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आंटी को चूत में बैगन डालते देखा

मेरे पड़ोस में एक आंटी रहती थीं. उनके पति काम के चलते अक्सर बाहर रहते थे. ऐसे में वो घर में अकेली रह जाती थीं. मेरी मां से उनकी बॉन्डिंग काफी अच्छी थी, तो मैं उनके छोटे – मोटे काम कर देता था. एक दिन मैंने उन्हें अपनी चूत में बैगन डालते देख लिया. फिर क्या ये जानने के लिए कहानी पढ़ें…


नमस्कार दोस्तों, मेरा नाम कपिल है और मैं इलाहाबाद का रहने वाला हूं. मेरी उम्र 34 साल है और मेरा रंग गोरा है. मैं देखने में भी काफी हैण्डसम हूं. दोस्तों, मैंने जिम जाकर अपनी बॉडी एकदम फिट बनायी हुई है, जिसके कारण लड़कियां मेरी तरफ बहुत जल्दी आकर्षित होती हैं.


आज जो कहानी मैं आप लोगो के लिए लेकर आया हूं वो मेरी जिन्दगी की सच्ची कहानी है. मुझे आशा है कि ये कहानी आप लोगों को पसंद आएगी. अब आप लोगों को ज्यादा बोर ना करते हुए मैं सीधे अपनी कहानी पर ले चलता हूं.


ये कहानी मेरे पड़ोस की एक आंटी की है जो बहुत ही खूबसूरत और सेक्सी हैं. उनका फिगर 34 30 36 का है. उनके बूब्स बहुत ही मस्त है और उनके की उठी हुई गांड का तो क्या ही कहना. उसे देख कर तो किसी का भी लंड खड़ा हो जाए. मैं हमेशा से ही उनकी चुदाई करना चाहता था लेकिन मौका नहीं मिल पाता था.


उनके घर में सिर्फ वो और उनके पति ही रहते थे. उनके पति जॉब करते थे तो वो अक्सर घर से बाहर रहते थे और कभी – कभी ही घर आते थे. आंटी और मेरी मम्मी की काफी अच्छी बनती थी, जिसके कारण मेरा उनके घर आना – जाना लगा रहता था. उनको कोई भी काम होता था तो वो मुझसे ही कहती थीं.


वो जब भी मुझे बुलातीं तो उनके मस्त मम्मों के दर्शन करने के लिए मैं बिना देर किए ही पहुंच जाया करता था. एक दिन की बात है. आंटी ने मुझे बुलाया. मैं उनके घर पहुंचा तो जैसे ही वो मेरे सामने आईं मैं उनको देखता ही रह गया. क्या मस्त लग रही थीं वो! उन्होंने गुलाबी कलर की मैक्सी पहन रखी थी और उस मैक्सी में से उनके मम्मों के बीच की घाटी साफ़ चमक रही थी.


उनको देख कर मेरा मन कह रहा था कि बस अभी मैं उनको पकड़ लूं और मसल डालूं. लेकिन फिर मैंने खुद को कंट्रोल किया और उनसे कहा कि आंटी, आपने मुझे बुलाया, कोई काम था क्या? तब उन्होंने मुझसे कहा कि कपिल वो आज मेरी गैस खत्म हो गयी है और तुम्हारे अंकल घर पर हैं नहीं तो तुम प्लीज मेरी गैस ला दो न.


मैंने कहा ठीक है आंटी जी ला देता हूं. फिर मैंने उनका सिलेंडर लिया और गैस लाने चला गया. गैस लेकर जब मैं वापस आया तो मैंने देखा कि घर में कोई नहीं था लेकिन दरवाजा खुला था. इसलिए मुझे लगा कि आंटी शायद बेडरूम में होंगी. यही सोच कर मैं उनके बेडरूम के पास पहुंचा तो अंदर रूम से अजीब – अजीब आवाजें आती सुनाई दीं.


तब मैंने खिड़की की दरारों से अंदर देखा. अंदर का सीन देख कर मैं सन्न रह गया. आंटी अपनी चूत में बैंगन डाल कर उसे अन्दर – बाहर कर रही थीं. आंटी एक दम नंगी बैठी थीं और वो अपने बूब्स को भी मसल रही थीं. उनको इस हालत में देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया.


थोड़ी देर नज़ारा देखने के बाद मैंने सोचा कि आंटी को आवाज दूं नहीं तो पता नहीं कब तक ऐसे ही खड़ा रहूंगा. फिर मैं उनके बेडरूम से थोड़ी दूर गया और उनको आवाज दी. मेरी आवाज सुन कर आंटी ने बोलीं कि कपिल, तुम बरामदे में बैठो मैं अभी आई. फिर मैं सोफे पर बैठ गया मेरा लंड अभी भी खड़ा था.


थोड़ी देर बाद आंटी बाहर निकलीं. उन्होंने वही मैक्सी फिर पहन ली थी. फिर वो मेरे पास आईं और कहने लगीं कि ले आये सिलेंडर? मैंने कहा, “हां आंटी”. अंदर का सीन देखने के बाद अब मेरा मन बिल्कुल मान नहीं रहा था. न चाहते हुए भी मैं उनके बूब्स को घूरे जा रहा था. उन्होंने शायद अन्दर ब्रा नहीं पहनी थी, जिसके कारण निपल्स साफ़ चमक रहे थे.


फिर उन्होंने मुझसे कहा कि तुम सिलेंडर लगा दो तो मैं तुम्हारे लिए चाय बना देती हूं. इसके बाद मैं किचन में गया और जाकर सिलेंडर लगा दिया. दोस्तों, मेरा लंड अब भी ताना हुआ था और उसका उभार मेरी पैंट पर साफ़ चमक रहा था.


तभी अचानक आंटी की नज़र मेरी पैंट के उस हिस्से पर पड़ी और उन्होंने मेरे खड़े लंड को देख लिया. अब वो मेरे लंड को ही देखे जा रही थीं. तब मैंने उनका ध्यान भटकाते हुए उनसे कहा कि आंटी लग गया आपका सिलेंडर, अब मैं चलता हूं. इस पर उन्होंने मुझसे कहा कि इतनी भी क्या, जल्दी है, चाय बना देती हूं, पी लो फिर जाना. मैंने कहा “नहीं आंटी, अब मैं जा रहा हूं, चाय नहीं पियूंगा”. पर वो नहीं मानी और कहने लगीं, “नहीं, चाय तो पीनी ही पड़ेगी”.


आखिर मजबूर होकर मैं फिर सोफे पर जाकर बैठ गया और मौका देख कर अपने लंड को सही कर लिया. फिर थोड़ी देर बाद वो मेरे लिए चाय बना कर ले आईं. जब वो मुझे चाय देने के लिए झुकीं तो मैंने देखा कि उन्होंने अन्दर कुछ नहीं पहना हैं, मुझे उनके बूब्स बिल्कुल साफ दिखायी दे रहे थे.


मेरा ध्यान उनके मम्मों की तरफ ही था कि उन्होंने मेरी तरफ चाय बधाई और जान – बूझकर मेरे ऊपर गिरा दी. चाय मेरी पैंट पर गिर गई. फिर वो मेरी पैंट को साफ़ करने लगीं, इसी बहाने वो मेरे लंड को भी टच कर रही थीं. यह देख मैंने कहा, “कोई बात नहीं आंटी, मैं ठीक हूं”. पर वो नहीं मानीं और मुझसे कहा कि तुम पैंट निकाल दो मैं अभी इसे धुल देती हूं, नहीं तो दाग गहरे हो जाएंगे. मेरे कई बार मना करने पर भी उन्होंने मेरी पैंट को खोल दिया और मुझसे निकालने को कहा.


अब तक मैं उनके इरादे भलीभांति समझ चुका था. फिर मैंने भी अपनी पैंट निकाल दी. जिसके कारण मेरा ताना हुआ लंड अंडर वियर से और साफ़ दिखने लगा. उसे देखते ही आंटी ने मेरे लंड पर अपना हाथ रख दिया. लंड पर उनका हाथ लगते ही मेरे पूरे शरीर में करंट सा दौड़ गया.


फिर उन्होंने मुझसे कहा, “कपिल, ये तेरा लंड क्यों इतना तना हुआ है?” उनके मुंह से ऐसी बातें सुन कर मेरी हिम्मत बढ़ने लगी. लेकिन मैं कुछ बोल पाता उससे पहले ही आंटी ने मेरे लंड को सहलाते हुए बाहर निकाल लिया. मेरे लम्बे लंड को देख कर उनकी आंखें फटी की फटी रह गईं. फिर उन्होंने कहा, “कपिल, तुम्हारा लंड तो बहुत बड़ा है”. लेकिन मैंने कोई जवाब नहीं दिया.


फिर वो मेरे लंड को ऊपर – नीचे करके उसकी मुठ मारने लगीं. उनके हाथों से मुठ मरवाने में मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. मैं तो उनकी हमेशा से चुदाई करना चाहता था. अब मैं भी जोश में आ गया और मैं आंटी के मम्मों को अपने हाथों में लेकर उन्हें मसलने लगा.


फिर मैंने आंटी से कहा, “आंटी, आप पहले से ही मुझसे चुदने के बारे में सोच रही थीं कि बस ऐसे ही मन बन गया”. मेरे इस सवाल के जवाब में उन्होंने कुछ नहीं कहा तो फिर मैंने उनके पूरे कपड़े निकाल कर नंगी कर दिया और पूरे बदन को चूमता रहा. उनके मुंह से लगातार आहें निकलने लगीं.


फिर मैंने उनको वहीं सोफे पर लिटाया और उनकी चूत पर अपनी जीभ लगा दी. चूत पर जीभ लगते ही वो एक दम से मचल उठीं और बोलीं, “बस, अब मुझसे कंट्रोल नहीं होता, जल्दी से मेरी चूत में अपना मूसल डाल कर इसकी आग बुझाओ”.


दोस्तों, कंट्रोल तो मुझसे भी नहीं हो रहा था. यह सुन कर मैंने अपना लंड उनकी चूत के छेद पर टिकाया और जोर से एक धक्का दिया. चूंकि अभी – अभी वो बैगन अंदर ले रही थीं, इसलिए मेरा पूरा लंड सरसराता हुआ उनकी चूत में घुस गया. अब मैं धक्के पर धक्के मारने लगा. मेरा लंड उनके चूत की दीवारों से रगड़ खा रहा था, जिससे मुझे और शायद उन्हें भी बहुत मज़ा आ रहा था.


मैंने करीब 20 मिनट तक उनकी चुदाई की. इस दौरान वो 3 बार झडीं. अब मेरा भी निकलने वाला तो मैं पूछा, “आंटी, कहां गिराऊं?” वो बोलीं, “बाहर”. फिर मैंने अपना लंड बाहर निकाल लिया और उनके हाथ में दे दिया. अब वो मेरी मुठ मारने लगीं. फिर थोड़ी ही देर में मेरे लंड ने अपनी पिचकारी छोड़ दी. मेरा वीर्य उनके पूरे चेहरे पर फैल गया.

 फिर हम उठे और बाथरूम में जाकर खुद को साफ किया. उसके बाद उन्होंने मेरे लिए फिर से चाय बनाई और उसे पीकर मैं वापस आ गया. अब जब मौका मिलता है, मैं उन्हें चोदता हूं. उनके साथ चुदाई करके मुझे बड़ा मजा आता है.

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