एक समय ऐसा था कि
मकबूल बाग में सिर्फ हमारी कोठी दो मंजिला थी. हमारे खानदान की गिनती रसूखदारों
में होती थी.
दो मंजिला कोठी
के ग्राउण्ड फ्लोर पर दादा जी का बेडरूम था. फर्स्ट फ्लोर के एक बेडरूम में अम्मी
और अब्बू तथा दूसरे में मैं और मुझसे तीन साल बड़ी मेरी बहन रुकैय्या सोते थे.
हम दोनों भाई बहन
में बहुत प्यार था, आमतौर पर भाई बहन
के बीच होने वाले झगड़े हमने बचपन में भी नहीं किये थे.
दादा जी की मौत
के बाद अब्बू ने ग्राउण्ड फ्लोर पर दादा जी वाले बेडरूम में सोना शुरू कर दिया था.
मुझे अच्छे से
याद है कि बारिश का मौसम था, रात को करीब एक
बजे हल्की हल्की बारिश हो रही थी.
तभी मेरी आँख
खुली और मैंने महसूस किया कि मेरी बहन रुकैय्या मेरे लण्ड पर हाथ फेर रही है. मुझे
अच्छा लग रहा था इसलिए मैं चुपचाप लेटा रहा. लेकिन मेरा लण्ड पूरी तरह से जाग गया
था.
मैं मुठ मार कर
बहुत बार अपने लण्ड की गर्मी निकाल चुका था लेकिन रुकैय्या के सहलाने में मुझे
अद्भुत आनन्द मिल रहा था.
कमरे में जल रहे
नाइट लैम्प की रोशनी में जब रुकैय्या ने देखा कि मेरा लण्ड टनटना गया है तो उसने
मेरे पायजामे का नाड़ा खोलकर पायजामा नीचे खिसका दिया और मेरे लण्ड को चूम लिया.
मैं चुपचाप पड़ा हुआ रुकैय्या की हरकतों का मजा ले रहा था.
मेरा लण्ड चूमने
के बाद रुकैय्या उठ खड़ी हुई और अपना लहंगा, चोली, ब्रा और पैन्टी
उतार कर नंगी हो गई. रुकैय्या ने अलमारी से चमेली की खुशबू वाले तेल की शीशी
निकाली और अपनी हथेली पर तेल लेकर मेरे लण्ड पर चुपड़ दिया और अपनी चूत पर हाथ
फेरने लगी.
रुकैय्या ने मेरा
पायजामा मेरे शरीर से अलग कर दिया और मेरे बगल में लेटकर अपनी चूचियां मेरे सीने
से सटा दीं. अपनी एक टांग उठाकर मेरी जांघों पर रखकर अपनी चूत को मेरे लण्ड के
करीब ले जाकर रुकैय्या ने मेरे गालों पर हाथ फेरते हुए मुझे जगाने की कोशिश करते
हुए कहा- उठ मुन्ना, मेरे भाई उठ जा.
तेरी बहन तुझसे चुदवाने के लिए बावली हुई जा रही है. उठ जा, मुन्ना उठ जा और अपना लण्ड मेरी चूत में डालकर मुझे चोद.
मैंने अंगड़ाई
लेते हुए आँखें खोलीं और रुकैय्या से लिपट कर बेतहाशा चूमने लगा. रुकैय्या की तेज
चलती सांसों की वजह से उसकी चूचियां मेरे सीने पर धकधक दस्तक दे रही थीं. रुकैय्या
ने पीठ के बल लेटते हुए मुझे अपने ऊपर खींच लिया और अपनी टांगें घुटनों से मोड़कर
फैला दीं जिससे उसकी चूत का फाटक खुल गया.
अपना लण्ड
रुकैय्या की चूत में डालने की कोशिश में नाकाम होते देख मैं उठा और मैंने कमरे की
लाइट जला दी.
लाइट जलते ही
मेरी नजर रुकैय्या के जिस्म पर पड़ी तो मेरी आँखें चौंधिया गईं. रुकैय्या इतनी
खूबसूरत होगी, मैंने कभी सोचा
ही नहीं था. ऊंचा लम्बा कद, गोरा रंग,
संगमरमर सा तराशा बदन, सुडौल चूचियां और ताजा ताजा शेव की हुई डबलरोटी की तरह फूली
हुई चूत.
अपने माथे पर हाथ
मारते हुए मैंने खुद से कहा- अबे चूतिये, चूत तेरे कमरे में थी और तू मुठ मार कर गुजारा करता रहा.
बेड पर आकर मैं
रुकैय्या की टांगों के बीच आ गया, दूधिया रोशनी में
रुकैय्या की चूत का फाटक मुझे साफ दिख रहा था, अपने लण्ड का सुपारा निशाने पर रखकर मैंने लण्ड को ठोका तो
सुपारा मेरी बहन रुकैय्या की चूत में घुस गया, मेरे लिए यह अनूठा अनुभव था.
जल्दी से जल्दी
अन्दर घुसने के मकसद से मैंने जोर से धक्का मारा तो मेरा पूरा लण्ड रुकैय्या की
चूत में समा गया. रुकैय्या ने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी चूचियों पर रख दिया और अपने
चूतड़ उचकाने लगी.
मैंने अपना लण्ड
बहन की चूत के अन्दर बाहर करते हुए रुकैय्या से पूछा- मेरे साथ ऐसे ताल्लुकात कायम
करने का ख्याल तेरे मन में कैसे आया?
अपने चूतड़ उचका
कर चुदाई का मजा लेते हुए रुकैय्या बोली- सोते समय अक्सर तुम्हारे पायजामे पर नजर
पड़ती थी और तुम्हारा तम्बू तना होता था. एक रात मैं पेशाब करने के लिए उठी तो तुम
बेड पर नहीं थे, मैंने देखा कि
बाथरूम की लाइट जल रही है. मैं समझ गई कि तुम बाथरूम में हो, करीब गई तो देखा कि बाथरूम का दरवाजा अधखुला था
और तूम मुठ मार रहे थे. बाथरूम की दीवार पर तुम्हारे लण्ड की परछाई देखकर मेरी चूत
ने कहा ‘चुदवा ले इससे, इस बेचारे का भी भला हो जायेगा और तू तो जन्नत
के मजे लेगी ही.’
रुकैय्या की
चूचियां मसलते मसलते मैंने लाल कर दी थीं, रुकैय्या के निप्पल अपने दांतों में दबाकर मैंने रुकैय्या की कमर पकड़ ली और
अपनी कमर की रफ्तार बढ़ा दी.
मेरे धक्कों और
रुकैय्या के चूतड़ उचकाने से हम चरम पर पहुंच गए थे. मैंने रुकैय्या से कहा- मेरा
पानी छूटने वाला है.
रुकैय्या ने कहा-
मुझे मालूम है कि तेरा पानी छूटने वाला है क्योंकि तेरा लण्ड अकड़ने लगा है और तेरा
सुपारा फूलकर मेरी बच्चेदानी पर चोट कर रहा है. छोड़ दे मेरे भाई, छोड़ दे अपना पानी मेरी चूत में. मेरी प्यासी
चूत की प्यास बुझा दे.
रुकैय्या की बात
सुनकर मेरा लण्ड जोश में आ गया और दोगुनी ताकत से रुकैय्या को चोदने लगा और वीर्य
की आखिरी बूंद निकलने तक चोदता रहा.
पूरी तरह से
डिस्चार्ज होने के बाद मैं निढाल होकर रुकैय्या पर लेट गया, मेरे बालों को सहलाते हुए रुकैय्या ने पूछा- एक बार और
करेगा?
मेरे हां कहने पर
रुकैय्या ने मेरे होंठों को चूसते हुए मेरे लण्ड पर हाथ फेरना शुरू कर दिया.
मेरी बहन
रुकैय्या के साथ चूत चूदाई का कार्यक्रम यदाकदा बनता रहता था. तभी कुछ ऐसा हुआ कि
आधी रात को रुकैय्या उठी और बाथरूम गई.
रुकैय्या पेशाब
करके आ जाये तो चुदाई की जाये, यह सोचकर मैं
अपना लण्ड सहलाने लगा.
रुकैय्या पेशाब
करके आई तो बेड पर आने के बजाय कमरे से बाहर निकली और उसके सीढ़ियां उतरने की आवाज
आई. आधी रात को नीचे जाने का क्या मकसद है, यह मेरी समझ से परे था.
उत्सुकतावश मैं
बाहर आया और देखा कि रुकैय्या अब्बू के बेडरूम में गई है. आधी रात को अब्बू के
कमरे में क्यों गई है, यह जानने के मकसद
से मैं दबे पांव नीचे उतरा.
मैं अब्बू के
कमरे के बाहर पहुंचा ही था कि अब्बू की आवाज सुनाई दी- आ गई, मादरचोद. अब तुझे चोदने के लिए मुझे इन्तजार
करना पड़ेगा? मुन्ना का लण्ड
तुझे ज्यादा पसन्द आ गया है क्या?
“अब्बू, आ तो गई हूँ.”
अब्बू के कमरे के
अधखुले दरवाजे से झांककर मैंने देखा कि रुकैय्या अब्बू का तहमद हटाकर उनका लण्ड
चूस रही थी और अब्बू रुकैय्या की चूचियां दबा रहे थे. मेरे लिए नाकाबिले यकीन था
कि एक बाप भी अपनी बेटी को चोद सकता है.
मुझसे बर्दाश्त
नहीं हुआ तो यह सारा वाकया अम्मी को बताने के लिए उनके बेडरूम में पहुंचा. अम्मी
गहरी नींद में सो रही थीं. मैंने अम्मी को झकझोर कर जगाया और बताया कि नीचे क्या
हो रहा है.
अपनी अपनी आँखें
मलते हुए अम्मी ने कहा- चुदवाने गई है तो चुदवा लेने दे. तेरा लण्ड खड़ा हो गया है
तो तू मुझे चोद ले. इतना कहकर अम्मी ने अपना लहंगा कमर तक उठा दिया और टांगें चौड़ी
कर दीं.
अम्मी की बात
सुनकर मैं जितना चौंका, उससे ज्यादा मैं
अम्मी की मांसल जांघें देखकर चौंक गया था. चूंकि अम्मी ने पैन्टी नहीं पहनी थी
इसलिये अम्मी की चूत भी मुझे दिख गई थी. यह सब देख सून कर मैं सुन्न था.
तभी अम्मी बोलीं-
आजा मुन्ना, चोद ले. निकाल ले
अपने लण्ड की गर्मी.
मैंने बिना देर
किये अपना पायजामा उतार दिया और अम्मी के बिस्तर पर आ गया. अम्मी ने जल्दी से अपने
चूतड़ उठाकर एक तकिया अपने चूतड़ों के नीचे रखकर अपनी टांगें चौड़ी कर दीं.
अम्मी की चूत के
लब खोलकर मैंने अपने लण्ड का सुपारा रखा और अपना लण्ड अपनी अम्मी की चूत में उतार
दिया. अम्मी ने बीस साल पहले मुझे जिस चूत से निकाला था, आज मैं उसी में घुस गया था.
मेरा लण्ड चूत
में जाते ही अम्मी बड़ी मादक आवाज में बोलीं- तेरा लण्ड तेरे अब्बू के लण्ड से बहुत
तगड़ा है, मुन्ना. मेरी चूत तुझे
रुकैय्या जैसा मजा तो नहीं दे सकती लेकिन एक काम करके तू मेरी अधूरी ख्वाहिश भी
पूरी कर सकता है और एक नये मजे का आनन्द भी ले सकता है.
मैं काफी बेबाक
हो चुका था, मैंने अम्मी से
कहा- बताइये, क्या करना है?
अम्मी ने कहा-
मुन्ना, तेरी जितनी भी मामियां,
मौसियां या फूफी हैं, सब अपने शौहर से गांड मराती रही हैं. मेरे कहने पर तेरे
अब्बू ने कोशिश तो कई बार की लेकिन उनके लण्ड में शायद वो ताब नहीं थी कि मेरी
गांड का किला फतेह कर सकें. तेरे लण्ड की ताकत देख कर मुझे अन्दाज है कि मेरी
अधूरी ख्वाहिश तू पूरी कर सकता है. उठ मेरे लाल, तेल की शीशी उठा ला और मेरी गांड मार दे.
अम्मी की ढीली
ढाली चूत में मुझे मजा भी नहीं आ रहा था और गांड मारने का अनुभव भी होने जा रहा था
इसलिए मैंने अपना लण्ड अम्मी की चूत से निकाला और अम्मी की अल्मारी से तेल की शीशी
निकलने लाया.
हथेली पर तेल
लेकर मैंने अपने लण्ड की मसाज की और थोड़ा सा तेल अपनी बाईं हथेली पर डालकर मैं
बिस्तर पर आ गया. अम्मी ने अपना लहंगा उठाया और घोड़ी बन गईं. अम्मी के हृष्ट पुष्ट
गोरे गोरे चूतड़ देखकर मेरा लण्ड जोश में आ गया.
अपने दाहिने हाथ
के अंगूठे को तेल में भिगोकर मैंने अम्मी की गांड के छेद पर रखा. अम्मी के चूतड़ों
को फैला कर उनकी गांड के गुलाबी रंग के चुन्नटों पर तेल भरा अंगूठा रगड़ते रगड़ते
मैंने अपना अंगूठा अम्मी की गांड में डाल दिया और धीरे धीरे अन्दर बाहर करने लगा.
अपनी बायीं हथेली में बचा हुआ तेल अपनी दोनों हथेलियों पर मल कर मैंने अम्मी के
चूतड़ों की मालिश कर दी.
गोरे गोरे चूतड़ों
पर तेल लगाने से अम्मी के चूतड़ चमकने लगे थे. चमेली के तेल की खुशबू से कमरे का
वातावरण मादक हो रहा था. अपने लण्ड की खाल चार बार आगे पीछे करके मैंने अपने लण्ड
का सुपारा अम्मी की गांड के छेद पर रखा. लाल मैरून रंग का सुपारा अम्मी की गुलाबी
गांड में जाने के लिए बेकरार हो रहा था.
अम्मी की कमर
पकड़कर अपने लण्ड को अम्मी की गांड पर दबाते हुए मैंने अम्मी से पूछा- अम्मी डाल
दूं?
गांड मराने के
लिए बरसों से तरस रही अम्मी ने मादक आवाज में कहा- डाल दे मुन्ना, अब और न तड़पा.
अम्मी को मजबूती
से पकड़कर मैंने धक्का मारा तो टप्प की आवाज के साथ मेरे लण्ड का सुपारा अम्मी की
गांड के अन्दर हो गया. अम्मी जोर से चिल्ला पड़ीं. अम्मी की चिल्लाहट पर तव्वजो न
देते हुए मैंने दो धक्के और मारे और पूरा लण्ड अम्मी की गुफा में उतार दिया और
अम्मी आगे की ओर खिसक न जायें इसलिये अम्मी की कमर को मैंने जकड़ लिया.
गांड के चुन्नट
फटने की वजह से चिल्लाई अम्मी पूरा लण्ड झेल गई थीं. लेकिन अम्मी की चिल्लाहट नीचे
अब्बू के कमरे में पहुंच गई थी. किसी अनहोनी की आशंका के चलते अब्बू दौड़ते हुए ऊपर
आये और अपना तहमद बांधते हुए पूछा- क्या हो गया, चिल्लाई क्यों थी?
तभी रुकैय्या
कमरे में पहुंची और अपने लहंगे का नाड़ा बांधकर अपनी चोली के हुक बंद करते हुए
बोली- अब्बू, आप भी अजीब सवाल
करते हैं. मुन्ना अम्मी की गांड मार रहा है. हो सकता है कि गांड मराने की वजह से
दर्द हुआ हो.
अब बोलने की बारी
अम्मी की थी- रुकैय्या बेटी, पिछले पच्चीस साल
में मैंने तेरे अब्बू से तमाम बार गुजारिश की कि मेरा गांड मराने को मन करता है
लेकिन इन्होंने मेरी इच्छा कभी परी नहीं की.
“बेगम, ये इल्जाम न लगाओ कि मैंने तुम्हारी इच्छा पूरी
नहीं की. मैंने कई बार कोशिश की लेकिन तुम्हारी गांड इतनी टाइट थी जिसे मेरा लण्ड
भेद नहीं पाया.” इतना कहते कहते
अब्बू शर्मिंदगी महसूस करने लगे.
तभी बात को
सम्भालते हुए रुकैय्या बोली- कोई बात नहीं अब्बू. देर आये दुरुस्त आये. अब मुन्ना
ने अम्मी की गांड का छेद बड़ा कर दिया है, आपका लण्ड शायद अब चला जायेगा.
यह कहने के बाद
रुकैय्या मेरी तरफ मुखातिब होते हुए बोली- भाई, अब्बू को अम्मी की गांड मारने दे, तू अपने लण्ड की गर्मी मुझ पर निकाल ले.
इतना कहते कहते
रुकैय्या वहीं अम्मी के बिस्तर पर लेट गई और अपना लहंगा उठाकर चूत खोल दी.
मैंने जल्दी
जल्दी चार छह धक्के मारकर अम्मी की गांड से अपना लण्ड निकाल लिया और रुकैय्या के
करीब आते हुए पूछा- गांड मरायेगी?
अपने दोनों कानों
को पकड़ कर रुकैय्या ने इन्कार कर दिया और बोली- न बाबा न, तुम्हारा लण्ड अम्मी की गांड नहीं झेल पाई, अम्मी चिल्ला पड़ीं, तुमसे गांड मरा कर मुझे सारा मुहल्ला नहीं जगाना है.
मैंने कहा- चल
कोई बात नहीं, गांड न मरा लेकिन
चूत मराने के लिए घोड़ी तो बन जायेगी?
“हां, चूत मराने के लिए घोड़ी बन सकती हूँ.” ऐसा कहकर रुकैय्या घोड़ी बन गई और अपना लहंगा
कमर तक उठा लिया.
रुकैय्या और
अम्मी दोनों घोड़ी बनी हुई थीं. मैंने रुकैय्या की चूत के लब फैला कर अपना लण्ड पेल
दिया और रुकैय्या की कमर पकड़ कर उसे चोदने लगा.
बिस्तर के दूसरी
तरफ अम्मी अपनी गांड खोल कर घोड़ी बनी हुई थीं और अब्बू अपना लण्ड हिला हिला कर
टाइट करने की कोशिश कर रहे थे.
कुछ देर बाद
अब्बू ने अपना लण्ड अम्मी की गांड के छेद पर रख कर अन्दर करने की कोशिश की लेकिन
बात बनी नहीं तो मैंने अब्बू से कहा- अपने अंगूठे में तेल लगा कर अम्मी की गांड
में चला दीजिये.
अब्बू ने वैसा ही
किया और फिर से अपना लण्ड अम्मी की गांड में डालने की नाकाम कोशिश की.
अब्बू ने मेरी ओर
कातर निगाहों से देखते हुए कहा- एक बार तू अपने लण्ड से अम्मी की गांड का छेद फैला
दे.
मैंने रुकैय्या
की चूत से अपना लण्ड निकाला और अम्मी की गांड में उतार दिया.
“मुन्ना, मेरे मुन्ना!” कहते हुए अम्मी कसमसाने लगीं.
अम्मी की चोली
ऊपर खिसका कर मैंने अम्मी की चूचियां पकड़ लीं और अम्मी की गांड मारने लगा. अम्मी
की गांड मारने में रुकैय्या को चोदने की बनिस्बत ज्यादा मजा आ रहा था. अपना लण्ड
तेजी से अन्दर बाहर करते हुए मैंने अब्बू से कहा- अब्बू, आप अपने लण्ड पर तेल लगाकर तैयार रहिये. जैसे ही मैं
निकालूं, आप झट से डाल दीजियेगा.
अब्बू अपने लण्ड
पर ढेर सा तेल लगाकर हिलाने लगे. तेजी तेजी से धक्के मारते हुए मैंने अपना लण्ड
अम्मी की गांड से निकाल लिया. इससे पहले कि अम्मी की गांड का छेद सिकुड़े, अब्बू ने अपना लण्ड अम्मी की गांड में पेल दिया
और आगे की ओर झुककर अम्मी की चूचियां दबोच लीं.
इधर मैंने अपना
लण्ड अम्मी की गांड से निकाल कर रुकैय्या की चूत में पेला तो रुकैय्या ने अपनी
चोली खोल दी. मैं रुकैय्या की चूचियों से खेलने लगा.
रुकैय्या को तेजी
से चोदते हुए मैंने अब्बू को भी स्पीड पकड़ने का इशारा किया तो बोले- पड़ा रहने दे,
मुन्ना. मुझे अपनी औकात पता है, चार धक्के मारते ही मेरी टैं बोल जायेगी.
अब हम लोगों में कुछ भी छिपा नहीं है, मैं रुकैय्या कौ गांड मराने के लिए अक्सर उकसाता रहता हूँ और घोड़ी बना कर चोदने के दौरान अंगूठे से उसकी गांड की मसाज करता रहता हूँ.
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