दोस्तों, मैं अपने साथ हुए एक गज़ब के ट्रेन सफ़र के बारे में हिंदी सेक्स स्टोरी पर सुनाने जा रहा हूँ। इसमें मैंने एक साथ माँ और बेटी के साथ सेक्स क्या है दोस्तों इंजिनियरिंग पास करने के बाद मेरी नयी नौकरी लगी थी और अपने ऑफिस के काम से मैं नई दिल्ली से बंगलौर जा रहा था। ऑफिस वालों ने मेरा रेलवे टिकट कर्नाटक ऐक्सप्रेस में फर्स्ट ऐ-सी में करवा दिया था। मैं अपनी यात्रा के दिन शाम को आठ बजे नई दिल्ली स्टेशन पर पहुँच गया।
दिसंबर का महीना था, इसलिये बाहर ठंड बहुत पड़ रही थी और मैं अपनी सीट में बैठ गया। थोड़ी देर के बाद ट्रेन चल पड़ी और टी-टी आया और टिकट चेक कर के चला गया। हमारे कूपे में एक ही परिवार की दो औरतें थीं और उनके साथ एक आदमी था।
मेरा अपर बर्थ था और ट्रेन छूटने के बाद मैं थोड़ी देर तक नीचे बैठा रहा और फिर मैं अपनी बर्थ पे जाकर कंबल तान कर आँख बँद करके सो गया। नीचे वो अदमी और औरतें गप-शप लड़ा रहे थे। उनकी बात सुन कर मुझे लगा कि वो आदमी एक मल्टी नैशनल कंपनी में सीनियर ऐक्ज़िक्यूटिव पोस्ट पर काम करता है और जो औरत बड़ी उम्र की थी, उसके ऑफिस से संबंध रखती है। मैं आँखें बंद कर के उनकी बातें सुन रहा था। पहले तो मुझे लगा था कि दोनों औरतें बहने हैं लेकिन फिर उनकी बातों से लगा कि दोनों औरतों में माँ और बेटी का संबंध है और वो सब मस्ती करने के लिये बंगलौर जा रहे हैं, लेकिन घर पर ऑफिस का काम बता कर आये हुए हैं।
छोटी उम्र वाली लड़की की उम्र लगभग इक्कीस-बाईस साल थी और दूसरी की उम्र लगभग पैंतालीस-छियालीस साल थी। मुझे उनकी बातों से मालूम पड़ा कि माँ का नाम महिमा और लड़की का नाम दीप्ती है। दोनों माँ और बेटी उस आदमी को सर कह कर पुकार रही थीं। दो नों ही औरतें देखने में बहुत सुंदर थी और दोनों ने अच्छे और फ़ैशनेबल सलवार कमीज़ पहने हुए थे और सभ्य औरतों की तरह शालीनता सिर को दुपट्टे से ढका हुआ था। दोनों ने हल्का और उचित मेक-अप किया हुआ था और दोनों के पैरों में काफी ऊँची पेन्सिल हील के सैंडल पहने हुए थे। दोनों का फिगर भी बहुत सैक्सी था। छोटी वाली के मम्मे उसके कमीज़ के ऊपर से दिखने में भारी-भारी और तने हुए दिखते थे और उसके चुत्तड़ गोल-गोल लेकिन कम उभरे थे। दूसरी औरत के मम्मे भी बहुत बड़े-बड़े थे और उसके चुत्तड़ भी खूब बड़े-बड़े और फैले हुए थे। उनके साथ के आदमी की उम्र लगभग तीस-बत्तीस साल रही होगी और देखने में बहुत स्मार्ट और यंग था। तीनों आपस में काफी घुल मिल कर बातें कर रहे थे।
थोड़ी देर के बाद मेरी आँख लग गयी। रात के करीब बारह बजे मेरी आँख खुल गयी क्योंकि मुझे बहुत प्यास लगी हुई थी। मैंने अपनी आँख खोली तो देखा कि कूपे में नाईट लैंप जल रहा है और वो तीनों अभी भी बातें कर रहे हैं। फिर मेरी नाक में शराब की महक आयी तो मैंने धीरे से नीचे झाँका तो मेरी आँखें फैल गयीं। वहाँ तो नज़ारा ही बदल गया था। उस समय दीप्ती खिड़की के साथ मेरे नीचे वाले बर्थ पर बैठी हुई थी और दूसरे बर्थ पर महिमा और सर बैठे हुए शराब पी रहे थे। दीप्ती के हाथ में भे शराब का पैग था। दो खिड़कियों के बीच में छोटी सी फोल्डेबल टेबल पे व्हिस्की की बोतल रखी हुई थी। उस समय दोनों माँ और बेटी अपने कपड़े बदल चुकी थीं।
महिमा एक हल्के नीले हाऊज़ कोट में थी और दीप्ती एक गुलाबी रंग की मैक्सी पहने हुए थी। उनके पैरों में पेन्सिल हील के सैंडल अभी भी मौजूद थे। मज़े की बात यह थी कि मुझको लग रहा था कि दोनों माँ और बेटी अपने-अपने हाऊज़ कोट और मैक्सी के अंदर कुछ नहीं पहन रखी हैं| सर सिर्फ़ टी-शर्ट और शॉर्ट्स पहने हुए थे। मुझे लगा कि तीनों काफी शराब पी चुके हैं क्योंकि तीनों काफी झूम रहे थे। शराब पीते-पीते सरने महिमा को अपने और पास खींचा तो महिमा पहले दीप्ती की तरफ देखी और फिर सरके बगल में कंधे से कंधा मिला कर टाँग के ऊपर टाँग चढ़ा कर बैठ गयी। महिमा जैसे ही सर के पास बैठी तो सरअपना हाथ महिमा के कंधे पर रख कर महिमा के कंधे को सहलाने लगे। महिमा ने एक बार दीप्ती की तरफ देखा और चुप-चाप अपना ड्रिंक लेने लगी। दीप्ती भी सर और मम्मी की तरफ देख रही थी। उसकी आँखें शराब के सुरूर में भारी सी लग रही थीं।
थोड़ी देर के बाद सर अपना एक हाथ महिमा के पेट के ऊपर रख कर महिमा के पेट को सहलाने लगे। ऐसा करने से महिमा तो पहले कुछ कसमसायी और फिर चुप-चाप अपना ड्रिंक लेने लगी। फिर सर ने महिमा के पेट से हाथ को और थोड़ा ऊपर उठाया और अब उनका हाथ महिमा के मम्मों के ठीक नीचे था। उनकी इस हरकत से महिमा सिर्फ़ अपने सर को देख कर मुस्कुरा दी। फिर सर ने अपना हाथ महिमा के मम्मों पर रख दिया और अपना हाथ घुमाने लगे। अब सर का हाथ महिमा के मम्मो को उसके हाऊज़ कोट के ऊपर से धीर- धीरे सहला रहा था। अपनी मम्मी और सरका कामकाज दीप्ती बड़े गौर से बिना पलक झपकाये देख रही थी और उसके गाल लाल हो गये थे। । थोड़ी देर के बाद सरने अपना ड्रिंक सामने की टेबल पर रख दिया और अपने दोनों हाथ से महिमा के दोनों मम्मे पकड़ लिये और उन्हें जोर-जोर से दबाने लगे। अब महिमा भी चुप नहीं बैठ सकी और उसने फौरन एक घूँट में अपना ड्रिंक खतम करके गिलास टेबल पे रख कर सर को अपने दोनों हाथों से पकड़ लिया, लेकिन सर अपने दोनों हाथों से महिमा के दोनों मम्मे पकड़ कर दबाते रहे। थोड़ी देर के बाद सर अपना मुँह महिमा के मम्मे के ऊपर लाये और उसके मम्मे को उसके हाऊज़ कोट के ऊपर से ही अपने मुँह में भर लिया और चूसने लगे। सर ने महिमा के मम्मे को हाऊज़ कोट के ऊपर से चूमते-चूमते अपना एक हाथ महिमा के हाऊज़ कोट के अंदर डाल दिया और अपना हाथ घुमा-घुमा कर उसकी चूचियों को मसलने लगे।
फिर उन्होंने महिमा के कान में कुछ कहा और महिमा ने अपने हाथ के इशारे से अपनी बेटी दीप्ती को अपने पास बैठने को कहा। दीप्ती शर्मीली सी मुस्कान के साथ उठ कर सर और महिमा के बगल में बैठ गयी। फिर सर ने महिमा को और खिसकने को कहा और खुद भी महिमा के साथ खिसक गये। अब उन्होंने दीप्ती को अपनी दूसरी तरफ बैठने के लिये कहा। जब दीप्ती उठ कर सरके दूसरी तरफ बैठी तो उसके बैठते ही सर ने अपना दूसरा हाथ उसके कंधों के पीछे रख दिया।
सर का एक हाथ अब महिमा की चूचियों से खेल रहा था और दूसरा हाथ दीप्ती के पीछे था। उनका पीछे वाला हाथ अब उन्होंने धीरे-धीरे आगे की तरफ किया और अब उनका दूसरा हाथ दीप्ती की चूँची के ठीक ऊपर था। जैसे ही सर का हाथ दीप्ती की चूँची को छूने को हुआ तो उसने सर का हाथ रोक दिया। दीप्ती के ऐसा करने से उन्होंने महिमा के कान में फिर कुछ कहा। अब महिमा उठ कर दीप्ती के सामने खड़ी हो गयी और सर का हाथ लेकर दीप्ती की चूँची पर रख दिया और सरसे उन्हें दबाने को कहा।
अपनी मम्मी के इस बर्ताव से दीप्ती का चेहरा शर्म से बेहद लाल हो गया पर वो कुछ ना कह सकी। दीप्ती अब चुप-चाप अपनी चूँची सर से दबवा रही थी। महिमा ने तब झुक कर दीप्ती के गाल पर एक चुम्मा दिया और बड़े प्यार से बोली, “बेटी मल्टी नैशनल कंपनी में नौकरी ऐसे ही नहीं मिलती, उसके लिये कुछ देना पड़ता है। शर्माओ नहीं… मुझे मालूम है कि अपने बॉय फ़्रेंड करण के साथ भी तो तुम यही सब करती हो छुप-छुप के… सर भी अपने ही हैं ।” फिर उसने सर से कहा, “सर अब आप बेफ़िक्र हो कर मज़ा लो, लेकिन देखना दीप्ती को पक्की नौकरी मिले।” सर ने भी एक हाथ से दीप्ती की चूँची दबाते हुए महिमा की तरफ अपना मुँह बढ़ा कर उसकी चूँची को चूमते हुए कहा,“चिंता मत करो, दीप्ती की नौकरी तुम्हारी तरह पक्की नौकरी होगी और तुम्हारी प्रोमोशन भी पक्की है। लेकिन दीप्ती को भी मेरा कहना मानना पड़ेगा।”
“अरे सरदेख नहीं रहे कि दीप्ती आपकी बात मानने के लिये तैयार है? अरे दीप्ती मेरी ही बेटी है और आप जो भी कुछ कहेंगे… मेरी तरह दीप्ती भी आपकी बात मानेगी।”
इतना कह कर महिमा फिर से सरके बगल में जा कर बैठ गयी और उन्हें अपने दोनों हाथों से जकड़ लिया।
अब सर के दोनों हाथ माँ और बेटी की चूचियों से खेल रहे थे। माँ की चूचियों को वो हाऊज़ कोट के अंदर हाथ डाल कर मसल रहे थे और बेटी की चूचियों को उसकी मैक्सी के ऊपर से ही दबा रहे थे। यह सब देख कर मेरी नींद आँखों से बिल्कुल साफ हो गयी और मैं अपने कंबल के कोने से नीचे की तरफ देखने लगा। मुझे सर की किस्मत पर ईर्ष्या हो रही थी और मेरा लंड खड़ा हो गया था जिसे मैं अपनी हाथ से कंबल के अंदर सहला रहा था।
फिर मैंने देखा कि सर ने अपना हाथ महिमा के हाऊज़ कोट से निकाल कर उसके घुटने के ऊपर रख दिया और धीरे-धीरे महिमा के घुटने और उसकी जाँघ को सहलाने लगे। अपनी जाँघ पर सर का हाथ पड़ते ही महिमा ने अपनी टाँगें, जो कि एक दूसरे के ऊपर थीं, खोल कर फैला दिया और अपने ऊँची पेन्सिल हील के सैंडल युक्त पैर सामने वाली बर्थ पे रख दिये। उधर सर अपना हाथ अब दीप्ती के मैक्सी के अंदर डाल कर के उसकी चूँची को मसल रहे थे और झुक-झुक कर उन्हें मैक्सी के ऊपर से चूम रहे थे। फिर सर अपने हाथ से महिमा का हाऊज़ कोट ऊपर करने लगे और हाऊज़ कोट ऊपर करके महिमा की चूत पर हाथ फेरने लगे। महिमा की चूत उस हल्की रोशनी में भी मुझको साफ-साफ दिखायी दे रही थी और मैंने देखा कि महिमा की चूत पर कोई बाल नहीं है और उसकी चूत अपने पानी से भीग कर चमक रही है।
थोड़ी देर के बाद सर ने अपना हाथ दीप्ती की मैक्सी के अंदर से निकाल लिया और उसकी चूत पर मैक्सी के ऊपर से ही हाथ फेरने लगे। दीप्ती बार-बार अपनी मम्मी की तरफ शर्मिंदगी से देख रही थी लेकिन कुछ कह नहीं पा रही थी। फिर सर ने महिमा की चूत पर से हाथ निकाल कर दीप्ती की मैक्सी धीरे-धीरे टाँगों पर से उठाने लगे। दीप्ती अपने हाथों से अपनी मैक्सी पकड़े हुए थी। महिमा अपनी जगह से फिर उठ कर दीप्ती के पास गयी और उसको चूमते हुए बोली, “बेटी आज मौका है मज़े कर लो, मैंने भी अपनी नौकरी इसी तरह से पायी थी। वैसे सर बहुत अच्छे इंसान हैं और बहुत ही आराम-आराम से करेंगे… तुझे बिल्कुल तकलीफ नहीं होगी। बस तू चुपचाप जैसा सर कहें… करती चल, तुझे बेहद मज़ा आयेगा और तुझे नौकरी भी मिल जायेगी!”
इतना कह कर महिमा ने दीप्ती के गाल पर और उसकी चूँची पर हाथ फेरा और फिर अपनी जगह आ कर बैठ गयी। तब दीप्ती अपनी मम्मी से बोली, “मम्मी ये आप क्या कह रही हैं? आप मुझसे तो ऐसी बातें कभी नहीं करती थीं!”
महिमा अपनी बेटी की चूँची पर हाथ फेरते हुए बोली, “अरे बेटी, यह तो वक़्त-वक़्त की बात है और जब हम दोनों ही सर से जिस्मानी ताल्लुकात बनाने वाली हैं, मतलब कि जब सर हम दोनों को ही चोदेंगे, तो फिर आपस में कैसा पर्दा। अब हम दोनों सहेलियों की तरह हैं और चुदाई के वक़्त खुल कर बात करनी चाहिये और अब तुम भी खुल कर बातें करो जैसे अपनी बाकी सहेलियों और बॉय-फ्रेंड्स के साथ करती हो!”
दीप्ती अपनी माँ की बात सुन कर मुस्कुरा दी और बोली, “ठीक है, जैसा आप कहती हैं, अब मैं भी लंड, चूत और चुदाई की ज़ुबान में बातें करूँगी!”
अब सर ने दीप्ती के मैक्सी के अंदर से अपना हाथ निकल लिया और दीप्ती की चूत पर अपना हाथ मैक्सी के ऊपर से रगड़ रहे थे और झुक-झुक कर उसकी चूचियों पर चुम्माँ दे रहे थे। थोड़ी देर के बाद वो दीप्ती की मैक्सी फिर से अपने हाथों से टाँगों के ऊपर करने लगे और अबकी बार दीप्ती अपनी मम्मी को मुस्कुराते हुए देखती रही और कुछ नहीं बोली। दीप्ती का चुप रहना सर को और भड़का दिया और वो एक ही झटके के साथ दीप्ती की मैक्सी पूरी तरह से खींच कर उसकी कमर पर ले आये। इससे दीप्ती की चूत बिल्कुल खुल गयी। दीप्ती की चूत दिखने में बहुत ही सुंदर थी। उसकी चूत पर भी एक भी बाल नहीं था और महिमा की तरह ही चिकनी थी। बेटी की चूत देख कर महिमा बोली, “वाह! बेटी वाह! तूने बहुत ही अच्छी तरह से अपनी चूत साफ की है। तेरी चिकनी और गुलाबी चूत को देख कर मुझे इसे चूमने और चाटने का दिल कर रहा है। पता नहीं सर को कैसा लग रहा है!”
तब सर ने भी उसकी सुंदर सी चूत पर हाथ फेर कर कहा, “हाँ महिमा तुम्हारी बेटी की चूत बहुत ही सुंदर है और इसने बड़े करीने से अपनी चूत साफ की है। मुझे दीप्ती की चूत पसंद आयी और मैं भी तुम्हारी तरह इसकी चूत को चूमना और चाटना चाहता हूँ!”
उन्होंने एक बार मेरी तरफ देखा और दीप्ती की कमर पकड़ कर उसकी मैक्सी अब उसके शरीर से अलग कर दी। अब दीप्ती सीट के ऊपर बिल्कुल नंगी बैठी थी। सर अब फिर दीप्ती के पास पहुँच कर उसकी चूँची से खेलने लगे। वो कभी उसकी चूँची को दोनों हाथों से पकड़ कर दबाते और मसलते तो कभी उसकी चूँची को अपने मुँह में भर कर उसकी घुंडी चूसते और जीभ से चुभलाते। धीरे-धीरे दीप्ती के शरीर में भी अब काम-ज्वाला उठने लगी और वो अपने हाथों को उठा-उठा कर अँगड़ायी ले रही थी। उसकी साँसें अब फूल रही थी और साँसों के साथ-साथ उसकी चूँची भी अब उठ-बैठ रही थी। अब दीप्ती से रहा नहीं गया और वो सीट पर लेट गयी।
दीप्ती के सीट पर लेटते ही सर अपना मुँह उसकी चूत के पास ले गये और दीप्ती की चूत को ऊपर से चाटने लगे। थोड़ी देर के बाद सर ने दीप्ती की टाँगों को अपने हाथों से पकड़ कर सीट पर फैला दिया और एक अँगुली उसकी चूत में डालने लगे। चूत पर अँगुली छूते ही दीप्ती अपनी कमर नीचे से ऊपर करने लगी और मुँह से “आह! आह! ओह! ओह! नहीं! ऊँह! ऊँह!” की आवाज निकालने लगी।
महिमा अपनी बेटी की कराहें सुन कर हँसती हुई बोली, “देख दीप्ती! मज़ा आ रहा है ना!तेरे ऊपर जवानी का बुखार चड़ गया है और चूत की खुजली सर के शानदार लौड़े से ही जायेगी। अब तू सर का अज़ीम लौड़ा अपने हाथ में ले कर के देख… वो तुझे चोद कर बेइंतेहा मज़ा देने के लिये कितना बेकरार है!” यह कह कर महिमा सर की तरफ देखने लगी। सर अब तक माँ-बेटी की बातें सुन रहे थे और अब उन्होंने महिमा को अपनी बाहों में भर कर एक जोरदार चुम्मा दिया और उसकी चूँची मसलने लगे। महिमा की चूँची मसलते-मसलते उन्होंने महिमा का हाऊज़ कोट उतार दिया। अब माँ और बेटी के तन पर कोई कपड़ा नहीं था… दोनों सिर्फ पैरों में ऊँची-ऊँची हील की सैंडल पहने हुई थी। बस फ़र्क यह था कि बेटी सीट पर अपनी टाँगें फैलाये लेटी हुई थी और माँ सर के बाहों में खड़ी-खड़ी अपनी चूँची मसलवा रही थी। दोनों माँ और बेटी ने एक दूसरे की आँखों में झाँका और मुस्कुरा दीं। अब दीप्ती अपने सीट पर बैठ गयी और अपने हाथ बढ़ा कर सर के साथ-साथ वो भी अपनी माँ की चूँची को मसलने लगी। थोड़ी देर के बाद दीप्ती अपनी माँ की चूँची मसलते हुए उसकी टाँगों के बीच में नीचे बैठ गयी और अपनी माँ की चूत पर अपना मुँह रगड़ने लगी। महिमा भी अपने हाथों से दीप्ती का चेहरा अपनी चूत पर कस-कस कर दबाने लगी।
थोड़ी देर के बाद माँ और बेटी एक दूसरे से लिपट कर खड़ी रहीं और फिर उन्होंने आगे जा कर सर को पकड़ लिया। दीप्ती ने सर के होठों का चुम्मा लेना शुरू किया और महिमा सर की शॉर्ट्स हटा कर उनके लंड को पकड़ कर मरोड़ने लगी। सरका लंड देख कर मैं हैरान हो गया। उनके लंड की लंबाई लगभग दस इंच और मोटाई करीब तीन-चार इंच थी और सूपाड़ा फूल करके बिल्कुल एक छोटा सा टमाटर सा दिख रहा था।
अब मैंने अपना मुँह कंबल से निकाल लिया और उनकी तरफ करवट ले कर उनके कारनामे देखने लगा। सर अब महिमा को छोड़ कर फिर से दीप्ती के पास पहुँच गये और उसे अपनी बांहों में लेकर उसकी चूत मसलने लगे। दीप्ती ने चूत मसलने के साथ ही अपनी टाँगें फैला दीं और फिर एक पैर सीट पर रख दिया। अब सर झुक कर दीप्ती की चूत में अपनी जीभ घुसेड़ कर उसको अपनी जीभ से चोदने लगे। यहसब देख कर महिमा जो अब तक खुद ही अपनी चूत में अँगुली अंदर-बाहर कर रही थे, आगे बढ़ी और सरका फुला हुआ सूपाड़ा अपने मुँह में भर लिया और चूसने लगी।
तब सर ने दीप्ती को सीट के किनारे टाँगें फैला कर बिठा दिया और उसके पैर सीट पर रख दिये। ऐसा करने से दीप्ती की चूत अब बिल्कुल खुल कर सीट के किनारे आ गयी तो सर वहीं बैठ कर दीप्ती की चूत को चाटने और चूसने लगे। महिमा को भी अब ताव चढ़ चुका था और उसने सरके आगे बैठ कर सर का लंड अपने मुँह में भर लिया और चूसना शुरू कर दिया। मैं यह सब देख कर अपने आप को रोक ना सका और अपनी सीट पर बैठ गया। मुझको उठते देख कर तीनों घबड़ा गये और अपने-अपने कपड़े ढूँढने लगे। मैं हँस कर बोला,“सॉरी, मैं आप लोगों को डिस्टर्ब नहीं करना चाहता था, लेकिन मैं अपने आप को रोक नहीं पाया। कोई बात नहीं आप लोग अपना काम जारी रखिये… मैं यहाँ बैठा हूँ।
अब मैंने अपना मुँह कंबल से निकाल लिया और उनकी तरफ करवट ले कर उनके कारनामे देखने लगा। सर अब महिमा को छोड़ कर फिर से दीप्ती के पास पहुँच गये और उसे अपनी बांहों में लेकर उसकी चूत मसलने लगे। दीप्ती ने चूत मसलने के साथ ही अपनी टाँगें फैला दीं और फिर एक पैर सीट पर रख दिया। अब सर झुक कर दीप्ती की चूत में अपनी जीभ घुसेड़ कर उसको अपनी जीभ से चोदने लगे। यहसब देख कर महिमा जो अब तक खुद ही अपनी चूत में अँगुली अंदर-बाहर कर रही थे, आगे बढ़ी और सरका फुला हुआ सूपाड़ा अपने मुँह में भर लिया और चूसने लगी। तब सर ने दीप्ती को सीट के किनारे टाँगें फैला कर बिठा दिया और उसके पैर सीट पर रख दिये।
ऐसा करने से दीप्ती की चूत अब बिल्कुल खुल कर सीट के किनारे आ गयी तो सर वहीं बैठ कर दीप्ती की चूत को चाटने और चूसने लगे। महिमा को भी अब ताव चढ़ चुका था और उसने सरके आगे बैठ कर सर का लंड अपने मुँह में भर लिया और चूसना शुरू कर दिया। मैं यह सब देख कर अपने आप को रोक ना सका और अपनी सीट पर बैठ गया। मुझको उठते देख कर तीनों घबड़ा गये और अपने-अपने कपड़े ढूँढने लगे। मैं हँस कर बोला,“सॉरी, मैं आप लोगों को डिस्टर्ब नहीं करना चाहता था, लेकिन मैं अपने आप को रोक नहीं पाया। कोई बात नहीं आप लोग अपना काम जारी रखिये… मैं यहाँ बैठा हूँ।“
अब तक महिमा और दीप्ती दोनों ने अपनी अपने जिस्म को अपने हाथों से ढक लिया था। महिमा अपनी नज़र मेरी तरफ घुमा कर बोली, “तुम कबसे जागे हुए हो?”
“अरे मैं सोया ही कब था कि जागुँगा!” मैंने शरारत से मुस्कुराते हुए कहा तो महिमा और दीप्ती मेरी तरफ घूर-घूर कर देखने लगीं और सर ने अपने नंगपने को ध्यान ना देते हुए मेरी तरफ मुड़ कर अपना हाथ मुझसे मिलाया और कहा, “मेरा नाम अनिल शर्मा है और मैं आई-ओ-सी में काम करता हूँ। अब तुम जब हमारा कार्यक्रम देख चुके हो तो मैं तुम्हें हमारे साथ शामिल होने का निमंत्रण देता हूँ। अगर तुम्हें कोई आपत्ति ना हो तो?”
मैंने कहा, “आपका निमंत्रण स्वीकार है और मुझे खुशी होगी आपके साथ जवानी का खेल खेलने में… वैसे इस खेल में मुझे कोई एक्सपीरियंस नहीं है!”
यह सुनकर माँ और बेटी दोनों मुस्कुरा दीं। महिमा ने उठ कर कूपे की लाईट जला दी और मेरे पास आ कर मुझे पकड़ कर मेरे होठों को चूमते हुए बोली, “एक्सपीरियंस नहीं है तो क्या हुआ… मुझे खूब एक्सपीरियंस है… मैं बनाऊँगी तुम्हें मर्द!”
तब मैं महिमा को अपनी बांहों में लेकर एक हाथ से उसकी चूँची मसलने लगा और दूसरा हाथ उसकी चूत पर ले जा कर चूत में अँगुली करने लगा। उधर अनिल ने अब दीप्ती को सीट पर लिटा दिया था और उसकी चूत में अपनी अँगुली पेल रहा था और दीप्ती मज़े से सिसकते हुए छटपता रही थी। दीप्ती अपनी माँ को देख कर बोली, “मम्मी सर का लौड़ा तो बेहद बड़ा है… मैंने इतना बड़ा लंड नहीं लिया कभी… इनका ये लौड़ा मैं कैसे झेलुँगी मैं अपनी चूत में?”
मेरी बाँहों से निकलकर महिमा दीप्ती के पास गयी और उसका सिर सहलाते हुए और दीप्ती की चूँची दबाते हुए बोली, “बेटी, पहले तो थोड़ा सा दर्द बर्दाश्त करना होगा… फिर बाद में खूब मज़ा आयेगा। तू फ़िक्र ना कर… सर बेहद आराम-आराम से तेरी लेंगे और तुझे मज़ा देंगे। अब देख मैं भी अमित के पास जा रही हूँ और उसे अपनी चूत दूँगी और मज़े लूँगी!” इतना कह कर महिमा मेरे पास आ गयी और मेरी लौड़े को चूमने और चूसने लगी। यह देख कर दीप्ती भी उठ कर अनिल का लंड अपने मुँह में ले कर चूसने लगी। अनिल का लंड इतना मोटा था कि दीप्ती के मुँह में पूरा नहीं समा पा रहा था। दीप्ती अनिल का लंड अपनी मुठी में लेकर चाटने लगी।
इधर मैं भी महिमा से अपना लंड बड़े आराम से चूसवा रहा था और महिमा मारे गर्मी के कभी-कभी मेरे सुपाड़े को अपने दाँत से हल्के-हल्के काट रही थी। अब महिमा सीट के पास झुक कर खड़ी हो गयी! ऊँची पेन्सिल हील की सैंडल पहने बिल्कुल नंगी इस तरह झुकी हुई वो बेहद सैक्सी लग रही थी और मैं उसके पीछे से आ कर उसके चुत्तड़ों में अपना लंड रगड़ने लगा। महिमा बोली, “अब तुम पीछे से मेरी चूत में लंड पेल कर कुत्ते की तरह मुझे चोदो!” मैंने थोड़ा से थूक अपने लंड पर लगाया और महिमा की चूत में अपना लंड पेल दिया। महिमा मेरे लंड को अंदर लेते ही अपनी कमर आगे पीछे करने लगी और जोर-जोर से बोलने लगी, “देख दीप्ती देख, कैसे अमित का कुँवारा लंड मेरी चूत में घुस कर मुझे मज़ा दे रहा है। अब तुझे भी सर अपने लंड से मज़ा देंगे। तू जल्दी से अपनी चूत में सरका का लंड डलवा ले!”
“अरे मम्मी मैं कब इंकार कर रही हूँ। सर ही तो अपना मेरे अंदर नहीं डाल रहे हैं, वो तो बस मेरी चूत को चूस रहे हैं। वैसे मुझे भी अपनी चूत चुसवाने में बहुत मज़ा आ रहा है,” दीप्ती अपनी माँ से बोली।
तब महिमा ने अनिल से कहा, “अरे सर… दीप्ती चुदवाने के लिये तैयार है… आप अपना लंड जल्दी से दीप्ती की चूत में पेल दो!” अनिल ने फिर दीप्ती को ठीक से लिटा कर उसकी चूत और अपने लौड़े पे अच्छी तरह से पॉंड्स कोल्ड क्रीम लगाई और अपना लंड दीप्ती की चूत के ऊपर रख दिया।
जैसे ही अनिल ने अपना लंड दीप्ती की चूत के अंदर दबाया तो दीप्ती चिल्ला पड़ी, “हाय! मम्मी मुझे बचाओ, मैं मरी जा रही हूँऊँऊँ। हाय! मेरी चूत फटी जा रही है। सर अपना लंड मेरी चूत से निकाल लो प्लीज़!”
महिमा तब मेरे लंड को अपनी चूत से निकाल कर दीप्ती के पास पहुँच गयी और उसके चूँची को दबाते हुए बोली, “बस दीप्ती बस, अभी तेरी तकलीफ़ दूर हो जायेगी! बस थोड़ा सा बर्दाश्त कर। तेरी यह पहली चुदाई तो है नहीं? मैं जानती हूँ सर का लंड बेहद बड़ा और मोटा है….जब मैं इनसे पहली बार चुदी थी तो मेरी भी यही हालत हुई थी लेकिन ऐसे शानदार लंड से चुदवाना हर औरत को नसीब नहीं होता! अभी सर तुझे चोद-चोद कर इस कद्र मज़ा देंगे कि दिवानी हो जायेगी तू सर के लौड़े की!” यह कह कर महिमा दीप्ती की चूचियों को चूसने लगी।
थोड़ी देर के बाद महिमा ने अपनी बेटी की चूत को दोनों हाथों से लंड खाने के लिये फ़ैला दिया और अनिल से कहा, “सर लीजिये… मैंने दीप्ती की चूत को फ़ैला दिया है… अब आप अपना लंड धीरे-धीरे दीप्ती की चूत में डालो और इसको मज़ा दो!” फिर अनिल ने अपना सुपाड़ा फिर से दीप्ती की चूत के ऊपर रखा और धीरे से उसको अंदर कर दिया। दीप्ती फिर से चिल्लाने लगी लेकिन उसकी बात ना सुनते हुए अनिल ने एक जोरदार धक्का मारा और उसका लंड दीप्ती की चूत में घुस गया। दीप्ती एक चींख मार कर बेहोश सी हो गयी। महिमा दीप्ती की चूँची को जोर-जोर मसलने लगी। अनिल यह सब ना देखते हुए अपनी रफ़्तार से दीप्ती की चूत में अपना लंड पेले जा रहा था। थोड़ी देर के बाद दीप्ती ने आँखें खोली और अपनी मम्मी से कहने लगी, “हाय! मम्मी बहुत दर्द कर रहा है और मज़ा भी आ रहा है!” यह सुन कर महिमा बोली, “बस अब थोड़ी ही देर में तेरा सब दर्द दूर हो जायेगा और तुझे मज़ा ही मज़ा आयेगा!”
मैंने जब देखा कि दीप्ती अब मज़े ले लेकर अनिल का लंड अपनी चूत में लील रही है, तब मैंने भी महिमा के पीछे से जाकर महिमा की चूत में अपना लंड फिर से घुसा दिया और अपनी रफ़्तार से महिमा को चोदने लगा। यह देख कर दीप्ती बोली, “हाय! मम्मी तुम्हारी चूत में भी अमित का लंड घुसा हुआ है और तुम मज़े से चुदवा रही हो। अब मुझे भी मज़ा आ रहा है।” अब दीप्ती ने अपनी टाँगें उठा कर अनिल की कमर में अपने पैर फंसा लिये और नीचे से अपने चूत्तड़ उठा-उठा कर अनिल के हर धक्के का जवाब देने लगी। अनिल भी दीप्ती की दोनों चूँचियों को पकड़ कर उसकी चूत में अपना लंड हचक-हचक कर डाल रहा था। अब दोनों माँ और बेटी को चुदाई का मज़ा आ रहा था और दोनों जोर-जोर से चोदने को कह रही थीं। मैं अपना लुंड महिमा की चूत में जोर-जोर से अंदर बाहर कर रहा था और दोनों हाथों से उसकी चूँचियाँ मल रहा था। महिमा भी अपना चेहरा घुमा कर मुझको चुम्मा दे रही थी। थोड़ी देर इस तरह मैं और अनिल महिमा और दीप्ती को चोदते रहे और फिर उनकी चूत में अपना लंड ठाँस कर झड़ गये। हम लोगों के सथ ही माँ और बेटी भी झड़ गयीं।
जब हम लोगों ने अपना लंड माँ और बेटी की चूतों से निकाला तो दोनों ने अपनी-अपनी चूत रुमाल से पोंछी। मैं और अनिल आमने-सामने की सीट पर बैठ गये और तब महिमा भी मेरे पास बैठ गयी और मेरे लंड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी। अनिल उठ कर बाथरूम चला गया तो दीप्ती भी मेरे पास आ कर अपनी मम्मी से मेरा लंड छीन कर चूसने लगी और मेरा हाथ पकड़ कर अपनी चूँची से लगा दिया। मैं भी दीप्ती की चूँचियाँ मसलने लगा। थोड़ी देर के बाद अनिल कूपे में आया तो देखा कि दीप्ती मेरे लंड को मुँह में ले कर चूस रही है और महिमा मेरे से लिपटी हुए अपनी बेटी को देख रही है। अनिल यह देख कर बोला, “अरे महिमा, तुम्हारी बेटी है बहुत मस्त चीज़। दीप्ती की चूत चोदने में मुझे बहुत मज़ा आया। अब तुम भी कुछ अपनी बेटी से सीखो, चलो आओ और मेरे लंड को चूस-चूस कर खड़ा करो । अब मैं तुम्हारी गाँड में अपना लंड पेलुँगा!”
यह सुन कर महिमा पहले मुस्कुरायी और फिर अनिल के पास जा कर बैठ गयी। फरीदा बोली, “सर इजाज़त हो तो पहले एक पैग और पी लूँ… तब आपका लंड गाँड में लेने में ज्यादा मज़ा आयेगा!” अनिल हंसते हुए बोला, “ठीक है! सिर्फ़ एक पैग और ज़रा जल्दी करो…!” महिमा ने गिलास में व्हिस्की डाली और नीट ही गटागट पी गयी! उसके बाद अनिल ने महिमा के चेहरे को अपने लंड तक झुका दिया और अपना लंड महिमा के मुँह से लगा दिया। महिमा अपनी जीभ निकाल कर अनिल का लंड चाटने लगी। थोड़ी देर के बाद दीप्ती ने अपने मुँह से मेरा लंड निकाला और फिर अपनी मम्मी से पुछा, “मम्मी सर का लंड गाँड में लेने से तुम्हें दर्द नहीं होगा?”
महिमा बोली, “नहीं दीप्ती… मुझे तो बेहद मज़ा आता हैं गाँड मरवाने में… तू भी अमित से कह कि वो अपना लंड तेरी गाँड में डाले!”
“नहीं बाबा, मुझे डर लग रहा है। मैंने पहले कभी गाँड नहीं मरवायी। पहले से ही मेरी चूत सरने फाड़ रखी है और अब मैं अपनी गाँड अमित से नहीं फड़वाऊँगी!” दीप्ती ने अपनी मम्मी से कहातो महिमा बोली, “अरे पगली! पहली मर्तबा शुरूआत में थोड़ा दर्द होगा लेकिन फिर मज़ा आयेगा! तू भी एक तगड़ा सा पैग मार ले फिर दर्द का एहसास भी कम होगा और मज़ा भी आयेगा!”
महिमा ने खुद ही अपनी बेटी के लिये गिलास में व्हिस्की डाल कर उसे दी। महिमा की आवाज़ और हावभाव से स्पष्ट था कि वो शराब के नशे में मदहोश थी। दीप्ती अपनी मम्मी से शराब का गिलास लेकर उसी की तरह गटागट पी गयी। उसके बाद भी वो हिचकिचा रही थी तोमैंने दीप्ती की चूँची को मसलते हुए कहा, “ठीक है दीप्ती मेरी जान… मैं पहले तुम्हारी चूत चोदुँगा और अगर तुम चाहो तो बाद में मैं तुम्हारी गाँड मारूँगा!”
अब मैंने दीप्ती को सीट से उठा कर सीट के सहारे खड़ा कर दिया और उसका हाथ सीट के किनारे से पकड़ा दिया। मैं फिर दीप्ती के पीछे जाकर उसकी चूत, जो कि पीछे से बाहर निकल आयी थी, अपनी जीभ से चूसने लगा। दीप्ती मारे गर्मी के अपनी कमर आगे-पीछे कर रही थी। मैं अपने एक हाथ से दीप्ती की चूँचियाँ मसलने लगा। थोड़ी देर के बाद मैंने अपना लंड दीप्ती की चूत पर रखा और धक्का मार कर उसको अंदर कर दिया। लंड अंदर जाते ही दीप्ती हाय-हाय करने लगी लेकिन मैं उसको धीरे-धीरे चोदने लगा। दीप्ती कहने लगी, “हाय! बेहद अच्छा लग रहा है, तुम जरा जोर से अपना लंड अंदर बाहर पेलो। मेरे चूत में बेहद खुजली हो रही है। अब तुम जोर-जोर से चोदो मुझे!”
इतना सुनते ही मैं दीप्ती पर पिल पड़ा और उसे जोर-जोर से चोदने लगा और अपनी एक अँगुली में थूक लगा कर उसकी गाँड के छेद में घुसा कर घुमाने लगा। उधर अनिल भी महिमा को सीट के सहारे झुका कर खड़ा कर के उसकी गाँड में अपना लंड पेल चुका था। महिमा अपना सैंडल वाला एक पैर उठा कर सीट पर रखा हुआ था और अपनी कमर हिला-हिला कर अपनी गाँड अनिल से मरवा रही थी और बोल रही थी, “देख दीप्ती… देख कैसे सरका लंड मेरी गाँड में घुस कर मेरी गाँड चोद रहा है। सच कह रही हूँ… मुझे गाँड चुदवाने में बड़ा मज़ा आ रहा है। अब तू भी अमित से अपनी गाँड मरवा ले!”
“नहीं मम्मी, मुझे पहले अपनी चूत चुदवानी है। अमित से चूत चुदवाने में बेहद मज़ा आ रहा है मुझे! मैं बाद में अपनी गाँड में लंड पिलवाऊँगी। तुम अब मज़े से अपनी गाँड चुदवाओ,” दीप्ती अपनी मम्मी से बोली। मैं उसकी इस तरह खुल्लम खुल्ला बात सुन कर बहुत खुश हुआ और उसकी चूत चोदता रहा। थोड़ी देर के बाद दीप्ती बोली, “अमित मुझे अपनी मम्मी के पास जाना है। तुम ऐसे ही चोदते-चोदते मुझे मम्मी के करीब ले चलो!” मैंने भी अपना लंड निकाले बगैर दीप्ती को अपनी बाहों में भर लिया और महिमा के पास ले गया।
दीप्ती अपनी मम्मी के पास पहुँचते ही महिमा की चूंची को अपने मुँह में भर कर चूसने लगी और अपने हाथों को महिमा की चूत पर रख दिया। फिर वो बोली, “मम्मी जब जब अब्बू तुमको चोदते थे… मैं छुप-छुप कर देखती थी और अपने चूत में उंगली किया करती थी और सोचती थी कि एक दिन मैं तुम्हारे करीब बैठ कर तुम्हारी चूत की चुदाई देखुँगी। आज अल्लाह ने मेरी सुन ली और मैं तुम्हारे करीब खड़ी-खड़ी अपनी चूत में लंड चुदवाते हुए तुम्हें भी चुदते हुए देख रही हूँ!” यह कह कर दीप्ती अपनी मम्मी की चूत सहलाने लगी।
हम लोगों ने अपने बिस्तर जमीन पर बिछा दिये और फिर महिमा और दीप्ती को साथ-साथ लिटा कर मैंने और अनिल ने उनकी चूत और गाँड खूब जम कर मारी। एक बार तो मैं महिमा की गाँड मार रहा था और महिमा दीप्ती की चूत अपनी जीभ से चूस रही थी और अनिल अपना लंड दीप्ती के मुँह में डाल कर चुसवा रहा था। महिमा और दीप्ती दोनों अपनी चूत और गाँड हम लोगों से मरवा कर बहुत खुश थीं और लौटने का प्रोग्राम भी हमने साथ-साथ बना डाला। यहाँ तक कि महिमा ने अपने घर का पता और फोन नंबर भी मुझे दे दिया और बोली कि “दिल्ली लौट कर हमारे यहाँ जरूर आईयेगा… वहाँ मेरी सहेलियाँ भी होंगी जो कि अपनी चूत और गाँड तुमसे चुदवा कर खुश होंगी!”
इस तरह हमने अपने सफ़र का पूरा समय उन माँ और बेटी को चोदते हुए बिताया था। दोस्तों आपको ये सेक्स स्टोरी कैसे लगी हमें कमेंट में जरुर बताये.
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