दोस्तों मेरा नाम सौरभ कुमार। आज मेरी ये सच्ची कहानी आप लोगो से शेयर कर रहा हूँ दोस्तों मजे से पढ़ना अगर जिस भाई बहन को ये कहानी झूठी लगे तो मुझे ईमेल कर सकते है | एक बार मेरे ऑफिस में एक फॅमिली पार्टी हुयी | वहां सभी ऑफिस के लोगो को अपनी फेमिली के साथ में आमंत्रित थे। मेरी पत्नी रश्मि की जवानी और खिली हुयी लगती थी। वह उस समय कोई २७ साल की होगी। हमारी लव मैरिज हुई थी। रश्मि अत्यन्त सुन्दर थी। वह कमर से तो पतली थी पर उसके उरोज (मम्मे) पूरे भरे भरे और तने हुए थे। उसका बदन लचीला और उसकी कमर से उसके उरोज का घुमाव और उसके नितम्ब का घुमाव को देख कर पुरुषों के मुंह में बरबस पानी आ जाना स्वाभाविक था।
उसे पुरुषों से बात करने में कोई झिझक नहीं होती थी।
रश्मि के कॉलेज में हजारों लड़को में कुछ ही लड़कियां थी। उनमे से एक रश्मि थी। परन्तु वह मन की इतनी मज़बूत थी की कोई लड़का उसे छेड़ने की हिम्मत नहीं जुटा पाता था। कई बार शरारती लड़कों को चप्पल से पीटने के कारण वह कॉलेज में बड़ी प्रख्यात थी। कॉलेज के लड़कों के मन में रश्मि को पाने की ख्वाहिश तो थी। पर न पा सकने के कारण उसकी पीठ पीछे कई लड़के रश्मि के बारेमें ऐसी वैसी अफवाएं जरूर फैलाया करते थे। खास तौर से मैंने कॉलेज के कुछ लडकोंको यह कहते सुना था की रश्मि का उसके साथ या किसी और के साथ अफेयर था। वह कॉलेज में लडकोसे बिंदास मिलती थी पर किसकी क्या मजाल जो उससे भद्दा मजाक करने की हिम्मत करे।
पार्टी में मैंने देखा की सारे पुरुष वर्ग मेरी पत्नी रश्मि को छिप छिप कर घूर रहे थे। उन बेचारों का क्या दोष? मेरी पत्नी रश्मि थी ही ऐसी। उसके स्तन एकदम भरे हुए पके बड़े आम की तरह अपने ब्लाउज में बड़ी मुश्किल से समा पाते थे। मेरी बीबी के स्तनों का नाप ३४ से कम नहीं था। मैं अपनी हथेली में एक स्तन को मुश्किल से ले पाता था। उसकी पतली कमर एवं नोकीले सुन्दर नितम्ब ऐसे थे के उसे देख कर ही अच्छे अच्छों का पानी निकल जाए। वह हमेशां पुरुषों की लालची और स्त्रियों की ईर्ष्या भरी नज़रों का शिकार रहती थी।
हमारी शादी को सात साल हो चुके थे और कहते है की सात साल के बाद एक तरह की खुजली होती है जिसे कहते है सातवें साल की खुजली तब अजीब ख्याल आते है और सेक्स में कुछ नयापन लाने की प्रबल इच्छा होती है।
शादी के कुछ सालों तक तो हमारी सेक्स लाइफ बड़ी गर्मजोश हुआ करतीथी। हम २४ घंटों में पहले तो तीन तीन बार, फिर दो बार, फिर एक बार ओर जिस समय की मैं बात कर रहा हूँ उनदिनों में तो बस कभी कभी सेक्स करते थे। शादी के सात सालों के बाद बहुत कुछ बदल जाता है। कहानी का शीर्षक है ” मेरी शर्मीली बीवी की ग्रुप में चुदाई ” पति पत्नी के बिच कोई नवीनता नहीं रहती। एक दूसरे की कमियां और विपरीत विचारों के कारण वैमनस्य पारस्परिक मधुरता पर हावी होने लगता है। और वैसे ही पति पत्नी एक दूसरे को “घर की मुर्गी दाल बराबर” समझने लगते हैं। उपरसे बच्चों की, नौकरी की, घर की, समाज की, भाई बहनों की, माँ बाप की, बगैरह जिम्मेदारी इतनी बढ़ जाती है की सेक्स के बारे में सोचने का समय बहुत कम मिलता है। आप यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
सामान्यतः मध्यम वर्ग की पत्नियों पर बोझ ज्यादा रहता है। इस कारण वह शाम होते होते शारीरिक एवं मानसिक रूपसे थक जाती है। वह अपने पति के क्रीड़ा केलि आलाप की ठीकठाक प्रतिक्रया देने में अपने को असमर्थ पाती है। उस समय पारस्परिक आकर्षण कम हो जाता है। अक्सर रश्मि थक जाने की शिकायत करती और जल्दी सो जाती। गरम होने पर भी मुझे मन मसोस कर सो जाना पड़ता था। इस कारण धीरे धीरे मेरे मनमे एक शंका ने घर कर लिया की शायद वह मेरी सेक्स करने की क्षमता से संतुष्ट नहीं है। बात भी कुछ हद तक गलत नहीं थी। जब वह गरम हो जाती थी तब कई बार उस से पहले ही मैं मेरा वीर्य उसके अंदर छोड़ देता था। तब मेरी पत्नी शायद अपना मन मसोस कर रह जाती होगी। हालांकि रश्मि ने मुझे कभी भी इस बारें में अपनी कोई शिकायत नहीं की।
मेरी बीबी को सेक्स मैं ज्यादा रस नहीं रहा था। जब मैं सेक्स के लिए ज्यादा तड़पता था और उसे आग्रह करता था, तो वह अपनी पैंटी निकाल कर, अपना घाघरा ऊपर करके, अपनी टाँगे खोलकर निष्क्रिय पड़ी रहती थी जब मैं उसे चोदता था। मुझे उसके यह वर्ताव से दुःख होता था, पर क्या करता?
पर कभी कबार अगर जब कोई कारण वश रश्मि गरम हो जाती थी तो फिर खुब जोश से चुदाई करवाती थी। जब वह गरम होती थी तो उसे सेक्स करने का मज़ा ही कुछ और होता था। इसी लिए मैं ऐसे कारण ढूंढ़ता था जिससे वह गरम हो जाए।
मेरी पत्नी को घूमने फिरनेका और सांस्कृतिक अथवा मनोरंजन के कार्यक्रमों, जैसे संगीत, कवी सम्मलेन, नाटकों, फिल्मों, पार्टियों, पिकनिक इत्यादि में जानेका बड़ा शौक था। ऐसे मौके पर वह एकदम बनठन कर तैयार हो जाती थी। और अगर उसको वह प्रोग्राम में मझा आया तो वह बड़े चाव से उसके बारे में देर तक बात करने लगती और फिर मैं उसीकी ही बात को दुहराते हुए उसके कपडे धीरे धीरे निकालता, उसके मम्मों को सहलाता और उसकी चूत में उंगली डाल कर उसे गरम करता। उस समय बाते करते हुए वह भी गरम हो जाती और बड़े आनंद से मेरा साथ देती और मुझसे अच्छी तरह चुदवाती। पर ऐसा मौक़ा ज्यादा नहीं मिलता था।
हालांकि मेरी पत्नी रश्मि बहुत शर्मीली, रूखी और रूढ़िवादी (मैं तो यही सोचता था) थी, पर जब उसे बाहर घूमने का मौका मिलता था तो वह अच्छे से अच्छे कपडे पहन कर तैयार होती थी। उसे कपडे पहननेका शौक था और उस समय वह शालीनता पूर्वक अपने मर्यादित अंग प्रदर्शन करने में झिझकती नहीं थी। उस पार्टी में अपने घने लम्बे बाल रश्मि ने खुले छोड़ रखे थे। इससे तो वह और भी सेक्सी लग रही थी।
उसने साड़ी तो पहन रक्खीथी पर अंचल की परत और ब्लाउज की बॉर्डर स्तनों से सटकर रुक जाती थी। स्तनों के किनारे से लेकर अपनी नाभि से काफी नीचे तक (जहाँ से उसकी चूत का उभार शुरू होता था) उसकी उतनी लंबी और कामुक नंगी कमर देखने वालों की नजरें नीति भ्रष्ट कर रही थी। जिसमे उसकी नाभि और नितम्ब के अंग भंगिमा को सब ताक रहे थे। आप यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | वहाँ ऐसा लग रहाथा जैसे सिर्फ मेरी पत्नी ही वहां थी और कोई औरत थी ही नहीं। हालाँकि वहां करीब दस औरतें थीं। मुझे पुरुषों के रश्मि को लालची निगाहों से देखना, पता नहीं क्यों, अच्छा लगता था। एक कारण तो यह था की मुझे बड़े गर्व का अनुभव होता था की …
मेरी पत्नी उन सब की पत्नियों से ज्यादा सुन्दर है।
तब घोषणा हुई की अब डांस होगा। सब को अपने साथीदार के साथ डांस फ्लोर पर आने के लिए कहा गया। उस पार्टी में मेरे बॉस ने रश्मि के साथ कुछ ज्यादा ही छूट लेने की कोशिश की। वह रश्मि के पास गया और उसने अपने साथ डांस करने के लिए रश्मि का हाथ पकड़ा और उसे खींचने लगा। रश्मि ने उसे जोरसे झटका दिया। मेरा बॉस लड़खड़ा गया। खिसियाता हुआ वह कहीं और चला गया। बॉस को रश्मि पर लाइन मारते देख मेरे अंदर एक अजीब तरह का रोमांच हो रहा था।
उस पार्टी में मेरा एक दोस्त दीपक था। हम साथ में ही काम करते थे। वह मेरी ही उम्र का था और अच्छा लंबा तंदुरस्त और सुगठित मांस पेशियोँ वाला था। उस समय उसकी कोई ३०-३२ साल की उम्र रही होगी। वह गोरा चिट्टा और गोल सा चेहरे वाला था। उसके बाल जैसे काले घने बादल समान थे। उसने मैरून रंग की शर्ट पहनी थी और गले में स्कार्फ़ सा बाँध रख था। उसकी धीमी और नरम आवाज और सबके साथ सहजसे घुलमिल जानेवाले स्वभाव के कारण सब उसे पसंद करते थे। यहां तक के सारी स्त्रियां भी उससे बात करने के लिए उतावली रहतीं थी। वह आसानी से महिलाओ से अच्छी खासी दोस्ती बना लेता था।
पहली बार जब मैंने उसे मेरी पत्नी रश्मि से मिलाया तो वह रश्मि को घूरता ही रह गया। जब उसे लगा की वह ज्यादा देर तक घूर रहा था तो उसने बड़ी विनम्रता और सहजता से माफ़ी मांगते हुए कहा, “भाभीजी, मुझे आपको घूर घूर कर देखने के लिए माफ़ कीजिये। मैंने इससे पहले आप सी सुन्दर लड़की नहीं देखी। मैं तो सोच भी नहीं सकता के आप शादी शुदा हैं। ”
भला कोई अगर एक शादी शुदा एक बच्चे की मांको बताये की वह एक बहुत सुन्दर लड़की है, तो वह तो पिघल जायेगी ही। बस और क्या था? मेरी पत्नी रश्मि तो यह सुनते ही पानी पानी हो गयी और बाद में मुझसे बोली, “आपका मित्र वास्तव में बड़ा सभ्य और शालीन लगता है। क्या वह शादी शुदा है?”
तभी उसकी पत्नी वंदना जो कही बाहर गयी थी उसे मैंने देखा और मैं रश्मि से मिलवाने के लिए गया। वंदना थोड़ी लम्बी और तने हुए बदन की थी। आप यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | उसकी मुस्कान मुझे बहुत आकर्षक लगती थी। दोनों पत्नियां मिली और थोड़ी देर बातचीत करने के बाद रश्मि और मैं एक और कपल से बातचीत करते हुए दूसरे कोने में जा के बैठ गए।
मैं देख रहा था की बार बार घूम फिर कर दीपक की आँखे मेरी बीबी को ताक रहीं थी। शायद रश्मि ने भी यह महसूस किया होगा, पर वह कुछ न बोली। कहानी का शीर्षक है ” मेरी शर्मीली बीवी की ग्रुप में चुदाई ” मुझे ऐसे लग रहा था जैसे वह रश्मि पर फ़िदा ही हो गया था। दीपक की पत्नी वंदना किसी और महिला से बातचीत करनेमें व्यस्त थी। मैंने देखा की दीपक खड़ा हो कर हॉल में इधर उधर घूम रहा था। घूमते घूमते जैसे स्वाभाविक रूपसे वह हमारे सामने आ खड़ा हुआ।
बड़ी सरलता से उसने अपना हाथ लम्बाया और अपना सर थोड़ा झुका कर उसने रश्मि को डांस करने को आमंत्रित किया।
रश्मि ने भोलेपन से कहा, “पर मुझे तो डांस करना नहीं आता।”
दीपक ने कहा, “यहां डांस कर रहे लोगों में से कितनों को आता है? तुम चिंता मत करो। मैं तुम्हे कुछ स्टेप्स सीखा दूंगा।“
रश्मि ने मेरी तरफ देखा। वह मेरी इजाजत चाह रही थी। मैंने अपना सर हिला कर उसे इजाजत दे दी। रश्मि तैयार हो गयी। मैंने देखा की दीपक मेरी पत्नी को अपनी बाँहों में लेकर एक हाथ उसकी कमर दूसरा उसके कंधे पर रखकर एकदम करीब से उसे स्टेप्स सीखा ने लगा। उनके डांस शुरू करने के दो तिन मिनट में ही संगीत की लय धीमी हो गयी जिससे डांस करने वाले एक दूसरे से लिपट कर डांस कर सके। मैं उसी समय वाशरूम में जानेका बहाना करके खिसक गया और ऐसी जगह छिप गया जहाँसे मैं तो उन्हें देख सकता था, पर वह मुझे नहीं देख सकते थे। मेरी पत्नी बिच बिच में मुझे ढूंढ ने का प्रयास कर रही थी। मैंने देखा की दीपक मेरी पत्नी के साथ कुछ ऐसे स्टेप्स लेता था जिससे उन दोनों की कमर और उससे निचला हिस्सा और जिस्म एकदूसरे के साथ रगड़े। इस तरह दोनों ने थोड़े समय डांस किया।
दीपक को मेरी पत्नी के साथ अपने शरीर को रगड़ते हुए डांस करते देख कर मैं एकदम उत्तेजित सा हो गया। मुझे इसकी ईर्ष्या आनी चाहिए थी। पर उल्टा मैं तो गरम हो गया। पतलून में मेरा लण्ड खड़ा हो गया; जैसे की मैं चाहता था की दीपक मेरी पत्नी के साथ और भी छूट ले। मुझे मेरी पत्नी का पर पुरुष के साथ शारीरिक सम्बन्ध का विचार उकसाने लगा।
जब मैं वापस आया तो दीपक की पत्नी उसके पति को मेरी सुन्दर पत्नी के साथ करीब से डांस करते देख रही थी। मुझे वंदना बहुत सुन्दर लग रही थी। मैं दीपक की पत्नी वंदना की और बहुत आकर्षित था, पर अपने विचारों को मन में ही दबा कर रखता था। आप यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | वंदना का आकर्षण मुझे तीन कारणों से बहुत ज्यादा लगा। एक उसकी सेक्सी आँखें। मुझे हमेशा ऐसा लगता था जैसे वह मुझे अपने पास बुला रही है और चुनौती दे रही है की हिम्मत हो तो पास आओ। दूसरे उसके भरे और उफान मारते हुए स्तन (मम्मे ) जो उसके ब्लाउज और ब्रा का बंधन तोड़कर खुल जाने के लिए व्याकुल लग रहे थे। जैसे ही वह चलती थी तो उसकी छाती के दोनों परिपक्व फल ऐसे हिलते थे जैसे बारिश के मौसम में हवा के तेज झांको पर डालियाँ हिलती हैं। और तीसरे उसके कूल्हे। उसके बदन के परिमाण में वह थोड़े बड़े थे। पर थे बड़े सुडौल और सुगठित। अक्सर औरतो के बड़े कूल्हे भद्दे लगते हैं।
पर वंदना के कूल्हों को नंगा करके सहलाने का मेरा मन करता था।
मैंने आगे बढ़ कर उसको डांस करने के लिए आमंत्रित किया। वह मना कैसे करती? जिसकी पत्नी उसके पति के साथ डांस कर रही हो तो उसी के पति के साथ डांस करने से हिसाब बराबर हो जाता है न? दीपक की पत्नी तैयार हो गयी। वह बहुत सुन्दर थी। कहानी का शीर्षक है ” मेरी शर्मीली बीवी की ग्रुप में चुदाई ” शायद रश्मि और वंदना में सुंदरता का मुकाबला हो तो यह कहना बड़ा मुश्किल होगा की कौन ज्यादा सुन्दर है। फर्क सिर्फ इतना ही था की वंदना थोड़ी सी ज्यादा भरे बदन की थी, जब की रश्मि थोड़ी सी पतली थी। ज्यादा फर्क नहीं था। अब मेरी बीबी से छुपने की बारी मेरी थी। मैं वंदना को धीरे धीरे एक कोने में ले गया जहां दीपक और मेरी बीबी हमें देख न पाए। मैं वंदना के साथ अपनी कमर उसकी कमर से सटा कर नरमी से बदन से बदन को रगड़ कर डांस करने लगा तब मुझे लगा की वंदना को उसमें कोई आपत्ति नहीं थी। उसने मुझे कोई ज्यादा प्रोत्साहन तो नहीं दिया पर आपत्ति भी नहीं जताई। शायद उसने अपने पति को मेरी बीबी के साथ कमर रगड़ते डांस करते हुए देख लिया था।
मैं डांस ख़त्म होने के बाद जब अपनी पत्नी से मिला तो मैंने उसको ये जताया की उनके डांस शुरू होने के तुरंत बाद मैं वाशरूम गया था और वहां कोई मिल गया था उससे बात कर रहा था। ये जाहिर होने नहीं दिया की मैंने उसको और दीपक को बदन रगड़ते हुए डांस करते देखा था।
जब हम वापस जा रहे थे तो मैंने रश्मि से कहा, “कहीं ऐसा न हो के बॉस नासौरभ हो जाए। तुमने तो आज उसे बड़ा झटका दे दिया।“
तब रश्मि ने मुझसे माफ़ी मांगी और कहा “यदि तुम्हारा बॉस मुझसे प्यार से धीरे से कहता तो शायद मैं उसके साथ डांस करने के लिए मना नहीं करती। परन्तु उसने जबरदस्ती करने की कोशिश की। अगर मेरे पति को कोई आपत्ति न हो तो भला मुझे किसीके साथ भी डांस करने में क्या आपत्ति हो सकती है? आखिरकार मैंने तुम्हारे दोस्त दीपक के साथ भी तो डांस किया ही था न? तुम बॉस से मेरी तरफ से मांफी मांग लेना।”
मैंने रश्मि से पूछा, “क्या दीपक के साथ डांस करने में तुम्हे मझा आया?”
रश्मि ने कहा, “इसमें मझे की क्या बात है? एक रस्म है डांस करने की तो मैंने निभाई, वर्ना डांस में क्या रखा है?”
तब मैंने अपनी भोली सी पत्नीसे कहा, “सारी कहानी डांस से ही तो शुरू होती है। पहले डांस, फिर एक दूसरे के बदन पर हाथ फेरना फिर और करीब से छूना, छेड़ खानी करना, बार बार मिलते रहना, मीठी मीठी बातें करके पटाते रहना और आखिर में सेक्स।”
रश्मि मेरी तरफ थोडासा घबराते हुए देखने लगी और बोली, “सौरभ, क्या डांस इसी लिए करते है? फिर तो गड़बड़ हो गयी। मुझे क्या पता? अब दीपक क्या सोचेगा? वह सोचेगा रश्मि भाभी तो फिसल गयी। शायद इसी लिए वह मुझे दुबारा कब मिलेंगे ऐसे पूछने लगा। यह तो गलत हुआ। अब में क्या करूँ?”
मैंने हँसते हुए मेरी प्यारी पत्नी से कहा, “तुम ज़रा भी चिंता मत करो। मैं तो ऐसे ही मजाक कर रहा था। ऐसे कोई नहीं समझता। डांस करना तो आम बात है। पर हाँ, मैंने देखा था की दीपक तुम्हारे साथ डांस करते करते काफी गरम हो गया था। उसकी पतलून में उसका लण्ड खड़ा हो गया था। क्या तुमने अनुभव नहीं किया?” दीपक और रश्मि ने चिपककर जो डांस किया था उसके बारेमें ना तो मैंने रश्मि से पूछा था ना रश्मि ने मुझे बताया था ।
रश्मि झेंप सी गयी। उसके गाल लाल से हो गए। तब मैं समझ गया की रश्मि ने भी दीपक के लण्ड को महसूस किया था। पर शायद इस बात पर मेरी पत्नी ने ध्यान नहीं दिया वह इसे नजर अंदाज़ कर गयी। मैंने उसे सांत्वना देते हुए कहा, “ऐसे तो होता ही है। अगर उसका लण्ड कड़क हो गया तो उसमे उसका क्या दोष? तुम चीज़ ही ऐसी हो। तुम इतनी सेक्सी हो की तुम्हे देखकर ही अच्छे अच्छों का पानी निकल जाये।”
रश्मि थोड़ी देर चुप रही फिर बोली, “तुम भी तो वंदना से बड़े चिपक चिपक कर डांस कर रहे थे। क्या तुम्हारा खड़ा नहीं हुआ था?” अब चुप रहने की बारी मेरी थी।
मैंने धीरे से कहा, “चलो हिसाब बराबर हो गया।”
यह उस समय की बात है जब मैं जयपुर में एक मल्टीनेशनल कंपनी में सीनियर मार्केटिंग एग्जीक्यूटिव था। उस समय जयपुर बड़ी ही शांत जगह हुआ करती थी। हम एक शांत अच्छी कॉलोनी में रहते थे। दीपक हमसे करीब ३ किलो मीटर दूर दूसरी कॉलोनी में रहता था। आप यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | उस पार्टी के कुछ ही समय के बाद दीपक ने मेरी कंपनी छोड़ दूसरी कंपनी में ज्वाइन कर लिया। उसे करीब एक साल हो चला था। इस बिच हमारी घनिष्ठता बढ़ी और हम एक दूसरे के घर जाने लगे। दीपक की पत्नी वंदना और ..
मेरी पत्नी रश्मि दोनों एक दूसरे की ख़ास सहेलियां बन गयीं।
हम एक दूसरे से चोरी छुपे एक दूसरे की पत्नियों को ललचा ने की कोशिश में लगे हुए थे। पर हमें बढ़िया मौका नहीं मिल रहा था। मैं वंदना करीब जाने के लिए लालायित था और दीपक रश्मि की और आकर्षित हुआ था। पर हमारी पत्नियां एक दूसरे के पति को कोई घास नहीं डाल रही थी। दीपक और मैं मिलते भी थे और सब जानते भी थे पर स्पष्ट बात करने की हिम्मत नहीं जुटा पाते थे।
0 Comments:
एक टिप्पणी भेजें