Free BDSM sex stories, Bondage, best erotic porn stories on bdsmsexstory, Bdsm Hindi Sex Story, BDSM chudai sex story, bdsm sex story pic porn photo, Read sex kahani, kamuk kahani for free

खेल - खेल में चुदाई, भाई ने बहन को चोदा

 इस कहानी की शुरूआत बहुत पहले हो चुकी थी जब मैं पढ़ता था। तब सेक्स के बारे में कुछ अधिक नॉलेज नहीं थी मेरी!


हुआ यूं कि मैं अपनी दादाजी की मृत्यु पर गाँव में गया था। हमें 3-4 दिन तक वहाँ रुकना था। वहाँ मेरे बड़े अंकल रहते हैं, जिनकी लड़की प्रीति मेरी उम्र की ही है। हम दोनों में काफ़ी दोस्ती थी और वो मुझे पसंद भी करती थी।


गाँव पहुँचने पर वहाँ मेरी मुलाकात प्रीति से हुई। मैं उसे देख रहा था.. वो भी मेरे चेहरे को देखते हुए मेरे पास आई और मेरे करीब बैठ कर बात करने लगी।


शाम को मेरे चाचा का लड़का प्रतीक, जो मेरे उम्र का ही है, मुझे बुलाने आया, वो बोला- चल प्रीति के साथ खेलते हैं।

मैं छत पर चला गया.. मैंने पूछा- क्या हो रहा है?

उसने बताया कि वे लोग ‘घर-घर’ खेल रहे हैं और प्रीति उसकी बीवी बनी है। प्रीति फ्रॉक पहने हुई थी। हम तीनों खेलने लगे और फिर प्रतीक ने खेल को आगे बढ़ाते हुए कहा- यार समझो कि रात हो गई है.. सो जाओ!


हम तीनों सो गए.. प्रतीक ने प्रीति की फ्रॉक को ऊंचा किया और उसकी चड्डी निकालने का इशारा किया। प्रीति ने तुरंत चड्डी उतार दी। वो उसकी चूत में अपना लंड रगड़ने लगा.. मैं ये देख कर तो दंग रह गया।

मैंने उन दोनों को अलग किया और पूछा- ये क्या कर रहे हो??

प्रतीक बोला- सब मर्द अपनी बीवी के साथ करते हैं। हम पिछले 2 दिन से ऐसे खेल रहे है। प्रीति चाहती है कि तू उसका हज़्बेंड बने और ऐसा करे, इसीलिए तुझे बुलाया है।


मैंने उसकी तरफ देखा, वो मुस्कुराई.. तो मैं भी मचल गया और अपनी चड्डी उतारने लगा। मैंने अपने लंड को उसकी चुत के ऊपर रखा और रगड़ने लगा। हम दोनों को मजा आ रहा था।


फिर रात को हमने साथ में खाना खाया और सो गए। पापा ने बताया कि कल शाम को वापस शहर जाना है, मुझे लगा अब प्रीति प्रतीक की बीवी बनेगी।

मैंने उससे बात की और मेरे साथ शहर आने के लिए मना लिया।


वो अब मेरे घर पर आ गई.. हम शाम को छत पर घर-घर खेलते और मैं उसको नंगी करके मजा लेता।

दूसरे दिन मैंने उसको बोला- तुम उल्टी लेट जाओ, मुझे तेरी गांड देखनी है।


वो शरमाई.. पर एक-दो बार बोलने पर पलट गई। मैं उसकी गांड की दरारों में लंड फंसा कर हिलाने लगा, बड़ा मजा आया।


अब मैं रोज उसको नंगी करके चूमता और लंड रगड़ता। फिर उसकी गांड को भी खुद दबाया और छेद पर लंड रगड़ा।

कुछ ही दिनों में छुट्टियाँ खत्म हो गईं और वो गाँव चली गई। लेकिन जाने से पहले मैंने उससे वादा लिया कि वो अब ये घर-घर नहीं खेलेगी और किसी और की बीवी नहीं बनेगी।

उसने भी बोला कि मैं तुम्हारी हूँ।


फिर पापा का तबादला दिल्ली हो गया और हम वहाँ चले गए।


कुछ समय बाद प्रीति की बहन की शादी में मुझे गाँव जाना था। मैं खुश हो गया और सोचने लगा कि वो कैसी लग रही होगी.. अब मुझे सेक्स का नॉलेज हो चुका था। मैं सोचने लगा कि वो कैसे पटेगी मेरे साथ चुदने के लिए!!


खैर हम सब गाँव पहुँच गए, मैं प्रीति को ढूँढ रहा था.. अचानक वो मेरे सामने आई। अरे वाह.. क्या जवान हो गई थी वो..! उसका दूध सा गोरा रंग, ऐसा लग रहा था जैसे अप्सरा हो।


मेरे हिसाब से उसके 32 के दूध और 34 की गांड होगी। वो मुझे देख कर मुस्कुरा रही थी, मैं उसके पास गया और ‘हाय’ कहा। वो मुझसे बात तो कर रही थी, पर शर्मा रही थी। शाम को मैंने उसको छत पर आने का इशारा किया, वो समझ गई। हम दोनों वहाँ रखी सूखी घास में बैठ कर बात करने लगे।


मैंने कहा- काफ़ी बड़ी हो गई हो।

वो मुस्कुरा दी.. मैंने उसको उसका फिगर साइज़ पूछा.. तो उसने बताया कि 32-28-34 का है।

मैंने बोला- जवान लड़की के लिए आइडियल फिगर है।

वो मुस्कुरा दी, फिर मैंने उससे पूछा- याद है, हम यहाँ मिले थे!

वो मेरी तरफ देख कर शर्मा रही थी.. मैंने बोला- तुम मुझे बहुत पसंद हो.. आई लाइक यू वेरी मच।


उसने मुस्कुरा कर नजर नीचे कर ली। मैंने उसको अपनी बांहों में भर लिया और उसके गालों को चूम लिया, उसने भी मेरे गालों पर चुम्मी कर दी।


मुझे तो मानो सिग्नल मिल गया था, मैंने देर ना करते हुए अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए और उसे चूमने लगा।


क्या मजा आ रहा था.. वो भी मेरा साथ देने लगी.. हम बस चूमते रहे। दस मिनट बाद हम दोनों ने होंठों को अलग किया.. उसके होंठ लाल हो गए थे। मैंने फिर से उसको जकड़ कर चूमना चालू किया। अब मैं उसके गाल, गर्दन पर चूम रहा था.. उसको मजा आ रहा था। धीरे-धीरे उसकी मादक सिसकारियाँ बढ़ने लगीं।


मैंने अब धीरे से उसके मम्मों को दबाना चालू किया, तो मैंने महसूस किया कि उसने ब्रा नहीं पहनी थी। मैं उसका कुर्ता ऊपर करके उसके मम्मों को देखने लगा। वो शर्मा गई, पर मुस्कुरा कर मेरे हाथ को पकड़े हुए थी।


मैंने उसे रोका और बोला- ये काफ़ी बड़े हैं.. मुझे इधर किस करने दो। उसने हाथ खोल दिए और लेट गई.. मैं तो बस उन मम्मों पर टूट पड़ा। मैंने उसके लेफ्ट बूब को मुँह में लिया और चूसने लगा ‘उम्म्म उम्म्म उम्म्म…’

वो भी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ करते हुए मेरा साथ दे रही थी।


मैंने ज़ोर से दबाना चालू किया.. तो प्रीति बोली- हाँ दबाओ.. और दबाओ बंटी.. तुम्हारे लिए कबसे प्यासे थे ये.. और दबाओ आ आ आअहह आअहह!


यह सब सुनकर मेरा लंड टाइट हो गया.. मैंने उसका हाथ अपने लंड पर रखा और दबाने को बोला। मैं उसके निपल्स काटने लगा.. उसकी सिसकारियाँ बढ़ती जा रही थीं।

मैं काफ़ी उत्तेजित हो चुका था.. मैंने उसकी पजामी के ऊपर से ही उसकी चूत दबाई.. तो उसने एक लंबी साँस ली- आआहह भैया.. बस करो!


मैंने पजामी को खोलने की कोशिश की ताकि उसकी गुलाबी चुत देख पाऊँ।


वो मुझे अपने से दूर करते हुए बोली- मेरे सैंया होश में आओ, हम खुली छत पर हैं, इधर कोई आ जाएगा तो देख लेगा। रात को मेरी जवानी का, मेरे बदन का पूरा मजा लूटना.. सब्र का फल मीठा होता है।


मैंने पूछा- कब?? मैं पागल हो चुका हूँ तेरे लिए..!

वो मुस्कुराई और बोली- रात को सेकेंड फ्लोर पर जो स्टोर रूम है, वहाँ आ जाना। गाँव में सब जल्दी सो जाते हैं, मैं वहीं मिलूंगी। फर्स्ट फ्लोर पर सामान पड़ा है.. तो उधर कोई नहीं होगा।


मैंने उसको किस किया और नीचे जाकर काम करने लगा।


सब रात को 11 बजे सो गए। मैं प्रीति के बताए अनुसार उसका स्टोर रूम में वेट कर रहा था। एक घंटे से ऊपर हो गया, मेरी आँख लग गई। करीब 12 बजे मेरे हाथ पर किसी ने चूमा, तो मेरी आँख खुली।


मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा था.. सामने प्रीति खड़ी थी, वो बोली- अपनी पहली सुहागरात में ही आँख लगा दी, थोड़ा सा इंतजार भी ना हुआ?


वो वाइट टी-शर्ट ओर ब्लैक शॉर्ट्स पहनी थी। मैं उसको निहारने लगा.. नाइट लैंप की रोशनी में उसका बदन कमाल लग रहा था। उसके वो 32 के चूचे और 34 की गांड को देख कर मुझसे रहा ही नहीं जा रहा था, पर मैंने अपने आप पर काबू रखा।


मैंने उसे बगल में बैठने को बोला, उसका हाथ चूमा और कहा- तुम्हारी बहुत याद आती है, पता नहीं क्यों इतने साल मिल नहीं पाए! मैं तुमको बहुत प्यार करता हूँ।

उसने मुझे चूम लिया, फ़िर प्रीति बोली- तुमने बोला है तब से मैंने किसी और लड़के को नहीं देखा, मैं तुम्हारा इंतजार कर रही थी, मुझे पता था तुम और मैं एक दिन साथ में होंगे।


मैंने उसको नजदीक खींच लिया.. हम पुरानी बातें कर रहे थे।

मैं बोला- इस साल की शुरूआत में ही पॉर्न मूवी दोस्तों के साथ देखी तो पता चला कि हम दोनों बचपन में क्या करना चाहते थे।


वो शर्मा गई.. मैंने उसके मुँह को ऊपर किया और अपने होंठ उसके होंठों से लगाते हुए अपने हाथों से उसके मम्मों को सहलाने लगा।

उसके निप्पल टाइट होने लगे थे।

मैंने उसके मुँह को ऊपर किया और अपने होंठ उसके होंठों से लगाते हुए अपने हाथों से उसके मम्मों को सहलाने लगा। उसके निप्पल टाइट होने लगे थे।

मुझे उनको छूने में आनन्द आ रहा था.. वो गर्म हो रही थी।


मैंने अचानक उसके एक चूचे को दबा दिया- आअहह भैया!

उसके मुँह से सिसकारी निकल गई.. मैंने तुरन्त ही उसको चूमना चालू कर दिया ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’


हम दोनों एक-दूसरे के होंठ ऐसे चाट रहे थे.. जैसे बरसों के प्यासे हों। मैंने उसकी टी-शर्ट निकाल कर उसके मम्मों को अपने हाथ में ले लिए।


प्रीति बोलीं- अह.. ले लो इन्हें.. जल्दी काटो मेरे चूचुकों को.. अह..


मैंने उसका एक दूध अपने मुँह में लिया और दूसरे को हाथ से दबाने लगा। वो धीरे-धीरे कामुक सिसकारियां ले रही थी ‘हाँ दबाओ.. काटो मुझे बंटी.. अया आहह अया अया.. मेरे सैंया.. ज़ोर से दबाओ आआह आआह..’


मैंने अपनी टी-शर्ट और पजामा दोनों निकाल दिया.. मेरा लंड खड़ा हो चुका था। प्रीति लंड को ऊपर से दबाने लगी.. मैंने उसका हाथ अपने बॉक्सर के अन्दर डाल दिया और लंड हाथ में दे दिया।


वो बोली- अरे भैया ये तो बहुत गर्म है.. बड़ा भी बहुत ज्यादा है.. कम से 6-7 इंच का तो होगा न!

वो लंड को पकड़ कर ऊपर-नीचे करने लगी.. मुझे मजा आने लगा। हम दोनों लेट कर किस करने लगे, मैं कभी उसके मम्मों को दबाता.. तो कभी किस करता।


वो गरम आहें भर रही थी- अया अहहाअ.. दबाओ भैया.. चूसो इन्हें.. अया दबाओ.. पूरा मुँह में ले लो…


मैंने उसके शॉर्ट को निकाल कर उसकी गोरी जाँघों पर अपना हाथ रखा.. वो मचलने लगी। मैं उसकी मुलायम जाँघों को दबाने लगा.. और उसकी पेंटी निकाल कर उसकी चुत के दर्शन किए- अरे वाह.. चुत पर एक भी बाल नहीं है डार्लिंग.. आह.. क्या गुलाबी चुत है तुम्हारी!

वो बोली- आज तुम्हारे लिए ही मैंने बाल साफ़ किए हैं।


मैंने उसकी चुत को हाथ से दबाया.. तो वो छटपटाने लगी। फिर मैंने धीरे से एक उंगली उसकी चुत में अन्दर डाल दी।

‘आआह.. धीरे.. पहली बार छुआ है किसी ने..!’

मैं धीरे-धीरे उंगली अन्दर-बाहर करने लगा.. उसकी चुत काफ़ी गीली हो गई थी, जिससे उसको मजा आने लगा था।


मैंने दूसरे हाथ से एक दूध को पकड़ा हुआ था और उसे गूँथ रहा था.. अपने मुँह से उसे किस कर रहा था ‘उम्म्म.. उम्म्म आआहह..’


वो धीरे-धीरे कामुक सिसकारियां ले रही थी। उसे इस बात का ध्यान था कि यहाँ से आवाज बाहर जानी नहीं चाहिए, कोई देख लेता तो खेल वहीं ख़त्म हो जाता।


मैं नीचे की तरफ बढ़ा और उसके पेट को चूमने लगा। वो बोली- गुदगुदी हो रही है।

मैं अपना मुँह और नीचे ले गया और उसकी चुत को चूम लिया।

‘आआहह.. भैया ये क्या कर रहे हो!’

मैंने उसकी चुत को चाटना चालू कर दिया।


‘आअहह आअहह ये सब कहाँ से सीखा तुमने.. बड़ा मजा आ रहा है.. अह.. च..चाटो.. आआह अया अया..!’

वो अपनी गांड उछाल कर मेरा साथ दे रही थी।


यकायक वो अकड़ने लगी.. उसका बदन कस रहा था.. मैं समझ गया कि वो झड़ने वाली है। मैंने अपनी उंगली निकाल ली क्योंकि अभी मैं उसको थोड़ा और भोगना चाहता था।


मैं अब खड़ा हो गया और अपना लम्बा लंड उसके हाथ में थमा दिया.. वो समझ गई और उसको हिलाने लगी।


अब मुझे मजा आने लगा.. मैंने उसको लंड को मुँह में लेने का इशारा किया। प्रीति बोली- ये कैसे जाएगा?

मैंने बोला- लॉलीपॉप नहीं खाई क्या?

उसने हँस कर अपने मुँह में मेरा लंड भर लिया- भैयाम ये तो बहुत मस्त लग रहा है, अब तो रोज इससे चूसना पड़ेगा.. उम्म.. उम्म..


मैंने उसके सिर को पकड़ा और लंड अन्दर-बाहर करने लगा.. मेरे मुँह से भी सिसकारियां निकलने लगीं- ऑश.. लो इसे लो पूरा इसको.. अह..’


अब चुदाई का टाइम आ गया था। मैंने उसको लेटाया और उसकी चुत में उंगली डाली.. बहुत गीली थी।

वो अब मचल रही थी- अब क्या करोगे??

मैंने बोला- अब फाइनल स्टेज पर है.. इसे तुम्हारी चुत में डालना है।

‘अरे मेरी चुत तो कितनी छोटी है, तुम्हारा तो बड़ा और मोटा है..!’

‘अरे चला जाएगा और तुम्हें मजा भी देगा.. हर मर्द अपनी बीवी को देता है।’


मैंने उसको लेटा दिया और अपना लंड उसकी चुत पर रगड़ने लगा.. वो आहें भर रही थी।

मैंने थोड़ा ज़ोर लगाया तो मेरा लंड 2 इंच अन्दर चला गया।


‘आआमम्म्म मर गई.. आअहह.. निकालो ये क्या डाल दिया.. उई माँ दर्द हो रहा है.. भाई उठो मेरे ऊपर से..!’

उसकी थोड़ी सी चीख निकल गई।


मैं घबरा गया.. मैंने उसको चुप रहने को कहा और बोला- अभी 2 इंच गया है, पहली बार दर्द होगा.. पर मजा आएगा।


उसने सर हिलाकर मेरी ‘हाँ’ में ‘हाँ’ मिलाई.. और अपने मुँह पर हाथ रख लिया। मैं धीरे-धीरे अपना लंड उसकी चुत में घुसाने का प्रयास करने लगा और आगे-पीछे होने लगा।


आह.. इस्स.. मुझे भी थोड़ा दर्द हो रहा था.. पर मजा आ रहा था। फिर मैंने एक झटके में पूरा लंड अन्दर डाल दिया।


‘मुम्मय्ययययई मर गई.. आआअम्म्म्म.. अया.. फट गई मेरी..’


मैंने उसको दबाए रखा और धीरे-धीरे लंड अन्दर-बाहर करने लगा। दो मिनट बाद मैंने देखा प्रीति अपनी आँखें बन्द करके सिसकारियां भर रही है।


‘हाँ’ करो.. हाँ डालो डाल दो.. आ आ चोदो मुझे.. आह अपनी दुल्हन बना लो.. जिंदगी भर के लिए.. अया अया अया..!’


मैंने धीरे-धीरे स्पीड बढ़ा दी.. उसकी आवाज भी थोड़ी तेज हो गई- भैया और अन्दर डालो.. आ अयाया अया अब तक कहाँ थे.. अह.. कितना तड़पी हूँ इस पल के लिए.. चोदो मुझे.. अया आहा.. चोदो मुझे अपनी माल समझो.. करो आह और तेज डालो ना.. आअहह आआहह..


मैं उत्तेजित हो गया और जल्दी जल्दी चुदाई करने लगा।

‘आह.. मजा आ रहा है.. आह भाई कुछ बोलो ना..’

‘अरे क्या बोलूँ.. कितना मजा आ रहा है.. आ अया इश.. तुझे तो अब पूरी जिंदगी लूटूंगा मैं.. आजा मेरी दुल्हन.. मेरी प्रीति आह..’

‘हाँ भाई, मुझे जिंदगी भर चोदना.. मैं तुम्हारी ही हूँ।’


यह कहते हुए वो अकड़ गई और झड़ने को हो गई। मैं भी उसके ऊपर गिर गया और किस करने लगा।

वो भी बराबर मेरा साथ दे रही थी.. अपनी गांड को ऊपर-नीचे हिला रही थी। हम दोनों की साँसें तेज हो गई थीं। ‘आह आह उश ऊहहो..’


मैंने 3-4 शॉट ज़ोर से मारे और खड़ा होने लगा। प्रीति ने मुझे पकड़ लिया- और करो ना, अन्दर रहने दो..

मैंने बोला- अभी और मजा लेने का वक्त है.. चल घोड़ी की तरह खड़ी हो जा और मुझे पीछे से अन्दर डालने दे।


मैं खड़ा हो गया, उसने मेरे लंड को देखा और कहा- अरे इस पर तो खून लगा हुआ है, मेरी चुत पर भी खून है!

मैंने उसको बताया- मैंने तेरी सील तोड़ दी है।

वो मुस्कुरा दी। अब वो औरत बन चुकी थी।


उसने वहाँ पड़े पानी के जग में एक कपड़ा भिगोया और मेरे लंड को धीरे-धीरे साफ करने लगी। मैंने अपनी आँखें बन्द कर लीं।

अचानक प्रीति ने मेरा लंड अपने मुँह में भर लिया और मेरे हाथ अपने सिर पर रख दिए, जैसे कह रही हो कि भाई अपना लंड अन्दर बाहर करो ना।

मैंने वैसा करना चालू किया, ज़ोर से उसका सिर पकड़ रखा था और अपने लंड को पूरा उसके मुँह में डाल रहा था। प्रीति ने अपना मुँह ज़्यादा खोल लिया।


‘ऊऊ ऊऊ ऊओ..’ कुछ ही मिनट बाद में मैं बोला- अब घोड़ी बन चल!

वो तुरंत मान गई और घोड़ी बन गई.. उसकी गोरी गांड को देख कर मैं और उत्तेजित हो गया।


मैं उसकी गांड को सहलाने लगा..वो पीछे देख कर मुस्कुरा रही थी.. मैंने उसके दोनों कूल्हों को काट लिया।

‘अरे इतनी ज़्यादा पसंद आ गई क्या!’


उसने पैर थोड़े से फैला दिए, जिससे मुझे उसकी चुत दिख सके ‘अब तड़पाओ मत, डालो.. डाआलो.. डाल्ल्लो ना!’

मैंने उसको कमर से पकड़ा और एक ही झटके में अपना लंड उसकी चुत में घुसा दिया।

‘डाल्ल्ल दिया रे.. मुम्मय्ययई.. . उम्म्म्मचह.. मर गई.. एयेए आआ एयेए..’


मैं ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारने लगा.. और उसके मम्मों को भी यूं दबा रहा था जैसे आटा गूँथते हैं।


‘ऊऊओ ऑश ऑश.. अब तुझे ज़िंदगी भर कोई छुड़ा नहीं पाएगा मेरे से, रोज चोदूँगा ऐसे ही.. तुझे अपनी रखैल बना कर रखूँगा.. चुत में रोज मेरा लंड ऐसे ही डालूँगा.. ओश आह आहह..’

‘आह.. हाँ.. भैया रखैल बना लो मुझे.. तुम ही रोज चोदना मुझे, बच्चे भी देन्नाअ.. अया अया अया आहहा..’


वो अचानक अकड़ने लगी और उसकी आवाज धीमी पड़ गई.. मैंने स्पीड बढ़ा दी।


‘अरे… रूको अन्दर कुछ हो रहा है.. एयेए अह आआअहह आआहह बससस्स बसस्स..’

‘अरे तेरा निकालने वाला है.. चल साथ में झड़ते हैं..’


मैं और ज़ोर से शॉट मारने लगा, मेरे लंड पर पानी जैसा कुछ महसूस हुआ.. पर उसने इतनी उत्तेजना दी कि मैं भी झड़ गया, मैंने अपने वीर्य से उसकी चुत को भर दिया। वो निढाल हो कर लेट गई, मैं भी उस पर लेट गया।

मैं उस पर नंगा ही पड़ा रहा.. थोड़ी देर बाद हम अलग हुए।


मैं अभी तक उसके मम्मों को सहला रहा था, उसने मेरे मोबाइल में 4 बजे का अलार्म लगाया ताकि वो सबके उठने से पहले नीचे चली जाए। हम बस यूं ही नंगे ही सो गए।


सुबह मेरी आँख खुली तो मैं अकेला था। मेरी ख्याति भाभी वहाँ कुछ सामान लेने आई थीं- देवर जी, गजब सोते हो आप तो!


वो मुस्कुरा रही थीं। मैंने उनको बोला- मेरे कपड़े कहाँ रख दिए आपने?

तो वो हँसने लगीं- अरे मैंने सब देख लिया है, खड़े हो कर खुद ही ले लो!

मैं शर्मा गया, वो बोलीं- शर्मा क्यों रहे हो देवर जी, ये लो।


उन्होंने कपड़े देते हुए मेरा हाथ छू लिया.. और आँख मार कर हंसती हुई नीचे चली गईं।


मैं कपड़े पहन कर नीचे आया और प्रीति को ढूँढने लगा, वो नहाकार निकल रही थी, मैंने महसूस किया कि वो थोड़ा पैर फैला कर चल रही है।

Share:

1 टिप्पणी:

Copyright © 2021 BDSM Sex Story All Rights Reserved