पिछले दिसम्बर को दीपू के जन्मदिवस पर मुझे जहां
दीपक, रीना-रंजू
और अनु दीदी की चौकड़ी के साथ रंगरेलियां मनाने का सुअवसर मिला था.
वहीं हम लोग सब न्यू ईयर पार्टी की प्लानिंग कर रहे
थे लेकिन किसी निर्णय पर पहुंचने में कामयाब नहीं हुए तो सुबह हम सब लोग अपने घरों
को लौट आए.
शाम को चुत की तलाश में मैं मामी से मिलने के लिए
उनके घर पहुंच गया.
मामी मामा नजदीक के ही एक हाउसिंग सोसाइटी के फ्लैट
में अपने दो बेटों और एक बेटी के साथ रहते थे.
मैं पहुंचा तो मामा के पूरे परिवार का सरप्राइज
रिएक्शन दिखा.
मुझे बहुत अच्छा लगा.
सामान्य भाव से मामी मुझसे मम्मी पापा और भाई बहनों
का हाल चाल समाचार पूछती रहीं.
फिर मैं अपने ममेरे बहन भाइयों के साथ कनेक्ट हो गया
और हम सब गप्प लड़ाने लगे.
मामा जी को दोनों लड़के महंत (20) और सुमंत (19)
पढ़ने में बहुत इंटेलिजेंस रहे और 22 साल की एक बेटी अर्चना, बहुत सुंदर और आकर्षक
थी.
अर्चना की कुंवारी चुत की चुदाई करने का स्वर्ण अवसर
मामी अपने घर में सौंप चुकी थीं. तब से मामी और अर्चना दोनों ने ही मुझे चुदाई के
लिए कभी भी मना नहीं किया.
अर्चना के उजले जिस्म का कटाव यही कोई 32-30-34 का
था और हाईट पूरे 170 सेंमी की थी.
वो किसी पोर्न स्टार के जैसी, किसी भी सेक्सी मर्द के हवस की पूरी
करने वाली माल लौंडिया थी.
उसके उठे हुए मम्मों को तो देखते ही उसे चोदने का मन
करने लगा था. उस पर उसके चूचों पर टंके हुए भूरे दाने, किसी पहाड़ की चोटी की तरह खड़े
अपने आपको फतह किए जाने का इंतजार कर रहे थे.
चूचों के नीचे पतली होती कमर पर तराशी हुई गहरी नाभि
किसी की भी नियत खराब करती इठला रही थी.
उसकी झील सी गहरी काली आंखों में तैरते लाल डोरे
वासना का आमंत्रण देते लग रहे थे. गोल गोल कटोरे जैसे भारी चूतड़ और चिकनी मोटी
मोटी कदली जैसी जांघों को बीच पावरोटी की तरह फूली सुनहरे रोएंदार टाईट बुर किसी
भी मर्द को घायल करने की माद्दा रखती थी.
कुल मिलाकर बीस साल की कचक जवान लड़की मेरे लंड की
पुरानी आशिक रही थी.
इशारों ही इशारों इशारे में मामी की मूक सहमति लेकर
मैं शाम होते ही अर्चना के साथ ऊपर छत पर आ गया.
नीचे दोनों लड़के पढ़ने में लीं हो गए.
और मामा मामीजी हाल में बैठे चाय की चुस्कियां ले
रहे थे.
अंधेरा होते ही चुदने को बेकरार अर्चना ने छत पर एक
गेस्ट रूम में जाते हुए आवाज लगा दी थी.
मैं गबरू जवान लड़का उसकी चुत बजाने के लिए उतावला सा
उस कमरे में आ गया था.
कमरे में अन्दर जाकर मैंने कमरे को लॉक कर दिया और
हम दोनों कामक्रीड़ा का भरपूर आनन्द लेने में लग गए थे.
ज़मीन पर एक बड़े गद्दे पर एक दूसरे को नंगा करके एक
दूसरे के गुप्तांगों को छेड़ कर उत्तेजित करने लगे. मैंने अर्चना के सुर्ख गुलाबी
होंठों को चूसने लगा और उसकी चौंतीस इंच की चूचियों को मसलने लगा.
फिर बारी बारी से दोनों चूचियों को चूसते हुए नीचे
गहरी नाभि में जीभ डाल कर चूमने लगा.
जवां हुस्न की मल्लिका अर्चना मेरा भरपूर सहयोग कर
मुझे मस्त मज़ा दे रही थी.
अब हम दोनों जल्द ही 69 की पोजीशन में आ गए और एक
दूसरे के गुप्तांगों को चुम्बन करने और चाटने लगे.
गुलाब जैसे पंखुड़ियों वाली चुत का स्वाद नमकीन और
कसैला सा लग रहा था.
अर्चना भी पहले से ज्यादा एक्सपर्ट हो गई थी और मेरे
लंड को पकड़ मस्त चुसाई कर रही थी.
अब मैं देर ना करने की सोची और ब्रेड की तरह फुली
रोएंदार मखमली चुत को चौड़ी करके जीभ से अन्दर चाटता रहा.
जवानी से चरमराई अर्चना चुदाई से इतना मगरूर हो गई
थी कि पांच मिनट में ऐंठने हुए गांड उठाने लगी और झड़ गई.
अर्चना की चुत से बहुत सारा पानी निकलने लगा. उसके
पानी से मेरा मुँह लिसलिसा सा हो गया था.
इधर मेरे 7 इंच लम्बे और 2 इंच मोटे लंड को अर्चना
बहन ने चूस चूस कर गहरा लाल कर दिया था.
वो अब सिर्फ़ और सिर्फ़ चुदाई करवाने को व्याकुल हो
रही थी.
मैंने नीचे पीठ के बल लेटकर अर्चना को दोनों टांगों
को खोल ऊपर लहराने को कहा.
उसकी बुर को फैला कर मैं अपने लंड का टोपा सैट करके
अन्दर धकेलने लगा.
एक बार मैंने उसकी नजरों से नजरें मिलाईं और अर्चना
के मुँह से सांस खींचते खींचते लंड महाराज कसी बुर चीरते हुए आधे से अधिक समा गए.
इसी के साथ अर्चना बहन एकदम से चीख मार कर मुझसे
छूटने के लिए छटपटाने लगी- अहह मेरीईई ईईई … फट गई … चुत भैनचोद … साले कुत्ते … हरामी … रुक ज़ाआअ … आह बाहर निकाल लो …
उम्म्ह … अहह … हय … याह … मम्मी.. बचाओ … भैन के लंड ने फाड़ दीईई …
आह मेरीईई ईईई चुत
… कोई ऐसी
बर्बरता से चोदता है … आह बाहर निकाल इसेय माँ के लौड़े.
अर्चना लंड के दर्द से फूट फूट कर रोने लगी.
उसकी मदमस्त नंगी चुचियां सांसों के साथ ऊपर नीचे हो
रही थीं. उनको मैं बारी बारी चूसने लगा.
धीरे धीरे मेरी ममेरी बहन सामान्य होने लगी और मेरी
पकड़ से निकलने की बेकार कोशिश करने लगी.
मैं अपनी बहन को एक रफ्तार में चोदने लगा.
धीरे धीरे धक्के बढ़ाने पर गुंदाज़ जांघों और उसकी
चौड़ी गांड से टकरा कर मस्त पट-फट के साथ चुदाई की फचा-फच, हच-फच की मधुर आवाज़ कमरे में
गूंजने लगी.
बाईस साल की कमसिन बहन थोड़ी देर में सामान्य हो गई
और कमर उछाल उछाल कर अपनी बुर में ज्यादा लंड की मांग करने लगी.
मुझे अपने लंड पर बहुत अधिक कसाव अनुभव हो रहा था.
जैसे कुंवारी कन्या की बुर चोदने के असीम आनन्द की होती है.
मैं चुत की जड़ तक लंड पेलने लगा और बहन की दर्द और
सिसकारियां से कमरा गूंज उठा.
मेरी बहन अर्चना की सांसें तेज हो गई थी. उसकी ऐसी
हालत में ताबड़तोड़ चोदते हुए मैं बुर की धज्जियां उड़ाने लगा.
कचनार की कली अर्चना अपने आनन्द के उन्माद में दोनों
हाथों में तकिया भींच रही थी और दोनों टांगें ऊपर हवा में लहराते हुए चुत में जड़
तक सात इंच लंबा लंड के हरेक चोट को हलक में घोंट रही थी.
करीब दस मिनट की भयंकर चुदाई के बाद वो दहाड़ें मार
कर झड़ने लगी.
उसने मुझे इतनी जोर से भींचा कि उसके हाथ में दबोचा
हुआ तकिया की रुई फटकर बिखर गई थी.
मैं बिना रुके रफ्तार में चुदाई करता रहा.
अर्चना को ऐंठकर रज छोड़ते हुए उसके गर्म कामरस को
महसूस करता रहा.
फिर कुछ पल बाद कड़क चुचियों और कसी चुत की मल्लिका
अर्चना मुझे फिर से भरपूर सहयोग करने लगी.
थोड़ी देर बाद मैंने भी चरम सुख भोगते हुए बहन की
चुत में अपना लावा छोड़ दिया और उसके ऊपर गिर गया.
परम आनन्द की अनुभूति से अर्चना आंखों को बंद कर
महसूस करने लगी.
सांसें सामान्य होने पर हम दोनों ने एक दूसरे के
होंठों को चूम कर कपड़े पहने और फ्रेश होने बाथरूम में घुस गए.
अर्चना दीवार पकड़ कर चल रही थी.
उसने चुत में अन्दर तक उंगली डाल कर पानी के प्रेशर
से साफ किया. अर्चना की चूत की धारी फूल कर गोलाकार हो गई थी. चेहरे पर अजीब लाली
लिए अर्चना किसी खजुराहो की मूर्ति की तरह कामदेवी लग रही थी.
ब्रो सिस सेक्स के बाद कपड़े ठीक करके दोनों
मुस्कराते हुए बाहर निकल आए.
मैंने उसे अपनी बांहों में भर चूम लिया और वापस नीचे
को लेकर गया जहां मामा मामीजी हाल में बैठे अब भी बातें कर रहे थे.
मुझे देख कर मामी ने मुझसे आँखों के इशारे से पूछा
कि हो गयी अर्चना की चुदाई?
मैंने भी आँखों और होंठों से संतुष्टि का इशारा
किया.
तभी दोनों ममेरे भाई न्यू ईयर पार्टी के लिए मामी से
इजाजत मांगने आए.
तो चर्चा करते हुए मुझे मालूम़ हुआ कि तीनों भाई बहन
को यहीं छोड़ कर अगले शनिवार को सगाई में शामिल होने के लिए मामी के गांव में,
मामा-मामीजी दोनों
ही जाने वाले थे.
उनसे इजाजत मिलने पर हम चारों पार्टी की तैयारियों
पर मशगूल हो गए.
अर्चना के दोनों भाईयों को भी इस कामक्रीड़ा की
दुनिया में पदार्पण करने के लिए एक प्लान के तहत फुफेरे भाई-बहनों और मौसेरी बहन
को भी बुलाने के लिए अर्चना ने फ़ोन कर दिया.
उसके बाद अपने घर जाने के लिए मैं मामी से इजाजत
लेने गया, तो मामी ने अगली दोपहर में मुझे आने के लिए आदेश दिया.
जहां अगले दिन घर में तैयार अकेले मामी को चोद कर
मैंने मज़ा लिया. इस चुदाई का फिर कभी जिक्र करूंगा.
अगले शनिवार को नियत समय पर मामा मामीजी को विदा कर
दिया.
एक दिन पहले ही खाने पीने और आतिशबाजी, लाईट्स की तैयारियों को
शुरू कर दिया गया.
आज सुमंत और महंत को अपनी रिश्तों में चुदाई की
दुनिया में शामिल करने लिए उम्र के हिसाब से अर्चना ने अनु दीदी को दायित्व दे
दिया था.
इसलिए मामाजी के घर पहली बार अनु दीदी को लेकर मैं
दोपहर को पहुंच गया.
सुमंत, महंत और अर्चना, पहली बार अनु से मिलकर बहुत खुश
हो गए क्योंकि अनु दीदी बहुत मिलनसार और सेक्सी माल हैं.
थोड़ी ही देर में अनु दीदी ने अपने 34-32-36 के
हुस्न जाल में दोनों भाइयों को दीवाना बना दिया.
अर्चना आंखों में आंखें डालकर विस्मय से दोनों
भाइयों को देखती रही.
कभी वो दोनों अपनी बहन अर्चना की हर बात में मीन मेख
निकालते थे, अभी गुलाम की तरह अनु दीदी के आदेश का अक्षरशः पालन करने लगे थे.
दोपहर को सबने एकसाथ लंच किया और थोड़ी देर के लिए
सब लोग आराम करने लगे
मैं अर्चना को गोद में लेकर सोफे पर आराम करने लगा
और अनु दीदी सुमंत महंत दोनों भाइयों को एक कमरे में लेकर समा गईं. जहां सेक्स
गुरु की तरह उन दोनों को प्रशिक्षित कर रही थीं.
दोनों भाइयों में अनु दीदी के चौंतीस नाप से ठोस
चुचों के ज्यादा करीब आने की जल्दी मची थी. उस पर भी अगर कोई लड़की खुद आमंत्रण दे
रही हो, तो
फिर किसी भी लड़के को कैसे फील गुड नहीं हो सकता था.
शाम होते होते अनु दीदी ने दोनों को अपने मदमस्त जवानी
की वासनाओं में डुबो कर दोनों को नंगा कर दिया था और बारी बारी से दोनों भाइयों के
लंड का पानी निचोड़ लिया था.
जिंदगी में पहली बार वो दोनों युवा लौंडे सेक्स का
पहला अनुभव पाकर अनु दीदी के मुँह में बारी बारी से झड़ गए थे.
“चलो अब बस … अब रात में और मज़ा करेंगे.” ये कह कर अनु दीदी ने दोनों को
अपनी बांहों में भर चूम लिया.
महंत और सुमंत की सारी शर्म जाती रही.
फिर घर में सारे दिन दोनों भाई आते जाते बार बार अनु
दीदी को सहलाने और स्पर्श करने की कोशिश कर रहे थे.
तभी अपनी मस्त दो बहनों रीना और रंजू के साथ दीपक भी
हाज़िर हो गया.
न्यू ईयर पार्टी के मस्त माहौल को रीना दीदी,
मस्त रंजू और अनु
दीदी के साथ बाईस साल की अर्चना अपनी मस्त जवानी से शाम रंगीन कर रही थी.
मैं बीस साल का भगवानदास, सुमंत, महंत और 21 साल के दीपक के साथ
न्यू ईयर पार्टी की पूरी तैयारी करके हम सब धीरे धीरे बीयर की चुस्कियां लेने लगे
थे.
सारी लाईट्स और मोमबत्तियों की झिलमिलाती रोशनी पूरे
हॉल में जगमगा रही थी.
तभी चारों परियां अधनंगी हालत में अपनी जवानी का
जलवा बिखेरती हुई आ पहुंची.
उफ़ बला की खूबसूरती हॉल में जगमगा रही थी. जवां
हुस्न की खुशबू कमरे में हवा को नशीली बना रही थी.
रंगीन पारदर्शी गाउन में चारों के अंत:वस्त्र दिखाई
दे रहे थे.
रीना के गोल गोल चूतड़ों के बीच गहरी फंसी चौंतीस
इंच नाप की जालीदार लाल पैंटी में सिर्फ़ सामने एक पान बनाया हुआ था और ब्रा में
कैद चुचों के सिर्फ़ चूचुकों को ढका गया था … इस जालीदार ब्रा पैंटी के सैट ने
उसके पूरे नंगे जिस्म पर चार चांद लगा दिए थे.
उधर अर्चना के ऊपर सिर्फ ब्रा और पैंटी के ऊपर पतली
कमर में नेट की मिडी गजब कहानी बयां कर रही थी.
मखमली कोटी के नीचे लक्स की बनियान और शॉर्ट्स में
अनु दीदी के चौंत्तीस के चूचे और छत्तीस इंच नाप के चूतड़ साउथ इंडियन फिल्मों की
लड़कियों की तरह गजब क़यामत ढा रहे थे.
उसमें से सामने से फूली हुई चुत की दरार साफ़ झलक रही
थी.
छोटे मगर ठोस चूंचे वाली रंजू अपनी उठी हुई गांड में
पैंटी के ऊपर नेट की लांग कुर्ती भर पहनी हुई थी, बिना ब्रा के उसकी नंगी नोकदार
चूचियां आंखों को चुभ रही थीं.
वो चारों इठलातीं बलखातीं … म्यूजिक सिस्टम पर कमर नचातीं
किसी अप्सराओं के जैसी लग रही थीं.
सुमंत और महंत ने कभी लड़कियों के हुस्न का इस तरह दीदार
नहीं किया था.
वो दोनों तो काटो तो खून नहीं वाली स्थिति में बैठे
हुए थे.
जबकि घर में जवान बहन अर्चना भी थी.
आज उसी अर्चना के साथ रीना, रंजू और अनु दीदी को दोनों भाई
आंखें फाड़कर देख रहे थे.
दीपक ने अनु के साथ मिलकर खाने की चीजों को सजाया और
सबको बीयर पकड़ा दी थीं.
चार मस्त लड़कियों के साथ चार जंवा लड़कों की पार्टी
शुरू हो गई. स्नेक्स और नट्स केक के साथ थोड़ी बीयर सबने मिलकर पी, फिर म्यूजिक सिस्टम पर
डांस करने लगे.
दीपक ने बातों ही बातों में रीना और रंजूमुनि को
नौसिखिए सुमंत महंत के साथ जोड़े बना दिए.
मस्ती करने के लिए मैं भी अर्चना के साथ जोड़ी बना कर
नाचने लगा. फिर दीपक और अनु दीदी का जोड़ा बन गया.
ऊँची आवाज़ में ऑडियो बज रहा था.
मस्ती में घंटों नाचने के बाद अब नशा की खुमारी सभी
के ऊपर चढ़ने लगी थी.
सुमंत महंत के साथ अर्चना की हिचक शर्म सब जाती रही
थी.
सबने मिलकर वोडका के साथ हल्का डिनर भी किया.
रात बढ़ने के साथ साथ तन पर कपड़े भी कम होते गए.
सभी लड़के और लड़कियों को ब्रा और पैंटी में कर दिया
गया. शराब पर शवाब हावी हो रहा था.
सुमंत के साथ रंजू चिपक कर बैठ गई थी और वो रंजू की
नंगी चूचियों से खिलवाड़ कर रहा था.
महंत को रीना ने दबोच लिया था और वो उसे अपने हुस्न
का जलवा दिखा रही थी.
दीपक के साथ अनु दीदी मस्त जवानी का मज़ा ले रहे थे.
देखते ही देखते रात के बारह बज गए. बाहर पटाखे फूटने शुरू हो गए और सबने मिलकर अधनंगे बदन से न्यू ईयर का वेलकम किया.
Behan chodne ka alag hi maza hai
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