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घर की खूबसूरत नौकरानी की चुदाई

दोस्तों मै सुमित आज मजेदार कहानी बता रहा हु जो की मेरे साथ हुयी वैसे कहानी पढने से पहले आप लोग यह जान ले की मै बहुत खुले विचारो वाला आदमी हूँ और सेक्स के मायने में तो और भी खुला हु मै किसी लड़की से सेक्स कर लू तो मेरी बीवी कभी बुरा नहीं मानती और अगर मेरी बीवी किसी के सेक्स कर ले मै भी बुरा नहीं मानता क्युकी दोस्तों आप लोगो के एक बात पता होना चाहिए अमेरिका भारत से क्यों इतना आगे क्युकी अमेरिका वाले काम को दिमाग में और लंड को चूत में डाल के रखते है और भारत वाले चूत को दिमाग में और काम को लंड पर रख कर चलते है अगर आपको प्रूफ चाहिए तो आप ले लीजिये ओलम्पिक खेल को ही अभी तक एक भी मैडल अपने भारत को नहीं मिला नंबर एक पर अमेरिकन है |

 

तो दोस्तों बदल जाईये और चुदाई करने के लिए आप वेश्यालय जा कर चोद कर अपनी इच्छा पूरी कर लीजिये पर किसी बेचारी लड़की के साथ जबरदस्ती कभी ना कीजिये जो की हमें अमेरिका वालो से सिखना चाहिए एक बात और अपने अभी तक साल में १ या २ रेप केस अमेरिका में सुनते होगे लेकिन अपने देश को ले लीजिये मुझे लगता है रोज हजारो लडकिया बेचारी बलात्कार की शिकार होती सो दोस्तों आप अभी से अपनी सोच बदलो देश बदलेगा |

 

हम सभी मिलकर अगर अपने दिमाग से ये सब ख्याल निकल दे तो हमें अमेरिका से आगे जाने में १ साल से ज्यादा का वक्त नही लगेगा | बाते बहुत हो गयी चलिए अब कहानी पर चलता हूँ दोस्तों अभी मुंबई में मेरी पोस्टिंग कुछ महीने पहले ही हुई थी, मैं और मेरी बीवी नताशा एक फ्लैट में रहते थे। मेरी नौकरी ऐसी थी कि मुझे खाली टाइम में इन्टरनेट पर काम करने से ८-१० हजार एक्स्ट्रा इनकम हो जाता था | नताशा मुझे ठीक से सेक्स नहीं करने देती थी।

 

हमारी नौकरानी का नाम जैनब था, उसकी उम्र ३२ साल के करीब होगी, वह हमारे यहाँ 3 महीने से काम कर रही थी, चूचियाँ उसकी तनी हुई और थोड़ी बड़ी-बड़ी संतरे जैसी थीं। अक्सर मैं अपनी बीवी से नज़र बचाकर, जब वो मेरे कमरे में पौंछा लगाती थी तो उसके ब्लाउज से झांकती हुई चूचियों का मज़ा लेता था। एक दो बार उसने मुझे मुस्कुरा कर देखा भी था और हल्की सी मुस्कुराहट भी दी थी।

 

एक दिन मेरी बीवी नताशा नीचे बाज़ार से कुछ सामान लेने गई वो मेरे कमरे में पौंछा लगाने आई और अंगड़ाई लेकर बोली- साहबजी, आज गर्मी बहुत हो रही है !

 

और उसने अपने ब्लाउज के तीन बटन खोल लिए। नीचे ब्रा वो नहीं पहने थी पूरी चूचियाँ एकदम से बाहर आ गईं। चुचूक आधे से ज्यादा बाहर थे। पौंछा लगाते लगाते वो मुस्कुरा रही थी। जैनब मुस्कुरा कर बोली- बाबू, आप मुझे 200 रुपए दे दो | दोस्तों आप यह कहानी मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे है | मेरा लौड़ा पूरा टनटना रहा था, मैं बोला- ठीक है, लो ! और मैं उसे रुपए देने लगा तो उसने जानबूझ कर अपना पल्लू नीचे गिरा दिया। पूरी नंगी होती चूचियाँ मेरी आँखों के सामने थी।

 

जैनब कामुक मुस्कान दे रही थी, मेरे से रहा नहीं गया, मैंने उसकी चूचियाँ दोनों हाथों से दबा दीं। इतने से उसका आखिरी बटन भी खुल गया। अब पूरी नंगी चूचियां मेरे सामने थी। मैंने कस कर दो तीन बार उन्हें मसल दिया।

 

जैनब मुझे हटाती हुई बोली- बीबी जी आने वाली हैं, जब मायके जाएँ तब पूरे मज़े ले लेना ! आप मुझे बहुत अच्छे लगते हो।  दोस्तों आप यह कहानी मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे है |

 

इतना कह कर उसने हल्के से मेरा लण्ड सहला दिया और मेरे होंटों पर एक पप्पी दे दी।

 

दो हफ़्ते बाद ही मेरी पत्नी को दस दिन के लिए अपने घर जाना पड़ा। अब मैं घर में इतने दिन अकेला था। मेरे मन में जैनब को चोदने का ख्याल पलने लगा।

 

सुबह सात बजे वो आती थी। बड़ी मुश्किल से मुझे रात में नींद आई।

 

सुबह छः बजे दरवाजे की घंटी बजी। मैंने दरवाज़ा खोला तो सामने जैनब मुस्कुरा रही थी।

मैंने उसके अन्दर घुसते ही दरवाज़ा बंद कर दिया और पीछे से उसकी चूचियाँ पकड़ लीं।

जैनब हँसते हुए बोली- साहबजी, क्यों परेशान होते हो, आज तो पूरा मज़ा ले लो ! भाभीजी बाहर हैं इसलिए ही जल्दी आई हूँ।

हम दोनों कमरे में आ गए हँसते हुए उसने अपना ब्लाउज उतार दिया ब्रा में बंद दोनों चूचियाँ मेरा लण्ड खड़ा कर चुकी थीं।

उसने कामुक अंगड़ाई ली और बोली- ब्रा का हुक खोलो ना !

मैं पगला रहा था, मैंने उसे बाँहों में भरा और उसकी ब्रा का हुक खोल कर पलंग गिरा दिया। उसकी दोनों बड़ी बड़ी संतरे जैसी चूचियाँ बाहर आ गई थीं जिन्हें मैं पागल की तरह दबाने लगा।

कहानी जारी है …. 

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