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माँ को पड़ोस वाले अंकल से चुदते देखा

मैं कामिनी 19 साल की लड़की हु, और नोएडा में हॉस्टल में रहती हु, मेरा घर नोएडा से करीब २ जानते की दुरी पर है मेरठ, मैं माँ पापा का अकेली संतान हु, आज ही मैंने अपने बॉयफ्रेंड से झगड़ा किया, और झगडे की वजह यही है की वो कह रहा था आज मुझे गांड मारने दे पर मैं कह रही थी की बूर चोदना है तो चोद ले गांड में दर्द होता है, पर कमीना वो माना नहीं और झगड़ा कर बैठा तभी मैं आज हॉस्टल से घर के लिए निकल पड़ी वो भी घर में बिना बताये, और मैं मेरठ के लिए निकल पड़ी, सोची की चलो पापा जी को भी देख लेंगे क्यों की परसो ही एक्सीडेंट में उनका कमर टूट गया है वो घर पर ही बेड रेस्ट पे है.


मैं घर पहुंची तो पापा जी पूछने लगे बेटी तुम यहाँ फ़ोन भी नहीं की की मैं आ रही हु मैंने कहा हां पापा जी, कल छुट्टी है इस वजह से मैं आ गयी सोची सरप्राइज दे दूंगी. माँ कहा है ? पापा बोले यही कही गयी होगी, अभी बाहर गयी है, मेरा तो दिमाग ऐसे ही खराब था बॉयफ्रेंड के झगड़े से और ऊपर से माँ कही टहलने चली गयी, मैं घर से बाहर आ गयी माँ को ढूढ़ने मेरे घर के बाहर से सीढ़ी है ऊपर छत पे जाने के लिए, मैं सोचा देख लू यहाँ भी हो सकती है, क्यों की ये कमरा थोड़ा अलग टाइप का है मैं भी कई बार इस कमरे में चुद चुकी हु,

 

जैसी ही मैं ऊपर पहुँची मेरी साँसें रुक गईं और दिल धक से रह गया, हवा से उस कमरे का परदा हिल रहा था और बिल्कुल सामने डबल बेड पर मेरी माँ किसी और मर्द से टाँगें खोल कर चुद रही थीं!!! !! मैंने ध्यान से देखा तो पता चला की गुप्ता अंकल है. मैं चिल्लाना चाहती थी पर मेरे मुँह से आवाज़ ही नहीं निकली और मैं चुपचाप खड़ी रही. .

 

अब समझ में आ गया की माँ क्या रंगरेलिया मना रही है , मम्मी की साड़ी ऊपर तक उठी हुई थी और ब्लाउज सामने से खुला था. अंकल सामने घुटनों के बल मम्मी की टाँगों के बीच बैठे थे और मम्मी को लगातार पेल रहे थे अपने मोटे लंड से!!

 

मम्मी का चेहरा दूसरी तरफ लुड़का हुआ था और वो धीरे-धीरे सिसकारियाँ ले रहीं थी और मज़े से चुद रही थीं!! गुप्ता अंकल मेरी मम्मी को चूच को दबाये जा रहे थे, मेरी माँ भी खूब मजे ले रही थी.

 

आपको पहले से ही पता है की पापा ऊपर चढ़ नहीं सकते क्यों की उनका कमर टूटा हुआ है और मम्मी के अनुसार मैं हॉस्टल में थी क्यूंकी मैं पहले कभी बिना बताए नहीं आई थी सो, मम्मी को मेरे आने का बिल्कुल अंदाज़ा नहीं था.. ..

 

और आज सुबह ही जब मेरी उनसे बात हुई थी तो मैंने आने का कोई ज़िक्र भी नहीं किया था, अगर बॉय फ्रेंड से मेरी लड़ाई ना हुई होती तो मैं आने भी नहीं वाली थी आने की वजह ही मेरा कमीना बॉयफ्रेंड उसको भी कुत्ते को गांड की पड़ी थी आम तौर पर मैं इतना चुप चाप आती भी नहीं पर आज दिमाग़ खराब होने की वजह से मैं थोड़ी उदास थी. इसलिए वो एकदम बेफिक्री से चुद रही थीं और रंगरेलिए मना रही थी.

 

शक तो मुझे पहले भी कई बार हुआ था की मेरी माँ पडोश के कई लोगो से चुदती है रंडी कहिकी, आज मैंने अपने आँखों से देख लिया रंडी को चुदते हुए मेरी आँखों से आँसू टपकने लगे और मैं जड़वत खड़ी थी मैं चाह कर भी कुछ नहीं कर सकती thi

 

तभी तृप्त अंकल ने ज़ोर से "अह्ह्ह्ह्ह्ह" की आवाज़ करी और मैं डर कर नीचे बैठ गई थोड़ा साइड होक फिर थोड़ा सा उठ कर देखा तो अंकल मम्मी के चेहरे पर अपना मूठ छोड़ रहे थे और अपने काले मोटे लंड को हिला रहे tha.

 

मम्मी को देख कर साफ लग रहा था की उन्हें थोड़ी गुस्सा आ रही है. .

 

अंकल फिर थोड़ा सा चिल्लाए - आहह आ.. .. उफफफफफफफफफफ्फ़.

 

और इस बार मम्मी थोड़ा गुस्से में बोल पड़ीं - धीरे करो, यार. दिमाग ख़राब है क्या, पुरे मुह पे दाल दिया कुत्ता कहिका !!

 

अंकल भी थोड़ा गुस्से में बोले - चुप कर रंडी अभी तो चूतड़ उठा उठा के चुदवा रही थी

 

मम्मी चुप हो गईं और उठ कर अपना ब्लाउज में अपने चूचियों को समेट रही थी और साडी ठीक करने लगीं. अंकल भी अपने पायजामे का नाडा बाँधने लगे और चप्पल ढूंढ रहे थे. मैं बैठे ही बैठे दो चार सीडी उतरी, फिर एक दम चुप चाप नीचे चली गई. .

 

अंदर घुसते ही पापा बोले - क्या हुआ, बेटा. मिली नहीं मम्मी.. वो अपना मोबाइल भी यही छोड के गयी है, आ जाएगी यही कही hogi

 

मैंने एक पल पापा को देखा फिर चुपचाप बाथरूम में जा कर नल चालू कर लिया और सिसकने लगी!!! मैंने सोचा ये इंसान कितना सीधा सादा है और ये कितनी रंडी है पड़ोशियों से चुदवा रही है इसको सबर ही नहीं है

 

अचानक मुझे एहसास हुआ की वो क्यूँ चुप थे; मुझे भी चुप रहना होगा। अपने पापा के लिए!!! !! मैंने चेहरा धोया, नॉर्मल हुई और फिर बाहर आ गयी और पापा से बोली पापा आपके लिए चाय बनाऊ

 

अब तक रंडी मम्मी नीचे आ चुकीं थी और पापा से थोड़ी दूर सोफे पर बैठीं थी चेहरा खिला हुआ था क्यों की चुद कर आयी थी, खुश लग रही thi

 

उन्होंने मुझे देखा और बोला - कब आई. ?? फिर बिना जवाब का इंतेज़ार किए बोलीं - आ रही यार, मैं एक मिनिट। हाथ मुँह धो लूँ। चक्कर से आ रहे, मुझे मैंने समझ की चट चट कर रहा होगा क्यों की मुठ मार कर अंकल ने सारा माल इसी रंडी के मुह के ऊपर दाल दिया.

 

खैर, मैंने पापा को देखा और अपने पर संयम रखा और सोचा चुप रहने में ही भलाई है। वैसे भी मम्मी कभी नहीं मानेंगी की वो ऊपर चुद रही थी और मैं इसका गवाह हु मैंने चुदते देखा.

 

जब मम्मी हाथ मुँह धो कर आईं तो ना चाहते हुए भी मेरे मुँह से निकल गया - कहाँ गईं थीं. ??

 

मेरी माँ ने बड़ी चालाकी से बात टाल दी और कहने लगी यही पड़ोस में नयी बहु आयी थी देखने गयी. एक पल को भी उन्हें देख कर यह एहसास नहीं हो रहा था कि ५ मिनिट पहले वो किसी "गैर मर्द" से मज़े लेकर चुद रही थीं!!

 

फिर मैंने सोचा की इन लोगों को भी कब एहसास होता है। जब मैं हफ्ते-हफ्ते भर अपने बॉय फ्रेंड से उसके रूम पर चुदती हु चूतिया बनाना तो हम लड़कियों की "जन्म जात खूबी" है खैर हमें क्या चुद ले जितना मन है, इस तरह दोस्तों मैंने अपनी माँ को चुदते देखा आपको ये सच्ची कहानी अच्छी लगी होगी आप रेट जरूर करे. आपकी प्यारी, लंड की प्यारी कामिनी,

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