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रात के अँधेरे में दीदी ने चुदवा लिया

मेरी उम्र 24 वर्ष हो रही है। मेरे परिवार में मात्र तीन लोग रहते हैं, मैं, मेरी माँ और मेरी पत्नी ! और हाँ एक और सदस्य आज ही आया जो हमारे ही बीच का है पर आज से ठीक दो साल पहले ही उसकी शादी हो चुकी है, जो अपने ससुराल में रहती है, वह है मेरी दीदी ! जिसके पति तीन दिन पहले अरब देश जा चुके हैं, जिसके चलते वह हमारेयहाँ रहने आ गई है। पर आते ही मेरे कमरे और मेरी बीवी पर पहला अधिकार जमा लिया। सबकी दुलारी होने से कोई कुछ नहीं मनाकरता और किसी काम को करने से नहीं रोकता है। माँ की दुलारी तथा मेरी भी बड़ी दीदी होकर भी साथ साथ पलेबढ़े हैं क्योंकि मुझसे मात्र दो साल ही बड़ी है। हम लोग उनकी सेवा में लगे हुए थे और देखते देखते शाम, फिर रातभी हो गई, परन्तु दीदी मेरे कमरे में जमी रही। अंत में मुझे दूसरे कमरे में यह सोच कर सोना पड़ा कि शायद आजही आई है तो सो गई, कल से दूसरे कमरे में सोयेंगी। दूसरे कमरे में आकर मैंने सोने की कोशिश की मगर नींद नहीं आई तो टी.वी. चला लिया। शनिवार होने से चैनल बदलते हुए मेरा हाथ रैन टी.वी. पर रुक गया जहाँ गर्म फिल्म आ रही थी। अब तो मेरी नींद भी जाती रही, एक तोबीवी से डेढ़ साल में पहली बार रात में अलग सोना, उस पर से रैन टी.वी. का कहर ! मुठ मारते पूरी रात काटनी पड़ी पर मन टी.वी. बिना देखे मान ही नहीं रहा था। किसी तरह मुठ मारते रात काट लीऔर सुबह काफी देर तक सोता रहा। जब उठा तब मेरी बीवी नाश्ता बना रही थी। मुझे देख कर मुस्कुराते हुए बोली- लगता है कि काफी निश्चिंत होकर रात में सोये हैं जनाब ! मेरा नाराजगी भरा चेहरा देख कर और कुछ न बोल कर चाय का प्याला मेरी तरफ बढ़ा दिया। मैं भी कुछ कहे बिनाचुपचाप से चाय पीने लगा। दिन भर सभी अपने अपने काम में लग गए, मैं भी अपने ब्रोकिंग एजेंसी को देखनेचला। दिन भर तो काम में लगा रहा, शाम को घर आने पर चाय और नाश्ता देकर बीवी फिर दीदी के पास जाकरबैठ गई जो मेरे ही सामने के कुर्सी पर बैठी नाश्ता ले रही थी। अब मैंने थोड़ा ध्यान दीदी की तरफ दिया, सोचने लगा- क्या दीदी आज भी मेरे ही कमरे में सोयेंगी? और बातों बातों में पता लगा कि वे आज भी नहीं जान छोड़ने वाली ! आप लोग यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | फिर वही कहानी पिछली रात वाली ! मुझे आज फिर अकेले दूसरे कमरे में सोना था ! पर आज मुझे दीदी पर बहुत गुस्सा आ रहा था और बकबकाते हुएमैं बाहर आ गया। पिछली पूरी रात खराब कर के रख दी थी ! रात होते ही मेरा मुठ मारना शुरु हो गया और आज न जाने कैसे रात कट गई, पता नहीं कब नींद लग गई ! सुबह जगा तो पूरे सात बज रहे थे। मैंने सोच रखा था चाहे कुछ भी हो आज रात रानी को (मेरी बीवी) नहीं छोड़नाहै, या तो मेरे कमरे में या रसोई में, कहीं भी चुदाई होगी तो होगी ! जैसे ही दीदी ने नहाने के लिए स्नानघर में प्रवेश किया, मैं मौका देख कर रसोई में घुस गया और पीछे से रानी कोपकड़ उसके बोबे मसलते हुए चूतड़ों की फांकों में अपने फनफनाये लंड का दबाब डालते हुए गालों को जोर से चूमलिया तो रानी बोली- कोई देख लेगा ! क्या करते हो? दो रातों में ही अकडू महराज पायजामे से बाहर हो रहे हैं, अगरदो रातें और बिता ली तो पायजामे से निकल किसी बिल में ही घुस जायेंगे तो ढूंढना मुश्किल हो जायेगा ! मैंने कहा- देखो रानी, अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा ! आज रात कुछ करो यार ! यह दीदी अपने तो अकेली रहनेकी सजा कट रही हैं, साथ में हमें भी मार रही हैं ! या तो तुम मेरे कमरे में आ जाना या रात को यहीं रसोई में हीचुदाई करेंगे ! रानी भी थोड़ी उत्तेजित हो चुकी थी, वह बोली- नहीं, रसोई में ठीक नहीं होगा ! मैं तुम्हारे कमरे में भी नहीं आ सकतीक्योंकि दीदी सोचेगी कि दो रात में जवानी काबू में ना रही जो मराने चली गई। मैं बोला- तो मैं मुठ मार कर सोता रहूँ? “नहीं जी ! मैंने ऐसा कब कहा? अगर यह समस्या सदा के लिए टालनी है तो हम अपने कमरे में ही करेंगे। अगरदीदी जाग गई तो शरमा कर कल से नहीं सोयेंगी। और ना जगी तो रोज ऐसे ही चलेगा !रानी का जबाब सुन कर मैंने कहा- पर इसमें तो दीदी के जागने का ज्यादा चांस है, जागने पर क्या सोचेंगी? रानी ने कहा- मैं तो चाहती हूँ कि रात को दीदी जग जाये जिससे कल से यह समस्या ख़त्म हो जाये ! समझे बुद्धू ? मैं समझने की कोशिश करता हुआ काम बनता देख ज्यादा ना पूछा पर जानना चाहा- पर रात में मैं तुझे पहचानूँगाकैसे? वह बोली- मैं बेड के इसी किनारे सोऊंगी और दरवाजा खुला रखूंगी ! तुम धीरे से आ जाना बस ! मैं कुछ और पूछता, इससे पहले दीदी नहाकर निकलने जा रही थी। तो मैं धीरे से निकल चला और रात के इंतजारमें जल्दी से तैयार हो कर अपने काम पर चल दिया। और आज तो तिसरी रात होने के कारण उसमें और खूबसूरती आ गई है। अब मुझे केवल रात का इन्तजार था। आखिर शाम हुई, फिर रात हुई और सबने खाना खाकर अपने अपने बिछावन को पकड़ लिया पर दीदी मेरे ही कमरेमें डेरा जमाये हुए थी। इन्तजार करते करते लगभग रात के ग्यारह बज चुके थे। सम्पूर्ण अंधेरा था क्योंकि बिजलीभी नहीं थी, मकान में एकदम सन्नाटा छाया था, माँ के कमरे से खर्राटों कीआवाज आ रही थी। सुनने में ऐसा लगा कि वह गहरी नींद में होगी। आप लोग यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | मैंने निश्चिन्त होने के लिये पांच मिनट का इन्तजार किया। अब लगभग अपने कमरे के पास पहुँच मैंने अपनादायां हाथ इस प्रकार से दरवाजे के तरफ़ बढ़ाया कि कोई हलचल न होने पाये। और कमरे के अन्दर अपने बेड केपास आकर देखने की कोशिश करने लगा पर कुछ साफ न दिखने से अन्दाजा लगाया कि रानी ने कहा था कि वहबेड के इसी तरफ़ सोयेगी। आज पहली बार मुझे अपने ही घर में अपने कमरे में चोरों की तरह घुसना पड़ रहा था।धड़कते दिल से मैं बिछावन के पास पहुँचा और मध्यम रौशनी के सहारे इस तरफ़ की आकृति को छुआ। मेरा हाथउसके चूतड़ पर लगा। फिर कुछ देर रुक कर मैंने अपना हाथ आगे पेट की ओर बढ़ाते हुए आहिस्ता से उसके उन्नत-शिखरों की ओरखिसका दिया। मेरे हाथ का पंजा उसके स्तनों के पास पहुँच कर पूरे पंजे से उसके बोबे दबाने लगा। अब मैंने उसकेखुले गले के ब्लाऊज़ के गले के अंदर हाथ डाला तो मेरा पहला स्पर्श उसकी सिल्की ब्रा का हुआ, पर इससे तो मुझेसन्तुष्टि नहीं हुई। फिर मैंने आहिस्ता से अपना हाथ उसके स्तनों के बीच की घाटी में प्रविष्ट करा दिया औरआहिस्ता आहिस्ता उसके दोनों स्तनों पर अपने हाथ घुमाने लगा। मैं उसकी दूध की दोनों डोडियों से खेलने लगा। अब मेरे दिमाग ने काम करना बिल्कुल बंद कर दिया। मैं बिल्कुल कामातुर हो चुका था, मैं यह भूल चुका था कियदि दीदी ने जागकर देख लिया तो पता नहीं क्या सोचने लगेगी ! अब मैं रानी के स्तनों के साथ उसकी चूत को भीमसलना चाहता था। मैंने आहिस्ता से उसका साया खोल कर उसकी मखमली पैंटी पर हाथ रख दिया और कोईप्रतिक्रिया न देखकर फिर अंदर चूत को सहलाने के लिये हाथ बढ़ाया तो मेरा हाथ उसके दाने से टकराया। बिल्कुलछोटी मखमली झांटों को सहलाने का लुत्फ उठाने लगा। अब लगा मेरे दोनों हाथों में जन्नत है, मेरा बायां हाथ तोउसके वक्षों से खेल रहा था और दायां हाथ उसके वस्ति-क्षेत्र का भ्रमण कर रहा था। अब मुझे यह तो सुनिश्चित हो चुका था कि वह नींद में नहीं है तो मैं हौले से उसके भग्नासा के दाने को सहालाकरउत्तेजित करने की कोशिश करने लगा। पर वह भी आँखें मींचकर पड़ी हुई थी। मैंने सोचा कि अब यह गर्म है तोसमय भी तो तेजी खिसका जा रहा है, इसके लिये दूसरा उपाय करना होगा। इधर उसके सिर के तरफ़ मैंने लण्ड कारुख करके उसके मुँह के ऊपर रखा था तो मेरा लण्ड मुँह खोलकर चूसने लगी। अब मैंने अपनी लुन्गी खोलकरकमर से हटाते हुए उसके मुँह से पूरा सटा दिया, उसमें से चिपचिपाहट भी निकल रही थी जो उसके होंठों को गीलाकर रही थी। अब दोबारा मैंने अपने दोनों हाथों को व्यस्त रखते हुए उसकी चूत में अपनी उंगली प्रविष्ट कराई तोदेखा वहाँ गीला-गीला सा था, मतलब वह गर्म हो चुकी थी। स्तन मर्दन के साथ जैसे ही मैंने उंगली चूत में अंदर-बाहर करनी शुरु की तो रानी छटपटाने लगी और उसने अपनीनींद का नाटक छोड़ा और मेरी तरफ करवट बदलकर मेरे चूतड़ों पर हाथ फिराने के बाद उसे लण्ड अपने मुँह मेंतेजी से चूसना शुरु कर लिया। मैं तो अपने होशोहवास खो चुका था, वह भी पागलों की तरह लण्ड मुँह मेंअंदर-बाहर कर रही थी।आप लोग यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है उधर मैं भी उसे अपने दोनों हाथों से बराबर उसे उत्तेजित कर रहा था। मैंने कमरे में अपने बगल की तरफ देखा, दीदी आराम से सोई हुई थी और सम्पूर्ण अंधेरा था, तो कोई डर नहीं थाकि देख लेंगी। हम दोनों किसी भी किस्म की आवाज नहीं निकाल रहे थे क्योंकि दीदी जाग सकती थी। अब रानी की लगातारमेहनत के कारण दस मिनट में ही मेरा लण्ड स्खलित होने की कगार पर पहुँच गया, तो मैंने उसे हाथ के इशारे सेसमझाने की कोशिश की पर उसने इस पर ध्यान नहीं दिया। तो मैं भी क्या करता, मैंने भी वीर्य का फव्वारा उसकेमुँह में छोड़ दिया। उसने भी हिम्मत दिखाते हुए पूरा का पूरा गटक लिया। अब मैं तो खाली हो गया किन्तु उसकी उत्तेजना शांत नहीं हुई थी, वह मेरे निर्जीव पड़े लण्ड को खड़ा करने कीकोशिश करने लगी। मात्र पाँच मिनट में ही हम दोनों सफल हो गये। मेरा लण्ड फिर कड़क होकर फुंफकारने लगा।फिर एक दूसरे के शरीर को चूमने-सहलाने लगे। अब हम दोनों पागलॉ की तरह लिपट गये और एक दूसरे के शरीरको टटोल कर आनंद लेने लग गये। अब मैंने उसकी चोली खोल दी और पैंटी भी उतार दी, उसके तन व मेरे बीच मेंकोई नहीं था। मैं अब बेड पर बैठ गया, वह मेरी गोद में दोनों टांगों को बीच में लेकर अपने टाँगों को मोड़ कर इस प्रकार बैठी किउसकी चूत मेरे लण्ड को स्पर्श करने लगी। वह मेरे सीने को हाथ से सहला रही थी, नीचे चुदाई चालू थी, वह भीहिलकर अपने शरीर को ऊपर नीचे होकर पूर्ण सहयोग कर रही थी। फिर मैं बारी बारी से उसके दोनों स्तनों परअपनी जीभ फिराने लगा। उसके बाद मैंने उसकी गर्दन की दोनों तरफ कामुकता बढ़ाने वाली नस के साथ उसकेकान की लोम व आँखों की भोहों पर भी अपनी जीभ फिराई। वह मदमस्त होकर पागल हो उठी। दोनों की सांसें एकदूसरे में विलीन हो रही थी। यदि हम किसी एकान्त कमरे में होते तो पागलपन में न जाने कितनी आवाजेंनिकालते। पर जगह और समय का ध्यान रखते हुए बिल्कुल खामोश रहने की कोशिश करते रहे। अब इस मदहोश करने वाली अनवरत चुदाई को लगभग आधा घण्टा हो चुका था। अब एक ही आसन में चोदते हुएथकान होने लगी थी। तभी रानी ने मुझसे गति बढ़ाने का इशारा दिया और कुछ ही क्षण में हांफते हुए वहचरमसीमा पर पहुँच गई। फिर वह पस्त होकर ढीली पड़ कर लेट गई। मैं तो अभी तक भरा बैठा था, मैंने कुछ समय रुककर इशारा किया कि अब मैं भी पिचकारी छोड़ना चाहता हूँ तोउसने इशारे से कहा- रुको ! वह खड़ी हुई और बेड पर हाथ रख और सिर झुकाकर खड़ी हो गई। मैंने भी पीछे से उसकी चूत में लण्ड पेल दियाऔर अपने दोनों हाथों से उसके उन्नत स्तनों को मसलते हुए उसे चोदने लगा। फिर जन्नत की यात्रा शुरु हुई। फिरमदमस्त होकर वह भी आगे पीछे होकर मुझे सहयोग देने लगी। आप लोग यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | हम दोनों ने अपनी गति और बढ़ा दी और लगभगदस मिनट बाद मेरी पिचकारी छुट गई, हम दोनों पस्त हो गये। वह कुछ समय रुक कर सफाई करने बाथरुम मे जाकर वापिस अपनी बिछावन पर आ गई। भगवान कालाख-लाख शुक्र था कि दीदी अब तक सोई हुई थी और उनको इस चुदाई के बारे में शक भी नहीं हुआ। अब मैं अपने कमरे मे आकर आराम से सो गया आज सुबह मेरा मन काफ़ी खुश था मैंने रसोई में बीवी को जबअकेले देखा तब उसके पास जाकर पीछे से बाहों मे भर चूमना शुरु कर दिया। रानी मुझे मनाने के लिये मेरे बालों मेउंगली फिराते बोली- सॉरी जी ! मैं रात में सो गई पर आप भी नहीं आए? मेरे कान में इतना पड़ना था कि मेरे दिमाग ने काम करना बन्द कर दिया। तो क्या मेरे साथ रात में दीदी थी, अब मैं समझ गया ! यह घटना मेरे मन-मस्तिष्क पर एक चलचित्र की तरह स्पष्ट चल रही थी। हालांकि मैं भ्रम में रह गया लेकिन जबजान ही गया तो दोनों की तुलना करने लगा तो पाया कि वाकई में रानी से ज्यादा मजा तो दीदी को चोदने में आया ! और अब वह अलग कमरे में भी सो कर मुझसे हर दो दिन बाद चुदती है, नैहर (मेरे घर) अब अकसर आती है मेरेसाथ चुदाई के लिये और फिर उसके पास मैं भी अक्सर जाने लगा हूँ। वह आज भी मेरी बहुत अच्छी दोस्त है। रानी आज तक न जान पाई और ना मैंने उसे बताया। वह भी एक अद्वितीय अनुभव था। 

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1 टिप्पणी:

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