मेरा नाम कोयल है हमारा 3 लोगों का छोटा सा
परिवार है मम्मी पापा और में. मेरे मम्मी पापा दोनों ही जॉब करते है और में दिखने
में सुंदर हूँ और लंबे बाल है. में इस साईट की बहुत बड़ी फैन हूँ और आज में आपके
साथ मेरा अनुभव शेयर करने जा रही हूँ. यह 3 साल से भी ज्यादा पुरानी बात है, तब मेरी उम्र 19 साल थी और मेरी हाईट 5 फुट 1 इंच और फिगर 32-25-32 था.
हम लोग एक अपार्टमेंट में रहते थे, तभी हमारे पास के फ्लेट में एक नई फेमिली रहने को आई,
जो कि कुछ दिनों
से खाली था. उनकी फेमिली में एक कपल और उनके पिताजी थे, उन लोगों के रहने के बाद पड़ोसी
के नाते दोनों फेमिली के बीच बातचीत शुरू हुई वो दोनों पति पत्नी जॉब करते थे.
फिर अंकल ने बताया कि उनकी मम्मी 12 साल पहले गुजर गई और उनकी दीदी शादी के बाद अमेरिका
में रहती है और उनके पापा रिटायर्ड होने के बाद उनके पास रहने आ गये. फिर मेरे मम्मी
पापा उनके पापा को चाचा जी बोलने लगे और उसी हिसाब से में उनको अंकल, आंटी और दादा जी बुलाने
लगी, इन 2 महीनों में दोनों
परिवार काफ़ी नजदीक हो गये थे.
एक दिन दोपहर में स्कूल के बाद घर आने के लिए में सिटी बस स्टॉप पहुँची और उसी
बस स्टॉप पर दादा जी घर आने के लिए बस का इंतजार कर रहे थे, दादाजी 5 फुट 8 इंच और मजबूत बॉडी के थे,
हांलाकि उनकी उम्र
61 साल के
आस पास थी, लेकिन वो 50 साल के दिखते थे. फिर बस आने के बाद हम दोनों बस पर सवार हो गये और अपने घर
की तरफ निकल पड़े.
जब बारिश का महीना था और हल्की-हल्की बारिश शुरू हो गयी थी, बस स्टॉप पर सिर्फ़ हम
दोनों उतरे. हम दोनों के पास छाता ना होने की वजह से हल्की-हल्की बारिश में भीगते
हुए हम घर की और बढ़े, बस स्टॉप से घर करीब 10 मिनट पैदल जाने की दूरी पर है,
हम बस स्टॉप से 2-3 मिनट ही चले थे कि
बारिश जोर से होने लगी तो हम दोनों तेज-तेज चलने लगे, लेकिन ज़्यादा बारिश होने की वजह
से दादा जी बोले कि साईड के बड़े पेड़ के नीचे इंतजार कर लेते है और तेज की बारिश
की वजह से में मान गयी और हम दोनों साईड के पेड़ के नीचे चले गये
लेकिन तब तक हम दोनों पूरी तरह से भीग चुके थे और हमारे कपड़े गीले हो चुके थे,
उस वक़्त में
स्कूल ड्रेस पहने हुई थी जो कि सफ़ेद शर्ट और ग्रे स्कर्ट थी, में पूरी तरह से भीग
चुकी थी और मेरी सफ़ेद शर्ट पारदर्शी होकर चिपक गयी थी. मैंने अन्दर ब्रा पहनी हुई
थी, लेकिन
गीली शर्ट से मेरे बूब्स के शेप का मालूम चल रहा था. फिर मैंने दादा जी की तरफ
देखा तो उनकी नज़र मेरी भीगी हुई शर्ट में दिख रहे बूब्स और क्लीवेज पर थी.इस
कहानी को आप अंतरवासना की आग पे पढ़ रहे हैं ।
अब वो इधर उधर की बातें करने लगे वो बीच बीच में मेरी बूब्स की और देख रहे थे,
जैसे कि मुझे कोई
शक़ ना हो. जब वो मेरी बूब्स की तरफ देख रहे थे, तब मेरे दिल में हलचल मच रही थी
और मुझे एक अजीब सी ख़ुशी महसूस हुई और इससे पहले किसी ने मुझे इस तरह से नहीं
देखा था. फिर 15 मिनट के बाद बारिश कम होते ही हम दोनों घर की और चल पड़े और चलते-चलते दादा
जी मेरे भीगे हुए बदन को तिरछी नज़र से देख रहे थे, अब मुझे उनका देखना अच्छा लग रहा
था.
फिर हम दोनों अपने-अपने घर चले गये, आज तक मैंने सिर्फ़ सेक्स की वासना और सेक्स की नजर
से देखने के बारे में पढ़ा और सुना था, लेकिन कभी महसूस नहीं किया था, लेकिन आज दादा जी जिस
तरह से मुझे और मेरे भीगे हुए बूब्स को देख रहे थे तो मुझे एक ख़ुशी महसूस होने
लगी थी और में उनके बारे में सोचने लगी. उस कच्ची उम्र में यह भावना आते ही मुझे
कुछ समझ में नहीं आ रहा था और में यह भूल चुकी थी कि वो 61 साल के और में सिर्फ़ 19 साल की हूँ, इसी हसीन याद से टाईम कट
गया और देखते ही देखते शाम हो गयी.
फिर में शाम तक अपना सब होमवर्क ख़त्म करके छत पर खुली हवा खाने के लिए चली गयी,
तभी धीरे धीरे
अंधेरा होने लगा था. जब में छत पर गयी तो वहां सामने कोई नहीं था, जब मैंने पूरी छत पर
नज़र घुमाई तो एक कोने में दादा जी बेंच पर बैठे थे. उनको देखते ही मुझे एक ख़ुशी
महसूस हुई, जैसे कि में उनसे वर्षो से मिलना चाहती हूँ और आज सामने मिल गये हो और मुझे
देखते ही उनका चेहरा भी खुशी से चमक उठा और उन्होंने मुझे एक बड़ी सी स्माईल दी.
फिर मैंने भी उनको रिप्लाई में एक स्माईल दी और जाकर उनकी बगल में बैठ गयी,
उस वक़्त में लोंग
स्कर्ट और वी गले की टॉप पहने हुई थी और दादा जी बात करते-करते मेरी क्लीवेज और
बूब्स देख रहे थे और में जानबूझ कर अंजान बन रही थी.
फिर थोड़ी देर के बाद दादाजी ने अपना एक हाथ मेरी जांघ पर रख दिया और सामने की
तरफ देखकर मुझसे बात करने लगे. फिर में भी चुपचाप बैठकर उनसे बात करने लगी और
मैंने उनका हाथ हटाने की कोई कोशिश भी नहीं की थी. फिर 2 मिनट के बाद दादा जी अपने हाथ
से मेरी जांघ को सहलाने लगे और में चुपचाप बैठी हुई सामने की तरफ देख रही थी. फिर
थोड़ी देर के बाद जब मैंने उनकी तरफ देखा तो वो मेरी जांघ सहला रहे थे और मेरी
क्लीवेज को देख रहे थे.
फिर उन्होंने मेरी आँखों में देखकर एक स्माइल दी, तो मैंने भी उन्हें एक स्माइल दे
दी. फिर में हंसते हुए बोली कि मम्मी पापा के आने का टाईम हो गया है और अब में
नीचे घर जाती हूँ और फिर में नीचे चली आई. फिर थोड़ी देर में मम्मी पापा अपनी जॉब
से वापस आ गये, अब शाम के 9 बजे हुए थे और में सोफे पर बैठकर टी.वी देख रही थी और मम्मी किचन में काम कर
रही थी और पापा लेपटॉप में अपना काम कर रहे थे. तभी डोर बेल बजी और मैंने जाकर
दरवाजा खोला तो मैंने देखा कि दरवाजे के सामने दादा जी खड़े हुए थे.इस कहानी को आप
अंतरवासना की आग पे पढ़ रहे हैं ।
फिर उन्होंने मुझे देखते ही आँख मारी और स्माइल करते हुए अंदर आ गये, अब उन्हें देखकर मेरा
दिल जोरो का धड़कने लगा था. अब पापा ने उनके चाचा जी को देखकर बड़ी खुशी से उनका
स्वागत किया, तब दादा जी मुझसे बोले कि आओ और आराम से अपनी टी.वी देखो और में फिर से सोफे
पर जाकर टी.वी देखने लगी और दादा जी आकर मेरे बगल में बैठ गये और पापा से बात करने
लगे.
फिर मम्मी किचन में उनके लिए चाय बनाने के लिए चली गयी, अब पापा अपने लेपटॉप पर काम
करते-करते दादा जी से बात कर रहे थे, तो दादाजी अपने हाथ से मेरी पीठ सहलाने लगे. फिर जब
मैंने उनकी तरफ देखा तो वो स्माइल देते हुए मेरे टॉप के अंदर हाथ घुसाते हुए मेरी
नंगी पीठ सहलाने लगे, तभी दादाजी ने पापा से मेरे बारे में बात की.
दादा जी : मुस्कान 11वीं में क्लास आ गयी है, उसकी पढाई कैसी चल रही है?
तुम हेल्प कर रहे
हो या नहीं ?
पापा : नहीं चाचा जी, काम थोड़ा ज़्यादा है इसलिए ध्यान नहीं दे पा रहे है.
दादा जी : अरे भाई काम तो चलता रहेगा, लेकिन बेटी की पढ़ाई का ध्यान तो रखना पड़ेगा ना.
पापा : जी आप सही बोल रहे है, लेकिन काम का बोझ भी है अगर बुरा ना माने तो क्या आप
मुस्कान की पढाई देख लेंगे? अगर आपके पास टाईम हो तो.
दादा जी : अरे इसमें बुरा मानने की क्या बात है? में दोपहर को खाली बैठे-बैठे बोर
होता रहता हूँ तो मेरा भी टाईम पास हो जायेगा. (फिर मेरी तरफ देखकर आँख मारी,
और में स्माइल
देते हुए फिर से टी.वी देखने लगी) तभी मम्मी चाय ले कर आई, तो दादा जी ने अपना हाथ मेरे टॉप
से बाहर निकाल लिया और वो मुझे स्माईल कर रहे थे.
मम्मी : चाचा जी आपको कोई परेशानी तो नहीं होगी ना.
दादा जी : बिल्कुल नहीं बल्कि मुझे तो खुशी होगी.
मम्मी : अकेली लड़की घर पर रहती है तो डर लगा रहता है और आप साथ रहेंगे तो दिल
को तसल्ली भी रहेगी.
दादा जी : हाँ बेटी सही कहा तुमने, माँ हो चिंता तो रहेगी, लेकिन आगे से मुस्कान अकेली नहीं
रहेगी मेरे यहाँ आ जाया करेगी, तो में उसकी पढाई में हेल्प कर दूंगा.
पापा : थैंक यू चाचा जी, मुस्कान कल से तुम स्कूल से आकर लंच के बाद पढाई करने के
लिए चाचा जी के पास चली जाना.
में : जी पापा.
फिर चाय के बाद मम्मी किचन में चली गयी और दादा जी ने अपना हाथ फिर से मेरे
टॉप के अंदर डाल दिया और उन्होंने इस बार नीचे कि तरफ स्कर्ट के अंदर डालने की
कोशिश की, लेकिन स्कर्ट टाईट थी इसलिए वो सफल नहीं हुए. फिर वो मेरी पीठ को टॉप के अंदर
से ही सहलाते रहे, फिर थोड़ी देर के बाद वो अपने घर जाने के लिए उठे और मुझे स्माइल देते हुए
बोले कि कल वो इंतज़ार करेंगे, फिर वो चले गये. उसी रात अगले दिन के बारे में सोचते-सोचते
कब मेरी आँख लग गयी मुझे मालूम ही नहीं चला.
फिर में सुबह उठकर स्कूल के लिए तैयार हो गयी, फिर स्कूल जाते वक़्त मम्मी ने
मुझे याद दिलाया कि लंच के बाद दादा जी के यहाँ पढ़ाई के लिए जाना है और में हाँ
बोली. फिर स्कूल कैसे ख़त्म हो गया? मुझे पता भी नहीं चला और में घर वापस आ गयी. फिर में लंच
करके दादा जी के यहाँ जाने के लिए तैयार होने लगी, उस टाईम मैंने टॉप और स्कर्ट
पहने थी.
अब मैंने दादा जी के घर के दरवाजे पर जाकर घंटी बजाई, फिर दरवाजा ओपन हुआ और अब सामने
दादा जी सिर्फ़ एक पजामे में खड़े थे. मुझे देखते ही उनका चेहरा खुशी से चमक उठा
और मुस्कुराते हुए बोले कि वो मेरा ही इंतज़ार कर रहे थे.
अब मेरे अंदर जाते ही उन्होंने दरवाजा अन्दर से बंद कर दिया, और अब में जाकर सोफे पर
बैठ गयी और सामने की टेबल पर अपनी किताब रख दी. तभी दादा जी एक ग्लास जूस मुझे
देते हुए मेरे बगल में बैठ गये और अब वो मेरी पढ़ाई के बारे में पूछ रहे थे और में
धीरे-धीरे जूस पीते हुए उन्हें जवाब दे रही थी, इसी बीच दादा जी ने मेरी जांघ पर
हाथ रखकर सहलाना शुरू कर दिया.
अब मेरा दिल ज़ोर से धड़कने लगा था और में चुपचाप अपना सिर नीचे करके जूस पीने
लगी थी. तभी दादा जी ने पूछा कि मुझे बुरा तो नहीं लग रहा है वो मुझे टच कर रहे है,
तो मैंने स्माइल
देते हुए ना में सिर हिलाया. अब यह सुनकर दादा जी अपना दूसरा हाथ मेरे टॉप के अंदर
डालकर मेरी पीठ सहलाने लगे.
फिर मेरे हाथ को किस करते हुए बोले यहाँ हम सुरक्षित नहीं है और मेरा हाथ
पकड़कर बेडरूम में ले गये. अब दादाजी मुस्कुराते हुए बोले यहाँ आराम से बात कर
सकते है और हम दोनों बेड पर बैठ गये, फिर दादा जी ने अपना लेफ्ट हाथ मेरे कंधे पर रख दिया
और अपने राईट हाथ से मेरे लेफ्ट बूब्स को सहलाने लगे. तब मैंने उनका हाथ पकड़ लिया,
लेकिन मैंने उनका
हाथ हटाने की कोशिश नहीं की, तो वो बूब्स को धीरे धीरे दबाने लगे. अब मैंने मेरी आँखे
बंद कर ली, तभी उन्होंने दोनों बूब्स को दबाते हुए पूछा कि कैसा लग रहा है? तो मैंने कहा अच्छा लग
रहा है.इस कहानी को आप अंतरवासना की आग पे पढ़ रहे हैं ।
फिर वो अपना हाथ टॉप के अंदर डालकर मेरे बूब्स को ब्रा के ऊपर से सहलाने लगे
और धीरे-धीरे दबाने लगे. अब में अपनी आँखें बंद करके मज़ा ले रही थी और उन्होंने
अपना सर मेरे कंधे पर रखकर मेरी गर्दन को चूमना शुरू कर दिया. यह सब मेरे साथ पहली
बार हो रहा था और अब में भी गर्म होने लगी थी, तभी दादा जी ने मेरे टॉप को नीचे
से पकड़कर ऊपर किया और मेरे दोनों हाथ ऊपर करते ही एक झटके में मेरी टॉप मुझसे अलग
हो गयी और अगले ही पल में मेरी ब्रा के हुक खोलकर ब्रा को भी मुझसे अलग कर दिया.
अब में नीचे सिर्फ़ स्कर्ट में थी और ऊपर से पूरी नंगी थी, मेरी बूब्स देखकर दादा
जी के मुँह से वाउ निकल गया और बोले, आआअहह क्या खूबसूरत बूब्स है? जी कर रहा है कच्चा खा जाऊं,
क्या किसी ने आज
से पहले बूब्स टच किया है? तो फिर मैंने ना में सिर हिलाया और वो एक भूखे बच्चे की तरह
मेरे बूब्स को चूसने लगे और अपना हाथ मेरी स्कर्ट के अंदर डालकर मेरी जांघो को
सहलाने लगे, तब तक मेरी पेंटी पूरी गीली हो चुकी थी.
फिर थोड़ी देर में ही दादा जी अपने हाथ से मेरी चूत को पेंटी के ऊपर से ही टच
करने लगे तो मैंने अपना हाथ उनके पजामे के ऊपर रख दिया और धीरे-धीरे उनके लंड को दबाने
लगी. तभी दादा जी ने अपना पजामा उतार दिया और अब वो सिर्फ़ चड्डी में थे. फिर वो
मुझसे बोले कि मुस्कान क्या तुम अपने दोस्त को बाहर नहीं निकालोगी?
यह कहकर उन्होंने मेरा हाथ अपनी चड्डी के अंदर डाल दिया, अब मुझे ऐसा लगा कि मेरे
हाथ में कोई गर्म रोड आ गयी है. फिर मैंने चड्डी में से उनका लंड बाहर निकाला,
में लाईफ में पहली
बार लंड देख और छू रही थी, उनका लंड करीब 6 इंच लंबा, और 3 इंच चौड़ा था और में उसे एक ही नज़र में देखे जा रही थी,
जैसे मुझे कोई
अजूबा हाथ लगा हो. इसी बीच दादा जी ने अपनी चड्डी ऊतार दी और मेरी स्कर्ट भी खोल
दी. अब वो मेरे सामने पूरे नंगे थे और में सिर्फ़ एक पेंटी में थी.
अब में उनके लंड को अपने हाथ से सहला रही थी और वो मेरे बूब्स दबाते हुए मेरी
आँखो में देख रहे थे. फिर धीरे-धीरे वो मेरे चेहरे के पास आकर मेरे लिप को चूमने
लगे, अब
में भी किस में उनका साथ देने लगी. फिर 2-3 मिनट तक लिप किस करने के बाद दादा जी मेरे सामने
खड़े हो गये और अब उनका लंड ठीक मेरे सामने तनकर खड़ा था, मानों जैसे वो मुझे सलामी दे रहा
है.
फिर दादा जी मुझे लंड को मुँह में लेने के लिए बोले और मैंने लंड को दोनों
हाथों से पकड़कर मुँह में ले लिया. अब दादा जी मेरे बालों को पकड़कर मेरे सिर को
अपने लंड पर आगे पीछे करने लगे और अपनी आँखे बंद करके, उम्म्म हम्मम्मम्म करके
सिसकारियाँ निकाल रहे थे. फिर में 3-4 मिनट तक उनका लंड चूसती रही और उन्होंने अचानक से
ज़ोर से, आहह
करते हुए अपना पूरा पानी मेरे मुँह के अंदर ही छोड़ दिया. उनके लंड के पानी का
टेस्ट कुछ अजीब सा था, लेकिन में उनके लंड का सारा पानी पी गयी और मैंने लंड चाट
कर साफ कर दिया.
अब दादा जी ने मुझे उठाकर बेड पर लेटा दिया और मेरी पेंटी को नीचे खींचने लगे,
अब देखते ही देखते
मेरी पेंटी मुझसे अलग हो गयी और में पूरी नंगी बेड पर लेटी रही. फिर मेरी दोनों
टांगो को खोलकर अपना सिर मेरी जांघो के बीच में रख दिया और मेरी चूत को किस करने
लगे, मुझे
ऐसी फीलिंग हो रही थी, जैसे कि हज़ारो चीटियाँ मेरी चूत को काट रही हो, मुझे इतनी अच्छी फीलिंग
पहले कभी नहीं आई थी.
फिर वो मेरी चूत को चाटने लगे और देखते ही देखते अपनी जीभ मेरी चूत में डालने
लगे, अब वो
मेरी चूत को चूसते रहे और अब में उनका सिर पकड़कर दबाब डाल रही थी और चूत चुसाई का
मज़ा ले रही थी. अब करीब 5-6 मिनट तक चुसाई करवाने से मेरी चूत से पानी निकलने लगा था और
वो मेरी चूत पर मुँह लगाकर पूरा पानी पी गये. अब पानी निकलने के बाद में हल्का
महसूस कर रही थी और अब दादा जी मेरे ऊपर आकर मेरे बूब्स के साथ खेलने लगे और अब
में भी उनके लंड को अपने हाथ से सहलाते हुए खेलने लगी.
फिर 2
मिनट में ही दादा जी का लंड सलामी देते हुए फिर से खड़ा हो गया, तो वो मेरी दोनों टांगो
के बीच में आकर बैठ गये. अब उन्होंने एक तकिया लेकर मेरी कमर के नीचे रख दिया,
ताकि मेरी चूत
थोड़ी ऊपर हो जाए. फिर बेड के साईड में टेबल पर रखी वेसलिन क्रीम निकाल कर थोड़ी
मेरी चूत पर लगाई और थोड़ी अपने लंड पर लगा ली, फिर अपने हाथ से लंड को पकड़कर
मेरी चूत के होल के सामने रगड़ने लगे. फिर वो मेरे ऊपर लेट गये और मेरे लिप पर किस
करने लगे
अब में भी उनके किस का साथ दे रही थी और इसी बीच दादा जी ने एक ज़ोर के धक्के
के साथ अपना लंड मेरी चूत के अंदर डाल दिया, तो में दर्द के मारे चिल्लाने
लगी, लेकिन
उन्होंने मेरे लिप को अपने लिप से बंद कर रखा था और अब में उनको हटाने लगी,
लेकिन उन्होंने
मेरी कमर को पकड़ कर रखा था और में हिल भी नहीं पा रही थी, अब दर्द के मारे मेरी आँखो से
आंसू निकलने लगे थे.
फिर दादा जी ने मेरे बूब्स को चूसा और फिर थोड़ी देर में जब मेरा दर्द कम हुआ
तो वो फिर से अपनी कमर चलाने लगे. अब उनका लंड धीरे-धीरे चूत में अंदर बाहर होने
लगा था, फिर
जब में थोड़ी नोर्मल हुई तो उन्होंने और एक ज़ोर के धक्के से अपना पूरा लंड मेरी
चूत में अंदर डाल दिया और तभी ज़ोर से पकड़कर मुझे किस करने लगे और धीरे-धीरे मेरा
दर्द कम होने लगा और मेरा दर्द कम होने के बाद लंड को अंदर बाहर करके चोदने लगे.
फिर थोड़ी देर में मुझे भी मज़ा आने लगा और में अपनी कमर उठा- उठाकर उनका साथ देने लगी और अब मुझे देखकर दादा जी भी जोश में आ गये और ज़ोर ज़ोर से मुझे चोदने लगे. फिर 7-8 मिनट तक चुदवाने के बाद मेरे पानी छोड़ने के बाद दादा जी भी कुछ 15-20 धक्के लगाकर वो भी अपना पानी मेरी चूत के अंदर डाल कर झड़ गये. अब चुदाई के बाद हम दोनों ही थक चुके थे और कुछ देर तक हम दोनों वैसे ही नंगे बेड पर पड़े रहे. दोस्तों यह थी मेरी दादाजी के साथ पहली चुदाई की कहानी
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