हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम संजय है. दोस्तों में आप सभी को अपनी आज की कहानी को सुनाने से पहले अपने बारे में कुछ बता देता हूँ और उसके बाद में अपनी आज की कहानी को शुरू करूंगा. दोस्तों में बीस साल का हूँ और में एक कॉलेज से दूसरे साल की पढ़ाई कर रहा हूँ.
में दिखने में एकदम ठीकठाक हूँ और मेरा रंग गोरा बदन एकदम गठीला बड़ा ही आकर्षक है और में पिछले कुछ सालों से सेक्सी कहानियों को पढ़कर उनके मज़े लेता आ रहा हूँ और आज में आप सभी को अपनी भी एक सच्ची घटना मेरे जीवन का एक सच बताने जा रहा हूँ जिसको मैंने बहुत समय से किसी को नहीं बताया, क्योंकि मेरी इतनी हिम्मत नहीं हुई और आज में आप सभी की कहानियों को पढ़कर अपनी भी एक सत्य कथा को लिखकर आप तक पहुंचा रहा हूँ.
दोस्तों यह घटना आज से करीब दो साल पहले मेरे साथ घटी तब मेरे बड़े भाई की शादी का माहौल हमारे घर में चल रहा था. हम सभी बड़ी ख़ुशी के साथ अपने अपने कामो में लगे हुए थे और शादी की वजह से उन दिनों हमारे घर में हमारे बहुत सारे रिश्तेदार आए हुए थे.
हमारा पूरा घर भरा पड़ा था और मेरे भाई की शादी के बाद दूसरे दिन शाम को उसका खाना हुआ मतलब कि मस्त खाना पीना मज़े मस्ती और खाने पीने के बाद हमारे रिश्तेदार सभी लोग अपने अपने घर को चले गए और उस दिन मेरे भाई की शादी में मेरे दूर की रहने वाली मेरी एक आंटी भी आई थी, उनका नाम संगीता है और उनके साथ उनकी एक 18 साल की बेटी भी आई हुई थी, उनकी बेटी का नाम प्रिया था और में उनको हमेशा प्रिया दीदी कहकर बुलाया करता था.
दोस्तों वो उस दिन रात को वापस अपने घर नहीं जा सकी क्योंकि उनका घर हमारे घर से करीब 200 किलोमीटर दूर था और खाना खाते बातें करते हुए ही उनको रात भी अब बहुत हो गई थी, इसलिए मेरी माँ ने मेरी उस आंटी को कहा कि संगीता तुम आज रात को हमारे घर में रह जाओ तुम कल सुबह वापस चली जाना, वैसे भी अब रात बहुत हो चुकी है और तुम्हे अपनी बेटी के साथ अकेले बहुत दूर का सफर तय करना है. फिर मेरी आंटी ने मेरी माँ की बात को मानकर कहा कि हाँ ठीक है, में एक रात तुम्हारे कहने पर रुक जाती हूँ, लेकिन दोस्तों घर में शादी होने की वजह से हमारा बहुत से दूर के रिश्तेदार भी आए हुए थे.
हमारा घर पूरा भरा हुआ था और सोने के लिए घर में बिल्कुल भी जगह नहीं बची थी सिर्फ़ एक ही बेड था जो खाली पड़ा हुआ था क्योंकि दूसरे बेड पर सभी लोग सो गये थे. फिर मेरी आंटी ने मुझसे कहा कि संजय तुम एक काम करो, तुम प्रिया के साथ ही इस बेड पर सो जाओ, में और तुम्हारी मम्मी नीचे कहीं भी जगह देखकर सो जाते है. फिर मैंने उनसे कहा कि हाँ ठीक है और में अपने कपड़े बदलने के बाद सोने के लिए बेड पर आ गया. उसके बाद मेरी प्रिया दीदी ने भी अपने कपड़े बदलकर वो भी बेड पर सोने के लिए आ गई.
मेरी प्रिया दीदी और में बेड पर लेटकर अब बहुत सारी बातें हंसी मजाक करने लगे थे, क्योंकि हम दोनों एक दूसरे से बहुत समय बाद जो मिल रहे थे, इसलिए हम दोनों बातों में लगे रहे, लेकिन दो चार दिनों से कामो में लगे रहने की वजह से में बहुत थक चुका था, इसलिए कुछ देर बाद कब हमारी आंख लग गई हमे इस बात का पता भी नहीं चला.
रात को करीब 1:30 बजे मैंने महसूस किया कि कोई मेरी पेंट के ऊपर अपना हाथ रखकर मेरे लंड को सहला रहा था, लेकिन फिर भी में चुपचाप वैसे ही पड़ा रहा और कुछ देर मज़े लेता रहा और फिर मैंने कुछ देर बाद धीरे से अपनी एक आंख को खोलकर देखा तो प्रिया दीदी अब मेरे लंड को मेरी पेंट के ऊपर से सहला रही थी. में यह सब देखकर एकदम चौंक गया और फिर में बहुत खुश भी हो गया, क्योंकि मेरी भी प्रिया दीदी के साथ सेक्स करने में शुरू से रूचि थी, क्योंकि वो दिखने में बहुत ही गोरी हॉट सेक्सी थी और उसकी छाती का आकार 36 था और उसकी गांड भी बहुत बड़ी थी.
मैंने जब देखा कि प्रिया दीदी मेरे साथ यह सब कर रही थी तो मुझसे अब रहा नहीं गया और फिर मैंने भी जोश में आकर सोचा कि अब में भी उनके साथ कुछ करूँ? तो में झट से करवट बदलने लगा था और यह देखकर प्रिया दीदी ने नर्वस होकर तुरंत मेरे लंड को छोड़ दिया, क्योंकि वो एकदम से डर गई थी और अब वो मेरे सामने सोने का झूठा नाटक करने लगी थी वो अपनी दोनों आखों को बंद करके चुपचाप लेट गई और करीब दस मिनट के बाद मैंने अपना काम शुरू किया.
अब मैंने सबसे पहले मेरे हाथ को धीरे से प्रिया दीदी के कंधे पर होकर उनके टॉप के ऊपर से उनकी छाती के ऊपर अपने उस हाथ को रख दिया और फिर मैंने धीरे धीरे उनके बूब्स को मसलना शुरू किया. फिर अचानक से प्रिया दीदी ने मुझे यह सब नहीं करने दिया, उन्होंने मेरे हाथ को कसकर पकड़ लिया और इसलिए में अपने हाथ को हिला भी नहीं सका और कुछ देर के बाद प्रिया दीदी ने मेरे हाथ को अपने आप उनके टॉप की अंदर डाल दिया.
अब में यह सब देखकर बहुत खुश हो गया और अब मैंने मन ही मन सोचा कि प्रिया दीदी भी आज मेरे साथ सेक्स करने लिए तैयार है और फिर मैंने मन ही मन बहुत खुश होकर अब झट से उनके बड़े बड़े बूब्स को मसलना शुरू किया. दोस्तों में आप लोगों को क्या बताऊँ वो बूब्स थे या लोहे की बॉल, वाह क्या मस्त बूब्स थे. दोस्तों मैंने कसकर उनके बूब्स को मसला और कुछ देर बाद मेरे बूब्स को मसलने की वजह से अब उनके मुहं से उह्ह्ह्ह स्स्सीईईई की आवाज़ आ रही थी और कुछ देर तक बूब्स को मसलने के बाद मैंने धीरे से मेरे दूसरे हाथ को में धीरे धीरे नीचे ले जाने लगा और अब मैंने धीरे से उनकी स्कर्ट को ऊपर उठाकर में धीरे से अपने हाथ को अंदर डालने लगा था. फिर मैंने देखा कि वो उस समय सफेद रंग की पेंटी पहनी हुई थी.
मैंने धीरे से अपने हाथ को उनकी पेंटी के ऊपर से सहलाया और तब मैंने महसूस किया कि उनकी पेंटी के अंदर कुछ मोटी सी चीज़ है. फिर मैंने अब उनकी पेंटी अंदर हाथ डालना शुरू किया तो देखा कि एक सफेद रंग का स्पंच उनकी चूत के ऊपर लगी हुई थी और मैंने जब उस चीज को छूने की कोशिश कि तब दीदी ने झट से उठकर मेरे हाथ को वहीं पर पकड़ लिया और वो अब मुझसे धीरे से कहने लगी तू उसमे हाथ मत लगा. तो मैंने उनसे पूछा कि ऐसा क्यों तब वो बोली कि इससे तेरा हाथ गंदा हो जाएगा, क्योंकि मेरे अभी वो दिन चल रहे है और दीदी ने कहा कि कल तू हाथ लगा सकता है क्योंकि कल मेरे दिन पूरे हो जाएगें. दोस्तों उस समय मेरे कुछ भी समझ में नहीं आया और फिर में अपने हाथ को नीचे से हटाकर दीदी के बूब्स पर रखकर उनको मसलने लगा था और उसी समय में अपने एक हाथ से अपने लंड हाथ में लेकर हिला रहा था.
कुछ देर बाद मैंने अपने लंड का पानी निकाल दिया और फिर में ठंडा होकर सो गया. मेरे साथ दीदी भी सो चुकी थी. फिर दूसरे दिन सुबह में उठ गया और मैंने उठकर देखा कि मेरी प्रिया दीदी मुझसे पहले ही उठकर नहाकर फ्रेश होकर बालकनी में खड़ी हुई है, में उनको देखकर मन ही मन बहुत खुश हुआ और मुझे देखकर वो भी मेरी तरफ मुस्कुराने लगी थी.
उसके बाद में भी फ्रेश जल्दी से जाकर होकर आया. तो मैंने बाथरूम से बाहर आकर सुना कि आज मेरी अच्छी किस्मत से हड़ताल है जिसकी वजह से प्रिया दीदी उनके घर नहीं जा पाएगी, क्योंकि हड़ताल की वजह से कोई भी बस सेवा नहीं चल रही थी. यह बात सुनकर में बहुत खुश हो गया. फिर कुछ समय बाद हम सभी लोगों ने साथ में बैठकर नाश्ता किया और उसके बाद हम दोनों मेरे कमरे में जाकर साथ में बैठकर टीवी देखने लग गये थे. उस समय वहां पर हम दोनों के अलावा कोई भी नहीं था.
तभी कुछ देर के बाद मेरी प्रिया दीदी ने मुझसे पूछा क्यों संजय कल रात को तुम अपनी दीदी के साथ क्या कर रहे थे? बताओ मुझे तुमने मेरे साथ क्या किया कल रात को? तो मैंने शरमाकर उनसे बोला कि पहले दीदी आप ही मेरे साथ कर रही थी में तो गहरी नींद में था और नींद खुलने के बाद मैंने भी करना शुरू कर दिया. अब दीदी ने हंसते हुए मुझसे कहा कि चलो ठीक है जो भी हुआ उसको तुम अब भूल जाओ और जो कुछ भी हम लोगों ने कल रात को किया वो अब हम दोनों के अलावा किसी तीसरे को पता नहीं चलनी चाहिए तू किसी को मत बताना.
मैंने उनको बोला कि हाँ ठीक है दीदी में किसी को नहीं बताऊंगा और तब मैंने देखा कि जिस तरह से वो बैठी हुई थी इसलिए उसकी स्कर्ट कुछ ऊँची उठी हुई थी और उसकी चूत का उभरा हुआ कुछ हिस्सा मुझे नज़र आ रहा था, क्योंकि उसकी पेंटी उसकी चूत की फांको में फंसी हुई थी और वो मस्त सेक्सी नजारा देखकर तो मेरा लंड खड़ा होकर फुंकार मारने लगा था, जिसको में कुछ देर अपने नेकर में ही सहलाता समझाता रहा लेकिन वो नहीं माना इसलिए मैंने उसको बाहर निकाल लिया और अब में गोरी चूत को देखकर मुठ मारने लगा था.
मैंने देखा कि मेरी प्रिया दीदी अब अपनी छुपी नजरो से मुझे यह सब करते हुए देख रही थी और फिर वो कुछ देर बाद मुझसे बोली क्या तुम्हे शरम नहीं आती? अब मैंने उनको बोला कि किस बात की शरम तुमने इसको कितनी बार देखा है, एक बार इसको तुम आज अपनी चूत में लेकर देखो उसके बाद तुम मुझे हर दिन बार बार कहोगी संजय प्लीज तुम चोदो मुझे, मैंने प्रिया से इतना कहा और फिर में उठकर उसके पास आ गया और में उसको अब किस करने लगा था और कुछ देर बाद मैंने उसकी चूत में अपनी उंगली को डाल दिया था.
पहले तो वो कुछ देर वो दर्द की वजह से छटपटाई, लेकिन फिर भी मैंने उसकी चूत में अपनी पूरी उंगली को अंदर डाल दिया था, जिसकी वजह से कुछ देर बाद उसको भी मज़ा आने लगा था और वो मेरे पहले से ज्यादा पास आने लगी थी. अब मैंने अपना लंड उसको हाथ में पकड़ा दिया और वो उसको सहलाने लगी थी.
कुछ देर तक लगातार हिलाते हुए मेरे लंड से कुछ पानी बाहर निकला और उसका पूरा हाथ चिकना हो गया और इधर मेरी उंगली उसकी चूत में अपना पूरा काम कर रही थी और वो एक बार झड़ चुकी थी. अब मैंने अपना लंड उसको चूसने के लिए कहा तब वो बोली कि नहीं में यह सब गंदा काम नहीं करूंगी, तो मैंने उसको समझाकर कहा कि एक बार तुम इसको चूस लो उसके बाद तुम मुझे बताना कि यह कैसा है और अब मैंने उसको पूरा नंगा कर दिया और में भी अब नंगा हो चुका था. तो मैंने उसकी चूत पर अपना मुहं रख दिया और मैंने अपनी जीभ को उसकी चूत में डाल दिया और वो जोश में आकर ऊऊहहहह संजय प्लीज मत करो, मुझे कुछ हो रहा है, लेकिन में अब कहाँ मानने वाला था इसलिए में उसकी चूत को चाटने लगा जिसकी वजह से वो एकदम पागल सी हो गई.
अब मैंने उससे कहा कि अब तो तुम भी मेरे लंड को चूस लो तुम्हे भी बहुत मज़ा आएगा और इतना कहकर मैंने अपने लंड को उसके मुहं में डाल दिया और उधर मैंने उसकी चूत को चूसना वैसे ही जारी रखा. यह सब करीब दस मिनट तक ऐसे ही चलता रहा और तभी मेरा लंड उसके मुहं में ही झड़ गया, लेकिन उसने मेरा वो सारा वीर्य अपने मुहं से बाहर निकाल दिया.
दोस्तों हम दोनों कुछ देर के बाद एक बार फिर से जोश में आकर तैयार हो गये और फिर से मैंने अपने लंड को उसके मुहं में डाल दिया जो अब तनकर खड़ा था, लेकिन अब मेरे मन में उसकी चुदाई को पूरा करने की इच्छा थी और इसलिए सबसे पहले मैंने उठकर बाहर का नजारा देखा, वहां बड़ी शांति थी क्योंकि कुछ लोग अभी तक सो रहे थे और जो कोई उठा था या तो वो अपने कामो में व्यस्त था या फिर बाजार अपने काम से जा चुके थे और वैसे भी हम दोनों ऊपर छत पर बने मेरे छोटे से कमरे में थे इसलिए वहां पर कोई भी आना ज्यादा पसंद नहीं करता.
मैंने सही मौका देखकर अपने कमरे का दरवाजा भी अंदर से बंद कर लिया था और करीब पांच मिनट के बाद उसकी चूत के मुहं पर अपने लंड का टोपा रख दिया. उसके बाद एक जोरदार धक्का दे दिया जिसकी वजह से उसकी चूत फट गई और वो दर्द की वजह से ज़ोर से चिल्ला पड़ी ऊईईईई आईईई आह्ह्हह्ह माँ में मर गई प्लीज तुम अब इसको बाहर निकाल लो संजय मुझे बहुत तेज दर्द हो रहा है ऊफफ्फ्फ्फ़ मुझे यह दर्द अब सहना बड़ा मुश्किल हो रहा है प्लीज थोड़ा सा मुझ पर तुम रहम करो, बाहर करो इसको, यह बहुत मोटा है.
तभी मैंने उसका दर्द देखे बिना ही एक जोरदार धक्का और लगा दिया जिसकी वजह से मेरा पूरा का पूरा लंड उसकी चूत के अंदर चला गया और वो उस दर्द की वजह से वो रोने लगी, क्योंकि मेरा लंड तेज गति से अंदर जाते समय उसकी चूत को पूरा फाड़ता हुआ चूत को पूरा फैलाते हुये उसको बहुत दर्द देता हुआ अंदर गया था और उसको दर्द तो हो ही रहा था और अब उसकी चूत से खून भी बाहर निकलने लगा था. करीब पांच मिनट के बाद उसकी चूत का दर्द कम हुआ चूत ने पानी भी छोड़ दिया था जिसकी वजह से अब मेरा लंड बड़ी आसानी से अब अंदर बाहर होने लगा था, इसलिए में अपने लंड को लगातार धीरे धीरे अंदर बाहर करता रहा और मैंने महसूस किया कि अब उसको भी मज़ा आने लगा और वो भी मेरा पूरा पूरा सहयोग करने लगी थी.
उसको धक्के देने में मुझे भी बहुत मज़ा आ रहा है. अब वो मुझसे कहने लगी थी उफ्फ्फ्फ़ हाँ ज़रा ज़ोर से धक्के देकर तुम मुझे चोदो आह्ह्ह्हह हाँ धक्को को तेज करो ना ऊफ्फ्फ्फ़ प्लीज आज फाड़ दो मेरी इस चूत को मुझे आज तुम अच्छी तरह चोदो और पूरा चुदाई का मज़ा दो. दोस्तों अब हम दोनों पूरी तरह से जोश में आकर चुदाई का मज़ा ले रहे थे और अब मेरा लंड झड़ने वाला था. में ज़ोर ज़ोर से चूत में अपने लंड को अंदर बाहर कर रहा था.
मैंने किसी की भी परवाह ना करते हुए उसकी चुदाई को वैसे ही जारी रखा और मेरा लंड पूरा झड़ जाने के बाद ही उसकी चूत से मैंने बाहर निकाला. तो कुछ देर बाद प्रिया दीदी ने मुझसे कहा कि संजय प्लीज एक बार फिर से तुम मेरी चूत में अपने लंड को डालकर दोबारा चोदकर ऐसे मज़े दो ना प्लीज तुम मुझे दोबारा ऐसे ही तेज धक्के दो ना इतना कहकर वो मेरे लंड को अब अपने मुहं में डालकर उसको चूसने लगी जिसकी वजह से कुछ देर बाद मेरा लंड दोबारा से तनकर खड़ा हो गया.
दोस्तों उस दिन हम दोनों ने बहुत मस्त चुदाई के मज़े लिए और मैंने उसकी चूत में कुछ देर बाद दोबारा अपने लंड को डालकर धक्के देने शुरू किए और कुछ देर बाद में नीचे लेट गया और मैंने उसको अपने लंड पर बैठने का इशारा किया और वो मेरे लंड के ऊपर बैठकर अब मेरे लंड की सवारी करने लगी थी और उसने लगातार उछल उछलकर अपनी चूत की मेरे लंड से चुदाई करके उसको शांत किया.
फिर कुछ देर बाद वो झड़ गई और तब तक में भी ठंडा हो चुका था. मेरा और उसका हम दोनों का पानी एक साथ उसकी चूत से बाहर आकर बह रहा था, उसके बाद वो मेरे लंड के ऊपर से उतरकर बेड पर एकदम सीधी लेट गई और बड़ी देर तक उठक बैठक लगाने की वजह से अब उसकी सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी, जिसकी वजह से उसकी छाती बार बार ऊपर नीचे हो रही थी और बूब्स का ऊपर नीचे होना देख मेरा मन बड़ा खुश था, क्योंकि वो बड़ा ही मनमोहक द्रश्य था और मुझे प्रिया के चेहरे से अब उसकी चुदाई की संतुष्टि साफ साफ नजर आ रही थी.
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