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जाड़े के मौसम में खेत में चुदाई (Jaade ke mausam me khet me chudai )

जय हो मेरे बड़े लंड वाले दोस्तों मुझे पता है अप सब चुदाई के प्यासे लोग रोज़ सुबह एक चूत की जुगाड़ में निकलते हो | मैं भी वही इंसान हूँ जो चूत के लिए यहाँ वहां भटकता रहता है पर कोई मिलती ही नहीं | मुझे नहीं पता था की कब मुझे चूत मिलेगी और कब में उसे चोद पाउँगा पर मैं इतना जानता था कि मुझे कुछ न कुछ करके चूत हासिल करनी है | मेरा नाम चूत का आशिक है और लोग मुझे प्यार से चोदेला भी बुलाते हैं | मैंने जिंदगी में न तो कुछ सोचा था और न ही कुछ ख़ास कर पाया था क्यूंकि मेरी मंजिल कहीं और थी और मैं किसी और चीज़ के लिए ही बना था | मुझे अच्छे से याद है जाड़े का मौसम था और मैं भी मस्त अपने खेत की झोपडी मैं बैठा था | मुझे बहुत ठण्ड लग रही थी और मेरा कम्बल भी फटा हुआ था | मैंने सोचा चलो चल के कुछ लकड़ियाँउठा लेता हूँ फिर आग जला लूँगा और उसके बाद आराम से उसकी गर्मी में सो जाऊंगा | मुझे लग रहा था कितनी जल्दी सुबह होगी और मैं नहाकर अपने घर वापस जाऊँगा |

 

मैंने आग जलाली और कम्बल डाल के वहां पर लेट गया | मुझे कुछ अजीब सा लग रहा था और मुझे चुदाई के ख्याल भी आ रहे थे तो मैंने एक बार मुठ मारा और सो गया | जैसे ही सुबह नींद खुली सुबह हो चुई थी और मेरा बदन अभी भी गर्म था | दोस्तों हमारे गाँव में बहुत बरफ़ पड़ती है और कई बार तो लोग ठंड से दम तोड़ देतें है | मुझे नहीं पता था की ऐसा भी कुछ मेरे साथ हो सकता है पर मैं यही सोच रहा था काश मेरी बीवी होती तो मुझे आग जलने की ज़रुरत ही नहीं पड़ती | पर मेरी किस्मत इतनी अच्छी कहाँ थी की मुझे कोई चूत मिल जाये और मैं उसे चोद लूँ | मेरा लंड काफी बड़ा गाँव की कई लड़किओं ने देखा और वो उसे पसंद भी करती हैं कई भाभियों ने तो इसको चूसा भी है पर चूत में डालने नहीं दिया | भला ऐसा भी कही होता है कि लंड को पहले सहलाओ फिर उसका माल निकालो और दोबारा खड़ा करके अकेला छोड़ दो |

 

काफी समय बीत गया था और मेरे खेत में अब फसल भी होने लगी पर इस इलाके में ठण्ड साल भर रहती थी तो लोग यहाँ चुदाई के भूखे ही थे | एक बार की बात है मैंने अपने खेत पे कार्म करने के लिए चार लोगो को बुलवाया और उनमे से एक औरत भी थी | वो सब अच्छे से काम करते थे और चूँकि उस औरत का कोई घर मकान नहीं था तो वो रात को खेत की झोपडी में ही सोती थी और आग जलाकर वहीँ खाना बनती थी | मैंने सोचा अब तो फसल हो गयी है और कोई नुक्सान न करे इसलिए मुझे भी वहां रुकना चाहिए | मैंने उस औरत से कहा कि अगर मैं रात को यहाँ रुकूँ तो तुमने कोई दिक्कत तो नहीं है | उसने कहा जी बिलकुल भी नहीं है आपका अपना खेत है आप चाहे यहाँ रहे या कहीं भी मुझे क्या दिक्कत होगी | मैंने उसके लिए एक अलग चारपाई डाल दी और उसने कहा आपके पास कोई कम्बल होगा क्या | मैंने कहा हाँ है तो पर थोडा फटा है पर हम रात में आग जला लिया करेंगे | वो मान गयी और उसने कहा ठीक है क्यूंकि ठंड बहुत है और अगर बीमार हो गयी तो काम नहीं कर पाऊँगी जिससे मेरा घर चलता है | वो दिखने में उठनी अच्छी नहीं थी पर चूत तो थी उसके पास और मुझे बस वही तो चाहिए थी |

 

अब रोज़ रात को मैं आग जलाता और हम लोग थोड़ी देर बात करते और फिर सो जाते | ऐसा ही चला हमारे साथ कुछ दिन तक फिर मैंने सोचा क्यूँ न मैं इसको थोड़े ज्यादा पैसे दूँ तो शायद ये अपनी चूत देने को तैयार हो जाए | मैंने सोच लिया था आज जब केट पे सोने जाऊँगा तो उससे बात करूँगा इसके बारी में | मैं खेत पर गया और वो आग जलने की तैयारी कर रही थी | मैंने उससे बात करना चालू किया और पूछा कितना कम लेटी हो महीने का | उसने कहा बाबूजी तीन हज़ार तो कम ही लेती हूँ और इससे मेरा घर भी चल जाता है | मैंने कहा अगर मैं तुम्हे एक हज़ार रूपया बाधा के दूँ इस बार तो मेरा काम करोगी क्या | उसने पुछा क्या काम है बाबूजी ? मैंने कहा देखो मेरा लंड बहुत बड़ा है पर उसे चूत नहीं मिली आज तक तुम अपनी चूत चुद्वओगी |

 

उसने कहा हाय राम !!!! ये क्या कह रहे हो आप मैं ऐसा नहीं करुँगी | मैंने कहा अच चलो दो सौ रुपये और दूंगा अब तो करोगी न | उसने कहा पहले दिखाओ कितना बड़ा है आपका लंड | मैंने अपना नाडा खोला और पायजामा नीचे करके उसको अपना लंड दिखाया तो उसने कहा काफी बड़ा है | मैंने कहा अब तो लोगी उसने कहा हाँ | फिर मैंने आग जलाई और उसको बाँहों में भर के बैठ गया आग के सामने और पूछा कितना चुद लेटी हो अपने पति से | उसने कहा बाबूजी कई बार पर अभी दो महीने यहाँ तो मेरी चूत बिलकुल प्यासी हो जाती है | मैंने कहा अब मत चिंता करो मैं तुम्हरी चूत को दो महीने तक गीला ही करता रहूँगा | उसका बदन बिलकुल गठीला था और उसके दूध काफी मस्त थे | मैंने उसके ब्लाउज के ऊपर से ही उसके दूध को बाना शुरू किया और वो मचलने लगी | फिर उसने कहा बाबूजी आज चोदना मत बाकी जो करना है मेरे दूध के साथ करलो |

 

मैंने कहा क्यूँ आज क्यूँ नहीं उसने कहा मेरी छोट में जंगल बन गया है उसको साफ़ करके कल से आपसे चुदवाउंगी | मैंने कहा ठीक है फिर मैं उसके दूध जोर से दबाने लगा और वो भी अपने हाथ से मेरा लंड मसल रही थी | फिर मैंने उसके दूध को ब्लोसे से आजाद किया और कहा लाओ ज़रा चखे इनका स्वाद | उसके दूध भरे हुए थे जैसे ही मैंने मुह में लिया तो छलक गये | ऐसा लग रहा था जैसे किसी गाय का थान हो | दो घंटे तक चूस चूस के मैं उसका सारा दूध पी गया था और अब उसके मम्मे ढीले पद गये थे | उसकी चूत भी गीली हो गयी थी मैंने सोचा देखूं तो ज़रा कितना घाना जंगले है इसकी चूत में | मैंने एक ऊँगली नीचे डाली और वो मेरा लंड हिला ही रही थी | मैंने जैसे ही ऊँगली डाली सिर्फ बाल ही बाल में मेरी ऊँगली फस गयी | पर उसने इतना माल गिराया था कि उसकी जांघे तक गीली हो गयी थी | मतलब इसकी चूत चोदने के लिए एक दम सही थी | फिर उसने मेरा लंड जोर जोर से हिलाया और आखिर में मेरा माल ज़मीन पे गिरा दिया और मुझे शान्ति मिल गयी | पर मैंने रात भर उसका दूध पिया और उसके निप्पल को बिलकुल निचोड़ कर रख दिया था |

 

अगले दिन मैं सुबह सुबह  सो कर उठा तो देखा वो नहा रही है और मैं भी उसके पास चला गया | मैंने देखा उसकी चूत पे इतने बाल थे कि उसकी चूत बिलकुल भी नहीं दिख रही थी | मैं उसके पास जेक नंगा हो गया और उससे कहा लाओ तुम्हे नेहला दूँ तो उसने कहा रुको पहले चूत के बाल साफ़ कर लूँ | फिर उसने अपनी चूत को एकदम चिकना कर दिया और उसकी चूत देखके मेरा लंड एक दम से खड़ा हो गया | मैंने कहा चलो हम दोनों एक दुसरे को नहलाते हैं | उसने कहा ठीक है और मैंने उसके दूध पे साबुन लगाके मलना व्चालू किया और वो मेरे लंड को मल रही थी | फिर मैंने हाथ धोकर एक ऊँगली उसकी चूत में डाली और मुझे लगा की टाइट है इसकी चूत अभी तक | मैंने धीरे धीरे चूत के दाने को मसलना शुरू किया और वो ऊऊन्न्ह्ह ऊऊऊऊईईईईइमा आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् ऊऊम्म्म्म्म्म् आह्हह्हह्हह्हह ऊऊऊऊऊऊऊऊऊओ ऊऊन्न्ह्ह ऊऊऊऊईईईईइमा आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् ऊऊम्म्म्म्म्म् आह्हह्हह्हह्हह ऊऊऊऊऊऊऊऊऊओ ऊऊन्न्ह्ह ऊऊऊऊईईईईइमा आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् ऊऊम्म्म्म्म्म् आह्हह्हह्हह्हह ऊऊऊऊऊऊऊऊऊओ करने लगी |

 

उसने मेरा मुठ गिरवा दिया और उसके बाद लगा मेरे हाथ पे कुछ गरम गरम सा गिरा मैंने देखा की उसने अपना माल चोद दिया और मूत भी दिया मेरे हाथ पे | अब मैं रात का इंतज़ार करने लगा और वो भी | जैसे ही रात को मैं खेत पे पहुंचा मैं सीधा उसपे चढ़ गया और उसके कपडे फाड़ के उसके निप्पल को तबियत से चूसने लगा उसकी चूत से रस बहने लगा था | वो कह रही थी बाबूजी अपना लंड पिलाओ मुझे | मैंने कहा लो पीलो मन भर के | उसने करीब आधे घंटे मेरा लंड चूसा और दो बार झडवा दिया फिर मैंने उसकी चूत को चाट चाट के साफ़ किया और वो ऊऊन्न्ह्ह ऊऊऊऊईईईईइमा आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् ऊऊम्म्म्म्म्म् आह्हह्हह्हह्हह ऊऊऊऊऊऊऊऊऊओऊऊन्न्ह्ह ऊऊऊऊईईईईइमा आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् ऊऊम्म्म्म्म्म् आह्हह्हह्हह्हह ऊऊऊऊऊऊऊऊऊओऊऊन्न्ह्ह ऊऊऊऊईईईईइमा आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् ऊऊम्म्म्म्म्म् आह्हह्हह्हह्हह ऊऊऊऊऊऊऊऊऊओ करके मचलने लगी | मैंने अपना लंड उसकी चूत में एक बार में अन्दर किया और वो चिल्लाने लगी | जब मेरा लंड उसकी चूत से टकरा रहा था पूरी चूत में तालियाँ बज रही थी | दो महीने तक मैंने उसे तबीअत से चोदा था और वो भी अब मेरे लंड की प्यासी हो गयी थी

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