यह चुदाई की कहानी मेरी और मेरी चाची के बारे में
है. मेरी चाची की उम्र 31 साल है. सच बताऊं, तो अब भी सोच सोच कर मेरा लंड फटने को हो जाता है कि
मैंने इतने हसीन और भरे हुए जिस्म की मालकिन की चुत मारी है.
दोस्तो, मुझे शुरू से ही लड़कियों से ज्यादा औरतों में ही
रूचि रही है. ऐसा नहीं है कि मुझे लड़कियां बिल्कुल भी पसंद नहीं हैं, पर औरतें ज्यादा पसंद
हैं. उनके बाहर निकलती हुए मोटी मोटी गांड, मोटे मोटे चुचे मुझे पागल कर
देते हैं. मुझे ख़ासकर भाभी या शादीशुदा औरतें ज्यादा पसंद थीं … जो मुझसे चार-पांच साल
बड़ी होतीं या जिनका शरीर मेरी पसन्द का होता था. उनके मोटे-मोटे होंठ, रंग सांवला हो या गोरा,
मगर मम्मों का
साइज़ कम से कम 34 इंच का हो. ऐसी औरतों में मेरी ज्यादा रूचि होती थी.
मेरी प्रेमिकाएं भी कई सारी रही हैं और कई औरतों से
बात भी होती थी, मगर सेक्स करने का मन उन्हीं के साथ करता था, जिनका जिस्म मेरी पसंद का होता
था.
ये बात आज से 4 साल पहले की है उस समय मैं 12वीं में था और ताजा ताजा
जवान हो रहा था. मेरे पड़ोस में एक चाची रहती थीं, उनका नाम कविता (बदलता हुआ नाम)
है, वो
शुरू से ही बहुत ही समझदार और शरीफ किस्म की महिला रही हैं. उनसे मेरा एक अलग सा
लगाव रहा है.
हमारे परिवार का शुरू से ही उनके घर आना जाना रहा
है. वो मेरी मम्मी की एक बहुत अच्छी सहली भी हैं. जब से मैंने होश संभाला है …
मतलब कि जब से लंड
ठीक से खड़ा होना शुरू हुआ है, मैं उनको ही देखते आया हूं. मैं शुरू में चाची को सिर्फ
प्यार भरी नजरों से देखता था. उस टाइम तक मेरे दिल में उनके लिए कोई गलत विचार
नहीं था, बस
वो मुझे अच्छी लगती थीं. वो मुझे जो भी काम कहती थीं, मैं उसको तुरंत पूरा करता था,
चाहे वो कैसा भी
काम हो और किसी भी समय हो.
मुझे पता नहीं क्यों … एक जुनून सा सवार रहता था कि मैं
सारा दिन सिर्फ चाची के पास ही रहूँ. मैं भी चाची को अच्छा लगता था और काफी बार वो
मुझे बोलती भी थीं कि तू मेरा सबसे प्यारा बेटा है. कभी कभी वो मुझे गले भी लगा
लेती थीं, पर उस टाइम तो मुझको इन बातों की समझ ही नहीं थी.
फिर धीरे धीरे टाइम बदलता गया और मैंने 12वीं अच्छे नंबरों से पास
कऱके कॉलेज में दाखिला ले लिया. मैं कॉलेज जाने लगा, वहां मेरी दोस्ती अजय नाम के
लड़के से हुई और ये दोस्ती मेरे लिए सेक्स के मामले में वरदान साबित हुई.
अजय एक बहुत ही बिगड़ा हुआ लड़का था, पर मुझे वो उस टाइम नहीं
लगा. हम दोनों हर रोज सेक्स की किताबें पढ़ते थे. उस टाइम ना तो मेरे पास फ़ोन होता
था और सेक्स फिल्म देखना तो बहुत दूर की बात थी. मेरा दोस्त हर रोज एक सेक्स की
किताब लाता था, क्योंकि उस टाइम सेक्स की किताबें ही ज्यादा आती थीं. अगर किसी ने पढ़ी होंगी,
तो वो मेरी बात
अच्छे से समझ सकता है.
इस तरह मुझे मेरे दोस्त के द्वारा ही धीरे धीरे
सेक्स का पता लगने लगा. उसने ही पहली बार मुझे मुट्ठी मारना सिखाया और जब मेरा
पानी निकला, मैं आप लोगों को पता नहीं सकता दोस्तो कि कितना मजा आया. मेरे तो हाथ पैर ही
फूल गए थे और मैं पूरा खड़ा हो गया था. वो पहला अनुभव मुझे आज भी याद है और वो मेरी
पहली मुट्ठी मेरे दोस्त ने ही मारी थी.
आप लोगों को तो पता होगा ही, अगर एक बार मुट्ठी मारी, फिर अपने आपको मुट्ठी
मारने से रोक पाना बहुत मुश्किल हो जाता है. वो भी किसी दूसरे हाथ से मारी गई हो,
तो बात ही क्या
है.
उस दिन से मुझे मुट्ठी मारने का ऐसा चस्का लगा कि
मैं हर रोज मुट्ठी मारने लगा. मुझे मेरे दोस्त की बदौलत सेक्स का भी अच्छा ज्ञान
हो गया था और धीरे धीरे हम दोनों की दोस्ती और भी गहरी होती गई. अब तो वो हर रोज
मुझे एक नई सेक्स किताब ला कर देता और मैं उसके घर से भी किताब लाकर पढ़ने लगा.
अब आते हैं चाची जी के मुद्दे पर …
जब धीरे धीरे मेरा चाची को भी देखने का नजरिया बदलने
लगा था, तो
मुझे बस ये हो गया था कि किसी भी तरह चुत और गांड मारनी है. मैं आप लोगों को एक
बात बताना चाहूँगा कि मुझे चुत से ज्यादा गांड मारना ज्यादा अच्छी लगती थी. मैं जब
भी किसी महिला को देखता, तो एक बार पीछे मुड़ कर उसकी मटकती हुई गांड को जरूर देखता
था.
अब जब भी मैं चाची के पास जाता तो था … पर मेरे देखने का नजरिया
बदल गया था. वो जब भी झाड़ू लगातीं या पौंछा लगातीं, तो मेरी नजर या तो उनके चुचों पर
होती या फिर गांड पर टिकी रहती.
आप लोगों को पता होगा कि महिलाएं आम तौर पर जब पौंछा
लगाती हैं, तो अपना पीछे के हिस्से का सूट उठा लेती हैं. उस समय उनकी गांड की शेप लाजवाब
दिखता है. आप कल्पना करो कि मेरी 6 फिट की चाची और वो भी इतनी मस्त गांड और चूचों वाली चाची …
उस समय कैसी लगती
होगी. मुझे पूरा यकीन है आप लोगों का हाथ अपने आप अपने लंड पर चला गया होगा.
मेरी चाची का यौवन इतना लाजवाब था कि बूढ़े का भी लंड
खड़ा हो जाए, फिर मैं तो अभी अभी जवान हुआ था. सोचो कि मेरा क्या हाल हुआ होगा.
मैं हर रोज कम से कम दिन में 4-5 बार उनके घर जाने लगा
था, अब तो
मुझे बस उनके घर जाने की ही लगी रहती थी.
दोस्तो, आप सबको एक बात और बता दूँ कि जब से मैं अपने दोस्त
के सम्पर्क में आया था, तब से इसका असर मेरी पढ़ाई पर भी पड़ा … क्योंकि अब मैं कॉलेज की
पढ़ाई की तरफ कम ध्यान था और सेक्स की किताबों की तरफ ज्यादा हो गया था. घर वालों
को इस बात की चिंता होने लगी और उन्होंने मेरी टयूशन लगवाने की सोची.
जब बात टयूशन की चली, तो मेरी मम्मी ने कहा कि तेरी
चाची ने हिस्ट्री से एम.ए किया हुआ था और तेरे कॉलेज में भी तेरा विषय हिस्ट्री ही
है, तो मैं
उनसे बात कर लूँ?
चाची का नाम सुनते ही मेरी बांछें खिल गईं.
फिर मेरी मम्मी ने मेरी चाची से इस विषय में बात की
और मेरी चाची तुरंत मान गईं. क्योंकि मैं उनके काम आता रहता था और उनको भी दुःख
हुआ कि मैं पढ़ाई में पीछे होता जा रहा हूं.
इस तरह मेरा उनके घर टयूशन शुरू हो गया और मैं चाची
के पास पढ़ने जाने लगा.
पहले ही दिन चाची ने जाते ही पूछा- क्या बात है दीपू
(घर पर मुझे सब प्यार से दीपू ही कहते हैं), आजकल तुम्हारा ध्यान कहां रहता
है? कहीं
तुम्हें कॉलेज की हवा तो नहीं लग गई?
मैंने कहा- नहीं चाची जी ऐसे तो कोई बात नहीं है.
फिर उन्होंने कहा- देख तू मुझे अपनी चाची नहीं …
सिर्फ अपनी दोस्त
के जैसी ही समझ.
उनके मुँह से ये सुनते ही मेरे कान खड़े हो गए और मैं
उनके मुँह की तरफ देखने लगा.
फिर उन्होंने कहा- ऐसे क्या देख रहा है, कॉलेज में कोई लड़की नहीं
देखी क्या, जो इतने गौर से देख रहा है?
मैंने भी बात में बात मिलाते हुए कह दिया- चाची
लड़कियां तो बहुत सारी देखी हैं, पर आप जैसे हसीन नहीं देखी.
ये सुनते ही मेरी चाची कातिलाना नजरों से मेरी तरफ
देखने लगीं और बोलीं- बेटा, चाची के साथ फ़्लर्ट कर रहा है.
इस समय चाची का ऐसे मेरी तरफ देखना मुझे ऐसा लग रहा
था, जैसे
मेरे बदन में चीटियां रेंग रही हों. मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था.
फिर चाची रसोई में चली गईं और मुझे पढ़ने का बोल गईं,
पर मेरा ध्यान तो
पढ़ाई में कम और चाची की मटकती हुई गांड में ज्यादा था. मैं जहां बैठा था, वहा से रसोई बिल्कुल साफ़
साफ़ दिख रही थी. जब चाची नीचे झुक कर कुछ उठातीं, तो मुझे उनकी फूली हुई गांड मस्त
लग रही थी. मेरा दिल कर रहा था कि अभी जाकर चाची को पीछे से पकड़ लूं और अपना लंड
निकाल कर वहीं चाची की गांड में एक झटके में ही पूरा बैठा दूं. फिर उनकी गांड को
पकड़ पकड़ कर जोर से जोर से झटके मारने में लग जाऊं. ये सोचते हुए मैं अपना लंड दबा
कर रह जाता था.
इसके बाद चाची जहां कहीं भी जातीं, मेरी नजर सिर्फ उस तरफ
ही घूम रही थीं. शायद चाची ने भी मेरी नजर को एक दो बार नोटिस कर लिया था, पर वो बोली कुछ नहीं.
दोस्तो, ऐसे ही दिन निकलते गए और साथ बैठ टाइम निकलते गए,
पर अब मुझसे रुका
नहीं जा रहा था. मैं कैसे भी करके चाची को पाना चाहता था.
एक दिन की बात है मेरे घर पर कोई नहीं था, किसी की शादी में गए हुए
थे और मेरे परीक्षा का समय था तो मुझे नहीं ले गए. जाते जाते मम्मी ने चाची को बोल
दिया था कि दीपू घर पर ही है, जब तुम फ्री हो जाओ, तब उसके लिए खाना बना आना और देख
लेना कि वो ठीक से पढ़ रहा है या नहीं. ये कह कर मम्मी और पापा चले गए.
मुझे इस बात का पता नहीं था कि मम्मी ने चाची को
बोला हुआ है कि वो मुझे आज घर पर आ कर पढ़ाने वाली हैं. मैं तो बस घर पर अकेला होने
का फायदा उठा कर सिर्फ अंडरवियर और बनियान में ही घूम रहा था. मैं अपने बेडरूम में
जाकर सेक्स की किताबें पढ़ने लगा और लंड को हिलाने लगा. साथ ही साथ तेज आवाज में
गाने चल रहे थे.
मुझे ऐसा करते हुए 20 मिनट ही हुई थे कि घर का दरवाजा
बजा, पर
मुझे सुनाई नहीं दिया. मैं गेट लॉक करना भूल ही गया था. मैं तो सिर्फ अपने लंड को
बाहर निकाल कर अपने काम में लगा हुआ था.
दोस्तो, आप विश्वास नहीं करोगे, उस दिन मैं कहानी भी चाची और
बेटा के सेक्स की ही पढ़ रहा था. उस स्टोरी में मैं अपनी चाची को ही महसूस कर रहा
था और लंड हिला रहा था, पर पता नहीं चाची किस टाइम मेरे बेडरूम के गेट के सामने आ
कर खड़ी हो गईं और मुझे मुट्ठी मारते हुए देखने लगीं.
जब मेरी नजर चाची पर गई, तो मैंने देखा कि वो एकटक मेरे
खड़े लंड को देखे जा रही थीं. उस समय मैं चाची की आंखों में आज एक अलग ही वासना देख
रहा था. जब हमारी नजर एक दूसरे से मिली, तब चाची गुस्से में लाल हो कर वहां से चली गईं.
मुझे समझ नहीं आया कि अभी तो वो मेरे लंड को खाने की
नजरों से देख रही थीं और अचानक हमारी नजरें मिलते ही उनको इतना गुस्सा भी आ गया.
मुझे बहुत ज्यादा डर लग रहा था कि पता नहीं अब क्या होगा. मैंने तुरंत अंडरवियर
ठीक किया और बरमूडा डाला और बाहर आया.
मैंने देखा चाची जी रसोई में खाना की तैयारी कर रही
थीं. मैं तो उनसे नजरें ही नहीं मिला पा रहा था.
जब वो मेरे लिए खाना लगा कर लाईं, तब भी मैं नीची नजरें
करके बैठा हुआ था. वो मेरे पास आईं और थाली को जोर से रख कर चली गईं.
मैंने सोचा कि बेटा आज गया तू काम से. मैंने जोर
नजरों से उनको देखा, तो वो गुस्से में मेरी तरफ ही देखी जा रही थीं.
फिर मैंने सोचा देखा जाएगा, जो होगा सो होगा. अभी बात करनी
पड़गी नहीं तो चाची ने ये बात मेरे घर वालों को बता दी, तो तू तो गया काम से.
जब चाची जी मुझे दुबारा रोटी देने के लिए आईं तो
मैंने कहा- सॉरी चाची जी.
उन्होंने कुछ नहीं कहा और मेरी तरफ गुस्से से देख कर
चली गईं.
मैंने खाना वहीं छोड़ दिया और अन्दर रसोई में ही चला
गया. मैं उनके पीछे खड़ा हो गया और फिर से सॉरी बोला.
इस बार चाची बोलीं- मैंने तुझे ऐसा नहीं समझा था कि
तू भी ये काम करेगा, तभी तो तुम्हारे नंबर इतने काम आते हैं, यही सब करने तू कॉलेज जाता है
क्या?
मैंने कहा- चाची जी प्लीज मुझे माफ़ कर दो … आज के बाद ऐसा कभी नहीं
करूंगा.
उन्होंने कहा- नहीं नहीं कर लेना … मैंने कब मना किया है …
तुम्हारी जिंदगी
है, जो
चाहे करो. वैसे तू कब से कर रहा है ये काम?
मैं कुछ न बोला, उन्होंने फिर जोर से बोला- मैं
कुछ पूछ रही हूं तुमसे?
मैंने कहा- जब से कॉलेज शुरू हुआ है.
फिर उन्होंने कहा- ये किताबें लाता कहां से है तू?
मैंने कहा- मेरे एक दोस्त से.
फिर उन्होंने खाना बनाना बंद कर दिया और मेरी तरफ
मुँह कर लिया. चाची ने अपने हाथों से मेरा मुँह पकड़ लिया और बोलीं- बेटा अभी
जिंदगी बहुत पड़ी है ये सब करने की, अभी तुम्हारी उम्र सिर्फ पढ़ाई की है. अगर अभी से अपना पानी
खत्म कर दोगे, तो अपनी पत्नी को क्या दोगे?
चाची के मुँह से ये बात सुनते ही मेरा लंड फिर से
खड़ा हो गया, जिसे चाची ने देख लिया था. क्योंकि मेरा लंड बरमूडा में से साफ साफ दिख रहा
था.
उन्होंने ये देख कर फिर से मुँह फेर लिया.
मैंने कहा- चाची मैं क्या करूं, अब मुझसे बर्दाश्त नहीं
होता.
उन्होंने कहा- कोशिश कर और अपना ध्यान पढ़ाई पर लगा.
मैंने कहा- मैं बहुत कोशिश करता हूं.
फिर वो कुछ नहीं बोलीं और खाना बना कर चली गईं. जाते
वक्त चाची बोल कर गईं- खाना खा कर पढ़ लेना, सिर्फ कॉलेज की किताबें …
यह कह कर वो मुस्करा कर चली गईं और ये बोल कर गईं-
मैं 2 घंटे
में आती हूं.
चाची के जाने के बाद मैं एक पल तो उनकी मटकती गांड
को याद करता रहा. फिर मुझसे रुका ही नहीं जा रहा था. मैंने खाना खत्म किया और यही
सोचने लगा कि अगर चाची ने मुझे मुट्ठी मारते हुए देख लिया था, तो उस समय क्यों नहीं
बोलीं.
जब हमारी नजरें मिलीं, उसके बाद ही उनको गुस्सा क्यों
आया, कहीं
ये तो नहीं था कि उनको भी मेरा लंड पसंद आ गया हो. मैंने उनकी तरफ देख कर गलती कर
दी हो?
बस यही सोचते सोचते मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया और
मैंने सोच लिया था कि जो होगा देखा जाएगा. अब की बार चाची को फिर से लंड दिखाना ही
है.
अब तक चाची के आने का समय हो गया था. मैंने एक प्लान
बनाया, मुझे
पता था कि चाची जरूर वापस आएंगी. मैंने बाहर का मैंने गेट खुला छोड़ दिया और बाथरूम
में जाकर नहाने लगा और पूरा नंगा होकर लंड को हिलाने लगा. थोड़ी ही देर में मेरा
लंड चाची को याद कर करके खड़ा हो गया और मैं चाची के आने का इंतजार करने लगा.
जैसे ही बाहर के गेट के खुलने की आवाज आई, तो मैं जोर जोर से गाना
गाने लगा ताकि उनको पता लगे कि बाथरूम में हूं. मैंने बाथरूम का भी आधे से ज्यादा
गेट खोल दिया ताकि मैं चाची को लंड हिलाते हुई दिख जाऊं.
जब चाची अन्दर आईं, तो मैंने अपना लंड बाहर की तरफ
कर दिया और मेरे बाथरूम के शीशे से उनको खड़ा लंड दिखने लगा. वो इधर उधर का काम
करके बाथरूम की तरफ आ गईं. जब मैंने शीशे से उनको देखा, तो वो लगातार मेरे खड़े लंड को
देखे जा रही थीं. मैं उनको ऐसे देखते हुए देख कर उसी समय उनका नाम ले कर जोर जोर
से मुट्ठी मारने लगा.
‘आह कविता चाची … आपकी क्या मस्त चूचियां हैं …
आह तेरी चूत की
बड़ी याद आती है … एक बार दे दो चाची.’
जब मैं चाची का नाम ले कर मुट्ठी मार रहा था,
तो मैं शीशे से
चाची का हाल भी देख रहा था. चाची भी थोड़ी सी साइड में होकर अपने चूचों को जोर जोर
से रगड़ने लगी थीं.
तब मुझे लगा अब मंजिल पास है. दोस्तो … आप विश्वास नहीं करोगे
मुझे इतना मजा आ रहा था कि चाची जी मुझे मुट्ठी मारते हुए देख रही थीं और साथ के
साथ अपने चूचों को भी रगड़ रही थीं. मेरा पानी निकलने का नाम ही नहीं ले रहा था.
वैसे भी मेरा वीर्य बहुत देर से निकलता है. आज तक
मैंने जितनी भी महिलाओं को चोदा है, उन सबका दो बार हो जाता था और मेरा मुश्किल से एक
बार हो पाता था.
मैं चाची को अपना मोटा और तगड़ा लंड दिखाए जा रहा था
और वो भी लगातार अपने चूचों को रगड़े जा रही थीं.
मुझे मुट्ठी मारते हुए कम से कम 15 से 20 मिनट लग गए थे और तब तक
चाची वहीं खड़ी, कभी अपने चुचों को रगड़ रही थीं, तो कभी अपनी सलवार के ऊपर से ही अपनी चुत रगड़ रही
थीं. मैं लगातार उनको देख देख कर मुट्ठी मारने में लगा हुआ था. जब मेरा पानी निकला,
तो सामने दीवार पर
लंड का माल जोर से जा कर चिपक गया. आज मेरा पानी और दिनों से बहुत ज्यादा और बहुत
देर तक निकला था.
जब मैं फ्री हो गया, तो मैंने शीशे से देखा कि चाची
वहां नहीं थीं. जब मैं नहा कर बाहर आया, तब मैंने देखा चाची मेरी किताबों के पन्ने पलट रही
थीं.
मैंने बाहर आते ही पूछा- चाची जी आप कब आईं?
उन्होंने कहा- जब तू बाथरूम में व्यस्त था …
ये कह कर चाची ने एक कातिलाना स्माइल पास कर दी.
मैंने उनकी तरफ देखा और कपड़े पहनने अन्दर चला गया था. मैं बाहर आया तब उनके पास ही
जांघों से जांघें मिला कर बैठ गया.
चाची ने भी मुझे दूर बैठने के लिए नहीं बोला. मुझे
पता चल गया था कि चाची को मेरा लंड पसंद आ गया है. वो अब गर्म हो चुकी हैं. मेरी
नज़रें अभी भी मेरी प्यारी चाची के कसे हुए चूचों पर थीं. इस नजर को चाची भी समझ गई
थीं … पर
वो कुछ बोली नहीं. शायद उन्हें भी मज़ा आ रहा था.
तभी अचानक से चाची बोलीं- तू बहुत हरामी हो गया है.
मैं बोला- क्यों?
वो बोलीं- फिर से बाथरूम में वही कर आया, मैंने मना किया था ना और
वो भी मेरा नाम लेकर … तुझे शर्म नहीं आती, मैं तुम्हारी चाची हूं बेटा और
तू मेरा ही नाम ले कर ये कर रहा था.
मैंने आंख मार कर कहा- अगर आपने देख लिया था,
तो अन्दर आ जाते न,
आपको और अच्छे से
दिखा देता, चाची प्लीज बुरा मत मानना, आप मुझे बहुत ज्यादा अच्छी लगती हो … और मैं आपसे बहुत ज्यादा प्यार
करता हूं.
चाची ने कहा- ये सब गलत है, मैं तुम्हारी चाची लगती हूं और
मैंने तुम्हें कभी भी ऐसी नजरों से नहीं देखा.
मैंने कहा- तो फिर आप बाथरूम में चुपके चुपके क्या
देख रही थीं?
चाची जी ने कुछ नहीं बोला और नीची गर्दन कर ली. वो
उठ कर घर चली गईं. मुझे मालूम था कि चाची जी शाम को फिर से खाना बनाने के लिए आने
वाली थीं.
मैंने सोचा आधा काम तो हो गया है, शायद पूरा काम हो जाए और
मुझे चाची चोदने को मिल जाएं.
मैंने एक और प्लान बनाया, जब चाची आने वाली थीं, तो मैंने एक सेक्स किताब
टेबल पर रख दी. वो भी चाची और बेटा की सेक्स स्टोरी निकाल कर और मेरे रूम में चला
गया.
जब चाची आईं और उन्होंने मुझे आवाज लगाई.
मैंने कहा- अभी आता हूं … चाची आप बैठो.
चाची सोफे पर बैठ गईं और सामने पड़ी किताब को उठा कर पढ़ने
लगीं. मैं ऊपर शीशे से सब देख रहा था, थोड़ी ही देर में चाची का मुँह लाल हो गया और वो इधर
उधर देख कर अपने चूचों को दबाने लगीं और साथ ही साथ अपनी सलवार में हाथ डाल कर
अपनी चुत रगड़ने लगीं.
मुझे लगा अब चाची गर्म हो गई हैं. मैं तुरंत नीचे
आया और चाची को देखने लगा. चाची आंखें बंद करके बिल्कुल मगन हो रही थीं.
मैं उनके पास आकर बैठ गया और उनकी जांघ पर हाथ रखते
हुए कहा- चाची जी, ये क्या कर रही हो आप?
चाची जी एकदम से डर कर उठीं और हाथ बाहर निकाल कर
भागने लगीं.
मैंने तुरंत भाग कर चाची को पीछे से पकड़ लिया. सच
में यार चाची तो बहुत ज्यादा गर्म हो गई थीं. वो मुझसे छुड़वाने की कोशिश करने लगी
थीं. पर मैंने उनको बड़ी जोर से पकड़ा हुआ था
चाची फिर से बोलीं- बेटा, मैं तेरी चाची हूं, ये सब गलत है.
मैंने कहा- चाची प्लीज अब ये रट छोड़ दो और मुझे भी
पता है कि आपकी चुत भी मेरा लंड मांग रही है.
चाची बोलीं- दीपू ये कैसी बात कर रहा है तू? तुम्हें शर्म नहीं आती …
मैं तुम्हारी चाची
हूं.
मैंने कहा- चाची प्लीज अब ये शर्म को छोड़ कर मजा करो,
क्यों अपने आप पर
और मुझे पर इतना जुल्म कर रही हो.
चाची ने कहा- दीपू ऐसा नहीं है, मैं सिर्फ तुम्हारे चाचा
से ही प्यार करती हूं और उनके अलावा मैंने किसी की तरफ नहीं देखा.
मैं चाची की बात को अनसुना करते हुए पीछे से उनकी
गर्दन को चूमने लगा और अपने दोनों हाथ आगे ले जाकर उनके चूचों को जोर से पकड़ कर
सूट के ऊपर से ही उनके चूचों के निप्पल को अपने अंगूठे और एक उंगली से धीरे धीरे
रगड़ने लगा. इससे उनके मुँह से अजीब अजीब आवाजें निकलने लगीं.
‘सी … ईईई … आहहह … आह..ई … आह … ईश्श्श … नहीं दीपू प्लीज, ऐसा मत कर … मैं मर जाऊंगी … आह … हाय दीपूउउउउ … हाय नहीं दीपू ई. …
ई … ई … बस कर बस कर प्लीज मान
जा..’
मैं लगातार उनकी गर्दन के पास, उनके कानों की लौ को
चाटे जा रहा था और हाथ से उनके चूचों को, कभी निप्पल को रगड़े जा रहा था.
अब चाची से बर्दाश्त नहीं हो रहा था, वो बिल्कुल ढीली पड़ चुकी
थीं. मैं चाची के चूचों को छोड़ कर धीरे धीरे उनके सूट को ऊपर करने लगा और उनके
नंगे पेट पर हाथ फेरने लगा. धीरे धीरे ऐसा करते हुए मैंने उनका पूरा सूट उनके
जिस्म से अलग कर दिया और उनको पता भी नहीं चला कि वो ऊपर से नंगी हो चुकी हैं.
उन्होंने लाल ब्रा डाली हुई थी. वो लाल ब्रा में और
भी ज्यादा सेक्सी लग रही थीं.
दोस्तो, उनका दूध से भी ज्यादा गोरा रंग और उसके ऊपर लाल रंग
की ब्रा … आह मेरा तो लंड फटने को हो गया था. फिर मैंने चाची को अपनी तरफ घुमाया और उनकी
तरफ देखा. उन्होंने अपनी आंखें बंद की हुई थीं. मैं अपने होंठ उनके होंठों के पास
लाया, तो
उन्हें मेरी गर्म सांसों से अहसास हो गया था कि मैं उनको किस करने करने वाला हूँ.
फिर उन्होंने अपनी आंखें खोलीं और मेरी तरफ देखा. सच
यार उनकी आंखें इतनी लाल हो रखी थीं और एक अलग सी वासना दिख रही थी उनकी आंखों
में.
मैंने देर न करते हुए अपने होंठ उनके लाल लाल होंठों
से मिला दिया.
दोस्तो, ये मेरी जिंदगी का पहला किस था. आप लोगों के सामने
बयान नहीं कर सकता, उस समय मुझे इतना अच्छा लग रहा था और मैं लगातार उनके होंठों को चूसे जा रहा
था.
अब उन्होंने भी मेरा धीरे धीरे साथ देना शुरू कर
दिया था, मैंने
अपनी पूरी जीभ चाची के मुँह में दे दी और उनके मुँह में फिराने लगा. चाची भी अपनी
जीभ मेरे मुँह में देकर फिराने लगीं. हमारा किस इतना लम्बा चला कि हम दोनों के
मुँह से लार तक टपकने लगी थी और मैं चाची की सारी लार चाट गया.
धीरे-धीरे मैंने चाची के पेट को चाटते हुए उनके पूरे
पेट को गीला कर डाला. मैंने चाची की ब्रा को उतार कर उनके एक चूचे को तो मुँह में
लेकर चूसना शुरू कर दिया. मैंने उनके निप्पल को अपने होंठों से पकड़ कर रब करने लगा
और साथ की साथ जीभ से भी उनके निप्पल को रगड़ने लगा.
चाची के मुँह से बुरी तरह से कामुक सिसकारियां
निकलने लगी थीं- ईश्श्श्श् … आहहह … दीपउउउ … आंह … उंह … हाय राम … क्या मस्त चुचे चूसता है यार तू. … आह मजा आ गया रे … खा जा आज इनको … आंह पूरा का पूरा मुँह
में ले दीपू प्लीज.
पूरा कमरा उनकी सिसकारियों से गूंजने लगा था. उनके
चुचे इतने मस्त और सेक्सी थे कि उनकी मस्ती को शब्दों में बयान नहीं कर सकता.
मैंने एक निप्पल को चूसने के साथ ही दूसरे चूचे को दबाना शुरू कर दिया.
मैं उनके दोनों निप्पलों को बारी बारी मुँह में ले
कर अपने होंठों से रब करने लगा, जिससे चाची और भी तिलमिला उठीं.
मैंने उनके चूचों को चूस चूस कर लाल कर दिए, उनके चूचों पर पूरे लाल
लाल निशान हो गए थे. फिर मैं नीचे की तरफ बढ़ने लगा. मैंने चाची सलवार का नाड़ा खोल
दिया.
तभी अचानक चाची ने मेरे हाथ पकड़ लिए और बोलीं- नहीं
दीपू … प्लीज
… इससे आगे
नहीं, प्लीज
मुझे माफ़ कर दे … पर इससे आगे नहीं.
पता नहीं अचानक उनको कहां से होश आ गया या पता नहीं
क्या हुआ था, वो मुझे और आगे करने से मना करने लगीं.
मुझे लगा कि बेटा अगर अब पीछे हट गया, तो फिर जिंदगी भर इनकी
चुत नहीं मिलने वाली. मैं ऊपर उठ गया और दुबारा से उनके होंठों पर किस करने लगा और
उनके चुचे दबाने लगा. इसी बीच में मैंने एक हाथ नीचे ले जा कर उनकी सलवार के ऊपर
से ही उनकी चुत को रगड़ना चालू कर दिया और उनको फिर से तैयार करने लगा.
वो लगातार मुझे मना किए जा रही थीं और मैं उनके
होंठों पर, उनके गर्दन पर और कान के पास लगातार किस किए जा रहा था.
मेरी इस हरकत पर चाची की और भी गर्म सिसकारी निकलना
शुरू हो गईं. चाची ने मेरे बालों को पकड़ कर मेरे होंठों को काटना शुरू कर दिया.
चाची पागल हो चुकी थीं. उनकी चूत लगातार पानी छोड़ने लगी थी.
जब चाची से और ज्यादा बर्दाश्त नहीं हुआ, तो मैंने चाची को अपनी
गोद में ले लिया और लगातार चूमने लगा. फिर ले जाकर उनके बेड पर पटक दिया.
मैंने चाची के पैरों से फिर शुरूआत कर डाली. मैंने
चाची के एक पैर को अपनी छाती पर रख दिया. मैं उसके पैरों के नीचे बैठा हुआ था और
उनके पैरों की उंगलियों को मुँह में लेकर चूस रहा था. चाची अपनी आंखें बंद लीं.
मैं उनके पैर के अंगूठे को मुँह ले कर चूसने लगा, जिससे चाची तिलमिला उठीं.
उनके मुँह से निकल रहा था- दीपू, चोद दे अपनी चाची को
प्लीज … तेरे
चाचा से तो ठीक से चोदा नहीं जाता है.
आखिरकार चाची का सच सामने आ ही गया था और उन पर
सेक्स हावी हो ही गया था. मुझे मेरे कानों पर विश्वास नहीं हो रहा था कि ये वही
चाची हैं क्या?
इतना सुनते ही मेरी उत्तेजना और ज्यादा बढ़ गई और
मैं चाची की सलवार को खोलने लगा और जब मैंने सलवार नीचे की … और चुत की तरफ देखा,
तो मैं देखता ही
रह गया.
चाची ने काले रंग की पैंटी पहनी हुई थी, काली पेंटी में चाची और
भी लाजबाब लग रही थीं. मैं चाची की चुत को पैन्टी के ऊपर से ही चाटने लगा, तो वो जोर जोर से
तिलमिला उठीं. अब उनसे सहन नहीं हो रहा था, वो मेरे मुँह को पकड़ कर अपनी चुत
पर रगड़ रही थीं.
मैंने देर ना करते हुए उनकी पैंटी को निकाल दिया और
अब मेरे सामने वो चीज थी, जिसका मुझे कबसे इंतजार था. आखिरकार वो समय आ ही गया था.
चाची की बिल्कुल नंगी और लाल लाल चुत, जिस पर एक भी झांट का बाल नहीं था मेरे सामने चुदने
को खुली पड़ी थी. इतनी चिकनी चूत देख कर मुझे लगा, जैसे चाची अपनी झांटों को आज ही
साफ़ करके आई हों.
मैं धीरे धीरे उनकी चुत पर हाथ फेरने लगा और वो बिन
पानी के मछली की तरफ तड़फने लगी और जोर जोर से सिसकारियां लेने लगीं ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह… ह्म्म्म … अमन्न आह अआआह आह.’
मैं भी चूत के दाने से छेड़खानी करे जा रहा था.
चाची ने कहा- हरामखोर मेरे सारे कपड़े निकाल दिए और
खुद ने कुछ ना निकाला.
मैंने कहा- मैंने आपके निकाले है … तो आप मेरे निकाल दो.
चाची एकदम से भूखी शेरनी की तरह उठ कर मेरे कपड़े
निकालने लगीं. दो मिनट में ही उन्होंने मेरे सारे कपड़े निकाल दिए. जब चाची ने मेरा
अंडरवियर निकाला और मेरा लंड इतने पास से देखा, तो उनकी आंखों में एक अलग ही चमक
आ गई थी.
चाची मेरे लंड को जोर जोर से रगड़ने लगीं और बोलीं-
मैं तो कल ही मोहित हो गई थी तेरे इतने मोटे लंड पर, मैंने आज तक इतना मोटा लंड कभी
नहीं देखा … अब तक कहां छिपा रखा था इस खजाने को.
मैंने कहा- अब ये आपका ही है चाची जी.
उन्होंने लंड सहलाते हुए कहा- हां ये तो है …
अब मैं इसे कहीं
नहीं जाने दूंगी, अब तो जब भी टाइम लगेगा, मैं हर रोज चुदूँगी इससे.
वे मेरे लंड को जोर जोर से रगड़ने लगीं.
उसी समय मैंने एक उंगली चूत में घुसा दी और अन्दर
बाहर करने लगा.
चाची- ओहह्ह … ओह्ह्ह्ह … अह्ह ह्हह … अई … अई…
मैं जल्दी जल्दी चूत में उंगली करने लगा. उंगली खूब
अन्दर बाहर करके मजा लेने लगा. चाची की कामुकता भरी चीखें निकालने लगीं. धीरे धीरे
उनकी चूत का रस बाहर निकलने लगा. मैं जल्दी जल्दी चाटने लगा.
अब मैंने चाची को अपना लंड हाथ में पकड़ा दिया और लंड
चूसने को कहा.
चाची तो जैसे तैयार ही बैठी थीं. हम दोनों 69 की पोजीशन में आ गए.
चाची मेरे ऊपर थीं और मैं चाची के नीचे था. जब पहली बार चाची ने मेरे लंड की टोपी
अपने मुँह में ली, उस टाइम तो मैं समझो स्वर्ग में पहुंच गया था. मैं जोर जोर से चाची की चुत
चाटने लगा. मैंने अपनी पूरी जीभ चाची की चुत के अन्दर दे दी.
उसी समय चाची के मुँह से बहुत जोर से सिसकारी निकली-
हाय माँआआआ मर गई … आह आह ओह मेरी जान श्श्श्श्श्श यस उन्ह आंह …
चाची भी लगातार मेरे लंड को पूरा मुँह में ले कर
चूसने लगीं. वो बार बार मेरा मुँह अपनी चुत पर रगड़े जा रही थीं.
अब चाची लगातार कहने लगी थीं- प्लीज दीपू … यार अब सहा नहीं जाता …
डाल दो अपना …
मैं तुम्हारे मोटे
और लम्बे लंड से चुद कर आनन्द लेना चाहती हूँ.
फिर मैं भी समय की नजाकत को समझते हुए उनके दोनों
पैरों के बीच में आ गया. अपने लंड को चूत पर रगड़ने लगा, पर चुत के अन्दर नहीं डाल रहा
था. मैं चाची को ओर तरसाना चाहता था. मैं उनकी चुत के दाने को अपने लंड से रगड़
देता, तो
कभी उनकी चुत के पास सहलाने लगता.
अब चाची से बर्दाश्त नहीं हुआ तो वो गाली बकने लगीं-
दीपू साले हरामी जल्दी से डाल भी दे, मादरचोद … मुझसे अब बर्दाश्त नहीं हो रहा.
फिर मैंने अपने लंड की टोपी उनकी चुत के मुँह पर रख
कर एक करारा धक्का लगा दिया. मेरे लंड की टोपी अन्दर चली गई और उसके साथ ही दूसरा
करारा झटका लगा दिया, तो मेरा आधा लंड अन्दर चला गया.
उनको इतना दर्द हुआ कि उनकी आंखों से आंसू आ गए थे …
क्योंकि उनके पति
का लंड कुछ इंच लम्बा ही था. जिस वजह से चाची की चुत का छेद भी ज्यादा बड़ा नहीं हो
सका था.
उन्होंने कहा- उई मर गई … साले दीपू अब ये तेरी ही चुत है …
प्लीज धीरे धीरे
चोद ना यार.
अब मैंने चाची को सॉरी बोला और कहा- अब आराम से
डालूंगा.
फिर मैं वहीं रुक गया और उनके चूचों को चूसने लगा,
उनके निप्पल को
काटने लगा और उनके होंठों को चूसने लगा. जब तक उनको भी कुछ आराम मिल गया था.
फिर मैंने धीरे धीरे करके पूरा लंड उनकी चुत में
घुसा दिया, क्योंकि दोस्तों मेरा मानना है कि अगर महिला को दर्द हो रहा है, तो रुक जाओ, मेरा मकसद मजा देना है …
न कि दर्द.
जैसे ही उनका दर्द कम हुआ, तो मैंने उनसे पूछा कि आगे की
कार्रवाही शुरू की जाए.
चाची ने आंख मार कर कहा- जरूर मेरी जान.
बस फिर धीरे धीरे मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और फिर
जोर जोर से झटके मारने लगा. फिर तो चाची भी अपनी गांड को ऊपर उछाल उछाल कर मेरा
साथ देने लगीं.
कुछ ही देर में चाची में पूरा जोश आ गया था, वो ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने
लगी थीं- उईई ईईई … हाय आअहाआआ बाबू आहा मेरी जान ओह्ह्ह श्शह, हाय माँ मर गई … आआअह्ह ह्हह … ईईईई दीपू प्लीज,
तुम्हारा लंड बहुत
बड़ा और मोटा है तुम्हारे चाचा का तो इसके सामने झांत बराबर है … आह तेरे इस लंड ने तो
पूरा मजा दे दिया … इतना मजा मुझे आज तक नहीं आया.
मैंने अपनी स्पीड और तेज कर दी.
चाची मस्ती में बोले जा रही थीं- आआहह … उह्ह्ह ह्ह हां …
और ज़ोर से चोदो …
और ज़ोर से आईईई …
दीपू प्लीज आह …
मैं बस तुम्हारी
हूं … हां
और उह्ह्ह्ह ह्ह ज़ोर से चोद मुझे … उह्ह्ह्ह ह्ह्ह्ह. प्लीज दीपू मुझे अपनी रंडी बना ले यार …
आज से तू जो कहेगा,
मैं वो करूंगी.
करीब आधे घंटे की लगातार चुदाई में वो तीन बार झड़
गई थीं. मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा था कि मैं इतने समय तक रुक पाऊंगा … क्योंकि ये मेरा पहली
बार था.
इस दौरान मैंने उनको कम से कम 5-6 आसनों में चोदा और जब
मेरा होने को हुआ तो मैंने कहा- चाची मेरा होने वाला है, कहां करूं?
उन्होंने कहा- यार दीपू, प्लीज मेरी चुत में ही डाल दे,
बहुत दिन से गर्म
गर्म रस नहीं गया है मेरी चुत में.
मैं भी उनकी चूत के अन्दर ही झड़ गया. मैं हांफता
हुआ उनके ऊपर ही पड़ गया और कुछ समय तक ऐसे ही रहा.
कुछ देर बाद मैं उठा और उसके बाद मैंने चाची जी की
पूरी बॉडी पर किस किया. उसके बाद अब मैं उनका हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रखने लगा.
तो चाची बोलीं- क्या बात है लाड़ले … अभी भी दिल नहीं भरा
क्या? इतनी
जबरदस्त चुदाई करने के बाद भी तू जोर लगा रहा है … मेरा तो एक एक अंग डोल गया है.
चाची ये कह कर हंसने लगीं.
मैंने कहा- आप हो ही इतने लाजवाब और सेक्सी कि पूरी
रात और दिन आपकी चुदाई करता रहूँ, तो भी दिल ना भरे.
चाची हंसने लगीं और कहने लगीं- दीपू तुमने आज जो
सेक्स का असली मजा दिया है न … वो मजा आज तक मेरे पति ने कभी नहीं दिया. उनका तो लंड भी 3.5 इंच से ज्यादा नहीं है
और वो अन्दर डालते ही 8-10 झटकों में ही निकल जाते हैं. पर तुम्हारा तो आज पहली बार
था और तुमने इतने देर तक चोदा, आज तुमने मेरी सारी तमन्ना पूरी कर दी. मेरे पति तो चुत को
चाटना तो दूर की बात है, उन्होंने तो आज तक मेरी चुत को ढंग से छुआ भी नहीं है.
थैंक्यू मेरी जान.
ये कहते हुए उन्होंने मेरे होंठों को काट खाया.
ये बात सच है दोस्तो … आज भी मेरा लंड बहुत देर तक नहीं
झड़ता. इस तरह मैंने अपनी शरीफ दिखने वाली चाची को अपना लंड दिखा कर और चोद कर अपना
बना लिया.
चाची के साथ मैंने आगे क्या क्या मजे लिए और कैसे
मैंने उनकी गांड मारी, वो सब अगली सेक्स कहानी में लिखूंगा. अगर मुझे कोई गलती हो
गई हो, तो
अपना समझ कर माफ़ कर देना और आप लोगों को मेरी पहली सेक्स स्टोरी कैसी लगी …
ये बताना जरूर
दोस्तों मुझे आपके कमेंट का इंतजार रहेगा.
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