मेरा नाम चाँदनी
है मैं मध्य प्रदेश की रहने वाली हूँ, यह मेरी पहली रियल सेक्स स्टोरी है जो इस होली पर घटित हुई। मेरी उम्र 20 साल की है और मेरी शादी को एक साल हो चुका है,
मेरे घर वालों ने मेरी शादी जल्दी करा दी थी।
मेरे पति का नाम अंकुर है वो 22 साल के है मेरा
एक देवर जो 20 साल का है उसका
नाम कमल है मेरे ससुर 45 साल के है मेरी
सास नहीं है।
घर में मैं सिर्फ
इकलौती औरत हूँ दिनभर घर का काम करती हूँ रात को पति भी परेशान करते हैं, यहाँ तक जिन ससुर जी को मैं अपने बाप के समान
मानती थी, वो मेरी ही चूत को चोदने
के चक्कर में थे। ये बात मुझे बाद में पता चली कि ससुर जी मुझे चोदना चाहते हैं।
मुझे ससुर जी की नीयत का अंदाजा ना होने के कारण मैं उनके साथ चिपक कर बैठ भी जाती
थी।
एक दिन सुबह सुबह
मैं सिर्फ ब्लाऊज और पेटीकोट में उनको चाय देने गयी। मुझे क्या पता था वो मेरे
पेटीकोट का नाड़ा खोलने के चक्कर में हैं।
मेरी शादी को
जल्द ही एक साल हो गया होली का त्यौहार आने वाला था मेरी ससुराल में पहली होली थी।
मैं बहुत मस्ती करने के मूड में थी।
एक दिन मेरे ससुर
जी मुझसे बोले कि समधन जी को होली पर बुला लो। उनका मतलब था कि मेरी मम्मी को मैं
होली पर बुला लूं!
मैं ससुर जी की
बात नहीं टाल सकती थी, मैंने मम्मी को
फ़ोन पर बता दिया कि ससुर जी ने बुलाया है।
अपनी मम्मी के
बारे में बता दूँ, मेरी मॉम का नाम
निर्मला है, वो 38 साल की जवान औरत हैं, उनका रंग गोरा और उनका हल्का पेट बाहर है और चूचियाँ ब्लाऊज
में नहीं आती. वो भरे बदन की मालकिन हैं।
मेरी मम्मी होली
से एक दिन पहले आ गई। वो दोपहर के समय आयी, आते ही मैं मॉम के गले मिली।
मेरे ससुर जी
बोले- आइये समधन जी!
मम्मी बोली- आप
बुलायें और हम ना आयें!
मैं चाय बनाने
चली गयी, ससुर जी मम्मी से बातें
कर रहे थे।
जब मैं चाय लेकर
आई तो देखा ससुर जी की नजरें मेरी मम्मी की चूचियों पर थी जो ब्लाऊज के ऊपर से भी
झलक रही थी।
कुछ देर बाद
मम्मी मुझसे बोली- चाँदनी, मुझे कुछ पहनने
को दे।
मैंने उन्हें
पीले रंग की नाइटी दे दी और बोली- मम्मी, मेरे कमरे में जा कर बदल लो!
मम्मी मेरे कमरे
में गयी और नाइटी पहन कर बाहर आई, वो बहुत सेक्सी
लग रही थी।
मेरे ससुर जी
उनके आगे पीछे ही घूम रहे थे।
अगले दिन सुबह
सुबह ही ससुर जी ने सबको भांग पिला दी, मैंने और मेरी मम्मी ने भी पी थी।
सब होली खलने लगे,
मैंने देखा ससुर जी मम्मी से बोले- समधन जी,
अब आपको रग लगाऊंगा।
मम्मी बोली-
क्यों नहीं!
ससुर जी ने मम्मी
के गालों पर रंग लगाते हुए उनकी चूचियों को मसलने लगे.
मम्मी बोली- आआह
समधी जी, अब बस करो!
लेकिन ससुर जी
उनके ब्लाऊज के ऊपर से उनकी चूचियों को मसल रहे थे।
फिर मम्मी ने
उनको अलग किया और वहाँ से हट गई।
सब एक दूसरे के
रंग लगा रहे थे। मेरे पास मेरा देवर आया, बोला- भाभी!
और मेरे गालों पर
रंग लगाने लगा।
मैंने भी उसे रंग
लगाया।
वो मेरे साथ
शरारत कर रहा था, अपना हाथ मेरी
चूचियों पर डाल देता।
मैंने गौर किया
कि मम्मी और ससुर जी नजर नहीं आ रहे थे। मुझे लगा कि शायद मम्मी अब रंग खेल कर थक
गयी होंगी।
मैंने घर के अंदर
आकर देखा तो ससुर जी के कमरे से आवाज आ रही थी। मैंने जाकर देखा तो मम्मी के
ब्लाऊज आधा खुला था ससुर जी उनके होंठों को चूस रहे थे, एक हाथ से उनकी चुची को दबा रहे थे।
मम्मी आहें भर
रही थी।
ससुर जी ने मम्मी
के पेटीकोट का नाड़ा खोला, पेटीकोट नीचे गिर
गया।
मम्मी की मांसल
जांघें नुमाया हो गयी, उनकी पैंटी में मम्मी
की चूत अभी भी छिपी हुई थी.
फिर ससुर जी ने
उनके ब्लाऊज को भी उतार दिया. मम्मी की मोटी मोटी चुची नंगी हो गयी, उसके काले निप्पल एकदम कड़क लग रहे थे।
ससुर जी ने अपनी
पैन्ट उतारी और उनका अंडरवीयर मम्मी ने नीचे कर दिया. मेरे ससुर जी का लंड एकदम
काला और मोटा था। इतना बड़ा लंड देख कर मेरी चूत में भी आग लग गयी।
मम्मी ने उनके
लंड को मुँह में ले लिया और चूसने लगी। मम्मी के मुख से पुच पुच की आवाज आ रही थी.
ससुर जी बोल रहे
थे- आआह… सस्स… निर्मला… ऐसे ही चूसो… आआह… सिसस्स…
कुछ ही देर में
ससुर जी ने अपने लंड का माल मम्मी के मुँह में ही निकाल दिया. मम्मी मेरे ससुर जी
के माल को अपने मुंह में लिए लिए उनको किस करने लगी और ससुर जी का माल उन्हें ही
चटवा दिया.
अब वे दोनों एक
दूसरे को किस करने लगे.
कुछ देर बाद मेरी
मम्मी ने बिस्तर पर लेट कर अपने दोनों हाथों से अपनी चूत को फैलाया और मेरे ससुर
जी चाटने को बोली.
ससुर जी अपनी जीभ
को मेरी मम्मी की चूत पर रख कर चाटने लगे।
मम्मी बे काबू
होने लगी, वो अपने चूतड़ उछालने लगी,
सिसकारियां भरने लगी- आआह… ज़्ज़ज़्ज़्ज़… हां… ससीईई… हां… अपनी समधन को आज खुश कर दो! आआह… धीरे… मैं गयी!
फिर मम्मी ससुर जी
के मुँह में झड़ गयी, ससुर जी उनका
नमकीन अमृत पीने लगे.
अब मम्मी की चूत
एकदम लाल दिख रही थी।
मम्मी ससुर जी के
साथ लेटी रही, उनके लंड को
सहलाती रही तो वो कुछ देर में फिर से खड़ा हो गया.
अब मेरी मम्मी
मेरे ससुर से बोली- अब मेरी चूत को चोद कर इसका मजा लो!
ससुर जी ने लंड
ऊपर चढ़ कर उनके लंड को अपनी चूत पे सेट किया और ऊपर नीचे करके चूत की दरार में लंड
रगड़ने लगे।
ससुर जी बोले-
आआह निर्मला, कितनी गर्म चूत
है तेरी!
और यह कह कर ससुर
जी ने अपने चूतड़ों का झटका गला कर मेरी मम्मी की चुत में पूरा लंड घुसा दिया.
मम्मी भी नीचे से
अपने चूतड़ उछाल उछाल कर चुत चोदन करवा रही थी- आआह चोदो… उम्म्ह… अहह… हय… याह… आ और जोर से…
पट पट की अवाज से
कमरा गूँज रहा था।
ससुर जी ने मम्मी
की चूत से लंड निकाल कर नीचे लेट गये, मेरी मम्मी को अपने लंड के ऊपर बिठा कर उनकी चुदाई करने लगे। मम्मी भी ससुर जी
के लंड की घुड़सवारी कने लगी, उछल उछल कर चुत
चुदाई करवाने लगी. मेरी मम्मी की चूचियाँ हर धक्के पर ऊपर नीचे उछल रही थी।
मम्मी कुछ देर
बाद मम्मी अकड़ने लगी, वो झड़ गयी थी पर
ससुर जी अभी भी उनको चोद रहे थे।
अब फिर ससुर जी
ने मेरी मम्मी को नीचे बिस्तर पर लिया लिया और उनके ऊपर चढ़ कर चोदन करने लगे.
जब मेरे ससुर जी
झड़ने लगे तो ससुर जी ने बोला- निर्मला, कहां डाल दूँ माल?
मम्मी बोली- मेरी
चूत में… और कहाँ!
ससुर जी ने एकदम
से आआह की आवाज कर के अपना सारा माल मम्मी को चूत में भर दिया. मम्मी दोनों टाँगों
को चौड़ा करके फैलाये लेटी थी।
और मेरी मम्मी की
चूत चुद गई.
इधर मेरी भी चूत
अब लंड मांग रही थी।
मैं बाहर आई तो
देखा होली का खेल खत्म हो गया था, सब लोग जा चुके
थे।
मैं अपने पति को
ढूँढ रही थी।
मैंने अपने देवर
से पूछा तो वो बोला- भईया अपने दोस्त के साथ गये हैं, रात को आयेंगे।
मेरी चूत गर्म थी,
पति घर पर था नहीं… मैंने देवर से कहा- कमल मेरे तुमने पक्का रंग लगाया है,
अब तुम ही इसे साफ करो!
वो बोला- भाभी,
तुम बाथरूम में जाकर साफ कर लो।
मैं भी चूत की
कामुकता के रंग में रंगी थी, मेरा देवर भी
होली के रंग में रंगा था, मैं उसे बाथरूम
ले गयी, बोली- साफ कर मेरा रंग!
वो शरमाने लगा.
मैं बोली- तू
शर्माता क्यों है? मैं तेरी भाभी
हूँ, अपनी बीवी समझ!
वो बोला- भाभी,
आप भी मजाक करती हो।
मैंने अपनी छाती
से अपना पल्लू हटा दिया और साड़ी उतार दी, मैंने कहा- साफ कर!
वो साबुन उठा कर
मेरे गाल पर लगाने लगा।
मैं बोली- सारी
जगह लगा ना!
वो बोला- अच्छा
भाभी!
उसने अपने हाथ
मेरे ब्लाऊज के ऊपर रख दिये और हुक खुलने लगा. उसने मेरे ब्लाऊज को उतारा और मैंने
ब्रा नहीं पहनी थी, वो मेरी चूचियों
पे साबुन लगाने लगा।
अचानक उसकी नजर
मेरे पेटीकोट पर गयी वो बोला- भाभी, यह गीला चिपचिपा सा क्या है?
मैंने बेशर्म
होकर कहा- यह मेरा रस है जो मेरी चूत से निकला है.
वो बोला- भाभी,
ये कैसे निकलता है?
अपने दूध मसलते
हुए मैं बोली- जब औरत का मन चुदवाने का होता है, तब ये निकलता है।
वो बोला- आपका भी
मन चुदवाने का कर रहा है?
मैंने कहा- हाँ!
पर मुझे कौन चोदेगा, तेरे भईया भी
नहीं हैं।
वो बोला- भाभी,
मैं आपको चोद देता हूँ अगर आप कहो तो?
मैंने अपने
पेटीकोट का नाड़ा खोला, उसे नीचे गिरा कर
नंगी हो गयी, उसने भी अपने
कपड़े उतार लिए.
मेरे देवर का लंड
गोरा था, लाल टोपा, मेरे पति से मोटा था.
मैंने उसे बोला-
देवर जी, पहले अपना लंड मुझे चूसने
दो.
उसने मेरे मुँह
में लंड डाल दिया, मुझे चूसने में
मजा आ रहा था।
वो ‘आआह भाभी सस्स… आआह सिसस्स… कर रहा था.
फिर उसने अपने
लंड को मेरे मुख से निकाल लिया, मैं बाथरूम के
फर्श पर लेट गयी, फर्श मुझे बहुत
ठंडा लगा लेकिन चूत की कमुकतावश सब सह गई.
मेरा देवर मेरे
ऊपर आ गया, उसने मेरी चुत में अपना
लंड डाल दिया, मेरी चूत गीली
होने के वजह से एक बार में पूरा लंड पिल गया। मैं आआह आउच कर के चुदवाने लगी,
वो भी मजे से मुझे चोद रहा था।
मैं- हां देवर जी,
ऐसे ही पेलो अपनी भाभी को… आआह उम्मआआ हा हा!
कुछ देर बाद उसने
अपना माल मेरी प्यासी चुत में भर दिया।
थोड़ी देर बाद वो
उठा, हम दोनों साथ में नहाये
और बाहर आए।
मेरा दिमाग मम्मी
की तरफ गया, मैं उधर गयी तो
कमरे में कोई नहीं था, पता नहीं मम्मी
कहाँ चली गयी थी।
रात मैं खाना
बनाने लगी, पीछे से मेरे देवर ने
मुझे पकड़ लिया, मेरे ब्लाऊज पर
हाथ फेरने लगा।
मैं बोली- क्या
कर रहे हो? हटो!
वो बोला- रात को
आना मेरे कमरे में!
मैंने हाँ कर दी।
रात सब ने खाना
खाया, मैं अपने पति से बोली- आज
मैं मम्मी के पास लेट जाती हूं.
वो मान गए।
जब मैं मम्मी के
कमरे में गयी तो मम्मी मुझे बोली- तू यहाँ क्यों सो रही है? दामाद जी अकेले हैं।
मैंने कहा- अच्छा
तो क्या करूँ? आप चलो हमारे साथ
सो जाना!
मम्मी मान गयी।
हमारा बेड बड़ा
था पहले मैं फिर मम्मी आखिर में मेरे पति।
कुछ देर बाद नींद
आने लगी मैं सो गई।
जब मेरी आँख खुली
तो रात के 2 बज रहे थे, मैंने मम्मी की तरफ देखा, वो मेरे पति की तरफ मुँह किए सो रही थी। कुछ
देर बाद उन्होंने मेरी तरफ करवट ली तो मैंने देखा कि उनका ब्लाऊज बीच से खुला था,
दोनों चुची बाहर थी।
मैं समझ गयी कि
ये हरकत मेरे पति ने की है.
कुछ देर बाद मेरे
पति ने मुझे हिलाया, मैं नहीं बोली,
वो समझे कि मैं सो रही हूँ.
मैंने देखा कि
मेरे पति ने मम्मी को अपनी तरफ किया और कुछ बोले उनसे!
मेरी मम्मी उठ कर
पति के साथ बाहर आई और स्टोर रूम में घुस गये दोनों।
मैं पीछे गयी तो
देखा तो दंग रह गयी, मेरे पति मम्मी
चूचियों को दबा रहे थे।
मम्मी बोली-
मेरी चुत में खुजली हो रही है, अब डाल भी दे!
मेरी मम्मी ने
जमीं पर कम्बल बिछाया और लेट गई, मेरे पति ने
मम्मी साड़ी उठाई और उनकी की चूत में अपने लंड का सुपारा डाला जिसे मम्मी आसानी से
ले लिया. मेरे पति मेरी मम्मी यानि अपनी सास को चोदने लगे.
मम्मी बोली-
दामाद जी… आआह.. आपके लंड में उतना
दम नहीं है!
मेरे पति बोले-
तू रंडी है, तेरी चुत नहीं.
भोंसड़ा है!
इस तरह मेरी
मम्मी को मेरे पति ने चोदा और मैं चुपके से आकर सो गई।
सुबह देखा तो
मेरी मम्मी मेरे पति के साथ चिपक कर सो रही थी।
आप लोगो को मेरी चोदन स्टोरी कैसी लगी, मेरी कहानी पर अपने विचार मुझे मेल करें!
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