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ससुरजी से चुदकर मा बनी

हम बेडरूम पहुचे नही कि उन्होने मुझे अपनी गोद मे उठा लिया और बिस्तर पर फेंका. बादमें एक भूखे भेड़िए की तरह वे मेरी ओर बढ़ने लगे, मैंभी नटखट सी हरकतें करते हुए उनसे दूर भाग रही थी. अचानक से उठकर उन्होने बेडरूमका दरवाजा बंद किया और भेड़िए की तरह मेरी ओर बढ़े. उनसे बचाव करने का नाटक करते मैं बिस्तर के एक छोर से दूसरे छोर की ओर घूमने लगी बिस्तर पर. 


एक मोड पर उन्होने मेरी पैरों की कलाईयो को पकड़ा और मुझे अपनी ओर खिचा. उनका ये खीचाव इतनी तगड़ा था कि मेरी गांड सीधी उनके लौडेकी चट्टान को टकराने की वजह से बिस्तर पर रुक पाई. इस मजबूत लौदे का अंदाज़ा तो लग ही गया पर महस्सोस करना बाकी था. लौदे को टकराते हुए उन्होने कहा, “सही जगह आ रुकी है तुम्हारी ये नटखट गांड. लगता है काफ़ी बेकरार है ये?” मैं शारमाई, और लाजसे चूर चूर होगयि. उन्होने मुझे काफ़ी देर तक चूमा, बादमें उन्होने मेरे ब्लाउज के हुक्स निकाले और ब्रा मे छुपे बूब्स को मलने लगे, ब्रा बदन पर रखकरही वे मुझे मेरे बूब्स को चूमने लगे. और भी हजारो कहानिया है मस्तराम डॉट नेट पर |

फिर उनका चुंबन नीचे नीचे सरकने लगा, मेरी छाती, मेरा पेट, मेरी नाभि को वे चूमने लगे. जैसे जैसे वो नीच बढ़ रहे थे वैसेही मेरे शरीर मे करेंट दौड़ रहा था, जो और स्ट्रॉंग होता जा रहा था. आख़िरकार उनके होंठ मेरे पेटिकोट के नाडे तक आ पहुचे, अपने दातोंसे उन्होने उसे खोल दिया और धीर धीरे मेरी कमर के चारों ओर हाथ घुमाने लगे. 


फिर मेरी कमरको उन्होने पकड़ा और धीर धीरे से मेरे पेटिकोट को नीचे सरकाने लगे, तब उन्होने अपनी आँखे बंद की पर हाथ मेरा पेटिकोट उतारने में लगे थे. मैने पूछा, “क्या हुआ, आँखें बंद क्यूँ की आपने?” उन्होने इशारे से मुझे चुप रहेने के लिए कहा और वे बोले, “मैं इस स्वर्गके द्वारको खुलते देख नही सकता एक दम से.” मैं बोली, “वाह क्या आप पहली बार देख रहे हैं इस स्वर्ग के द्वारको? माजीका ‘गेट’ बिगैर देखे ही आकाश का आगमन हुआ था क्या? कि कोई औरही था उसका बाप?” 


वो हासकर बोले, “नही संतान तो मेरही था वो साला, पर कायर था इसलिए भाग गया तुम्हे मेरे हवाले छोड़कर.रही बात तुम्हारी सासके ‘गेट’की वोभी क्या चूत थी???? उसे चोदना मेरी मजबूरी थी, क्योंकि मैं तो केवल अपने वंश को बढ़ाना चाहता था. पर इस कायरको पैदा कर मैने अपन पानी वेस्ट किया उसकी मा की चूत मे. चलो पर इसी वजह से आज मुझे तुम मिली हो.” मैं बोली, “छोड़िएजी उन पुरानी बातो को. उन्हे भूलकर नये लम्हो को यादगार बनाते है.” 


तबतक उन्होने मेरा पेटिकोट पूरितरह उतार दिया था.  उन्होने अपनी आँखे खोली और गौर्से मेरी पॅंटीको देखने लगे. उत्तेजना की वजह से मेरी पॅंटी गीली हुई थी और मेरे चुतसे चिपक गयी थी. इस वजह से उन्हे मेरी चूत का अनुमान लगाना आसान था. उन्होने मुझसे पूछा “क्या तुमने अपनी चूत के बाल शेव किए हैं?” मैने शर्मा कर केवल मंडी हिलाई. तब वे बोले, “नंगी चूत वो भी तुम्हारी, मेरी जान गजब रहेगी.”,


ये कहकर उन्होने मुझे नीचे चूमा. मैंभी उछलकर उन्हे कहने लगी, “अब बासभी कीजिए तारीफ करना.” “क्या कारू, एक ही चीज़ तारीफ के काबिल होती तुम्हारी तो कबका चुप हो जाता मैं, पर तुम तो उपर से नीचेतक बेमिसाल हो. काश तुम मेरी ज़िंदगी मे पहले आती???????” ये कहते हुए वे मुझे नीच चूत पर चूमते रहे और मैं उन्हे रोकने की कोशिस मे लगी रही. और भी हजारो कहानिया है मस्तराम डॉट नेट पर | 


उस रात उन्होने मुझे जमके चोदा और मैने भी उन्हे पूरा सहयोग दिया. बहुत मज़ा आया. पूरी रात हम सेक्स का मज़ा ले रहे थे, दोनो पूरी तरह जैसे जन्मो जन्मो से भूखे थे.(वैसे सेक्स की भूख थी इसीलये हमने ये कदम उठाए थे.) मेरे कहने के अनुसार उन्होने एक भी बार मेरी चूत मे स्पर्म शूट नही किया केवल मेरे बूब्स पर और नाभिपर उसका वर्षाव होता रहा रातभर. पर इससे मैं काफ़ी संतुष्ट थी. 


आख़िरकार हम सुबेहके 6:30 के आस पास सो गये. ससुर जी ने अपने कपड़े पहने और चोरी छुपे अपने बेडरूम मे प्रवेश किया (सासुमा को बिना खबर लगते) और चुप चाप सो गये. मैं तो पूरी तरहसे थक गयी थी, इसलिए मैं नंगी ही सो गयी, सिर्फ़ बदन एक वाइट बेडशीतसे ढका था कहने के लिए | सुबह जब आँख खुली (9:30 के आस पास, वो भी सासुमा ने आवाज़ लगाई थी) इसलिए मैं गड़बड़ा कर उठी. 


अपने आपको निवस्त्र देख मैं शरम चूर हुई और जल्दी जल्दी कपड़े पेहेन्ते मैने सासू माको “आ रही हूँ माजी” कहकर उनके बेडरूमकी ओर भागी. माजी को भूख लगी थी इसलिए मैने जल्दी जल्दी नाश्ता बनाया और उसे लेकर उनके बेडरूम में पहुच गयी. उनको खिलाते वक़्त ससुर जी सोए हुए थे, मैं उन्हे पीठ कर (सही माइने कहने को गांड उनकी ओर कर बेडपर बैठी थी) और माजी को खिला रही थी. तब मुझे अचानक से कोई मेरी गांड सहला रहा है


तब समझी कि ससुर जी जाग गये थे और वे मेरी गांड के उपारसे हाथ घूमा रहे थे. माज़ी को ये सब नही दिख रहा था उसीका ससुर जी पूरा फयडा उठा रहे थे और मुझे तंग कर रहे थे. जल्दी जल्दि से माज़ी को खिलाकर मैने वहा से बाहर निकली, मेरे पीछे पीछे ही ससुर जी आए और मुझे किचन मे प्रवेश करने के पहले मुझे पकड़ा.


मैं उनके चंगुल से छूटने की कोशिश कर रही थी तब उन्होने अपनी ग्रिप और मजबूत करली और मेरे गांड में अपना डंडा घुसेड़ते हुए कहा “अब कहाँ जाओगी मेरी जान? गांड जो फसि है इस लंड के शिकंजे मैं.” मैं हंस पड़ी. तब उनका हाथ मेरी कमर पर घूमने लगा और धीरे धीरे बूब्स को दबाने मे वे जूट गये. मैं बोली, ” क्यूंजी थोडा सबर तो कीजिए. कम से कम ब्रश तो कर लीजिए.तब तक मैं आपका नाश्ता लगाती हूँ.” 


तब मुझे उन्होने एक किस दी मेरे होंठो और मुझे छोड़ दिया. ब्रश करने के बाद मैं उनका नाश्ता टेबल पर ले गयी. उसे देख वे बोले, “मुझे ये नही चाहिए नाश्ते मैं.” मैने पूछा,”फिर क्या लोगे आप नाश्ते मे?” मेरा सवाल पूरा होताही नही कि उन्होने मुझे अपनी ओर खींचा और कहा, “आज मुझे तुम्हे ही खाना है, नाश्ते मे, लंच मे और डिन्नर मे भी. प्यास लगी तो तुम्हारे बूब्स काम आएँगे.” मैं बोली,”मस्ती सब बादमें करना माजी सुन लेंगी.” ये कहकर मैं उनसे दूर हुई.


नाश्ता करनेके बाद उन्होने फिर मौका ढूँढा और मुझे बाहों में भर लिया. अब वो सेफ जगह थे, हमारी किचन मे जहाँ से ना कुछ दिखता है नही कुछ सुनाई देता है उनके बेडरूमसे. किचन मे भी उन्होने मुझे पीछेसे पकड़ लिया, उनका लंड मेरी गांडमें सही जगह बनाकर तैनात खड़ा था. 


गांड के इस ‘द्वार प्रवेश’ की वजह से मैंभी अपने होश खो बैठी थी.मेरी ना सुनते हुए वो मेरी साड़ी को पीछेसे उठाने लगे. मैने अंदर कुछभी पहना नही था, इस लिए मेरी गांड का दर्शन उन्हे हुआ. उसे उन्होने एक चाँटा मारा और कहा, “बहुत भागती है तुम्हारी ये गांड. आज इसिको सज़ा दूँगा.” 


मैं घबरा गयी और तुरंत अपनी गांड को उनसे घूमाते हुए उनसे कहा, “प्लीज़ इसे सज़ा मत दीजिए. मेरी गांड आपके मोटे लंड को नही समा सकेगी.” ये कहते वक़्त मेरे आँखोसे आसू बहने लगे. मेरी रोती सूरत देख वे बोले, “मेरी जान डरो नही तुम जैसा कहोगी वैसे ही होगा. पूरा मज़ा लेंगे वो भी हम दोनो.”


उनकी यही समझ दारी मुझे ज़्यादा भाती और मैं उन्हे अपना संपूर्ण बदन समर्पित कर देती. तेज़ीसे वे मेरी चूत को चाटने लगे और मैं बेकाबू होते गयी. आख़िर में मैने उनसे कहा, “चोदिये मुझे, ना चोदिये इस रांडी को आपके तड़पाते हुए.” वे बोले, “रांडी मत कहो मेरी जान अपने आपको. तुम तो मेरी सही माइने मैं मेरी अर्धांगिनी हो.”


ये कहकर उन्होने मुझे जमके चोदा और वीर्यपतन पहली बार मेरे मूह मे किया. बहुत आनंद दाई क्षण था वो. मुझे उन्होने ‘अर्धांगिनी’का दर्जा तो ज़रूर दिया था पर समाज में और सासुमा के सामने मेरा क्या होगा इस रिश्ते का खुलासा होने पर? इसी परेशानी से मैं आज-कल बेचैन रहती थी. पर ससुर जी के साथ सेक्स करने पर मेरी सारी परेशानियाँ दूर होती क्योंकि मैं शारीरिक रूपसे अब संतुष्ट रहने लगी थी.

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