मेरी भतीजी और मेरा रिश्ता तो सबके के सामने सामाजिक मर्यादाओं में बंधा होता था लेकिन जब हम अकेले होते तो पति – पत्नी बन जाते. अपनी इस कहानी में मैं बताऊंगा कि किस तरह मैंने उसे अपने कमरे में चटाई पर लिटा कर चोदा…
नमस्कार दोस्तों, मेरा नाम सचिन है और मेरी उम्र 21साल है. मैं उत्तर प्रदेश के एक छोटे गांव का रहने वाला हूं और मैं सेक्स स्टोरी पढ़ने का बहुत ही शौकीन हूं. जब भी मुझे टाइम मिलता है मैं मोबाइल पर ही अन्तर्वासना की साइट खोल कर कहानी पढ़ने लगता हूं. इन्हीं कहानियों को पढ़ कर मेरा भी मन हुआ कि क्यों न मैं भी अपनी कोई कहानी आप लोगों के साथ शेयर करूं. बस फिर क्या था, मैं बैठ गया, कीबोर्ड पर उंगलियां चलती गईं और एक सच्ची घटना कहानी के रूप में आपके सम्मुख पेश हो गई.
अब ज्यादा टाइम न लेते हुए मैं अपनी कहानी पर आता हूं. ये कहानी मेरे ताऊ के लड़के की बेटी स्वेता (बदला हुआ) और मेरी है. इस हिसाब से स्वेता रिश्ते में मेरी भतीजी लगती है. स्वेता की उम्र 22 साल है और वो दिखने में बड़ी कमाल की लगती है. उसके बूब्स काफी बड़े – बड़े हैं. वह करीब 5 फिट लम्बी होगी. कुल मिला कर स्वेता मुझे बहुत सेक्सी लगती है. मैं अब तक कई बार उसे चोद चुका हूं पर कभी भी मेरा दिल ऊबता नहीं है.
ये कहानी तब की है, जब मैं शहर में रह कर 12वीं की पढ़ाई कर रहा था. मैं शहर में ही एक रूम किराये पर लेकर वहीं रह रहा था. एक बार जब मैं छुट्टियों में गांव आया और स्वेता के घर गया. उस स्वेता के घर पर उसकी मां थीं. मैंने उनसे काफी देर तक घर – गांव की बातें की.
फिर स्वेता की मां मुझसे बोलीं – लाला जी, आप स्वेता के साथ शहर चले जाना, उसको कुछ शॉपिंग करनी है, कई दिनों से बोल रही थी लेकिन कोई भरोसे वाला मिल ही नहीं रहा था जिसके साथ अपनी बिटिया को भेज दूं. अब आप आए हो तो साथ चले जाना.
इतना सुनकर मैं मन ही मन बहुत खुश हुआ. खुशी मेरे मन में समा नहीं रही थी. खैर, मैंने भी हामी भर दी. दोस्तों, मैं और स्वेता औरों के सामने तो चाचा – भतीजी का रिश्ता निभाते थे मगर जैसे ही अकेले होते वैसे ही हम दोनों पति पत्नी बन जाते थे.
फिर अगले दिन मैं और स्वेता शहर जाने के लिए तैयार हो गए. दोस्तों, मेरे गांव से शहर जाने के लिए 2 किमी पैदल चल कर बस पकड़नी पड़ती है. फिर हम घर से निकले और रास्ते में पैदल चलते समय ही हमने मेरे रूम पर चल कर चुदाई करने का प्लान बना लिया. पैदल चलते है रास्ते भर हम चुदाई की बातें ही करते गए और फिर बस स्टैंड पर पहुंच कर हमने बस पकड़. करीब 3 घंटे बस से सफर करने के बाद हम शहर पहुंच गए.
जैसे ही हम शहर पहुंचे तो मैंने स्वेता से कहा – पहले रूम पर चलते हैं और अपना चुदाई वाला काम करते हैं, शॉपिंग बाद में कर लेना. वह भी तैयार थी, उसे भला क्या इनकार था. आखिर उसकी चूत में भी तो चुदाई का नाम सुन कर खुजली होने लगी थी. फिर हम ऑटो में बैठे और रूम की तरफ चल दिए.
दोस्तों, ऑटो से उतरने के बाद मेरे रूम पर जाने के लिए हमें एक मार्केट से होकर जाना पड़ता था तो मैंने सोचा कि इधर से ही कंडोम लेता चलूं. यह सोच कर मैंने स्वेता से कहा कि तुम यहीं पर रुक जाओ, मुझे दुकान से कुछ समान लेना है.
मेरे कहने पर फिर वो वहीं रुक गई. तब मैं पास स्थित मेडिकल की दुकान गया और वहां से 2 पैकेट कंडोम ले लिया. फिर मैं वापस उसके पास गया और उसे चलने के लिए कहा. अब वो फिर मेरे साथ – साथ चलने लगी.
अभी हम थोड़ी ही दूर गए होंगे कि उसने मुझसे पूछ लिया “चाचा जी, मेडिकल की दुकान से क्या लिया है आपने?” इस पर मैंने उससे कहा कि तुम्हारे लिए कंडोम लिया है, आज हम कंडोम लगा करचुदाई करेंगे. इतना सुन कर वो हंस पड़ी और सिर नीचे झुका कर मुस्कुराने लगी.
फिर कुछ ही देर में हम अपने रूम पर पहुंच गए. हमने रूम ओपन किया और फिर अन्दर जाने के बाद उसे भीतर से लॉक कर लिया. इसके बाद हम दोनों ने चिप्स खाए और जमीन पर चटाई बिछा कर बैठ गए.
हम दोनों दीवार से टिक कर एक – दूसरे के गले में हाथ डाल कर बैठे थे और एक – दूसरे की आंखों को पढ़ रहे थे. फिर थोड़ी देर बाद मैंने स्वेता के होंठों पर अपने होंठ रख दिये और उसे किस करने लगा. इसमें वो भी मेरा बराबर साथ दे रही थी.
किस करते – करते ही फिर मैंने उसका सलवार और कुर्ता उतार दिया. अब वो सिर्फ चड्डी और अपने लेडी बनियान में थी. दोस्तों, गांव की लड़कियां अक्सर ब्रा नहीं पहनती, उन्हें बनियान ही पहनने को दी जाती है. इसके बाद फिर मैंने भी अपने ऊपर वाले सारे कपड़े उतार दिए. अब मैं भी सिर्फ चड्डी और बनियान में हो गया.
फिर मैं उसकी बनियान के ऊपर से ही उसके बड़े – बड़े मम्मों को मसलने लगा. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था और भी मस्त होकर सिसकियां ले रही थी. फिर कुछ देर बाद मैंने उसकी बनियान उतार दी. बनियान उतारते ही उसके दोनों मम्मे मेरे सामने आ गए. दोस्तों, उसके बूब्स काफी बड़े और टाइट थे. वे मेरे एक हाथ में समा नहीं रहे थे.
फिर जैसे ही मैंने उसके नंगे मम्मों पर हाथ लगाया, वे उत्तेजनावश तन कर खड़े हो गए. इससे साबित हो गया था कि अब वह भी धीरे – धीरे गर्म हो रही थी. फिर पहले तो मैंने उसके एक – एक मम्मे को हाथ में पकड़ा और फिर दबाने लगा. इसके बाद बारी – बारी से उसके बूब्स चूसने लगा. जब मैं उसके निप्पलों को अपनी जीभ से दबाता तो उसके मुंह से एक आह सी निकल जाती. उसकी यह “आह” मुझे और उत्तेजित कर रही थी.
फिर मैंने उसकी चड्डी को उतार कर उसे वहीं जमीन पर लिटा दिया. वाह! क्या चूत थी! छोटे – छोटे घुघराले बालों के बीच एक छोटा सा सेक्सी छेद था. उसे देख कर मैं खुद पर काबू न रख सका और मैंने अपना मुंह उसकी चूत पर रख दिया. अब मैं मज़े से उसकी चूत चाटने लगा, वो तड़पने लगी और अपनी कमर उठा – उठा कर चूत चटवाने लगी.
उसे भी बहुत आनन्द मिल रहा था. फिर मैंने उसकी चूत को अपनी सेविंग किट से सेव किया और दोबारा चूत चाटने लगा. इस पर वो बोली कि ऐसा मत करो, अब सहन नहीं हो रहा हैं.
तब मैंने अपनी भी चड्डी उतारी और उसके होंठों पर लंड रख दिया. वो लंड चूसने को तैयार न थी लेकिन मेरे ज्यादा जोर देने पर उसने मेरे लंड को मुंह में ले लिया और चूसने लगी. वह लगातार करीब 5 मिनट तक मेरा लंड चूसती रही.
अब मुझसे भी बर्दाश्त नहीं हो रहा था तो मैंने कंडोम निकाला. मुझे कंडोम निकालते देख स्वेता बोली – लाओ मैं पहनाती हूं. फिर उसने बड़े प्यार से कंडोम मेरे लंड पर चढ़ा दिया.
फिर मैं उसकी जांघों के बीच गया और उसके पैरों को फैला कर लंड उसकी चूत के होंठों पर रगड़ने लगा. साथ ही मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ भी रख दिए. अब तक उसने आंखें बंद कर ली थी. फिर मैंने एक जोरदार झटका दिया तो मेरा पूरा लंड उसकी चूत में समा गया. वो दर्द से बिलबिला उठी. हालांकि, मैं उसे पहले भी चोद चुका था लेकिन काफी टाइम हो गया था इसलिए उसे दर्द हुआ.
अब वह मुझे अपने ऊपर से हटाने लगी लेकिन मैं नहीं हटा. फिर मैंने उसे जार से पकड़ लिया. वो चिल्लाना चाह रही थी, मगर चिल्ला नहीं पा रही थी. दर्द की वजह से उसकी आंखों से आंसू बहने लगे थे. यह देख मैं भी वहीं रुक गया.
फिर जब उसका दर्द कुछ कम हुआ तो मैंने फिर से लंड अन्दर – बाहर करना शुरू कर दिया. अब उसे भी मज़ा आने लगा और वो भी मेरा साथ देने लगी. अब वह चूत उठा – उठा कर चुदवा रही थी और मैं भी लगातार अपने धक्के तेज किए जा रहा था.
फिर कुछ ही देर बाद हम दोनों झड़ गए और फिर एक – दूसरे से अलग हो गए. फिर कुछ देर बैठने के बाद हमारा दोबारा से मूड बन गया. इस बार मैं लेट गया और स्वेता को अपने लंड पे बैठने को बोला. फिर वो मेरे लंड पर बैठ गई और झटके मारने लगी.
करीब 20-25 झटके मारने के बाद वो बोली – अब मुझसे नहीं हो रहा है. तब मैंने उसे लिटाया और उसकी टांगों को उठा कर उसे चोदने लगा. करीब आधे घंटे चोदने के बाद हम फिर से झड़ गए. इस तरह हमने उस दिन 3 बार जबरदस्त चुदाई की और फिर मैंने उसे शॉपिंग कराई और रात होते – होते वापस घर आ गए.
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