Free BDSM sex stories, Bondage, best erotic porn stories on bdsmsexstory, Bdsm Hindi Sex Story, BDSM chudai sex story, bdsm sex story pic porn photo, Read sex kahani, kamuk kahani for free

चाचा की कुंवारी साली की चुदाई

गर्मी की छुट्टियां शुरू हो रही थीं. हर बार की तरह इस बार भी हम कानपुर अपने पैतृक घर गए. जहां जाकर हमें पता चला कि हमारे दादा के छोटे भाई का देहांत हो गया है. जिस वजह से हमें अपने गांव जाना पड़ा. उधर सभी रिश्तेदार आए थे. नीरजा से मेरी मुलाकात वहीं हुई थी.

 

नीरजा छोटे दादा के बेटे, मतलब मेरे पापा के कजिन(मेरे चाचा लगे) की साली की बेटी थी. उसका फिगर ठीक था. उसने भी जवानी की दहलीज पर कदम रखा ही था. मैं बगीचे से आम और जामुन तोड़ कर लाता था, जो नीरजा को बहुत पसंद थे.

 

इससे हमारे बीच जान पहचान बढ़ने लगी. तेरहवीं की रस्म होने के भीड़ कम हो गई. नीरजा वहीं अपनी मौसी के साथ रुक गई.

 

मैं शुरू से ही हंसमुख स्वभाव का था. इसलिए मेरी उससे काफी घुटने लगी थी.

 

गांव में जल्दी ही अंधेरा हो जाता है. उस समय गांव में लाइट भी नहीं थी. शाम को मनोरंजन के लिए हम सब इकट्ठे होते व कहानी किस्सों का दौर शुरू हो जाता.

 

ऐसे ही एक दिन मैं कहानी सुनाने लगा. सभी लोग छत पर दरी बिछा कर बैठे थे. मैं खाट पर बैठ कर कहानी सुना रहा था. नीरजा मेरे बहुत नजदीक बैठी थी. वो इतने पास थी कि मेरे पैर हिलते, तो नीरजा से टकरा जाते.

 

धीरे धीरे मुझे महसूस हुआ कि मेरे पैर नीरजा के पैरों के बीच में आ गए हैं बिल्कुल उसकी बुर से टच होते हुए.

मुझे ये महसूस करते ही हल्का झटका लगा.

 

मैंने अपना पैर हटाने की कोशिश की. तो नीरजा मेरे और नजदीक खिसक आई. जिससे मेरे पैर का अंगूठा नीरजा की बुर की दरार में आ गया. अब मेरे पास अपने पैर को हटाने की जगह नहीं बची थी. मेरा अंगूठा स्थिर था मगर नीरजा की कमर हिल रही थी जिससे वो मजा ले रही थी.

 

अंगूठा बुर में लग रहा था तो उसकी बुर का गीलापन भी मुझे गरमाने लगा था. मगर अभी सिर्फ अंगूठा ही चलाया जा सकता था. इसके आगे हम कुछ नहीं कर सकते थे.

अंधेरे के कारण किसी को कुछ दिखाई तो नहीं दे रहा था, मगर सुनाई सब दे रहा था. इसलिए मैं कुछ बोल भी नहीं पा रहा था.

 

सुबह नीरजा से आंखें मिलीं, तो पट्ठी अपनी मौसी के साथ थी. मुझे देख कर उसने मुँह फेर लिया और शरीफजादी बन गई. मैं भी लंड दबा कर रह गया.

 

उधर इसी तरह की पोजीशन बनी रही और हम दोनों में कोई बात न हो सकी. पहले जो आम जामुन के चलते बातचीत हो जाती थी, अब वो भी नीरजा करने में सकुचा रही थी.

 

एक हफ्ते बाद हम सब वापस कानपुर आ गए.

 

कानपुर आने के बाद चाचा मुझे अपने घर ले गए. जहां नीरजा भी थी. चाची डिलीवरी के लिए अपने मायके गई थीं. जो पास में ही था.

 

चाचा के घर खाना बनाने के लिए नीरजा, चाचा के घर में आ गई थी. वहां सिर्फ मैं, चाचा, छोटे चाचा व नीरजा ही थे.

 

सुबह नौ बजे चाचा मुझे घर पर छोड़ कर आफिस चले गए. छोटे चाचा अपने काम से निकल गए थे. घर में सिर्फ मैं और नीरजा ही थे. नीरजा नहाने के लिए बाथरूम में चली गई, जिसकी एक खिड़की हल्की खुली रहती थी. नीरजा ने अपने कपड़े उतारे और नहाने लगी.

 

मैंने खिड़की की झिरी से अन्दर देखा, तो अन्दर नीरजा बिल्कुल नंगी नहा रही थी. उसकी नंगी जवानी देख कर मेरे लंड में आग लगने लगी. मैं बस चुपचाप उसकी बुर और चूचियां देखते हुए अपने लंड को हिलाने लगा.

 

नीरजा जब नहा कर बाहर आने लगी, तो मैं कमरे में वापस आ गया.

 

चाचा के पास एक ही कमरा था. रात में मैं छोटे चाचा के साथ सोया था. दूसरे पलंग पर बड़े चाचा और नीरजा थे. गर्मी के कारण मैंने अपना पलंग पंखे के नीचे खिसका लिया, जिससे मेरे और नीरजा के बीच दूरी खत्म हो गई.

 

रह रह कर मुझे नीरजा की गांव की वो हरकत याद आने लगी. मेरी नींद उड़ गई थी. नीरजा मेरे बहुत नजदीक लेटी थी.

 

चूंकि आग लगाने की शुरुआत नीरजा ने की थी. मगर अब वो बिल्कुल घास नहीं डाल रही थी. मैं सोचा कि शायद ये मेरी तरफ से पहल का इंतजार कर रही होगी. ये सोच कर उस रात मुझसे रहा नहीं गया और मेरा हाथ नीरजा के टॉप के ऊपर उसके मम्मों पर चला गया.

 

मैंने पहले तो हाथ रखा और रुक गया. उसने कुछ हरकत नहीं की. तो धीरे धीरे मैं नीरजा के मम्मों को दबाने लगा.

 

कोई दो मिनट तक नीरजा की तरफ से कोई हरकत नहीं होने से मेरी हिम्मत बढ़ गई. मेरा हाथ नीरजा के टॉप के अन्दर घुस गया. नीरजा के निप्पल टाइट हो गए थे.

 

मैं नीरजा के दोनों मम्मों और निप्पलों को बारी बारी से मसलने लगा. नीरजा ने कोई विरोध नहीं किया, उसने सिर्फ अपना हाथ मेरे हाथ पर रख दिया. लेकिन मेरे हाथ को हटाने की कोशिश नहीं की. ये मेरे लिए ग्रीन सिग्नल था.

 

मैं नीरजा के मम्मों को छोड़ कर उसकी बुर की तरफ आ गया. पहले पैंटी के ऊपर से बुर को हल्का रगड़ा, तो महसूस हुआ नीरजा की पैंटी गीली हो रही थी. मेरा हाथ बुर को महसूस करने लगा. नीरजा की पैंटी के अन्दर नंगी बुर पर आ गया. मेरे हाथ की उंगलियां नीरजा की बुर के होंठों को खोल कर अन्दर घुसने लगी, जिससे नीरजा गर्म होने लगी.

 

वो चाचा के साथ लेटी होने के कारण ज्यादा हिल नहीं सकती थी, न आवाज कर सकती थी. उसने अपना हाथ अपने मुँह पर रख लिया.

 

मैं तेजी से उसकी बुर में उंगली कर रहा था, जिससे नीरजा की बुर ने पानी छोड़ दिया. मेरा हाथ नीरजा की बुर के पानी से गीला हो गया, जिसे मैंने नीरजा की पैंटी में ही साफ कर दिया.

 

अगले दिन जब चाचा आफिस चले गए छोटे चाचा भी गांव चले गए थे. उनके जाने के बाद नीरजा फिर से नहाने गई. तो वो टॉवल, कमरे में ही छोड़ कर बाथरूम में घुस गई.

 

मैं फिर से नीरजा को नंगा नहाते देखने लगा. जब नीरजा नहा चुकी, तो उसने मुझे टॉवल देने को बोला.

 

जब मैंने पूछा- टॉवल लेकर क्यों नहीं गई थीं?

तो वो बोली- कपड़े धोने थे तो टॉवल टांगने की जगह नहीं थी.

 

मैं हाथ बढ़ा कर टॉवल नीरजा को देने लगा, जिसके लिए नीरजा ने हल्का सा दरवाजा खोला. लेकिन नीरजा के नंगे जिस्म की हल्की झलक मुझे मिल ही गई.

 

नीरजा बदन को पौंछ कर बाहर आई और अपने बालों को झटका, तो पानी की बूंदें मेरे चेहरे पर टकरा गईं.

 

थोड़ी देर पहले ही मैंने नीरजा की नंगी नहाते देखा था. मैंने नीरजा को पकड़ लिया.

 

और रात के बारे में कुछ बोलता, इससे पहले ही नीरजा बोल उठी- राज मुझे छोड़ो, खाना बनाना है मुझे.

वो मेरा हाथ झटक कर किचन में घुस गई.

 

मैं भी झिझक के मारे उससे कुछ ज्यादा न कह सका. अब तक दोपहर के 12 बज गए थे. चाचा के लंच के लिए आने का टाइम हो रहा था. इसलिए मैंने भी कुछ नहीं किया.

 

आज चाचा भी दस मिनट पहले ही आ गए थे. मैं उनके सामने खटिया पर लेटा हुआ एक किताब पढ़ रहा था.

 

चाचा ने मुझसे कुछ नहीं कहा. वो लंच करके फिर से चले गए.

 

अब मेरे पास पूरा टाइम था.

 

नीरजा और मैं लंच करके बेड पर आराम करने लगे. नीरजा मेरे साथ बेड पर लेटी थी. उसके हाथ में मैगज़ीन थी. मेरा ध्यान सिर्फ नीरजा के जिस्म पर था. आग दोनों तरफ लगी थी, लेकिन शुरू मुझे ही करना था.

 

मैंने अपना हाथ नीरजा के मम्मों पर रखा और नीरजा को अपनी तरफ चिपका लिया.

 

नीरजा- ये क्या कर रहे हो राज?

मैं- तुम्हें प्यार कर रहा हूँ.

 

नीरजा- पागल हो क्या?

मैं- पागल तो तुमने गांव में ही कर दिया था, जब मेरा पैर तुमने अपने पैरों के बीच में दबा लिया था. वक़्त और मौका नहीं मिला था और न ही तुमने मुझे कुछ करने दिया था.

नीरजा इठला कर बोली- अच्छा मौका मिलता तो क्या करते?

मैं- कल रात में जो किया था, क्या भूल गई उसे?

 

नीरजा- रात को तुमने ठीक नहीं किया. मौसाजी जाग जाते तो!

मैं- मुझे पता था तुम ऐसा कुछ नहीं करोगी कि चाचा जग जाएं और तुमने वही किया. वैसे रात में पानी बहुत निकाला था.

नीरजा- तुमने इतना गरम कर दिया था, तो पानी तो निकलता ही. फिर तुम उंगली इतनी जल्दी जल्दी कर रहे थे, तो मुझसे रहा ही न गया.

 

मैं- रात में दिखा नहीं था, कैसे पानी निकला!

नीरजा- तो अब क्या करने का इरादा है?

मैं- जो रात में नहीं हुआ था वो!

नीरजा- रात में क्या नहीं हुआ तुमने बुर में उंगली घुसा दी, मेरा पानी निकाल दिया और क्या चाहिए तुम्हें?

 

उसके मुँह से बुर शब्द सुनते ही मैंने नीरजा का गाउन ऊपर कर दिया. उसके ब्रा के साथ ही उसके गाउन को निकाल दिया और नीरजा के मम्मों पर टूट पड़ा.

 

नीरजा भी मस्ता गई. मैं उसके मम्मों मसलने और चूसने लगा.

 

नीरजा- आह राज दर्द हो रहा है इतनी जोर से कर रहे हो!

मैं- दर्द तो रात में भी हो रहा था, तब कुछ नहीं बोलीं. अभी तो दर्द की शुरुआत है जान.

नीरजा- ऐसी शुरुआत है तो अंत कैसा होगा. प्लीज धीरे करो आंह निप्पल इतनी तेज मत खींचो यार लगती है. रात में भी तुमने तेज मसल दिए थे, बहुत दर्द हो रहा था.

मैं- दर्द के साथ मजा भी तो ले रही थीं.

वो हंस दी.

 

मैं नीरजा के मम्मों और निप्पलों को बेदर्दी से चूस रहा था. मेरा एक हाथ नीरजा की पैंटी के अन्दर घुस गया और नीरज की बुर की फांकों को खोल कर उंगली नीरजा की गीली हो चुकी बुर की गहराई नापने लगी.

 

नीरजा ने अपनी टांगें खोल दीं- उफ्फ राज तुमने मेरी बुर में आग लगा दी आंह बहुत अच्छा लग रहा है. ऐसे ही करते रहो.

मैं- आज तो तेरी बुर का पानी निचोड़ लूंगा.

नीरजा- सिर्फ उंगली से ही करते हो या कुछ और भी करते हो.

मैं- पहले उंगली से तेरी बुर की गहराई तो देख लूं.

 

नीरजा का हाथ मेरी लुंगी के अन्दर छिपे लंड पर चला गया. उसने मेरी लुंगी हटा दी और नीरजा मेरे लंड को मसलने लगी.

 

नीरजा- तेरा लंड तो बहुत गर्म है. बहुत मस्त है जल्दी से इसे मेरी बुर के अन्दर डाल दे मेरी बुर लंड की बहुत प्यासी है.

मैं- पहले तूने लंड लिया है क्या?

नीरजा- हां क्लास के एक लड़के ने ऊपर से रगड़ा था मगर वो अन्दर नहीं घुसा पाया था. कहीं तू भी उसकी तरह ऊपर से रगड़ कर पानी तो नहीं छोड़ देगा?

 

इतना सुनते ही मैंने नीरजा की पैंटी को उतार कर उसको पूरी नंगी कर दिया और उसकी मस्त गुलाबी फूली हुई बुर को देखने लगा.

 

नीरजा- ऐसे क्या देख रहा है कभी नंगी लड़की नहीं देखी क्या?

मैं- देखी तो है, लेकिन इतने नजदीक से नहीं देखी और अपने साथ बिस्तर पर नंगी कभी नहीं देखी.

नीरजा- वैसे किसको देखा है?

 

मैं- तुझे दो दिन से खिड़की से झांक कर नहाते हुए नंगी देख रहा हूँ. पर अब तुझे नजदीक से देख रहा हूँ.

नीरजा- हम्म बाद में देख लेना अच्छे से अभी तो जल्दी से चोद दे. मेरी बुर में आग लगी है रात से तूने आग लगा दी है. आज अगर तू कुछ नहीं करता, तो मैं ही तुझे पकड़ कर चोद देती.

मैं- इतनी आग लगी है तेरी बुर में! देखूँ तो सही कितनी गरम है.

 

इतना बोल कर मैं उस वैरी सेक्सी गर्ल के पैरों के बीच में आ गया और नीरजा की बुर खोल कर अपना लंड नीरजा की बुर के गुलाबी होंठ पर रगड़ने लगा.

बुर पर लंड की रगड़ नीरजा से बर्दाश्त नहीं हुई. नीरजा की बुर गीली हो गई थी. वो गांड उठाते हुए लंड अन्दर लेने की कोशिश करने लगी.

 

नीरजा- प्लीज राज तड़पा मत यार अन्दर डाल कर चोद दे मुझे.

मैं- हां यही तो तेरे मुँह से सुनना था मुझे.

 

मैंने नीरजा की गीली हो चुकी बुर में धक्का दे मारा. नीरजा पहले ही अपनी बुर में लंड लेने के लिए गांड उठाए थी. मेरे तगड़े धक्के से लंड का सुपारा नीरजा की बुर में घुस गया.

 

मेरे मोटे लंड के लिए नीरजा की बुर बहुत टाइट थी. अभी तक उसकी बुर में सिर्फ उंगली या पेन पेन्सिल ही घुसी थी. वो दर्द से दोहरी हो गई और उसने अपने दांत दबा कर लंड के दर्द को सहन करने की कोशिश की.

 

मैंने एक और तेज धक्का मारा. मेरा आधा लंड नीरजा की बुर खोलता हुआ अन्दर घुस गया.

 

नीरजा तड़फ उठी- राज बहुत तेज दर्द हो रहा है रुक जा अभी.

मैं- लंड बाहर निकाल लूं क्या?

नीरजा- नहीं बाहर मत निकलना, वरना फिर से अन्दर डालेगा तो फिर दर्द होगा. थोड़ी देर यूं ही रुक जा बस. पहले तूने किसी को नहीं चोदा क्या?

 

मैं नीरजा के निप्पलों को मसलने और चूसने लगा.

 

मैं- चोदा है, लेकिन वो आंटी थी. दो बच्चों की माँ थी. उसकी चूत तो पहले ही इतनी खुली थी कि लंड को कसावट का मालूम ही नहीं चला था. तेरी बुर तो बहुत टाइट है.

नीरजा- हां अब तक इसमें कोई लंड नहीं गया न चल अब पूरा अन्दर कर दे.

 

इतना सुनते ही मैंने एक और धक्का मार कर पूरा लंड नीरजा की बुर में जड़ तक घुसेड़ दिया.

 

नीरजा की चीख निकलती, लेकिन नीरजा ने अपने हाथ से अपना मुँह बंद कर दिया. नीरजा की आंखों में आंसू आ गए. मेरा लंड सीधा बच्चेदानी से टकराया.

 

नीरजा- उई माँ मर गई राज तेरा लंड बहुत मोटा है थोड़ी देर यहीं रोक के रख!

मैं- मेरा लंड तो ऐसा ही है तेरी बुर बहुत टाइट है. अभी तक लंड नहीं लिया न तूने.

नीरजा- हां लेकिन उंगली तो बराबर करती थी. इसलिए दर्द कम हुआ. झिल्ली भी टूट गई है वरना ब्लड भी आ जाता.

 

मैंने कुछ पल रुक कर उसे दूध चूसे और पूछा- हां अब बोल आगे चलूँ?

नीरजा- हां अब कुछ दर्द कम है धीरे धीरे चोदो.

 

मैंने अपना लंड धीरे धीरे नीरजा की बुर में अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया. लंड की रगड़ से नीरजा की बुर एक बार फिर से पिघल गई. मेरा लंड नीरजा की बुर के रस से नहा गया.

 

नीरजा- आह बहुत अच्छा लग रहा है राज आज तुम्हारा लंड लेकर मजा आ गया. मुझे तो लगा था कहीं तुम भी राकेश की तरह बुर पर लंड रखते ही झड़ गए, तो मेरी बुर का क्या होगा.

मैं- ये लंड तो 28 साल की रेणु की बुर की गर्मी पी चुका है. तेरी बुर में उससे बहुत ज्यादा गर्मी है. वैसे तेरी बुर में घुस कर मेरे लंड को मजा आ गया. तेरी बुर की रगड़ मेरे लंड को गरम कर रही है. मैं अभी और अन्दर बाहर करूंगा.

नीरजा- हां तो रोका किसने है ऐसे ही चोदते रहो. तुम्हारे लंड की रगड़ मुझे भी अच्छी लग रही है.

 

मैं फिर से इकसठ-बासठ करने लगा. जैसे जैसे नीरजा की बुर में लंड की जगह बन रही थी, मेरा लंड स्पीड बढ़ा रहा था. अब मैं अपने लंड को पूरा बुर से बाहर निकाल कर तेज धक्के के साथ लंड अन्दर घुसाने लगा था.

 

नीरजा भी गांड उठा कर मेरे धक्कों का जवाब देने लगी थी.

 

उसका अब तक तीन बार बुर का जूस निकाल चुकी थी. लंड भी अब तक पूरी जगह बना चुका था. मैं और नीरजा दोनों ही पसीने से भीग चुके थे. मेरे धक्के गहरे और तेज होने लगे थे.

 

नीरजा भी गांड उठा कर धक्के के साथ ताल मिला रही थी. मेरी जांघें नीरजा की गांड से टकरा के तबले की आवाज निकाल रही थीं. लंड के साइड से बह कर नीरजा की बुर का पानी गांड के छेद से होता हुआ नीचे रखी नीरजा की पैंटी को गीला कर रहा था.

 

नीरजा- ओह्ह यस राज जोर जोर से चोदो आंह बहुत मजा आ रहा है आह मेरी बुर की प्यास आज तुमने बुझा दी है.

मैं- मेरा पानी निकलने वाला है.

नीरजा- अन्दर मत निकालना मेरे फेस पर निकालो.

 

मेरा लंड नीरजा की बुर में फूलने लगा मेरे लंड की नसें तन रही थीं. लंड में रक्त संचार बढ़ने लगा था. लंड की रगड़ से नीरजा की बुर भी सिकुड़ने लगी थी. ऐसा लगने लगा था, जैसे बुर लंड को निचोड़ लेगी.

 

मेरे धक्के तेज और गहरे होने लगे. नीरजा ने पूरी गांड ऊपर उठा दी और बहुत तेज झड़ने लगी. मेरे गोटे भी तैयार थे. मैंने अपना लंड जैसे ही नीरजा की बुर से बाहर निकाला, लंड ने फव्वारा छोड़ दिया, जो नीरजा की बुर से फेस तक लाइन बनाता चला गया.

 

नीरजा ने मेरे लंड का पानी अपने जिस्म पर क्रीम की तरह मल लिया. हम दोनों थक के एक दूसरे से चिपक के नंगे ही लेट गए.

 

शाम 4 बजे तक हम दोनों ने 2 राउंड चुदाई की. फिर दोनों नहा कर ऐसे रेडी हो गए, जैसे कुछ हुआ ही नहीं हो.

 

मैं वहां दो हफ्ते रुका और रोज नीरजा की चुदाई करता. नीरजा चुदाई के बाद मेरे लंड के जूस को अपने जिस्म पर मल लेती, जिससे उसके जिस्म पर एक चमक आने लगी थी. 

Share:

जन्मदिन पर वर्जिन गर्ल की सील तोड़ी

मुझे एक दिन एक लड़की का इंस्टाग्राम पर एक मैसेज आया। उसका नाम रितिका (बदला हुआ नाम) था। वो मेरे ही शहर की एक प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान की छात्रा है। धीरे धीरे बातें शुरू हुई.

पहले तो उसने मुझे परखा कि मैं असली हूँ या नहीं।

जाहिर सी बात है लड़कियों के मन में एक शंका तो होती ही है। लेकिन मैंने उसे यकीन दिलाया कि मैं असली हूँ और जो भी बातें हमारे बीच होंगी, वो पूरी तरह से गोपनीय रहेगी, और इंस्टाग्राम या मेल तक ही सीमित रहेगी।

 

जब उसे तसल्ली हो गयी तो उसने मुझे बताया कि वो 19 साल की होने वाली है और कुछ ही दिनों में उसका जन्मदिन आने वाला है।

वो अपने 19वां जन्मदिन को यादगार बनाना चाहती है।

 

मैंने उसे कहा- आप जगह और समय बता दीजियेगा; मैं आपकी सेवा में हाजिर हो जाऊंगा।

उसने कहा- अभी कुछ दिन बाकी हैं मैं होटल में रूम बुक करके बता दूंगी।

 

इस तरह से हमारे बीच इंस्टाग्राम में बातें होती रही और सेक्स की भी बात हो जाती थी।

लेकिन मैंने उसकी तस्वीर या फ़ोन नंबर नहीं लिया क्योंकि मेरा मानना है कि हर चीज़ गोपनीय रहना चाहिए.

 

आजकल इंटरनेट के युग में चीज़ें वायरल होने में देर नहीं लगती।

और एक लड़की के लिए उसका इज़्ज़त ही सबकुछ होता है. इसलिए इन सब मामलों में मैं सावधानी बरतता हूँ।

 

खैर कहानी पर आते हैं.

उसने मुझे बताया कि वो अभी तक कुंवारी है और अपनी चूत पे उंगली के अलावा कुछ नहीं डाला।

वह अपने 19वें जन्मदिन पर वो सील तुड़वा कर इसको यादगार बनाना चाहती है.

और उसकी कुछ फंतासी भी है जो वो पूरा करना चाहती है।

 

मैं मन ही मन बड़ा खुश हुआ कि सील तोड़ने का मौका मिलेगा।

दोस्तो, bur की सील तोड़ने का मौका नसीब वालों को ही मिलता है, यह सुख सबकी किस्मत में नहीं होता।

 

मैं उस दिन का इंतज़ार करने लगा. अब मेरे लिए एक एक दिन काटना मुश्किल हो गया था और उसके लिए भी।

 

रोज इंस्टाग्राम में सेक्स की बात होती. मैं भी मुठ मारता और वो भी उंगली कर लेती।

 

हालांकि हम दोनों ने एक दूसरे को नहीं देखा था. फिर भी कल्पना कर के ही दोनों हाथ से काम चला रहे थे।

दोस्तो, जब आप किसी को देखे नहीं हो और उसके बारे में सोच के मुठ मारो तो उसका मज़ा कुछ और ही होता है।

 

खैर दोस्तो आखिर वो दिन आ गया जिसका दोनों को बेसब्री से इंतजार था।

 

उसे मैंने जन्मदिन की बधाई दी तो उसने गिफ़्ट की मांग की.

मैंने कहा- ऐसा गिफ्ट दूंगा जो ज़िन्दगी भर याद रहेगा।

 

फिर उसने मुझे होटल का नाम और रूम नम्बर बताया।

 

मैं तैयार होकर उसके लिए केक लेने गया क्योंकि जन्मदिन के दिन खाली हाथ जाना मुझे सही नहीं लगा.

मैने एक बुके भी ले लिया।

 

मैं सब कुछ लेकर तय समय पर होटल पहुँच गया।

 

मेरी धड़कनें तेज़ हो रही थी और सब्र भी नहीं हो रहा था।

मैंने उसके रूम के पास पहुँच कर उसे मैसेज किया.

वो मुझे बाहर लेने आयीं।

 

दोस्तो, मुझे अपनी आंखों पर यकीन नहीं हुआ और किस्मत पर भी वो रूप की रानी लग रही थी।

उसने बैंगनी रंग की वन पीस पहन रखी थी जो उसके घुटने के ऊपर तक थी. जिसमें उसकी गोरी टाँगें साफ साफ नजर आ रही थी।

वो इतनी खूबसूरत थी कि मैं बयां नहीं कर सकता।

 

उसने मुझे हेलो कहा।

मैंने भी हेलो और हैप्पी बर्थडेबोला।

उसने मुस्कुराकर थैंक यूबोला।

उसने कहा- अंदर चलो।

 

वो मेरे आगे थी, उसके बड़े बड़े चूतड़ देख कर मेरा लंड पर काबू करना मुश्किल हो गया था।

दोनों अंदर पहुँचे, रूम लॉक किया।

 

मैंने उसे बुके दिया.

केक देखकर उसने कहा- इसकी क्या जरूरत थी।

मैंने कहा- तुम्हारा जन्मदिन यादगार बनाना है इसलिए!

 

अरे मैं आपको उसका फ़िगर बताना तो भूल ही गया. माफ किजयेगा मैं उसकी खूबसूरती में खो गया था।

 

उसके चुचे 30 के होंगे, कमर 26 और चूतड़ 30.

तो कुल मिलकर एक सेक्स की मूरत।

आप भी अब कल्पना कर के मुठ मार सकते हैं।

 

उसके बाद मैंने केक को टेबल पर सजा दिया और मोमबत्ती लगा दी।

उसने फूंक मारकर मोमबत्ती बुझाई.

मैंने हैप्पी बर्थडे गाना गाया।

 

मोमबत्ती बुझाने के बाद उसने केक काटा और एक टुकड़ा मुझे खिलाया।

मैं भी उसको एक टुकड़ा खिलाया।

 

उसने कहा- मेरा गिफ्ट कहाँ है?

मैं बोला- मैं गिफ्ट देने के लिए ही आया हूं.

यह बोलकर मैंने उसके होंठों से होंठ लगा दिए और लिप लॉक कर दिया।

 

उसने मेरे मुंह में अपना जीभ डाल दी. मैं उसकी जीभ चूसने लगा. फिर मैंने उसके मुख में अपनी जीभ डाल दी. वो भी मज़ा लेकर चूसने लगी।

 

इस तरह करीब 5-7 मिनट तक हमारा किस चला।

उसके बाद दोनों अलग हुए।

 

वो थोड़ी शर्मा रही थी।

मैंने उससे कहा- शर्माओ मत बस मज़ा लो आज!

 

वो मुझे देखकर हँसने लगी.

मुझे समझ नहीं आया वो हंस क्यों रही है।

फिर मैंने आईने में देखा तो पता चला कि उसकी लिपस्टिक मेरे होंठों पर लगी हुई थी।

फिर मैं भी हँसने लगा।

 

मैंने उसे पौंछने के लिए तौलिया उठाया तो उसने रोक दिया और कहा- मत पौंछो. ये मेरी पहली निशानी है।

और हँसने लगी।

मैंने कहा- ठीक है. वैसे भी तौलिया कुछ और पौंछने के काम आएगा।

वो फिर से शर्मा गयी।

 

मैंने उसका कमर पकड़ा और अपनी ओर खींच लिया और किस करना शुरू कर दिया.

वो भी मेरा पूरा साथ देने लगी।

किस करने में वो पूरी माहिर थी।

 

मैं अपना एक हाथ उसके पीछे ले गया और पैंटी के ऊपर से ही सहलाने लगा। वो भी ऊपर से ही मेरे लंड को सहला रही थी।

 

अब मैंने उसका ड्रेस उतार दिया और वो सिर्फ ब्रा पेंटी में आ गयी।

उसका गोरा बदन और ऊपर से गुलाबी रंग की ब्रा और पेंटी पूरा कहर ढा रही थी।

 

उसने भी मेरे कपड़े उतार दिये और मैं सिर्फ चड्डी में आ गया।

 

मैं उसका गोरा बदन को देख ही रहा था. पता नहीं क्यों मुझे देखते रहने का ही मन कर रहा था।

 

मेरा लंड पूरा तना हुआ था और चड्डी का तंबू बना दिया था।

वो ध्यान से उसे ही देख रही थी।

 

अब मैंने उसकी ब्रा उतारनी चाही।

उसने अपनी पीठ मेरी तरफ करके इसकी इजाजत दे दी।

 

जैसे जैसे मैं ब्रा के हुक खोल रहा था, दोनों की सांसें तेज़ हो रही थी।

उसकी ब्रा में 4 हुक थे. आखरी हुक खोलते ही मैंने ब्रा उतार फेंकी।

 

अब मैंने उसे अपनी ओर मोड़ा. उसने बाजू क्रोस करके आपने दोनों चूचों को छुपा कर रखा था और नज़रें नीचे झुकाये थी।

 

दोस्तो, ये दुनिया का सबसे सेक्सी नज़ारा होता है. जब एक लड़की पेन्टी में नज़रें झुकाये अपने चूचों को छुपाने का असफल प्रयास करती है।

 

अब मैंने अपने हाथ से उसका हाथ हटाया और उसके दोनों चूचों को आज़ाद कर दिया।

 

ज़न्नत का नज़ारा था दोस्तो

नारंगी के आकार के चूचे उनके ऊपर भूरे रंग के तने हुए अंगूर जैसे निप्पल!

 

मैं 5 मिनट तक तो बस देखते ही रह गया।

इतनी सेक्सी लग रही थी बता नहीं सकता।

 

उसके बाद मैंने उसके निप्पल को आपने उंगलियों में फंसा कर खींचा वो सिहर उठी और उसके मुंह से सिसकारी निकल गयी।

 

अब मैं धीरे धीरे उसकी चूची दबाने लगा।

वो ओह आ ओह!करके मज़ा ले रही थी।

 

अब मैंने उसके एक चूचे को मुख में भर लिया और उसके निप्पल को जीभ से दबाने लगा।

उसके मुलायम चूचे के ऊपर सख्त निप्पल चूसने में बहुत मज़ा आ रहा था।

अब उसकी सिसकारियां भी तेज हो रही थी।

 

उसके बगल के बाल सुनहरे रंग के थे जो मुझे बहुत सेक्सी लग रहे थे।

मैं उसके बगल को चाटने लगा।

 

उसके बगल से आ रही मादक खुशबू मुझे पागल बना रही थी।

मैं बता दूँ दोस्तो मुझे लड़कियों के बग़ल के बाल बहुत सेक्सी लगते हैं।

 

उसके बग़ल का स्वाद और चूचों का रसपान करने के बाद उसने कहा- अब अपने लंड का दर्शन करवा दो. अब और इंतज़ार नहीं होता।

मैंने उससे कहा- ये आज तुम्हारी ही सेवा करने आया है. खुद उतार के देख लो।

 

वो झट से मेरी चड्डी के पास मुंह ले गई और ऊपर से ही चाटने लगी।

मैं उसका सर पकड़ कर जोर जोर से आपने लंड के ऊपर दबा रहा था।

 

अब उसने धीरे से मेरी चड्डी उतारी और अब मेरा लंड उसे सलामी देने लगा।

वो एक हाथ से मेरे लंड को पकड़कर ध्यान से देखने लगी।

और फिर अपनी जीभ को मेरे लंड से लगा दिया।

 

मैं तो जैसे सातवें आसमान पर पहुँच गया।

 

कुछ देर ऐसे जीभ से चाटने के बाद उसने मेरे लंड को अपने मुख में भर लिया और चूसने लगी। वो मेरे लंड को पूरा मुख में भर लेती।

 

इतनी सेक्सी लड़की लंड चूस रही हो तो मैं भला कितना देर टिक पाता।

मैंने जोर से आवाज़ करते हुए लंड उसके मुख से निकाला और उसके चेहरे पर ही झड़ गया।

 

2-3 पिचकारियों के साथ मेरा वीर्य उसके चेहरे और बालों में लग गया।

 

मैं निढाल होकर साइड में लेट गया और जोर जोर से सांस लेने लगा।

उसने टिश्यू पेपर से खुद को साफ किया और मेरी ओर देख के मुस्कुराने लगी।

 

थोड़ी देर बाद मैं सामान्य हुआ तो मैंने कहा- अब मेरी बारी है तुम्हारी पेंटी उतारने की।

उसने मुस्कराकर मुझे इजाजत दी।

 

मैं उसके पेंटी के पास पहुँचा और ऊपर से ही चाटने लगा।

वो मेरा सर अपने दोनों हाथों से दबाने लगी थी।

 

उसके मुंह से निकल रही मादक आवाज़ मुझे और भी उत्तेजित कर रही थी।

अब मैं उसकी पेंटी उतारने के लिए तैयार था। वो अब भी थोड़ी थोड़ी शर्मा रही थी।

 

मैं अपना दोनों हाथ उसके पीछे ले गया और धीरे धीरे उसकी पैंटी उतारने लगा।

पेंटी उतारने के बाद का नज़ारा देखने लायक था।

मुझे तो यकीन नहीं हो रहा था।

सुनहरी झांटों के बीच उसकी फूली हुई चूत।

 

मैं कुछ देर वहीं बैठकर इस नज़ारे को देखने लगा।

 

इसके बाद मैंने देर न करते हुए चूत को चाटना शुरू किया और वो मुख से आवाज़ निकालकर मेरे जोश को और बढ़ा रही थी।

 

मैं जीभ से उसके दाने को छेड़ रहा था.

उसने दोनों हाथों से मेरा सर अपने चूत में दबा रखा था।

 

मैं कभी उसके दाने को चाटता, कभी उसके कुंवारी छेद में जीभ घुसने का प्रयास करता।

 

अब वो पूरी तरह गर्म हो चुकी थी और मेरा लंड लेने के लिए तैयार थी।

मैंने देर न करते हुए उसे पूछा- तुम तैयार हो?

उसने अपना सर हिलाकर हाँ कहा।

 

मैंने उसके गांड के नीचे तकिया रखा जिससे चूत थोड़ी ऊपर हो जाए. मैं उसे किस करने लगा और हाथ से उसकी चूची दबा रहा था और अपना लंड उसकी चूत पर रगड़ने लगा।

 

दोस्तो, आपको बता दूं कि कुंवारी चूत को चोदने से पहले उसे तैयार करना पड़ता है. अगर बिना तैयार किये ही चुदाई शुरू कर दी तो लड़की को ज्यादा दर्द तो होगा ही साथ साथ लड़की के मन में आगे चुदाई का डर बैठ जाएगा।

 

मैं मेरी पाठिकाओं को यह सलाह देना चाहूंगा कि वो अनुभवी आदमी से ही सील तुड़वायें. या सील तुड़वाने से पहले किसी अनुभवी आदमी की सलाह जरूर लें।

 

चलिए सेक्सी चुदाई स्टोरी पर वापस आते हैं.

 

वो अब मेरा लंड लेने के लिए पूरी तरह तैयार थी. उसकी तेज़ सांसों और सिसकारियों से यह पता लग रहा था।

 

मैंने भी देर न करते हुए उसके उसके होंठों को अपने होंठों से दबाया और लंड चूत में सेट कर के एक जोरदार धक्का लगाया।

 

धक्का लगते ही लंड चूत के सील को चीरता हुआ अंदर प्रवेश कर गया।

 

उसने जोर से मेरे होंठों को दबाया जिससे मुझे पता चला कि उसे थोड़ा दर्द हुआ.

उसकी आँखों से आंसू निकल आये।

 

यह वो मीठा दर्द था जो हर लड़की को सहना ही पड़ता है।

 

अब तक मेरा आधा लंड ही चूत में घुसा था. और उसकी चूत से निकला शगुन रूपी खून यह बता रहा था कि वो अब कली से फूल बन चुकी है।

 

मैं कुछ देर ऐसे ही रुका रहा.

 

जब वो सहज हुई तो एक और धक्के के साथ पूरा लंड चूत की गहराई में उतार दिया।

थोड़ी देर बाद धीरे धीरे धक्के लगाने लगा।

 

अब उसका दर्द खत्म हो चुका था और उसे चुदाई का मज़ा आने लगा था। उसके मुंह से निकलती सिसकारियां इसका सबूत थी।

 

वो मेरे धक्के का जवाब अपनी गांड उठा कर दे रही थी।

 

मेरे धक्कों की स्पीड अब बढ़ चुकी थी। पूरे कमरे में फच फच की आवाज़ के साथ उसकी सिसकारियां गूंज रही थी।

 

लगभग 15 मिनट की ताबड़तोड़ चुदाई के बाद मेरा शरीर अकड़ने के साथ मैं उसकी चूत में झड़ गया।

2-3 तेज़ फव्वारों के साथ मेरा माल उसकी चूत में भर गया.

 

मैं उसके ऊपर ही पड़ा रहा.

 

थोड़ी देर बाद उसने खुद को अलग किया और अपना चूत देखने लगी। जहाँ अभी मेरा वीर्य लगा गया था उसके साथ खून भी था।

 

वो चूत देखने के बाद मेरी ओर देखकर मुस्कुराने लगी और बाथरूम चली गयी. वहाँ उसने खुद को साफ किया।

 

वापस आकर वो मेरा लंड चूसने लगी।

मेरा लंड उसके मुंह में जाते ही वापस खड़ा हो गया और चुदाई के लिए तैयार हो गया।

 

अब मैंने उसे घोड़ी बनने को कहा। वो फटाफट घुटने के बल लेटकर गांड उठाकर तैयार हो गयी।

 

मैंने उसकी गांड और चूत को चाटना शुरू किया।

 

जब वो तैयार हो गयी तो मैंने लंड सेट किया और एक धक्के के साथ पूरा लंड उसकी चूत की गहराई में उतार दिया।

वो भी गांड धकेल कर मेरे धक्कों का जवाब दे रही थी।

पूरा कमरे में चुदाई की आवाज़ आ रही थी।

 

ताबड़तोड़ चुदाई के बीच मेरी नज़र उसकी गांड के छेद पर गयी जो कभी खुल रही थी और कभी सिकुड़ रही थी।

ये चीज़ मुझे आकर्षित कर रही थी।

 

ताबड़तोड़ चुदाई के बाद में झड़ गया और वीर्य उसके चूतड़ों पर गिरा दिया।

 

इसके बाद दोनों बाथरूम में गए जहाँ दोनों साथ में नहाए. वहाँ मैंने उसे एक और राउंड चोद दिया।

 

अब मैं घर जाने के लिए तैयार होने लगा तो उसने मुझे किस किया और विदा कहा।

साथ ही आगे फिर मिलने का वादा किया। 

Share:

चचेरी बहन की चूत की सील भी मैंने ही तोड़ी

मेरी उम्र 22 वर्ष है और मेरी चचेरी बहन की 19 वर्ष है. वह दिखने बिल्कुल हिरोईन की तरह दिखती है. जब वह चलती है तो बुड्ढों का लण्ड भी खड़ा हो जाता है। मेरे परिवार में हम 4 सदस्य है मम्मी, पापा मेरा छोटा भाई और मैं!

और मेरे चाचा के परिवार में चाचा, चाची, मेरी चचेरी बहन पुण्या और एक चचेरा भाई है। मेरा लण्ड 7 इंच लम्बा और 2 इंच मोटा है. तथा मेरी चचेरी बहन पुण्या के बदन का साईज 32-30-34 है।

बात उन दिनों की है जब मेरी चचेरी बहन की 12वीं की परीक्षा खत्म हो गयी थी तथा वह घर पर ही रहती थी। मेरे कॉलेज की भी लास्ट ईयर की परीक्षा खत्म हो गयी थी तो मैं घर पर ही रहता था।

 

मेरे चाचा का घर पास में ही होने से मैं वहाँ चला जाता था। मेरे चाचा की दुकान बाजार में है तो वह सुबह से रात तक वहीं रहते थे।

मेरी चाची स्कूल में टीचर हैं, वे शाम को 4 बजे तक घर आती हैं।

इस तरह घर में मैं और मेरे चचेरे भाई बहन ही रहते थे।

 

शुरुआत में मैं अपनी चचेरी बहन के बारे में कुछ भी गलत नहीं सोचता था. पर एक दिन मेरा चचेरा भाई दुकान पर गया हुआ था.

मैं और मेरी चचेरी बहन पुण्या आपस में बात कर रहे थे तो उसने कहा- भैया, मुझे कॉलेज के बारे में कुछ बताओ. मैं भी अब कॉलेज जाऊंगी.

 

तो मैं उसे कॉलेज के बारे में बता रहा था. मैंने उसे बताया कि वहाँ लड़के लड़की साथ साथ घूमते हैं.

उसने कहा- भैया, फिर तो आपकी भी कोई लड़की दोस्त होगी?

तो मैंने हाँ कहा और उसे बताया- जब तू भी कॉलेज जाएगी तब तुझे भी पता चल जायेगा।

 

फिर बातें करते करते हम मस्ती करने लगे तो अचानक एक छिपकली उसके ऊपर गिर गयी जिससे वह डरकर मुझसे लिपट गयी और कस कर मुझे पकड़ लिया. इस कारण उसके बूब्स तथा निपल्स मेरे सीने दब गये जिन्हें मैं महसूस कर रहा था। इससे मेरा लण्ड खड़ा होकर उसकी जांघों के बीच जा रहा था।

 

क्योंकि उन दिनों गर्मियाँ थी तो मैं हाफ केप्री में था जिसके कारण वो शर्माकर अलग हो गयी और मेरा लण्ड खड़ा होने के कारण केप्री में तम्बू बन गया जिसे वह बार बार देख रही थी।

यह मैंने नोटिस कर लिया था।

 

पुण्या- भैया, मैं चाय बनाकर लाती हूँ।

मैं- ठीक है।

मैंने पहली बार अपनी चचेरी बहन को एक जवान लड़की की नजर से देखा।

 

फिर मैंने अपने मोबाइल में भाई बहन वाली चुदायी की एक कहानी निकालकर रख दी। तब तक वह चाय बनाकर लेकर आ गयी. फिर हमने चाय पी.

 

तब मैंने उसको कहा- मैं 10 मिनट में आता हूँ.

और मैं चला गया। मैं अपना मोबाइल वहीं छोड़ गया था. क्योंकि मेरे चचेरी बहन के पास मोबाइल नहीं था तो वह मेरा मोबाइल चला लेती थी।

तो वह मेरा मोबाइल चलाने लगी।

 

10 मिनट बाद मैं वापस आया तो देखा की वह कहानी पढ़ते हुये अपनी चुत को ऊपर से सहला थी। मैंने उसको आवाज लगायी तो अचानक मेरी आवाज सुनकर वो हड़बड़ा गयी और मेरा मोबाइल रख दिया और बोली- भैया, आप ये गंदी कहानियाँ पढ़ते हो?

मैं- हाँ, कभी कभी पर तुम अभी यह सब क्या कर रही थी? मैंने सब देख लिया।

 

तो उसने गर्दन नीचे कर ली और बोली- भैया, यह जो कहानी में भाई बहन के बारे में जो लिखा है वो सच्ची है क्या?

मैंने पुण्या को बताया- आजकल यह सब होता है.

और उसके पास सटकर बैठ गया और उसे भाई बहन की चुदायी वाली कहानियाँ पढ़ने को दी.

 

मैं उसकी पीठ पर हाथ घुमाने लगा. धीरे धीरे वो गर्म होने लगी तो मैंने हाथ आगे लाकर उसकी चूची पर रख दिया और उसे बोला- पुण्या, मैं तुझे पसन्द करता हूँ. आई लव यू पुण्या।

वह मेरी तरफ देखने लगी।

पुण्या- मैं भी आपसे प्यार करती हूँ। लेकिन किसी को पता चल गया तो क्या होगा?

 

मैं- किसी को कुछ पता नहीं चलेगा, हम किसी को बतायेंगे नहीं!

और मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिये और चुम्बन करने लगा. वो भी मेरा साथ दे रही थी।

 

करीब 10 मिनट तक हम एक दूसरे को चूमते रहे, मैंने उसके गालों और होंठों को खूब चूमा चूसा और चाटा.

फिर हम अलग हुये और मैं उसके बूब्स को टीशर्ट के ऊपर से ही दबाने लगा. कभी कभी उसकी चुत को भी सहला रहा था।

 

तब मैंने उसकी टीशर्ट निकाल दी तथा सलवार के नाड़े तोड़ दिया जिससे उसकी सलवार नीचे गिर गयी. अब मेरी चचेरी बहन मेरे सामने नीले रंग की ब्रा पेंटी में थी तथा उसकी पेंटी से थोड़ी गीली थी।

 

उसने आँखें बंद कर ली. मैं उसको निहारने लगा और उसको आँखें खोलने का बोला.

 

फिर मैंने अपने कपड़े निकाले और पूरा नंगा हो गया. फिर उसकी ब्रा पेंटी को अलग करके उसको भी पूरी नंगी कर दिया। अब हम दोनों भाई बहन पूरे नंगे घर में अकेले थे।

 

मैंने उसके बूब्स को जोर से दबाये और उसके निपल्स चूसने लग गया. बारी बारी निपल्स चूसने के बाद अब उसकी चुत पर आ गया। उसकी चुत पर छोटे छोटे बाल थे। फिर मैं अपनी बहन चुत चाटने लग गया.

करीब 15 मिनट तक मैं उसकी चुत चाटता रहा था. इस टाईम तक वो एक बार झड़ गयी थी.

 

फिर मैंने उसको अपना लण्ड मुँह में लेने को बोला तो उसने मना कर दिया. काफी जोर डालने पर उसने मेरे लण्ड के सुपारे को मुँह में लिया. फिर धीरे धीरे चूसने लगी. पांच मिनट तक वह मेरे लण्ड को चूसती रही और मैं उसके मुँह को चोद रहा था, फिर मेरा वीर्य निकल गया जो आधा उसके मुँह में गिरा और आधा उसके बूब्स पर।

 

अब मैंने उसको बेड पर लिटाया और उसके नीचे तकिया लगाया जिससे उसकी चुत ऊपर उठ गयी। फिर मैंने पहले उसकी चुत पर उंगलियां घुमायी तथा एक उंगली उसके चुत में डाल दी जिससे वह चिहुँक उठी. फिर मैं क्रीम लेकर आया, उसकी चुत के अंदर तक लगायी और थोड़ी सी अपने लण्ड पर!

और फिर अपना लण्ड को उसकी चुत पर रगड़ने लगा।

 

पुण्या- भैया अब रहा नहीं जाता, जल्दी से इसे अंदर डालो।

मैं- पुण्या थोड़ा सब्र करो!

 

और फिर मैंने उसके मुँह पर हाथ रखकर बंद कर दिया और एक जोर का झटका उसकी चुत पर दिया; जिससे मेरा आधा लण्ड उसकी चुत को फाड़ते हुए अंदर चला गया.

वो चिल्ला नहीं पायी लेकिन उसकी आँखों से आंसू आ गये और मुझे धक्का देने लगी. लेकिन मैंने उसको कस कर पकड़ा था तो मुझे हटा नहीं पायी।

 

मेरी बहन की चुत की सील टूट गयी थी और उसकी चुत से खून आने लगा था।

 

मैं कुछ देर ऐसे ही रूका रहा; थोड़ी देर बाद मेरी बहन अपनी गांड को हिलाने लगी तो मैं समझ गया कि अब वह फिर से तैयार है. मैं धीरे धीरे लण्ड को अंदर बाहर करने लगा.

 

फिर थोड़ी देर बाद एक और झटका उसकी चुत पर लगाया जिससे मेरा लण्ड पूरा अंदर चला गया और उसके बच्चेदानी से टकराया।

वह छटपटाने लगी।

 

मैं फिर थोड़ी देर तक रूक गया।

जब वह थोड़ी नार्मल हुयी तब मैंने अपने लण्ड को उसकी चुत में अंदर बाहर करने लगा और जोर जोर से चोदने लगा। अब उसको भी मजा आ रहा था तो वह अपनी गांड को उछालने लगी थी।

पुण्या- आआ आहह हह भभैययया और जोर से चोदो मुझे आआआ आआआहह।

मैं भी उसको उठा उठा कर चोद रहा था और चोदते हुये उसके निपल्स को काट रहा था।

 

पूरे कमरे में हमारी चूदायी की आवाज ही गूंज रही थी।

उम्म्हअहहहययाहआआ आआह हह हहहहपुण्या जोर जोर से आवाजे निकाल रही थी।

मैं 20 मिनट तक उसको लगातार चोदे जा रहा था।

 

वह कई बार झड़ चुकी थी. फिर मेरा भी निकलने वाला था तो मैंने अपना लण्ड बाहर निकाला और उसके बूब्स पर अपना वीर्य गिरा दिया और हम दोनों थककर एक दूसरे की बांहों में लिपटे पड़े थे।

कमरे में पंखा और कूलर दोनों चल रहे थे फिर भी हम दोनों पूरे पसीने से भीग गये थे।

 

थोड़ी देर बाद मेरा लण्ड फिर से खड़ा हो गया तो इस बार मैंने उसको घोड़ी बनाकर पीछे से चोदा।

 

करीब 2 घण्टे तक हम भाई बहन ने चूदायी की और उसकी चुत में सूजन आ गयी थी। फिर चाची के आने का टाईम हो गया तो हम बाथरूम में जाकर एक साथ नहाये फिर अपने कपड़े पहने।

 

मैंने उसको एक पेनकिलर टैबलेट लाकर दी क्योंकि उससे चला नहीं जा रहा था. और उसको बोला कि जब चाची पूछे तो बोलना कि फिसल कर गिर गयी थी, पैर में मोच आ गयी.

 

उसे मैंने सोने को कह दिया और मैं घर पर आ गया. फिर शाम को मैं वापस चाचा के घर गया देखने के लिए कि कोई गड़बड़ तो नहीं हुई है।

मैंने भी अनजान बनते हुए चाची से पूछा- पुण्या नहीं दिख रही है?

तो चाची बोली- उसकी तबियत सही नहीं है, उसके पैर में दर्द है.

और बोली- तो मैडिकल से दवा लेकर आ।

 

मैं मैडिकल से दर्द टैबलेट लेकर आया और साथ में गर्भ निरोधक गोली भी लेकर आया और उसको खिला दी।

 

उसके बाद कुछ दिन ऐसे ही बिना चूदायी किये हुए निकाले. उसके बाद हमे जब भी मौका मिलता चुदायी कर लेते थे। 

Share:

Copyright © 2021 BDSM Sex Story All Rights Reserved