दोस्तों मेरा नाम
सुरेश है ये मेरी पहली कहानी है मै मस्ताराम गुरु जी से निवेदन करता हूँ मैंने
आपके ईमेल पर कई कहानिया भेजी पर अभी तक प्रकाशित नही हो पायी अगर आपको मेरी ये
कहानी पसंद आये तो प्लीज पोस्ट कर दीजिये
मै और भी कहानियां लिख रहा हूँ वो भी भेजता रहुगा |
मेरी उम्र ३१ साल
है। मैं कल्याण, मुंबई का रहने
वाला हूँ। मेरी शादी को पाँच साल हो चुके हैं। बात तब की है जब मेरी पत्नी पेट से
थी। उस कारण मैं कुछ कर नहीं पाता था। सेक्स पहले सी ही मेरी कमजोरी रहा है पर जब
वो गर्भवती हुई तो मुश्किल से ही कुछ हो पाता था।
तब मेरे मन में कुछ
ख्याल आने लगे। सोचा कुछ तो इन्तजाम करना चाहिए। तभी मेरे दिमाग में एक बात आ गई।
मेरे एक साली है शोना जो मेरी बीवी से छोटी है, तब उसकी उम्र २६ साल की थी। उसकी शादी भी हमारी शादी के
तुरंत बाद ही हो गई थी। शोना मेरे ससुराल वाले शहर में ही रहती है। वो बहुत सुंदर
थी और मजे अच्छी भी लगाती थी। उसका नाम शोना है। शोना और उसके पति की खास जमती
नहीं। वो ज्यादातर शराब के नशे में ही घर आता था। उस वजह से उनका यौन-जीवन कुछ ठीक
नहीं था। मैंने सोचा कि इसी चीज का फायदा क्यूँ न उठाया जाये। शोना और मेरी पत्नी
की आपस में इस बारे में बातें होती थी जो मेरी पत्नी अकेले में मुझसे बता दिया
करती थी।
उसके कहने के
अनुसार शोना और उसके पति के बीच में कुछ ज्यादा शारीरिक सम्बन्ध नहीं थे।
तो मैंने मन ही
मन में शोना के साथ रिश्ता बढ़ाने की ठान ली और मौका तलाश करने लगा।
एक बार जब मैं और
मेरी बीवी मेरी ससुराल में गए तो मेरी सास ने मुझे शोना को लिवाने भेज दिया। जब
मैं उसके घर पहुँचा तो वो घर पर अकेली थी। उसका पति दो-तीन दिन के लिए टूर पर गया
हुआ था।
जब मैं वहाँ
पहुँचा तो वो फ्रेश होकर आई थी और नाइटी पहने हुई थी। उसकी फिगर 32-28-34 की होगी।
उसने चाय बनाई तो हम इधर उधर की बातें करके चाय पीने लगे।
फिर वो बोली- मैं
दस मिनट में तैयार होती हूँ आप तब तक बैठिये।
और वो कप उठाकर
चल दी। मैं तो मौके की तलाश में ही था। उसके जाने के बाद मैं उसके कमरे के पास चला
गया और दरवाजे के पास से, जो थोड़ा खुला था,
वहाँ से अन्दर देखने लगा।
उसने नाइटी उतार
दी थी और वो सिर्फ चड्डी पहने थी। उसके हाथ में ब्रा थी और वो उसे पहनने वाली थी।
मैंने पहली बार उसे इस रूप में देखा था। दोस्तों आप यह कहानी मस्ताराम.नेट पर पढ़
रहे है | मेरा लंड जो साधारण ही है
करीब पाँच-साढ़े पाँच इंच का पूरी तरह से तैयार था। उसे इस हालत में देख कर मन कर
रहा था कि दरवाजा खोल कर अन्दर चला जाऊँ और उसे अपने आगोश में ले लूँ !
पर डर भी लग रहा
था। उसने ब्रा पहन ली और ड्रेस लेने अलमारी की तरफ गई। दरवाजे से अलमारी नजर नहीं
आती थी तो वो कुछ समय के लिए मेरी आँखों के सामने से ओझल हो गई। फिर वो सामने आई
और बाल संवारने लगी।
वो वापस अलमारी
की तरफ चली गई, मैं उधर से ही
उसे देख रहा था कि वो वापस आयेगी पर अचानक दरवाजा खुला।
उसने देखा कि मैं
दरवाजे के सामने से उसे देख रहा था।
वो बोली- जीजू,
आप यह क्या कर रहे हो?
मैं तो इस अचानक
घटी घटना से थोड़ा घबरा गया था फिर भी थोड़ी हिम्मत जुटा ली, मैंने बिना कुछ बोले उसे अपनी बाँहों में भर
लिया।
वो थोड़ी कसमसाई
पर कुछ बोली नहीं।
फिर मैंने कहा- शोना,
मैं जानता हूँ कि तुम्हें आज तक जरा भी
शारीरिकसुख नहीं मिला हैं। मैं वो तुम्हें देना चाहता हूँ।”
वो बोली- नहीं
जीजू, मैं आपके बारे में ऐसा
नहीं सोच सकती। दीदी क्या सोचेगी !
मैंने उसे काफी
समझाया कि पेट की भूख की तरह यह भी एक भूख है। अगर आपको घर पर खाना नहीं मिलता तो
आप बाहर जाकर खाते हो ठीक वैसा ही यह भी है।
उसका ध्यान मेरी
पैंट की तरफ था, मेरे ख्याल में
वो भी शायद यही चाहती थी।
उसने सिर्फ मुझसे
इतना कहा- जीजू, मुझसे वादा करो
कि यह बात मेरे और आपके सिवा किसी को पता नहीं चलेगी।
जब उसने इतना कहा
तो मारे ख़ुशी के मैं फूला ना समाया।
मैंने झट से अपने
होंट उसके होठों पर रख कर वादा किया तो वो मुस्कुराई।
वो झट से उठी और
बोली- माँ और दीदी राह देख रहे होंगी, हमें चलना चाहिए। यह सब बाद में !
और अपने बेडरूम
की तरफ चली गई। दोस्तों आप यह कहानी मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे है |
मैं उसके
पीछे-पीछे अंदर चला गया।
कहानी जारी है
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