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बहना के साथ चुदाई का खेल (Behan Ke Sath Chudai Ka Khel)

दोस्तो, मेरा नाम है अंकित शर्मा, मैं कुरुक्षेत्र हरियाणा में रहता हूँ. अभी मेरी आयु 24 वर्ष की है. मैं गोरा लंबा, कद 5 फीट 8 इंच है. दिखने में स्मार्ट हूँ.

मुझे अन्तर्वासना पर भी बहन की चुदाई की कहानियाँ पढ़ने में बहुत मजा आता है.


अब मैं आपको अपनी जिन्दगी की सच्ची कहानी बताने जा रहा हूँ. आप सब इस कहानी कि घटना को ऐसे सोचें कि यह सब आपके साथ हो रहा है तब आपको मेरी कहानी पढ़ने में पूरा मजा आयेगा.

यह बात आज से करीब चार साल पहले की है जब मैं 20 वर्ष का था और गर्मियों में मई के महीने में अपने परिवार यानि मम्मी पापा के साथ अपनी बुआ जी के घर अम्बाला गया था. मेरी बुआ जी की लड़की अंजलि है. वह मुझसे डेढ़ साल छोटी है. उस वक्त उसकी उम्र साढ़े अठारह वर्ष की होगी. हम दोनों भाई बहन के बीच की अच्छी दोस्ती थी.


एक दिन की बात है कि घर के सब बड़े लोग इकट्ठे बाजार गये थे और हम दोनों घर में ही रह गये थे क्योंकि बाहर बहुत तेज धूप थी और बड़े लोगों के साथ बाजार जाने का हमारी बिल्कुल इच्छा नहीं थी. इसलिये हम दोनों ने ही उनके साथ जाने से इन्कार कर दिया कि इतनी गर्मी में तेज धूप में हम बाहर नहीं जा रहे हैं.


चलो, दोपहर के बारह बजे वे लोग बाजार के लिए घर से चले गये और मैं अपनी बुआ की बेटी अंजलि के साथ घर में अकेला था. मेरी फुफेरी बहन गोरी चिट्टी, स्मार्ट है, उसकी फीगर 32-26-32 के करीब थी, उसकी हाईट करीब 5 फीट तीन इंच होगी.


हम दोनों घर में अकेले बैठे बातें कर थे. मैंने शोर्ट(निक्कर) और टीशर्ट पहनी हुयी थी और मेरी कजन अंजलि ने घुटनों तक की स्कर्ट पहनी हुई थी.

बातों बातों में उसने मुझसे पूछा- भाई चाय पीयोगे क्या?

तो मैंने कह दिया- अगर तेरी इच्छा है चाय की तो मैं भी पी लूंगा… बना ले!

तो अंजलि चाय बनाने के लिए रसोई में चली गई.


और मैं कमरे में बैठा टी वी देख रहा था. जब अंजलि उठ कर रसोई में गई तो उठते हुए उसकी स्कर्ट के नीचे से मुझे उसकी गोरी जांघें दिख गई. मैं काफी पहले से सेक्स के बारे में जानता था और मुठ मारना भी शुरु कर चुका था. इसलिये अंजलि की नंगी टाँगें और गोरी जांघें देख कर मेरे दिमाग में उसके साथ कुछ सेक्सी सा करने का मन करने लगा था.


पहले तो मैंने टी वी पर कोई हिन्दी या अंग्रेजी सेक्सी फिल्म सर्च करने की कोशिश की लेकिन उस समय पर कोई भी ऎसी सेक्सी फिल्म नहीं आ रही थी, दिन के समय एडल्ट मूवीज आती भी नहीं! उनके केबल टी वी पर फैशन टीवी भी नहीं लगता था. लेकिन मेरे मन में कामुकता घर कर चुकी थी, मैं सोचने लगा कि क्या करूँ?

तभी मैं उठ कर अपनी बहन के पास रसोई में चला गया और उस के पीछे जाकर खड़ा हो गया.


अंजलि ने पीछे मुड़ कर देखा तो वो बोली- क्या हुआ भाई साब, रसोई में क्यों आ गए, यहाँ बहुत गर्मी है.

मैं बोला- यार अंजलि, कुछ नहीं… बस अंदर अकेले बैठे हुये बोर हो रहा था तो तेरे पास आ गया.

और मेरी नजार अंजलि की स्कर्ट के नीचे से दिख रही उसकी नंगी गोरी चिट्टी चिकनी टांगों पर ही थी.


अंजलि- भाई, तुम कमरे में जाओ, मैं बस चाय लेकर आ ही रही हूँ.

मैं- हाँ हाँ ठीक है!

और मैं रसोई में से बाहर आ गया.


मेरा लंड अपनी बहन की चूत के बारे में सोच सोच कर पूरा खड़ा हो गया था तो मैंने सोचा कि बाथरूम में जाकर एक बार मुट्ठ ही मार लेता हूँ!

और मैंने बाथरूम में जाकर अपनी सेक्सी बहन को ख्यालों में नंगी करके उसके नाम की मुट्ठ मारी. आह… बहन के नाम की मुट्ठ मारने में ही मुझे इतना ज्यादा मजा आया कि पूछो मत! इतना मजा मुझे कभी नहीं आया था.


इसी दौरान अंजलि चाय लेकर कमरे में आ गई पर मैं तो उस समय बाथरूम में अंजलि की चूत चुदाई का सोच कर मुट्ठ मार रहा था. जब अंजलि ने मुझे कमरे से गायब पाया तो उसने मुझे आवाज लगाई- अंकित भाई कहाँ हो? आ जाओ, चाय ठण्डी हो जायेगी.

मैं- अंजलि, मैं बाथरूम में हूँ, आ रहा हूँ अभी!

और मैं फटाफट से अपने हाथ धोकर बाथरूम से बाहर निकल कर कमरे में आया तो अंजलि मुझसे पूछने लगी- भाई आप बाथरूम में क्या करने गए थे? आप तो मोर्निंग में नहा भी चुके थे.

तो मैंने कहा- यार मैं ज़रा हाथ पैर धोने के लिए गया था, गर्मी लग रही थी ना!


अब हम दोनों भाई बहन बिस्तर पर बैठ कर टीवी देखने लगे और साथ साथ चाय भी पी रहे थे. मैं बीच बीच में चोर नजर से उसकी ओर देख रहा था और मेरी निगाहें उसकी गोरी टांगों और जांघों पर थी, उसकी स्कर्ट ज़रा सी ऊपर को सरक गई थी बिस्तर पर बैठने से तो उसकी थोड़ी थोड़ी जांघें दिख रही थी!

अब मैं उसकी बुर की कल्पना करने लगा कि उसकी बुर पर अब तो झांटें आ गई होंगी.

और अब मैं उसकी चुची के बारे में सोचने लगा कि ना जाने मेरी बहन की चुची नर्म होंगी या सख्त… मुझे लगा कि उसकी चुची सख्त ही होंगी क्योंकि वो रोज सुबह शाम हल्का फुल्का योगा और कसरत भी करती है.

मैं कल्पना करने लगा कि उसके निप्पल कैसे होंोो

शायद गुलाबी होंगे? क्योंकि वो बहुत गोरी है! या शायद भूरे हों!


मैं बस अपनी बहन की बुर और चुची के बारे सोचते हुए चाय पीता रहा और हम दोनों ने चाय खत्म कर ली.

तब मैंने कुछ शरारत करने का सोच कर उससे कहा- यार अंजलि, चल कुछ खेल खेलते हैं!

तो वह हंसने लगी, बोली- क्या खेल खेलते हैं? अब हम बच्चे थोड़े ना रह गये है जो खेल खेलेंगे?


मैंने कहा- यार हम जब छोटे थे तो कैसे कैसे खेल खेलते थे एक साथ, तुम्हें याद नहीं है क्या? जब मैं यहां आता था या तू हमारे घर आया करती थी, तब हम खूब खेला करते थे. आज मुझे तुझे देख कर उन दिनों की याद आ रही है.

तो अंजलि बोली- हाँ भी, वे दिन तो मुझे भी बहुत याद आते हैं.

तो मैं बोला- तो फिर आज वही बचपन के पुराने दिन याद करते हैं और वही बचपन वाले कुछ खेल खेलते हैं.

वो बोली- पर भाई…

मैं बोला- प्लीज प्लीज प्लीज़!

तो अंजलि पूछने लगी- ठीक है भाई, बोलो कौन सा खेल खेलें?


मैं बोला- यार हम सबसे ज्यादा चोर पुलिस वाला खेल खेलते थे, तो आज भी वही खेल खेलें?

अंजलि बोली- ठीक है भाई, मैं चोरनी बनती हूँ और तुम पुलिस वाला सिपाही!

मैं- ठीक है!


मैंने उसे कहा- तू कोई चीज चोरी कर… फिर मैं तुझे पकडूँगा!

वो बोली- ठीक है भाई!

और मैं कमरे से बाहर चला गया, अंजलि रसोई में चली गई और कुछ चुराने का नाटक करने लगी.


और तभी मैं उसके पीछे रसोई में पुलिसमैन बन कर गाया और उसे पकड़ने के लिए उस पर झपटा. खेल के अनुसार अंजलि मुझसे बचने के लिए वहां से भाग निकलने की कोशिश करने लगी.

लेकिन तो मैंने उसे पीछे से कस कर पकड़ लिया और वह मेरी बांहों से छूट निकलने की कोशिश करने लगी.

पर मैंने अंजलि को पीछे से अपनी दोनों बांहों में कस के जकड़ रखा था, मैं बोला- ऐ चोर लड़की… क्या कर रही थी? बता क्या चुरा रही थी?

अंजलि- जी कुछ नहीं… मैंने कुछ नहीं चुराया यहाँ से!


मैं- मैं पुलिस वाला हूँ, तुम चोरों को मैं अच्छी तरह जानता हूँ, हम पुलिस वालों को चोरों की जुबान खुलवाना आता है.

और मैं अंजलि की तलाशी लेने का नाटक करने लगा और उसके पूरे बदन के कपड़ों के ऊपर से दबा दबा कर देखने लगा.

वो मना करती रही- मैंने कुछ नहीं चुराया है.

मैंने उस की कोई बात नहीं सुनी और मैं उसकी स्कर्ट उतारने की कोशिश करने लगा. पर अंजलि सोच रही थी कि यह सब खेल का ही एक हिस्सा है.


मैंने अंजलि के दोनों हाथ कस कर पकड़ लिए और उसकी स्कर्ट नीचे खिसका कर निकालने लगा.

अंजलि कहती रही- मैंने कुछ नहीं चुराया है.

पर मैंने उसकी स्कर्ट नीचे खींच कर उतार ही दी. अब वह मेरे सामने सिर्फ शर्ट और पैंटी में थी और उसकी नंगी जांघें मुझे पूरी नजर आ रही थी. मेरी नजर उसकी जांघों के जोड़ पर यानि जहां बुर होती है, वहां थी, लेकिन अंजलि की बुर पैंटी से ढकी हुई थी.


अब मेरी नजर अपनी बुर पर टिकी देख कर अंजलि समझ गई कि कुछ तो गड़बड़ है. भाई ने खेल खेल में मेरी स्कर्ट उतार कर मुझे नंगी कर दिया?

वो बोलने लगी- भाई, तुम यह क्या कर रहे हो? खेल में इतना सब कुछ नहीं करते हैं.

तो मैंने अंजलि को कहा- यार ऐसे ही खेलेंगे, ऐसे ही मजा आयेगा. जब तू पुलिस वाली बनेगी तो तू भी मेरे साथ जो चाहे कर लेना.

मेरे ऊपर तो वैसे ही कामुकता चढ़ी हुई थी, मैं तो अपनी बहन को पूरी नंगी करना चाह रहा था.


फिर मैंने उसके दोनों हाथ पकड़ लिए और कहा- मैं तुम्हें चोरी के इल्जाम में गिरफ्तार करता हूँ.

और यह कहते हुए मैंने उसके दोनों हाथ कस कए एक कपड़े से बांध दिये.

अंजलि अब इसे भी खेल ही समझ रही थी.


फिर मैंने उसके बाल पकड़े और उसके पैरों को फैला कर पूछा- बता… कहां छुपा के रखा है चोरी का माल?

ऐसा कहते ही मैंने उसकी चड्डी उतार दी और अब मेरी बहन मेरे सामने नीचे से नंगी हो गयी. मेरी नजर अपनी बहना की बुर पर थी, उसकी बुर पर छोटे छोटे बाल थे, लग रहा था कि वो अपनी झांटों की सफाई करती थी.


तभी अंजलि मुझे कहने लगी- प्लीज भाई, अब मुझे यह खेल नहीं खेलना है.

पर मैं कहाँ मानने वाला था, मैंने कहा- चुप कर चोरनी… एक तो चोरी करती है और ऊपर से पुलिस से जुबान लड़ाती है?

और मैं उसकी दोनों टाँगों को फैला कर के अपना चेहरा उसकी जांघों के बीच ले जा कर उसकी बुर को गौर से देखने लगा.

वाहह.. क्या बुर थी उसकी गुलाबी गुलाबी… बुर के दोनों होंठ आपस में चिपके हुए थे जैसे अभी सील बंद हो!

और मैंने अपनी एक उंगली उसमें डाल दी और बोला- चोरी का माल इसके अन्दर छुपाया है क्या?

और उसकी बुर को मैं अपनी एक उंगली से सहलाने लगा.


और अब मेरी बहन भी मजा लेने लगी पर मुझे दिखाने के लिए शरीफ बन रही थी, मुझे रोक भी रही थी. पर मैंने तो उसे अब बाँधा हुआ था और मैं ऐसा दिखावा कर रहा था कि मैं अब भी खेल ही खेल रहा हूँ.

पर अब तक मैं यह भी समझ चुका था कि वो नाटक कर रही है और उसे इस खेल का पूरा मजा आ रहा है.


तो मैंने उसकी बुर में अपनी एक उंगली डाल दी और जोर जोर से अंदर बाहर करने लगा. उसकी बुर में से थोड़ा थोड़ा पानी निकलने लगा तो मैं समझ गया कि मेरी बहन की बुर पानी चुद रही है, इसकी वासना जाग रही है, यह गर्म होने लगी है.


फिर मैं खड़ा हो गया और अंजलि से पूछा- बोल चोरनी, आराम से सच सच बता दे कि चोरी का माल कहाँ छुपाया है तूने? देख ले, मैं बहुत गुस्से वाला हूँ.

अंजलि अब मुझे कामुक नजरों से देखने लगी और बोली- मैंने कुछ नहीं चुराया सर!

मैंने कहा- सारे चोर ऐसे ही बोलते हैं.

अब मैं उसकी शर्ट उतारने की कोशिश करने लगा. पर उसके दोनों हाथ बंधे हुए थे इसलिये शर्ट पूरी नहीं उतार पाया लेकिन उसकी शर्ट उसके बदन से निकाल के उसकी बांहों में कर दी मैंने.

अब मेरी आँखों के सामने मेरी बहन की नंगी चुची थी छोटी छोटी सी… उनके गुलाबी रंग के निप्पल भी अभी छोटे थे.


मैंने अपने दोनों हाथों से एक एक चुची को पकड़ कर दबाया और मुझे बहुत मजा आया. जब मुझ से रुका ना गया तो मैंने उसके एक निप्पल को अपने मुंह में ले लिया और मेरी बहन अंजलि सिसकारियाँ भरने लगी, उसके निप्पल को चूसना उसे भी बहुत अच्छा लग रहा था.


अब मैं अपने एक हाथ से उसके एक निप्पल को पकड़ कर खींच रहा था और दूसरे को जोर जोर से चूस रहा था. वाह… क्या मजा आ रहा था… एक अजीब सा स्वाद था. वो स्वाद मुझे आज भी याद है.

अब वो आआः आआआ आह्ह्ह करने लगी, अपनी छाती मेरे चेहरे पर दबाने लगी.

अब मैं इस खेल को चुदाई में बदलने के लिए तैयार था क्योंकि अब मेरी प्यारी बहन की बुर मेरा लंड मांग रही थी और मुझे उसकी वासना की संतुष्टि करनी थी.

मैंने तभी उसे पूछा- अंजलि, मजा आ रहा है ना?

वो मेरी बात सुन कर शरमा गयी और कुछ नहीं बोली, उसके चेहरे की मुस्कान सब कुछ बयाँ कर रही थी.


अब तो मुझे हरी झंडी मिल गयी, मैंने तुरंत उसके आठ खोले, उसकी शर्ट उतारी और उसे गले से लगाया. अब मैंने उसके होंठों का चुम्बन लिया, उसे होंठों पर जीभ फेरी और उसके एक होंठ को चूसने लगा.

मेरी बहन अंजलि ने अपने दोनों हाथ मेरी कमर पर रख लिए और चुम्बन में मेरा सहयोग करने लगी.


कुछ देर बाद मैंने अपनी शोर्ट को नीचे खिसका कर अपना लंड बाहर निकाला और अपनी फुफेरी बहन के हाथ में थमा दिया. वह बड़े ध्यान से मेरे लंड को देख रही थी. शायद उसें पहली बार लंड देखा था…

मैंने उसे लंड पर हाथ आगे पीछे करने को कहा तो वो वैसे ही करने लगी.

तभी मैंने उससे पूछा- यार अंजलि. कैसा लग रहा है.

उसने फिर से मुस्कुरा कर अपना चेहरा नीचे झुका लिया और मेरी छाती पर सर टिका लिया.


मैंने उससे पूछा- क्या तूने कभी सेक्स किया है?

और वह फिर मेरी तरफ देख कर हंसने लगी.

मुझे कुछ समझ नहीं आया कि अंजलि पहले चुद चुकी है या नहीं!


अब मैंने देर करना उचित नहीं समझा और मैंने बिना देर किये उसे कमरे में लाकर बेड के किनारे बिठा कर लिटा दिया, इससे उसका सिर, पीठ और चूतड़ बेड पे थे लेकिन टांगें नीचे लटक रही थी, मैंने उसकी टाँगें उठाई और अपना लंड अंजलि की चूत पर रख कर अंदर को धकेला तो मेरा लंड मेरी बहन की चूत में रगड़ता हुआ घुस गया और उसके मुख से निकला- उम्म्ह… अहह… हय… याह…

वो सीत्कारें भरने लगी, मुझे भी बहुत मजा आ रहा था, मैं उसे धीरे धीरे चोदने लगा, वो भी अपने चूतड़ थोड़े थोड़े हिला कर मेरा साथ देने लगी. तब मैं अपनी बहन की चुत चुदाई तेज तेज करने लगा. और वो आनन्द से चिल्लाने लगी- असाह्ह आआह आह्ह ह्ह स्सशआ आह्ह्ह… भाई… आह!

दस मिनट की चुदाई के बाद मैं झड़ने ही वाला था तो मैंने उसे बताये बिना अपना लंड अपनी बहन की बुर से बाहर निकाल कर उसके पेट पर अपना माल छोड़ दिया. मेरे लंड से निकली गर्म पिचकारी ने उसके सारे पेट और नाभि को माल से भर दिया.

मैं हैरान था कि मेरी बहना मुझसे चुदाने के बाद भी हंस रही थी. मैंने उससे पूछा- मेरी बहन, भाई से चुदाई करवा के तुझे मजा आया?

और उसने अब सर हाँ में हिला कर जवाब दिया.

मैं खुश हो गया कि मेरी बहन को मेरे लंड से मजा मिला है. अपनी बुआ की बेटी यानी फुफेरी बहन की वो चुदाई मुझे आज तक भली भान्ति याद है.

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