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छोटी बहिन की चुदाई बीबी की मदद से

विनोद बहुत दिनों से अपनी छोटी बहन विनिता को भोगने की ताक में था। विनोद एक जवान हट्टा कट्टा युवक था और अपनी पत्नी सुषमा और बहन विनिता के साथ रहता था। विनिता पढ़ाई के लिये शहर आई हुई थी और अपने भैया और भाभी के साथ ही रहती थी.


वह एक कमसिन सुंदर किशोरी थी। जवानी में कदम रखती हुई वह बाला दिखने में साधारण सुंदर तो थी ही पर लड़कपन ने उसके सौन्दर्य को और भी निखार दिया था। उसके उरोज उभरना शुरू हो गये थे और उसके टाप या कुर्ते में से उनका उभार साफ़ दिखता था। उसकी स्कूल की ड्रेस की स्कर्ट के नीचे दिखतीं गोरी गोरी चिकनी टांगें विनोद को दीवाना बना देती थी। विनिता थी भी बड़ी शोख और चंचल। उसकी हर अदा पर विनोद मर मिटता था.

विनोद जानता था कि अपनी ही छोटी कुंवारी बहन को भोगने की इच्छा करना ठीक नहीं है पर विवश था। विनिता के मादक लड़कपन ने उसे दीवाना बना दिया था। वह उसकी कच्ची जवानी का रस लेने को कब से बेताब था पर ठीक मौका न मिलने से परेशान था। उसे लगने लगा था कि वह अपने आप पर ज्यादा दिन काबू नही रख पायेगा। चाहे जोर जबरदस्ती करनी पड़े, पर विनिता को चोदने का वह निश्चय कर चुका था. एक बात और थी। अह अपनी बीवी सुषमा से छुपा कर यह काम करना चाहता था क्योंकि वह सुषमा का पूरा दीवाना था और उससे दबता था। सुषमा जैसी हरामी और चुदैल युवती उसने कभी नहीं देखी थी। बेडरूम में अपने रन्डियों जैसे अन्दाज से शादी के तीन माह के अन्दर ही उसने अपने पति को अपनी चूत और गांड का दीवाना बना लिया था। विनोद को डर था कि सुषमा को यह बात पता चल गई तो न जाने वह गुस्से में क्या कर बैठे.

असल में उसका यह डर व्यर्थ था क्योंकि सुषमा अपने पति की मनोकामना खूब अच्छे से पहचानती थी। विनिता को घूरते हुए विनोद के चेहरे पर झलकती प्रखर वासना उसने कब की पहचान ली थी। सच तो यह था कि वह खुद इतनी कामुक थी कि विनोद हर रात चोद कर भी उसकी वासना ठीक से तृप्त नहीं कर पाता था। दोपहर को वह बेचैन हो जाती थी और हस्तमैथुन से अपनी आग शांत करती थी। उसने अपने स्कूल के दिनों में अपनी कुछ खास सह्लियों के साथ सम्बम्ध बना लिये थे और उसे इन लेस्बियन रतिक्रीड़ाओं में बड़ा मजा आता था। अपनी मां की उमर की स्कूल प्रिन्सिपल के साथ तो उसके बहुत गहरे काम सम्बन्ध हो गये थे.

शादी के बाद वह और किसी पुरुष से सम्बन्ध नहीं रखना चाहती थी क्योंकि विनोद की जवानी और मजबूत लंड उसके पुरुष सुख के लिये पर्याप्त था। वह भूखी थी तो स्त्री सम्बन्ध की। वैसे तो उसे अपनी सास याने विनोद की मां भी बहुत अच्छी लगी थी। वह उसके स्कूल प्रिंसीपल जैसी ही दिखती थी। पर सास के साथ कुछ करने की इच्छा उसके मन में ही दबी रह गई। मौका भी नहीं मिला क्योंकि विनोद शहर में रहता था और मां गांव में.

अब उसकी इच्छा यही थी कि कोई उसके जैसी चुदैल नारी, छोटी या बड़ी, समलिग सम्भोग के लिये मिल जाये तो मजा आ जाये। पिछले दो माह में वह विनिता की कच्ची जवानी की ओर बहुत आकर्षित होने लगी थी। विनिता उसे अपने बचपन की प्यारी सहेली अन्जू की याद दिलाती थी। अब सुषमा मौका ढूंढ रही थी कि कैसे विनिता को अपने चन्गुल में फ़न्साया जाये। विनोद के दिल का हाल पहचानने पर उसका यह काम थोड़ा आसान हो गया.

एक दिन उसने जब विनोद को स्कूल के ड्रेस को ठीक करती विनिता को वासना भरी नजरों से घूरते देखा तो विनिता के स्कूल जाने के बाद विनोद को ताना मारते हुए बोल पड़ी "क्योंजी, मुझसे मन भर गया क्या जो अब इस कच्ची कली को घूरते रहते हो। और वह भी अपनी सगी छोटी कमसिन बहन को?" विनोद के चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगीं कि वह आखिर पकड़ा गया। कुछ न बोल पाया। उसे एक दो कड़वे ताने और मारकर फ़िर सुषमा से न रहा गया और अपने पति का चुम्बन लेते हुए वह खिलखिलाकर हंस पड़ी। जब उसने विनोद से कहा कि वह भी इस गुड़िया की दीवानी है तो विनोद खुशी से उछल पड़ा.


सुषमा ने विनोद से कहा कि दोपहर को अपनी वासना शांत करने में उसे बड़ी तकलीफ़ होती है। "तुम तो काम पर चले जाते हो और इधर मैं मुठ्ठ मार मार कर परेशान हो जाती हूं। इस बुर की आग शांत ही नहीं होती। तुम ही बताओ मैं क्या करूं." और उसने अपने बचपन की सारी लेस्बियन कथा विनोद को बता दी.


विनोद उसे चूंमते हुए बोला। "पर रानी, दो बार हर रात तुझे चोदता हूं, तेरी गांड भी मारता हूं, बुर चूसता हूं, और मैं क्या करूं." सुषमा उसे दिलासा देते हुए बोली। "तुम तो लाखों में एक जवान हो मेरे राजा। इतना मस्त लंड तो भाग्य से मिलता है। पर मैं ही ज्यादा गरम हूं, हर समय रति करना चाहती हूं। लगता है किसी से चुसवाऊं। तुम रात को खूब चूसते हो और मुझे बहुत मजा आता है। पर किसी स्त्री से चुसवाने की बात ही और है। और मुझे भी किसी की प्यारी रसीली बुर चाटने का मन होता है। विनिता पर मेरी नजर बहुत दिनों से है। क्या रसीली छोकरी है, दोपहर को मेरी यह नन्ही ननद मेरी बाहों में आ जाये तो मेरे भाग खुल जायें."


सुषमा ने विनोद से कहा को वह विनिता पर चढ़ने में विनोद की सहायता करेगी। पर इसी शर्त पर कि फ़िर दोपहर को वह विनिता के साथ जो चाहे करेगी और विनोद कुछ नहीं कहेगा। रोज वह खुद दिन में विनिता को जैसे चाहे भोगेगी और रात में दोनो पति - पत्नी मिलकर उस बच्ची के कमसिन शरीर का मन चाहा आनन्द लेंगे. विनोद तुरंत मान गया। सुषमा और विनिता के आपस में सम्भोग की कल्पना से ही उसका खड़ा होने लगा। दोनों सोचने लगे कि कैसे विनिता को चोदा जाये। विनोद ने कहा कि धीरे धीरे प्यार से उसे फ़ुसलाया जाय। सुषमा ने कहा कि उसमें यह खतरा है कि अगर नहीं मानी तो अपनी मां से सारा भाण्डा फ़ोड़ देगी। एक बार विनिता के चुद जाने के बाद फ़िर कुछ नहीं कर पायेगी। चाहे यह जबरदस्ती करना पड़े


सुषमा ने उसे कहा कि कल वह विनिता को स्कूल नहीं जाने देगी। आफिस जाने के पहले वह विनिता को किसी बहाने से विनोद के कमरे में भेज देगी और खुद दो घन्टे को काम का बहाना करके घर के बाहर चली जायेगी। विनिता बेडरूम में चुदाई के चित्रों की किताब देख कर उसे जरूर पढ़ेगी। विनोद उसे पकड़ कर उसे डांटने के बहाने से उसे दबोच लेगा और फिर दे घचाघच चोद मारेगा। मन भर उस सुंदर लड़की को ठोकने के बाद वह आफिस निकल जायेगा और फ़िर सुषमा आ कर रोती बिलखती विनिता को संम्भालने के बहाने खुद उसे दोपहर भर भोग लेगी.

रात को तो मानों चुदाई का स्वर्ग उमड़ पड़ेगा। उसके बाद तो दिन रात उस किशोरी की चुदाई होती रहेगी। सिर्फ़ सुबह स्कूल जाने के समय उसे आराम दिया जायेगा। बाकी समय दिन भर काम क्रीड़ा होगी। उसने यह भी कहा कि शुरू में भले विनिता रोये धोये, जल्द ही उसे भी अपने सुंदर भैया भाभी के साथ मजा आने लगेगा और फ़िर वह खुद हर समय चुदवाने को तैयार रहेगी। विनोद को भी यह प्लान पसन्द आया। रात बड़ी मुश्किल से निकली क्योंकि सुषमा ने उसे उस रात चोदने नहीं दिया, उसके लंड का जोर तेज करने को जान बूझ कर उसे प्यासा रखा। विनिता को देख देख कर विनोद यही सोच रहा था कि कल जब यह बच्ची बाहों में होगी तब वह क्या करेगा.


सुबह विनोद ने नहा धोकर आफिस में फोन करके बताया कि वह लेट आयेगा। उधर सुषमा ने विनिता को नीन्द से ही नहीं उठाया और उसके स्कूल का टाइम मिस होने जाने पर उसे कहा कि आज गोल मार दे। विनिता खुशी खुशी मान गई। विनोद ने एक अश्लील किताब अपने बेडरूम में तकिये के नीचे रख दी। फ़िर बाहर जा कर पेपर पढ़ने लगा। सुषमा ने विनिता से कहा कि अन्दर जाकर बेडरूम जरा जमा दे क्योंकि वह खुद बाहर जा रही है और दोपहर तक वापस आयेगी.


जब विनिता अन्दर चली गई तो सुषमा ने विनोद से कहा। "डार्लिन्ग, जाओ, मजा करो। रोये चिलाये तो परवाह नहीं करना, मैं दरवाजा लगा दून्गी। पर अपनी बहन को अभी सिर्फ़ चोदना। गांड मत मारना। उसकी गांड बड़ी कोमल और सकरी होगी। इसलिये लंड गांड में घुसते समय वह बहुत रोएगी और चीखेगी। मै भी उसकी गांड चुदने का मजा लेने के लिये और उसे संभालने के लिये वहां रहना चाहती हूं। इसलिये उसकी गांड हम दोनों मिलकर रात को मारेन्गे."


विनोद को आंख मार कर वह दरवाजा बन्द करके चली गई। पांच मिनिट बाद विनोद ने चुपचाप जा कर देखा तो प्लान के अनुसार विनिता को तकिये के नीचे वह किताब मिलने पर उसे पढ़ने का लोभ वह नहीं सहन कर पाई थी और बिस्तर पर बैठ कर किताब देख रही थी। उन नग्न सम्भोग चित्रों को देख देख कर वह किशोरी अपनी गोरी गोरी टांगें आपस में रगड़ रही थी. उसका चेहरा कामवासना से गुलाबी हो गया था.


मौका देख कर विनोद बेडरूम में घुस गौर बोला. "देखू, मेरी प्यारी बहना क्या पढ़ रही है?" विनिता सकपका गई और किताब छुपाने लगी. विनोद ने छीन कर देखा तो फोटो में एक औरत को तीन तीन जवान पुरुष चूत, गांड और मुंह में चोदते दिखे. विनोद ने विनिता को एक तमाचा रसीद किया और चिल्लाया "तो तू आज कल ऐसी किताबें पढ़ती है बेशर्म लड़की. तू भी ऐसे ही मरवाना चाहती है? तेरी हिम्मत कैसे हुई यह किताब देखने की? देख आज तेरा क्या हाल करता हूं."


विनिता रोने लगी और बोली कि उसने पहली बार किताब देखी है और वह भी इसलिये कि उसे वह तकिये के नीचे पड़ी मिली थी. विनोद एक न माना और जाकर दरवाजा बन्द कर के विनिता की ओर बढ़ा. उसकी आंखो में काम वासना की झलक देख कर विनिता घबरा कर कमरे में रोती हुई इधर उधर भागने लगी पर विनोद ने उसे एक मिनट में धर दबोचा और उसके कपड़े उतारना चालू कर दिये. पहले स्कर्ट खींच कर उतार दी और फिर ब्लाउज. फाड़ कर निकाल दिया. अब लड़की के चिकने गोरे शरीर पर सिर्फ़ एक छोटी सफ़ेद ब्रा और एक पैन्टी बची. वह अभी अभी दो माह पहले ही ब्रेसियर पहनने लगी थी.

उसके अर्धनग्न कोमल कमसिन शरीर को देखकर विनोद का लंड अब बुरी तरह तन्ना कर खड़ा हो गया था. उसने अपने कपड़े भी उतार दिये और नंगा हो गया. उसके मस्त मोटे ताजे कस कर खड़े लंड को देख कर विनिता के चेहरे पर दो भाव उमड़ पड़े. एक घबराहट का और एक वासना का. वह भी सहेलियों के साथ ऐसी किताबें अक्सर देखती थी. उनमें दिखते मस्त लण्डों को याद करके रात को हस्तमैथुन भी करती थी. कुछ दिनों से बार बार उसके दिमाग में आता था कि उसके हैम्डसम भैया का कैसा होगा. आज सच में उस मस्ताने लौड़े को देखकर उसे डर के साथ एक अजीब सिहरन भी हुई.


"चल मेरी नटखट बहना, नंगी हो जा, अपनी सजा भुगतने को आ जा" कहते हुए विनोद ने जबरदस्ती उसके अन्तर्वस्त्र भी उतार दिये. विनिता छूटने को हाथ पैर मारती रह गई पर विनोद की शक्ति के सामने उसकी एक न चली. वह अब पूरी नंगी थी. उसका गोरा गेहुवा चिकना कमसिन शरीर अपनी पूरी सुन्दरता के साथ विनोद के सामने था. विनिता को बाहों में भर कर विनोद ने अपनी ओर खीन्चा और अपने दोनो हाथों में विनिता के मुलायम जरा जरा से स्तन पकड़ कर सहलाने लगा. चाहता तो नहीं था पर उससे न रहा गया और उन्हें जोर से दबाने लगा. वह दर्द से कराह उठी और रोते हुए बोली "भैया, दर्द होता है, इतनी बेरहमी से मत मसलो मेरी चूचियों को".


विनोद तो वासना से पागल था. विनिता का रोना उसे और उत्तेजित करने लगा. उसने अपना मुंह खोल कर विनिता के कोमल रसीले होंठ अपने होंठों में दबा लिये और उन्हें चूसते हुए अपनी बहन के मीठे मुख रस का पान करने लगा. साथ ही वह उसे धकेलता हुआ पलंग तक ले गया और उसे पटक कर उसपर चढ़ बैठा. झुक कर उसने विनिता के गोरे स्तन के काले चूचुक को मुंह में ले लिया और चूसने लगा. उसके दोनों हाथ लगातार अपनी बहन के बदन पर घूंम रहे थे. उसका हर अन्ग उसने खूब टटोला.


मन भर कर मुलायम मीठी चूचियां पीने के बाद वह बोला. "बोल विनिता रानी, पहले चुदवाएगी, या सीधे गांड मरवाएगी?" आठ इम्च का तन्नाया हुआ मोटी ककड़ी जैसा लम्ड उछलता हुआ देख कर विनिता घबरा गई और बिलखते हुए उससे याचना करने लगी. "भैया, यह लंड मेरी नाजुक चूत फ़ाड़ डालेगा, मै मर जाऊंगी, मत चोदो मुझे प्लीऽऽऽज़ . मैं आपकी मुठ्ठ मार देती हूं"


विनोद को अपनी नाज़ुक किशोरी बहन पर आखिर तरस आ गया. इतना अब पक्का था कि विनिता छूट कर भागने की कोशिश अब नहीं कर रही थी और शायद चुदने को मन ही मन तैयार थी भले ही घबरा रही थी. उसे प्यार से चूमता हुआ विनोद बोला. "इतनी मस्त कच्ची कली को तो मैं नहीं छोड़ने वाला. और वह भी मेरी प्यारी नन्ही बहना ! चोदूंगा भी और गांड भी मारून्गा. पर चल, पहले तेरी प्यारी रसीली चूत को चूस लूं मन भर कर, कब से इस रस को पीने को मै मरा जा रहा था।


विनिता की गोरी गोरी चिकनी जान्घे अपने हाथों से विनोद ने फ़ैला दीं और झुक कर अपना मुंह बच्ची की लाल लाल कोमल गुलाब की कली सी चूत पर जमा कर चूसने लगा. अपनी जीभ से वह उस मस्त बुर की लकीर को चाटने लगा.


बचकानी चूत पर बस जरा से रेशम जैसे कोमल बाल थे. बाकी वह एकदम साफ़ थी. उसकी बुर को उंगलियों से फ़ैला कर बीच की लाल लाल म्यान को विनोद चाटने लगा. चाटने के साथ विनोद उसकी चिकनी माल बुर का चुंबन लेता जाता. धीरे धीरे विनिता का सिसकना बम्द हो गया. उसकी बुर पसीजने लगी और एक अत्यन्त सुख भरी मादक लहर उसके जवान तन में दौड़ गई. उसने अपने भाई का सिर पकड़ कर अपनी चूत पर दबा लिया और एक मद भरा सीत्कार छोड़कर वह चहक उठी. "चूसो भैया, मेरी चूत और जोर से चूसो. जीभ डाल दो मेरी बुर के अन्दर."

विनोद ने देखा कि उसकी छोटी बहन की जवान बुर से मादक सुगन्ध वाला चिपचिपा पानी बह रहा है जैसे कि अमृत का झरना हो. उस शहद को वह प्यार से चाटने लगा. उसकी जीभ जब विनिता के कड़े लाल मणि जैसे क्लाईटोरिस पर से गुजरती तो विनिता मस्ती से हुमक कर अपनी जान्घे अपने भाई के सिर के दोनों ओर जकड़ कर धक्के मारने लगती. कुछ ही देर में विनिता एक मीठी चीख के साथ झड़ गई. उसकी बुर से शहद की मानों नदी बह उठी जिसे विनोद बड़ी बेताबी से चाटने लगा. उसे विनिता की बुर का पानी इतना अच्छा लगा कि अपनी छोटी बहन को झड़ने के बाद भी वह उसकी चूत चाटता रहा और जल्दी ही विनिता फ़िर से मस्त हो गई.


कामवासना से सिसकते हुए वह फ़िर अपने बड़े भाई के मुंह को चोदने लगी. उसे इतना मजा आ रहा था जैसा कभी हस्तमैथुन में भी नहीं आया था. विनोद अपनी जीभ उसकी गीली प्यारी चूत में डालकर चोदने लगा और कुछ ही मिनटों में विनिता दूसरी बार झड़ गई. विनोद उस अमृत को भूखे की तरह चाटता रहा. पूरा झड़ने के बाद एक तृप्ति की सांस लेकर वह कमसिन बच्ची सिमटकर विनोद से अलग हो गई क्योंकि अब मस्ती उतरने के बाद उसे अपनी झड़ी हुई बुर पर विनोद की जीभ का स्पर्श सहन नहीं हो रहा था.


विनोद अब विनिता को चोदने के लिये बेताब था. वह उठा और रसोई से मक्खन का डिब्बा ले आया. थोड़ा सा मक्खन उसने अपने सुपाड़े पर लगया और विनिता को सीधा करते हुए बोला. "चल छोटी, चुदाने का समय आ गया." विनिता घबरा कर उठ बैठी. उसे लगा था कि अब शायद भैया छोड़ देंगे पर विनोद को अपने बुरी तरह सूजे हुए लंड पर मक्खन लगाते देख उसका दिल डर से धड़कने लगा. वह पलंग से उतर कर भागने की कोशिश कर रही थी तभी विनोद ने उसे दबोच कर पलंग पर पटक दिया और उस पर चढ़ बैठा. उसने उस गिड़गिड़ाती रोती किशोरी की एक न सुनी और उस की टांगें फ़ैला कर उन के बीच बैठ गया. थोड़ा मक्खन विनिता की कोमल चूत में भी चुपड़ा. फिर अपना टमाटर जैसा सुपाड़ा उसने अपनी बहन की कोरी चूत पर रखा और अपने लंड को एक हाथ से थाम लिया.


विनोद को पता था कि चूत में इतना मोटा लंड जाने पर विनिता दर्द से जोर से चिल्लाएगी. इसलिये उसने अपने दूसरे हाथ से उसका मुंह बन्द कर दिया. वासना से थरथराते हुए फिर वह अपना लंड अपनी बहन की चूत में पेलने लगा. सकरी कुंवारी चूत धीरे धीरे खुलने लगी और विनिता ने अपने दबे मुंह में से दर्द से रोना शुरु कर दिया. कमसिन छोकरी को चोदने में इतना आनन्द आ रहा था कि विनोद से रहा ना गया और उसने कस कर एक धक्का लगाया. सुपाड़ा कोमल चूत में फच्च से घुस गया और विनिता छटपटाने लगी.


विनोद अपनी बहन की कपकपाती बुर का मजा लेते हुए उसकी आंसू भरी आंखो में झांकता उसके मुंह को दबोचा हुआ कुछ देर वैसे ही बैठा रहा. विनिता के बन्द मुंह से निकलती यातना की दबी चीख सुनकर भी उसे बहुत मजा आ रहा था. उसे लग रहा था कि जैसे वह एक शेर है जो हिरन के बच्चे का शिकार कर रहा है.


कुछ देर बाद जब लंड बहुत मस्ती से उछलने लगा तो एक धक्का उसने और लगाया. आधा लंड उस किशोरी की चूत में समा गया और विनिता दर्द के मारे ऐसे उछली जैसे किसी ने लात मारी हो. चूत में होते असहनीय दर्द को वह बेचारी सह न सकी और बेहोश हो गई. विनोद ने उसकी कोई परवाह नहीं की और धक्के मार मार कर अपना मूसल जैसा लंड उस नाजुक चूत में घुसेड़ना चालू रखा. अन्त में जड़ तक लवड़ा उस कुंवारी बुर में उतारकर एक गहरी सांस लेकर वह अपनी बहन के ऊपर लेट गया. विनिता के कमसिन उरोज उसकी छाती से दबकर रह गये और छोटे छोटे कड़े चूचुक उसे गड़ कर मस्त करने लगे.

विनोद एक स्वर्गिक आनन्द में डूबा हुआ था क्योंकि उसकी छोटी बहन की सकरी कोमल मखमल जैसी मुलायम बुर ने उसके लंड को ऐसे जकड़ा हुआ था जैसे कि किसीने अपने हाथों में उसे भींच कर पकड़ा हो. विनिता के मुंह से अपना हाथ हटाकर उसके गुलाबी होंठों को चूमता हुआ विनोद धीरे धीरे उसे बेहोशी में ही चोदने लगा. बुर में चलते उस सूजे हुए लंड के दर्द से विनिता होश में आई. उसने दर्द से कराहते हुए अपनी आन्खे खोलीं और सिसक सिसक कर रोने लगी. "विनोद भैया, मैं मर जाऊंगी, उई मां, बहुत दर्द हो रहा है, मेरी चूत फटी जा रही है, मुझपर दया करो, आपके पैर पड़ती हूं."


विनोद ने झुक कर देखा तो उसका मोटा ताजा लंड विनिता की फैली हुई चूत से पिस्टन की तरह अन्दर बाहर हो रहा था. बुर का लाल छेद बुरी तरह खिंचा हुआ था पर खून बिल्कुल नहीं निकला था. विनोद ने चैन की साम्स ली कि बच्ची को कुछ नहीं हुआ है, सिर्फ़ दर्द से बिलबिला रही है. वह मस्त होकर अपनी बहन को और जोर से चोदने लगा. साथ ही उसने विनिता के गालों पर बहते आंसू अपने होंठों से समेटन शुरू कर दिया. विनिता के चीखने की परवाह न करके वह जोर जोर से उस कोरी मस्त बुर में लंड पेलने लगा. "हाय क्या मस्त चिकनी और मखमल जैसी चूत है तेरी विनिता, सालों पहले चोद डालना था तुझे. चल अब भी कुछ नहीं बिगड़ा है, रोज तुझे देख कैसे तड़पा तड़पा कर चोदता हूं."


टाइट बुर में लंड चलने से 'फच फच फच' ऐसी मस्त आवाज होने लगी. जब विनिता और जोर से रोने लगी तो विनोद ने विनिता के कोमल गुलाबी होंठ अपने मुंह मे दबा लिये और उन्हें चूसते हुए धक्के मारने लगा. जब आनन्द सहन न होने से वह झड़ने के करीब आ गया तो विनिता को लगा कि शायद वह झड़ने वाला है इसलिये बेचारी बड़ी आशा से अपनी बुर को फ़ाड़ते लंड के सिकुड़ने का इन्तजार करने लगी. पर विनोद अभी और मजा लेना चाहता था; पूरी इच्छाशक्ति लगा कर वह रुक गया जब तक उसका उछलता लंड थोड़ा शान्त न हो गया.


सम्हलने के बाद उसने विनिता से कहा "मेरी प्यारी बहन, इतनी जल्दी थोड़े ही छोड़ूंगा तुझे. मेहनत से लंड घुसाया है तेरी कुंवारी चूत में तो मां-कसम, कम से कम घन्टे भर तो जरूर चोदूंगा." और फ़िर चोदने के काम में लग गया.


दस मिनिट बाद विनिता की चुदती बुर का दर्द भी थोड़ा कम हो गया था. वह भी आखिर एक मस्त यौन-प्यासी लड़की थी और अब चुदते चुदते उसे दर्द के साथ साथ थोड़ा मजा भी आने लगा था. विनोद जैसे खूबसूरत जवान से चुदने में उसे मन ही मन एक अजीब खुशी हो रही थी, और ऊपर से अपने बड़े भाई से चुदना उसे ज्यादा उत्तेजित कर रहा था. जब उसने चित्र में देखी हुई चुदती औरत को याद किया तो एक सनसनाहट उसके शरीर में दौड़ गई. चूत में से पानी बहने लगा और मस्त हुई चूत चिकने चिपचिपे रस से गीली हो गई. इससे लंड और आसानी से अन्दर बाहर होने लगा और चोदने की आवाज भी तेज होकर 'पकाक पकाक पकाक' जैसी निकलने लगी.

रोना बन्द कर के विनिता ने अपनी बांहे विनोद के गले में डाल दीं और अपनी छरहरी नाजुक टांगें खोलकर विनोद के शरीर को उनमें जकड़ लिया. वह विनोद को बेतहाशा चूंमने लगी और खुद भी अपने चूतड़ उछाल उछाल के चुदवाने लगी. "चोदिये मुझे भैया, जोर जोर से चोदिये. हाःय, बहुत मजा आ रहा है. मैने आपको रो रो कर बहुत तकलीफ़ दी, अब चोद चोद कर मेरी बुर फाड़ दीजिये, मैं इसी लायक हूं।"


विनोद हंस पड़ा. "है आखिर मेरी ही बहन, मेरे जैसी चोदू. पर यह तो बता विनिता, तेरी चूत में से खून नहीं निकला, लगता है बहुत मुठ्ठ मारती है, सच बोल, क्या डालती है? मोमबत्ती या ककड़ी?" विनिता ने शरमाते हुए बताया कि गाजर से मुठ्ठ मारनी की उसे आदत है. इसलिये शायद बुर की झिल्ली कब की फ़ट चुकी थी.


भाई बहन अब हचक हचक कर एक दूसरे को चोदने लगे. विनोद तो अपनी नन्ही नाजुक किशोरी बहन पर ऐसा चढ़ गया जैसे कि किसी चुदैल रन्डी पर चढ़ कर चोदा जाता है. विनिता को मजा तो आ रहा था पर विनोद के लंड के बार अंदर बाहर होने से उसकी चूत में भयानक दर्द भी हो रहा था. अपने आनन्द के लिये वह किसी तरह दर्द सहन करती रही और मजा लेती हुई चुदती भी रही पर विनोद के हर वार से उसकी सिसकी निकल आती.


काफ़ी देर यह सम्भोग चला. विनोद पूरे ताव में था और मजे ले लेकर लंड को झड़ने से बचाता हुआ उस नन्ही जवानी को भोग रहा था. विनिता कई बार झड़ी और आखिर लस्त हो कर निढाल पलंग पर पड़ गई. चुदासी उतरने पर अब वह फ़िर रोने लगी. जल्द ही दर्द से सिसक सिसक कर उसका बुरा हाल हो गया क्योंकि विनोद का मोटा लंड अभी भी बुरी तरह से उसकी बुर को चौड़ा कर रहा था.


विनोद तो अब पूरे जोश से विनिता पर चढ़ कर उसे भोग रहा था जैसे वह इन्सान नही, कोई खिलौना हो. उसके कोमल गुप्तान्ग को इतनी जोर की चुदाई सहन नहीं हुई और सात आठ जोरदार झटकों के बाद वह एक हल्की चीख के साथ विनिता फिर बेहोश हो गई. विनोद उस पर चढ़ा रहा और उसे हचक हचक कर चोदता रहा. चुदाई और लम्बी खींचने की उसने भरसक कोशिश की पर आखिर उससे रहा नहीं गया और वह जोर से हुमकता हुआ झड़ गया.


गरम गरम गाढ़े वीर्य का फ़ुहारा जब विनिता की बुर में छूटा तो वह होश में आई और अपने भैया को झड़ता देख कर उसने रोना बन्द करके राहत की एक सांस ली. उसे लगा कि अब विनोद उसे छोड़ देगा पर विनोद उसे बाहों में लेकर पड़ा रहा. विनिता रोनी आवाज में उससे बोली. "भैया, अब तो छोड़ दीजिये, मेरा पूरा शरीर दुख रहा है आप से चुद कर." विनोद हंसकर बेदर्दी से उसे डराता हुआ बोला. "अभी क्या हुआ है विनिता रानी. अभी तो तेरी गांड भी मारनी है."


विनिता के होश हवास यह सुनकर उड़ गये और घबरा कर वह फिर रोने लगी. विनोद हंसने लगा और उसे चूमते हुए बोला. "रो मत, चल तेरी गांड अभी नहीं मारता पर एक बार और चोदूंगा जरूर और फिर आफिस जाऊंगा." उसने अब प्यार से अपनी बहन के चेहरे , गाल और आंखो को चूमना शुरू कर दिया. उसने विनिता से उसकी जीभ बाहर निकालने को कहा और उसे मुंह में लेकर विनिता के मुख रस का पान करता हुआ कैन्डी की तरह उस कोमल लाल लाल जीभ को चूसने लगा.

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32 टिप्‍पणियां:

  1. मैं भी अपनी बहन को चोदना चाहता हुु
    बहुत मस्त मॉल है
    क्या चूची है उसकी
    मैंने तो उसकी पैन्टी में कई बार मुठ मार चुका हु

    एकदम हॉट है मेरी बहन

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  2. Mai bhi apni bahen ko चोदना चाहता हू

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  3. Aur mai apni gand marwana chahta hoo Mera naam Akram hai jisko meri gand marni ho to email per bheje mai sitapur ka rahne wala hoo

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  4. Mujhe Gmail kro
    Meri bhn k bare me janane k liye
    Babugolu8943agmail. Com

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  5. Jab ghar par koi nhi ho to fir chud lena payar se ya fir jabrdasti Puri raat chodna ache se subha chala bhi nhi jaye us se fir to roj chude gi tere se

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  6. किसी को चुत चटवानी है

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