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नंगी नहाती हुई आंटी जी

मैं चुत के मौहोल का बहुत बड़ा खिलाडी हूँ और अपने चुत चुदाई की कहानी में से एक अपनी सामने वाली आंटी की नाहते समय की चुदाई के बारे में बताने जा रहा हूँ | दोस्तों वो आंटी मेरे कमरे के सामने वाली घर में रहा करती थीं और मेरे साथ बातों में तो इतनी घुल मिल चुकी थी अब तो बेहूदा मजाक करने भी चालू कर दिए थे |

 

मुझे भी आंटी के मोटे - मोटे चुचे बहुत ज्यादा ही पसंद जिनकी तारीफ़ मैं अक्सर ही अपने दस्तों से किया करता था और मुझे कुछ ज्यादा ही आंटी की चुदाई करने को लेकर उकसा दिया करते थे | दोस्तों आज कल की आंटी बड़ी ही पल्टू होती हैं अंदर से कुछ और बहार से कुछ और इसी बात को लेकर मैं आंटी से गभरा जाया करता था |

 

आंटी हर बार कभी अपने मोटे - मोटे चुचों को मोटे छुया दिया करती जिससे मेरे लंड तो इतना डटकर खड़ा हो जाया करता था की संभालना मुश्किल होता था | अब एक शाम जब मैं आंटी के घर गया तो मैंने देखा की आंटी ने काफी देर तक दरवाज़ा नहीं खोला जिसपर मैं अंदर आकार आंटी को पुकारा तो आंटी ने जवाब मुझे अपने पास बुलाया मैं आगे को बढ़ा तो देखकर चौक ही गया क्यूंकि अब आंटी नंगी ही बाथरूम का दरवाज़ा खोल नाह रही थी और मैंने देखा की आंटी मुझे आँख मारती हुई अपनी चुत पर साबुन लगा रही थी और मुझे उनकी चुत के बाल भी साफ दिखाई दे रहे थे |

 

अब इतने हसीन मौके को मैंने अपने हाथ से कैसे जाने देता इसलिए मैंने भी अपने कपड़े फट से उतारे और आंटी से जाकर लिपट गया | आंटी ने फट से इस बार मेरे लंड को पकड़ लिया और मैं उप्पर से आंटी के चुचों को दबा रहा था | मैंने आंटी की चुत पर पानी डाला और साबुन को हटाते हुए उनकी चुत में ऊँगली अंदर - बाहर करना चालू कर दिया जिससे कुछ देर बाद ही उसकी चुत गीली हो गयी | आंटी उप्पर से मेर होठों कभी चूसती तो लंड को मुंह में लेने की कोशिश करती जिसपर मैंने सारी सख्ती उनके चुचों पर दिखा देता और साथ चुत में अपनी उंगलिओं की रफ़्तार भी बढ़ा देता | मेरे लंड की बेताबी मुझे सही नहीं गयी तो मैंने आंटी को वहीँ अपनी गांड को दिखाकर खड़े हो जाने को कहा |

 

अब मैंने अपने लंड को पीछे से चुत पर टिकाया और उसके कन्धों को थामते हुए अपनी कमर के सहारे धक्का मारने शुरू कर दिया | आंटी जोर - जोर से अब सिसकियाँ भर रही थी और आंटी की फटी ही चुत में अब मैंने अपने लंड को आगे - पीछे किये जा रहा था |

 

मेरे मुंह से अब अपने आप ही गालियाँ निकल रही थी और साथ शांति भरी सिसकियाँ भी जिसपर सहयोग करती हुई आंटी भी अपनी गांड को पीछे मरे लंड के प्रति धकेल कर मुझे गाली बकने लगती | मेरे मज़े का ठिकाना ना था और उस गीले और ठण्ड भरे मौसम में ज्यादा देर आंटी की चुत चुदाई करने में ना टिक पाया | मेरे झाड़ते ही मैंने आंटी की गांड में अपना मुंह डाल लिया और गांड के छेद पर काफी देर चूसता और चाटता चला गया

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