अन्तर्वासना के
पाठकों को मेरा नमस्कार! मेरा नाम रुचित है और मैं दिल्ली का रहने वाला हूँ. मेरी
उम्र 26 साल है और मैं एक सरकारी कर्मचारी हूँ. मैं पिछले 3 साल से भोपाल में
कार्यरत हूँ. आपको अपने बारे में इससे ज्यादा खुलकर नहीं बता सकता. मेरे परिवार
में माता-पिता के अलावा मेरी दो बहनें और एक बड़ा भाई है, मेरी दोनों बहनें मुझसे छोटी हैं. एक की उम्र 23 साल है और
दूसरी की 20 साल है.
ये बात करीब डेढ़
साल साल पहले की है, मेरी छोटी बहन,
जिसका नाम मालिनी है, उसने अपनी बारहवीं पास की, उस वक्त उसकी उम्र 18 साल से ऊपर थी. उसका रिजल्ट बहुत
अच्छा नहीं आया था, तो उसे किसी
अच्छे कॉलेज में दाखिला नहीं मिला. इस बात को लेकर मालिनी ने मुझे फ़ोन किया और
मुझसे सुझाव लेने लगी कि उसे क्या करना चाहिए.
मैंने उससे कहा-
तुम जे बी टी कर सकती हो, मैं आसानी से
भोपाल में तुम्हारा दाखिला करवा दूंगा.
मेरी बात सुनकर
मालिनी बहुत खुश हुई और भोपाल आने की तैयारी करने लगी. मैंने भी पिछले 2 साल से
अपनी बहन को सिर्फ तस्वीरों में देखा था. मैंने अपने माता-पिता को समझा दिया और
उन्हें मना लिया.
दाखिले एक महीने
बाद से शुरू होने थे लेकिन मालिनी ने तुरंत आने की जिद की, जिसे मैंने मान लिया. अगले शनिवार को मालिनी को आना था.
मैंने अपने मकान मालिक को मालिनी के बारे में कुछ नहीं बताया, मैंने सोचा जब मालिनी आ जाएगी तब बता दूंगा,
वर्ना वो मकान किराए को लेकर ड्रामा करेंगे. तय
वक्त के मुताबिक़ मालिनी शनिवार की सुबह आने के लिए ट्रेन में शुक्रवार बैठ गयी.
शनिवार की सुबह
मैं भी नहाकर स्टेशन पर पहुंच गया और मालिनी का इन्तजार करने लगा. आठ बजे ट्रेन
पहुंच गयी, चूँकि मैंने पिछले 2
सालों से मालिनी को सिर्फ तस्वीरों में देखा था, इसलिए मैं भी काफी उत्साहित था. जैसे ही मालिनी ट्रेन से
उतरी, मैं उसे देखता ही रह गया.
करीब 5 फुट 5 इंच की लम्बाई और 34सी के चूचों के साथ मालिनी 23-24 साल की लड़की लग
रही थी. मालिनी ने उस वक्त टी-शर्ट और लोअर डाला हुआ था. उसको देखते ही मेरा लौड़ा
खड़ा हो गया और मेरे दिमाग में शैतानी आने लगी.
मैंने मालिनी को
अपनी कार में बैठाया और अपने घर की तरफ चलने लगा. मैंने मालिनी से कहा कि मेरा
मकान मालिक बहुत सख्त है और वो किसी और को मेरे घर में रहने की परमिशन नहीं देगा.
इससे बचने के लिए मैंने उसे बोल दिया कि मेरी पत्नी आ रही है.
इस पर मालिनी
हैरान हो गयी और बोली- मैं आपकी बहन हूँ.
मैंने मजबूरी का
हवाला दिया और कहा कि जल्दी ही मैं नया कमरा देख लूँगा.
तब जाकर मालिनी
खामोश हुई, लेकिन पूरे रास्ते वो मन
ही मन हंस रही थी. मैंने भी सोचा चलो पहली परेशानी तो दूर हुई. रास्ते में मैंने
कार एक पेट्रोल पंप पर रोकी और अपने मकान मालिक की बीवी, राखी आंटी को फ़ोन करके कहा कि मेरी पत्नी आ रही है.
आंटी ने हैरानी
जताई और बोलीं- तुमने कभी बताया नहीं कि तुम्हारी शादी हो चुकी है.
मैंने बस हंस कर
कह दिया- आपने कभी पूछा ही नहीं.
वो बोलीं- चलो
अच्छा है कि अब वो तुम्हारा घर संभाल लेगी.
कुछ ही देर में
हम घर पहुंच गए, जैसे ही हम घर
में घुसने लगे, पीछे से आवाज आई
तो देखा कि मकान मालकिन हाथ में चावल से भरा लोटा लेकर खड़ी थीं. ये सब देखकर
मालिनी हंसने लगी.
मैंने मालिनी से
कहा- किसी की भावनाओं का मजाक नहीं उड़ाते.
मालिनी ने अपने
सीधे पांव से लोटे को गिराया और अन्दर घुसी.
राखी आंटी ने
कहा- बेटी, अब तुम्हारी शादी हो चुकी
और तुम्हें अपने पति से आशीर्वाद लेना चाहिए.
मालिनी के पास
कोई आप्शन नहीं था, वो मेरे पास आई
और एक पत्नी की तरह मेरे पांव छुए.
आंटी ने कहा-
बेटी अब तुम आ गयी हो, तो ये रुचित भी
संभल जाएगा और सिगरेट और शराब की आदत छोड़ देगा.
यह कहने के बाद
आंटी चली गईं.
इतने ड्रामे से
मालिनी परेशान नहीं हुई बल्कि हंसने लगी. मैंने भी सोचा चलो दूसरा काम भी हो गया
और सब कुछ प्लान के मुताबिक़ चल रहा है और अच्छा ही हुआ कि आंटी ने मेरे सिगरेट और
शराब की बात बोल दी.
मैंने गेट बंद
किया और अपनी जेब से एक सिगरेट निकाली और कश लेने लगा. मालिनी मेरी तरफ अजीब से
भाव से देख रही थी जैसे कह रही हो कि वो भी सिगरेट के कश लेना चाहती है, मगर शायद उसकी हिम्मत नहीं हुई.
दोपहर को आंटी
खाना लेकर आ गईं, उस वक्त हम दोनों
सो रहे थे. मालिनी ने उठ कर दरवाजा खोला, उस वक्त उसके बाल फैले हुए थे. मालिनी को ऐसे देखकर आंटी हंसने लगीं.
मैंने आंटी से
पूछा- क्या हुआ?
तो आंटी जी
बोलीं- लगता है आते ही पहला राउंड ले लिया तुमने मालिनी के साथ, कम से कम आज तो आराम करने देते.
ये सुनकर मालिनी
शरमा गयी और खाना लेकर रसोई में चली गयी. आंटी वहीं खड़ी रहीं और बोलीं- कल एक व्रत
है, जिसे सुहागन औरतें अपने
पति के लिए रखती हैं और अब चूँकि मालिनी भी यहीं है, तो उसे भी रखना है.
मैं वहीं से
मालिनी को देख रहा था, उसे व्रत के नाम
से चिढ़ है.
मैंने आंटी जी को
बोल दिया कि मालिनी जरूर रखेगी. आंटी जी के हाथ में एक पोलीथिन थी, उसमें से उन्होंने एक साड़ी निकाली और बोलीं कि
ये मालिनी के लिए है. ब्लाउज आदि वो अपने हिसाब से काट-छांट कर लेगी और पहन लेगी.
आंटी के जाने के
बाद मालिनी गुस्से में मेरे पास आई और बोली कि ये बहुत दखल दे रही है, ऐसे तो मुझे सच में तुम्हारी पत्नी बनकर रहना
होगा.
मैंने उससे कहा
कि कुछ दिन संभाल लो, मैं दूसरा कमरा
देख लूँगा.
इस पर मालिनी मान
गयी क्योंकि वो वापिस दिल्ली नहीं जा सकती थी. वहां उसे इतनी आजादी भी नहीं थी.
अगले दिन आंटी जी
सुबह ही आ गईं, उन्होंने दरवाजा
बजाया, जिससे मेरी आंख खुल गयी.
मैंने देखा कि मालिनी अपने कमरे में नहीं थी, मैंने दरवाजा खोला. इतने में मालिनी रसोई में से निकलकर आई.
उसने आंटी की दी हुई साड़ी पहन रखी थी और उसमें वो क़यामत लग रही थी.
मालिनी मेरे पास
आकर खड़ी हो गयी, मालिनी को देखकर
आंटी बोलीं- लगता है पूरी रात बहुत मजा दिया है, बहू को अपने वश में कर लिया है.
मैंने भी सोचा
मौका है, मैंने मालिनी को बांहों
में लिया और कहा- मालिनी तो मेरी जान है.
आंटी ने मेरे
गालों पर एक हल्का थप्पड़ मारा और मुझे अलग किया.
आंटी बोलीं- तुम
दोनों बहुत शैतान हो.
इसके 2 घंटे बाद
मालिनी पूजा करके आ गयी और आते ही एक अच्छी पत्नी की तरह उसने मेरे पैर छुए.
मैंने कहा- तुम
बहुत सुन्दर लग रही हो, काश सच में तुम
मेरी पत्नी होती, तो मैं तुम्हें
रानी बना कर रखता.
मालिनी खुल कर
बोली- भोपाल में तो मैं तुम्हारी पत्नी ही हूँ, अब जब तक हम भोपाल में हैं. पति-पत्नी की तरह रहेंगे और मैं
भी तुम्हें पसंद करती हूँ.
मैंने हैरानी से
कहा- क्या … तुम्हें कोई
ऐतराज नहीं है?
मालिनी बोली-
ऐतराज होता तो मैं पहले ही नहीं आती क्योंकि मैंने तुम्हारी और आंटी की बातें सुन
ली थी. जब तुम आंटी से फ़ोन पर बातें कर रहे थे.
मैंने मालिनी को
बांहों में भरा और उसके होंठों पर एक जोरदार चुम्बन दिया. मैंने मालिनी को गोद में
उठाया और अपने बिस्तर पर कर दिया.
क्योंकि उसने लाल
साड़ी पहन रखी थी तो मैंने कहा- आज हमारी सुहागरात है और आज से मेरी हर चीज पर
तुम्हारा हक है.
मैंने हल्के से
उसकी साड़ी उतारी. अब मालिनी खुद को मेरी पत्नी मान चुकी थी, तो वो मेरा पूरा साथ दे रही थी. मैंने भी अपनी टी-शर्ट और
पजामा उतारा और फिर अपना अंडरवियर उतार कर अपना लौड़ा मालिनी के सामने कर दिया.
मेरा 7 इन्च
लम्बा और 3.5 इंच लौड़ा देखकर मालिनी सहम गयी. फिर हंसते हुए बोली- अब से इस फौलादी
लौड़े पर मेरा हक है.
मैंने कहा- हां
जानेमन, अब से ये लौड़ा तुम्हारी
चूत की गुलामी के लिए हमेशा तैयार रहेगा.
फिर मैंने मालिनी
का ब्लाउज उसके बदन से अलग किया और उसने लाल ही कलर की ब्रा पहन रखी थी, मैं समझ गया कि मालिनी ने पहले से ही सब प्लान
कर रखा है. मैं ब्रा के ऊपर से ही उसके दूध पीने लगा, मालिनी मेरे लौड़े से खेलने लगी. मेरे लौड़े को ऊपर नीचे
घुमाने लगी. मैंने इतने में उसका पेटीकोट भी अलग कर दिया और उसको ब्रा-पेंटी में
कर दिया. मैंने उसको पकड़ा और उसकी पेंटी भी उतार दी और उसकी चूत को चाटने लगा.
चूत पर मेरी जीभ
पाते ही मालिनी सिहर गयी. शायद थोड़ी देर पहले ही उसने मूता था, उसकी पेशाब की गंध अभी तक थी, लेकिन मैंने चाटकर उसकी चूत को गीला किया.
मेरी बहन अब पूरी
तरह गर्म हो चुकी थी, उसने लपक कर मेरा
लौड़ा पकड़ लिया और उसे चाटने लगी. वो एक अनुभवी औरत की तरह सब कर रही थी. मैं भी
अपनी छोटी बहन की चूत चाट रहा था. हम दोनों 6-9 की पोजीशन बनाये हुए थे और एक
दूसरे को चाट रहे थे.
करीब 10 मिनट
एक-दूसरे को चाटने के बाद मेरी बहन मेरा लौड़ा चूत में लेने को तैयार थी, मैंने मालिनी को लिटाया और उसकी गांड के नीचे
एक तकिया रख दिया. फिर उसकी चूत के दरवाजे पर अपना लौड़ा सैट किया और एक हल्का झटका
दिया.
मालिनी के मुँह
से एक हल्की सी आवाज निकली, तब मुझे लगा कि
मालिनी लौड़ा सहन कर लेगी, इसलिए मैंने एक
तेज झटका मारा और अपना आधे से ज्यादा लौड़ा उसकी चूत में पेल दिया.
मालिनी के मुँह से
एक तेज चीख निकल गयी, वो चिल्लाने लगी
और साथ में गालियां बकने लगी- बहनचोद, अपनी बहन पर रहम कर, उम्म्ह… अहह… हय… याह… इतना मोटा लौड़ा मेरी चूत में पेल दिया. पहले
दिन तो रहम करता, अब तो अगले 2 साल
तक मैं तेरी रंडी हूँ, जब मन करे तब चोद
दियो, आज तो छोड़ दे. इतना दर्द
तो तब भी नहीं हुआ था, जब बड़े भैया ने
मुझे चोदा था.
यह सुनकर मैं समझ
गया कि मेरे बड़े भैया मोहित पहले ही मालिनी को चोद चुके हैं. मालिनी शायद दर्द के
मारे बोल गयी. इसके बाद मेरे मन में बची-खुची शर्म भी चली गयी. मैंने सोचा जब पहले
ही मोहित भैया चोद चुके हैं, तो मैं क्यों
पीछे रहूँ.
मैंने अपने झटके
चालू रखे और करीब बीस मिनट की चुदाई के बाद हम दोनों अलग हुए.
इस तरह हम भाई
बहन ने सुहागरात मनायी. इस चुदाई के बाद मालिनी और मैं अब पूरी तरह खुल चुके थे.
आपको भाई बहन की सुहागरात की कहानी कैसी लगी, उसके लिए कमेंट्स कीजिये.
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