी...सी सी सी सी.. हा हा हा ...ऊऊऊ ..ऊँ. .ऊँ.ऊँ.उनहूँ उनहूँ.." की सेक्सी आवाजे अपने सेक्सी होंठो से निकाल रही थी।

ऐसी में उनकी आवाजे मेरी वासना और कामपिपासा को और आग लगा रही थी। मुझे और अधिक जोश के साथ मामी को चोदने को कह रही थी। मेरी आँखे अधिक खून के बहाव के कारण लाल लाल हो गयी और मैंने मामी के बड़े बड़े सन्तरो पर चांटे मारना शुरू कर दिया और चुदाई चालू रखी। "हा हा हा चोद और कसके चोद भांजे!! आज फाड़ डाल मेरी इस गुलाबी चूत को..सी सी सी.." कविता मामी बोलने लगी।

मैं उनके आदेश को मैंने मना कर सकता था। मैं और तेज तेज लंड को उनके चूत के छेद में दौड़ाने लगा और भरपूर सम्भोग और सहवास किया। फिर झड़ने की बारी आ गयी। अपनी कमर मटका मटकाकर तेज धक्के देते देते अंत में अपनी जवान मामी के भोसड़े में शहीद हो गया। लंड से अनेक बार अपना गर्म गर्म माल मामी की चुद्दी में छोड़ दिया।

 

फिर पसीने से भीग कर उसके उपर लेट गया। वो अब भी हूँउउउ हूँउउउ हूँउउउ ..ऊँ-ऊँ.ऊँ सी सीकर रही थी। मैं भी मचल गया और उनके फूले फूले गोरे चिकने गाल पर मैंने अपने दांत रखकर कसके काट लिया। इस प्रकार दोस्तों मेरी अपनी सगी कविता मामी से पहली चुदाई सम्पन्न हो गयी। कुछ दिनों बाद मैं अपने घर लौट आया। पर मामी की वो पलंगतोड़ चुदाई आज भी याद है। आपको स्टोरी कैसी लगी मेरे को जरुर बताना और सभी फ्रेंड्स नई नई स्टोरीज के लिए नॉनवेज स्टोरी डॉट कॉम पढ़ते रहना। आप स्टोरी को शेयर भी करना। 

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अपनी सगी बहन को प्रेग्नेंट किया चोदकर

अपनी सगी बहन को प्रेग्नेंट किया चोदकर

हेल्लो फ्रेंड्स मेरी उमर १९ साल हे, मेरी फेमिली में मम्मी पप्पा और मेरी दो बहने नीतू और डॉली हे, नीतू दीदी और में जुड़वाँ हे पर दीदी मुझसे ५ मिनिट बड़ी हे और मुझसे छोटी दीदी की शादी को २ साल हो चुके हे। पर अभी तक वो माँ नहीं बनी और दीदी की सास उसे बहुत बुरा भला बोलती हे और उसे बांज कहती हे पर मेरे जीजू का स्वाभाव दीदी के प्रति बहुत अच्छा हे और वो दीदी को बहुत प्यार करते हे।

 

पिछले महीने जब नीतू दीदी हमारे घर रहने को आई और एक दिन जब मम्मी घर पर नहीं थी और डॉली स्कुल गयी हुई थी और घर में में और दीदी दोनों थे तब दीदी मेरे पास आई कहने लगी राजीव मुझे तुमसे बात करनी हे, मेने कहा बोलो, तो कहने लगी की राजीव क्या तू चाहता हे की तेरी दीदी ऐसे ही अपनी सास की बाते सुनती रहे जब की मेरा कोई कसूर नहीं हे।

 

मेने कहा दीदी तुम क्या कहना चाहती हो में कुछ समजा नहीं, दीदी ने कहा राजीव बात ऐसी हे की मुझ में कोई कमी नहीं तेरे जीजू में कमी हे, और वह मुझे माँ नहीं बना सकते, मेने कहा में क्या कर सकता हु? तो दीदी ने कहा की जो तेरे जीजू करते हे।

 

दीदी की बात सुनकर में दीदी को कहा की यह क्या कह रही हो? तुम मेरी दीदी हो और मेरी बात सुन कर वह रोने लगी और अपने रूम में चली गयी, में दीदी के पीछे रूम में गया और बोला दीदी प्लीज़ रो मत में आपको रोते नहीं देख सकता, दीदी ने कहा तो तु मेरी बात क्यों नहीं मानता?

 

दीदी की बात सुन कर में चुप हो गया और दीदी कहने लगी राजीव प्लीज़ मेरी बात मान लो अगर कोई बहार वाला कोई मेरे साथ सब कुछ करे और में पकड़ी जाऊ तो बदनामी होगी और अगर तू करे तो कोई डर नहीं हे और फिर दीदी मेरे पेंट के ऊपर से मेरा लंड सहलाने लगी और मेरा लंड खड़ा होने लगा।

 

फिर दीदी ने मेरी पेंट खोली और अंडरवियर में हाथ डाला और मेरा लंड पकड़ लिया और मेरा हाथ अपने चुचे पर रख दिया, मेंरा लंड एकदम अकड गया।

 

फिर दीदी ने लंड बहार निकाल दिया और ११ इंच लम्बा और ६ इंच मोटा लंड देख कर ओह्ह आऔउ करने लगी और मेरे लंड को चूम लिया, और कहा आह क्या मस्त लंड हे कह कर मेरा लंड अपने मुह में ले लिया और चूसने लगी अब दीदी के लंड चूसने से मुझे मजा आने लगा और मेने भी दीदी के चुचे मसलने लगा और दीदी की शर्ट ऊपर से उतार दी।

 

अब दीदी ब्रा में थी और फिर दीदी ने मेरा लंड मुह से निकाल कर बेड पर लेट गयी और मुझे अपने ऊपर खीच लिया। मेने दीदी की सलवार का नाडा खोल दिया और सलवार निकाल दी।

 

अब दीदी मेरे सामने ब्रा पेंटी में थी और में उसका बदन देख कर गर्म हो गया, फिर दीदी ने वह भी उतार दिया और नंगी हो गयी और मुझे भी दीदी ने नंगा कर दिया। और अपना दूध पिने को कहा। में दीदी का एक चुचा अपने मुह में ले कर चूसने लगा और एक चुचे को मसलने लगा,

 

फिर दीदी ने मेरा लंड अपने मुह में ले लिया और मुझे अपनी चूत चाटने को कहा, में भी उसकी चूत चाटने लगा और हम 69 पोज में आ गए, मुझे चूत चाट कर बहुत मजा आ रहा था।

 

फिर दीदी ने लंड मुह से निकाल दिया और अपनी टाँगे फैला कर बेड पर लेट गयी और मेरा लंड अपनी चूत के सुराख़ पर रख कर मुझे धक्का देने को कहा, और मेने धक्का मारा तो आधा लंड अंदर चला गया और दीदी दर्द से आह्ह उऔऔ उऔ कर रही थी और में अपना लंड निकालने लगा तो दीदी ने रोकते हुए कहा की लंड मत निकालो और में रुक गया।

 

फिर दीदी अपने चुत्तड उठा कर मेरा लंड चूत में लेने लगी और मेने फिर एक जोरदार धक्का मारा और अपना सारा लंड दीदी की चूत में डाल दिया और फिर दीदी की चूत में अंदर बहार करने लगा, दीदी की चूत से बहुत पानी निकालने लगा। मेने दीदी को कहा दीदी चूत से इतना पानी क्यों निकल रहा हे? तो दीदी ने कहा की आज पहली बार मेरी चूत की इतनी मस्त चुदाई हो रही हे और बहुत मजा आ रहा हे।

 

और यह बोलकर दीदी अपने चुतड उठा कर चुदती हुई आह उऔ ओह्ह हां हा हो अह ह्येस ह्स्श्स हहस ह ओह हहह करने लगी और कह रही थी की बहुत मजा आ रहा हे और जोर से चोदो और में दीदी को जोर से चोदने लगा और मेरा वीर्य निकालने को हो गया।

 

मेने कहा दीदी मेरा निकालने वाला हे, दीदी ने कहा मेरी चूत में निकाल दो और मेने निकाल दिया और दीदी बोली मजा आ गया और जब मेने अपना लंड निकाला तो चूत से खून निकल रहा था दीदी अपनी चूत देख कर बोली वाह मेरे राजीव आज तेरे वीर्य से मेरी चूत भर गयी।

 

मेने पुछ दीदी जीजू के लंड से वीर्य नहीं निकलता क्या? तो दीदी ने कहा उनके लंड से तिन चार बूंद वीर्य निकलता हे तभी तो में माँ नहीं बनी और अब तेरा वीर्य मेरी बच्चेदानी में जायेगा और तू अपने बच्चे के मामा बनेगा। फिर हमने कपड़े पहन लिए और उसके बाद में रोज रात को दीदी को चोदने लगा और जब दिन में मौका मिलता में दीदी की चुदाई कर देता।

 

और २० दिन बाद दीदी ने कहा की वह माँ बनने वाली हे और में यह सुन कर एकदम खुश हो गया और दीदी ने जीजू को फोन कर के अपने माँ बनने की बात बताई।

 

और फिर दीदी ने यह बात घर में बताई तो सारे घर वाले बहुत खुश हो गये और फिर डॉली दीदी को लेकर मार्केट गयी।

 

और करीब २ घंटे बाद दीदी और डॉली मार्केट से आई और में जब रात को दीदी के पास गया और दीदी को चूमने लगा तो दीदी ने मुझे गोद में बिठाकर कहा आआओ मेरे राजा भैया तूने मुझे माँ बनाकर मेरी जिंदगी को खुशियों से भर दिया हे, अब में तुजे क्या गिफ्ट दू, मेने कहा दीदी तुम खुश हो यही मेरे लिए गिफ्ट हे।

 

तो दीदी ने कहा की में तो तेरे लिए एक खुबसुरत गिफ्ट लायी हु। मेने कहा क्या? फिर दीदी ने कहा की थोडा सब्र करो और फिर मेरे लंड को चूमा और फिर अपने मुह में ले कर चूसने लगी और चूसती रही।

 

मेने कहा दीदी छोडो मेरा लंड वीर्य निकालने वाला हे दीदी ने इशारे से मुझे कहा के निकाल दे और में अपना वीर्य दीदी के मुह में छोड़ने लगा और दीदी मेरा वीर्य पि गयी और फिर मेरा लंड चाट कर मेरे लंड पर लगा हुआ वीर्य चाट गयी।

 

फिर दीदी बेड से उठी और सिंदूर ले कर मुझे बिठाकर मेरी टांगो के बिच में बैठ गयी एयर मेरा लंड अपने मुह में ले कर मुझे अपनी मांग भरने को कहा।

 

मेंने कहा दीदी में आपकी मांग कैसे भर सकता हु दीदी मुझे गाली देते हुए बोली साले भेन्चोद अपनी बहन को चोद कर उसकी कोख तो भर सकता हे और मांग नहीं भर सकता। मेने दीदी के हाथ से सिंदूर ले कर दीदी की मांग में भर दिया और दीदी ने कहा के मेरा असली पति तो तुम हो और फिर उठकर बाथरूम में गयी और कुछ देर बाद जब वापस आई तो दीदी के साथ डॉली भी थी।

 

में दीदी के साथ डॉली को देख कर हैरान हो गया तभी दीदी ने कहा मेरे राजीव यह हे तेरा गिफ्ट और अब तू मेरे साथ डॉली को भी चोद और दीदी ने जट से मेरा लंड पकड़ लिया और डॉली को मेरा लंड दिखाते हुए बोली देख डॉली इसी लंड ने मेरी लाइफ बना दी वरना में पूरी जिंदगी बांज ही रहती और फिर दीदी ने मेरा लंड डॉली के हाथ में दे दिया और डॉली ने मेरा लंड पकड़ लिया और आगे पीछे करने लगी और मेने भी डॉली के चुचे पकड़े।

 

फिर दीदी ने एक एक कर के डॉली के कपड़े उतार दिए, में डॉली का गोरा मस्त और गदराया जिस्म देख कर मस्त हो गया और मेने जट से डॉली के चुचे पकड़ लिए मेरे चुचे पकड़ने से डॉली मस्ती में आह हां उऔउ जहह करने लगी और मेरा लंड पकड़ कर मेरी मुठ मारने लगी और दीदी मेरा लंड चूसने लगी।

 

फिर जब मेने डॉली की चूत देखि तो डॉली की चूत दीदी की चूत से भी टाईट थी और में अपनी ऊँगली डॉली की चूत में डालने लगा पर मेरी उंगली डॉली की चूत में नहीं गयी। डॉली ने दीदी को कहा दीदी मेरी चूत में अब भैया की उंगली भी नहीं जा रही फिर उनका बड़ा लंड कैसे मेरी चूत में जायेगा। दीदी ने कहा के तू फिकर मत कर, जैसे यह मेरी चूत में गया हे वैसे ही तेरी चूत में भी जायेगा।

 

फिर दीदी ने डॉली को बेड पर लेटा दिया और उसकी दोनों टाँगे खोल कर मेरा लंड उसकी चूत के होल पर रख कर बोली राजीव रुक और फिर एक कंडोम निकाल कर मेरे लंड पर लगाने लगी, पर वह नहीं लग रहा था क्योंकि मेरा लंड कंडोम से बड़ा था तो फिर मेने दीदी को कहा की दीदी अब क्या होगा?

 

दीदी ने कहा तू चिंता मत कर, में गर्भ ना रहने वाली टेबलेट भी लेकर आई हु, और डॉली का सर अपनी गोद में रख कर मुझे डॉली की चूत में लंड डालने को कहा और मेने डॉली की चूत पर अपना लंड रखा और एक धक्का लगाया और मेरा लंड का टोपा डॉली की चूत में फस गया और मेने एक धक्का लगाया और मेरा लंड डॉली की चूत में चला गया और डॉली दर्द से चिल्लाने लगी।

 

दीदी ने डॉली के मुह पर अपने हाथ रख दिए और बोली की राजीव अपना लंड डॉली की चूत से मत निकालना, मेने कहा दीदी डॉली को बहुत दर्द हो रहा हे और अगर इसके चिल्लाने से मम्मी पापा को पता चल गया तो दिदि ने कहा की में उन्हें दूध में नींद की टेबलेट मिला कर दे चुकी हु और अब वह ९ बजे से पहले नहीं उठने वाले हे।

 

और मुझे अपना बाकि लंड भी डॉली की चूत में डालने को बोली, और मेने फिर एक जोरदार धक्का मारा और अपना सारा लंड डॉली की चूत में डाल दिया और डॉली दर्द से चिल्लाने लगी पर दीदी का हाथ डॉली के मुह पर था और उसकी आवाज गले में ही अटक गयी, थोड़ी देर डॉली का दर्द कम हुआ और उसे दर्द के साथ मजा आने लगा और में धीरे धीरे डॉली की चूत में धक्के देने लगा।

 

और डॉली भी अपनी गांड को ऊपर निचे कर के मजे लेने लगी, मेने भी अपनी स्पीड बढ़ा दी और जोर से डॉली को चोदने लगा डॉली भी अहह औउ उह उःह करने लगी और मेरा वीर्य निकालने को हुआ और मेने दीदी को कहा दीदी मेरा निकलने वाला हे। दीदी ने कहा इसकी चूत में ही छोड़ दो और तभी मेरा लंड से वीर्य की पिचकारी डॉली की चूत में निकल गयी।

 

और फिर जब मेने डॉली की चूत से अपना लंड निकाला तो डॉली की चूत से खून निकला और मेने दीदी को कहा दीदी डॉली की चूत से वहुत खून निकल रहा हे, दीदी ने कहा मेरे राजीव तेरे लंड से डॉली की चूत की सिल टूट गयी हे और इसलिए उसकी सिल टूटने से इतना खून निकल रहा हे, तुम चिंता मत करो।

 

फिर डॉली को ले कर बाथरूम में गयी और डॉली से चला भी नहीं जा रहा था कुछ देर बाद दीदी डॉली की चूत को साफ करने आई तो डॉली बहुत खुश थी और फिर मेने दीदी को भी चोदा। अब दीदी अपने पति यानि मेरे जीजू के पास हे और में रोज रत को डॉली की चुदाई करता हु और उसे गर्भ ना रहने की गोली खिला देता हु, ताकि वो माँ ना बन जाये। 

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