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थानेदारनी भाभी की जबरदस्त चुदाई

मेरा नाम नन्द किशोर है बात लगभग दो साल पहले की है, उस समय मैं एक मार्केटिंग कम्पनी में सम्मलित हुआ था जिसमें लोगों को जोड़ने का काम था और उस हिसाब से कमीशन मिलता था। एक बार मैं अपने एक दूर के भाई को इस कम्पनी से जोड़ने के उद्देश्य से उनके यहाँ कुछ दिन रहने के लिए गया। भैया मध्य प्रदेश पुलिस में काम करते थे। उनकी उम्र २८ साल थी, दो साल पहले उनकी शादी हो चुकी थी पर उनकी शादी में मैं नहीं जा पाया था, इस कारण मैंने उनकी पत्नी को नहीं देखा था। ना ही भाभी ने मुझे देखा था।

 

जब मैंने भैया के घर की घण्टी बजाई तो एक २५ साल की औरत एक छोटे बच्चे को पकड़े दरवाज़ा खोला और कुछ पल तक तक वो मुझे और मैं उसे देखता रहा। उसे देख कर मेरा लण्ड १४५ डिगरी की सलामी मारने लगा। मैंने उसे अपना परिचय दिया, मेरा नाम सुनते ही उसके चेहरे पर एक चमक आ गई और उसने मुझे अंदर आने को कहा और बोली- तुम्हारे भैया अभी थाने गए हैं शाम तक आएंगे तब तक तुम नहा वहा लो मैं खाना बना लेती हूँ।

 

नहाने के बाद मैं सोनू (भाभी का बच्चा) को खिलाने लगा, तभी वो रोने लगा। भाभी ने कहा- शायद इसको भूख लगी होगी ! और मेरे सामने ही उसे अपने स्तन से दूध पिलाने लगी। मैं चोर नज़र से उनके बड़े बड़े स्तनों को देख रहा था और मेरा लण्ड खडा होने लगा। मैं वहाँ से उठा और बाथरूम में जाकर मूठ मारने लगा।

 

शाम को भैया थाने से आये और हम सबने साथ खाना खाया। खाने के बाद मैं भैया भाभी को कंपनी के बारे में बताने लगा। भैया मेरे बगल में और भाभी मेरे सामने थोड़ा झुक कर बैठी थी जिस कारण उनके स्तन मुझे दिख रहे थे। मैंने गौर किया कि भैया से ज्यादा भाभी मेरी बातों में रूचि ले रही थी।

 

एक बात भाभी को थोड़े समझ में नहीं आई और उन्होंने मेरी तरफ झुककर अपना शक पूछा, झुकने के कारण मुझे उनके स्तनों के निप्पल भी दिखने लगे थे। एक पल के लिए मेरे दिमाग ने काम करना बंद कर दिया पर जल्दी ही मैंने अपने को सम्भाल लिया और जैसे तैसे अपनी बात को पूरा किया। भाभी को मेरा प्रजेंटेशन अच्छा लगा और वो जुड़ने के लिए तैयार हो गई।

 

रात हो चुकी थी, मेरे सोने के लिए दूसरे कमरे में भैया ने पलंग लगा दिया था। मैं जाकर लेट गया और भैया भाभी अपने बेडरूम में सोने चले गए।पर मुझे नींद कहाँ आने वाली थी, मेरी नींद तो भाभी के बूब्स ने उड़ा दी थी। एक दो घंटे तो ऐसे ही बीत गए।

 

तभी अंदर के कमरे से भाभी की सिस्कारियां आने लगी। वो आह ऊ आह की आवाज़ कर रही थी।

 

अंदर का माज़रा समझते मुझे देर ना लगी। मैं धीरे से उठा और दबे पांव उनके बेडरूम तक चला गया। उनके कमरे में नाइट बल्ब जल रहा था, जिस कारण कमरे का सारा नज़ारा साफ साफ दिख रहा था।

 

भैया नीचे लटे थे और भाभी उनके ऊपर थी और आ आ अ आ अह ह हा आ आह हा सिस्कारियां भर रही थी। भैया बोले- धीरे चिल्ला ! वरना नन्द सुन लेगा !

 

भाभी बोली- वो मादरचोद तो सपने में अपनी गर्लफ्रेंड को चोद रहा होगा !

 

भैया भाभी को खाट-कबड्डी खेलते देख मैं वहीं मुठ मारने लगा। तभी मैंने देखा- भैया भाभी को गोद में उठा कर चोद रहे हैं और भाभी का चेहरा दरवाज़े की तरफ ही था, पर उन्होंने मुझे देखा नहीं था। भाभी और जोर जोर से आवाज़ करने लगी। मैं भी जोर जोर से मुठ मारने लगा। उधर भैया भाभी शांत हुए इधर मैं।

 

फिर मैं चुपचाप अपने कमरे में आकर सो गया। सुबह भाभी ने आकर मुझे उठाया। जैसे ही मैंने अपना चादर उठाया, भाभी हलके से मुस्कुराने लगी और अपनी ऊँगली से मेरे लोअर की तरफ इशारा किया। जब मैंने नीचे देखा तो लोअर में मेरे वीर्य के निशान पड़े थे।

 

भाभी ने कहा- जल्दी से उतार कर मुझे दे दो, मैं धो दूंगी, अभी तुम्हारे भैया बाहर गए हैं।

 

मैंने तुंरत अपना लोअर उतार दिया पर मेरी सफेद फ़्रेन्ची अंडरवीयर की हालत तो और ख़राब थी, उसका रंग पूरा क्रीम कलर का हो गया था। भाभी बोली- इसे नहाने के बाद तुम मत धोना, मैं धो दूंगी !

 

ठीक है, मैंने कहा और अपना दूसरा लोअर पहन लिया। थोड़ी देर में भैया भी आ गए और नहा धो कर, खाना खाकर थाने चले गए। पूरे दिन भाभी और मैं बातें करते रहे।

 

तभी भाभी बोली- मैं रसोई से चाय बना कर लाती हूँ। और उठ कर रसोई की ओर जाने लगी, तभी भाभी का पैर लचक गया और वो वहीं गिर पड़ी। उन्होंने उठने की कोशिश की पर उनसे उठा भी नहीं जा रहा था। फ़िर मैंने उन्हें उठाया, उनका एक हाथ अपना कंधे पर रखा और दूसरा हाथ उनकी कमर के थोड़ा ऊपर उनके स्तनों के एकदम नीचे और उन्हें बेडरूम में ले जाकर बेड पर बिठा दिया भाभी से पूछ कर आयोडेक्स लिया और उनकी साड़ी को घुटने के ऊपर करके आयोडेक्स लगा दिया।

 

उतने में भाभी ने अपने दोनों पैरों को थोड़ा सा और खोल दिया। नीचे बैठे होने के कारण मुझे उनकी लाल चड्डी साफ साफ दिखने लगी। मेरा ध्यान मोच से हट गया और आयोडेक्स लगाते लगाते मेरा हाथ भाभी की जांघ तक पहुँच गया। तभी भाभी ने मेरा हाथ पकड़ कर सीधे अपनी चूत पर रख दिया, एक पल के लिए मैं हक्का बक्का रह गया।

 

तभी दरवाज़े की घंटी बजी, मैं तुंरत उठ कर दरवाज़ा खोलने के लिए गया। दरवाज़ा खोला तो सामने भैया थे। जैसे ही उनको भाभी की मोच के बारे में बताने वाला था तभी भाभी अंदर से चल के आ गई। मैं तभी भाभी की नीयत भांप गया कि भाभी के क्या इरादे हैं।

 

तभी भैया ने भाभी से कहा कि आज रात को मुझे गश्त पर जाना है, जल्दी खाना बना देना, मैं खा कर जाऊंगा।

 

इतना सुनते ही भाभी और मेरे चेहरे पर एक चमक आ गई और हमारी नज़र एक दूसरे से टकरा गई। रात की योजना बन गई। रात को खाना खा कर मैं भैया को उनके थाने तक बाईक पर छोड़ने गया और लौटते समय मेडीकल की दुकान से कामसूत्र कंडम के २ पैकेट खरीद के ले आया। जैसे ही मैंने दरवाज़ा खटखटाया, भाभी ने दरवाज़ा खोला। मैंने देखा कि भाभी काले रंग की पारदर्शी साड़ी पहने हुए थी। अन्दर आते ही गेट बन्द करके मैं भाभी पर अन्तर्वासना के भूखे शेर की तरह झपट पड़ा और भाभी की नाभि को बेतहाशा चूमने लगा।

 

भाभी बोली- इतनी भी क्या बेसब्री ! अब तो पूरी रात हमारी है देवर जी !

 

मैंने कहा- आप तो रोज़ भैया से चुदवाती होंगी ! मैं तो पहली बार किसी औरत को चूम रहा हूँ !

 

यह कहते हुए मैं भाभी के लाल होंठों को चूमने लगा और भाभी की गाण्ड पर हाथ डाल कर उठा लिया। भाभी ने अपने दोनों पैर मेरी कमर पर लपेट दिए अब भाभी का पूरा वजन मेरे ऊपर था।

 

भाभी बोली- अब चूमते चूमते बेडरूम तक मुझे ले चलो।

 

मैं ने वही किया। चूमते चूमते भाभी को बेड पर लेटाया और एक हाथ भाभी के सर पर रखा और एक हाथ से भाभी के स्तन ऊपर से दबाने लगा भाभी का हाथ मेरे पैंट के ऊपर से मेरे लण्ड को दबा रहा था। मैंने भाभी के ब्लाउज को खोल दिया और ब्रा के ऊपर से स्तनों को दबाने लगा, दबाते चूमते हुए मैंने भाभी की साड़ी खोल दी, फिर भाभी के पेटीकोट का नाड़ा भी खोल दिया और पेटीकोट को उतार दिया। अब भाभी मेरे सामने सिर्फ़ ब्रा और पैंटी में थी। मैं भी अपने कपड़े उतारने लगा। तभी भाभी बोली मेरे कपड़े तुमने उतारे थे अब मैं तुम्हारे कपड़े उतारूंगी।

 

भाभी ने पहले मेरी टी-शर्ट उतारी और मेरी छाती को चूमने लगी। फिर मेरी जींस का बटन खोला और एक झटके से जींस के साथ मेरा अंडरवियर भी उतार दिया। मेरा ६"इंच का खड़ा लण्ड देख कर भाभी चौंक गई और बोली आज रात इससे चुद कर मेरी चूत का आज चबोतरा बना देना और मेरे लण्ड को पकड़ कर जैसे ही पीछे किया मेरा लण्ड का लाल सुपाड़ा बाहर आ गया।

 

अपने लण्ड का ऐसा रूप आज तक मैंने भी नहीं देखा था और मेरे लण्ड को मुंह में लेकर लोलीपोप की तरह चूसने लगी। मेरा बुरा हाल हो रहा था। मैंने अपना सारा माल भाभी के मुंह में छोड़ दिया, भाभी ने सारा माल पी लिया। अब मैं भाभी की चूत चाटने लगा, चूत में एक गुलाबी रंग का दाना था, भाभी बोली कि इसे चाटो !

 

भाभी सिसकारियां भरने लगी। कभी अआऽअअ तो कभी ओऽऽऊऽऽऊहऽहहऽह करती। थोड़ी देर में उसका शरीर अकड़ने लगा और एक झटके से उसने अपना सारा माल मेरे मुंह में छोड़ दिया। मैं भी सारा माल पी गया।

 

भाभी बोली- अब में बर्दाश्त नहीं कर सकती ! अपने लण्ड से मेरी चूत की प्यास बुझा दो !

 

अभी लो ! प्यारी भाभी तुम्हारी चूत की आग को मेरा लण्ड शांत कर देगा !

 

मैंने अपने लण्ड को पकड़ा और भाभी की चूत पर थपथपाने लगा। भाभी बोली- ऐसे मत तड़पाओ अपना लण्ड मेरी प्यासी चूत में डाल दो !

 

सबसे पहले मैंने अपने लण्ड का सुपाड़ा एक हल्के से झटके से भाभी की चूत में डाल दिया।

 

भाभी कराहने लगी- आह ओ ओ ऊ ओऊ ओ ऊह ह हह !

 

दूसरे झटके में पूरा लण्ड ही चूत की गहराई नाप रहा था और भाभी जोर जोर से सिसकियाँ लेने लगी- हाँ देवरजी ! मेरी चूत को ऐसे ही रौंदो ! इसको आज ज़न्नत का मज़ा दो !

 

मैंने लण्ड को चूत में डाले डाले ही भाभी को उठा लिया और सोफे पर ले गया और भाभी को अपने ऊपर बिठा लिया। अब भाभी मुझे चोद रही थी। इस हालत में मैं भाभी के होंठ और बूब्स को भी चूस रहा था। २० मिनट तक इस पोजीशन में चोदने के बाद मैंने भाभी को कुतिया की तरह खड़ा करके भी चोदा। कुछ देर बाद भाभी का शरीर अकड़ने लगा, मैं समझ गया कि वो झड़ने वाली हैं।

 

तभी मेरे लण्ड ने भाभी का बांध तोड़ दिया और वो झड़ गई, पर मेरी मंजिल अभी दूर थी। मैंने चुदाई चालू रखी और ३० मिनट बाद मैं भी झड़ गया। तब तक भाभी तीन बार झड़ चुकी थी और उस रात भर हमने ६ बार सेक्स किया। फिर सुबह ५:३० पर मैं अपने कमरे में जाकर सो गया। दोपहर १० बजे भाभी ने आकर मुझे जगाया। आज उनके चेहरे पर एक अलग ही चमक थी। मैं वहां ५ दिन रहा और भाभी और मुझे जब मौका मिला, हमने ज़िन्दगी के मज़े लिए ! 

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