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कॉलेज गर्ल की चुदाई का आनंद

एक कॉलेज गर्ल छुपा छुपी के खेल में मेरे साथ छिपती थी और अपने चूतड़ को मेरे लन्ड पर दबाती थी। मुझे भी इस खेल में मजा आता था। मैंने उसकी जवानी का आनन्द लिया.


सभी पुरुष दोस्तों को नमस्कार और महिला दोस्तों को प्यार।


मैं अमित सिंह उम्र 40 दिखने में औसत, बिस्तर में संतुष्टिदायक।

दुनिया में शायद ही कोई ऐसा हो जिसने शारीरिक आकर्षण से खुद को बचा पाया हो। पुरुष थोड़ा सा ज्यादा उत्तेजित हो जाते है और महिलाएं अपनी भावनाओं को दबा के रखती है लेकिन उन्हें चुदाई के मामले में कमतर आंकना भारी भूल होगी। इस उम्र तक मैंने ऐसे तमाम अनुभव किये जिसमे महिलाओ की उतेजना देखना काफी रोमांचक रहा।


मेरी यह कॉलेज गर्ल की जवानी की कहानी भी तब की है जब मैं मात्र 19 का था जब मुझे पहली बार किसी महिला का स्पर्श मिला जो मुझे मदहोश कर गया। और जिनके साथ ये अनुभव हुआ वो 22-23 साल की थी. उसका नाम था दीपा। अगर वो भी मेरी कहानी पढ़ रही हों तो मुझे माफ़ करियेगा; मैं आपके साथ बिताए उन लम्हों को भूल नहीं पाया और कागज के पन्नों पर उकेर रहा हूँ।


गोरी … गदराया बदन … लंबी … कुल मिलाकर पूर्ण रूप से किसी भी पुरुष को अपने सौन्दर्य की गिरफ्त में लेने का सम्पूर्ण साजो सामान उपलब्ध था उनके पास. बड़ी बड़ी कठोर चुचियाँ जैसे सांचे में ढली हुई … मस्त चूतड़ जिनको दबाने पर असीम आनंद का अनुभव हो। रसीले लाल होंठ जिनको देखकर ऐसा लगता था कि सिर्फ होंठ ही चूसता रहूं।


लेकिन मैं एकदम अनाड़ी उस समय इन सब बातों से अनभिज्ञ था।


उनके मकान में हम लोग किरायेदार थे। दीपा का एक भाई और तीन बहनें थी। ये तीसरे नंबर की थी। दो बड़ी बहनों की शादी हो चुकी थी। दीपा, उसकी छोटी बहन बरखा और छोटा भाई अमन और उनके मम्मी पापा ही घर में थे।


मेरे यहाँ मम्मी पापा बड़े भाई और मैं।

मैं तो अनाड़ी था लेकिन दीपा बहुत तेज थी और शायद पहले चुद भी चुकी थी। वो कॉलेज जाती थी।


शाम को हम लोग छुपा छुपी खेलते थे और अधिकतर छुपा छुपी के खेल में दीपा मेरे आगे आकर छिप जाती थी और अपने चूतड़ को मेरे लन्ड पर दबाती थी। मुझे भी धीरे धीरे इस खेल में मजा आने लगा था।


एक दिन वो मेरे आगे छिपी थी उसके चूतड़ मेरे लंड पर टिके थे तो मेरा लन्ड खड़ा हो चुका था।

तभी दीपा बोली- अमित, पीछे से मुझे पकड़ ले जिससे मैं किसी को दिखूं नहीं।


मैंने तुरंत उसके चूची पर हाथ रख कर दबा दिया तो वो मुस्कराने लगी. मुझे तो बहुत मजा आ रहा था और उनकी आवाज से लग रहा था उन्हें भी मजा आ रहा है।


एकाएक वो मेरी तरफ पलट गई और मेरे उन्होंने मेरे ओंठों को किस कर लिया। मैं भी उनके ओंठों को कस कर पीने लगा। फिर दीपा अपना हाथ मेरे लन्ड पर दबाने लगी। मैं तो जैसे स्वर्ग में था।

मैं दीपा की मस्त चूची मसलते हुए उनके ओंठ चूसे जा रहा था और वो मेरे लन्ड को मसले जा रही थी।


तभी किसी के आने की आहट से वो सीधी हो गयी।


फिर तो हम दोनों का ये रोज का काम हो गया. रोज शाम को छुपा छुपी खेलते समय हम दोनों अपना भी खेल खेलते. लेकिन उससे बात आगे बढ़ नहीं पा रही थी।

अब तो वो हाथ पैंट में डाल कर मेरे लन्ड को भी मसल देती लेकिन मैं आगे नहीं बढ़ पाता था।


एक दिन वो दोपहर में सीढ़ी के नीचे बने बाथरूम में नहा रही थी और मैं सीढ़ी के ऊपर खड़े होकर छिप कर दीपा को नंगी नहाती देख रहा था। वो पूरी नंगी होकर नहा रही थी। उनकी बड़ी बड़ी चूची पर से पानी चू रहा रहा था। मैं पहली बार उन्हें नंगी देख रहा था।

दीपा की बुर एकदम साफ थी, उस पर एक भी बाल नहीं था। मेरा दिमाग एकदम काम नहीं कर रहा था।


मैं अपने लन्ड को पैंट से बाहर निकल कर दबा रहा था कि तभी उनकी नजर मेरे ऊपर पड़ गयी और मैं भाग के नीचे चला गया।

2-3 दिन मैं उनके सामने नहीं गया और न ही शाम को छुपा छुपी खेला।


3 दिन बाद ऐसा मौका आया कि घर में उस दिन सिर्फ हम दोनों ही थे।

तभी दीपा ने मुझे आवाज दी।

मैं तो डर गया।


फिर हिम्मत करके मैं उनके कमरे में गया तो देखा कि दीपा अपने बिस्तर पर स्कर्ट और टॉप पहन कर लेटी थी।

वो मुझसे थोड़ा गुस्से में बोली- तुम क्या देख रहे थे उस दिन?

क्या बोलता मैं … मैं चुप रहा.


तो बोली- मुझे नंगी देखना था तो मुझे कहते … ऐसे छिप कर देखने की क्या जरूरत थी? चलो बताओ क्या देख रहे थे?

मैं अब भी चुप ही रहा.


तो दीपा गुस्से में बोली- मैं जो पूछ रही हूँ उसका जवाब दो!

और उन्होंने मेरा हाथ पकड़ कर बिस्तर पर बैठा दिया और एकाएक अपना टॉप उतार दिया और बोली- देखो … देख लो ठीक से!


मेरी तो आंखें खुली की खुली रह गयी। दीपा की पूरी नंगी चूची मेरे आंखों के सामने थी जिनपर भूरे रंग का दाना और हल्के काले रंग का घेरा था।


मैं तुरंत टूट पड़ा और उनकी चूची को हाथ से दबाने लगा.

वो बोली- थोड़ा पी कर भी देखो।


चूची पर मेरे ओंठ लगते ही वो मेरा सर अपनी छाती पर दबा के सिसकारियाँ लेने लगी और एक हाथ से मेरा लन्ड मसल रही थी।


थोड़ी देर बाद वो बोली- अपनी पैंट उतारो।

मेरे पेंट उतारते ही उन्होंने लपक कर मेरा लन्ड पकड़ लिया और बोली- ये तो बहुत मस्त है.


और मेरे लंड को अपनी मुट्ठी में लेकर आगे पीछे करने लगी. मैं ओंठ चूची पीते हुए मसलते हुए मजे में डूब रहा था।


फिर दीपा बोली- अभी तक किसी कॉलेज गर्ल की जवानी देखी है?

मैंने न में सर हिलाया तो बोली- अभी देखोगे?

और इतना कहते हुए उन्होंने अपनी स्कर्ट खोल कर नीचे फेंक दी.


अब वो कॉलेज गर्ल पूरी नंगी मेरे सामने पड़ी थी। उनकी बुर एकदम साफ फूली हुई पावरोटी की तरह मेरे सामने थी।

दीपा बोली- आओ नजदीक से देखो छूकर!


मैंने तुरंत दीपा की नंगी बुर पर हाथ लगाया तो वो एकदम गर्म लग रही थी।

वो बोली- मेरी बुर को किस करो!


मैंने एकदम गुलाम की तरह दीपा के हुक्म का पालन किया और तुरंत नीचे झुक कर उसकी चिकनी बुर पर अपने होंठ टिका कर चुम्बन किया.


तभी उसने अपने हाथ से मेरा सर अपनी बुर पर दबा दिया और बोली- इसे अपनी जीभ से चाटो।


मैंने एकदम रोबोट की तरह दीपा की गर्म बुर को अपनी जीभ से चाटना शुरू कर दिया।


क्या अहसास था वो … और अब मुझे सबसे ज्यादा मजा बुर चाटने में ही आता है, उसके बिना चुदाई बेकार है।


दस मिनट तक जवान दीपा की बुर चाटने के बाद मैं थोड़ा थकने लगा था. एकाएक उसने अपना शरीर ढीला छोड़ दिया और उनकी बुर से कामरस बह कर मेरे मुंह को भरने लगा।


तभी किसी के आने की सम्भावना से वो मुझे बोली- तुम अपने कमरे में चले जाओ।


मैं आधी अधूरी सेक्स क्रिया करके वापस अपने रूम में आ गया। फिर एक दिन घर के सभी लोग बाहर गये हुए थे. घर दीपा और मेरे अलावा कोई नहीं था. दीपा ने मुझे अपने कमरे में बुलाया और मेरे सामने ही अपना टॉप उतार दिया.


पहली बार मैंने नंगी चूची देखी थी. वो भी शायद अपनी जवानी की प्यास को बुझाना चाह रही थी. उसकी नंगी चूचियां देख कर मैं उन पर टूट पड़ा. उसको नंगी करके मैंने उसकी चूत में जीभ दे दी और रोबोट की तरह उसकी चूत को जीभ से चोदने लगा.


कुछ ही देर में उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया और मैंने उसकी चूत का रस बूंद बूंद करके पी लिया. उसके बाद वो शांत हो गयी और तभी गेट पर किसी के आने की आवाज हुई.


उसने मुझे वहां से जाने के लिए कह दिया और उस जवान लड़की की चूत चोदने की मेरी इच्छा अधूरी रह गयी. मैं अधूरी क्रिया करके अपने रूम में वापस आ गया.


मैं अब उसकी चूत को चोदने के लिए तड़प रहा था. दीपा के साथ इतना सब कुछ होने के बाद अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था. दीपा के मन में क्या चल रहा था मुझे नहीं पता लेकिन उस दिन के बाद मेरा दिमाग सिर्फ उसके शरीर को भोगने के बारे में ही चलने लगा था.


अब मैं परेशान सा रहने लगा था. कई बार मुठ भी मार चुका था लेकिन शांति नहीं मिल पा रही थी. कई बार जब सब लोग साथ में बैठे होते थे तो मैं खाने की मेज पर सबके साथ होते हुए भी अपने पैर के अंगूठे से उसकी सलवार को छेड़ने लगता था.


कई बार तो सलवार के ऊपर से ही उसकी बुर को सहलाने लगता था. वो भी आराम से अपनी बुर को मेरे पैर के अंगूठे से रगड़वाती थी. मुझे बहुत मजा आता था ऐसा करने में. जब कभी भी मौका मिलता मैं उसकी चूचियों को दबा देता था.


कभी कभी तो घरवालों के सामने ही नजर बचाकर उसके चूतड़ों को दबा देता था. कहते हैं कि इंतजार का फल मीठा होता है. कुछ दिन के बाद घर वाले गांव में चले गये.


मेरे परिवार वाले गांव में चले गये थे लेकिन मैं नहीं गया. मैं वहीं पर रुक गया. मुझे अपने घर में अकेले रहने में कोई दिक्कत नहीं होती थी क्योंकि दीपा के घर में मेरे खाने का प्रबंध हो जाता था.


कई बार तो मैं उन्हीं के यहां पर ही सो जाता था. कई बार दीपा के घर से कोई मेरे पास सोने के लिए आ जाता था. एक बार अमन आया था. उस दिन भी मैं मन ही मन उसको गाली दे रहा था कि साला ये क्यों आ गया. इसकी जगह अगर दीपा आई होती तो उसको चोदने का मौका मिल जाता.


फिर उसके बाद एक रात के लिए आंटी आई थी. मगर मुझे दीपा का इंतजार था. मैं इसी इंतजार में था कि किसी तरह दीपा को मेरे साथ रात गुजारने का मौका मिले. एक दिन आंटी ने दीपा को भी भेज दिया.


मैं तो दीपा से छोटा ही था. इसलिए आंटी को क्या पता था कि हम लोग ये सब गुल खिला रहे हैं. उस दिन दीपा को देख कर मैं खुश हो गया. मुझे सेक्स का पहला अनुभव जो मिलने वाला था. हल्की हल्की ठंड पड़ रही थी. कुछ देर तक तो मैं आराम से लेटा रहा. मगर बर्दाश्त करना मुश्किल हो रहा था. दीपा मेरी बगल में ही लेटी हुई थी. बर्दाश्त भी ज्यादा देर तक नहीं हो सकता था.


वो दूसरी और मुंह घुमाकर लेटी हुई थी. उसकी गांड मेरी ओर थी. मेरा लौड़ा खड़ा हो चुका था. मेरी लोअर में तनकर एकदम से सख्त हो गया था. मुझसे रुका नहीं जा रहा था.


दीपा के बर्ताव पर मुझे दूसरी तरफ हैरानी भी हो रही थी. दीपा कुछ नहीं बोल रही थी. बल्कि पहले तो वही शुरूआत करती थी लेकिन आज वो मेरी ओर देख भी नहीं रही थी.


फिर मैंने पीछे से उसकी चूचियों को पकड़ कर दबाना शुरू कर दिया. जैसे ही मैंने उसकी चूचियों को छेड़ा तो उसने मुझे पीछे की ओर धकेल दिया. मुझे उसका ये बर्ताव समझ में नहीं आया. हमारे बीच में इससे पहले भी बहुत कुछ हो चुका था. मैंने फिर से उसको छेड़ा लेकिन उसने फिर से मुझे हटा दिया.


मेरा दिमाग खराब हो रहा था कि ये क्या नाटक कर रही है. इतना सब कुछ हमारे बीच में हो चुका है फिर भी ये नाटक कर रही है. मैंने उसके होंठों को चूसना शुरू कर दिया तो उसने मुझे फिर से पीछे धकेल दिया.


अबकी बार मुझे गुस्सा आ गया.

मैंने कहा- ये क्या नाटक है?

वो बोली- नाटक क्या, मुझे नहीं करना ये सब.

मैंने कहा- क्यों?


वो बोली- मेरी मर्जी, मेरा मन नहीं है.

मैंने कहा- आज तो मैं करके ही रहूंगा.

मैंने उसकी चूचियों को फिर से दबाना शुरू कर दिया.

मगर वो मुझे बार बार पीछे धकेल रही थी. मेरा लौड़ा तना हुआ था और उसकी चूत में जाने के लिए तड़प रहा था.


जब वो नहीं मानी तो मैं किचन में गया और चाकू लेकर आ गया. उसकी गर्दन पर चाकू रखा और बोला- अगर ज्यादा नौटंकी की तो इसी चाकू से तेरी चूत को कुरेद दूंगा.

वो हंसते हुए बोली- यही तो मैं चाहती हूं मेरे राजा, मैं चाहती हूं कि तुम मेरी चूत को जबरदस्ती फाड़कर रख दो.


उसकी मंशा मैं समझ गया. मैंने चाकू एक तरफ फेंका और उसके कपड़ों को खींच कर निकलवा दिया. अगले कुछ ही पलों में वो मेरे सामने नंगी थी. मैं उस पर चढ़ गया. दीपा की चूचियों को मैं मुंह में लेकर पीने लगा और एक हाथ से दूसरी चूची को मसलने लगा. उसके मुंह से तुरंत सिसकारियां निकलने लगीं. मगर वो बीच बीच में मुझे अपने से दूर धकेल कर उकसाने की कोशिश भी कर रही थी.

अपनी लोअर को मैंने तुरंत नीचे किया और उसके मुंह में अपना लंड दे दिया. उसके मुंह में लंड को देकर मैं उसके मुंह को चोदने लगा. वो भी पूरे लंड को गलप-गलप करके अंदर लेने लगी. उसकी सांस रुकने लगी थी फिर भी वो लंड को गले तक उतार रही थी.


गजब तरीके से लंड चूस रही थी वो जैसे फिल्मों की हिरोइन चूसती है. मैंने उसकी चूत में उंगली दे दी और उसकी चूत को कुरेदने लगा. वो कसमसाने लगी. मैं तेजी के साथ उसकी चूत में उंगली अंदर बाहर करने लगा.


उसकी गर्म चूत में से कामरस चूना शुरू हो गया था. मैं समझ गया था कि ये पहले से ही चुदने की पूरी तैयारी करके आई थी. अगर मैंने शुरूआत नहीं की होती तब भी ये खुद ही आज मुझसे चुदने वाली थी.


मैंने उसकी चूत से उंगली निकाली और लंड को बाहर खींच कर उसकी चूत को चाटने लगा. वो मस्ती में अपनी चूत को मेरे मुंह पर दबाने लगी. मैं जीभ डाल कर उसकी चूत को चूसने का भरपूर मजा लेने लगा.


कुछ देर तक उसकी चूत को चूसने के बाद मैंने उसके चूतड़ों के नीचे तकिया लगा दिया. उसकी चूत ऊपर की ओर आ गयी. मैंने एक बार फिर से उसकी चूत में जीभ दे दी.

मगर वो सिसकार उठी- आह्ह अमित … चोद दे ना यार … मैं तड़प रही हूं, अब और ज्यादा देर की तो मेरी जान निकल जायेगी.


मैंने उसके पैरों को फैलाया और उसकी बुर पर लंड को रगड़ना शुरू कर दिया. उसका पूरा शरीर जैसे अकड़ने लगा था. वो चुदने के मचल गयी थी. मैंने उसकी चूचियों को दबाते हुए उसकी चूत पर लंड का धक्का दे दिया.


पहली बार में तो लंड फिसल गया. मैंने फिर से लंड को सेट किया और इस बार पूरा जोर लगाकर उसकी चूत में धक्का लगाया तो मेरा लंड उसकी टाइट सी चूत में उतर गया. मगर धक्का तेज था इसलिए वो एकदम से कराह गयी. मैंने इतने में ही दूसरा धक्का भी लगा दिया और उसकी चूत में पूरा लंड उतार दिया.


फिर मैं रुक गया. वो मेरी ओर देखने लगी. मेरा लंड उसकी चूत में जा चुका था और उसने लंड को अपनी चूत में एडजस्ट कर लिया था.

वो बोली- करो ना अब … रुक क्यों गया है?

मैंने कहा- क्या करूं?

वो बोली- मेरी चूत को फाड़ कर रख दे. आह्ह … चोद दे ना यार … जल्दी!


मैं जानता था कि वो लंड की प्यासी थी. मगर मैं भी चूत का उतना ही प्यासा था. धीरे धीरे मैंने उसकी चूत में अपने लंड को हिलाना शुरू कर दिया. उसके बाद मैंने ताबड़तोड़ उसकी चूत में लंड के धक्के लगाना शुरू कर दिया. वो भी मस्ती में चुदने लगी. हर धक्के पर उसके मुंह से आह्ह… ऊह्ह… आह्ह… की मस्ती भरी आवाजें निकल रही थीं. उसके होंठ खुल गये थे और वो हर धक्के के साथ आह्ह इस्स … करती हुई अपनी चूत को चुदवा रही थी.


मैं भी उम्म्ह… अहह… हय… याह… करते हुए उसकी चूत को चोदने का मजा ले रहा था. मेरे लंड को पहली बार किसी जवान लड़की की चूत का मजा मिला था. मैं उसकी चूत को चोदने का पूरा मजा लेना चाहता था. इसलिए दो मिनट धक्के लगाने के बाद रुक जाता था.


वो फिर से मुझे अपने ऊपर खींच लेती थी और मैं फिर से उसकी चूत को चोदने लगता था. अब उसकी चूत से पच-पच की आवाज होना शुरू हो गयी थी. मेरा लंड भी फूल कर एकदम से तप रहा था. इतना तनाव मुझे कभी अपने लंड में महसूस नहीं हुआ था.


चुदाई का पहला अहसास पाकर मैं भी मस्त हो चला था. फिर मैंने जोर जोर से उसकी चूत में लंड को पेलना शुरू कर दिया. अब उसके मुंह से निकलने वाली कामुक सिसकारियां उसकी कराहटों में बदल गयी थीं.


जोर से धक्के लगाते हुए एकदम से मेरे लंड से वीर्य की पिचकारी उसकी चिकनी चूत के अंदर ही गिरने लगी. मैंने उसकी चूत की चुदाई 15 मिनट तक जोरदार तरीके से की और उसके बाद उसकी चूत में ही खाली हो गया. मैं हांफने लगा और वो भी पहले ही झड़ गयी थी.


ये मेरा पहला स्खलन था किसी की चूत में. पहली बार चूत में वीर्य निकालने का वो अहसास मैं आज भी नहीं भूला हूं. कुछ देर तक हम दोनों ऐसे ही पड़े रहे. उसके बाद मैंने फिर से उसकी चूत को रगड़ना शुरू कर दिया और दोबारा से उसकी चूत को जमकर चोदा. इस तरह से उस रात मैंने दीपा की चूत 4 बार चोदी.


उसके बाद तो न जाने कितनी ही बार मैंने उसकी चुदाई की. मुझे उसने चुदाई का पहला अहसास सिखाया था और जवानी का आनंद लेना भी. उसके साथ बिताये गये उन पलों को मैं कभी नहीं भूल सकता हूं.


चूत चुदाई का वो पहला मजा मुझे दीपा ने ही दिया था. उसके बाद मैंने बहुत सी लड़कियों की चूत चोदी. गांड की चुदाई भी की लेकिन दीपा के साथ चुदाई का वो पहला आनंद सच में यादगार था.


आपको मेरी चोदन स्टोरी पसंद आई होगी, मुझे आप लोगों की प्रतिक्रियाओं बेसब्री से इंतजार रहेगा.

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