यह कहानी तब की है जब वो और मैं उसकी रिश्तेदारी में एक शादी में शामिल होने
गए। उसका सारा परिवार शादी में था। शादी लड़की की थी। मैं सच कहूँ तो बहुत बोर हो
रहा था। तभी राजू मेरे पास आया और एक अधेड़ लेकिन खूबसूरत औरत की तरफ इशारा करके
बोला– यार
राज... वो सामने जो औरत है वो मेरी चाची है।
"तो?" मैंने पूछा।
"तो क्या यार... देख ना क्या जालिम औरत है... साली को जब भी देखता हूँ कण्ट्रोल
करना मुश्किल हो जाता है।"
"साले तेरी चाची है वो..."
"तो क्या हुआ यार... जब तुम अपनी चाची को चोद सकते हो तो मुझे क्यों यह शिक्षा
दे रहे हो यार... जरा उसके चुच्चे तो देख, कितने बड़े बड़े हैं और उसके चूतड़ तो देख क्या गोल
गोल और उभरे हुए हैं यार !"
उसकी बात सुन कर मेरा भी लण्ड खड़ा हो गया। तभी राजू को किसी ने बुला लिया पर
साले ने मुझे काम पर लगा दिया था। वैसे तो मुझे वो पहले भी अच्छी लग रही थी पर राजू
से बात होने के बाद तो मेरी नजर ही उस औरत पर टिक गई थी। मैंने उसके बदन के हर अंग
को बड़े ध्यान से देखा तो महसूस किया कि वो सच में बेहद मस्त माल थी। उसको देख कर
बार बार यही बात मन में आ रही थी कि जवानी में राजू की चाची क्या गजब की कयामत रही
होगी।
करीब आधे घंटे बाद राजू मेरे पास आया।
"आया कोई आईडिया दिमाग में?"
"नहीं यार अभी तो नहीं।"
"सोच साले सोच ! अगर पट गई तो दोनों मज़ा करेंगे।"
"साले चाची है तेरी.... हा हा हा !"
ऐसे ही मजाक करते करते हम दोनों राजू की चाची की चूत के सपनों में खोये हुए
थे। शादी में और जवान जवान लड़कियाँ और भाभियाँ भी थी पर हम दोनों तो बस चाची में
ही खोये हुए थे।
राजू ने चाची से मेरा परिचय करवाया। फिर तो मैं चाची से चिपक ही गया, खूब बातें की, बातों बातों में ही समझ
में आ गया कि चाची भी कुछ कम नहीं है। चाची के तीन बच्चे है दो बेटी और एक बेटा।
चाचा पिछले चार साल से दुबई में है और चार साल में सिर्फ एक बार ही चाची से मिलने
आये थे।
समझ में आ गया था कि चाची भी प्यासी हो सकती है बशर्ते चाची ने कोई और पप्पू
ना पटा रखा हो।
पर दोस्त के लिए चांस तो लेना ही था। मैं बातों ही बातों में चाची की तारीफ के
पूल बांधता रहा और चाची को यह एहसास करवाता रहा की मैं तो हूँ ही पर राजू तो मुझ
से भी ज्यादा दीवाना है उसका।
चाची बस बनावटी गुस्सा दिखाती रही पर उसके होंठों की मुस्कान चाची के दिल हाल
बयाँ कर रही थी। मैंने बातों ही बातों में बोल दिया कि चाची आप जैसी औरत के तो हर
जवान लड़का सपना देखता है।
तो चाची ने तपाक से पूछ लिया- क्या तुम भी...?
मामला पटने के नजदीक लग रहा था पर मुझे तो चाची को राजू के लिए पटाना था।
"चाची... राजू तो तुम पर दिलोजान से फ़िदा है और तुम्हारा दीवाना बना घूम रहा
है।" मैंने चाची को टटोलने के लिए बोला तो चाची कुछ नहीं बोली पर मुझे चाची
की आँखों में कुछ नशा सा महसूस हुआ।
तभी राजू हमारे पास आया तो चाची ने राजू को कहा– राजू ... जरा मेरे साथ तो चल जरा...
मुझे कपड़े बदल कर आना है..."
"पर चाची मेरे पास गाड़ी नहीं है।"
"तो ले ले ना किसी की..."
राजू ने मेरी तरफ देखा तो मैंने आँख मार दी।
राजू ने मेरी तरफ देख कर कहा– राज... तुम ही क्यों नहीं चलते अपनी गाड़ी लेकर?
मैंने भी हाँ करने में देर नहीं की। मैंने गाड़ी निकाली। चाची मेरे साथ अगली
सीट पर थी और राजू पीछे बैठा था। रास्ते भर ना चाची ने कुछ कहा और ना ही राजू ने।
मैं जरूर बीच बीच में चाची की तरफ देख रहा था। चाची कुछ बेचैन सी महसूस हो रही थी।
करीब दस मिनट के बाद चाची का घर आ गया।
चाची और राजू दरवाजा खोल कर घर के अंदर चले गए। मैं भी गाड़ी साइड में लगा कर
घर के अंदर गया तो मुझे राजू नजर आया जो दरवाजे की दरार से अंदर झाँक रहा था।
मैंने भी जब वहाँ जाकर देखा तो मेरा भी लण्ड खड़ा हो गया। चाची कपड़े बदल रही थी।
मौका सही था। मैंने राजू के कान पर एक चपत लगाईं और उसको अंदर जाने के लिए कहा
पर राजू की डर के मारे फट रही थी।
मैंने उसको थोड़ा गुस्से में देखा तो वो डरता डरता अंदर घुस गया। अंदर से चाची
के चिल्लाने की आवाज आई। मैंने अंदर झाँक कर देखा तो राजू ने पीछे से चाची की
चूचियाँ पकड़ रखी थी, चाची छूटने का प्रयास कर रही थी। चाची राजू से छूटने का प्रयास तो जरूर कर रही
थी पर चाची के चेहरे के भाव जरा भी ऐसे नहीं थे कि उसको राजू के ऐसा करने से बुरा
लग रहा था।
"छोड़ राजू ... छोड़ दे बेटा... छोड़ मुझे...छोड़..." चाची गुस्सा दिखाते
हुए राजू को अपने से दूर करने का प्रयास कर रही थी।
राजू ने चूचियाँ दबाते दबाते चाची की ब्रा उतार कर एक तरफ फेंक दी। राजू चाची
की गर्दन पर किस कर रहा था और
चाची की गोल गोल चूचियाँ मसल रहा था। चाची गर्म होने लगी थी और अब चाची धीमी
आवाज में राजू को छोड़ देने की
प्रार्थना कर रही थी।
"छोड़ दे बेटा... अपनी चाची के साथ भी कोई ऐसा करता है क्या... छोड़ दे राज आ
जाएगा... छोड़ राजू ..."
"राज नहीं आएगा चाची... मैं उसको आने से मना करके आया हूँ... उसको पता है कि
मैं तुम्हारे पास हूँ और क्या कर रहा
हूँ।"
चाची अवाक् रह गई। तभी राजू ने चाची के पेटीकोट की डोर भी खोल दी और चाची अब
सिर्फ पैंटी में राजू की बाहों में
लिपटी हुई थी। चाची ने अब छूटने की कोशिश भी बंद कर दी थी। राजू ने चाची को
अपनी तरफ किया और चाची के होंठो
पर अपने होंठ रख दिए। मैंने देखा चाची भी अब राजू का लण्ड पैंट के ऊपर से ही
सहला रही थी।
उन दोनों की रास लीला देख कर बाहर मेरी भी हालत खराब हो रही थी। लण्ड पूरा
अकड़ चुका था और बेकाबू होता जा रहा
था पर मैं उन दोनों का मज़ा खराब नहीं करना चाहता था। अंदर देखा तो अब चाची राजू
के कपड़े उतार रही थी। राजू भी
चाची की बड़ी बड़ी चूचियों को मुँह में ले लेकर चूस रहा था। चाची के मुँह से
सिसकारियाँ फ़ूट रही थी। थोड़ी ही देर बाद
दोनों के नंगे बदन एक दूसरे से उलझे हुए थे। राजू ने चाची को बेड पर लेटा दिया
था और अपना लण्ड चाची के होंठों से
रगड़ रहा था पर चाची लण्ड चूसने से मना कर रही थी।
"प्लीज... चाची चूसो ना बहुत मज़ा आएगा...."
पर चाची मान ही नहीं रही थी। जब नहीं मानी तो राजू चाची की टाँगों के बीच आ
गया और चाची की पनियाई हुई चूत पर अपने होंठ रख दिए। जीभ निकाल कर वो चाची की चूत
चाटने लगा।
चाची तो मस्ती के मारे लगभग चीखने लगी थी। "आह्ह्ह.... ओह्ह्ह... उईईई
आह....." इसके सिवा चाची कुछ भी नहीं बोल पा रही थी।
चाची ने राजू का सर अपनी जांघों के बीच में दबा रखा था और खुद मस्ती के मारे
अपना सर बेड पर इधर उधर पटक रही थी। राजू ज्यादा देर नहीं रुक सकता था। वो सीधा
चाची के ऊपर आया और अपने लण्ड को चाची की चूत के छेद पर रख कर घुसाने लगा।
"धीरे से डालना ... चार साल से लण्ड नसीब नहीं हुआ है..."
राजू का लण्ड की मोटाई कम थी सो राजू को लण्ड चूत में घुसाने में कोई दिक्कत
नहीं हुई और दो धक्को में ही पूरा लण्ड चाची की चूत में था। राजू की तमन्ना पूरी
हो गई थी तो वो मस्त होकर चाची की चूत चोद रहा था और चाची भी चार साल बाद लण्ड का
मज़ा लेकर मस्त हुई जा रही थी।
वो लोग मस्त हो रहे थे पर अब मुझ से कण्ट्रोल नहीं हो रहा था। अपने आप को बहुत
रोका पर अब रुकना मुश्किल हो रहा था। आखिरकार मैं दरवाजा खोल कर कमरे में घुस गया।
वो दोनों मस्ती में डूबे हुए थे और उनको तो पता भी नहीं चला की कब मैं आकर उन
दोनों के पास खड़ा हो गया था।
मैंने अपना लण्ड जो की राजू के लण्ड से ज्यादा लम्बा और मोटा भी था निकाल कर
चाची के मुँह के पास करा दिया। जब मेरा लण्ड चाची के होंठों से टकराया तो चाची ने
नजर उठा कर मेरी तरफ देखा और घबरा गई। चाची ने कुछ बोलने के लिए जैसे ही मुँह खोला
मैंने तपाक से लण्ड चाची के मुँह में घुसा दिया। चाची घूं-घूं करके रह गई।
उसने हाथ से पकड़ कर मेरा लण्ड अपने मुँह से बाहर निकाल दिया। मेरा लण्ड अब राजू
की चाची के हाथों में था। गर्म गर्म लण्ड पकड़ कर चाची कुछ भी बोलने की स्थिति में
नहीं थी। राजू ने भी अपना काम रोका नहीं था वो पूरी मस्ती से चाची की चूत में
धक्के लगाने में व्यस्त था।
"चूसो ना चाची जी... प्लीज..." मैंने चाची की आँखों में देखते हुए दुबारा
से लण्ड चाची के होंठों से लगा दिया। चाची हल्के से मुस्कुराई और फिर बिना कुछ
बोले मेरा लण्ड चूसने लगी।
"साली मेरा लण्ड तो चूसने में तेरी गांड में दर्द हो रहा था और राज का लण्ड देख
कैसे चूस रही है।" राजू झल्लाते हुए बोला।
"चाची-चोद... आज जो तू मेरी चूत मार रहा है वो राज के ही कारण है...आह्ह्ह..
चुपचाप चुदाई कर और थोड़े तेज तेज धक्के लगा... ओह्ह्ह... मैं झड़ने वाली हूँ
अब... जल्दी जल्दी चोद... और पानी अंदर मत डालना।"
तभी चाची का बदन अकड़ने लगा और वो मेरा लण्ड जोर जोर से चूसने लगी और फिर वो
दोनों एक साथ झड़ गए। राजू ने सारा माल चाची की चूत और गांड के ऊपर उड़ेल दिया था।
चाची ठंडी हो गई थी पर अब मेरा लण्ड पूरे शवाब पर था। चाची कुछ देर ऐसे ही लेटी
रही और फिर उठ कर अपनी चूत साफ़ करने लगी। राजू भी साइड में थक कर लेटा हुआ था। एक
बस मैं ही था जो अब चूत मारने के लिए बेचैन हो रहा था।
मैंने चाची का सर पकड़ा और दुबारा से लण्ड चाची के होंठों से लगा दिया। चाची
ने मुस्कुरा कर मेरी तरफ देखा और फिर बिना कुछ बोले मेरा लण्ड चूसने लगी। मैं भी
चाची की गोल गोल मस्त चूचियों को मसल रहा था।
चाची ने राजू का सर पकड़ा और अपनी जांघों के बीच दबा लिया और राजू को चूत
चाटने के लिए कहने लगी। राजू चुदाई करके थक चुका था पर फिर भी वो धीरे धीरे चाची की
चूत चाटने लगा।
करीब पाँच मिनट चुसाई का मज़ा लेने के बाद राजू का लण्ड भी खड़ा हो चुका था और
चाची भी दूसरी चुदाई के लिए तैयार थी। मैं तो पहले ही चुदाई करने के लिए मरा जा
रहा था।
मैंने चाची को सीधा किया और अपना मोटा लण्ड चाची की चूत पर रख कर एक जोरदार
धक्का लगा दिया। चाची की चूत धक्का नहीं झेल पाई और चाची की चीख निकल गई। राजू ने
अब अपना लण्ड चाची के मुँह में दे दिया था।
दो धक्कों में लण्ड चूत में घुसाने के बाद मैं अब पूरी मस्ती में चाची की चूत
का मजा ले रहा था। हर धक्का चाची की बच्चेदानी तक पहुँच रहा था।
कुछ देर की चुदाई के बाद मैंने चाची को अपने ऊपर ले लिया और खुद चाची के नीचे
आ गया। चाची उछल उछल कर मेरा लण्ड चूत में ले रही थी और राजू का लण्ड चूस रही थी।
मस्ती अपने चरम पर थी। तीनों में से कोई भी कुछ भी नहीं बोल रहा था। बस बेड पर
भूचाल आया हुआ था। फिर मैंने चाची को घोड़ी बना कर लण्ड पीछे से चाची की चूत में
घुसा दिया।
करीब दस मिनट की जबरदस्त चुदाई चली। चाची बीच में एक बार झड़ चुकी थी और उसके
हावभाव बता रहे थे कि वो एक बार फिर झड़ने वाली है।
मैं भी अब झड़ने वाला था। चाची ने एक बार फिर पानी चूत में डालने से मन कर
दिया।
आठ दस धक्कों के बाद ही चाची एक बार फिर से झड़ने लगी और मेरा भी छूटने वाला
हो गया तो मैंने लण्ड चूत से निकाला और लण्ड चाची के मुँह के आगे कर दिया। राजू और
मैं दोनों एक साथ झड़ गए। चाची का पूरा चेहरा मेरे और राजू के वीर्य से लथपथ हो
गया। चाची चुदवा कर मस्त हो गई थी।
हमें आये एक घंटे से ज्यादा हो गया था। मूड तो अभी और चुदाई का भी था पर चाची
बोली- शादी में चलो, नहीं तो सबको शक हो जाएगा।
सबने कपड़े पहने और फिर से शादी में पहुँच गए पर उस दिन के बाद तो चाची की
चुदाई का ऐसा चस्का लगा की राजू और मैं जब भी फ्री होते चाची के पास पहुँच जाते और
फिर चाची घंटों हम दोनों के बीच नंगी पड़ी चुदाई का भरपूर आनन्द लेती।
राजू और मैंने भी चाची को हर तरह का मज़ा दिया, चूत-गाण्ड मार मार कर निहाल कर
दी थी।
करीब चार महीने बाद चाचा एक महीने की छुट्टी लेकर आये तो हमारा चाची के यहाँ आना जाना बंद हो गया। उसके बाद मैंने चाची के यहाँ जाना छोड़ दिया पर राजू आज भी चाची के साथ भरपूर मज़ा ले रहा है। चाची बहुत बार मुझे बुलाती है पर आज मेरी जिन्दगी इतनी व्यस्त हो गई है कि चाची के लिए समय निकालना मेरे लिए संभव नहीं है।
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